चौधराईन की दरबार (भाग-1)

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चौधराईन की दरबार में सबको बराबर की इंसाफ मिलेगी ।
4.5k words
3.6
174.9k
5

Part 1 of the 3 part series

Updated 11/02/2022
Created 11/28/2012
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हमारे गांव के चौधरी साहब का नाम विजयबाहादुर सिंह है और चौधराइन का नाम माया देवी है। चौधरी साहब की उम्र लगभग 45 की थी । चौधराईन की उम्र भी लगभग 43 की थी । चौधराईन माया देवी पुरुषों के बराबर की लम्बी तगड़ी पर बेहद गोरी चिटटी व सुन्दर महिला थी । माया देवी, प्रभावशाली व्यक्तित्व के अलावा एक स्वस्थ भरे-पूरे शरीर और की मालकिन भी हैं।

अच्छे खान पान तथा मेहनती दिनचर्या से उनके बदन में सही जगहों पर भराव है । सुडौल मांसल बाहें , बेहद गुदाज बदन तरबूज के जैसी बड़ी बड़ी चूचियो, कमर पतली पर केले के खम्भों जैसी मोटी भरी भरी मांसल जांघे, भारी बड़े बड़े उभरे हुए नितंबं के कारण बुरी न लग के मादक लगती हैं और पीछे से तो गुदाज पीठ के नीचे भारी चूतड़ भी गजब ढाते हैं । सुंदर रोबदार चेहरा तेज तर्रार पर नशीली आंखे तो जैसे दो बोतलें शराब पी रखी हो ।

वह अपने आप को खूब सजा संवार के रखती हैं। घर में भी बहुत तेज-तर्रार अन्दाज मे बोलती हैं और सारे घर के काम वह खुद ही नौकरो की सहायता से करवाती हैं । उन्होंने अपनी जागीरी के सारे पद का भार गांव की औरतों को दे रखी थी, क्योंकि उन्हें मर्दों से ज्यादा भरोसा औरतों पर था ।

उसने सारे घर को एक तरह से अपने कब्जे में कर रखा है। उसकी सुंदरता ने उसके पति को भी बांध कर रखा है शुरू से ही उसके ऊपर पूरा हुकुम चलाती थी । चौधरा व चौधराईन दोनो ही बहुत रंगीन मिजाज थे और वो दोनो ही एक दूसरे के कामों में दखल नही देते थे ।

माया देवी कुछ ज्यादा ही गरम लगती हैं। उसका नाम ऐसी औरतों में शामिल है जो पायें तो खुद मर्द के ऊपर चड़ जाये। गांव की लगभग सारी औरते उनको मानती हैं और कभी भी कोई मुसीबत में सनेफँ पर उन्हें ही याद करती है । पर एक राज गहरी राज छिपी हुई थी उनमें । जिसे महल के कुछ खास लोगों को पता था ।

दरअसल शादी के 10 साल बीत जाने पर भी चौधराईन की कोख सुनी रही । बडे-बडे डॉक्टरों को दिखाने के बाद भी दोनों को निराशा ही मिली । सन्तान की चाह ने दोनों को हर व तरीका अपनाने के लिए मजबुर कर दिया था जो कानुनन गैर था ।

हर व रास्ता अपनाने के बाद जब बच्चा नहीं हुआ तो एक दिन हिमालय से आए एक बाबा के यहां चौधराईन गईं और उन्हें अपनी समस्या बताई । और साधु महाराज ने चौधराईन की ईलाज शुरु कर दी । उन्होंने दोनों को धर्य से काम लेने को कहा, और कहा कि सब उपर वाले की ईच्छा है ।

दिन बितते चले गए, साधु बाबा ने चौधराईन को ईलाज के सारे तरीके बता कर वापस हिमालय लौट गए ।
ईलाज बडी जरों से चल रहा था । इसी बिच चौधराईन की चुत दिन व दिन सिकुडता चला गया, पर दोनों बाबा की बात मानते हुए धर्य बांधकर ईलाज चालू रखा । नतीजा ये हुआ की, चौधराईन की पूरा सिकुड गया और उस स्थान पर एक लंड पनपने लगा । इतना कुछ होने के बाद भी चौधरी और चौधराईन कोई चमत्कार होने की आशा में साधु बाबा के कहे ईलाज जारी रखा ।

