Rang Mahal

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रंग महल
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Rang Mahal Ch – 01
By Raj


रंग महल एक दो मंज़िला खूबसूरत सा मकान था जो साउत देल्ही मे
बना हुआ था. चोरों और उचे लंबे पेड़ और सामने बहोट ही बड़ा
आँगन उस बंगले की सुंदरता को और बढ़ा रहे थे.

रंग महल पर सफेद रंग पुता हुआ था, कॉंपाउंड के चारों और उँची
दीवारें थी जिन पर तार लगे हुए थे, एक बड़ा सा गाते था जो हारे
रंग का था.

उनीस वर्ष का राज आज कॉलेज से लाते घर आया था. उसने बातरूम
मे जाकर स्नान किया और अपना नाइट सूयीट पहन बिस्तर पर लेट गया.
राज अपनी बड़ी बेहन सुनीता 23 साल की जिसकी शादी हो चुकी थी और
एक 15 महीने के बाकछे की मा और छोटी बेहन शीला जो 18 साल की
थी रहता था. उसका बड़ा भाई एक सरकारी दफ़्तर मे उँचे पद पर
काम करता था.

अपने हाथों को अपने सिर के पीछे रख वो सीलिंग फन को घूर रहा
था. वो अपने साथ गहती पीछले दीनो की घटनाओ पर सोच रहा था.
आज कल वो कॉलेज से लाते घर आता था. कॉलेज के बाद वो अपने
दोस्त बॉब्बी के घर चला जाता था जो एक आलीशान बुगलोव मे रहता
था.

बॉब्बी उसके कॉलेज का दोस्त था और काफ़ी अमीर खंडन से था. अपने
खंडन की एकलौती ओउआलाद होने की वजह से उसे काफ़ी छूट मिली हुई
थी. उसे अपने मा बाप से पूरी आज़ादी मिली हुई थी, वो जो चाहे कर
सकता था.

आज से चह महीने पहले की बात है जब बॉब्बी ने पहली बार उसे अपने
घर बुलाया था. बॉब्बी की गाड़ी मे बैठ जब वो उसके घर पहुँचे
थे तो पहली बार बॉब्बी ने उससे पूछा था उसे उसकी (बूबी की ) मा
कैसी लगती है.

कुछ सालों की दोस्ती मे राज बॉब्बी की मा से कई बार मिल चुका था.
और उनके लिए उसके विचार काफ़ी अकचे थे.

"आंटी बहोट अची और स्वीट है," राज ने जवाब दिया.

"नमकीन भी है," बॉब्बी ने मुस्कुराते हुए कहा.

राज बॉब्बी की बात पर चौंक गया था और सोच मे पद गया की उसने
ऐसा क्यों कहा.

बूबी के मा शोभा आंटी ने उन दोनो का स्वागत किया और बॉब्बी की
और झुकते हुए उसके होठों को चूम लिया. ये कोई प्रेमी प्रेमिकाओं
वाला चुंबन नही था पर फिर भी राज ये देख कर चौंक पड़ा था.
उसने आज तक किसी को चूमते हुए नही देखा था.

राज बॉब्बी के पीछे पीछे उसके कमरे मे आ गया. कमरे मे आते ही
बॉब्बी ने टीवी ओं कर दिया और केबल म्यूज़िक चॅनेल लगा दिया.

राज एक कुर्सी पर बैठ गया और टीवी पर नाचती आध नगञा लड़कियों को
देखने लगा. उसे पता था की उसके पिताजी उसे घर मे इस तरह के
प्रोग्राम नही देखने देंगे.

उन आध नगञा लड़कियों को इस तरह नाचते देख राज का लंड उसकी पंत
मे पूरी तरह टन कर खड़ा हो गया था. उसकी पंत मे एक तंबू सा
बन गया था. उसने स्क्रीन पर देखा की छोटी बिकनी पहने दो लड़कियाँ
आपस मे अपनी गंद टकराकर नाच रही थी.

"यार!" तभी बॉब्बी ने कहा, "इस लड़की की गांद देख…….क्या सेक्सी गंद
है उसकी."

राज बड़ी उग्रता से स्क्रीन पर देखने लगा. उसका हाथ खुद बा खुद
उसके लंड पर चला गया और वो पंत के उपर से अपने लंड को मसालने
लगा.

