होली का धमाल- १

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आलम अब मेरे बूब्स को मसलते हुए रंग लगा रहा था।
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agraj1007
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मैं आपको अपनी एक प्रसंशक ने जो बताया उसे ही उसकी अनुमति से यंहा कहानी के रूप में प्रस्तुत कर रहा हूँ। आशा है आपको पसंद आएगी। तो कहानी के पात्रों का परिचय देता हूँ।
१) अमिता ३० वर्षीया सांवली एक बच्चे की माँ जिसके फिगर है ३८-३४-३८
२) सुदेश ३२ वर्सिय अमिता का पति
३) आलम ३० वर्सिय जमीला का पति
४) जमीला २८ वर्षीया गोरी एक बच्चे की माँ जिसके फिगर है ३६-३४-४०
५) सुनीता २८वर्षीया गोरी जिसका फिगर ३६-३२-४०
६) सरोज ३० वर्षीय सुनीता का पति8
७) रियाज २६ वर्षीय तंदुरस्त आलम का दोस्त

इस कहानी को आप अमिता की चाहत के साथ जोड़ कर भी पढ़ सकते हो क्योंकि इसके चार पात्र वही है शिर्फ़ तीन नए पात्र जुड़े है। यह बात होली की है। होली वाले दिन सुबह सुबह सुदेश का एक दोस्त 'गोपाल' होली खेलने सुदेश के घर आया जिसे अमिता और सुदेश ने भांग पिलाई और फिर सुदेश के कहने पर अमिता पड़ोस में जमीला को बुलाने जाती है।

आगे की कहानी अमिता की जबानी...

मैं जमीला को बुलाने के लिए उसके घर गई। मैंने जमीला को अपने घर चलने को कहा। जमील हमारे घर को नीकली। मैं भी उस के साथ वापस आने लगी, कि आलम अंदर से आया और मुझको पीछे से पकड़ कर मेरे कुरते में हाथ डाल कर मेरी चूचियों पर रंग लगा दिया। मैंने उस समय सलवार सूट पहनी हुई थी। आलमने और मेरा कुर्ती को पकड़ कर खींचा, मेरी कुर्ती थोड़ी फट गई।
मैं- प्लीज आलम, मुझे छोड़ो।
आलम- तुम्हे रंग लगा कर ही छोडूंगा।
फिर आलम ने मेरी सलवार में हाथ डाल कर मेरे चूतड़ों को रंग लगाया। मैं उससे बचने का प्रयास करती रही, पर आलम ने मुझे कस कर पकड़ा हुआ था, सो मुझे कामयाबी नही मिली।
तो मैंने आलम की लूंगी में हाँथ डाल कर उसके लंड को पकड़ कर उसपर रंग लगाते हुये रगड़ने लगी। जिससे उसका लंड तन गया और उसकी लुंगी खुल कर नीचे गिर गई।अब आलम नीचे से पूरा नँगा था क्यों की तब उसने लुंगी के नीचे अंडरवेअर नही पहने था। उसके लंड को देख कर मेरी चुत भी गीली होने लगी। तभी आलम ने मेरी सलवार का नाड़ा खींच कर खोल दिया और सलवार को नीचे कर के मेरी पैंटी में हाथ डाल कर मेरी चुत को रंगने लगा।मैं तो जैसे पागल हो गई। मैने अपने हाँथ से अपनी पैंटी नीचे खिसकाई और आलम के लंड को चुत पर सटा दी। आलम को मेरा इसारा समझ मे आ गया और उसने झट से एक जोर का धक्का लगा कर अपने लंड को मेरी चुत में जड तक घुसा दिया और धक्के देने लगा। १०-२० धक्कों के बाद वो और मैं एक साथ झड गए। तो मैंने जल्दी से उसे परे धकेल कर अपने कपड़े सही करते हुए अपने घर को भागी।

घर पर पहुंची तो देखा सुदेश, जमीला को पीछे से पकड़ कर उसके कुरते में हाथ डाल कर उसकी चूचियों पर रंग लगा रहा था। जमीला किसी तरह सुदेश की पकड़ छुड़ा कर भागी और इस खींचा-तानी में जमीला का पूरी कुर्ती चर्र से फट गई और कुर्ती पूरी की पूरी सुदेश के हाथ में आ गई। अब जमीला केवल ब्रा में खड़ी थी।
गोपाल-“यह हुई न बात !
मुझे देख सुदेश ने पूछा आलम नही आया क्या? मैने उसे कहा कि वो कुछ देर बाद आएगा। तभी उसका दोस्त गोपाल हमे बाई बोल कर चला गया। अब वहाँ हम तीनो ही रह गए थे।

