शबाना की चुदाई

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Shabana Ki Chudai: Sexual exepriences of sex-starved Shabana.
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शबाना की चुदाई

लेखक: अन्जान
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मेरा नाम शबाना इज़्ज़त शरीफ़ है। मैं शादीशुदा हूँ और उम्र तीस साल है। मैं भी-ए पास हूँ। खुदा ने मुझे बेपनाह हुस्न से नवाजा है। मेरा रंग दूध की तरह गोरा है, हल्की भूरी आँखें और तीखे नयन नक्श और मेरा फिगर ३६-सी की उभरी हुई चूचियाँ, २८ की मस्तानी कमर, और ३८ की मचलती हुई गाँड। मैं अक्सर बुऱका पहन कर ही बाहर जाती हूँ लेकिन मेरे बुऱके भी फैशनेबल और डिज़ाइनदार होते हैं। हमेशा रास्ते में चलते लोग मेरी मस्त जवानी को नंगी नज़रों से देखते और कुछ तो कमेन्ट भी कसते कि, “क्या माल है... साली बुऱके में भी होकर लंड को पागल कर रही है.... ऊँची सेंडिल में इसकी मस्त चाल तो देखो...!”

मेरे शौहर असलम इज़्ज़त शरीफ़ सरकारी महकमे में ऑफिसर हैं। हम एक अच्छी मिडल-क्लास कालोनी में तीन बेडरूम वाले किराये के मकान में रहते हैं। घर में आराम की तमाम चीज़ें हैं और मारूति वेगन-आर कार भी है। सरकारी नौकरी की वजह से मेरे शौहर की ऊपरी कमाई भी हो जाती है जिसके चलते मैं कपड़े-लत्ते, जूते और गहनों वगैरह पर खुल कर खर्च करती हूँ।

तीस की उम्र में वैसे तो मुझे दो -तीन बच्चों की अम्मी बन जाना चाहिये था। लेकिन ऐसा है नहीं और इसकी वजह है मेरे शौहर की नामर्दगी। मेरा शौहर “असलम इज़्ज़त शरीफ़” अपनी बच्चे जैसी लुल्ली से मेरी जिस्मानी ज़रूरतें पूरी नहीं कर पाता। इसके अलावा असलम को शाराब पीने की भी बहुत आदत है और अक्सर देर रात को नशे में चूर होकर घर आता है या फिर घर में ही शाम होते ही शराब की बोतल खोल कर बैठ जाता है। शुरू-शुरू में मैं बहुत कोशिश करती थी उसे तरह-तरह से चुदाई के लिये लुभाने की। मेरे जैसी हसीना की अदाओं और हुस्न के आगे तो मुर्दों के लण्ड भी खड़े हो जायें तो मेरे शौहर असलम का लण्ड भी आसानी से खड़ा तो हो जाता है पर चूत में घुसते ही दो-चार धक्कों में ही उसका पानी निकल जाता है और कईं बार तो चूत में घुसने से पहले ही तमाम हो जाता है। उसने हर तरह की देसी दवाइयाँ-चुर्ण और वयाग्रा भी इस्तेमाल किया पर कुछ फर्क़ नहीं पड़ा।

अब तो बस हर रोज़ मुझसे अपना लण्ड चुसवा कर ही उसकी तसल्ली हो जाती है और कभी-कभार उसका मन हो तो बस मेरे ऊपर चढ़ कर कुछ ही धक्कों में फारीग होकर और फिर करवट बदल कर खर्राटे मारने लगता है। मैंने भी हालात से समझौता कर लिया और असलम को लुभाने की ज्यादा कोशिश नहीं करती। कईं बार मुझसे रहा नहीं जाता और मैं बेबस होकर असलम को कभी चुदाई के लिये ज़ोर दे दूँ तो वो गाली-गलौज करने लगाता है और कईं बार तो मुझे पीट भी चुका है।

असलम मुझे भी अपने साथ शराब पीने के लिये ज़ोर देता था। पहले-पहले तो मुझे शराब पीना अच्छा नहीं लगता था लेकिन फिर धीरे-धीरे उसका साथ देते-देते मैं भी आदी हो गयी और अब तो मैं अक्सर शौक से एक-दो पैग पी लेती हूँ। चुदाई के लुत्फ़ से महरूम रहने की वजह से मैं बहुत ही प्यासी और बेचैन रहने लगी थी और फिर मेरे कदम बहकते ज्यादा देर नहीं लगी। अपनी बदचलनी और गैर-मर्दों के साथ नाजायज़ रिश्तों के ऐसे ही कुछ किस्से यहाँ बयान कर रही हूँ।

