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जब मै छोटा था तब हमारे नौकर ने मेरी गांड मार ली थी। वो करीब 19-20 साल का लड़का ही था पर मै उसके सामने बहुत छोटा था। खेल खेल मे हम एक दूसरे के लाँड़ को हिलाते थे और उसके मुझे सहलाने पर मज़ा आता था। वो पूरा हरामि था एक दिन घर मे कोई नहीं था तो वो क्रीम ले कर तयार था। बहला फुसला के मुझे तैयार कर लिया और फिर मेरी गांड मे क्रीम लगा के चढ़ गया। जब तक वो मुझे सहलाता फुसलाता चूमता रहा तब तक बहुत मज़ा आया पर फिर जैसे ही वो अपना लाँड़ मेरी गांड मे अड़ाया तो दर्द के मारे मै बिलबिला गया। पर वो मुझे फुसला के बहला के धीरे धीरे अंदर घुसाता रहा। अंदर घुसाने के बाद वो मुझे अपने नीचे पूरा जकड़ लिया और मेरी गांड मारने लगा। मै दर्द के मारे फड़फड़ाता रहा और वो मुझे जकड़ के धक्के पे धक्के मारने लगा और फिर मेरे अंदर ही अपना वीर्य निकाल दिया। उस बार गांड मरवाने के बाद मै उससे दूर दूर रहने लगा पर साले ने फिर फुसला लिया और समझाया की दूसरी बार दर्द नहीं होता। हर बार वो मुझे फुसलाने मे कामयाब हो जाता और धीरे धीरे मुझे गांड मरवाने का आदि बना दिया। कुछ दिनो के बाद साले ने मुझे पड़ोस के नौकर से जो उसका दोस्त था उससे भी चुदवा दिया। धीरे धीरे पूरे मोहल्ले के नौकरो मे बात फैल गयी और मै करीब 7 लोगो से चुदा और उनके लाँड़ चूसे।

Mai bhi tumhe apna lund Dena chata hu meri kutiya

Mai bhi mottey gay uncle's sey bahut chuda hu .. mujhey motey gay uncle's hi pasand hai