अब सुदेश ने जमीला की सलवार में हाथ डाल कर उसके चूतड़ों में रंग लगाया। जमीला उससे बचने का प्रयास करती रही, पर सुदेश ने उसे कस कर पकड़े हुए था।
जमीला चिल्ला रही थी- तुमने मुझे नंगा कर दिया, मैं तुम्हें नहीं छोडूंगी।
दोनों एक दूसरे से गुत्थम-गुत्था थे और इस गुत्थम-गुत्थी में सुदेश ने जमीला की सलवार भी फाड़ दी और उधर जमीला ने सुदेश का कुर्ता फाड़ दिया, उसके बाद पायजामा भी।
सुदेश ने अण्डरवीयर नहीं पहना था तो वो एकदम नंगा हो गया। उसका लण्ड हम सब के सामने था- खड़ा, तना हुआ ! जमीला के शरीर से चिपकने के कारण वह और तन गया था। सुदेश जमीला के शरीर के पीछे छुपने की कोशिश कर रहा था और उसने जमीला की ब्रा की स्ट्रिप पकड़ी हुई थी। तभी अचानक उसने झटके से स्ट्रिप नीचे करके हुक खोल दिया और जमीला की ब्रा उतार कर फ़ेंक दी। फिर जमीला की पैन्टी भी उसने खींच कर अलग कर दी। अब वो दोनों एकदम नंगे खड़े थे। तभी सुदेश का एक और दोस्त सरोज अपनी पत्नी सुनीता के साथ आया और उन्हें इस तरह नंगे देख कर आश्चर्य से वहीं जम गए। थोड़ी देर के लिए हम सब भी अचंभित रहे।
मैं- आइये आइये होली में ये सब होते रहता है। बुरा ना माने होली है। और उन्हें भांग पिलाई।

फिर मैंने सुनीता के रंग लगाया उसने भी मुझे रंग लगाया। मैने अब गोपाल को रंगने के लिए उसके पास जाने लगी तो सरोज ने मुझे बीच मे ही पकड़ लिया और मुझे रंग लगाने लगा। पहले सरोज ने मेरे गालों पर रंग लगाया फिर उसने कुर्ती पर से ही मेरे बूब्स पर हाँथ घुमाया जैसे रंग लगा रहा हो। मैन उसको रोकने की भर पुर कोशिश की लेकिन उसने मेरी कुर्ती में अपने हाँथ घुसा ही लिए और मेरे बूब्स को दबाते हुए रंगने लगा। इसी छीना झपटी में मेरी कुर्ती जो कि पहले से ही थोड़ी फटी हुई थी और फट गई। तब सरोजनी एक झटका लगा कर मेरी पूरी कुर्ती को मेरे बदन से उतार फेका।अब मैं सब के सामने शिर्फ ब्रा में खड़ी थी।मुझे बहुत गुस्सा आया और मैने गुस्से में सरोज का पैजामा में हाँथ घुसा कर जोर से झटका देकर उसे फाड् डाला। और उसकी ब्रीफ में हाँथ घुसा कर उसके लंड पर रंग लगा दिया। रंग लगाते लगाते मैने उसकी ब्रीफ की नीचे सरका दिया अब सरोज सब के सामने नीचे से नंगा हो गया।