"यार मे तुम्हे एक चीज़ दिखता हूँ," कहकर बॉब्बी ने रोंते कंट्रोल
उठाया और बटन दबा दिया.

राज ने जो स्क्रीन पर देखा, वो देख कर उसे लगा की उसका लंड उसी
वक़्त पानी छोड़ देगा.

उसने देखा की एक मोटा और लंबा लंड एक बलों से भारी छूट के
अंदर बाहर हो रहा है. उसने कई बार पॉर्न मॅगज़ीन्स मे छूट और
लंड देखे थे पर जो मज़ा उसे टीवी स्क्रीन पर देखने मे आ रहा था
वो मज़ा उसे कभी हासिल नही हुआ था.

वहाँ उस कलर टीवी पर एक मर्द एक औरत की चुदाई कर रहा था.
स्टिल फोटोग्रॅफ देखने मे और टीवी पर देखने ने काफ़ी अंतर है. राज
ने आज तक चुदाई देखी नही थी और सही मे उसके सामने टीवी पर वो
चुदाई देख रहा था.

बॉब्बी ने टीवी का वॉल्यूम बढ़ा दिया था जिससे कमरे मे उन कलाकारों के
सिसकने की आवाज़ें गूँज रही थी.

तभी उस मर्द ने अपना लंड उस छूट के बाहर निकाला और अपने हाथों
मे पकड़ मसालने लगा. थोड़ी ही देर मे उसने सफेद रंग का गढ़ा
वीर्या उस औरत की झांतों और छूट पे छोड़ दिया. वो मर्द सारा वीर्या
झड़ने के बाद अपना लंड उस छूट पर रग़ाद रहा था तभी उस औरत
का एक हाथ दिखाई दिया जो अपनी उंगली उस गिरे वीर्या से भर रही
थी.

वो लोग जो भी भाषा मे बात कर रहे हो पर एक शब्द जो राज ने सॉफ
सुना था वो था "मम्मी".
राज ने चौंकते हुए बूबी की तरफ देखा, "क्या उस मर्द ने अभी अभी
उस औरत को अपनी मा कहा?" उसने पूछा.

बॉब्बी ने अपना लंड अपनी पंत के बाहर निकाला हुआ था और मुठिया
रहा था. उसने अपने होठों मे एक सिगरेट फँसा रखी थी और उसके
काश ले रहा था.

बॉब्बी ने अपनी गर्दन हिला दी, "हन दोनो मा बेटा है."

बूबी की बात सुनकर राज के लंड ने पंत मे ही पानी छोड़ दिया.

"ये ना मुमकिन है यार! ऐसा नही हो सकता." राज तोड़ा विचलित होकर
बोला.

बॉब्बी राज की बात सुनकर हँसने लगा और उसके हैरत भरे चेहरे को
देखने लगा. "यार ये लोग कलाकार है. इनसे जो कहा जाएगा वो ये
करेंगे और कहेंगे. सवाल है इन्सेस्ट कहानी का……तुम्हे पता है ना……
मदारचोड़….बहनचोड़."

राज और गौर से उस फिल्म को देखने लगा जो जिस पर अब एक डिन्नर टेबल
का सीन आ रहा था जहाँ एक जवान लड़की किसी 60 साल के मर्द से
छुड़ा रही थी.

"देखो," बॉब्बी ने कहा, "ये उस लड़के के पिताजी और बेहन है. पिताजी
पहले ही अपनी बेटी की दो बार चुदाई कर छुआके है. तुम कहो तो मे
फिल्म रीवाइंड कर देता हूँ."

"ये सिर्फ़ एक फिल्म है, में सही कह रहा हूँ ना?" राज ने धीरे से
पूछा. (बाप और बेटी? मा और बेटा?)

बॉब्बी ने अपना सिर हिलाया और कहा, "दूसरे सीन मे बेहन बातरूम
मे शवर के नीचे अपने भाई से चुड़वति है और वो भी गंद मे."

राज वो फिल्म देखता रहा जहाँ दोनो भाई बेहन शवर के नीचे एक
दूसरे से खेल रहे थे और एक दूसरे के अंगों को मसल रहे थे.
राज ने देखा की बेहन अब घोड़ी बन गयी थी और अपने दोनो हाथों से
अपने छूतदों को फैला अपनी गंद दीखा रही थी.