तीन साल पहले की बात है, तब मैं सत्ताइस साल की थी। हमारा मकान कालोनी के आखिरी गली में है में है जो आगे बंद है। हमारी गली में तीन चार ही मकान ही हैं और बाकी खाली प्लॉट हैं। इसलिये कोई आता जाता नहीं और अक्सर सुनसान सी रहती है। हमारे बाजू वाला घर खाली है जिसमें कोई नहीं रहता। हमारे सामने और दूसरी बाजू में भी खाली प्लॉट ही हैं। इसी बाजू वाले प्लॉट में एक छोटा सा कच्चा कमरा है जिसमें एक बीस-इक्कीस साल का लड़का रहता है और वहीं छप्पर के नीचे कालोनी के लोगों के कपड़े इस्तरी करता है। उसका नाम रमेश है और वो थोड़ा बदतमीज़ किस्म का है। वो अक्सर आते जाते वक्त मुझे छेड़ता रहता और गंदी-गंदी बातें करता। मैंने भी उसे कभी नहीं रोका और उसकी बातों के मज़े लेती रहती। इस वजह से उसकी भी हिम्मत बढ़ गयी थी।

एक दिन की बात है मेरी सहेली असमा ने मुझे नंगी फिल्म की सी-डी दी। वो देसी ब्लू-फिल्म की सी-डी थी। मैंने उस दिन पहली बार ब्लू-फिल्म देखी थी, और उसमें लम्बा मोटा अनकटा लण्ड देख कर मुझे अजीब सा लगा। मैंने अब तक अपने शौहर की कटी लुल्ली ही देखी थी। मेरी भी प्यास भड़क गयी थी और मैं भी अपनी चूत को उस जैसे किसी लण्ड से चुदवाना चाहती थी। खैर मैंने हमेशा की तरह केले से अपनी प्यास बुझायी पर मैं वो लंड भुला नहीं पायी। उसके बाद बुऱका पहन कर मैं कुछ खरीददारी करने बाहर गयी और शाम को घर आते वक्त जब अपनी गली में दाखिल होने लगी तो वहाँ रमेश बैठा था। हमारी गली की दूसरी तरफ़ रास्ता नहीं है, बंद गली है। रमेश पर जैसे ही मेरी नज़र पढ़ी, उसने मेरे हाथ में केलों के थैले की तरफ इशारा करते हुए पूछा कि ये खाने के लियी हो या कुछ और...? मैंने हल्के से मुस्कुराते हुए उसकी तरफ़ देखा। उफ़्फ़ अल्लाह क्या कहूँ, उसका दूसरा हाथ तो उसकी पैंट पर था और वो लंड को पैंट पर से सहला रहा था। मैं थोड़ा सा शरमा गयी लेकिन फिर हिम्मत करके हल्की सी मुस्कुराहट देकर आँख मार दी और घर पहुँच गयी।

जब मैं घर पहुँची तो मेरा शौहर दफ्तर से आ चुका था और टी-वी देखते हुए शराब पी रहा था। मैंने भी बुऱका उतार कर एक पैग बनाया और शौहर के साथ बैठ कर पीने लगी। चार-पाँच मिनट के बाद शौहर असलम शराब पीते-पीते ही मेरी कमीज़ के ऊपर से मेरे मम्मे दबाने लगा और फिर अपनी लुल्ली बाहर निकाल कर मेरा हाथ उसपे रख दिया। मैं भी एक हाथ से उसे सहलाने लगी तो लुल्ली अकड़ कर करीब चार इंच की हो गयी। फिर हमेशा की तरह उसने मुझे इशारे से उसे चूसने को कहा। मैंने अपना शराब का गिलास खाली किया और झुक कर उसकी लुल्ली अपने मुँह में लेकर चूसने लगी। एक मिनट भी नहीं हुआ था कि उसकी लुल्ली ने अपना पानी मेरे मुँह में छोड़ दिया। शौहर असलम हाँफ रहा था लेकिन मैं शायद आज ज्यादा बेचैन थी। मुझे उम्मीद तो नहीं थी पर फिर भी मैंने शौहर की तरफ इल्तज़ा भरी नज़रों से देखा तो उसने मुझे झिड़क दिया। मैंने दिल ही दिल में उसे गाली दी और अपने लिये दूसरा पैग बना कर अंदर दूसरे कमरे में चली गयी। मैं खिड़की के पास बैठी शराब की चुस्कियाँ लेने लगी तो मुझे वो ब्लू फिल्म याद आ गयी। अजीब सा लंड था उस फिल्म में। अचानक मेरा ज़हन लंड की बनावट पर गया जो मेरे शौहर से बिल्कुल अलग थी। उफ़्फ़ ये तो अजीब सा लंड था फिल्म में, जिसपर चमड़ी थी। मेरी चूत बेहद गीली हो गयी थी।