उधर सुदेश ने सुनीता को पकड़ कर रंग लगा रहा था तो गोपाल जमीला को रंग लगा रहा था। सुदेश ने सुनीता को कस कर पकड़ रखा था और उसके बूब्स को कुर्ती के ऊपर से ही रंग लगा रहा था। रंग लगाते लगाते उसने सुनीता कुर्ती के बटन खोलने लगा और कुर्ती को उसके बदन से अलग कर दिया। अब सुदेश ने सुनीता की सलवार में हाथ डाल कर उसका नाड़ा एक झटके में तोड़ दिया और उसकी सलवार नीचे गिर गई।
सुनीता- प्लीज सुदेश, मुझे नंगी मत करो !” सुनीता इस अचानक के हमले से चीखी।
पर सुदेश कहाँ मानने वाला था,
सुदेश बोला-अगर मेरी बीवी नंगी हुई है तो सबकी बीवियों को नंगा होना पड़ेगा।
सरोज- “नियम तो नियम है।”
सरोज ने सुदेश की बात का समर्थन किया।
सुदेशने सुनीता को पकड़ कर उसके वक्ष और निप्प्ल दबाते हुए उसका कुरता बीच से पकड़ कर फाड़ दिया। उसकी ब्रा सुदेश के हाथ में थी, उसे दोनों चूचियों के बीच में से झटके से तोड़ कर उसकी चूचियों को आजाद करके एकदम नंगा कर दिया।

सुनीता सुदेश से चिपक गई और बोली- तुमने मुझे नंगा क्यों किया? साले, अब देख मैं तेरा क्या हाल करती हूँ। अमिता आज मैं तेरी पति को चोद दूँगी। उस पर भांग का नशा हावी था और उसका हाथ सुदेशके लण्ड पर था, सुदेश को मालूम था अब वो उसे नंगा करेगी पर सुदेश उसके गोरे गोरे जिस्म का मजा लेना चाह रहा था। सुदेशने उसके स्तन पकड़े हुए थे। सुनीता ने सुदेश के पायजामे का नाड़ा खोल कर उसका लण्ड सबके सामने उजागर कर दिया।
सुनीता ख़ुशी से बोली- देखो, सुदेश का लण्ड देखो, मुझसे चिपक कर कितना खड़ा हो गया है।
सुनीता उत्तेजित हो कर उसके के लण्ड को मसल रही थी। सुदेश ने एक बार फिर ढेर सारा रंग ले कर सुनीता के सारे शरीर पर जो कि अब पूरा नग्न हो चुका था, लगाने लगा साथ ही वो पूरे बदन को हल्के हल्के मलिश कर रहा था। सुनीता अब काफी गर्म हो गई थी और उसकी चुत काफी गीली हो चुकी थी। सुदेश जब उसकी चुत मसल रहा था, तो इसे उसने भी महशुश किया, उसकी उंगलियां भी चिप चिपी हो गई थी। सुनीता भी मस्ति से भर गई और सुदेश के लण्ड को रगड़ रही थी। अब सुदेश ने सुनीता को नीचे जमीन पर लेटा दिया और उसके पूरे बदन को मलिश करने लगा। सुनीता भी उसके लण्ड को अपने हाँथ से मसल रही थी और गहरी शिशकारी निकाल रही थी।

इधर सरोज जमीला को नीचे लेटा कर उसकी चुत को रगड़ रहा था, और जमीला उसके निप्पलों को अपने नाखून से कुरेद रही थी। अचानक सरोज जोर से चीखा। कारण जमीला ने उसके एक निप्पल को बहुत जोर से कुरेदा था, जिससे उसकी चीख निकल गई। अमिता सरोज को रंग लगते हुए उसके पूरे बदन को मसल रही थी। बीच बीच मे उसके लण्ड को भी रगड़ देती। इस प्रकार हम पांचो रंग खेलने के बहाने एक दूसरे के बदन को रगड़ रहे थे। और एक दूसरे को पूरा आनंद दे रहे थे। अब हम में कोई पर्दा नही रहा था सब करीब करीब नग्न थे और एक दूसरे के बदन को छू रहे थे, मसल रहे थे, और काफी गर्म हो गए थे।