चमत्कारी तो हुई नहीं लेकिन एक ही हफ्ते में चौधराईन की लंड बढकर 5 इंच का हो गया, बिल्कुल चौधरी साहव के लंड के बराबर । मजबुरन चौधरी साहव ने ईलाज बंद कर माया देवी को डॉक्टर के पास ले गए । पर तब तक बहुत देर हो चुकी थी ।

डॉक्टर ने अपनी असर्थता जाहिर करते हुए कहा-
"आप लोगों ने आने में बहुत देर कर दी, अब कुछ नहीं हो सकता । ढोंगी बाबा की बात मान कर आप बहुत बडी गलती कर दी, आपकी लंड पुर्ण-विकसित हो चुका है । इसे आपकी शरीर से हटाना अब सम्भव नहीं... आपकी जान को खतरा हो सकता है । पर कोई परेशानी की बात नहीं, लंड के साथ भी आप आराम से जिन्दगी बिता सकतीं हैं ।"

और इस तरह बिचारी चौधराईन पहले तो बडी असमंजसता में पडी, लेकिन जब लंड से एक नयी सुखद अनुभूती मिली तो उनकी सारी गिले-शिकवे दुर हो गईं । और लंड से मजा लेना शुरु कर दी । फिर एक ही साल में चौधराईन की लंड बढ कर विशाल रुप ले लिया । पहले से ही व ज्यादा गरम रहती थीं.... और अब माया देवी अपनी सारी गरमी लंड पर महसूस करने लगी ।

इसके बाद चौधरी साहव ने अपनी अलग सी दुनिया बसा लिया था । काम-वासना के मांमले में भी वह बीवी से थोड़ा उन्नीस ही पड़ता था सो अगर चौधराइन ने कभी हाथ धरने दे दिया तो ठीक नहीं तो गांव की कुछ अन्य औरतों से भी उसका सम्बन्ध था । चौधरी बेचारा तो बस नाम का ही चौधरी है असली चौधरी तो चौधराइन हैं।

गांव के वैद्यराज पन्डित सदानन्द पान्डे चौधराइन के गाँव के थे और पंडिताईन चौधरी साहब को अपना भाई मानती हैं । उनके घर में तीन ही सदस्य हैं, एक पुरूष जिसकी उम्र 58 साल है और उनकी पत्नी राजेश्वरी देवी जिनकी उम्र 48 के करीब है, उनकी एक बेटा 30 साल का है ! पंडिताईन बहुत सुन्दर हैं, अधेड उम्र में भी वदन एकदम कसा हुआ गठीला था । बिल्कुल 29 साल की छोरीयों की चरह मस्त माल है ! मस्त चूचे मोटे-मोटे, बड़ी गाण्ड ! कुल मिला कर बिल्कुल काम की देवी लगती है। उनकी चूचियाँ 38 इन्च की होंगी और गांड 40 इन्च के करीब ! गांव के सारे मर्द पंडिताईन को चोदने को सोचते रहते थे । वैसे औरतें भी उनकी गठीले गदराये बदन को देख के ललचा जाती थीं ।

दिन इसी तरह बीत रहे थे। चौधरी सबकुछ चौधराइन पर छोड़ बाहर अपनी ही दुनिया में अपने में ही मस्त रहते हैं । अगर घर में होते भी तो सबसे बाहर वाले हिस्से में ही रहते हैं वहीं वे अपने मिलने वालों और मिलने वालियों से मिलते हैं । चौधराइन का सामना करने के बजाय नौकर से खाना मंगवा बाहर ही खा लेते और वहीं सो जाते ।

दरअसल चौधरी रोज रात मे हवेली की किसी एक औरत को चोदने के लिये बुलवाता था लेकिन सप्ताह मे एक बार अय्यासी का दरबार लगाता था। चौधरी साहब की हवेली में हमेशा तीन खूबसूरत नौकरानियॉ चहकती रहती थी। तीन नौकरानी नीरा बेला और शीला चौधरी विजयबहादुर सिंह की चहेती थी। जब पहली बार इन तीनों को एक साथ बुलवाया था तो इनके आदमी फरियाद लेकर चौधराईन के पास गये थे।