भाई ने बिना कोई समय गँवेय अपना लंड उसकी गंद के छेड़ पर रखा
और अपना लंड पूरा अंदर तक घुसा दिया. उसके बाद तो ऐसे कई सीन
आए. जब बॉब्बी उसे घर छोड़ने जेया रहा था तो उसका लंड एक डंडे
की तरह उसकी पंत मे खड़ा था.

"पर ये सब बातें हक़ीक़त मे नही होती………क्या होती है?" राज ने
पूछा.

"यार!" बॉब्बी तोड़ा मुस्कुराते हुए बोला, "आज के संसार मे सब कुछ
होता है. जब आदमी काम वासना मे गरम होता है तो रिश्ते नाते
कुछ दिखाई नही देता वो किसी की भी छूट छोड़ने को तय्यार रहता
है चाहे वो मा बेहन बेटी ही क्यों ना हो."

राज बॉब्बी की बात सुनकर काफ़ी देर तक सोचता रहा फिर अपनी गर्दन
हिला दी, "नाही यार में नही मानता. अपने हिन्दुस्तान मे तो नही हो
सकता, बिल्कुल भी नही."

बॉब्बी एक शैतानी मुस्कुराहट से अपने दोस्त की और देख रहा था, फिर
उसने कहा, "मेरे दोस्त अपने इंडिया मे भी सब कुछ होता है. बात सिर्फ़
इतनी ही की तुम्हे पता नही है. तुम बड़े नादान और भोले हो."


* * * * * * * * * *

ये बॉब्बी ही था जिसने राज को उसके बेहन सुनीता की सुंदरता और सेक्सी
बदन के बारे मे बताया था. बॉब्बी अक्सर राज को कॉलेज के बाद अपनी
नई गाड़ी मे उसके घर छोड़ता था. जब भी वो उसके घर आता तो छाई
या ठंडा ज़रूर पी कर जाता था.

जब बूबी ने राज को घर छोड़ना शुरू किया तो सुनीता को वहाँ आए
एक हफ़्ता हो चुका था.

सुनतिया अपने हाथों मे एक ट्रे लिए कमरे मे दाखिल हुई. बड़े ध्यान
से चलते हुए उसने ट्रे को थम रखा था जिसपर कोका कोला की बॉटल
और कुछ नाश्ता था. बड़ी नाज़ूकटा से वो चलती हुई बॉब्बी के पास
आए थी और उसे इज़्ज़त से भाई कहते हुए कोका कोला पेश किया था.

सुनीता ने अपनी नज़रें बूबी से नही मिलाई और इस दरमियाँ उसने
अपना सिर ज़मीन की और झुका रखा था.

राज ने देखा की बूबी सुनीता को घूर रहा था, और जब वो कमरे से
चली गयी तो उसके होठों पर वही मुस्कान थी जो कॉलेज मे अक्सर
सनडर लड़कियों को देख कर आती थी या फिर रह चलती किसी जवान
लड़की को देख कर आती थी.

राज ने सुनीता को कमरे के बाहर जाते देखा तो पहली बार उसने
महसूस किया की उसकी बेहन एक सनडर लड़की है और एक कातिलाना जिस्म
की मल्लिका भी. बस उसी दिन से उसकी बेहन का चुंबकिया आकर्षा उसके
मान को हिलने लगा. जब वो चलती थी तो उसके मटकते कूल्हे और जब
वो गहरी सांस लेती थी तो उपर नीचे होते उसके उर्रोज उसे अपने मो
जाल मे फँस लेते.

राज ने महसूस किया की बॉब्बी अब ज़्यादा से ज़्यादा समय उसके घर पर
बिताने लगा था. अगर उसकी मा उसे किसी काम से सहर के बाहर भी
भेजती तो वो उसके घर आने के लिए वॉट निकल ही लेता था.

राज ने ये भी देखा की जब भी बॉब्बी घर पर होता तो सुनीता भी
ज़्यादा वक़्त उन दोनो के नज़दीक रहने की कोशिश करती और बड़े कामुक
अंदाज़ मे घूमती रहती थी. जिस तरह बूबी उसे देख रहा था शायद
उसे भी अछा लग रहा था.

