रस न आह जोबन जीवन में सोच चली रह आई

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1
रस न आह जोबन जीवन में सोच चली रह आई
रिमझिम बारिश का मौसम अनमन थी मैं रह आई
पीछे सूनी गली रही धर पुस्तक बैठी ऊपर
थी मनमारी झंक इत उत उफ़ पडी नजर तब उसपर
मुख पतला गोरा भोरा मासूम नजर सा आया
सोलह सतरह वय किशोर लड़का इक दीखा आया
सहमा तकता इधर उधर डर कोई देख न पाए
खड़ा मूतने टिक दीवार रहा ज्यूं था वह आये
उंह मन ही मन कह पल ध्यान हटाए मैं रह आई
डोला चित्त रहा पर क्या करता तक झंक मैं आई

देखा मैनें आह नज़ारा हाय कहूं क्या जो उफ़
चकराईं टिक थम आँखें दिल उछला धड़के धुक धुक
ताजा घिसा न अभी नया चिकनाया लंबा गोरा
तपा ललाया उन्मद लंड खड़ा थामे था छोरा
मगन तका लहराया लंड ठुनक था वह दुलराया
हिला हिलाए लाड़ दिए था छुए चूमता आया
उड़ रह आया धीरज मन दौड़ा रह आया उसपर
ललचाई भर आह मरी मैं हाल देखने जी भर
उठ उठ बढ़ता फुनक फुनकता फूल फूलता जाये
लम्बाया फन काढ़ गजब था लंड खड़ा लहराए

रही देख मैं भर कस मुट्ठी फांस कसे धर आया
रहा गदगदा गोरा छोरा हौले हौले हाथ चलाया
फाड़ फाड़ मुख लंड खींचता सरपट जड़ तक आता
लप्प लपालप उठ बैठा चमका बिजुरी सा जाता
चलता लंड तका जिय डूबा आया रहा समाया
चबा होठ मन कहती हाय हरामी क्या कर आया

चढ़ कठोर गुम्बद रपटी लपलप फिसली रह आती
उठ बैठी लप लप्प लगाई दंड चमडिया जाती
फूल फूलता जाता वह भर कस मुट्ठी रह आती
कड़क फुरकती उछली नीली जाल नसों की जाती
चमक चमक चलता सरपट वह भरी आह मैं जाती
आग बदन बुर लार तकी तकती मैं आई मर मर
उछल फूटती धार उधर गिरती बिजुरी इत मुझपर


उधर नयन ललचाए लंड जबर चलता था आता
कर डालूँ क्या हाय इधर मन गुन गुन सोचा जाता
बुर कुलबुल बेचैन ख्वाब भर उसको आई धरती
बस न रहा तक बहती आई पिघली छलक छलकती
रही सोच उफ़ क्या संजोग इधर प्यासी मैं मरती
बिन बुर उधर चला वह इधर बिन चुदी चूत बरसती

2
हटी न रंच आँख चलती रह घुटी लंड संग आई
तक मुट्ठी में बुर उसकी मैं भीग मचलती आई
देखा मैंने औचक बदन उसका कड़का लहराया
हाथ पाँव डुल थिरके मारता लंड उछालें आया
उड़ी फुहारें खूब उधर गचगच रस भरती सींचे
भीग चला तन तके इधर छलके आए थे छींटे
उह उह आह करूं क्या मरती मैं सोची रह आई
चिकना छोडूं इसे न आज ठान बुर कुलबुल आई
कर बैठी मन हठ न आज बिन चुदी न अब रह आऊँ
सोच जुगत आई ताजा यह कड़क लंड धर खाऊँ
छोड़ मुझे बेचैन खलबली बुर में रहा मचाए
झार गदगदा लंड मचल चल चला चैन वह पाए

बस मति जागी यहीं कटोरी एक धरी मैं आई
मौक़ा मौजूं जान गली में फेंक चलाई झंकाई
पलट देख रह आया छोरा गोरा वह मन भाया
सुनो ज़रा मैं रही पुकारी वह लौटा तक आया
बोली बड़े भले तुम कुछ तकलीफ किये रह आओ
गिरी कटोरी एक उधर बस ढूंढ ज़रा ले आओ
काम कर चली जुगत तलाशे वह बरतन रह आया
इन्तिज़ार करती मैंने अपने को खूब सजाया
पहनी तंग सॉर्ट जांघें चिकनीं चल खूब दिखाए
चोली छोटी खुली झाँक बूबें जिससे रह आएं
घूँघर डाले केस सँवारे खोल लटें बिखराईं
होठ लिपिस्टिक रंगी छाई इत्र बदन महकाई
बस अब आया तब आया तक राह रही मैं आई
काम न कुछ दीखती परेशाँ मगर ठान बन आई