अचानक मैंने खिड़की से झाँक कर देखा तो रमेश की मेरे घर पर ही नज़र थी। असल में ये खिड़की उसी प्लॉट की तरफ खुलती थी जिसमें रमेश का कमरा था। अपने शौहर से मायूस होकर अब मेरा भी दिल उसका लंड लेने को हो रहा था। मैंने कमरा बंद किया और खिड़की खोल ली और अपना पैग खत्म करके जानबूझ कर कुछ काम करने लगी। नीली कमीज़ और सफ़ेद रंग की सलवार और सफ़ेद रंग की ही ऊँची सैंडल पहनी हुई थी मैंने और ओढ़नी नहीं ली हुई थी। मेरे बूब्स काफी तने हुए थे। मैं जान कर ऐसे कर रही थी कि मेरे बूब्स का पूरा मज़ा मिले रमेश को। जब मैंने काम करते-करते उसकी तरफ़ देखा तो उसने अपना लंड निकाला हुआ था। उफ़्फ़ खुदा, क्या अजीब था उसका हिंदू लंड, बिल्कुल उस ब्लू-फिल्म के लण्ड जैसा, बिल्कुल काला, आठ इंच का और काफी झाँटें भी थी उसके इर्द गिर्द। जैसे ही मैंने देखा उसने हाथ से चोदने का इशारा किया। मैं हल्के से हंस दी और अपनी कमीज़ के हुक खोल कर उसे थोड़ा सा नीचे किया जिससे मेरे आधे बूब्स नज़र आ रहे थे। जैसे ही मैंने आधे मम्मों का नज़ारा दिया, रमेश ने अपना लंड पैंट में वापस डाला और मेरी खिड़की की तरफ़ आने लगा। मैंने इशारे से कहा कि रुको...!

मैंने कमरा खोला और बाहर जाकर देखा। मेरा शौहर सोफे पर नशे में धुत्त खर्राटे मार कर सो रहा था। मैंने हिम्मत के लिये एक और पैग जल्दी से पीया। मैं फिर कमरे में वापस आयी और उसे इशारे से कहा कि छत्त पर आओ…! वो पिछली दीवार से छत्त पर चढ़ गया। बाजू वाला मकान खाली होने की वजह से छत्त पर पुरी प्राइवसी है। मैंने कुछ कपड़े लिये और सुखाने के बहाने छत्त पर गयी और ऊपर जाकर सीढ़ियों का दरवाजा बंद किया। रमेश पहले से ही मौजूद था। वो अपना लंड निकाले हुए सहला रहा था। वो मेरी तरफ़ अपना हिंदू लंड ज़िप से बाहर निकाले हुए बढ़ा और मेरा एक मम्मा पकड़ कर मेरे होंठों से अपने होंठ चिपका दिये। उफ़्फ़ खुदा कितना अजीब लग रहा था मुझे। रमेश मेरा एक मम्मा ज़ोर से दबाते हुए अपने होंठों का थूक मेरे मुँह में डाल रहा था। उसका दूसरा हाथ मेरे जवान चूतड़ों को दबाने में लगा था और उसका नंगा हिंदू लंड मेरी बेचैन प्यासी चूत को सलवार पर से दबा रहा था। मैं भी जोश खाने लगी और अपने हाथ में उसका लंड पकड़ लिया। अजीब से लग रहा था कि उसका काला हिंदू लंड मेरे गोरे हाथों में फूल रहा था। फिर उसने मेरे चूतड़ और बूब्स दबाते हुए कहा, “शबाना जान! तुमने शराब पी रखी है क्या?” मैंने कहा, “हाँ थोड़ी सी पी है... कभी-कभार अपने पियक्कड़ शौहर के साथ पी लेती हूँ!”