जब मै छोटा था तब घर के पास ग्राउंड मे खेलने जाते थे वहाँ एक मकान बन रहा था और उस अधबने मकान मे 3-4 मजदूर रहते थे जो कभी कभी हमारे साथ बैट बॉल खेलने आ जाते थे। एक मेरे से बहुत घुल मिल गया और वो मेरे गले मे बांहे डाल देता था, कभी गालो को मसल देता था। एक आध बार वो अकेले मे मुझे अपनी बांहों मे जकड़ के गालो पे पप्पी कर दिया और गांड और लंड सहला दिया। मै अंदर ही अंदर गुदगुदा जाता था। वो मुझे पटाता रहता पर मै झिझक की वजह से उसे कभी आगे नहीं बढ्ने दिया।
एक बार जब मै खेलने पहुंचा तो बारिश आ गयी और वो मुझे अधबने मकान मे ले गया। वहाँ उस वक़्त उसके अलावा दो और बूढ़े से मजदूर बैठे हुए थे जो सिगरेट पी रहे थे। वो भी एक सिगरेट सुलगा के कश लगाने लगा और मुझे भी बोला लगाने को। मै पहले तो मना किया पर फिर कौहुतूलवश मै भी दो तीन कश लगा लिया। सिगरेट मे कुछ मिला हुआ था शायद चरस, नशे मे मुझे बहुत अच्छा सा लगने लगा और बदन बिलकुल निढाल सा हो गया। वो मुझे अंदर एक कमरे मे ले गया और मेरे कपड़े उतारने लगा। नशा इतना था की मै कुछ समझ नहीं पा रहा था, जब वो मुझे बिस्तर पर लिटाया तो मन किया एसे ही पड़ा रहूँ पर वो मे मेरे ऊपर चढ़ गया।
थोड़ी देर मे ही मुझे एहसास हुआ की वो मेरी गांड मे उंगली घुसा रहा है और फिर उसका मोटा लंड मेरी गांड मे अड़ गया। मै दर्द के मारे बिलबिला गया पर वो पूरा अंदर घुसा दिया। मै दर्द से कराहता रहा और वो मेरी गांड मारने लगा।
मेरी गांड मार के वो बाहर निकल गया तो दूसरा बूढ़ा आ गया, वो मेरे ऊपर चढ़ के मेरे साथ खूब चुम्मा चाटी करने लगा, मेरे होंटो को मस्ती से चूसने लगा और मेरी छाती और निपलस को मसलने चूसने लगा। थोड़ी देर मे ही मेरे मुह से सिसकरिया निकालने लगे। फिर मुझे उल्टा लिटा के वो भी मेरी गांड मे लंड पेल दिया। उसके जाने की बाद तीसरा बूढ़ा आया और वो भी मेरे को खूब मसला चूसा और मेरी गांड मारा।
तीनों का हो जाने के बाद मै बिस्तर पर पड़ा रहा और कब नींद आ गयी पता नहीं चला। जब आँख खुली तो शाम हो चुकी थी और अंधेरा होने वाला था, मेरे पूरे बदन मे दर्द हो रहा था और गांड तो जैसे फटी जा रही थी। वो जवान मजदूर मेरे को समझा बुझा के घर भेज दिया। नशा होने की वजह से दर्द का उतना पता नहीं चला पर इसके बावजूद सब याद था की क्या हुआ। तीन तीन आदमी मेरी गांड मार लिए थे और मुझे बूढ़े की चुम्मा चाटी याद आती तो अंदर ही अंदर गुदगुदी होने लगती। मै शर्म के मारे अगले कई दिनो तक मै खेलने नहीं गया।
कई दिनो बाद जब मै खेलने गया तो तीनों मिले पर तीनों बिलकुल नॉर्मल तरीके से मिले तो मेरी शर्म दूर हो गयी। शाम को जब हम खेल खतम करके जा रहे थे तो बूढ़े ने मुझे अपने पास बुलाया, पहले तो मै झिझकता रहा पर फिर चला गया। वो मेरे को फुसलाने लगा की मै उसके साथ मकान के अंदर चलू पर मै न नुकुर करता रहा। मै उसको बताया की घर जाने का समय हो गया अगर घर नहीं पहुंचा तो मम्मी खोजने आ जाएंगी पर फिर भी वो मुझे फुसला के अंदर ले ही गया। अंदर वो मेरे को अपनी बांहों मे जकड़ के मेरे होंटो को चूसने लगा और कहने लगा के वो मुझे प्यार करना चाहता है, मेरी गांड मे अपना लंड डाल के प्यार करना चाहता है। उसकी बातों से मेरे अंदर गर्मी चढ़ गयी। फिर वो मेरे को अगले दिन सुबह आने की प्रोमिस ले कर ही छोड़ा।
अगले दिन सुबह मुझे स्कूल जाना था पर मै घर से तयार हो के स्कूल के बजाय सीधे मजदूरो के पास पहुँच गया। सुबह सिर्फ एक बूढ़ा वाला था बाकी शायद काम पर गए थे। वो मेरे को देख खुश हो गया और मुझे कमरे मे ले गया। वहाँ वो पहले मुझे नशा करवाया फिर जम कर मेरी गांड मारी। वो मेरे को लंड चूसना भी सीखा दिया। उस दिन के बाद से मै रेगुलरली उन मजदूरो से गांड मरवाने लगा।