3
ठग तक पल मैं रही भीग तन सर से पाँव नहाया
धुला दूध गोरा चेहरा था और चमकता आया
दुबक फूल गीले लोवर उसका वह चिपका जाए
रहा ठिठुर था सिमट न छिप रह आया मगर छिपाए
उमगी नज़र न रुकी झप्प दौड़ी उसपर रह आई
तक रह लार बहाई बुर लप लप्प फुरकाती आई
बोली अच्छे तुम न डरे यूं घबराए रह जाओ
कहर गजब बारिश बाहर चल बैठे अन्दर आओ
सुन सकुचाया वह खींची मैं चली बांह धर आई
जाना थम आये जब बारिश थपक गाल कह आई

रहते कहाँ उमर क्या पढ़ते कहाँ पूछती आई
उफ़ भीगी कमीज कितनी कह झटक उतारी आई
धर निचोड़ इक ओर रही आती बतियाई
बेसन लपटे हाथ किचन से तली पकौड़े लाई
फेर हाथ सर घबराहट मैं रही भगाई आती
चाय साथ मैं रही संग मैं बैठ खिलाई जाती
पड़ो न उफ़ बीमार हाय सरदी न लगी रह आए
दवा समझ लो इसको कह मदिरा मैं रही चखाए

चढ़ा शुरूर बदन हौले उसका उठता गरमाया
कितनी भलीं खूब सुन्दर मैडम तुम वह कह आया
तक रहता वह आया मुझको मैं उसको तक आई
लड़ टकराई आखें अदा लपेटी मैं शरमाई
लगी खूब झर बूंदों की थी हवा झकोरी जाती
रहे संग बतियाए उठा न वह न उठी मैं आती
हौले थाम चिबुक उसकी बोली पूछूं बतलाना
कसम तुम्हें कहना सच किये बहाना मत बहलाना
रिमझिम बारिश घुसे गली में चुप छिप तुम रह जाए
कहो ओट दीवार देर तक करते क्या रह आए
रह सहमी मैं एक झलक झंक तक तुमको रह आई
रही चमकती बिजली ज्यूं थी हाथ तुम्हारे आई

सुन गुमसुम हो आया औचक मेरी छाती दुबका
पूछो आह न मैडम शरमाऊँ मैं कहता सुबका
चढ़ा ज्वार तन बदन गनगना धर चूमी मुख मैं रह
बोली अरे बात क्या शरमाना कैसा आओ कह
बोला तरस बदन भर ख्वाब हुआ कैसा रह जाता
तड़पा मिट मैं रह आता उफ़ जानूं कुछ न करूं क्या
संभला आज न गदगद रस भर मार उछालें आता
पहली बार चला कर वह जिससे झिझका मैं जाता
बोला प्लीज़ कहें न किसी से वरना मैं मर जाऊं
लोग हंसें सब कसम न मुख मैं कहीं दिखा रह पाऊँ

हट बुद्धू डरता क्यूं काम असल मैं आ सिखलाती
कह लपेट कस गूंथ बिछी मैं उसको बदन चढ़ाती
बोली मिली आज मैं चल संग जन्नत तुझे दिखाऊँ
लूट मजा तरसा जिसको रस वह मैं तुझे चखाऊं
बदन भिड़े कस जूझ खुमार भरी आँखें लड़ आईं
झर चुम्बन लग चली झटकती भींच उसे मैं आई
अंग अंग पर छाप अधर धंसती कायाएं जातीं
लंड ठुनकता छुई फुरक बुर उछली उछली आती
निबट अनाड़ी पर भोरा वह इत उत भटका जाता
लोट लोट रहता फिसला पट पर न धरा बुर पाता
हारा ढूंढ ठिकाने वह पर राह न सूझी आई
हाय बड़ा भोला रे कह मुसकाई चूम उसे मैं आई
बढ़ा हाथ धर लंड खींचती टिका मुहाने आई
पेल ठेल कस छोड़ न अब चल उफ़ रे मैं कह आई
फूल कड़क फन्नाया गुदगुद चल ठेला फंस आया
रही संभाल कमर डुल कसमस बुर में लंड समाया

