बहुत मोटा है भैया

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// भैया का गधे जैसे लंबे और मोटे लंड ======> \\
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बहुत मोटा है भैया
प्रेषक : रविराम69 © (मस्तराम मुसाफिर)

Note:
All characters in this story are 18+. This story has adult and incest contents. Please do not read who are under 18 age or not like incest contents. This is a sex story in hindi font, adult story in hindi font, gandi kahani in hindi font, family sex stories

पटकथा: (कहानी के बारे में) :
=====================================================
// भैया का गधे जैसे लंबे और मोटे लंड //

=====================================================


मैं अब बड़ी हो गई हूँ। मेरी चूंचियाँ भी उभर कर काफ़ी बड़ी बड़ी हो गई हैं। मेरी चूत में अब पहले से अधिक खुजली हुआ करती है। उसकी गहराई अधिक हो गई है। मेरे चूतड़ अब और सुडौल हो गये हैं। मेरी गर्दन भी अब सुराहीदार और खूबसूरत हो गई है। मेरा भाई मुझसे बस दो वर्ष ही बड़ा है।

उसका लण्ड तो बहुत ही सोलिड जान पड़ता था। पेंट में सोया हुया लंड भी काफ़ी भारी और लंबा-मोटा दिखाई देता था / जब वो सोता था तो उसका लण्ड कभी कभी खड़ा हो जाता था और छोटी सी चड्डी में से वो खम्बे की भांति खड़ा नजर आता था। उसे देख कर मेरा दिल भी बेईमान हो उठता था। दिल में खलबली मच जाती थी। कई बार तो मैं अपनी चूत को हाथ से दबा लेती थी। शायद यह उम्र भी बेईमान होती है। उसे भाई बहन के रिश्तों का भी ध्यान नहीं रहता है।

मेरा भाई भी कम नहीं है, वो भी मेरे अंगों को अब घूरने लगा था। मेरे अकेलेपन का फ़ायदा वो उठाने लगा था। वो हंसी हंसी में कितनी ही बार मेरे चूतड़ों पर हाथ मार देता था। छुप-छुप कर स्नान के समय वो मुझे झांक कर देखता था। उसकी इस हरकत से मुझे रोमांच हो उठता था।

अब मैं भी उसको स्नान करते समय झांक कर देखती थी। जब वो गधे जैसे लंबे और मोटे लंड पर साबुन मलता, तो मेरे शरीर के रोंगटे खड़े हो जाते हैं।

आज मैंने बाथरूम के अन्दर कपड़ों में छुपा हुआ मोबाईल देखा। उसके कैमरे का कोण मेरी वीडियो लेने के हिसाब से लगाया था। मेरे मन में वासना जाग उठी...

सोचा आज रवि भैया को सब कुछ दिखा ही दूं, शायद भैया पिघल ही जाये और हमारे बीच शर्म की दीवार टूट जाये। मैंने बड़ी अदा से एक एक कपड़ा उताड़ा और चूतड़ मटकाते हुये मैं अपने आपको मोबाइल में कैद करवाने लगी। चूत को और चूतड़ों को साबुन से मल मल कर और चूंचियों को सेक्सी तरीके से मल मल कर उसे दिखाने लगी।

फिर अपने चूतड़ों को उभार कर और उसके दोनों पट खोल कर अपना चूतड़ों के मध्य केन्द्र बिन्दु भी दर्शा दिया। फिर अपनी चूत सामने करके चूत को सहलाते हुये अन्दर अपनी अंगुली भी डाल कर उसे बताई। अन्त में अपना मटर जैसा दाना भी हिला कर बताया। फिर साधारण तरीके से कपड़े पहने और बाहर निकल आई।

मेरे बाहर निकलते कुछ ही देर बाद भैया ने बाथरूम में जाकर अपना मोबाइल ले लिया। मेरे किचन में जाते ही वो वीडियो देखने लगा।

मैने छुप कर उसे देखा तो वो वीडियो देख देख कर अपना भारी लण्ड मसले जा रहा था। उसे शायद ये मालूम हो गया था कि ये तस्वीरें मैंने जान करके खिंचवाई हैं।

मुझे लगा कि रवि बड़ा बेताब हो चुका है। उसकी बेचैनी उसके चेहरे से झलक पड़ती थी। शाम ढलते ढलते तो शायद उसने दो बार तो मुठ मार लिया था। शायद अब वो मुझसे खुलना चाहता था। पर मैं उससे बड़ी जो थी ... उसकी हिम्मत कैसे हो।