तभी सुदेश बोला रुको यहाँ चुदाई संभव नही। क्यों कि आज धुलेटी होने की वजह से कोई भी अचानक यहाँ आ सकता है, फिर हमें मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। तो हमे अपने अपने कपड़े पहन कर, नहाने के लिए अपने अपने घर चले जान चाहिए। अगर सब को चुदाई मजा लेना है तो शाम को मेरे एक दोस्त के खेत मे चलेंगे, जो कि पास के हाईवे पर ही है। सरोज बोला रात को सुनीता नही आ सकेगी, क्यों कि हम एक सयुंक्त परिवार से है। तो मैं भी नही आऊंगा। इस पर मैं बोली सुनीता को अभी छोड़ जाओ यहाँ, शाम को इसे ले जाना और तुम रात को हमे जॉइन कर लेना। क्यों मैने सही कहा ना ! ये सवाल माने सुदेश की ओर देखते हुए पूछा था। लेकिन सुदेश और जमीला ने एक साथ हाँ कहा।
सरोज- अभी तो नही सुनीता को मैं दो घंटे बाद यहां छोड़ जाऊंगा, और शाम को ६.०० बजे उसे लेने आऊंगा। क्योकि अभी इसे मेरे साथ ना देख कर घर मे सब सवाल करेंगे।
सुदेश ने भी ओके कहा और वो दोनो चले गए। तभी हमे आलम आता दिखा। सुदेश ने आलम से रात की सारी प्लानिंग बताई और उसे रंग भी लगाया। फिर आलम जमील से बोला चलो जमीला घर चल कर नाहा धो ले फिर सुनीता को भी चोदना है ना। और वो दोनो चले गए।

दो घंटे बाद सरोज सुनीता को हमारे घर छोड़ गया था। तब तक हम लोग नाहा कर खाना खा चुके थे। सुदेश सुनीता को ले कर आलम के घर चला गया। आलम के घर पर पहुंचते ही जमीला मेरे पास आ गई। करीब करीब शाम को ५.३० पर सुदेश सुनीता के साथ आलम के घर से वापस आया। उन दोनों ने सुनीता को आलम के घर पर जाम कर चोदा था, ये सुनीता की चाल से पता चल रहा था। उसके चेहरे पर एक संतुष्टि की चमक भी देखी मैंने। मैने सब को चाय नास्ता दिया ही था कि सरोज भी आ गया। मैने उसे भी चाय नास्ता दिया। नास्ता करने के बाद सुनीता को ले कर सरोज चला गया इस वादे के साथ कि शाम को ७.१५ पर बाजार में मिलेगा कुछ ड्रिंक्स, चखने के साथ। फिर जमीला भी बाकी की तैयारी करने के लिए अपने घर चली गई।

शाम को ६.४५ पर जमीला और आलम तैयार हो कर हमारे घर आये। उनके साथ २६-२८ साल का एक युवक और था। जिसका परिचय आलम ने हमसे कराया और बताया कि यह है 'रियाज' मेरा बहुत अच्छा मित्र है और यह भी चलेगा हमारे साथ। सुदेशने इसका विरोध करना चाह रहा था, लेकिन जमीला ने कुछ इसारा किया। तो मैं सुदेश मेरी तरफ देखने लगा। मैने भी बोलने के लिए मुँह खोला ही था कि
जमीला बोली- चलने दो इसे। बहुत बड़ा लंड है इसका और स्टेमिना भी अच्छा है इसका। मुझे तो इसके साथ बहुत मजा आता है, और आप लोगो की मर्जी।
मैने कहा- पहले से ही चार मर्द है जब कि औरतें हम दो ही है। कैसे होगा।
जमीला- इसेके बदले दो को मेरे साथ भेज देना।
इस प्रकार हम सब दो कार ले कर निकल पड़े। आलम और रियाज मेरे साथ एक कार में थे, और सुदेश की कार में जमीला थी। बाजार में हमे सरोज और अनिल मील गए और वे दोनों सुदेश की कार में बैठ गए। बाजार से हमने कुछ बियर, पानी, सोडा और चखना भी ले लिया था। हम सब हाइवे पर सुदेश के बताए स्थान पर पहुँचे तब तक अंधेरा हो गया था। हम सब कार से उतरे और खेत मे जाने के लिए के किनारे किनारे चलने लगे। तभी आलम बोला कि रियाज और अमिता मेरे साथ केनाल के इस तरफ के खेत मे जाते है और आप चारो केनाल के दूसरी तरफ के खेत मे चले जाओ।