first time is always unforgettable, first time getting grouped, first time giving blowjob, first time kissing, first time getting ass fucked.
my first time grouping and kissing happened with a bus conductor in a running bus while i was travelling with my family. in the night he hugged me and pulled me in his lap and slowly seduced me. it was an unforgettable arousing experience where he grouped my small cock, balls and ass, he even kissed me on lips and sucked my nipples.
first time giving blowjob was with a senior in school. he used to flirt with me and grouped me many times and one time when we stayed after school for some extra caricullar activity he managed to get me nude and we both played with each others cocks and balls. he managed to convince me to take his cock in my mouth. i just loved the velvetty smooth but hard cock slipping on my toungue. I enjoyed the sucking but never realized that it will end with cum in my mouth, hahha, i had to spit.
first time ass fuck was a different story all together. i was 16 at that time and happened to be travelling alone and was stranded at lucknow railway station and the train was running late. as i was waiting for the train a man sat beside me and we started to chat. after sometime he suggested that we could move to a more comfortable place to wait for the train and i followed him to a railway godwon. inside the godown there was a wooden plank with a mat on it, used as bed. there he started to touch me trying to seduce me. i found the place to be secluded and the man was of my liking so i just let him continue. soon we were touching each others cock and balls and he removed all my clothes. while i was sucking his i heard some foot steps and i tried to get up but he just held my hair and told me to keep sucking. I thrashed and let his cock slip out and saw two men staring down at me with a shit eating grin on there faces. the guy holding me commented "gaandu mil gaya aaj" and then all three laughed.
I was shocked at the way he spoke and was disappointed and felt so ashamed of myself. I tried to get up but he kept me holding and asked me to continue sucking. My excitement vanished and i just wanted to leave, but he pushed me back on the wooden plank and shouted "saale jo shuru kiya vo khatam kya tera baap karega"
When i refused he slapped so hard on my face that tears welled up in my eyes. "tere jaise gaanduo ko seedha karna mujhe aata hai." He grabbed my hairs and placed his cock on my lips and I was so scared that I didnt refuse this time. he was semi hard now but as soon as he pushed inside my mouth it started to swell again. i saw from the corner of my eyes that the other two were standing at some distance.
after fucking my mouth for some 10-15 mintues he pushed me face down on the plank and climbed over me, i immidiately realized what he wanted. I was so scared that instead of refusing him or struggling i simply started to cry. He didnt care and started to lube my ass with some cream, "kya chote bacche ke tarah rota hai, abhi maza aayega jab lund ghusega." He pinned me under his huge body and i felt the hard rod jammed at my ass hole.
