लेडीज़ टेलर (भाग एक)

Story Info
कैसे लेडीज़ टेलर ने एक हाउसवाइफ को सिड्यूस किया
2.5k words
61.9k
6
0

Part 1 of the 7 part series

Updated 09/09/2022
Created 09/13/2014
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लेडीज़ टेलर (भाग एक)
प्रेषक : रविराम69 © (मस्तराम मुसाफिर)

Note:
All characters in this story are 18+. This story has adult and incest contents. Please do not read who are under 18 age or not like incest contents. This is a sex story in hindi font, adult story in hindi font, gandi kahani in hindi font, family sex stories


पटकथा: (कहानी के बारे में) :
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कैसे लेडीज़ टेलर ने एक हाउसवाइफ को सिड्यूस किया
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Tags:
बहू बूढ़े बहुत चोदा चुचियों छाती चोली पहनी थी चोली काफ़ी टाइट थी और छोटी भी थी चूसने चूत गाल गाँड गाउन होंठ जाँघ जिस्म जांघों उतारने कमली झड़ कमल खूबसूरत किचन कमर क्लीवेज लूँगी, लंड लंबा चौड़ा लंड मज़ा मुलायम माधुरी नाइटी नंगा निपल्स पिताजी पतली रवि ससुर सास टाइट उतारने

Story : कहानी:
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मेरे औरतों के बदन में अत्यधिक रुचि के कारण मैं लेडीज़ टेलर बन गया और दक्षिण दिल्ली के अमीर रिहाइशी इलाके में अपनी दूकान खोल ली। शुरुआती दिनों में एकदम शरीफ़ों जैसा बर्ताव करता था जिससे जल्दी ही मैने अपने ग्राहकों का विश्वास जीत लिया। एक दिन ज्योति अपना एक नया ब्लाउज़ सिलवाने के लिये मेरी दुकान आयी। वह अकेली थी और गुलाबी साड़ी और गुलाबी ब्लाउज़ में, जो मैने दो महीने पहले ही सिला था, गज़ब की कामोत्तेजक दिख रही थी। इस बार ब्लाउज़ का कपड़ा काला था। मैने उसके उरोजों की ओर देखते हुये बोला मैडम लाइये मैं वही पिछली वाली नाप का ब्लाउज़ सिल देता हूँ। वह बोली “नहीं, आप दुबारा नाप ले लीजिये क्योंकि यह टाइट हो गया है”।

मैंने कहा ठीक है मैडम आप अन्दर आ जाइये। जैसे ही वह अन्दर आयी मैने पर्दा चढ़ा दिया। अन्दर कम जगह और सामान फ़ैला होने की वजह से वो मेरे काफ़ी पास खड़ी थी। उससे आने वाली इत्र की खुशबू से मुझे अपने लंड में तनाव महसूस होने लगा था। मैने कहा “मैडम पल्लू हटाइये”, उफ्फ़ उसका ब्लाउज़ सच में काफ़ी टाइट था और उसके स्तन उससे बाहर आने को बेताब थे और उसके स्तनों के बीच की लकीर भी साफ़ दिखाई दे रही थी। मैने कहा “आपका ब्लाउज़ वाकई काफ़ी टाइट है माफ़ कीजिये मैडम पिछ्ली बार मैने सही नाप का नहीं सिला”।

वो थोड़ा शर्माते हुये बोली “नहीं मास्टर जी इसमें आपकी कोई गलती नहीं है, दो महीने पहले यह सही था”। मैं बोला “ठीक है मैडम अपने हाथ ऊपर कीजिये”। मैं नाप वाले फ़ीते को उसकी पीठ के पीछे से लाने के लिये आगे झुका और पहली बार अपने सीने से अपनी किसी ग्राहिका के उभारों को महसूस किया। मैने पीछे आने पर देखा कि वो कुछ धैर्यहीन होकर ऊपर देख रही है। मुझे डर लग रहा था कि पता नहीं मेरी इस हरकत पर उसकी क्या प्रतिक्रिया होती है। मैने प्यार से फ़ीते को उसके उरोज़ों पर कसा और बोला “मैडम ये अब ३७ इंच हो गया है पहले यह ३६ था”। वो कुछ नहीं बोली, मैं चाहता था कि वो कुछ कहे जिससे मैं उसकी भावनाओं का अनुमान लगा सकूँ।

