दास्तान - वक्त के फ़ैसले (भाग-३)

Story Info
Erotic Story in Hindi about a young corporate lawyer Zubi.
5.3k words
14.3k
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Part 3 of the 4 part series

Updated 03/18/2021
Created 08/19/2014
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दास्तान - वक्त के फ़ैसले (भाग-३)
लेखक: राज अग्रवाल
********************************************
ज़ूबी के लिये आज का दिन उसकी ज़िंदगी का सबसे बड़ा दिन था। आज उसका निकाह था। ज़ूबी ने पिछले कई महीने अपने शरीर पर मेहनत कर अपने शरीर को काफी कसरती और सुंदर बनाया था। उसने अपने शरीर को इस तरह ढाल दिया था जिससे उसके मंगेतर को रत्ति भर भी शक ना होने पाये कि वो पिछले कई महीनों से किन हालातों से गुज़र रही है।

आखिर रसमों की घड़ी आ ही गयी थी। ज़ूबी अपना समय अपने रिश्तेदारों और परिवार वालों के साथ बिता रही थी और जान रही थी कि हर तैयारी पूरी तरह से हो गयी है कि नहीं। उसने अपने बालों को अच्छी तरह गुंथा हुआ था और वो अपने कमरे में अपनी अम्मी और दादी के साथ बैठी थी।

एक घंटा रह गया था निकाह की रसम के लिये। वो अपना शादी का जोड़ा पहनने की तैयारी करने लगी। गुलाबी रंग का जोड़ा, उसने खास तौर पर ऑर्डर देकर बनवाया था।

ज़ूबी अपने चेहरे का मेक-अप कर रही थी कि तभी उसके कमरे के दरवाजे पर दस्तक हुई। उसकी नौकरानी ने दरवाजा खोला। दरवाजे पर मिस्टर राज खड़े थे। ज़ूबी वैसे तो उन्हें शादी पर बुलाना नहीं चाहती थी, पर उसने सोचा कि शायद उसके शौहर से मिलने के बाद राज का व्यवहार उसके प्रति शायद बदल जाये, और उसे वो सब करने पर मजबूर ना करे जो वो नहीं करना चाहती है।

राज एक बहुत ही महंगा सूट पहने हुए था। उसके हाथ में एक पैक किया हुआ तोहफा था और उसके साथ ज़ूबी की उम्र की ही एक लड़की थी।

“हाय, ज़ूबी,” राज ने कमरे में कदम रखते हुए कहा, “शादी से पहले मैं तुमसे मिलकर तुम्हें मुबारकबाद देना चाहता था।”

“आइये, कैसे हैं आप?” ना चाहते हुए ज़ूबी ने मुस्कुराते हुए कहा।

राज ने कमरे में आकर सभी को अपना परिचय दिया और उन्हें बताया कि ज़ूबी ने किस तरह उसकी कंपनी की मदद की है। जब उसने कमरे में मौजूद सभी सदस्यों से ये कहा कि उसे ज़ूबी से कंपनी के बारे में कुछ खास बातें करनी हैं तो सभी चौंक पड़े।

“मिस्टर राज! शायद आप मज़ाक कर रहे हैं,” ज़ूबी ने थोड़ा हंसते हुए कहा, “आपको पता है ना कि आज मेरा निकाह है।”

“मैं जानता हूँ ज़ूबी, पर सिर्फ़ दस मिनट लगेंगे। शादी के बाद तुम अपने हनीमून पर चली जाओगी और मैं इस समस्या के विषय में तुमसे कम से कम तीन हफ़्तों तक बात नहीं कर पाऊँगा। मुझे आज ही तुमसे बात कर के इस समस्या का हल निकालना है,” राज ने उसे समझाते हुए कहा।

ज़ूबी राज के बारे में अच्छी तरह जानती थी। एक बार जो वो कह देता था वो कर के रहता था। फिर ज़ूबी बात को बढ़ाना भी नहीं चाहती थी। एक अनजाना डर सा उसके दिल में था, पता नहीं राज क्या कर बैठे।

ज़ूबी की माँ को ज़ूबी की हालत का अंदाज़ा नहीं था, और ना ही उसे राज की या उसकी कंपनी की समस्या से कोई लेना देना था।

“मिस्टर राज!” ज़ूबी की अम्मी ने कहा, “मैं ये कहने पर मजबूर हूँ कि आज आप नाजायज़ बात कर रहे हैं, कम से कम आज के दिन तो ज़ूबी को आप काम से दूर रखें।”

