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Click hereहेल्लो दोस्तो,मै आपका दोस्त रविराज फ़िर से हाजीर हो गया हू एक नई कहानी ले कर । आपको ये कहानी जरुर पसंद
आयेगी ऐसी उम्मीद करता हू। तो दोस्तो छुट्टीयोंके दिन थे।गर्मी का मोसम चल रहा था।मेरी मोसी की लडकी सुमन
छुट्टीया मनाने के लिये हर साल हमारे घर आती थी। सो ईस साल भी वो आ गयी थी। ईधर मेरी दिदीने मुझे चोदने
का चस्का लगा रखा था। ऐसा एक भी दिन हमे चोदे बिना नही जाता था।एक दिन खाना नही मिले तो चलेगा मगर
मुझे हर रोज चुत चाहिये थी। इतना मै चुद्दक्कड बन गया था। ये सब दिदी कि मेहर्बानी थी। मै हर रोज मेरी दोनो
बहनों को चोदता था। कभी-कभी छोटी दिदी आपने लिये कोई नये लंड का इंतेजाम करती थी,पर मेरी बडी दिदी को
सिर्फ़ मेरा लंड पसंद था।शायद उसने मेरे सिवा किसी ओर का लंड ना लेने की कसम खा ली थी।ऐसे देखा जाये तो
उसकी ये बात एक दम सही भी थी उसे जब चाहे घरमे बडी आसानीसे मेरा लंड मिल सकता था। जिस दिन सुमन
हमारे घर आयी थी उस दिन हमे पुरा दिन बिना चोदे गुजारना पडा। न ही मै मेरी किसी भी दिदीके मम्मे दबा सका
और ना ही उनके मम्मे चुस सका। दिन तो ऐसा ही गुजर गया। फ़िर हमने रात मे हम तिनो भाई- बहन ने खुब
मजे लिये। पुरे दिन की कसर पुरी कर ली । पर सब कुछ बिल्कुल चुप-चाप्।ना कोई बात ना कोई शोर्।एक दम सन्नाटा।
क्योंकी सुमन सोने के लिये हमारे कमरे मे आयी थी।कुच देर बाद स्वातीदिदीने मेरे तरफ़ मुह किया और मेरा हाथ
पकडकर अपने मम्मे पर रख दिया। मै धिरे-धिरे उसके मम्मे मसलने लगा, कुच देर बाद मैने दिदी क एक मम्मा
मुह मे लिया और चुसने लगा। और एक हात से दुसरा मम्मा दबाने लगा। उधर नेहा दिदी सुमन को बातोंमे उलझा
रही थी। कि उसका ध्यान हमारी तरफ़ ना आये। फ़िर मैने मेरी एक उंगली स्वातीदिदीके चुत मे डाल दी। और उसे
धिरे-धिरे अंदर बाहर करने लगा। दिदी भी निचेसे गांड हिलाकर मुझे सह्योग देने लगी। फ़िर मैने दिदीकी चुत मे
दो उंगलिया डाल दी। और उन्हे अंदर-बाहर करने लगा। स्वाती दिदी अब बहुत गरम हो गयी थी। उसकी चुत पानी
छोड रही थी। दिदीसे अब रहा नही जा रहा था। उसी करवट पर दिदीने मेरा लंड अपनी हाथ मे पकडकर अपनी चुत
पर लगा डाला। मैने मेरा मुह दिदीके मुह पर रखा और अपना पुरा लंड दिदिके चुत मे धकेल दिया। दिदीने भी मेरा
पुरा लंड अंदर लिया और कुछ देर तक उसे अंदरही भिंच लिया। और मेरा लंड अपनी टांगोंके बिच दबाने लगी।
मुझे अछा महसुस कर रहा था। लेकिन मै दिदीके उपर चढकर उसे जोर-जोर से चोदना चाहता था। लेकिन हमारे
कमरे मे सुमन के होने की वजह से हम ऐसी पोजीशन नही ले सकते थे। और मुझे दिदीको उसी पोज मे चोदना
पड रहा था। ऐसा चोदने मे ईतना मजा तो नही आ रहा था,लेकिन क्या करे हमारी मजबूरी थी। आदमी को
एक ही स्टाइल मे भी क्या मजा आता है? लेकीन मजबुरी थी। मैने दिदी से धिरे से कहा,"दिदी सुमन
का कुछ तो बंदोबस्त करना पडेगा।" मेरे राजा तु उसकी भी चुत मारना चाहता है क्या?" दिदी बोली। ऐसा तो मैने
सोचा भी नही था।मैने कहा,"क्या दिदी सुमन भी मुझसे चुदवा लेगी?" तो दिदी बोली,"हा मेरे राजा, हर लड्की किसी-ना
किसीसे चुदवा तो लेती है।लेकिन मुझे नही लगता है कि उसने अभी तक किसिसे चुदवा लिया है।" मै बोला,"दिदी
फ़िर तो वो मुझसे चुदवायेगी क्या तुम कोशिश करके देखो ना।" "मै कुछ चक्कर चला कर देखती हू। अगर बात