फ़िर मैने उरोज़ों के नीचे उसके सीने का माप लिया वह चुपचाप खड़ी रही और ऊपर देखती रही। फ़िर मैने पूछा “मैडम बाँह और गला पहले जैसा ही रखना है या फ़िर कुछ अलग”। वो बोली “मास्टर जी आपके हिसाब से क्या अच्छा रहेगा?” मुझे बड़ी राहत मिली कि सबकुछ सामान्य है और खुशी भी हुयी कि वह मेरी राय जानना चाहती है। मैं इस मौके का भरपूर लाभ उठाना चाहता था जिससे कि ज्योति मुझसे थोड़ा खुल जाय। मैने कहा “मैडम, बिना बाँह का और गहरा गला अच्छा लगेगा आपके ऊपर”। उसने पूछा क्यों? मैने बनावटी शर्म के साथ हल्का सा मुस्कुराते हुये कहा “मैडम, आपकी त्वचा गोरी और मखमली है और काले ब्लाउज़ में आपकी पीठ निखर कर दिखेगी”।

मेरे पूर्वानुमान के अनुसार वह झेंप गयी पर बोली “ठीक है पर आगे से गला ऊपर ही रखना”। मैं वार्तालाप जारी रखना चाहता था इसलिये हिम्मत जुटा के बोला “क्यों मैडम, गहरी पीठ के साथ गहरा गला ही अच्छा लगेगा”। वो बोली “नहीं मेरे पति को यह अच्छा नहीं लगेगा” और इतना कहकर उसने अपना पल्लू ठीक किया और पर्दे की ओर आगे बढ़ी। मैने कहा “ठीक है” और पर्दा खोलते समय मेरा लिङ्ग उसके नितम्बों से रगड़ खा गया जिससे उसे मेरी सख़्ती का हल्का सा अहसास हो गया। औरतें इस प्रकार की अनैच्छिक दिखने वाली हरकतों को पसंद करतीं हैं। जब ज्योति बाहर जा रही थी मैने उसकी चाल में असहजता देखी। तभी वह मुड़ी और पूछा “मास्टर जी कब आऊँ लेने के लिये?” मैने कहा कम से कम एक हफ़्ता तो लग जायेगा तैयार होने में। ज्योति बोली “नहीं मास्टरजी मुझे कल ही चाहिये”।

मैं भी उससे जल्दी मिलना चाहता था पर अपनी इच्छा जाहिर न होने देने के लिये बोल दिया “मैडम कल तो बहुत मुश्किल है और इसके लिये मुझे कल किसी और को नाराज़ करना पड़ेगा”। इसबार जब वह मेरी आँखों की तरफ़ देख रही थी तभी मैने उसके उरोजों पर नज़र डाली। मैं चाहता था कि उसे पता चले कि मुझे उसके उरोज पसन्द आ गये हैं और मेरे इस दुःसाहस पर उसकी क्या प्रतिक्रिया होती है यह भी मैं देखना चाहता था। उसे मेरा उसके उरोजों को घूरना तनिक भी बुरा नहीं लगा, वह बोली “प्लीज़ मास्टर जी, मुझे यह कल शाम की पार्टी के लिये चाहिये”। मैने मुस्कुराते हुये उसकी आँखों में देखा और फ़िर उसके उरोजों पर नज़र डालकर बोला “ठीक है मैडम देखता हूँ कि मैं आपके लिये क्या कर सकता हूँ”। वह बोली “धन्यवाद मास्टरजी, प्लीज़ कोशिश कीजियेगा” और एक अद्भुत मुस्कुराहट के साथ मुझे देखा। फ़िर वह मुड़ी और अपनी कमर मटकाते हुये जाने लगी और मै उसे देखने लगा। मैं उसके स्तनों को एक बार फ़िर से देखना चाहता था इसलिये मैने आवाज़ लगाई “मैडम, एक मिनट”; वह पलटी और मेरी ओर वापस आने लगी।