राज ने ज़ूबी की और देखा, “ठीक है ज़ूबी मैं तुम्हें आज के दिन कोई काम करने पर मजबूर नहीं करूँगा, पर ये टेप मैं यहाँ छोड़े जा रहा हूँ, इसे अपनी अम्मी को ज़रूर दिखाना। इसमें हमारी कंपनी की तरक्की की कहानी है,” राज ने एक टेप अपनी जेब से निकाल कर टेबल पर रख दी।

राज की ये हर्कत देख कर ज़ूबी तो मानो पत्थर की मुरत बन गयी। उसने तुरंत अपनी हालत पर काबू पाया।

“अम्मी मैं एक वकील हूँ और आपको क्या मालुम कि वकील का पेशा क्या होता है। माना आज मेरा निकाह है पर मेरा काम मेरे निकाह से ज्यादा अहम है,” ज़ूबी ने अपनी अम्मी को समझाते हुए कहा, “प्लीज़ एक मिनट मुझे मिस्टर राज से बात कर लेने दिजिये।”

ज़ूबी ने इशारे से राज को अपने पास बुलाया और कमरे के एक कोने में ले जाकर बात करने लगी।

राज ज़ूबी के पास पहुँचा, “ज़ूबी मैं जानता हूँ कि ये सही नहीं है, पर मुझे तुमसे कुछ अकेले में बात करनी है।”

ज़ूबी की समझ में नहीं आ रहा था कि राज को क्या जवाब दे। कभी वो अपने हाथ में पकड़े उस विडियो टेप को देखती और कभी कमरे में खड़े सभी लोगों को।

“ठीक है,” ज़ूबी ने कमरे में खड़े सभी लोगों से कहा, “प्लीज़ आप सभी लोग कुछ देर के लिये बाहर जायें, मुझे मिस्टर राज से अकेले में कुछ जरूरी बातें करनी हैं।”

ज़ूबी ने सभी को कमरे के बाहर जाने का इशारा किया, “प्लीज़ आप सभी समझें... ये काम बहुत जरूरी है।” राज के साथ आयी लड़की ने सभी को कमरे के बाहर निकाला और फिर कमरे को अंदर से बंद कर दिया।

जैसे ही उस लड़की ने दरवाजा बंद किया, राज के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी।

ज़ूबी कमरे में खड़े लंबे चौड़े राज को देख रही थी। वैसे तो राज कईं बार उसे चोद चुका था, पर वो सोच रही थी कि क्या आज उसकी शादी के दिन भी राज उससे यही करवाना चाहेगा। वो अपने मेक-अप और अपने कपड़ों के बारे में सोच रही थी। ये सब सोचते हुए उसे रोना आ रहा था पर वो रोकर अपना दिन बरबाद नहीं करना चाहती थी।

“मिस्टर राज! धन्यवाद कि आप समय निकालकर शादी में आये,” ज़ूबी समय की नज़ाकत को समझती हुई बोली।

“ज़ूबी आज से बड़ा शुभ दिन क्या हो सकता है,” राज ने कहा, “मैं तो जूली को ये दिखाने लाया था कि तुम कितनी सुंदर हो और तुम्हारा शौहर कितना खुशनसीब है जो उसे तुम्हारी जैसी बीवी मिल रही है,” राज जूली की ओर देखते हुए बोला, “क्यों मैं ठीक कह रहा हूँ ना जूली।”

“हाँ राज! वाकय में ज़ूबी काफी खूबसूरत और सैक्सी है,” जूली अपने होंठों पर ज़ुबान फेरते हुए बोली।

“पर हमारी कितनी बदकिस्मती है कि हमारे पास पूरी रात नहीं है,” राज ने कहा।

राज की बात सुनकर ज़ूबी सोच में पड़ गयी, “हाय अल्लाह! ये सही में मुझसे आज के दिन वो सब करवाना चाहता है।”

“मिस्टर राज! आज मेरा निकाह है... प्लीज़ आज के दिन तो मुझसे ये सब मत करवाइये।”