बनती है तो तूझे सुमन की भी चुत मिलेगी।" मैने कहा,"फ़िर तो दिदी कुछ बात बनती है क्या कोशिश करके जरुर
देखो मुझे पुरा विश्वास है तुम उसे चुदने के लिये तय्यार करोगी।" तो दिदी बोली,"हा मेरे राजा भैय्या,मुझे भी
अलग-अलग स्टाईल से चुदवाने की आदत है,ऐसा बिस्तर मे चुदवाने मे मुझे भी बिल्कुल मजा नही आ रहा है।,
और अगर सुमन को पता चल गया तो कितनी बदनामी होगी, ओ सबको बता देगी कि हम सगे भाई-बहन चुदाई
करते है। फ़िर क्या होगा। ये सोच के मुझे तो डर लग रहा है।" मैने कहा," हा दिदी तुम्हारी बात तो एकदम सही
है । अगर सुमन हमारा साथ देती है तो फ़िर कोई बात नही। कहते है ना चोर-चोर मोसेरे भाई।" "तु तो बहुत बडी-बडी
बाते करता है रे।"दिदी ने कहा। मै चुप हो गया। और दिदीको चोदने लगा। थोडी देर बाद हमारा राउंड पुरा हो गया।
हमारा काम होने के बाद मै पेशाब करने बाथरुम चला गया। और स्वाती दिदीने सुमन दिदी की तरफ़ मुह फ़ेर लिया।
नेहा दिदी जान गयी थी कि हमारी राउंड पुरी हो गयी है। अब मजे लेने का नंबर नेहा दिदी का था।मै बाथरुम से
अंदर आ गया, और सोने के लिये अपनी जगह गया तो स्वाती दिदी बोली,"राज, तुम नेहा कि पैलवड से सो जावो।
मुझे बहुत गर्मी हो रही है। सच तो वो ये कहना चाहती थी की,राज तुम अब नेहा की चुदाई करो। मै समझ गया।
मेरे कुछ बात करने से पहेलेही सुमन ने स्वातीदिदी के पेट पर हाथ रख कर सोने की कोशिश करने लगी। मै नेहा
दिदी के बाजु मे जाकर बैठ गया।और चद्दर के अंदर हाथ डाल कर दिदीके मम्मे ढुंढ रहा था। मैने पाया की दिदी
चद्दर के अंदर एकदम नंगी सोयी थी,मेरे लंड के ईंतजार मे।मैने धिरे से उसके मम्मे सहलाने लगा। तो वो बोली
पुरी पिच गिली है, तुम डायरेक्ट ब्याटींग करो। मै दिदीके चद्दर मे घुस गया। मैने देखा उसकी चुत गिली हो गयी
थी। हमारी (मेरी और स्वातीदिदी की) चुदाई का कार्यक्रम नेहा दिदी को मालुम था। हमारे बिस्तर मे होनेवाली हल-चल
उसने महसुस की थी। देर ना करते हुये नेहादिदी ने मेरा लंड पकडा और सिधा अपने चुत के मुह पे लगा दिया।
और क्या बताउ दोस्तों मै फ़िर जोरसे नेहादिदी पे टूट पडा।लग-भग चालीस मिनिट तक मै दिदीकि चुत ठोकता रहा।
बिल्कुल एक राक्शस की तरह मैने नेहादिदी कि चुत चोद दी।
उधर स्वातीदिदि बिलकुल शांत सो रही थी।उसकी बाजु मे सुमन भी सो गयी थी। और मैने नेहादिदी कि चुत को भी थंडा
कर दिया था। मै भी नेहादिदी की चुत पे हाथ रखकर वही पर सो गया।
अब मुझे ईंतजार था की कल की सुबह का, और देखाना ये था की दिदी सुमन को चुदाई के लिये कैसे तैयार करती
है। तो मेरी लाटरी निकल्नेवाली थी। मुझे मालुम था की मेरि बहना बहुत कमीनी किस्म की है। और वो जरुर सुमन्को
चुदने के लिये तय्यार कर लेंगी। मुझे मेरी दोनो दिदीयों पर पुरा भरोसा था। सुमन तो भरा हुआ मस्त माल थी।उसके
मम्मे बहुत बडे-बडे थे। नेहा दिदी से भी बडे। सुमन मेरे से एक साल बडी थी। दुसरे दिन दोपहर का वक्त था। घर मे हम
चारोंके सिवा कोइ भी नही था।मै बेड पर बैठ्कर कुछ पढ रहा था। और सुमन ग्रह्शोभिका का अंक देख रही थी। इतने
मे नेहा दिदी और स्वाती दिदी बाहरसे आ गयी और हम दोनो के आजु-बाजू मे बैठ गयी। थोडी देर मे स्वाती दिदी ने
सुमन के मम्मेको धिरेसे दबाया। शायद सुमन को ये बात अछी नही लगी। "कुछ शरम नाम की चिज भी है क्या?"