रमेश मेरी आँखों में देखते हुए बोला, “तभी तेरी ये भूरी आँखें इतनी नशीली हैं! वैसे तू बुऱके में छिपी रुस्तम है!” उसकी बात सुनकर मुझे हंसी आ गयी। वो आगे बोला, “मैं तुम्हें बुऱके में देखना चाहता हूँ अभी!” उसने मेरे लाये हुए कपड़ों में बुऱका देख लिया था। मैंने शरमाते हुए कपड़ों में से बुऱका निकाला और पहनने लगी। मैंने जैसे ही बुऱका पहना उसने मेरा नकाब की तरफ इशारा करते हुए कहा, “ये भी डाल लो...!” मैंने शरारती अंदाज़ में कहा कि “क्यों रमेश! क्या इरादा है?” उसने बुऱके में से उभरे हुए मम्मे को पकड़ कर कहा की, “तू हमेशा बुऱके में ही दिखी है मुझे, बस तेरा हसीन चेहरा और ऊँची सैंडल में गोरे-गोरे नर्म पैर... मैंने हमेशा इसी रूप में तेरा तसव्वुर किया है और आज तेरी जवान मुस्लिम चूत को बुऱके में चोदुँगा!”

रमेश के मुँह से ये बात सुनकर मैं और जोश में आ गयी और नकाब डाल लिया। उसने एक कुर्सी ली और उस पर बैठ गया और बोला, “शबाना इज़्ज़त शरीफ! अब अच्छे से बैठ कर मेरे हिंदू लंड को अपने रसीले मुँह से चूसो!” मैं उसके सामने बैठ गयी और नकाब हटा कर उसके काले अनकटे लंड को अपने होंठों में ले लिया। अजीब मज़ा आ रहा था मुझे। मैं रमेश के लंड को अपने होंठों से चूस रही थी और मेरे दोनों मम्मे उसके घुटनों से दब रहे थे। उसने मेरा सर अपने लंड पर दबाया और उसका सारा हिंदू लंड मेरे मुँह में चला गया। मेरी नाक उसके लंड की झाँटों घुस गयी। रमेश मेरे गालों को सहलाने लगा। लंड चूसते हुए मैंने जब उसकी आँखों में देखा तो उसने शरारत से कहा, “क्यों मेरी शबाना इज़्ज़त शरीफ! कैसा लग रहा है मेरा हिंदू लंड तेरे रसीले मुँह में?” मैंने लंड चूसते हुए “हाँ” का इशारा किया। अब वो कुर्सी से उठा और खड़ा हो गया और मेरा सर पकड़ कर मेरे मुँह में चोदने लगा। मेरे होंठ काफी मुलायम और रसीले हैं। रमेश को बहुत मज़ा आ रहा था शायद। वो मेरे मुँह को ज़ोर-ज़ोर से चोदने लगा। फिर अपना काला लंड मेरे मुँह से बाहर निकाला और मुझे नीचे लिटा दिया। अब रमेश अपने कपड़े उतारने लगा और देखते ही देखते रमेश नंगा हो गया और उसका हिंदू लंड झाँटों से भरा मेरी तरफ़ देखते हुए इतरा रहा था।

अब वो नंगा होकर मुझे बुऱके पर से लिपटने लगा। नंगा काला हिंदू बदन मेरे शादीशुदा इज़्ज़त वाले बदन को बे-इज़्ज़त कर रहा था। रमेश ने दोनों हाथों से मेरे दोनों बूब्स पकड़ कर कहा, “साली तू तो मस्त माल है...! किसने बड़े किये इतने तेरे बूब्स?” मैंने थोड़ा शरमाते हुए कहा कि, “कौन करेगा! शौहर तो कुछ करता है नहीं तो खुद ही मसल-मसल कर बड़े किये हैं… शौहर के अलावा आज पहली बार किसी गैर मर्द ने छुआ है मुझे!” ये सुनते ही रमेश ने अपने लंड से मेरी चूत के ऊपर धक्का दिया और बोला, “आज अपनी मुस्लिम जवान शादीशुदा चूत में मेरा हिंदू अनकटा लंड लेगी शबाना?” मैंने भी शरारती होकर रमेश का हिंदू लंड अपने मेहंदी लगे हुए हाथ में पकड़ कर कहा, “रोज़ तो जब मैं गली से जाती थी तो सिर्फ बातें बनाता था... ये अपना हिंदू लंड दिखाता क्यों नहीं था मुझे?” रमेश ने मेरे बुऱके के ऊपर के दो बटन खोले और मेरी कमीज़ को नीचे करके मेरा एक गोरा मम्मा बाहर निकाला और बोला, “तू भी तो अपना ये मुस्लिम बूब छुपा कर बस नज़रों के तीर चला कर जाती है रोज़ मेरी शबाना रंडी!”