“ज़ूबी आज तुम्हारा निकाह है, इसी लिए तो मैं ये सब तुम्हारे साथ करना चाहता हूँ,” उसने जवाब दिया, “मैं माफी चाहता हूँ, पर ये मेरी सोच है कि तुम्हारे निकाह के दिन मैं पहला मर्द होना चाहता हूँ जो तुम्हारी चुदाई करेगा। मैं चाहता हूँ कि जब तुम निकाह की रस्म में बैठो तो मेरा वीर्य तुम्हारी चूत से बहता रहे। अब अगर तुम चाहती हो कि घर में आये सारे मेहमान तुम्हारी ये वीडियो कैसेट ना देखें तो जल्दी से अपना लहँगा उठाओ और मेरे लंड के लिये तैयार हो जाओ।”

“सैंडल तो बड़ी प्यारी और सैक्सी पहनी है दुल्हन रानी,” ज़ूबी की गुलाबी रंग की हाई हील की सैंडल की तरफ इशारा करते हुए जूली बोली।

ज़ूबी अपने आपको फ़िर काफी विवश पा रही थी। वो ना तो हाँ कर सकती थी ना ही ना। ज़ूबी डर और अपमान के मारे बुरी हालत में थी। पर वो जानती थी कि उसे ये सब करना पड़ेगा। वो राज की धमकी से डर सी गयी थी। जैसे ही जूली ने उसके लहँगे को उठाया ज़ूबी ने अपनी सैंडल उतारने की कोशिश की।

जैसे ही ज़ूबी अपनी सैंडल उतारने के लिए झुकी तो जूली ने उसे रोक दिया और उससे कहा, “सैंडल पहनी रहो... तुम्हारे पैरों में जंच रहे हैं... अब ऐसा करो तुम टेबल को पकड़ कर घोड़ी बन जाओ, मैं तुम्हारे इस घाघरे को अच्छी तरह से तुम्हारी कमर तक उठा देती हूँ जिससे ये खराब ना हो।”

जूली ने ये सब इतनी अच्छी तरह से कहा था कि ज़ूबी के पास उसकी बात मानने के अलावा कोई चारा नहीं था। वो घूमी और दोनों हाथों से टेबल को पकड़ कर घोड़ी बन गयी। उसने महसूस किया कि जूली ने उसके घाघरे को उसकी कमर तक उठा दिया है और अब पीछे से उसके बदन को सहला रही है।

“थोड़ा नीचे झुको मेरी गुड़िया,” जूली ने हल्के दबाव से उसे नीचे झुक दिया। वो सोच रही थी कि कमरे के बाहर खड़े उसके परिवार वाले और रिश्तेदार क्या सोच रहे होंगे कि उन्हें बंद कमरे में इतनी देर क्यों लग रही है।

ज़ूबी की चिकनी और गोरी टाँगें कमरे की दूधिया रोशनी में चमक रही थी। उसके कुल्हे और चूत एक सिल्क की सफ़ेद पैंटी से ढकी हुई थी। ज़ूबी का ये नज़ारा किसी भी मर्द को उत्तेजित करने के लिए काफी था।

राज ने महसूस किया कि उसका लंड पैंट के अंदर तनने लगा है। ये सोच कर तो उसका लंड और खड़ा हो गया कि ये नयी नवेली दुल्हन आज शादी के दिन किसी और मर्द से चुदवाने जा रही है।

राज ये सब सोचते हुए अपने लंड को पैंट के ऊपर से मसल रहा था। वहीं जूली ने धीरे से अपनी अँगुलियाँ ज़ूबी कि पैंटी में फँसायी और उसे उसके सैंडलों तक नीचे खिसका दी। फिर उसने ज़ूबी का एक-एक पैर उठा कर वो पैंटी निकाल दी। वो पैंटी उतार कर उसने उसे राज को पकड़ा दी और राज ने उसे अपने कोट की जेब में डाल दी।

ज़ूबी के पीछे खड़े होकर राज ने जूली को इशारा किया। उसका इशारा पा कर वो लड़की अब ज़ूबी के चूत्तड़ों को सहलाने लगी।

“अपनी टाँगों को थोड़ा और फ़ैलाओ रानी,” जूली ने ज़ूबी से कहा।

ज़ूबी के मुँह से एक हल्की सी हुंकार निकली और उसने अपनी टाँगें थोड़ी सी फैला दी जिससे उसकी उभरी हुई चूत अब साफ़ दिखायी दे रही थी।

जूली के हाथ अब ज़ूबी की टाँगों के बीच आ गये। जूली अब अपने हाथ ज़ूबी की बिना झाँटों की साफ़ और चिकनी चूत पर फिराने लगी।