वो गुस्सेसे बोली। मेरे आरमनों पर पानी फ़िरता हुवा नजर आ रहा था। स्वाती दिदी कुछ ना बोली। तो नेहा दिदी
बोली,"क्यु इतना गुस्सा कर रही हो कोई न कोई तो तुम्हारे मम्मोंके साथ खेलनेवाला ही है ना,तो स्वाती ने दबाया
तो क्या हो गया? इसमे गैर क्या है? हर लडकी के मम्मे कोइ ना कोइ तो मसल ही देता है,और ईसीमे हमे मजा
भी मिलता है।" झट्से सुमन बोली,"तुम दोनो भी बावली हो गयी हो। समने छोटा भाई बैठा है फ़िर भी तुम्हे शरम
नही आ रही है।" स्वाती दिदी बोली, "ये महाराणी तु छोटा किसे बोल रही है? हमारा भाई तो अब बडा हो गया है।"
सुमन बोली,"हा हो गया है तो शादी कर दो ना। हम भी देखते है हमारी भाभी कैसी होगी।" और सब हसने लगे।थोडी
देर मे मै बाहर चला गया।घर मे नेहा दिदी,स्वाती दिदी और सुमन बैठ्कर बाते कर रही थी उन्हे बात करने मे आसानी
हो जाये इस लिये मै बाहर चला आया था। लगभग आधे घंटे बाद मै बेडरुम के अंदर जा रहा था तो मुझे कुछ
जानी-पहचानी आवाज सुनाई पडी। जो आवाज मै हर दिन हर रात दिदीकी चुदाइ करते वक्त आती थी। मैने धिरे से
बेडरुम मे झांक के देखा तो नेहादिदी और स्वाती दिदी सुमन के साथ वही खेल खेल रही थी। नेहा दिदी और स्वाती
दिदी सुमन को चुदाई का सबक पढा रही थी। स्वाती दिदीने बेडरुम के दरवाजे मे मुझे देखा तो हाथ से ईशारा करके
मुझे अंदर बुला लिया। किसीके भी अंग पे कोई भी कपडा नही था। मै सिधा अंदर चला गया और सुमन के मम्मे
चुसने लगा। एक हात से उसकी चुतभी सहलाने लगा। जैसा स्वाती दिदीने मुझे सिखाया था बिल्कुल वैसा ही मै सुमन
के साथ भी करने लगा। सुमन के मुह से मादक सिस्कारीया निकल रही थी। वो बहुत उत्तेजित हो गयी थी। और उसकी
चुत अब बहुत गिली हो गयी थी। उसकी चुत से चिप-चिपासा पानी निकल रहा था।स्वातीदिदीने मुझे सुमन के दो
टांगोंके बिच बैठने का ईशारा किया। मै सुमन के दो टांगोंके बिच बैठ गया। आगे क्या करना था ये मै पहलेसेही
जानता था। अब तो मै चुदाई मास्टर बन गया था। मैने अपना लंड सुमन की चुत पे लगाया,तो वो बोली,"नही राज
ये पाप है, तु रिश्तेमे मेरा भाई लगता है। झट्से स्वाती दिदी बोली चुदाईके रिश्तेमे कोइ किसीका भाई नही लगता है
और ना ही कोई किसीकी बहन लगती है। चुत और लंड का रिश्ता तो सिर्फ़ चुदाई का है। सुमन अब बहुत
गरम हो गयी थी। वो अजीब-अजीब आवाजे निकाल रही थी। मैने इसी बात का फ़ायदा उठाया और सुमन की चुत मे
अपना लंड घुसाने लगा। मगर मेरा लंड तो उसकी चुत मे नही जा रहा था। मैने बहुत कोशिश करके देखा पर सब मेहनत
