राजस्थान की कमली

Story Info
// राजस्थानी लड़की कमली की कोमल चूत का भोसड़ा बनाया \\
2.6k words
65.7k
3
0
Share this Story

Font Size

Default Font Size

Font Spacing

Default Font Spacing

Font Face

Default Font Face

Reading Theme

Default Theme (White)
You need to Log In or Sign Up to have your customization saved in your Literotica profile.
PUBLIC BETA

Note: You can change font size, font face, and turn on dark mode by clicking the "A" icon tab in the Story Info Box.

You can temporarily switch back to a Classic Literotica® experience during our ongoing public Beta testing. Please consider leaving feedback on issues you experience or suggest improvements.

Click here
raviram69
raviram69
236 Followers

राजस्थान की कमली
प्रेषक : रविराम69 © "लॅंडधारी" (मस्तराम मुसाफिर)

Note:
All characters in this story are 18+. This story has adult and incest contents. Please do not read who are under 18 age or not like incest contents. This is a sex story in hindi font, adult story in hindi font, gandi kahani in hindi font, family sex stories


पटकथा: (कहानी के बारे में) :
=====================================================
// राजस्थानी लड़की कमली की कोमल चूत का भोसड़ा बनाया \\
=====================================================

Tags:
बहू बूढ़े बहुत चोदा चुचियों छाती चोली पहनी थी चोली काफ़ी टाइट थी और छोटी भी थी चूसने चूत गाल गाँड गाउन होंठ जाँघ जिस्म जांघों उतारने कमली झड़ कमल खूबसूरत किचन कमर क्लीवेज लूँगी, लंड लंबा चौड़ा लंड मज़ा मुलायम माधुरी नाइटी नंगा निपल्स पिताजी पतली रवि ससुर सास टाइट उतारने

Story : कहानी:
===========
हाए दोस्तो, मेरा नाम रवि है, जब जवान हुआ तो मेरा लण्ड कुलांचे भरने लगा था। पर बस यदि लण्ड ने ज्यादा जोश मारा तो मुठ मार लिया। कभी कभी तो मैं दो पलंगो के बीच में जगह करके उसमें लण्ड फ़ंसा कर चोदता था ... मजा तो खास नहीं आता था। पर हाँ ! एक दिन मेरा लण्ड छिल गया था ... मेरे लण्ड की त्वचा भी फ़ट गई थी और अब सुपाड़ा खुल कर पूरा इठला सकता था। रोज रोज तेल लगा कर मूठ मरने की वजह से मेरे लंड की लंबाई और चौड़ाई बहुत बड़ी हो गयी थी.. अब मेरा लंड नौ इंच का आरू चौड़ाई ३.६ इंच हो गयी है।

मैंने धीरे धीरे अपनी पढ़ाई भी पूरी कर ली। 23 वर्ष का हो गया पर मेरे लंड पर चूत का पानी नही बरसा था मेरा मन कुछ भी करने को तरसता रहता था, चाहे गाण्ड भी मार लूँ या मरा लूँ ... या कोई चूत ही मिल जाये।

मैंने एक कहावत सुनी थी कि हर रात के बाद सवेरा भी आता है ... पर रात इतनी लम्बी होगी इसका अनुमान नहीं था। कहते हैं ना धीरज का फ़ल मीठा होता है ... जी हां सच कह रहा हूँ ... रात के बाद सवेरा भी आता है और बहुत ही सुहाना सवेरा आता है ... फ़ल इतना मीठा होता है कि आप यकीन नहीं करेंगे।

मैं नया नया उदयपुर में पोस्टिंग पर आया था। मैं यहाँ ऑफ़िस के आस पास ही मकान ढूंढ रहा था। बहुत सी जगह पूछताछ की और 4-5 दिनो में मुझे मकान मिल गया। हुआ यूं कि मैं बाज़ार में किसी दुकान पर खड़ा था। तभी मेरी नजर एक महिला पर पड़ी जो कि अपने घूंघट में से मुझे ही देख रही थी। जैसे ही मेरी नजरें उससे मिली उसने हाथ से मुझे अपनी तरफ़ बुलाया। पहले तो मैं झिझका ... पर हिम्मत करके उसके पास गया।

"जी ... आपने मुझे बुलाया ... ?"