ज़ूबी को अपनी इस अवस्था पे काफी शरम आ रही थी। वो सोच रही थी कि तकदीर भी उसके साथ कैसे खेल खेल रही थी। आज ही उसके निकाह के दिन वो किसी कुत्तिया कि तरह किसी दूसरे मर्द से चुदवाने जा रही थी।

तभी उसने किसी मर्दाने हाथों को अपने चूत्तड़ पर महसूस किया। ज़ूबी ने अपनी गर्दन घुमा कर देखना चाहा कि उसके पीछे क्या हो रहा है। राज ठीक उसके पीछे खड़ा था। उसकी पैंट और अंडरवीयर उसके घुटनों तक नीचे खिसकी हुई थी। उसका तन्नाया हुआ लंड ठीक उसकी चूत को मुँह किये खड़ा था। जूली अब उसके लंड को उसकी चूत पर लगा रही थी।

जूली राज के लंड को ज़ूबी की चूत पर ऊपर नीचे कर के घिस रही थी। राज ने थोड़ा सा दबाव लगाते हुए अपने लंड को ज़ूबी की चूत में घूसा दिया। जैसे ही उसका लंड ज़ूबी की चूत में घूसा, ज़ूबी को हल्का सा दर्द हुआ। ज़ूबी ने टेबल के किनारे को और कस के पकड़ लिया और अपनी आँखें बंद कर लीं। उसे विश्वास नहीं हो रहा था कि ठीक अपने निकाह में बैठने के पहले वो किसी और मर्द से चुदवा रही थी।

राज ने ज़ूबी के शरीर को काँपते हुए देखा। उसकी सूखी चूत शायद उसके मूसल लंड के लिये तैयार नहीं थी। राज ने भी कोई जोर नहीं लगाया, वो आराम और धीरे से अपने लंड को उसकी चूत में घुसाने लगा। वो तो ज़ूबी को सिर्फ़ ये बताना और ये एहसास दिलाना चाहता था कि वो जब और जहाँ चाहे ज़ूबी को चोद सकता है। वो ये बताना चाहता था कि ज़ूबी की शादी के बाद भी हालात यही रहने वाले हैं और बदलेंगे नहीं।

राज ने ज़ूबी के चूत्तड़ों को कस कर पकड़ा और अपने लंड को अंदर तक घुसा दिया। ज़ूबी की चूत गीली हो जाये इसलिये उसने अपने लंड को अंदर तक घुसा कर वहीं थोड़ी देर तक रहने दिया। फिर उसने थोड़ा सा बाहर खींचा और फिर हल्के से अंदर पेल दिया। जब उसने देखा कि ज़ूबी का मुँह खुला है और वो गहरी साँसें ले रही है तो वो समझ गया कि लौंडिया को भी मज़ा आ रहा है।

थोड़ी ही देर में ज़ूबी की चूत गीली हो गयी और अब राज का लंड बड़ी आसानी से अंदर बाहर हो रहा था। राज ने देखा कि ज़ूबी ने अपने शरीर को पत्थर सा कर लिया जिससे वो ये अंदाज़ा ना लगा सके कि वो भी बड़े आनंद से चुदाई का मज़ ले रही है। राज इस बात की परवाह ना करते हुए उसकी चूत में जोरों से लंड को अंदर बाहर कर रहा था। राज ने जानबूझ कर कई दिनों से किसी को चोदा नहीं था, जिससे वो ज्यादा से ज्यादा पानी ज़ूबी की चूत में छोड़ सके।

किसी लड़की को उसकी शादी से चंद मिनट पहले वो चोद रहा है, इस ख्याल ने राज के शरीर में और उत्तेजना भर दी। ये लड़की अब उसकी गुलाम है, वो जब चाहे और जैसे चाहे उसे इस्तमाल कर सकता है, और थोड़ी देर में ही वो उसकी चूत को अपने पानी से भरने वाला है।

वहीं ज़ूबी शरम के मारे मरी जा रही थी पर चुदाई एक ऐसी चीज़ है कि इंसान चाह कर भी अपनी उत्तेजना को छुपा नहीं सकता है। जैसे ही ज़ूबी को ये एहसास हुआ कि उसकी चूत भी पानी छोड़ने वाली है, उसके कुल्हे अपने आप ही पीछे की ओर हुए और राज के लंड को अपनी चूत के अंदर तक ले लिया।