i thrashed around, howled with pain but he just grabbed me hard and continued to push his cock in my ass. There was no way to escape this ordeal. I cried and howled and requested him to stop but he just continued without caring and banged his entire length inside me. Then he started to fuck me in small strokes. He was grunting like a pig and punded me in slow strokes. After he cum in my ass he rolled over panting, while i was not able to move. almost immidiately another guy who was watching the entire thing climbed over me. I couldnt do anything, just some more crying and howling. after he was done the third guy joined and he first asked me to suck him hard. thereafter he too deposited his cum deep in my ass.
after they left i was not able to move for atleast half an hour.

मेरा पहली बार ट्रक में हुआ था. पापा के ट्रांसफर पर सामान ट्रक से जा रहा था और हम लोग कार में साथ साथ जाना था पर कार में जगह ही नहीं बची मेरे लिए तो ट्रक ड्राइवर बोला कि ये उसके साथ ट्रक से चले. लड़के को ट्रक में भेजने पर किसी को आपत्ति नहीं हुई.
ड्राइवर भाप गया कि ये ladka पट सकता है. Vo मेरे को 1 घंटे में ही seduce कर लिया. फिर वो ड्राइविंग अपने हेल्पर को दिया और मुझे लेकर पीछे वाली सीट पर आ गया. वहाँ वो मुझे पूरा नंगा कर दिया और मेरे को एक लड़की की तरह ही प्यार करने लगा. मेरी छाती चूस चूस के लाल कर दी. फिर मुझे अपनी टांगों पर सेट करके अपना लंड मेरे मुह में दे दिया. बहुत प्यार से मुझे गाइड करके वो, बता बता के वो लंड चूसवाता रहा. थोड़ी देर बाद समझाया कि दुध निकलेगा उसे पीना है. मैं सब निगलने लगा.
वो अपना काम निपटा के वापस ड्राइविंग के लिए चला गया और उसका हेल्पर आ गया. मैंने न न किया पर वो माना नहीं और फिर मैंने उसका भी चूसा पिया.
बाद में हम लोग एक ढाबे पर रुके, मम्मी पापा और बहन भी पहुंच गए. खाना खाने के बाद चलने लगे तो साला ड्राइवर पापा को suggest किया कि मुन्नी को भी ट्रक में भेज दो वो भी ट्रक की सवारी enjoy कर लेगी. पापा तो मना करे पर बहन जिद करने लगी. Finally वो भी हमारे साथ आ गई, वो उस waqt 12 साल की थी. हेल्पर ड्राइविंग सीट पर और ड्राइवर सपना, मेरी बहन को ले कर खिड़की के पास बैठ गया. मैं बीच में था और नर्वस हो रहा था. ड्राइवर सपना को पटाने में जुट गया.
करीब आधा घंटा सपना की खिलखिलाने की आवाजें आती रही, फिर धीरे-धीरे खामोशी छा गई. सपना ड्राइवर की आड़ में बैठी थी तो मैं ज्यादा देख नहीं पा रहा था. हेल्पर मेरे को अपने से सटाये हुए था और मुस्करा रहा था. थोड़ी देर में वो सपना को पीछे वाली सीट पर ले गया और सपना भी मेरी तरफ देखे बगैर चली गई.
थोड़ी देर में ही पीछे से सपना की सिसकारी सुनाई देने लगी. मैं पीछे झांक के देखना चाह तो हेल्पर मेरे को सामने देखने बोला. बहुत देर तक सपना की सेक्सी कराहे सुनाई देती रही. ट्रक हेल्पर ने एक ढाबे के किनारे अंधेरे में रोक दिया और खुद भी पीछे चला गया और मेरे को सख्त हिदायत की चुपचाप बैठा रहूं. पीछे से सपना की थोड़ा हाय तौबा सुनाई पडी फिर सब वैसे ही चलने लगा.
मैं पीछे झांक के देखा तो दोनों से सपना को बीच में घोड़ी बना रखा था और ड्राइवर उसकी चुत पेल रहा था और हेल्पर मुह chod रहा था.