सुनीता की शादी उसके पिताजी के दोस्त के बेटे के साथ हुई थी. पर
पति पत्नी मे काफ़ी आन बन रहती थी. तब सुनीता के ससुराल वालों ने
ये फ़ैसला किया की शायद थोड़ी दीनो के लिए ये दोनो एक दूसरे से
अलग रह ले, शायद उनकी अनबन मिट जाए. इसीलिए उसे कुछ दीनो के
लिए उसके मैके वापस भेज दिया गया था.

मातरतवा ने उसकी सुंदरता को और चार चाँद लगा दिया था. अब उसका
शरीर पहले से काफ़ी गतिला और गोरा हो गया था. गाल भी सेव की
तरह फूले फूले थे. अब वो शादी के फेले की डूबली पतली और सपाट
छातियों वाली सुनीता नही था. अब उसकी चुचियाँ भी काफ़ी बड़ी और
भारी भारी हो गयी थी. सुनीता अब एक सेक्सी बदन 38-26-35 की सेक्सी
महिला था. और जहाँ भी जाती मर्दों को आकर्षित अकरती.

सुनीता अपने 15 महीने के बाकछे को अपनी छाती का दूध भी पीलती
थी. राज ने पहली बार देखा की सुनीता ने अपने ब्लाउस के बटन खोले
और दूध से भारी चुचि अपने बचे के मुँह पर लगा दी. वो भूका
बाकचा उसके निपल को मुँह मे ले दूध पीने लगा.

ये सब देख राज के शरीर मे एक सिरहन सी दौड़ गयी. उसे अपने शरीर
मे पसीना छूटता महसूस हुआ और उसका लंड एक ही झटके मे टन कर
खड़ा हो गया. सुनीता ने उसे अपनी और देखते हुए देखा तो मुस्कुरा दी
और कहा, "तुम्हे इस तरह मुझे नही देखना चाहिए अगर पिताजी ने
देख लिया तो काफ़ी नाराज़ होंगे."

उस दिन के बाद राज के दीमग पर कहर के दिन शुरू हो गया. अब वो
हर मौका ढूँढने लगा की सुनीता बाकछे को दूध पाइलेट दीख जाए
और उसे उसकी नगञा चुचियों के दर्शन हो जाए. उसकी पूरी रात यही
सीन देखते हुए कटती और हर रात के बाद सुनीता को पाने की तम्माना
उसके मान मे और बढ़ती गयी.

* * * * * * * * * * *
बॉब्बी अक्सर राज के साथ सुनीता के बारे मे बात करता था. पर
हमेशा वो अपनी हद मे रहकर ही बात करता था. पर ऐसा शुरुआत मे
ही था. गुज़रते समय के साथ दोनो काफ़ी पॉर्न फिल्म्स देखने लगे थे
और ज़्यादा से जयदा चुदाई की कहानियाँ पढ़ने लगे थे. राज ने
महसूस किया की अब बॉब्बी सुनीता के बारे मे सेक्सी बातें भी करने
लगा था.

शुरू शुरू मे तो उसे बॉब्बी की बातें बुरी लगती थी, मगर उसने
महसूस किया की बॉब्बी का सुनीता के बारे मे इस तरह बात करने से
उसके शरीर मे उत्तेजना बढ़ जाती थी. जब भी पॉर्न फिल्म की किसी
कलाकार की चुचियाँ या गांद की तुलना वो सुनीता से करता तो उसे
अक्चा लगता.

बॉब्बी भी इस बात का ख़याल रखता को वो हद के आयेज ना जाए, कहीं
उसकी बातें उन दोनो की दोस्ती मे दरार ना दल दे. पर राज था जो
खुद अब टीवी पर दीखें वाली लड़की को चुड़ते देख उसकी जगह सुनीता
को रख सपने देखने लगा था.

राज ने महसूस किया की बॉब्बी जो भी फिल्म लगता वो अक्सर इन्सेस्ट
कहानी पर ही होती. कभी बेहन भाई से छुड़वा रही है तो कभी मा
बेटे से. कभी बाप बेटी को छोड़ रहा है.

एक दिन बॉब्बी ने राज से पूछा, "सुनीता अपने सुकून के लिए क्या करती
है?"