शाम को मैं अपनी चड्डी उतार कर बस शमीज में आ गई थी। मुझे लगा कि आज ही उसे बस में कर लेना चाहिये ... लोहा गरम था। मैं कमरे के बाहर ठण्डी हवा का आनन्द ले रही थी। भैया भी वहीं आ गया। उसके चेहरे पर तनाव स्पष्ट नजर आ रहा था।

वो मुझसे बे-मानी की, यहां वहां की बातें कर रहा था। मैं सब कुछ भांप चुकी थी। उसका लण्ड खड़ा था। उसने भी चड्डी नहीं पहन रखी थी। ट्यूब लाईट की तेज रोशनी में उसके सुपाड़े तक का आकार साफ़ नजर आ रहा था। उसे देख कर मुझे झुरझुरी सी होने लगी।

"भैया, क्या बात है... तू कुछ परेशान है... ?"

"नहीं तो ... ! मुझे एक बात बात पूछनी थी !"

मैंने अपनी गाण्ड उसके लण्ड के नजदीक लाते हुये जैसे बेफ़िक्री से पूछा,"मुझे पता है तेरी बात ... यही ना कि मेरी सहेली आशा को कैसे पटाना है?"

वो बुरी तरह से चौंक गया।

"तुझे आशा के बारे में कैसे मालूम... ?"

"बस, मालूम है ! ऐसा कर, धीरे से उसकी कमर पकड़ लेना और उसके पीछे चिपक जाना... और कह देना... !"

"कैसे दीदी ... हिम्मत ही नहीं होती... "

"देख ऐसे ... अपना हाथ बढ़ा और मुझे पीछे से पकड़ कर अपने से चिपका ले !"

मैने मुस्करा कर उसे देखा। उसने ज्योंही मुझे जकड़ा, उसका उठा हुआ लण्ड मेरे चूतड़ों से टकरा गया। मेरे तन बदन में जैसे बिजली सी कौंध गई। पर देर हो चुकी थी। रवि ने मेरी कमर में हाथ डाल कर अपने भारी लण्ड को चूतड़ों की दरार के बीच घुसा दिया था। मैंने तुरन्त ही उसे दूर करने की कोशिश की। तब तक उसका दूसरा हाथ मेरे सीने पर आ चुका था।

"दीदी ऐसे ही ना... ?"

"हाँ हाँ ऐसे ही, बस, मुझे तो छोड़ ना... "

पर भैया में बहुत ताकत थी। उसने मुझे ऐसे ही उठा लिया और कमरे में आ गया।

मुझे बिस्तर पर पटक दिया और मेरी पीठ पर सवार हो गया। मेरी शमीज कमर से ऊपर तक उठ गई थी और मेरे चूतड़ नीचे से नंगे हो गये थे।

"बस कम्मो , चुप हो जा... मेरी गर्ल-फ़्रेन्ड तू ही तो है ... मैं तेरे ही कारण तो पागल हुआ जा रहा था।"
उसने पजामा जाने कब नीचे कर लिया था उसने ! उसका नंगा लण्ड का स्पर्श महसूस हो रहा था। मुझे ये सब शायद पहले से मालूम था कि वो कुछ ना कुछ तो करेगा ही। मुझे दिल ही दिल में खुशी हो रही थी कि मैंने आखिर इस मोड़ तक तो ला ही दिया था।

"रवि ... देख ! मैं तो तेरी बहन हू... छोड़ दे ... चल दूर हट जा !"

"तेरे ये मस्त चूतड़, ये मस्त बड़ी बड़ी चूचियाँ ... ! तेरी तो गाण्ड भी मार कर ही रहूंगा !"

"देख मैं मम्मी को बुलाऊंगी ... आह अरे रे रे ... ना कर ... हाय लण्ड घुसा ही दिया ना... !"

मेरी गाण्ड में जैसे लोहा घुसता हुआ सा लगा। वो थोड़ा रुका... फिर जोर लगाया।

"कम्मो ... प्लीज चुप हो जा ना ... देख ना ... मेरा लण्ड तेरे नाम की कितनी बार पिचकारियाँ छोड़ चुका है... तू नहीं जानती ... तू तो एक दम कड़क माल है ... !"