चौधराईन के पूछने पर बेला के पति बलदेव उर्फ बल्लू ने डरते हुए कहा –
“मालकिन अभी तक तोग चौधरी साहब हम मे से किसी एक की औरत को अपनी सेवा मे बुलवाते थे हमे कोई एतराज नहीं क्योंकि हमारा तो काम ही आप सबकी सेवा करना है और हमारी औरतो की तरह हम सब भी दोस्त हैं सो अगर तीन मे से दो भी घर मे हो तो हमारा भी काम चल जाता था क्योंकि हम सब भी मर्द हैं हमें भी रात मे औरत की जरूरत पड़ती है।”

सुनकर चौधराईन मुस्कुरायी उन्होंने एक भरपूर नज़र तीनों मर्दोंपर डालीऔर मुस्कुराते हुए बोली –
“ ठीक तुम लोग अभी काम से आये हो थके होगे नहाधो आओ तुम्हारा इन्साफ़ होगा।”

जब वे नहाधोकर आये तो देखा चौधराईन के कमरे मे उनके पलंग से अलग एक बहुत बड़ा गददा बिछा है उसपर गाव तकिया लगाए चौधराईन मुस्कुराते हुए अपनी पीठ के बल अधलेटी हैं उनके बदन पर कपड़ों के नामपर सिर्फ़ पेटीकोट ब्लाउज थे। जिसमें से उनका गदराया गुलाबी बदन जगह जगह से झॉक रहा था। उनके बड़े गले के लोकट ब्लाउज में से उनके बड़े बड़े उरोज फ़टे पड़ रहे थे इन तीनों को देखकर मुस्कुराते हुए बोली –
“आओ आओ बैठो बैठो। अब मुझे विस्तार से बताओ कि चौधरी साहब के कमरे मे तुमने क्या देखा।”

तीनो ने एक दूसरे की तरफ़ देखा फिर नन्दू ने कहना शुरू किया –
“अब क्या बताये मालकिन मैने देखा चौघरी साहब की नंगी गोद में नीरा पेटीकोट ऊपर किये अपने बड़े बड़े गुदाज नंगे चूतड़ों के बीच में उनके साढे सात इंची हलव्वी लण्ड को दबाये बैठी थी।”

चौधराईन मुस्कुराते हुए बोली –
“अरे तेरा हिसाब साफ़ करना तो बहुत ही आसान है।”

यह कहकर उन्होंने खीचकर उसे बगल में बैठा लिया और झटके से उसकी धोती खीचकर निकाल दी फिर अपने दोनों हाथों से धीरे धीरे अपना पेटीकोट ऊपर उठाने लगी पहले उनकी पिण्डलियाँ फिर मोटी मोटी चिकनी गोरी गुलाबी जांघें बड़े बड़े गुलाबी भारी चूतड़ दिखे और फिर एक 8 इंच का लन्ड लहराता हुआ चौधराईन की मांसल जांघों के मध्य से बाहर निकल आया । चौधराईन की गदराई चुतडों के मघ्य से घने झांटों से भरा लन्ड देखकर तीनों दंग रह गये । उनको समझ नहीं आया अब चौधराईन के साथ किस तरह से पेश आएं ।

चौधराईन अपनी पूरा पेटीकोट ऊपर समेट कर लंड को मुठ्ठी में भर नन्दू की नंगी गोद में बड़े बड़े गुलाबी भारी चूतड़ों को रखकर बैठ गयीं। फिर बोली –
“अब बताओ फिर क्या हुआ।”

पहले तो चौधराईन का यह बडा सा लंड देख कर सबके जोश ठंडा पड गया, पहली बार वे किसी औरत की लंड देख रहे थे । लेकिन उनकी यह दोहरी मस्ताना रूप देखकर कुछ ही पल में उनकी हिम्मत दुगनी जोश क साथ बढी और धीरा बोला –
“हमने देखा चौधरी साहब के एक तरफ़ शीला और दूसरी तरफ़ बेला बैठी थी । साहब के हाथ उनकी गरदनों के पीछे से होकर उनके ब्लाउज में घुसे हुए थे और उनके उरोजों से खेल रहे थे।”

चौधराईन चहकी –
“अरे ये तो और भी आसान है आ जाओ दोनों फ़टाफ़ट।”

इतना सुनना था कि दोनों चौधराईन की तरफ झपटे । चौधराईन के ब्लाउज में एक तरफ से धीरा ने हाथ डाला और दूसरी तरफ से बल्लू ने । चौधराईन के ब्लाउज के बटन सारे के सारे खुल गये और उनके बड़े बड़े खरबूजों जैसे गुलाबी स्तन बाहर आ गये। धीरा और बल्लू अपने दोनों हाथों से उनके एक एक विशाल स्तन को थाम कर उनके निप्पल को कभी चूसने लगते तो कभी अपने अंगूठो और अंगुलियो के बीच मसलने लगते।