अब रमेश मेरे बाहर निकले एक नंगे मम्मे पर अपना लंड ले आया और अपने लंड से हल्के से मारते हुए मेरे मम्मे के निप्पल को अपने हिंदू लंड के सुपाड़े से छेड़ने लगा और शरारत भारी नज़रों से मुझे देखने लगा। मैं भी हल्के से मुस्कुराते हुए अपनी ज़ुबान होंठों पर फेरने लगी और उसके लंड की तरफ़ इशारा किया। वो अपना काला लंड मेरे होंठों के पास लाने लगा तो मैंने शरारत में उसके लंड पर थूक दिया। रमेश थोड़ा सा मुस्कुराया और वापस लंड मेरे मम्मे पर रख कर उस पर ठोकने लगा। अब मेरे मम्मे पर मेरा थूक और रमेश का थूक लगा हुआ था। मेरे बूब्स को रमेश हल्के से अपने लंड से मारता रहा और फिर दोबारा अपने लंड पर थूक कर मेरे मुँह के पास ले आया। मैंने बिना हिचकिचाये उसका लंड अपने होंठों में ले लिया और उसकी तरफ़ देख कर मज़े से चूसने लगी।

रमेश ने मस्त नज़रों से मुझे देखा और कहा, “साली छिनाल इतनी अदायें कहाँ से सीखी तूने? बुऱके में तो काफी शरीफ बनकर जाती है मेरी रंडी!” मैंने रमेश का लंड अपने मुँह से निकाला और कहा, “कितनी बार मैंने चाहा कि मैं तेरे इस हिंदू लंड से अपनी प्यासी मुस्लिम चूत को चुदवाऊँ मगर डर लगता था क्योंकि मैं शादीशुदा हूँ रमेश!” ये सुनकर रमेश ने मेरे बुऱके के सारे बटन खोल दिये और मेरी कमीज़ को और नीचे करके मेरे दोनों मुस्लिम मम्मे कमीज़ से आज़ाद कर दिये। मेरे बूब्स काफी उभरे हुए नज़र आ रहे थे। अब रमेश बारी-बारी से मेरे दोनों बूब्स के निप्पलों को चूस-चूस कर गीला कर रहा था और चूसते हुए मेरी तरफ़ देख कर बोला, “तेरे बूब्स पर मेरा थूक मेरी शबाना रंडी!” मेरा बुऱका खुला हुआ था। अब रमेश ने मेरी कमीज़ ऊपर करके मेरी सफ़ेद सलवार पर से मेरी चूत पर हाथ रख कर कहा, “शबाना इज़्ज़त शरीफ की चूत को आज क्या चाहिये?” मैंने रमेश की आँखों में देख कर कहा, “आज अपना हिंदू पानी मेरी शादीशुदा चूत में डाल कर मेरी चूत की प्यास बुझा दे रमेश!”

अब रमेश मेरी सलवार का नाड़ा अपने मुँह से खोलने लगा और मेरी सलवार को मेरी टाँगों और सैंडलों से नीचे खींच कर उतार दिया और मेरे गोरे बदन पर मेरी लाल रंग की छोटी सी पैंटी को देख कर बोला, “आह साली छिनाल! राँड तेरा फिगर तो बहुत मस्त है शबाना रंडी! इतने दिन बुऱके में छुपया क्यों तूने मेरी छिनाल!” मैंने रमेश का अनकटा हिंदू लंड पकड़ कर दबाते हुए कहा, “आज अपने इस हिंदू लंड से शबाना इज़्ज़त शरीफ की चूत को चोद कर मुझे राँड बना दे रमेश!” रमेश ने मेरी पैंटी पर से सहलना शुरू किया और गंदी नज़रों से मेरी तरफ़ देखने लगा। फिर आहिस्ता से मेरी पैंटी में रमेश का हाथ जाने लगा। मैं गौर से देखने लगी कि एक हिंदू का हाथ मेरी शादीशुदा प्यासी चूत पर जा रहा है। रमेश अब एक हाथ से मेरा एक मम्मा और दूसरा हाथ पैंटी में डाले हुए था और आहिस्ता-आहिस्ता मेरी प्यासी शादीशुदा चूत को अपने हाथों से सहलाने लगा। मैं रमेश की आँखों में देखने लगी। रमेश ने अपने लंड की तरफ़ इशारा किया और हल्के से बोला, “छिनाल शबाना!” मैंने रमेश का लंड अपने हाथ में ले लिया और उसे दबाने लगी और दूसरे हाथ से रमेश के गेंदों को सहलाने लगी। अब रमेश मेरी मुस्लिम चूत को सहलाने लगा और मेरे दोनों मम्मों को बारी बारी दबाते हुए मेरी प्यासी चूत को सहलाने लगा। मेरी चूत पर जैसे किसी ने अंगार रख दिया हो। रमेश का गरम हाथ मेरी मखमली चूत पर आग लगा रहा था।