उस दिन वो दोनो बहोट ही मज़ेदार पॉर्न फिल्म देख रहे थे जिसमे एक मा
अपने एक बेटे के उपर चढ़ उसे छोड़ रही थी और दूसरा बेटा पीछे
से उसकी गंद मे लंड दल उसकी गंद मार रहा था. उस औरत का पति
और दोनो बेटों का बाप एक कुर्सी पर बैठा अपनी बेटी के चुततोड़ों को
सम्हले हुए था जो उसकी गोद मे बैठ उसे छोड़ रही थी.

राज बड़ी उत्सुकता से टीवी पर हो रही उस सामूहिक चुदाई को देख रहा
था, "तुम कहना क्या चाहते हो?" उसने बॉब्बी से कहा.

"मेरा मतलब चुदाई से है यार. तुम्हारी बेहन लंड का स्वाद चख
चुकी है और उसकी छूट भी लंड के लिए तरस रही होगी." बॉब्बी ने
जवाब दिया.

राज बॉब्बी से पहले इस बात पर सोच चुका था, उसने अपनी गर्दन
झटकाई और कहा, "नही मालूम यार शायद अपनी उंगली से काम
चलती होगी."

राज की बात सुन बॉब्बी जोरों से हँसने लगा और कहा, "यार तुम उसके
कैसे भाई हो? उसकी मदद करो………उसे छोड़ कर उसकी छूट की प्यास
बुझाओ."

अगर बॉब्बी ने ये बात कुछ महीनो पहेले कही होती तो शायद आज राज
उसे मार देता. पर चुदाई का गयाँ होने के बाद सुनीता को छोड़ने की
बात या कल्पना कोई बेमानी नही थी. हक़ीक़त मे कई बार वो ये
सपना देख छुआका था और उसकी दिली क्वाहिश थी को वो सुनीता को छोड़
सके. जब भी वो स्क्रीन पर किसी लड़की की चुदाई देखता तो वो यही
कल्पना करता था की उस लड़की जगह सुनीता है और वो अपना लंड उसकी
छूट के अंदर बाहर कर रहा है.

उस दिन के बाद दोनो के बीच और गरम और चुदाई भारी बातें होने
लगी. एक दिन जब राज ने पलट कर बॉब्बी को जवाब दिया की वो पहले
अपनी मा को छोड़े. राज की बात सुनकर बॉब्बी जोरों से हँसने लगा और
अपनी आँखों मे आए आसुओं को पौंचते हुए बोला, "यार ख़याल बुरा
नही है."

* * * * * * * * * *

एक दिन बॉब्बी ने उसे बताया की उसके पास एक देसी मा बेटे की चुदाई
की फिल्म आई है.

राज उसकी बात सुनकर खुश होगआया. उसने आज तक देसी चुदाई की फिल्म
नही देखी थी.

फिल्म के शुरुआत होते ही राज समझ गया की पूरी देसी है. फिल्म मे ना
तो टाइटल था और ना ही म्यूज़िक. ना ही फोटोग्रफी इतनी सनडर थी. ना
ही कोई कहानी की शुरुआत, तभी उसने देखा की एक औरत अपने हाथ मे
हॅंडी कॅम पकड़े उसे अपनी गंद पर फोकस किए हुए थी जहाँ एक लंड
उसकी छूट के अंदर बाहर हो रहा था.

फोटोग्रफी इतनी आक्ची नही थी और ना ही उसकी तस्वीरे सॉफ थी पर
सबसे ख़ासियत उस फिल्म मे थी उसकी आवाज़ जो सॉफ सुनाई दे रही थी.

"छोड़ हरामी…..और जोरों से छोड़ अपनी मा को……….मेने किसी लड़की को
जानम दिया है या किसी मर्द को." वो औरत बड़बड़ा रही थी.


"ले कुटिया ले मेरे लंड को और………आज में तेरी छूट को छोड़ छोड़
कर फाड़ डालूँगा…….ले अपने बेटे का लंड और ले ले अपनी छूट मे."
वो मर्द कह रहा था.

राज बड़ी उत्सुकता से उस फिल्म को देख रहा था, फिल्म अभी तक चेहरे
दिखाई नही दे रहे थे फिर भी उसे लग रहा था की जैसे कुछ जाना
पहचाना हो.

"ओह मम्मी! अपना मुँह खोलो जल्दी से, मम्मी ज़रा इधर घूमओ." उस
मर्द जल्दी से कहा.