"आईईईई ... बहुत मोटा है भैया, आहहहह ….. धीरे से... !" मेरे मुख से आह निकल गई।

उसका लण्ड भीतर तक घुस चुका था। मुझे भी अपनी इस सफ़लता पर गर्व हो रहा था।

उसने अपना लण्ड बाहर खींचा और फिर से अन्दर घुसा डाला। अब मुझे भी धीरे धीरे मजा आने लगा था। उसके हाथ मेरी बड़ी बड़ी चूंचियों पर कस गये थे।

मैं आनन्द से सराबोर हो उठी। मैंने अपने पैर पूरे पसार दिये और उसे गाण्ड मारने में सहायता करने लगी।

"देख, दीदी ... मुझे बहुत मजा आ रहा है ... किसी को कहना मत यह बात... "

"मैं तुझसे कभी बात नहीं करूंगी ... देखना, हाय रे ! तूने तो मेरी गाण्ड कितनी जोर से मार दी !"

उसे तो असीम मजा आ रहा था। उसका लण्ड अब सटासट मेरी गाँड के अंदर तक जा रहा था । मेरी गाँड का च्छेद अब कुछ खुल्ला हो गया था / कुछ ही देर में उसका वीर्य निकल पड़ा। उसने मेरे चूतड़ के गोलों पर अपना माल निकाल दिया और हाथ से मलने लगा।

"छीः, ये क्या कर रहा है... ?"

"फ़िल्म में तो ऐसे ही दिखाते हैं ना दीदी... " अब वो मेरे ऊपर से उतर गया।

उसके लण्ड से पूर्ण स्खलन हो चुका था। वो बस हाथी की सूंड की तरह झूल रहा था।

"अभी मम्मी यहां आ जाती तो ... ?"

"मम्मी तो नहा रही है अभी... उन्हें तो एक घण्टा लगता है।"

"साला, मरवाने के काम करता है ... मुझे तो डरा ही दिया था।"

"डरने की क्या बात है दीदी, कोई चोट थोड़े ही लगती है ... बस मजा ही आता है ना... " उसने अपना पजामा पहन लिया था।

"पर तेरा मोटा कितना है ... और ये भी कोई घुसाने की जगह है ?"

"पर दीदी, बुरा मत मानना, मुझे पता है तू भी तो इतने से कम कपड़े पहन कर मुझे चिढ़ा रही थी ना?"

मुझसे कुछ कहते ना बना, शायद उसने भांप लिया था कि मैं चुदासी हूं। पर क्या करती मैं ! यह जवानी तो मुझ पर कहर बन कर टूटी पड़ रही थी, और देखो ना, मेरी चूत अभी भी लण्ड मांग रही थी। घर पर मर्द नाम का तो बस रवि ही था।

अब यूं ही हर किसी से थोड़ी ना चुदा सकती हूं, क्या पता कब, कैसा बवाल खड़ा हो जाये। पर हां, अब मेरी और भैया की दोस्ती और पक्की हो गई थी। दिन भर हम साथ ही साथ चिपके रहे। इसी बीच उसने मुझे वो वीडियो दिखाया कि कैसे उसने चालाकी से मेरा नहाते समय वीडियो बनाया। मैंने उसे देखा तो सच में बहुत उत्तेजक वीडियो था वो। मैं ही तो उसकी हीरोइन थी। यूँ तो मैंने उसे ऊपरी मन से खूब डांटा। पर वो बता रहा था कि जिसमें हीरो का लण्ड इन होता है वो हीरोइन होती है। हम खूब मस्ती और मजाक कर रहे थे।

शाम को रवि भैया मुझे अपनी मोटर साईकल पर घुमाने भी ले गया। हम दोनों ने बाजार में खूब मस्ती भी की। रास्ते भर मैंने अपने स्तन उसकी पीठ से खूब रगड़े। रात का खाना खाकर हम दोनों कमरे में आ गये थे। पापा और मम्मी सो चुके थे।

पर यहां नींद कहां थी। मैंने लाईट जलाई और रवि भैया के पास आ गई। भैया अपना पजामा उतार कर नंगा ही सो रहा था। मैंने भी अपनी शमीज उतारी और उसके पास लेट गई। उसका लण्ड पहले से ही खड़ा था। मैंने उसका लण्ड हाथ में ले लिया और आगे पीछे मुठ को चलाने लगी। इतने में रवि भैया ने मुझे अपनी बाहों में कस लिया और मेरे ऊपर चढ़ गया।

"श्... श... श्... चुप रहना... " उसका लण्ड मेरे शरीर में कूल्हों के पास यहाँ-वहाँ गड़ने लगा। मुझे लगा कि बस अब तो चुद गई मैं।

"भैया, बस ऊपर ही ऊपर से करना ... बहुत मजा आयेगा देखना ! " मैंने फ़ुसफ़ुसाते हुये कहा।

"नहीं कम्मो, आज बस एक बार चुद ले ... देखना मस्त हो जायेगी... " वो जैसे गिड़गिड़ाया।

"नहीं भैया ... मुझे पता है चुदने से बच्चा हो जाता है... बस चोदना मत ... ऊपर से ही मस्ती मारते हैं ना !"