इस बीच मैं उसके चेहरे, स्तनों, कमर और उसके नीचे के भाग को निहारता रहा। वह भी मेरी हरकतों को देख रही थी पर मैने उसके शरीर का नेत्रपान जारी रखा। मैं चाहता था कि उसे पता चल जाय कि मैं क्या कर रहा हूँ और मैं देखना चाहता था कि जब वह मेरे पास आती है उसकी प्रतिक्रिया क्या होती है। जैसे ही वह मेरी दूकान के काउन्टर के पास पहुँची मैने उसकी आँखों, वक्ष और जांघों को निहारते हुये बोला “मैडम, आप अपना फ़ोन नम्बर दे दीजिये जिससे कि मैं कल आपको स्थिति से अवगत करा सकूँ”। मेरे पास उसका नम्बर पहले से ही था पर मैं उसके बदन को एक बार और निहारना चाहता था और देखना चाहता था कि वह मेरे उसे खुल्लमखुल्ला घूरने पर क्या करती है। वह मुस्कुराते हुये बोली “क्या मास्टर जी, मैने पिछली बार दिया तो था आपको अपना नम्बर। मैं बोला “अरे हाँ, मैं अपने रिकार्ड देख लेता हूँ”। वह बोली “कोई बात नहीं फ़िर से ले लीजिये”।

उसने अपना नम्बर दिया और इस पूरे समय मैं उसके रसीले बदन को देखने की हर सम्भव कोशिश करता रहा। मैं सचमुच उत्तेजित होता जा रहा था क्योंकि वह मुझे किसी प्रकार की परेशानी का संकेत नहीं दे रही थी। मैने फ़िर से हिम्मत जुटा कर बोला “मैडम मुझे लगता है कि आपके ऊपर गहरा गला वाकई बहुत जँचेगा”। उसे अचानक मेरी इस बात से आश्चर्य हुआ पर वह मुस्कुराकर बोली “मास्टर जी, मुझे पता है पर मेरे पति को शायद यह अच्छा न लगे”। मैने कहा “मैडम, मैं ऐसे बनाउंगा कि उन्हें कुछ ख़ास पता नहीं चलेगा। आप अगर एक मिनट के लिये अन्दर आयें तो मैं आपको दिखा सकता हूँ कि मैं कितने गहरे गले की बात कर रहा हूँ”। ज्योति भी मेरे प्रति आकर्षित थी पर थोड़ा संकोच कर रही थी। मैं आज ही उसका संशय कुछ हद तक दूर करना चाहता था। मैं चाहता था कि मैं उसके जैसी किसी औरत से अपशब्द भरी भाषा में बात करूँ और उसके साथ सम्भोग करूँ। वो बोली “ठीक है जल्दी से दिखाइये मुझे घर पर काम है”।

मैं जानता था कि ये बुलबुल अब मेरे पिंजड़े मे है। जैसे ही वह अन्दर आयी मैने पर्दा खींचकर बोला “मैडम, अपना पल्लू हटाइये और मुझे देखने दीजिये कि आप अपनी कितनी क्लीवेज दिखा सकती हैं जिसे आपके पति गौर न कर सकें परन्तु और लोग कर लें”। मुझे पता था कि मैं वहाँ जलता हुआ आग का गोला फ़ेंक रहा था क्योंकि यदि सचमुच वह सती सावित्री है तो उसे मेरी यह बात अच्छी नहीं लगेगी और वह यह कहते हुये मेरी दूकान से चली जायेगी कि उसे नहीं बनवाना गहरे गले वाला ब्लाउज़। पर अबतक मुझे थोड़ा आभास हो गया था कि वह ऐसा नहीं करेगी। उसने बिना कुछ बोले हुये अपना पल्लू हटा लिया जिससे मेरे लंड की हिम्मत और तनाव दोनों बढ़ गये। जैसे ही उसने अपना पल्लू हटाया सफ़ेद ब्रा और गुलाबी ब्लाउज़ में लिपटे उसके तरबूजों जैसे स्तन मेरी आँखों के सामने थे।

कुछ देर तक मैं बिना कुछ बोले एकटक उन्हें देखता रहा। वह भी दूकान के सन्नाटे के एहसास से थोड़ी शर्मसार हो रही थी पर मैं बिना किसी चीज़ की परवाह किये उसे देखता रहा। उसके माथे पर पसीने की बूँदें साफ़ झलक रहीं थीं। इसलिये मैने पूछा “मैडम, आप पानी लेंगी”। वो बोली “नहीं मास्टर जी”। अब उसने मेरी आँखों मे देखा तो मैं तुरन्त उसके उरोजों पर ध्यान केन्द्रित करते हुये बोला “मैडम आप अपने ब्लाउज़ का पहला हुक खोलिये मैं देखना चाहता हूँ कि आपकी कितनी क्लीवेज दिखती है”। उसने अपना पहला हुक खोला तो ब्लाउज़ कसा होने के कारण उसके उभार दिखाई देने लगे साथ ही क्लीवेज का भी कुछ भाग दिखाई देने लगा।