"हां ... आपणे मकान चाही जे ... ।"

"ज़ी हाँ ... कठे कोई मिलिओ आपणे"

"मारा ही मकाण खाली होयो है आज ... हुकुम (आप) पधारो तो बताई दूं"

"तो आप आगे चालो ... मूं अबार हाजिर हो जाऊ"

"हाते ही चालां ... तो देख लिओ ... "

"आपरी मरजी सा ... चालो "

मैंने अपनी मोटर साईकल पर उसे बैठाया और पास ही मुहल्ले में आ गये। मुझे तुरन्त याद आ गया ... यह एक बड़ी बिल्डिंग है ... उसमें कई कमरे हैं। पर वो किराये पर नहीं देते थे ... इनकी मेहरबानी मुझ पर कैसे हो गई। मैंने कमरा देखा, मैंने तुरन्त हां कह दी।

सामान के नाम पर मेरे पास बस एक बेडिंग था और एक बड़ा सूटकेस था। मैं तुरन्त अपनी मोटर साईकल पर गया और ऑफ़िस के रेस्ट हाऊस से अपना सामान लेकर आ गया। मैं जी भर कर नहाया। फ़्रेश होकर कमरे में आकर आराम करने लगा। इतने में एक पतली दुबली लड़की मुस्कराती हुई आई। जीन्स और टॉप पहने हुए थी। मैं इतनी सुन्दर लड़की को आंखे फ़ाड़ फ़ाड़ कर देखने लगा, उठ कर बैठ गया।

"जी ... आप कौन हैं ... किससे मिलना है?"

वो मेरी बौखलाहट पर हंस पडी ... "हुकुम ... मैं कमली हूँ ... "

आवाज से मैंने पहचान लिया ... यह तो वही महिला थी। मैं भी हंस पड़ा।

"आप ... तो बिल्कुल अलग लग रही हैं ... कोई छोटी सी लड़की !"

"खावा रा टेम तो हो गयो ... रोटी बीजा लाऊं कई ... "(खाने का टाइम तो हो गया है, रोटी ले आउ क्या?)

मेरे मना करने पर भी वो मेरे लिये खाना ले आई। मेवाड़ी खाना था ... बहुत ही अच्छा लगा।

बातचीत में पता चला कि उसकी शादी हो चुकी है और उसका पति मुम्बई में अच्छा बिजनेस करता था। उसके सास और ससुर सरकारी नौकरी में थे।

"आपणे तो भाई साहब ! मेरे खाने की तारीफ़ ही नहीं की !"

"खाना बहुत अच्छा था ... और आप भी बहुत अच्छी हो ... !"

"वाह जी वाह ... यह क्या बात हुई ... खैर जी ... आप तो मने भा गये हो !" कह कर मेरे गाल पर उसने प्यार कर लिया।

मैं पहले तो सकपका गया। फिर मैंने भी कहा,"प्यार यूँ नहीं ... आपको मैं भी करूँ !"

उसने अपना गाल आगे कर दिया ... मैंने हल्के से गाल चूम लिया। जीवन में मेरा यह प्रथम स्त्री स्पर्श था। वो बरतन लेकर इठलाती हुई चली गई। मुझे समझ में नहीं आया कि यह क्या भाई बहन वाला प्यार था ... शायद ... !!!

शाम को फिर वो एक नई ड्रेस में आई ... घाघरा और चोली में ... वास्तव में कमली एक बहुत सुन्दर लड़की थी। चाय लेकर आई थी।

"भैया ... अब बोलो कशी लागू हूँ ...?" (अब बोलो कैसी लग रही हूँ?)

"परी ... जैसी लग रही हो ...!"

"तो मने चुम्मा दो ... !" वो पास आ गई ...

मुझसे रहा नहीं गया, मैंने उसकी पतली कमर में हाथ डाल कर अपने से सटा लिया और गाल पर जोर से किस कर लिया। उधर मेरे लण्ड ने भी सलामी दे डाली ... वो खड़ा हो गया। उसने खुशबू लगा रखी थी। जोर से किस किया तो बोली,"भैया ... ठीक से करो ना ... !"

मैंने उसे अपने से और चिपका लिया और कहा,"ये लो ... !" उसके गाल धीरे से चूम लिये ... फिर धीरे से होंठ चूम लिये ... उसने आंखें बंद कर ली ... मेरा लण्ड खड़ा हो गया था और उसकी चूत पर ठोकर मारने लगा। शायद उसे अच्छा लग रहा था ... मैंने उसके होंठ को फिर से चूमा तो उसके होंठ खुलने लगे ... मेरे हाथ धीरे से उसके चूतड़ों पर आ गये ... हाय ... इतने नरम ... और लचीले ...