"अच्छा, जैसी तेरी मरजी... "

भैया अपने लण्ड को मेरी चूत में घिसने लगा और आहें भरने लगा। मेरी चूंचियाँ मलने लगा। उसकी सांसे तेज हो गई। मेरा दिल भी धाड़-धाड़ करके धड़क रहा था।

मैं आनन्द से अंखियां बंद किये स्वर्ग में विचरण कर रही थी। मेरी चूत पानी से गीली हो गई थी, बहुत चिकनी हो चुकी थी। मेरे चेहरे पर पसीने की बूंदे छलक आई थी। वो भी पसीने में तरबतर था।
वो मेरे से लिपट पड़ा था। जाने कब उसका लण्ड मेरी चूत में उतर गया। हम दोनों के ही मुख से एक आनन्द भरी सिसकारी निकल गई। पर ये सब कब हो गया, मस्ती में पता ही नहीं चला।

हम दोनों के शरीर जाने कब एक हो गये, बस हमारी कमर तेजी से चल रही थी। मेरी प्यासी चूत उसके घोड़े जैसे लंड को गपागप अपने अंदर ले रही थी। वो भी उछल-उछल कर लण्ड पेल रहा था। मेरी चूंचियों की शामत आई हुई थी। उसने खींच-खींच कर उन्हें लाल कर दी थी।

"दीदी... आह कितनी चिकनी है रे तू ... तू तो बहुत मस्त है... "

"भैया ... बस चोद दे... कुछ मत कह ... मस्त लण्ड है रे !"

"दीदी ... " और मुझ पर और जोर से पिल पड़ा।

"रवि ... और जोर से मार... हाय दैय्या ... मेरी मार दी भैया... " सच में भैया का मोटा लण्ड जैसे मेरी चूत के लिये बना था। बहुत अच्छी और जबरदस्त चुदाई कर रहा था। हम दोनों इस बात से बेखबर थे कि हम के जिस्म के साथ क्या हो रहा है। शायद इसी को स्वर्ग सा आनन्द कहते हैं।

तभी मेरे शरीर में जैसे आनन्द की लहरें उठने लगी ... नहीं चूत में ... नहीं शायद ...

"आह्... रवि ... मेरा तो निकला ... उफ़्फ़्फ़्फ़्... मुझे सम्भाल रे... उईईईईई... "

और मेर रति-रस जैसे बाहर को उबल पड़ा। मैं झड़ने लगी ... मैंने अपने रवि भैया को कस कर भींच लिया। तभी उसने अपने चूतड़ उठाये और लण्ड बाहर निकाल लिया और मेरे पेट पर दबा दिया। उसका गरम वीर्य मेरी नाभि के आस पास निकल पड़ा। उसने भी मुझे कसकर लिपटा लिया। दोनों ही झड़ते रहे और जब तन्द्रा टूटी तो हम एक दूसरे से नजर तक नहीं मिला पा रहे थे।

मैं उठ कर अपने बिस्तर पर चली आई। मुझे आज पहली बार तृप्ति का अहसास हुआ। मेरे चूत की झिल्ली शायद पहले ही टूट चुकी थी, जाने कब। पहली चुदाई मेरी तो असीम आनन्द से भरी हुई थी। इन्हीं ख्यालों में मैं डूबी हुई थी कि तभी मेरी चादर भैया ने खींच ली। उसका लण्ड तो ऐसे तना हुआ था कि जैसे अभी कुछ हुआ नहीं था। मैंने आनन्द से वशीभूत हो कर उसका लण्ड पकड़ लिया और अपनी तरफ़ खींच लिया। वो मेरे बिस्तर में मेरे साथ गुत्थमगुत्था हो गया। कुछ ही देर के बाद मैं उसके ऊपर बैठी हुई उसका लण्ड चूत के अन्दर बाहर कर रही थी। भैया नीचे दबा हुआ चुद रहा था..

दोस्तो, कैसे लगी ये कहानी आपको ,

कहानी पड़ने के बाद अपना विचार ज़रुरू दीजिएगा ...

आपके जवाब के इंतेज़ार में ...

आपका अपना

रविराम69 (c) (मस्तराम - मुसाफिर)

raviram69
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1 Comments
AnonymousAnonymousalmost 8 years ago

nice story

maja aa gya

gs61104@gmail.com

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