उसने शर्माते हुए अपना चेहरा उठाया पर मैने अपने चेहरे पर बिना कोई भाव लाये अपने दोनों हाथ उठाये और उसके ब्लाउज़ के खुले हुये भाग पर ले गया और उसे इस तरह से दूर किया कि मुझे क्लीवेज ठीक से दिखने लगे। इस सब में कई बार मेरी उंगलियाँ उसके स्तनों से छुईं। मैं बोला “देखिये मैडम, अगर हम गले को एक इंच नीचे कर दें तो यह इतनी क्लीवेज दिखाने के लिये काफ़ी होगा”। इतना कहते हुये मैने अपनी एक उंगली उसके क्लीवेज में डाल दी। उसके बदन में एक सिहरन सी दौड़ गयी और उसने हल्की सी आह भरी। मेरे धैर्य के लिये यह बहुत था तुरन्त मैने उसे अपनी बाँहों में ले लिया। उसने भी कोई विरोध नहीं किया और कुछ ही पलों में मेरी बाँहों में ही पिघल गयी।

ज्योति मैडम मेरी बाँहों में थीं, मैं जानता था कि यदि मैं चतुराई से चाल चलूँ तो यह औरत मुझे बहुत सुख देने वाली है। इसलिये मैने निर्णय लिया कि उसके रसीले बदन का भोग सावधानी और धैर्यपूर्वक किया जाय। उसका चेहरा मेरी छाती पर था और बाँहें मुझे घेरे हुये। मैं धीरे धीरे उसकी पीठ की मालिश कर रहा था, उसके ब्रा के पट्टे का अनुभव कर रहा था, उसकी नंगी रेशमी कमर को छू रहा था और फ़िर मेरे दोनों हाथ उसके भरे पूरे नितम्बों पर पहुँचे। मैं दोनों हाथों से कस कर उन्हें मसलने लगा और अपने पूरी तरह से उत्तेजित लंड की ओर ढकेलने लगा।

उसे भी इस सब में आनंद आ रहा था क्योंकि वह भी अपने बदन को मेरे इशारों पर हिला रही थी। मैं चाहता था कि वो मेरी बाँहों में रहते हुये नज़रों से नज़रें मिलाये इसलिये मैंने उससे कहा “मैडम मैं आपके होंठों का रस पीना चाहता हूँ”। वो कुछ नहीं बोली और अपना चेहरा भी ऊपर नहीं किया सिर्फ़ सिर हिला कर मना कर दिया। दरअसल उसे मुझसे नज़रें मिलाने में बहुत शर्म आ रही थी पर निश्चय ही वह अपनी जांघों के बीच मेरे उत्तेजित लंड के स्पर्श का आनन्द उठा रही थी क्योंकि उसके नित्म्बों से मेरे हाथ हटाने के बावजूद भी उसने मुझसे अलग होने का प्रयत्न नहीं किया। मुझे डर था कि कहीं कोई दूकान में आ न जाय और साथ ही मैं उसकी उत्तेजना शान्त किये बिना उसे अधूरा छोड़ना चाहता था ताकि वह घर जा कर मेरे बारे में सोचे इसलिये मैनें कहा “मैडम कोई आ जायेगा”। पर ये सुनने के बाद भी वह मुझसे अलग होने के लिये तैयार नहीं थी, शर्म और आनन्द दोनों ही कारण थे।

अब मैने जबरन अपने दाहिने हाथ से उसका चेहरा ऊपर किया जबकि मेरा बाँया हाथ अभी भी उसके नितम्बों की मालिश में व्यस्त था। उसने अपनी आँखें बन्द कर रखीं थीं। मैनें कहा “ज्योति (पहली बार उसे नाम से बुलाया), अपनी आँखें खोलो”। उसने एक पल के आँखें खोलीं, मुस्कुराई और फ़िर आँखें बन्द कर लीं। मैने अपने बाँयें हाथ की उँगली उसके नितम्बों के बीच की लकीर में डालकर उसके होठों को चूमना शुरु कर दिया। थोड़े से विरोध के बाद उसने अपने होंठ खोल दिये और मुझे अपनी इच्छा से उनका पान करने की छूट दे दी।