बेकार थी। उसकी चुत बहुत कसी हुयी थी। और मेरा लंड बहुत बडा था। जब मै नाकाम रहा तो सुमन से रहा नही जा
रहा था, तो उसने मेरा लंड अपने हाथ मे लिया।जैसे ही उसने मेरे लंड को हात मे पकडा,वो बोली,"हाय राम ईतना बडा
लंड है तेरा? तु तो मेरी चुत फ़ाड ही डालेगा। प्लिज मुझे छोड दो।मुझे बहुत तक्लिफ़ हो रही है। फ़िर मुझे नेहा दिदीने
अपने उपर लिया। और स्वाती दिदी तेल लाने के लिये किचन मे नंगीही चली गयी।ईधर मेरा और नेहा दिदी का रोमांन्स
चालू हो गया। हमारा खेल देखकर सुमन मिठी आहे भरने लगी। स्वाती दिदी तेल लेकर आ गयी और उसने सुमन के
चुत पे ढेर सारा तेल डाल दिया। नेहा दिदीने मुझे अपने उपरसे उतारा और मै फ़िर एक बार अपना लंड सुमन के चुत
मे डालने की कोशिश करने लगा। ईसके पहले सुमनने नहि चुदवाया था। ये उसकी पहली बार थी। ईसलिये उसे काफ़ी
दर्द महसुस हो रहा था। थोडी ही देर मे मेरा थोडासा लंड सुमन की चुत मे प्रवेश कर गया। सुमन जोरसे चिल्लाई पर
घरपे उसकी चिख सुननेवाला कोईभी नही था। उसकी मदद मेरी दोनो बहेना कर रही थी। मैने धिरेसे एक झटका लगाया
तो मेरा पुरा का पुरा लंड सुमनकी चुत मे चला गया। उसकी चुतसे गरम खुन का फ़ोवारा निकल गया। खुन देखकर
सुमन बहुत डर गयी। पर स्वाती दिदीने उसे समझाया हर लडकीको ईस दोर से एक दिन गुजरना ही पडता है। वो बाते
कर रही थी तो मै धिरे-धिरे धक्के लगा रहा था। अब सुमन का दर्द थोडासा कम हो गया था। और उसे भी मजा आ रहा
था। मुझे मेरी दोनो बहनोंकी सिल तोडने का मोका तो नही मिला था पर उनकी वजहसे मैने आज मेरी मोसेरी बहन का
सिल तोड दिया था। सुमन काफ़ी खुश थी। उसके बाद मैने नेहादिदी को चोदा और फ़िर स्वातीदिदी को भी चोदा। मेरे
लंड मे अब मुझे दर्द महसुस हो रहा था। आज मैने तिन चुत एक साथ मार लि थी। चौथे राउंड मे फ़िर एक बार
सुमन कि चुत ले ली। उस दिन से हम तिनो मिलके जब हमे मौका मिले तब चुदाई करते रहे। उस दौरान मेरी दिदीने
सुमनको चुदाई के बहुत सारे तरीके सिखा दिये। हम बहुत मजे लेते रहे। किसी का कोई टेंशन नही। घर की बात घर मे।
हम लोग बहुत खुश है। मेरी दोनो बहनों की तो शादी हो गयी है लेकिन सुमन अभी कुंवारीही है। उसकी चुत के लिये
मेरा लंड तय्यार है। जब मेरा दिल करता है मै मौसी को मिलने के बहानेसे उनके गांव जाता हु।और सुमन की
जि भरके चुदाई करके वापस आ जाता हू। और सुमन भी हमारे घर आके एक एक महिना रहेती है। उस महीने मे
हम पिछ्ला पुरा हिसाब बराबर कर देते है।
दोस्तो ये मेरी बिल्कुल सच्ची कहानी है आपको ये कहानी कैसी लगी। मुझे मेल करना मत भुलना।
मेरा मेल ID है damruwala01@gmail.com