मज़ा आया स्टोरी पढ़ के। बचपन की बाते याद आ गयी। थोड़ा झुकाव मेरा gay की तरफ रहा है तभी तो अंकल लोग ताड़ लेते थे। मुझे बचपन मे कई अंकल मिले जिन लोगे ने मेरा फाइदा उठाया। एक ने तो चलती ट्रेन मे मेरा काम लगा दिया था। मै पूरे परिवार के साथ सफर कर रहा था पर रिज़र्वेशन नहीं था, बस कुछ सीटे ही मिल पायी थी। एक अंकल हम लोगो से घुल मिल गए और मेरे को अपने साथ ही बैठा लिया। बाद मे मम्मी को कही सीट मिली पापा को कही और मै अकेला उन अंकल के साथ। रात तक मुझे सेट कर लिया और फिर आधी रात जब सब सो रहे थे तो मुझे ले कर टॉइलेट मे घुस गए। पहले अपना लाउडा चूसा चूसा मे मेरा मुह दर्द कर दिया फिर टॉइलेट पर झुका के गांड मे अपना डंडा अड़ा दिया। बहुत प्यार से आराम आराम से पेला।

मै जब छोटा था तब मै भी अपनी माँ के साथ दूध लेने डेरी पर जाता था, दूधवाला मेरे को अक्सर गोदी मे बैठा लेता और कभी कभी गालो पर किस कर देता। एक बार अकेले मे पकड़ लिया, याद नहीं कहाँ, तो गोद मे बैठा के गंदी हरकते करने लगा। मै जब जब जाना चाहूँ तो वो रोक लेता, पर कोई जबर्दस्ती नहीं की। मुझे याद है वो मुझे नंगा करके बेड पे लिटा दिया था और मेरे ऊपर चढ़ गया। उसका लंड मेरे गुदा पे गड़ने लगा पर वो अंदर नहीं घुसाया। काफी देर बाद वो मुझे जाने दिया। इसके बाद मै उससे दूर दूर रहता पर वो मौका निकाल के मुझे पकड़ ही लेता था और मेरे साथ गंदी हरकते करता।
धीरे धीरे मै उससे ज्यादा घुल मिल गया और इन हरकतों मे लिप्त रहने लगा। वो मेरे गुदा के छेद पर उंगली से रगड़ता तो मुझे बहुत उतेजना होती और इसी उत्तेजना की वजह से मै उसके चक्कर मे पूरी तरह फंस गया। मै उसके लिंग को सहलाता और अपने हाथ से हिला हिला के उसका वीर्य निकालता। धीरे धीरे वो मेरी गुदा मे उंगली भी घुसाने लगा, तेल लगा के पूरी अंदर तक घुसा देता। अपना लंड चूसना भी सीखा दिया, मेरे मुह मे ही वो वीर्य गिरा देता।
मेरा उससे घुलना मिलना उसी के तबके के और लोगो की नज़र मे भी आ गया और दूधवाले ने एक दिन मेरा परिचय एक और मर्द से करवाया। उस दिन मै दो मर्दो की हवस पूर्ति का साधन बना। दूसरे का अंदाज अलग था, वो मेरे निपपल्स को चूस चूस के लाल कर देता था और मेरे होंटो को भी एक लड़की के होंटो की तरह चूमता और चूसता, वो उम्र मे दूधवाले से बड़ा था और दूधवाला उसके सामने रुतबे मे छोटा पड़ जाता था। ये मेरे साथ गुदा मैथुन करना चाहता था पर दूधवाले के समझने की वजह से रुका हुआ था। पर ज़्यादा दिनो तक नहीं रोक सका। एक दिन शाम को जब मै उनके पास गया तो वो मेरे को बहलाने लगा और दूधवाला चुपचाप बैठा रहा। वो मेरे को दूसरे कमरे मे ले गया और शुरू हो गया। उस दिन गुदा मे तेल लगाने के बाद उंगली की बजाय उसका मोटा लिंग अड़ने लगा। जैसे ही लंड का सुपाड़ा आधा इंच अंदर फिसला मै हाय हाय करने लगा। वो मुझे फुसलाता रहा और घुसाता रहा। मै दर्द के मारे फड़फड़ा गया और हाथ पैर फेंकने लगा पर वो रुका नहीं। मेरी हायतौबा के बीच वो घुसेड़ डाला और मै उसके बड़े शरीर के नीचे दबा रहा। वो मुझे चोदने लगा और उस दिन मेरे को पूरा गांडु बना दिया गया। तेल लगा होने की वजह से और लगभग साल भर से उंगली से खोले जाने की वजह से कुछ देर बाद मै दर्द बर्दाश्त करने लगा। धीरे धीरे धक्के मारे गए थे उस दिन। मै पड़ा कराहता रहा जब वो मेरी गांड के अंदर ही वीर्य गिरा दिया। फिर तुरंत ही दूधवाला मेरे ऊपर चढ़ गया।

मैं खुद को समलैंगिक नहीं मानता लेकिन जब मैं छोटा था तब मुझे समलैंगिक सेक्स का अनुभव हुआ था। मेरे पड़ोसी चाचा मुझे बहका लिए थे। मैं जवान था और सेक्स के बारे में जानने के लिए उत्सुक था और जब उसने मुझे बहलाया और गोदी मे बैठा के मेरे लिंग को सहलाया तो मैं उत्तेजित हो गया।

वह मुझे अपने बेडरूम में ले जाता था जहां वो मुझे बिस्तर पर लिटा देता था और मेरे नग्न शरीर पर चढ़ जाता था। वो मुझे एक लड़की की तरह ही मसलता, चूमता और मेरे नितंबों को दबाता था। मै इतना उत्तेजित हो जाता की उत्तेजना मे कराह भरता रहता और वो मेरे शरीर को नोचते मसलते रहते। उन्होने मुझे लंड चूसना सिखाया और वो अपना वीर्य मेरे मुह मे ही गिराने लगे। पर उन्होने मेरे साथ कभी गुदा मैथुन नहीं की।