उधर नन्दू का लण्ड चौधराईन के बड़े बड़े गुलाबी भारी चूतडों के बीच साँप की तरह लम्बा होकर उनकी बडे-बडे अंडों तक फैल रहा था। व चौधराईन की गोरी गदरायी कमर को सहलाते हुए उनके गुदगुदे चिकने पेट और नाभी को टटोल रहा था और उनकी गोल नाभी में उंगली डाल रहा था । चौधराईन सिसकारी भरते हुए बोली–
“आ.हहहह... बताओ .......आगे क्या हुआ ।”

धीरा और बल्लू चौधराईन के बड़े बड़े स्तनों को मसलते हुए बोले–
“पता नहीं मालकिन क्योंकि फिर हम चले आये आपके पास फ़रियाद लेकर।”

चौधराईन ने चुटकी ली –
“अभी तो कह रहे थे कि तुम भी मर्द हो क्या अन्दाज़ा नहीं लगा सकते।”

यह कहते हुए उन्होंने झटसे उनकी धोतियॉं खीचकर निकाल दी अब उनके नीचे के बदन बिलकुल नंगे हो गई
उन लोगों ने देखा कि चौधराईन की लन्ड बार-बार हवा में ऊपर-नीचे हो रहा है । चौधराईन की हवा में लहराते फौलादी लन्ड देखकर तीनों मस्त हो रहे थे । फिर चौधराईन ने अपने दोनों हाथों में उनका एक एक लण्ड थाम लिया और सहलाने लगी ।

चौधराईन के ऐसा करने से वे और भी जोश में आ गये और उनकी बड़ी बड़ी चूचियॉं को जोर-जोर से दबाने और उनके निप्पल को कभी चूसने कभी चुभलाने लगे । तभी नन्दू ने चौधराईन की तनी लंड को मुठ्ठी में भर लिया और सुपाडी पर अपनी अंगुली चलाने लगा, चौधराईन के मुंह से एक सिसकारी सी निकली वो अपने होंठों को दांतों में दबाये थी । वह अपने आपको रोक नहीं पा रही थी। वह नन्दू को उत्साहित कर रही थी । नन्दू का लण्ड भी तन रहा था।

अचानक चौधराईन उठ गयी और पलट कर नन्दू की तरफ घूम कर फिर से उसकी गोद में बैठ गयीं । चौधराईन की मोटी-मोटी नर्म चिकनी जांघों के बीच में उनकी फौलादी लण्ड का सुपाड़ा की नन्दु की लंड की तरफ़ मुंह उठाये था । नन्दू भी उत्तेजन में अपन आप से बाहर हो रहा था, उसने झपट़कर दोनों हाथों में चौधराईन की बड़ी बड़ी चूचियों दबोच ली और उठकर उनपर मुंह मारने लगा ।

अब चौधराईन ने नन्दू के लण्ड को पकड़कर सुपाड़ा अपनी चौडी गांड के भूरे छेद पर धरा और धीरे-धीरे पूरा लण्ड चूत में धंसा लिया फिर बरदास्त करने की कोशिश में अपने होंठों को दांतों में दबाती हुयी पहले धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू किये जब मजा बढ़ा तो उन्होंने अपने दोनों हाथों में धीरा और बल्लू का एक एक लण्ड थाम लिया और वो सिसकारियॉं भरते हुए उछल-उछल कर धक्के पे धक्का लगाने लगी ।

चौधराईन के बड़े-बड़े उभरे गुलाबी चूतड़ नन्दू के लण्ड और उसके आस पास टकराकर गुदगुदे गददे का मजा दे रहे थे, साथ में चौधराईन की बडी सी लंड नंदु के पेट में रगड खा रहे थे ।

करीब आधे घंटे तक की उठापटक में नन्दू ने चौधराईन की बड़ी-बड़ी चूचियां पकड़कर एक साथ मुंह में दबा ली और दुसरे हाथ से चौधराईन की लंड को जोरों से मुठिया रहा था । तभी नंदु उनके चूतड़ों को दबोच कर अपने लण्ड पर दबाते हुए गांड की जड़ तक लण्ड धॉंसकर झड़ने लगा तभी चौधराईन के मुँह से जोर से निकला –
"उम्म्म्म्म्म्म्म्हहहहह.......हह "हहह।