ज़ूबी के कुल्हों को अपने शरीर से सटते देख राज और जोरों से धक्के लगाने लगा। ज़ूबी अब उसके धक्कों का साथ दे रही थी। ज़ूबी को लगा कि अब उससे सहन नहीं होने वाला है तो उसने अपना हाथ अपनी टाँगों के बीच किया और राज के अंडकोशों को पकड़ कर मसलने लगी। थोड़ी ही देर में राज के लंड ने उसकी चूत में पानी छोड़ दिया।

ज़ूबी उसकी गोलियों को मसलते हुए उससे उसका पानी निचोड़ रही थी, कि अचानक उसका शरीर काँपा। उसने अपने होंठों को दाँतों से दबा लिया जिससे उसकी उत्तेजना की चींख बाहर ना सुनायी दे सके। उसकी चूत ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया।

राज भी ज़ूबी के कुल्हों को पकड़ कर अपना पानी उसकी चूत में छोड़ने लगा। जब उसने देखा कि उसके अंडकोश खाली हो गये हैं और एक-एक बून्द ज़ूबी की चूत में गिर पड़ी है तो उसने अपने लंड को ज़ूबी की चूत से बाहर निकाल लिया।

ज़ूबी ने अपनी साँसों पर काबू पाया और देखा कि जूली राज के लंड को अपने मुँह में ले कर चूस रही है। थोड़ी देर बाद जूली ने उसके लंड को अपने मुँह से निकाला और उसे राज के अंडरवीयर में रख कर उसकी पैंट को ऊपर खींच दिया। फिर जूली उठी और ज़ूबी को कपड़े दुरुस्त करने में मदद करने लगी। फिर राज ने जाकर कमरे का दरवाजा खोल दिया। ये सब इतनी जल्दी से हुआ कि ज़ूबी को मौका ही नहीं मिला कि वो अपनी पैंटी राज से माँग सकती।

जैसे ही उसके परिवार वाले और उसके मेहमान कमरे में आये, राज ने बड़ी विनम्रता से उनसे बात की और जूली को अपने साथ ले कर वहाँ से चला गया। ज़ूबी बड़ी डरी और सहमी हुई सी कमरे के बीचों बीच खड़ी थी, उसे डर था कि कहीं किसी को उस पर कोई शक ना हो जाये। जब निकाह का वक्त हो गया तो उसकी सहेलियाँ उसे लेकर नीचे आ गयीं।

ज़ूबी अपनी सहेलियों का हाथ पकड़े निकाह वाले हॉल की ओर आ रही थी। कमरा मेहमानों से भरा पड़ा था और सभी ज़ूबी को देख मुस्कुरा रहे थे। मिस्टर राज और जूली पास ही खड़े थे। वो राज से नज़रें बचाते हुए दूसरे मेहमानों की ओर देख मुस्कुरा रही थी, कि तभी उसने महसूस किया कि राज का वीर्य उसकी चूत से बहकर उसकी जाँघों के अंदरूनी हिस्से को और उसकी टाँगों को गीला कर रहा है।

* * * * * * * *

ज़ूबी कि शादी को कई हफ़्ते बीत चुके थे। आज भी उसे वो दिन याद था कि शादी के तुरंत बाद कैसे बड़ी मुश्किल से उसने अपने आपको साफ़ किया था जिससे उसके शौहर को उस पर शक ना हो पाये। जैसे-जैसे समय बीतता गया, वो अपने साथ हुए हादसों को भूलने लगी।

वो खुशकिस्मत थी कि उसी इज्जत के साथ उसे आज भी अपनी नौकरी हासिल थी। किन हादसों से गुज़र कर उसने अपनी नौकरी बचायी थी। गलती उसकी ही थी शायद, एक तो इतने बड़े ग्राहक का केस उसने गलत तरीके से संभाला था, दूसरा अगर उसकी गलती सामने आ जाती तो शायद उसे अपने वकील के लायसेंस से भी हाथ धाना पड़ सकता था। पर उसकी मेहनत और लगन ने उसे इन सबसे बचा लिया था।

एक अंजान सा डर अब भी ज़ूबी के जेहन में आता रहता था। उसे पता था कि एक ना एक दिन मिस्टर राज जरूर उसे याद करेगा और हो सकता है कि शर्मिन्दगी और जिल्लत का वही दौर फिर से शुरू हो जाये। उसने कई कोशिश कि वो राज के चुंगल के निकल जाये, पर जब तक राज के पास उसकी चुदाई का वीडियो कैसेट था वो कुछ नहीं कर सकती थी।