थोड़ी ही देर मे हॅंडी कॅम गायब सा हुआ और फिर रह ने उस औरत का
माता देखा जो बड़ी जोरों से उस जवान मर्द का लंड चूस रही थी.

तभी गहरी सांसो की आवाज़ आई और उस मर्द की आवाज़ सुनाई दी. "हन
चूस मेरा लंड कुट्टिया. हन पीलो मेरा सारा पानी……अहह
ओह."

राज हमेशा की तरह अपने लंड को पंत के बाहर निकाल मसल रहा
था. 15 मिनिट की वो वीडियो को बहोट आक्ची फिल्म नही थी पर हिन्दी मे
डिओलॉगुए सुन वो काफ़ी उत्तेजित हो गया था.

वो मर्द के लंड ने सारा वीर्या उस औरत के मुँह मे छोड़ दिया था. उस
औरत ने लंड को अपने मुँह से बाहर निकाला और उसे हाथों मे पकड़
मुस्कुराने लगी.

"तुम्हारे लंड कितना पानी छोड़ा है, तुमने आज मूठ नही मारी क्या?"
वो औरत उस लंड को चाटते हुए बोली.

राज अचंभित नज़रों से उस चेहरे को देख रहा था आरू उसका लंड
ज़मीन पर पानी फैंक रहा था. अब उसकी समझ मे आया की क्यों कुछ
जाना पहचाना लग रहा था. ये फिल्म बॉब्बी के कमरे मे खींची गयी
थी. उसके दीवार पर लगी तस्वीर अभी भी टीवी पर दीख रही थी और
वो औरत शोभा आंटी जैसी नही बल्कि शोभा आंटी ही थी.

जैसे ही टीवी पर सीन ख़त्म हुआ राज पलट कर बॉब्बी को देखने लगा
जो उसके पीछे बिस्तर पर बैःता था.

"हन मेरे भाई वो मेरी मा ही थी." बॉब्बी मुस्कुराते हुए बोला.

राज खामोशी से बॉब्बी को घूरता रहा. बॉब्बी ने उसे बताया की किस
तरह वो अपने मा के साथ बरसों से चुदाई कर रहा है, सही मे
उसकी मा ने उसका कुँवारापन भंग किया था.

राज उत्सुकता उसकी बातें संटॅन रहा और वो खुद अपनी मा और बहनो
को छोड़ने के सपने देखने लगा.

* * * * * * * * * * *

राज अपने बिस्तर पर लेता सोच रहा था. वो झल्लाहट मे बगल मे
लेते अपने बड़े भाई अजय को देखने लगा जो सिर्फ़ शॉर्ट्स पहने
खर्राटें भर रहा था.

अगर पिताजी इस समय आ जाते तो ज़रूर सू कान से पकड़ कर इस तरह
सोने पर डाँटते. पिताजी पुराने ख़यालात के थे और नग्नता से उन्हे
काफ़ी चिढ़ थी. अगर उनका बस चले तो वो हर किसी से कहें की
बातरूम मे भी कपड़े पहन कर नहाओ.

राज ने किचन मे से आती अपनी मा की आवाज़ें सुनी. उसने घड़ी देखी
शाम के 5.ऊ बाज चुके थे और सुनीता का भी बाकछे को दूध
पीलने का समय हो चुका था. सुनीता ज़रूर हॉल मे बैठी अपने
ब्लाउस के बटन खोल बाकछे को दूध पीला रही होगी और बाकछे
बड़े मज़े से उसके निपल को चूस दूध पी रहा होगा.

उसने तुरंत अपने कपड़े बदले और हॉल मे आ गया.

जिस दिन से बॉब्बी ने उससे पूछा था की सुनीता अपनी छूट की प्यास
बुझाने के लिए क्या करती है उसी दिन से राज उस पर नज़र रखने
लगा था. आख़िर मे एक दिन उसने सुनीता को बातरूम मे देख ही लिया.
वो दीवार के सहारे खड़ी थी. उसने अपनी आँखे बंद कर रखी थी
और अपनी सारी को उठाए अपनी छूट मे उंगली कर रही थी.