चौधराईन जोर से उछली और अपनी उभरी गांड में जड़ तक नन्दू का लण्ड धॅंसा लिया और चुतड को लण्ड पर बुरी तरह रगड़ते हुए नंदु की लंड से निकले पानी का मजा लेने लगी ।

धीरा व बल्लू के लण्ड अभी भी उन्होंने अपने हाथों में पकडे हुए थे जो बुरी तरह फनफना रहे थे । यह हालत देखकर चौधराईन मुस्करायी और अपनी लंड को सहलाते हुए बोली–
“घबराओ नहीं मैं अभी झड़ी नहीं हूँ और एक रात में मैं कम से कम दो राउण्ड चोदाई तो करती ही हूँ , अभी मैं तुम दोनों की गांड मारुंगी ।"

बल्लू ने डरे हुए नजरों से धीरा और चौधराईन की तरफ देखा और बोला-
"मालकीन मैं तो हम लोग तो कभी अपनी गांड नहीं मराई है हमसे गलती हो गई....।"

"साले गांड क्या मर्द ही मार सकते हैं !!! बडे आए थे मेरी चुत मारने !!! एक-एक की गांड मारके छोडुंगी मैं, बहुत दिन हो गए गांड छेद में लंड पेले हुए ।" गुस्से से चौधराईन बोली ।

“तो फिर ठीक है मालकिन आप अभी आधे रास्ते पर हो सो अभी धीरा निपटा लो ।" बल्लु ने कहा ।

फिर चौधराईन मुस्कराते हुए बोली-
“अच्छा ये बात है तो फिर तैयार रहना ।”

चौधराईन धीरा को इशारे से बुलाया । धीरा उनके गदराये गोरे गुलाबी नंगे जिस्म और लाल पड़ गयी बड़ी बड़ी चूचियों को देख रहा था वह उनके निप्पल को अपने मुंह मे लेकर चुभलाने और अपनी जीभ से खेलने लगा । चौधराईन ने अपनी नंगी नर्म चिकनी संगमरमरी जांघों को अलग किया और अपनी तनी लंड को मुठियाती हुई बोली-
"आजा प्यारे धीरा मेरी लंड तैयार ह।"

चौघराईन धीरा को चित लिटा दिया और उसके दोनों टांगो के बीच में बैठ गयी और घीर के जांघों को फैला दी । इस से धीरा की गांड का छेद चौघराईन को साफ़ दिखने लगा । उसने धीरा की गांड के छेद में एक ऊँगली लगाईं । उनकी उंगली लगाते ही धीरा की बदन में सिरहन दौड गई ।
चौघराईन ने धीरे से उसकी गांड के छेद में उंगली डाली और चारों तरफ घुमाया । इस से धीरा की गांड का छेद कुछ खुल गया ।

धीरा दर्द और मस्ती से चिल्लाने लगा पर चौघराईन उसकी एक ना सुनी, और गिनती बढाती हुई उसकी गांड में लगभग अपनी चार ऊँगली को थूक लगाते हुए डाल आगे-पीछे करने लगी । फिर चौघराईन अपनी लंड के चमडी को नीचे की और लाल सुपाडी को बहार निकाली फिर सुपाडे पर ढेर साका थुक लगाई ।

अब चौघराईन दोनों अंगूठों से धीरा की गांड के छेद को फैला कर अपने लंड को उसकी गांड के छेद पर टिका
दिया । और धीरा के गांड के छेद के ऊपर अपनी लंड का सुपाड़ा धरा और उसे छेद पर रगड़ने लगी । थोड़ी देर में चौधराईन मारे उत्तेजना के आपे से बाहर हो गयीं और सिसकारियॉं भरने लगी । धीरा समझ गया उसने झपट़कर
निचे से दोनों हाथों में चौधराईन की बड़ी-बड़ी चूचियाँ दबोच लिया ।

घीरा बहुत घबरा रहा था क्यूंकि चौघराईन की लंड बहुत कि लंबा और मोटा था । चौधराईन उसके ऊपर झुककर गुलाबी होंठों को धीरा के होंठों पर रखकर लण्ड का सुपाड़ा गांड में धकेला.... सुपाड़ा अन्दर जाते ह़ी उनके मुँह से निकला -
“ओहहहहहहह शाबाश धीरा ..तेरी गांड बहुत टईट है.. ।”