मैं आधी नंगी, कमीज़ से बूब्स बाहर निकाले हुए थी और रमेश का लंड मेरे हाथों में था। रमेश मेरी इज़्ज़त से खेल रहा था और मैं उसके हिंदू लंड और गेंदों से खेल रही थी। अब मेरी चूत बेहद गीली हो गयी थी और रमेश के हाथों को गीलापन लगने लगा। उसने अपना गीला हाथ मेरी चूत से निकाला और मेरे बूब्स पर लगा दिया और कहने लगा, “अब मैं तेरी चूत को हिंदू लंड से चोद कर तेरी प्यास बुझाऊँगा मेरी शबाना इज़्ज़त शरीफ रंडी!” मेरा पूरा नाम जैसे मेरे जिस्म में आग लगा रहा था। मैंने भी जोश में आकर कहा, “आज मैं भी अपनी शरीफ शादीशुदा चूत को तेरे हिंदू लंड से चुदवा कर ही साँस लूँगी रमेश!” अब रमेश ने मेरी पैंटी पर से चूत को किस किया और अपने होंठों से पैंटी उतारने लगा। मैं रमेश की आँखों में देख रही थी और वो मुझे देखते हुए मेरी मुस्लिम चूत नंगी कर रहा था। मेरी चूत ऐसे नंगी हो रही थी जैसे मेरे चेहरे से नकाब उतर रही हो। जैसे ही मेरी चूत पैंटी से बाहर आयी रमेश ने कहा, “हाय राम! क्या मस्त है ये मुस्लिम चूत!” और मेरी पैंटी नीचे मेरे सैंडलों तक खिसका कर उतार दी और अपने होंठ पहले मेरे होंठों से लगाये और चूसते हुए बोला, “मेरी रंडी शबाना! तेरी चूत के होंठों को भी ऐसे ही चूसुँगा” और मेरे बूब्स के बीच से अपनी ज़ुबान चूत की तरफ़ ले जाने लगा।

मैंने अभी भी कमीज़ पहनी हुई थी मगर बूब्स बाहर थे। अब रमेश ने मेरी कमीज़ को ऊपर करके मेरा पेट भी नंगा कर दिया। मैंने कहा, “रमेश मेरी कमीज़ भी उतार दे।” लेकिन वो मेरी चूत की तरफ़ चला गया और मेरी चिकनी बिना बालों वाली चूत पर अपने हिंदू होंठों से चूमने लगा। अब मेरी चूत पर रमेश के होंठों की आग थी। मैं सिसकियाँ भरते हुए रमेश के सर को सहलाने लगी और प्यासी चूत पर रमेश का सर दबाने लगी। मेरी चूत पर रमेश थूकने लगा और ज़ोर-ज़ोर से चूत को चूसता जा रहा था। मैं नशे में उसका सर दबाते हुए बोली, “रमेश! आज चूस कर ही बच्चा पैदा करेगा क्या मेरे हिंदू राजा! अपने जवान काले लंड से भी तो चोद! अब बर्दाश्त नहीं होता!” रमेश ने मेरी मुस्लिम चूत से अपने होंठ हटाये और मेरे होंठों पर रख दिये। मैं रमेश के होंठों को ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगी। नीचे से रमेश का अनकटा हिंदू लंड मेरी चूत पर बार-बार लग कर दस्तक से रहा था। शायद उसका लंड कह रहा था कि अब रंडी बनने का वक्त आ गया। उसके लंड की झाँटें जब मेरी चूत को चुभती तो अजीब सा लगता।

अब रमेश ने मेरे बुऱके को उतार कर चादर बना दी और उस पर लिटा दिया और मेरी कमीज़ उतार कर मेरे जवान जिस्म को नंगा कर दिया। अब मैं रमेश के सामने बिल्कुल नंगी लेटी हुई थी। बस कलाइयों में चूड़ियाँ और पैरों में सफेद रंग के ऊँची हील वाले सेंडल थे। अब रमेश मेरी दोनों टाँगों के बीच अपना लंड सहलाता हुआ घुटनों के बल बैठ गया और मेरी तरफ़ देख कर बोला, “बनेगी मेरे हिंदू लंड की राँड मेरी शबाना?” रमेश का लंड देख कर मेरे मुँह में पानी आ रहा था। मेरी चूत तो जैसे खुल कर उसका लंड लेना चाहती थी। केले और मोमबत्तियों जैसी बेजान चीज़ें ले-ले कर असली लंड के लिये तरस गयी थी। मैंने अपनी दोनों टाँगें फैलाते हुए कहा, “आज हिंदू लंड से मेरी मुस्लिम चूत पर हमला बोल दे और मेरे गोरे जवान शादीशुदा जिस्म को अपने हिंदू बदन से फूल की तरह खिला दे!”