राज की बदक़िस्मती थी की उसने अपने कपड़े नही उत्तरे हुए थे इसलिए
वो उसके नगञा बदन को नही देख पाया. वो उसे बातरूम की खिड़की से
देखते हुए खुद मूठ मरता रहा.

इस दृश्या ने बॉब्बी की बात की पुष्टि कर दी थी. सुनीता काफ़ी गरम
और चुदसी मिज़ाज़ की थी और कई महीनो से लंड ना मिलने की वहाः से
उसकी छूट काफ़ी प्यासी और भूकि थी.

* * * * * * * * * *

जैसे ही राज हॉल मे आया सुनीता उसे देख मुस्कुरा पड़ी. राज हॉल मे
आया और उसके पास बैठ गया. सुनीता को रति भर भी शरम नही
आई, उसने अपना ब्लाउस उठाया और अपना निपल अपने बाकछे के मुँह मे
दे दिया. अगर सच कहा जाए तो उसे मज़ा आ रहा था की कोई मर्द
उसकी नगञा चुचि को देख रहा है चाहे वो उसका सागा भाई ही क्यों
ना हो.

सुनीता अपने भाई राज के चेहरे पर आए भावों को पढ़ने लगी. उसने
महसूस किया की उसकी नागन चुचि को देख उसके चेहरे पर वही भाव
आए थे जो उसके पति अमित के चेहरे पर आते थे. राज के पंत बने
तंबू ने इस बात को और यकीन मे बदल दिया था की उसके नागन
छातियों को देख वो गरम और उत्तेजित हो जाता था.

उसे ये भी पता था की राज ही नही उसका दोस्त बॉब्बी भी उसे कामुक
और भूकि नज़रों से घूरता रहता था. वो उसकी नज़रों से घबराती
नही थी बल्कि उसे मज़ा आता था उनकी हालात देख कर.

राज और बॉब्बी के ख़याल ने उसे गरमा दिया था. उसे लगा की उसकी
छूट गीली हो गयी है तो उसने अपनी टाँगे सिकोड ली और अपने निचले
होहटों को दंटो से चबाने लगी.

उसी आक्ची तरह से पता था की किसी गैर मर्द से छुड़वाना नामुमकिन
है. इसलिए उसने कई बार सोचा क्यों ना अपने भाई को अपनी तरफ
आकर्षित करूँ और यही ख़याल करते हुए उसने कई बार उंगली से अपनी
छूट को ठंडा किया था.

एक तो बाकछे का निपल को चूसना और उपर से राज की कामुक निगाहें
उसे और गरमा रही थी. उसकी छूट इतनी गीली हो चुकी थी उसे
बियतना मुश्किल हो रहा था. मान तो कर रहा था की अभी सब लाज
शरम छोड़ राज के उपर चढ़ जौन और उसके लंड को अपने छूट मे ले
लूँ.

चह महीने हो चुके थे उसकी छूट को लंड का स्वाद चखे. आज भी
उसे याद है वो आखरी रात जब उसके पति ने उसकी छूट की अलविदाई
चुदाई की थी. उस रात उसके पति ने उसे 5 बार छोड़ा था और उसकी
छूट की धज्जिया उड़ा थी. चाहे लाख मान मुटाव था दोनो के बीच
पर जब बात चुदाई की आती तो दोनो सब कुछ भूल जाते थे.

उसे अपनी सुहग्रात अची तरह याद है जब उसके पति ने उसका
कुँवारापन लिया था. जब उसके पति ने पहली बार की चुदाई के बाद
रक्त से सती चदडार को देखा तो उसके चेहरे पर एक अजीब सी खुशी
थी, और जब उसके धक्को का उछाल उछाल कर साथ दिया तो उसकी खुशी
का ठिकाना ही नही था.

सुनीता के बाकछे का पेट भर गया था. उसने निपल को मुँह के बाहर
निकाल दिया था और गहरी नींद मे सो गया था. सुनीता ने बाकछे को
सोफे पर लीता दिया और उसे ठप थापा कर सुलाने लगी.

सुनीता अपने ख़यालों मे खोई हुई थी, उसे पता भी नही चला की
कब उसके हाथ खुद बा खुद उसकी चुचियों को मसालने और रगड़ने
लगे. ये उसका नसीब था की उसकी चुचियों ज़रूरत से ज़्यादा दूध
पैदा करती थी. जितनी उसके बाकछे को ज़रूरत होती उससे ज़्यादा ही
दूध भर जाता उसकी छातियों मे. कभी कभी तो सहन करना
मुश्किल हो जाता था.