धीरा चौधराईन की बड़ी-बड़ी चूचियों को जोर-जोर से दबाते हुए उनकी गुलाबी होंठों को चूसने लगा । धीरा का गांड बेहद गरम था । चौधराईन की पूरी लण्ड अन्दर जाते ह़ी उनकी मुँह से निकला-
“आहहहहहहहहहहहहहहह आह वाहहहह शाबाश धीरा अब लगा धक्का निचे से ।”

कहने के साथ चौधराईन ने थोड़ा सा लण्ड बाहर निकालकर वापस धक्का मारा दो तीन बार ह़ी धीरे-धीरे ऐसा किया था कि धीरा के मुँह से निकला-
“मालकीन थोडा धीरे से आह... ।"

"शाबाश ....लगा धक्के पे धक्का मेरी लंड पर उधर तेरी बीबी चौधरी साहब के लण्ड से जम के मजे ले रही होगी। तू भी मजे ले उनकी बीबी की लंड से गांड मरवा के और मेरी चूचियों और जिस्म का रस चूस के ।”

धीरा को अब मजा आने लगा था चौधराईन की लंड से गांड मरवाने में,उत्तेजना के मारे व अपने आप से बाहर हो जोर-जोर से चौधराईन की लंड में गांड पेल के चुदने लगा । चौधराईन की गदराये गोरे गुलाबी नंगे जिस्म को दोनों हाथों मे दबोचकर उनको अपने ऊपर झुकाकर उनकी बड़ी-बड़ी गुलाबी चूचियों के साथ खेलने और सारे गदराये जिस्म की ऊचाइयों व गहराइयों पर जॅहा-तॅहा मुंह मारते हुए अपना गांड मरवाने लगा।

हर धक्के लगाने के बाद चौधराईन की मुंह से आवाजें आ रही थी-
"आह आहहहह उम्म्म...आहहहहहह उम्म्म्ह.....।" उनकी उछलती संगमरमरी जांघ और भारी चुतडों को पिछे लगे शीशे में देख धीरा पागल हो रहा था ।

धीरा ने अपनी दोनों टांगे हवा मे फैला दिया था, जिससे चौधराईन की लण्ड उसकी गांड की जड़ तक धॉंसकर जा रहा था । फिर चौधराईन ने धीरा के दोनों टांगे उठाकर अपनी कंध़ों पर रख दी । अब हर धक्के पे चौधराईन की चिकनी संगमरमरी जांघें धीरा की गांड से टकराकर गुदगुदे गददे का मजा दे रहे थे, जिससे फट-फट की आवाज आ रही थी ।

तभी अचानक चौधराईन ने दोनों हाथों में धीरा की चूतड़ों को दबोचकर उसे गोद में उठा लिया और खड़ी हो गई । न जाने कितनी ताकत छिपी थी चौधराईन की बाजुओं में । धीरा उनके गुलाबी मांसल बाहों बड़ी बड़ी गुलाबी चूचियों को होंठों दांतों मे दबा चूसने लगा । अब चौधराईन भी निचे से अपनी गुदगुदे गददेदार चूतड़ उछाल उछाल कर धीरा की गांड में जड़ तक लण्ड घुसा कर चोदने लगी ।

करीब आधे घंटे तक पागलों की तरह चौधराईन ने धीरा के नंगे जिस्म को दोनों हाथों मे दबोचकर चोदने के बाद
ऐसा लगा कि अचानक दोनों के जिस्म ऐंठ रहे हों तभी चौधराईन ने धीरा को नीचे गद्दे पर लिटा दिया और हुमच
हुमचकर गांड में लंड पेलने लगी कि अचानक तभी चौधराईन ने जोर से अपने उभरी चूतड़ों को उछाला और
अगला धक्का मारा कि उनके जिस्मों से जैसे लावा फूट पडा । चौधराईन के मुंह से जोर से निकला-
"आहहहह ....उईईई ...।"

चौधराईन उपर से अपनी कमर और चूतड़ों का दबाव डालकर अपनी लंड के धीरा की गांड में जड़ तक धॉंसकर झड़ रही थी और धीरा भी एक हाथ से अपना लंड और दुसरी हाथ से उनकी भारी चूतड़ों को दबोचकर चौधराईन की पेट पर पिचकारी छोड दी ।

