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Click hereबहुत अँधेरा है कमरे में रौशनी कर दो । उतार दो यह पैराहन, चांदनी कर दो ।।
चली भी आओ मैं जकड़ूँगा तुम को बाँहों से । मैं पीना चाहता हूँ आज बस निगाहों से ।।
दिखा के अपना हुस्न मेरे होश गुम कर दो । कि आज प्यार की पहली पहल भी तुम कर दो ।।
चले भी आओ तड़प के हमारी बाँहों में । कि अपनी सांस मिला दो हमारी सांसों में ।।
मेरे जलते हुए होठों पे अपने लब रख दो । उतार दो ये कपडे पलंग पे सब रख दो ।।
मैं अपने लबों को रख दूँ तेरे रुखसारों पे । और अपने हाथ फिराऊँ तेरे उभारों पे ।।
तुझे सर से पाँव तक मैं चूमता ही रहूँ । तेरे कंधे , तेरी छाती को चूसता ही रहूँ ।।
मैं चाहता हूँ छेड़ना तेरे सारे अंगारों को । दबा के चूस के पी लूँगा इन उभारों को ।।
तेरा वोह अंग जो दुनिया में सब से प्यारा है । मैं उसे जीभ से चाटूं तेरा इशारा है ।।
फिरा के हाथ बदन पे मैं सज़ा दूँ तुझको । फिर अपनी जीभ से ज़न्नत का मज़ा दूँ तुझको ।।
मेरे लिए भी तो यह काम एक बार करो । मुंह में लेके चूसो इसे और प्यार करो ।।
फिर आओ इसके बाद एक हो जाएँ हम तुम । मुझे अपने बदन में पूरा समा लेना तुम ।।
और इस खेल में आखिर में वोह मुकाम आये । मेरे बदन में जो भी कुछ है तेरे काम आये ।।
चले आओ मेरी खुशियों को सौ गुणी कर दो । बहुत अँधेरा है कमरे में रौशनी कर दो ।।