4
धर इक बार चढ़ा चल जोश न फिर उतरा रह पाया
पाया मौक़ा छोड़ न लंड चला चलता रह आया
छोड़े कसर न रंच चला चल उतर चढ़ा रह आये
संचित रस भरता गदगद बुर छोड़ फुहारे जाये
बुर बेहाल हुई चुद गदगद लंड फाड़ चल आया
पटक पछाड़ रगड़ धर कस बुर सान फेंटता आया
बुर चक्की सी चल पीसी चुद उड़ी फुरफुरा आती
आह आह उफ़ छोड़ न चल चोदा रे किलकी जाती
ताजा लंड चुदन पहला इत उत बुर मरी भुखाई
धर थे टूट भिड़े इक दूजे करते खूब धुनाई

गबरू लंड कंवारा हाथ पड़े जो झर था आया
फिर फिर खड़ा हुआ धरता बुर चला देर तक आया
बारिश ख़त्म न हुई चली घंटों तक बरसी आई
चली दौर पर दौर घपाघप भिड़ती छिड़ी चुदाई
किलकी जाती मैं रे लंड कड़क जबरा तू उफ़ उफ़
छोडूं तुझे न आह फाड़ खा आज लूटूं मैं चुद चुद
चल चोदा रटता वह मगन आह पहली बुर मेरी
मिली आज तू चोदा भूलूँ याद जनम ना तेरी
बाहर हवा झकोरे चल थी बारिश किये झमाझम
अन्दर छिड़ी चुदाई दिन भर चलती आई थम थम

बयां न कर पाऊँ हालत उफ़ उफ़ ऐसी हो आई
रात सुहाग न वैसी दिन उस जो मैं रही मनाई
धर आई कस गाँठ लंड इक बार न छोड़ी आई
छक हसरत पूरी करने चुदती हठ कर ललचाई
पटक दबोच फाड़ता धर धर उफ़ न थकी पर आती
दीवानी मैं और और रट लुटी अंग तुड़वाती

था मुखड़ा मासूम लंड पर उफ़ कठोर था पाये
चढ़ तूफां ज्यूं चल सरपट झकझोरे बुर था जाए
भर हिचकोले ऐंठ कमर थी डुल डुलती लहराती
ठप्प ठप्प ठुकते पुट्ठे उछली चीखी मैं जाती
झंक झंकती मैं बम्म लाल हो फूल फूलता जाये
नसें कड़क थीं चमकीं बढ़ता लंड फड़क था आये
चोदा घप्प घपाघप सरपट धर कस खोदा जाता
ठोक ठोकता लंड निकलने पार फाड़ बुर जाता
धुन चप चप सट सट्ट फकाफक पुक पुक बजती आई
थक न छोड़ता लंड रहा किलकी चुद मैं न अघाई


मौक़ा पहला मिला चला चल वह फाड़ा धर जाये
रहा चोद बुर चुदती दिन भर आई मौज मनाए
स्वाद चुदन का लंड चखाई कर बस थी मैं आई
चुद बेहाल हुई बुर उस दिन गम सब रही भुलाई
लड़ा लंड बुर खूब उठे फारिग दोनों रह आये
चुटक गाल धर भरी प्यार मैं कह आई मुसकाये
हुआ जवां तू आज आह कह अब कैसा लग आया
मजा हाथ में या बुर लंड दिए तूने रह पाया
बोला वह उफ़ गजब गदगदा लंड आज सच आया
जोड़ न बुर प्यारी का चख मैं स्वाद धन्य हो आया
कहा चूम चख स्वाद चुदन बुर जितनी रहा धरूं री
लौटा चढ़ चढ़ आऊं चैन न लंड बिना बुर तेरी

चुदी खूब बिंदास मस्त बुर जो थी मरी भुखाई
हुई चीथड़े उड़ी बिखर फट उधड़ी मौज मनाई
चली बरस झर झर भीगी धर लंड रही नहलाए
भूली दुनिया संग उसके मैं चली डूब थी आए
उफ़ वह दिन वह बारिश पल वे रह कैसे लौटाऊँ
क्वांरा लंड कड़क छोरा भोरा वह भूल न पाऊँ

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