अचानक वो मुझसे अलग हो गई,"ये क्या करते हो भैया ... !"

"ओह ... माफ़ करना कमली ... पर आप भी तो ना ... " मैंने उसे ही इस हरकत के लिये जिम्मेदार ठहराया।

वो शरमा कर भाग गई।

क्या ... मेरी किस्मत में सवेरा आ गया था ... उसकी अदाओं से मैं घायल हो चुक था ... वो एक ही बार में मेरे दिल पर कई तीर चला चुकी थी। मेरा भारी लण्ड उसका आशिक हो गया।

उसके सास और ससुर आ चुके थे ... कमली रात का खाना बना रही थी। उसके सास ससुर मुझसे मिलने आये ... और खुश हो कर चले गये। रात को खाना खाने के बाद वो मेरे लिये खाना लेकर आई। अब उसका नया रूप था। छोटी सी स्कर्ट और रात में पहनने वाला टॉप ... । उसकी टांगें गोरी थी ... उसके तीखे नक्श नयन बड़े लुभावने लग रहे थे ... मुझे उसने खाना खिलाया ... फिर बोली,"भैया ... आप तो म्हारी खाने की तारीफ़ ही ना करो ...!! "

"अरे कमली किस किस की तारीफ़ करू ... थारा खाणा ... थारी खूबसूरती ... और काई काई रे ...! "

"हाय भैया ... मने एक बार और प्यार कर लो ... ! " उसकी तारीफ़ करते ही जैसे वो पिघल गई।

मैंने उसको फिर से अपनी बाहों में ले लिया ... मुझे यह समझ में आ गया था कि वो मेरे अंग-प्रत्यंग को छूना चाहती है ... ।

इस बार मैं एक कदम और आगे बढ़ गया और जैसे मेरी किस्मत का सवेरा हो गया। मैं उसके होंठ अपने होंठो में लकर पीने लगा। उसकी आंखों में गुलाबी डोरे खिंचने लगे। मेरा लण्ड कड़ा हो कर तन गया और उसकी चूत में गड़ने लगा। वो जैसे मेरी बाहों में झूम गई। मैंने हिम्मत करके उसकी छोटी छोटी चूंचियाँ सहला दी। वो शरमा उठी। पर जवाब गजब का था। उसके हाथ मेरे लण्ड की ओर बढ़ गये और लजाते हुए उसने मेरा लण्ड थाम लिया।

मेरा सारा जिस्म जैसे लहरा उठा। मैंने उसकी मस्तानी चूंचियाँ और दबा डाली और मसलने लगा।

"भैया ... मजा आवण लाग्यो है ... (मज़ा आ रहा है)! हाय !"

मैंने उसे चूतड़ों के सहारे उठा लिया ... फ़ूलो जैसी हल्की ... मैंने उसे जैसे ही बिस्तर पर लेटाया तो वो जैसे होश में आ गई।

"भैया ... यो कई (ये क्या )... आप तो म्हारे भैया हो ... !"

"सुनो ऐसे ही कहना ... वरना सबको शक हो जायेगा ...!! "

मैंने उसे फिर से दबोच लिया ... वो फिर कराह उठी ...

"म्हारी बात सुणो तो ... अभी नाही जी ... " फिर वो खड़ी हो गई ... मुझे उसने बडी नशीली निगाहों से देखा और मुँह छुपा कर भाग गई।

दो तीन दिन दिन तक वो मेरे पास नहीं आई। मुझे लगा कि सब गड़बड़ हो गया है। मुझे खाना खाना के लिये अपने वहीं बुला लेते थे। कमली निगाहें झुका कर खाना खा लेती थी।

मैं बहुत ही निराश हो गया।

एक दिन अपने कमरे में मैं नंगा हो कर अपने बिस्तर पर अपने लण्ड से खेल रहा था। अचानक से मेरा दरवाजा खुला और कमली धीरे धीरे मेरी ओर बढ़ी। मैं एकदम से विचलित हो उठा क्योंकि मैं नंगा था। मैंने जल्दी से पास पड़ी चादर को खींचा पर कमली ने उसे पकड़ कर नीचे फ़ेंक दिया। उसने अपना नाईट गाऊन आगे से खोल लिया और मेरे पास आकर बैठ गई।