रमेश ने मेरा मेहंदी से भरा हाथ पकड़ा और उस पर किस करके मेरे हाथ में अपना आठ इंच का लंड दे दिया और बोला, “शबाना रंडी! तुझे ज्यादा तजुर्बा है तो तू ही राह दिखा!” और वो मेरे ऊपर आ गया। मैं रमेश का लंड अपने हाथ में लेकर अपनी शादीशुदा प्यासी मुस्लिम चूत जो हमेशा बुऱके में रहती थी उसका रास्ता बताने लगी। रमेश का लंड मेरे हाथ में फूल रहा था और चूत के इर्द गिर्द जैसे जगह ढूँढ रहा हो। अब मैंने अपनी चूत के दरवाजे पर रमेश का बालों से भरा अनकटा लंड जमाया और रमेश को देख कर कहा, “शबाना इज़्ज़त शरीफ की शादीशुदा मुस्लिम चूत के दरवाजे पर तेरे अनकटे हिंदू लंड का सुपाड़ा तैयार है रमेश!” रमेश मेरी आँखों में भूखे कुत्ते की तरह देखते हुए अपने लंड का सुपाड़ा मेरी शादीशुदा इज़्ज़तदार चूत में घुसेड़ने लगा। मैं भी उसकी आँखों में देखते हुए उसके हिंदू लंड के सुपाड़े को अंदर लेने की ख्वाहिश जता रही थी। रमेश का लंड थोड़ा- थोड़ा करके मेरी इज़्ज़त को चोद रहा था। मैं रमेश की पीठ पर अब अपने हाथ से उसके जिस्म को अपनी तरफ़ खींचने लगी। रमेश का आधा लंड मेरी गोरी मुस्लिम चूत में था और वो मेरी आँखों में मुसलसल देख रहा था और मैं उसके हिंदू लंड को अपनी चूत में लेते हुए अपने चेहरे से ज़ाहिर कर रही थी कि “और डाल अपना लंड और मेरी चूत के अतराफ़ अपनी झाँटें गड़ा दे।”

रमेश ने अपना लंड थोड़ा सा पीछे किया और मेरी आँख मिलाते हुए बोला, “छिनाऽऽल राँऽऽड आज मैं तेरी चूत का भोंसड़ा बना दुँगा!” मैं भी रमेश के लंड के जज़्बे भरे झटके का इंतज़ार करते हुए बोली, “बना दे भोंसड़ा मेरी चूत का रमेश! साली बहुत दिन से चुदासी है!” फिर मेरी आँखों में घूरते हुए रमेश ने एक ज़ोरदार झटका लगाया और मेरी चूत को चीरता हुआ मेरी चूत की आखिरी हद तक दाखिल हो गया और अपने हिंदू लंड की झाँटों से मेरी चूत को ढक दिया। मेरे मुँह से एक ज़ोर की हिचकी निकली और फिर चींखते हुए मेरे मुँह से निकला, “हाय अल्लाह! उफ़्फ़ रमेशऽऽऽऽ!” रमेश मेरी आवाज़ में अपनी आवाज़ मिलाते हुए चींखा, “साऽऽली राँऽऽड तेरी चूत में मेरा हिंदू लंडऽऽऽ!” रमेश के करारे झटके से मानो मेरा जिस्म उसके हिंदू लंड के नीचे पिसा जा रहा था। मैं उसके झटके से बेहाल थी। मुझे लगा कि जैसे मेरी सील हकीकत में आज ही टुटी थी क्योंकि आज तक मेरी चूत में इतनी हद तक इस तरह कोई लंड नहीं गया था। बस केले, बैंगन जैसी बेजान चीज़ें ही इस हद तक मेरी चूत में घुसी थीं।