मेरा लड़को मे कोई interest नहीं था पर मेरे पड़ोस मे एक परिवार रहने आया उसके दो बच्चे थे एक 12 साल का लड़का और एक 13 साल की लड़की। दोनों मुझे अंकल कहते थे और अक्सर घर आते रहते थे। लड़का बहुत चिकना और उसकी गांड काफी भरी भरी थी, उसका चेहरा और होंट भी जैसे आमंत्रित करते हुए प्रतीत होते थे। मै दोनों लड़के और लड़की पर ट्राई मारने लगा। लड़की तेज हो चुकी थी वो एक हद तक ही आगे बढ्ने देती थी और फिर फिसल के निकल जाती थी। पर लड़का फंस गया।
एक दिन मौका लगा तो गिरा लिया साले को बिस्तर पे। उसका नंगा चिकना बदन किसी लौंडिया से कम नहीं था, साला पूरा अपनी माँ पे गया था। जब मै उसके ऊपर चढ़ के उसको रगड़ने मसलने लगा तो वो पूरा गरम हो गया और एक लौंडिया की तरह ही मुझसे चिपक के सिसकारिया भरने लगा। मै उसके होंटो और नरम नरम चूचि को चूस चूस के लाल कर दिया। जब वो कराहे भरता हुए ‘love you uncle’ कहने लगा तो मज़ा आ गया। मेरे लिए ये एक नया पर सुखद अनुभव था। जब लंड गांड मे घुसा तो हाय हाय करने लगा पर ले लिया लड़का मेरे पूरा लंड अंदर। उसको पेलने मे इतना मज़ा आया की मै सोचने लगा की ये मैंने पहले कभी क्यो ट्राय नहीं किया। इसके बाद से लड़का तो पूरा सेट हो गया और regularly मेरे पास आता है पर उसकी बहन अभी भी पूरा मज़ा नहीं लेने देती। वो गोदी मे बैठ के चुम्मा दे देती है और छातियो को मसलने देती है पर जैसे ही टाँगो के बीच जाने की कोशिश करो तो न न और टाँगे भीच लेती है। फँसेगी एक दिन वो भी।

मै जब पाँचवी कक्षा मे पढ़ता था तब मै अपने ननिहाल गया हुआ था, वहाँ गाँव मे मै गन्ने के खेतो के पास अकेला घूम रहा था तो एक अंकल मिल गए, मै उन्हे जानता भी नहीं था। वो मेरे से बड़े प्यार से बाते करने लगे और फिर एक पप्पी दे दो, बड़े प्यारे हो करके मुझे अपनी बांहों मे पकड़ लिया। वो कब मुझे गन्ने के खेत के अंदर ले गया मुझे पता ही नहीं चला। अंदर पहुँच के वो मेरे कपड़े उतारने लगा तो मै छूटने की कोशिश करने लगा पर वो मेरे को ज़ोर से दो चांटे गाल पर जमा दिया। मेरी डर के मारे घिघि बंध गयी और वो मुझे नंगा करके खेत मे लिटा लिया।
फिर वो अपना पजामा खोल के मेरे ऊपर चढ़ गया, मैंने जरा भी चू चा करता तो ज़ोर से चांटा गाल पर पड़ता। उसके कहने पे मै अपने हाथो से अपनी गांड फैला लिया और वो मेरे छेद पे थूक थूक के उंगली घुसने लगा। फिर अपना मोटा सा लंड वो मेरी गांड पे अड़ा दिया।
मै दर्द के मारे बिलबिला गया जब वो धक्का मार मार के अंदर घुसाने लगा। मै रोता रहा और वो मेरी गांड मारने लगा। पाँच मिनट मेरी गांड मे लंड अंदर बाहर करने के बाद वो मेरे अंदर ही झड गया। उसके जाने के बाद भी मै बहुत देर तक उठ नहीं पाया।