गुजरते वक्त के साथ उसे लगने लगा कि राज उसकी ज़िंदगी से निकल गया है, पर अल्लाह अभी कहाँ उसपर मेहरबान हुआ था।

एक दिन सुबह वो अपनी कंपनी के पार्टनर के साथ उसके केबिन में किसी केस पर बहस कर रही थी कि तभी इंटरकॉम पर रिसेप्शनिस्ट की आवाज़ आयी।

“ज़ूबी, मिस्टर राज लाइन नंबर सात पर तुमसे बात करना चाहेंगे” रिसेप्शनिस्ट की आवाज़ सुनायी दी।

रिसेप्शनिस्ट की आवाज़ सुनकर उसके हाथ में पकड़ा कॉफी का मग हिलने लगा। उसका बदन फिर एक डर से काँप उठा। फाइल जो उसकी गोद में पड़ी थी फ़िसल कर ज़मीन पर गिर पड़ी।

“ज़ूबी तुम ठीक तो हो ना?” पार्टनर ने पूछा।

ज़ूबी ने अपनी गर्दन धीरे से हिलायी और लगभग लड़खड़ाती आवाज़ में जवाब दिया, “मिस्टर प्रशाँत! एक जरूरी फोन है जिसे मुझे लेना पड़ेगा, मैं अभी आयी।”

बिना कुछ और कहे ज़ूबी कुर्सी से उठी और काँपते हाथों से कॉफी के मग को पार्टनर की टेबल पर रखा और लगभग दौड़ती हुई अपने केबिन में पहुँची।

मिस्टर प्रशाँत, एक चालीस साल का आदमी था। वो हैरानी से ज़ूबी को अपने केबिन से जाते हुए देखता रहा। जैसे ही वो केबिन के बाहर निकली, उसने उठकर अपने केबिन का दरवाजा बंद किया और अपनी अलमारी से एक छोटा सा टेप रिकॉर्डर निकाल कर फोन से अटैच कर दिया। फिर वो लाइन सात के कनेक्ट होने का इंतज़ार करने लगा। उसने फोन का स्पीकर ऑन कर दिया और ज़ूबी और मिस्टर राज की बातें सुनने लगा।

वो सोच रहा था कि कंपनी के सबसे बड़े ग्राहक के साथ ज़ूबी अकेले में क्या बात करना चाहती है। कहीं दोनों के बीच कोई खिचड़ी तो नहीं पक रही।

“हेलो! हाँ मैं ज़ूबी बोल रही हूँ।”

“हाय, ज़ूबी! राज बोल रहा हूँ। कैसी हो मेरी काबिल वकील?” राज ने पूछा।

“मैं ठीक हूँ,” ज़ूबी किसी भी निजी विषय पर उससे बात नहीं करना चाहती थी, “क्या आप अपनी फाइल के बारे में बात करना चाहते हैं?”

“वैसे तो मैं अपनी फाइल के बारे में भी जानना चाहता हूँ, पर मुझे ये कहते हुए अफ़सोस हो रहा है कि तुम भूल गयी हो कि मैं कौन हूँ।”

“ऐसे कैसे भूल सकती हूँ आपको,” ज़ूबी जबर्दस्ती हंसते हुए बोली, “मैं आपके नये केस के सिलसिले में आपसे बात करने ही वाली थी।”

“हाँ... हाँ... मेरी बात धयान से सुनो, तुम्हें मेरा एक काम करना होगा” राज ने कहा।

राज की बात सुनकर ज़ूबी का दिल बैठ गया, “क्या चाहते हैं आप मुझसे?”

“दिल्ली में मेरी एक दोस्त है, जिसे उसके बिज़नेस में कुछ मदद चाहिये” राज ने जवाब दिया, “मैं चाहता हूँ कि गुरुवार को तुम दिल्ली जाकर उससे मेरे ऑफिस में मिलो। तुम रविवार की शाम तक रुकने के हिसाब से अपना प्रोग्राम बनाना।”

ज़ूबी की समझ में नहीं आया कि वो क्या जवाब दे, “क्या ऑफिस से और वकील भी मेरे साथ जायेंगे?” ज़ूबी ने पूछा।

“नहीं मैं चाहता हूँ कि तुम अकेली वहाँ जाओ” राज ने जवाब दिया।

“क्या मैं अपने शौहर को अपने साथ ला सकती हूँ?”