मैंने अपने हाथ रमेश की पीठ से हटाये और रमेश के दोनों चूतड़ों को पकड़ कर कहा, “अभी कुछ देर ऐसे ही रहो मेरे हिंदू राजा!” अब हिंदू नंगा बदन मेरे जवान खूबसुरत नंगे बदन पर था। मेरे बड़े-बड़े गोल बूब्स रमेश के सीने से दब रहे थे। रमेश ने अपनी ज़ुबान निकाली और मेरे होंठों में दे दी। मैं रमेश का लंड अपनी चूत में लिये हुए उसकी ज़ुबान चूसने लगी और साथ ही साथ उसके चूतड़ दबाने लगी। रमेश अब थोड़ा सा ऊपर उठा तो मेरे बूब्स से उसका सीना थोड़ा सा अलग हुआ। उफ़्फ़ खुदा! मैं अब अपनी चूत में रमेश के लंड को घुसे हुए देख रही थी। तमाम लंड मेरी चूत में था और मैं ये देख कर हल्के से मुस्कुराने लगी। मैं अभी गौर से अपनी चूत में घुसे हुए काले लंड को देख ही रही थी कि रमेश ने शरारत से मेरी चूत पर अपने लंड का ज़ोर लगाया और मेरी चूत को दबाने लगा।

मैंने रमेश के चूतड़ दबाते हुए कहा, “क्यों जनाब! कैसी लगी मेरी चूत की आरामगाह तुम्हारे इस जवान हिंदू लंड को?” रमेश ने अपने लंड का ज़ोर कसा और कहा, “तेरी मस्त मुस्लिम चूत में मेरे हिंदू लंड की ही जगह है मेरी रंडी शहज़ादी!” और कहते हुए मेरी चूत से आधा लंड निकाला और फिर झटके से अंदर ठोक दिया। अब दूसरे झटके से मैंने बेखौफ होकर कहा, “तो अब इंतज़ार किस बात का है हिंदू लंड को… रास्ता तो बन ही चुका है... अब आना-जाना ज़ारी रखो मेरे राजा!” और मैं रमेश के चूतड़ों को दबाने लगी। रमेश अब मेरी टाइट चूत में अपना मोटा काला मूसल जैसा हिंदू लंड चोदने लगा और मेरी चूत के रसीले होंठों को खोल कर अपना लंड अंदर बाहर करने लगा। मैं मज़े से उसके लंड को खुशामदीद कहती हुई अपनी चूत के प्यासे होंठों से चूसने लगी। रमेश के मुसलसल झटके मेरी शादीशुदा चूत की इज़्ज़त की धज्जियाँ बिखेर रहे थे।

रमेश अब पूरे जोश में मेरे बूब्स चूसने लगा और लगातार अपने झटके लगाने लगा। मैं भी अपनी प्यासी चूत को उसके कड़क काले लंड के हवाले करके मज़े ले रही थी। मुझे बेतहाशा चोदते हुए उसके मुँह से गालियाँ निकालने लगी, “साली शबाना रंडी! ले मेरा लंड अपनी चूत में और ले साली छिनाऽऽल!” मैं भी चुदते हुए बोल रही थी, “आह चोद मेरी चूत को अपने मोटे लंड से रमेश! फाड़ डाल मेरी चूत को चोद मेरी जान, अपनी जवानी का सारा पानी मेरी प्यासी शादीशुदा चूत में डाल दे मेरे राजाऽऽऽ...!” मेरी बातों से रमेश का ज़ोर बढ़ता जा रहा था और वो मुझे एक बाज़ारू औरत की तरह चोद रहा था। मेरी चूत अब तक कम से कम चार बार पानी छोड़ चुकी थी और हर बार मेरा जिस्म ऐंठ कर सूखे पत्ते की तरह फड़फड़ा जाता।

फिर अचानक मुझे महसूस हुआ के कुछ अजीब सा मेरी चूत में कुछ हुआ है। हाय खुदा। ये तो रमेश के हिंदू लंड का पानी था। रमेश ने अपने होंठ मेरे मम्मों से हटाये और मेरी आँखों में देखने लगा और गुस्से भरे झटके देने लगा। मैंने भी उसकी आँखों में देख कर इकरार किया कि मैं भी यही चाहती थी कि उसके लंड का पानी मेरी प्यासी मुस्ल्म चूत में हो! मेरी चूत की प्यास मानो रमेश ने अपने हिंदू लंड के पानी से बुझा दी। मैंने अपनी दोनों टाँगें रमेश के चूतड़ पर कसकर उसका सारा पानी अपनी प्यासी चूत में ले लिया और रमेश अपना सीना मेरे बूब्स पर दबाता हुआ मेरे जिस्म से लिपट गया। हाय अल्लाह! मैं अजीब सा महसूस कर रही थी। अब रमेश का सारा पानी निकल चुका था और वो मेरे जिस्म के ऊपर ठंडा हो गया और मैं उसके चूतड़ों पर हल्के से हाथ फेर रही थी। ज़िंदगी में पहली दफा मुझे चुदाई का असली मज़ा मिला था।

Anjaan
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