" अब सहन को नी होवै ... !" और मेरे ऊपर झुक गई।

उसने मेरी छाती पर हाथ फ़ेरा और सामने से उसका नंगा बदन मेरे नंगे बदन से सट गया। उसका मुलायम शरीर मेरे अंगो में आग भर रहा था, लगा मेरे दिन अब फिर गये थे, मुझे इतनी जल्दी एक नाजुक सी, कोमल सी, प्यारी सी लड़की चोदने के लिये मिल रही थी। वो खुद ही इतनी आतुर हो चुकी थी कि अपनी सीमा लांघ कर मेरे द्वार पर खड़ी थी। उसने अपने शरीर का बोझ मेरे ऊपर डाल दिया और अपना गाऊन उतार दिया।

"कमली, तुम क्या सच में मेरे साथ ... ?"

उसने मेरे मुख पर हाथ रख दिया। तड़पती सी बोली,"भाईजी ... म्हारे तन में भी तो आग लागे ... मने भी तो लागे कि मने जी भर के कोई चोद डाले !"

उसकी तड़प उसके हाव-भाव से आरम्भ से ही नजर आ रही थी, पर आज तो स्वयं नँगी हो कर मेरा जिस्म भोगना चाहती थी। हमारे तन आपस में रगड़ खाने लगे। मेरे लण्ड ने फ़ुफ़कार भरी और तन्ना कर खड़ा हो गया। वो अपनी चूत मेरे लण्ड पर रगड़ने लगी और जोर जोर सिसकारी भरने लगी।

उसने मुझे कस कर पकड़ लिया और अपने होंठ मेरे होंठो से मिला कर अधर-पान करने लगी। उसकी जीभ मेरे मुख के अन्दर जैसे कुछ ढूंढ रही थी। जाने कब मेरा लण्ड उसकी चूत के द्वार पर आ गया। उसकी कमर ने दबाव डाला और लण्ड का सुपाड़ा फ़च से चूत में समा गया। उसके मुख से एक सीत्कार निकाल गई।

"भाई जी ... दैया रे ... थारो लौडो तो भारी है रे (तुम्हारा लंड तो बहुत मोटा है)... !!" उसकी आह निकल गई।

अधरपान करते हुए मैंने अपनी कमर अब ऊपर की ओर दबाई और लण्ड को भीतर सरकाने लगा। सारा जिस्म वासना की मीठी मीठी आग में जलने लगा। कुछ ही धक्के देने के बाद वो मेरे लण्ड पर बैठ गई और उसने अपने हाथ से धीरे से लण्ड को बाहर निकाला और अपनी गाण्ड के छेद पर रख दिया और थोड़ा सा जोर लगाया। मेरे लण्ड का सुपाड़ा अन्दर घुस गया। उसने कोशिश करके मेरा लण्ड अन्दर पूरा घुसेड़ लिया। उसकी मीठी आहें मुझे मदहोश कर रही थी।

"आह ... यो जवानी री आग काई नजारे दिखावे ... मारी गाण्ड तक मस्ताने लागी है ... ।"

"कमली, थारी तो चूत भोसड़े से कम नहीं लागे रे ... इस छोटी सी उमर में थारी फ़ुद्दी तो खुली हुई है !"

"साला मरद तो एक इन्च से ज्यादा चूत में नाहीं डाले ... और मने तो प्यासी राखे ... !" उसकी वासना से भरी भाषा ज्यादा साफ़ नहीं थी।

"तो कमली चुद ले मन भर के आज ... मैं तो अठै ही हूँ अब तो ... " वो लगभग मेरे ऊपर उछलती सी और धक्के पर धक्के लगाती हुई हांफ़ने लगी थी। शरीर पसीने से भर गया था। मुझे भी लण्ड पर अब गाण्ड चुदाई से लगने लगी थी ... हालांकि मजा बहुत आ रहा था।

मैंने उसे अपनी तरफ़ खींचा और अपने से चिपका कर पल्टी मारी। लण्ड गाण्ड से निकल गया। अब मैंने उसे अपने नीचे दबा लिया। उसने तुरन्त ही मेरा लण्ड पकड़ा और अपनी चूत में घुसेड़ लिया। हम दोनों ने एक दूसरे को कस कर दबा लिया और दोनों के मुख से खुशी की सिसकारियाँ निकलने लगी। उसकी दोनों टांगे ऊपर उठती गई और मेरी कमर से लिपट गई। मुझे लगा उसकी चूत और गाण्ड लण्ड खाने का अच्छा अनुभव रखती हैं। दोनों ही छेद खुले हुए थे और लण्ड दोनों ही छेद में सटासट चल रहा था। पर हां यह मेरा भी पहला अनुभव था।