“हाँ जरूर ला सकती हो,” राज ने कहा और जोरों से हंसने लगा, “मुझे विश्वास है कि वहाँ पर तुम अपनी चुदाई अपने शौहर को दिखाना नहीं चाहोगी। मैं तो वो सीडी भी तुम्हारे शौहर को दिखा सकता हूँ जिसमें मैं तुम्हारी चुदाई कर रहा हूँ, और उसे वो भी बताना चाहुँगा कि किस तरह होटल के कमरे में तुमने कितने मर्दों के साथ एक साथ चुदवाया था।”

ज़ूबी खामोशी से सहमी हुई राज की बातें सुनती रही।

तभी राज ने आगे कहा, “क्या मैं तुम्हारे शौहर को उस होटल के रूम सर्विस वाले नौजवान के बारे में भी बताऊँ कि किस तरह उसने तुम्हारी चुदाई की थी।”

फोन पर थोड़ी देर खामोशी छायी रही। तभी ज़ूबी ने जल्दी से कहा, “नहीं... नहीं... मेरे शौहर को इस सब में मत घसीटो, ये तुम्हारे और मेरे बीच की बात है... इसे हम दोनों तक ही सिमित रहने दो।”

“ठीक है तो फिर अपने जाने की तैयारी करो और वहाँ पर रविवार की शाम तक का प्रोग्राम बना लो,” राज ने कहा। फिर राज ने उसे उस औरत का फोन नंबर दिया जिससे उसे दिल्ली में सम्पर्क करना था और कहना था, “मैं आपका वो इनाम हूँ जिसे मिस्टर राज ने आपको देने को कहा था।” राज फिर हंसा, “समझ गयी ना।”

“हाँ मैं समझ गयी, वैसे ही होगा जैसा आप चाहेंगे,” कहकर ज़ूबी ने फोन रख दिया।

उधर मिस्टर प्रशाँत ने भी फोन रख दिया और टेप रिकॉर्डर को ऑफ कर दिया। उसने वो फोन नंबर भी लिख लिया था जो राज ने ज़ूबी को दिया था। वो उठा और उसने दरवाजे की कुंडी खोल दी और वापस आकर अपनी कुर्सी पर बैठ गया।

वो राज और ज़ूबी की बातें सुनकर हैरान था। उसे ये शक तो था कि ऑफिस में कहीं गड़बड़ जरूर है। उसे ये भी शक था ऑफिस में काम करने वाली लड़कियाँ क्लायंट्स का बिस्तर गरम करती हैं, पर ज़ूबी... उसके लिये तो वो ऐसा सोच भी नहीं सकता था। ज़ूबी इतनी मेहनती और अच्छे चाल चलन वाली लड़की थी।

प्रशाँत ने फोन उठाया और दिल्ली का वो नंबर मिलाया जो राज ने ज़ूबी को दिया था। दूसरी तरफ़ एक औरत ने फोन उठाया।

“मैं आपकी क्या मदद कर सकती हूँ,” एक मादक और सैक्सी आवाज़ ने पूछा।

प्रशाँत ने नंबर तो मिला लिया था पर उसकी समझ में नहीं आया कि वो क्या कहे, उसने खंखारते हुए कहा, “मुझे ये नंबर किसी ने दिया था।”

“क्या आप दिल्ली में है जनाब।”

“नहीं फ़िलहाल तो नहीं! पर इस शनिवार को मैं दिल्ली पहुँच रहा हूँ,” प्रशाँत ने जवाब दिया।

“क्या आपको एक जवान लड़की की जरूरत है?” उस मादक आवाज़ ने पूछा।

अब उसकी समझ में आया कि ये नंबर किसी वेश्यालय का है या फिर ऐसी सर्विस सैंटर का है जो लड़कियाँ सपलायी करती है। “हाँ मैं भी कुछ ऐसा ही सोच रहा था” उसने जवाब दिया।

“हमारे यहाँ बहुत ही खूबसूरत और जवान लड़कियाँ उपलब्ध हैं। जब आप शहर में आ जायें तो इस नंबर पर सम्पर्क कर के अपनी जरूरत बता दें, ठीक है।”

“जरूर,” कहकर प्रशाँत ने फोन रख दिया।

तभी ज़ूबी ने केबिन के दरवाजे पर दस्तक दी, “क्या मैं अंदर आ सकती हूँ?”