चौधराईन निढाल हो धीरा के ऊपर लुढक गई । थोड़ी देर में चौधराईन उठी और धीरा की गांड से अपनी लंड निकालते हुए बोली-
"हाय बल्लू मैं तो बहुत थक गयी हूँ,अब मैं गरम पानी से स्नान करूंगी तभी थकान उतरेगी ।

बल्लू ने कहा ठीक है मालकिन चलिये मैं भी आपकी मदद करता हूँ । वो देख रहा था कि चौधराईन का लन्ड डबल चुदाई की थकान से निढाल है। उसने उनकी दोनों बगलों में हाथ डाल सहारा देकर चौधराईन को उठने में मदद की । बगलों में हाथ डालकर उठाने में चौधराईन की बड़ी-बड़ी चूचियां भी बल्लू के हाथों में आ गयी । वो उनकी तरफ़ देखने लगा।

बल्लू को अपनी तरफ़ देखता पा कर चौधराईन बोली-
“क्या देख रहा है बल्लु !!!.मेरी लंड देख रहा है.... अरे तु चिंचा मत कर, अभी ये तीसरे राऊंड के लिए तैयार हो जाएगा ।"

बल्लू ने जवाब दिया-
“कुछ नहीं मालकिन देख रहा था साले के गांड बहुत टाईट है .... कैसा रगड़कर आपकी लंड को लाल कर दिया है।”

ठकुराइन ने मुस्कराते हुए अपनी मुरझे हुए मोटा लण्ड को थामकर सहलाते हुए जवाब दिया-
“तू घबरा मत अभी चौधराईन में बहुत दम है अभी गरम पानी से स्नान करने के बाद तीसरा राउण्ड में पुरा का पुरा मजा दुंगी तुझे । अगर उसके बाद भी दम बचे तो सारी रात अपनी है।”

बल्लू मान गया कि एक जबरदस्त गांड चोदने के बाद भी चौधराईन की लन्ड दुसरे को चोदने का दम रखती है और अपने चौधरी साहब से किसी तरह कम नहीं है।

चौधराईन आगे-आगे और व पीछे-पीछे बाथरूम की तरफ़ जाने लगे । बल्लू बाथरूम की तरफ जाती चौधराईन
को देख रहा था । वो पूऱी तरह नंगी थी उसकी गोरी गुलाबी भरी हुई चिकनी पीठ उभरी हुई भारी चूतड़ चलने पर थिरक रहे थे । बाथरूम में पहुँचकर चौधराईन टब का फव्वारा चलाने के लिए झुककर उसकी टोटी घुमाने लगी । झुकी हुयी चौधराईन की बड़े-बड़े गुलाबी चूतड़ों के बीच में से लम्बा मोटा लन्ड और बडे-बडे अंडे दिखे जिससे वो चोदने वाली थी ।

चौधराईन टब में घुस गयी ओर बल्लू एक हाथ में फव्वारा लेकर दुसरे हाथ से चौधराईन का संगमरमरी गदराया बदन मलमलकर नहलाने लगा । बल्लू के मर्दाने हाथ बड़े बड़े उरोजों पर फिसल रहे थे। मर्दाने हाथों के स्पर्ष से वो फिर से उत्तेजित होने लगी थी।

बल्लु चौधराईन को होंठों से पकड़कर चूसने लगा निप्पलो को बारी बारी से होंठों में ले कर चुभलाने चूसने लगा बल्लू के मरदाने हाथ उनकी मोटी मोटी चिकनी गुलाबी जांघों उनके बीच में आधी तनी हुई लन्ड और अंडकोष से होते हुए भारी नितंबों सुन्दर टांगों पर फिसल रहे थे।

बल्लू के होंठ चौधराईन के बड़े-बड़े उरोजों गदराये पेट गोल नाभी से फिसलकर काले बालों से भरी मूषल लंड पर पहुंचे । बल्लू ने चौधराईन की लंड होंठों में दबाकर चूसते हुए कहा-
“हाय मालकिन मैनें कभी सोचा भी नहीं था कि औरतों की भी इतनी बडी लंड होगी !!!! ।"

"अरे .....तुने क्या सोचा था लंड केवल मर्द के पास होगा ?... हम लोगों के पास भी लंड है और मैं पुरी तरह से चोदाई कर सकती हुं..।"
यह कहकर चौधराईन टॉब से उठ गई और बल्लू को टॉब में पेल दिया और अपनी साढ़े नौ इंच की मूषल लंड को थाम कर उसकी गांड के छेद पर रगड़ने लगी ।