मैं सातवें आसमान पर था, उसके उरोज मेरे सीने से भींचे हुये थे, मैं उसके होंठों को चूसचूस कर सुखा रहा था और मेरे दोनों हाथ उसकी शिफ़ान की साड़ी के बीच उसकी पीठ के हर भाग को टटोल रहे थे। इसी बीच मेरे हाथ उसकी पैंटी की सीमाओं को महसूस करने लगे। मैने उसकी पैंटी की इलास्टिक को थोड़ा खींचकर उसे यह संकेत दे दिया कि मैं उसके साथ अभी और भी अन्तरंग सम्बन्ध स्थापित करना चाहता हूँ। अब सावधानी बरतते हुये और भविष्य की सम्भावनाओं को जीवित रखने के लिये मैनें उसे अपने आगोश से अलग लिया और उसका चेहरा ऊपर करके उसकी आँखों में देखकर उससे बोला “ज्योति मैं तुम्हारा ब्लाउज़ कल दे दूँगा अब अपना पल्लू ठीक कर लो”। वह पूरी तरह से भूल गयी थी कि वह मेरे सामने बिना पल्लू के और खुले हुये हुक वाले ब्लाउज़ में खड़ी है। उसने झेंपते हुये अपना पल्लू उठाया और जाने लगी, मैनें कहा “मैडम ब्लाउज़ का हुक लगा लीजिये”।

वह फ़िर से रुकी और मेरी तरफ़ पीठ करके ब्लाउज़ का हुक लगाने लगी। तभी मैने उसे पीछे से अपनी बाँहों में लेकर बोला “मैडम आप बहुत सुन्दर और कामुक हैं” और इतना कहकर मैं उसकी गर्दन को चूमने लगा। अभी भी वह कामुकता की आग में जल रही थी। मेरे दोनो हाथ उसकी नाभि से खेलते हुये उसके स्तनों तक पहुँच गये। फ़िर मैं दोनो हाथों से उसके स्तनों को प्यार से दबाने लगा। उसने हल्की सी आह भरी और उत्तेजित होकर अपना सिर ऊपर उठा लिया। जहाँ मेरा बाँया हाथ अभी भी उसके स्तनों को दबाने में व्यस्त था वहीं मैं अपने दाहिने हाथ को उसकी जांघों के बीच ले गया और बोला “मैडम, मैं आपका गीलापन कपड़ों के ऊपर से ही महसूस कर सकता हूँ”।

उसने फ़िर एक आह भरी और मेरी उंगलियों पर एक धक्का लगाया। मेरा लंड उसके नितम्बों से टकरा रहा था, मेरा बाँया हाथ उसके स्तनों की मसाज़ कर रहा था, मेरे होंठ उसकी गर्दन और गालों को चूम रहे थे और मेरा दूसरा हाथ उसकी योनि की मसाज़ कर रहा था; उसके दोनों हाथ काउन्टर पर टिके थे। मैं उससे अभद्र भाषा में बात करना चाहता था तो मैनें सोचा यही ठीक समय है इसे शुरू करने का। मैं बोला “ज्योति, मस्त जवानी है तेरी”। वह चुप रही और मेरे चुम्बनों और मसाज़ का आनन्द उठाती रही। फ़िर मैनें कहा “आज अपने पति से चुदवाते हुये मेरा ख़्याल करना”। यह सुनते ही वह होश में आयी और झटके से मुझसे अलग हो गयी, अपने कपड़े ठीक किये, पर्दा खोला और जल्दी से बिना कुछ बोले वहाँ से चली गयी।


बाकी की कहानी अगले भाग में...

दोस्तो, कैसे लगी ये कहानी आपको ,

कहानी पड़ने के बाद अपना विचार ज़रुरू दीजिएगा ...

आपके जवाब के इंतेज़ार में ...

आपका अपना

रविराम69 (c) (मस्तराम - मुसाफिर)

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