प्रशाँत ने उसे अंदर आने का इशारा किया और गौर से उसे देखने लगा। ज़ूबी ने एक सिल्क का ब्लाऊज़ पहना था जो गले के नीचे तक खुला हुआ था। प्रशाँत ने देखा कि ज़ूबी ने एक टाइट स्कर्ट पहन रखी थी जिससे उसके चूत्तड़ों की गोलाइयाँ साफ़ दिखायी दे रही थी और पैरों में काफी हाई हील के सैंडल पहने हुए थे जिनसे उसकी चाल और भी सैक्सी लग रही थी। ज़ूबी उसके सामने कुर्सी पर बैठ गयी जिससे उसकी जाँघों के अंदरूनी हिस्से दिख रहे थे। ये सब देख कर प्रशाँत का लंड पैंट में खड़ा होने लगा।

प्रशाँत को मन ही मन गुस्सा आ रहा था। उसे आज से कई साल पहले का वो किस्सा याद आ गया जब वो ऑफिस में नये और काबिल वकीलों को भर्ती कर रहा था। इस काम में इंटरवियू, गैदरिंग और पिकनिक शामिल थी। उसे याद आ रहा था कि उस दिन ज़ूबी कितनी सुंदर दिख रही थी शॉर्ट स्कर्ट और टॉप में। उस दिन शाम को पार्टी में वो कुछ ज्यादा ही पी गया था और भूल से उसने ज़ूबी को बांहों में भर कर चूमना चाहा था, पर किस कदर ज़ूबी ने उसकी बेइज्जती की थी और ये बात उसके पार्टनरों और बीवी तक को बताने की धमकी दी थी।

कई बार माफी माँगने के बाद वो ज़ूबी को समझा पाया था। इस बात का ज़िक्र ज़ूबी ने फिर कभी किसी से नहीं किया था। पर प्रशाँत ने ज़ूबी को माफ़ नहीं किया था, कि किस कदर उसने उसे धमकाया था। शायद बदले का समय आ गया था।

प्रशाँत के ख्यालों से बेखबर ज़ूबी अपनी ही सोच में खोयी हुई थी। “कहो ज़ूबी क्या काम है?” प्रशाँत ने पूछा।

“ओह सर! मुझे गुरुवार को किसी काम से दिल्ली जाना है” ज़ूबी ने चौंकते हुए कहा।

“ठीक है तुम जा सकती हो” प्रशाँत ने उसे जाने की इजाज़त दे दी।

ज़ूबी बड़ी दुविधा में अपना सफ़र का बैग पैक कर रही थी। उसे अपने आप से घृणा हो रही थी। उसे अपनी शौहर से झूठ बोलना पड़ रहा था और साथ ही बेवफ़ायी भी करनी पड़ रही थी। पर शायद ये वक्त का फ़ैसला था जिसे वो मानने पर मजबूर थी। उसकी ज़िंदगी अब उसकी नहीं थी, उसके हाथों से फ़िसल कर किसी और की हो चुकी थी।

*********************

शुक्रवार की सुबह ज़ूबी दिल्ली के एक फाइव स्टार होटल के बिस्तर पर लेटी थी। बिस्तर की चादर और कंबल उसके नंगे बदन से फ़िसल कर उसके पैरों के पास पड़े थे। उसकी नंगी चूचियाँ तन कर खड़ी थी। वो बिस्तर पर लेटी हुई सामने राज को देख रही थी।

राज कमरे में लगे आइने में देख कर अपने कपड़े पहन रहा था। ज़ूबी अब भी अपनी चूत को राज के वीर्य से भरा हुआ महसूस कर रही थी। उसे लग रहा था कि पानी उसकी चूत से बह कर बिस्तर पर गिर पड़ेगा।

जैसी उम्मीद थी, कल शाम से आज सुबह तक राज ने कई बार उसके शरीर को रौंद कर अपनी वासना को शांत किया था। बावजूद इसके कि वो राज से नफ़रत करती थी और उसका इस तरह उसे चोदना अच्छा नहीं लगता था पर जब भी राज का मूसल लंड उसकी चूत में घूसता तो वो अपनी उत्तेजना को नहीं रोक पाती थी। ना चाहते हुए भी उसकी कमर अपने आप राज के धक्कों का साथ देने लगती और उसका मन करता कि राज इसी तरह उसकी चूत को चोदता रहे। ना चाहते हुए भी उसकी चूत ने कितनी बार पानी छोड़ा होगा उसे याद नहीं।

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