चौधराईन ने अपना एक पैर टब की दीवार पर जमायी और उस पर बल्लू ने अपना जांध चढ़ाया अब चौधराईन की लण्ड का सुपाड़ा ठीक छेद के मुंह पर था । बल्लू न अब अपने दोनों हाथों की उंगलियां उनके भारी चूतड़ों पर जमा गांड उचकाया तो सट से चौधराईन की पूरी लण्ड उसके गांड के अन्दर चला गया । पूरा लण्ड अन्दर जाते ह़ी ठकुराइन ने सिसकारी भरी-
"उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म महा ।"

चौधराईन ने भी तीन चार धक्का कस के लगाई फिर लण्ड को गांड के अन्दर ही रहने दिया और बल्लू को वैसे ही गोद में उठा लिया । बल्लू ने अपना दोनो टॉगें चौधराईन की उभरी गुदाज गांड के इपर लपेट लिया और अपना बाहें उनकी गले में डाल दिया ।

चौधराईन की बड़ी-बडी स्तन बल्लू के छाती से टकरा रहे थे । चौधराईन अपने दोनो हाथ बल्लू के चूतड़ों पर जमाये हुए उसे कमरे की तरफ़ ले चली । चलने से लगने वाले हिचकोलों से चौधराईन की लण्ड बल्लू की गांड में थोड़ा अन्दर- बाहर हो रहा था। कमरे में पहुँचकर उन्होंने देखा नन्दू और धीरा जमीन वाले से गद्दे से उठकर पलंग पर सो रहे हैं।

चौधराईन को हॅंसी आ गयी व बोली-
“काफ़ी समझदार हैं साले हमारे चुदायी के खेल के लिए पूरा ही गद्दा खाली कर दिया।”

फिर व हॅंसते हुए बल्लू को गोद से उतार दिया जिससे चौधराईन की लण्ड बल्लू की गांड से झटके से निकल गया और उनकी मुँह से “हाय” निकल गयी । उसने एक तौलिया बल्लू को दिया क्योंकि वो भी भीग गया था दूसरे से अपना बदन पोंछने लगी । बदन पोंछकर दोनों गद्दे पर आ गये। चौधराईन की लण्ड मीनार की तरह खड़ा था ।

चौधराईन और बल्लू ने एक दूसरे की तरफ करवट ली बल्लू ठकुराइन की बड़े-बड़े उरोजों और निप्पलों को टटोलते हुए बोला-
“हाय मालकिन अब तो शुरू करें।”

चौधराईन ने बल्लू के पीछे लेट गई और पीछे से उसे अपनी बाहों में भर कर उसकी पीठ पर स्तनों को रगडने लगी । बल्लू ने भी गरदन पीछे कर चौधराईन की रसीले होंठों को चुमने लगा । चौधराईन की लंड एकदम खडी हो गई थी और बल्लू के गांड पर रगड खा रहे थे । तभी चौधराईन ने अपनी एक उंगली बल्लू के मुंह में घुसा दी।
बल्लू ने चौधराईन की उंगली को चुस के पुरा गीला कर दिया ।

फिर चौधराईन अपनी गीली उंगली को बल्लू की मुंह से निकाल के सीधे उसकी गांड छेद में डाल दी और गोल-गोल घुमाने लगी । बल्लू को चौधराईन की हरकतों से मजा आने लगा था । कुछ देर उसक गांड में उंगली अंदर-बाहर करने बाद चौधराईन ने बल्लू की एक टांग उपर उठा दी, अब उसके गांड का छेद फैल गया ।

चौधराईन अब अपनी लण्ड को हाथ से पकड़ कर सुपाड़ा ठिकाने से लगाया और धक्का मारा । उनका पूरा का पूरा लण्ड अन्दर चला गया और उनकी मुँह
से सिसकारी निकला गई–
"ओहहहहहहहहहहह भई वाह।"

चौधराईन अब बल्लू के पीठ पर अपनी चुचीयों के निप्पलों को दबाती हुई धीरे-धीरे कमर चला कर रगड़ते हुए चोदने लगी । बल्लू के एक हाथ की उंगलियां चौधराईन की मोटी-मोटी संगमरमरी चिकनी जांघों को सहला गद्देदार भारी नितंबों को दबा रह था।

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