वो अपने ख़यालों मे खोई अपनी चुचियों को मसल दूध को बाहर
निकालने की कोशिश करने लगी. जब राज ने हॉल के दरवाज़े को बंद
किया तो उसका ध्यान टूटा और उसे महसूस हुआ की वो अपने भाई के
सामने क्या कर रही थी.

जैसे ही राज उसके पास आकर बैठा वो अपने ब्लाउस को दुरुस्त करने
लगी पर राज ने काँपते हाथों से उसकी एक चुचि को अपने हाथों मे
लिया और उसी तरह से मसालने लगा जिस तरह वो खुद मसल रही थी.

राज हैरत भारी नज़रों से अपनी बेहन की चुचि को देख रहा था
जिससे अब दूध छू कर बाहर निकल रहा था. सुनीता भी अपने भाई की
इस हरकत पर हैरान थी पर उसकी हरकत ने उसे जो मज़ा दिया वो
कुछ कह नही पाई.

सुनीता ने देखा की राज झुक कर उसके निपल से बहते दूध को चाट
रहा था पी रहा था. जैसे जैसे उसकी चुचि दूध के बोझ से
हल्की हो रही थी उसे काफ़ी आराम मिल रहा था.

तभी दोनो अपने स्वप्नालोक से बाहर आ गये. उनकी मम्मी की आवाज़ आई
की आकर छाई ले जाओ.

राज ने घबडा कर सुनीता की चुचि छोड़ दी और खड़ा हो गया. उसका
लंड टन कर पंत के अंदर खड़ा था और उसके अंडकोषों मे उठता
दर्द उससे सहन नही हो रहा था.

सुनीता ने खामोश नज़रों से अपने भाई का शुक्रिया किया. उसने अपनी
सारी को अड्जस्ट किया और उसे छाई लाने के लिए कहा. उत्तेजना मे उसकी
छूट पूरी तरह गीली हो चुकी थी.

* * * * * * * * *

पूरा घर अंधेरे मे डूबा हुआ था. सारे इलाक़े की बिजली चली गयी
थी. रात के 11.00 बाज राजे थे और सुनीता और राज ही घर पर थे.

पूरी शाम बड़ी मुश्किल से राज ने अपने आपको संभाला था. तब से अब
तक वो दो बार मूठ मार चुका था पर उसका लंड था की शांत होने का
नाम ही नही ले रहा था. इस वक्त भी वो खुंते की तरह टन कर
खड़ा था.

वो और सुनीता घर की छत पर खामोश बैठे थे और आने वाली
ठंडी हवा का अनांड उठा रहे थे. घर के सभी सदस्या बगल के
बने पार्क मे गये थे जिससे इस भारी गर्मी मे खुली हवा का अनद ले
सके. बाकछे के सोने का समय था इसलिए सुनीता उनके साथ नही गयी
थी.

जब सुनीता ने कहा था की वो नही जेया पाएगी तो राज ने एक शैतानी
मुस्कुराहट सुनीता के चेहरे पर देखी थी. सुनीता ने एक बार फिर
बाकछे को दूध पिलाया था पर बंद कमरे के अंदर कारण पिताजी घर
पर थे.

छत पर बीची एक रज़ाई पर दोनो खामोशी से बैठे थे. सुनीता का
बाकचा मचरदानी से ढके पाले मे आराम से सो रहा था.

"दीदी?" राज ने कहा, "क्या में अपनी शर्ट उत्तर सकता हूँ, काफ़ी
गर्मी है?"

"हन उत्तर सकते हो, पापा घर पर नही है." सुनीता ने जवाब दिया.

राज ने एक आराम की सांस लेते हुए अपनी शर्ट उत्तर दी.

"क्या हुआ दीदी आप क्या सोच रही है, कुछ परेशानी है क्या?" राज ने
पूछा.

सुनीता ने जवाब दिया, "कुछ नही." और राज ने देखा की सुनीता अपनी
चुचियों को मसल रही थी.

"लगता है तुम्हे दर्द हो रहा है?" राज ने पूछा. उसका लंड किसी

dil1857
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