अब मैंने धक्के देना चालू कर दिये थे। उसकी चूत काफ़ी पानी छोड़ रही थी, लण्ड चूत पर मारने से भच भच की आवाजें आने लगी थी। जवान चूत थी ... भरपूर पानी था उसकी चूत में ।

हम दोनों अब एक दूसरे को प्यार से निहारते हुए एक सी लय में चुदाई कर रहे थे। मेरा लंबा लंड चूत में पूरा अंदर तक आ जा रहा था, लण्ड और चूत एक साथ टकरा रहे थे। उसका कोमल अंग खिलता जा रहा था। चूत खुलती जा रही थी। उसकी आंखें बंद हो रही थी। अपने आप में वो आनन्द में तैर रही थी। सी सी करके अपने आनन्द का इजहार कर रही थी।

अचानक ही उसके मुख से खुशी की चीखें निकलने लगी,"चोद मारो भाई जी ... लौडा मारो ... बाई रे ... मने मारी नाको रे ... चोदो साऽऽऽऽऽ !"

मुझे पता चल गया कि कोमल अब पानी छोड़ने वाली है ... मैंने भी कस कर चोदा मारना आरम्भ कर दिया। मैं पसीने से भर गया था, पंखा भी असर नहीं कर रहा था।

अचानक कमली ने मुझे भींच लिया,"हाय रे ... भोसड़ा निकल गयो रे ... बाई जी ... मारी नाकियो रे ... आह्ह्ह् ... " उसकी चूत की लहर को मैं मह्सूस कर रहा था। वो झड़ रही थी। चूत में पानी भरा जा रहा था, वो और ढीली हो रही थी। मैं भी भरपूर कोशिश करके अपना विसर्जन रोक रहा था कि और ज्यादा मजा ले सकूँ पर रोकते रोकते भी लण्ड धराशाई हो गया और चूत से बाहर निकल कर पिचकारी छोड़ने लगा। इतना वीर्य मेरे लण्ड से निकलेगा मुझे तो आश्चर्य होने लगा ... बार बार लण्ड सलामी देकर वीर्य उछाल रहा था।

कमली मुझे प्यार से अपने ऊपर खींच कर मेरे बाल सहलाने लगी,"मेरे वीरां ... आपरा लौडा ही खूब ही चोखा है ... मारी तबियत हरी कर दी ... म्हारा दिल जीत लिया ... म्हारी चूत तो धान्या हो गयी सा !"

"थाने खुश राखूं ... मारा भाग है रे ... आप जद भी हुकुम करो बस इशारो दे दियो ... लौडा हाजिर है !"

कमली खुशी से हंस पड़ी ... मुझे उसने चिपका कर बहुत चूमा चाटा।

मेरी किस्मत की धूप खिल चुकी थी ... मिली भी तो एक खूबसूरती की मिसाल मिली ... तराशी हुई,, तीखे नयन नक्श वाली ... सुन्दर सी ... पर हां पहले से ही चुदी-चुदाई थी वो ...

~~~ समाप्त ~~~

दोस्तो, कैसे लगी ये कहानी आपको ,

कहानी पड़ने के बाद अपना विचार ज़रुरू दीजिएगा ...

आपके जवाब के इंतेज़ार में ...

आपका अपना

रविराम69 (c) "लॅंडधारी" (मस्तराम - मुसाफिर)
at raviram69atrediffmaildotcom

raviram69
raviram69
236 Followers
Share this Story

Similar Stories

पहली बार - 18 साल की मस्त रेनू रेनू की पहली चुदाई की यादगार घटना.in First Time
सास - शादी के दिन सास मां की चुदाई अपनी सास के साथ सुहागरात मनाई.in Mature
मेरा भीगा बदन - मेरी भीगी चूत बारिश में रवि का तगड़ा मोटा मूसल लंड लिए.in Exhibitionist & Voyeur
चाची की चूत ....आह !! चाची की चूत की प्यास बुझाई ... एक मस्त कामुक कहानी.in Mature
देवर रवि का मोटा लंड कोई तो बचा लो मुझे मेरे देवर के घोड़े जैसे मोटे लंड से|in Loving Wives
More Stories