बचपन मे ही मेरे को गांडु मेरे नौकर ने बना दिया। मै छोटा था और वो 40-42 साल का मर्द, उसकी बीवी गाँव मे रहती थी तो अपनी कामवासना के लिए उसने मेरे को फुसला लिया। मुझे अच्छा लगता था जब वो मेरी लूली को सहलाता और गांड को दबाता। एक दिन घर मे कोई नहीं था तो उसने मेरे साथ मस्ती शुरू कर दी और मुझे समझा दिया की पूरा मज़ा तभी आयेगा जब वो मेरी गांड मे अपना लंड घुसायेगा। मुझे पता कुछ था नहीं की गांड मे लंड घुसवाने मे कितना दर्द होता है। वो तेल लगा के मुझे तैयार कर दिया और जब वो मुझे अपने नीचे दबा के लंड घुसाने लगा तो मेरे आंखो के आगे तारे नाच गए। मै हाय हाय करता रहा और वो मुझे फुसलाते हुए घुसाता रहा। पूरा घुसाने के बाद वो धीरे धीरे मुझे चोदना शुरू किया, मै दर्द के मारे बिलबिलाता रहा पर वो लगा रहा। मेरी गांड उसके लंड पे जैसे कसी जा रही थी पर थोड़ी देर बाद मुझे ऐसा महसूस हुआ जैसे मेरी गांड का छेद खुल गया हो और उसका लंड तेजी से अंदर बाहर फिसलने लगा। मै कराहता हुआ बिस्तर पर पड़ा रहा और वो मुझे पेलता रहा।
उस दिन के बाद से मै उससे डरने लगा और अकेले मे पास नहीं जाता था पर वो तो ताक के लगा रहता था। जब भी मौका मिलता वो मुझे बहलाने लगता। मै किसी से ये सब कह नहीं सकता था तो कितने दिन बचता, एक दिन फिर उसने दबोच लिया। थोड़ा बहला के, थोड़ा जबर्दस्ती करके वो फिर से अपनी वासना की पूर्ति मे लग गया। 3-4 बार चुदने के बाद मेरे दर्द मे भी कमी आ गयी और मुझे अजीब तरह की उत्तेजना महसूस होने लगी। धीरे धीरे वो इतना शेर हो गया की घर मे सब लोग होते तब भी वो रात को मुझे अपने कमरे मे ले जाता। मेरी गांड मारते हुए वो मेरे लंड को हिलाने लगा जिससे मेरे को और भी अच्छा लगता और जब उसक लंड मेरी गांड मे फिसल रहा होता और मेरा माल झड़ता तो मै जैसे आनंद की पराकाष्ठा पर पहुच जाता। मै उसका पूरा सेक्स slave हो गया और उसके इशारे पर उसका लंड और आँड भी चूसता। वो मेरे लिए एक साबुन ले आया जिससे बाल साफ होते और मै गर्दन के नीचे उससे नहा के हमेशा चिकना रहता। मेरी छातियो को चूस चूस के और मसल मसल के नींबू जैसे बड़े कर दिया था। साल भर मे मै expert गांडु बन गया था।

मै जब छोटा था तो हमारे पड़ोस मे एक भैया रहते थे वो मेरे लिए सेक्स ज्ञान का बहुत बड़ा स्रोत थे। वो ही मेरे को मूठ मारना सिखाये और भी बहुत से सेक्स के बारे मे ज्ञान दिये। मै उनके ऊपर बहुत भरोसा करता था और उनकी इज्ज़त भी करता था और उनको अपना आदर्श मानता था। वो भी इस बात को समझते थे और इसका वो फायदा उठाने लगे। मै उनकी मीठी मीठी बातों मे आ गया और वो मुझसे अपना लंड चुसवाने लगे। उनका लंड मेरे लंड से काफी बड़ा और मोटा था और मै बड़ी मुश्किल से उसे अपने मुह मे ले पाता था। कई महीनो तक वो मेरे साथ हर तरह के विकृत कर्म करते रहे और फिर एक दिन वो मेरी गांड भी मार लिए। मै दर्द से छटपटाता रहा पर उनका मोटा लंड मेरी गुदा के अंदर बाहर होता रहा। मेरी जहनी कैफियत कुछ एसी थी मै अपने आदर्श के लिए सब दर्द सहने को तयार था। उनकी आनंद मे डूबी सिसकरिया और गहरी साँसे महसूस करके मै भी आनंद महसूस करने लगा। एसे ही बहुत दिनो तक चला, वो कभी अपना वीर्य मेरे मुह मे तो कभी मेरी गुदा मे निकालते। मेरा भ्रम उस दिन टूटा जिस दिन वो मुझे अपने साथ रात बिताने को ले गए और वहाँ मुझे अपने दो दोस्तो के हवाले कर दिये। मेरे न कहने पर बोले की तेरे को तो गांड मरवाने मे मज़ा आता है तो फिर मेरे दोस्तो के साथ क्या नखरा कर रहा है। जब उन दोनों ने मुझे पकड़ा तो मेरी एक न चली। दोनों एक एक करके मुझे कमरे मे ले गए और अपनी मनमरज़ी की।

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