फिर मैं आलम और रियाज के साथ खेत मे उतर गई। रात के अंधेरे में शिर्फ चांद की रोशनी में देख कर हम आगे बढ़ रहे थे। एक जगह कुआँ के बगल में कुछ सपाट जगह दिखी। हम वहीं रुक गए और साथ लाइ चटाई बिछा कर उसपर बैठ गये। मैं आलम और रियाज के बीचमे बैठी थी। सुरुआत आलम ने मेरे मुँह पर किश और मेरे बूब्स दबा कर की। मैं भी उसके मुँह को पकड़ कर किश कर रही थी, कि मुझे मेरी जाँघों पर किसी के हाँथ का आभास हुआ। देखा तो रियाज मेरी जाँघों को सलवार के ऊपर से सहला रहा था। मैने आलम की पेंट पर जीप के ऊपर से ही उसके लंड पर अपना हाँथ रख कर दबाने लगी। आलम मेरे बूब्स को मसल मसल कर खेल रहा था। तभी उसने मेरी कुर्ती की चेन को खोलकर मेरे बदन से अलग करने लगा तो मैंने अपने हाँथ ऊंचे कर उसे निकलने में मदद की। अब ऊपर से शिर्फ ब्रा में थी।

आलम मेरे बूब्स देख पागल हो रहा था। उसने मेरे एक बूब्स को ब्रा के ऊपर से ही अपने मुँह में ले लिया। मैं भी गर्म होने लगी थी। मैने उनकी पेंट की जीप खोल कर उसके लंड को सहला रही थी। इधर रियाज ने मेरा नाड़ा पकड़ कर खींच दिया, और मेरी सलवार को उतारने लगा। मैने रियाज की मदद के लिए अपने चूतड़ थोड़े ऊँचे किये ताकि वो सलवार निकाल सके। अब मैं उन दोनों के सामने शिर्फ ब्रा और पैंटी में थी। मुझे उस सेक्सी ब्रा-पैंटी में देखते ही आलम और रियाज दोनों का लंड खड़ा हो गया। आलम मेरा हाथ पकड़ कर खींचा और मुझे किस करने लगा। मैं भी उसके होंठों को चूमने लगी। आलम ने किस करते हुए मेरे पैंटी में हाथ डाला और मेरी चूत पर हाथ घुमाने लगा। इससे मेरी आहें निकलने लगीं। इससे मेरी चूत पानी से गीली हो गई। रियाज के हाथ मेरे बूब्स के निप्पलों को मसलने लगे। मैं धीमी आवाज में ‘अहह … इससस्स …’ करने लगी। रियाज ने अपनी शर्ट उतारी और मेरे मम्मों को बाहर निकाल कर चूसने लगा। रियाज बहुत प्यार से और धीरे धीरे मेरे निपल्स को चूस रहा था और किस कर रहा था। अब रियाज मेरी ब्रा को निकाल दी थी।

आलम ने मुझे धक्का देकर चटाई पर लिटा दिया और फिर गले से लेकर मेरे मम्मों कर किस करने लगा। मैं बहुत मचलने लगी। वो मेरे होंठों से लेकर मेरी जांघों तक बहुत धीरे धीरे सहला रहा था और मेरी पूरी बॉडी को चूमे जा रहा था। मैं कसमसा कर धीमी धीमी आहें भर रही थी- आहहह … उफ्फ्फ … यस बेबी फक मी बेबी।
आलम मेरे गले से लेकर मेरी चूत तक चूमते हुए मेरी गीली पैंटी नीचे करके मेरी चूत पर चूमने से मुझे गुदगुदी होने लगी.
मुझसे रहा नहीं जा रहा था,
मैंने कहा- आलम बस करो.. अब चोदो मुझे।
आलम ने इतने में ही मेरी चूत में अपनी दो उंगलियां घुसा दीं। उसकी उंगली के मेरी चुत के अन्दर जाते ही मेरी तेज ‘आहहह…’ निकल गयी।
आलम मेरी गीली चूत चाटने लगा। थोड़ी देर मेरी चूत चटाई से चुत से लगातार पानी निकल रहा था। मैं बहुत ज्यादा मदहोश हो चुकी थी।
मैंने आलम से कहा- अब चोदो भी, मुझसे रहा नहीं जा रहा … जल्दी से डाल दो अपना लंड मेरी चूत में!

आलम ने मेरी चूत के छेद पर अपना लंड सैट किया और जोर का धक्का दे दिया। चूत गीली होने के कारण उसका लंड आधे से ज्यादा आसानी में मेरी चूत में चला गया और मैं भी आगे पीछे हो कर मजे लेने लगी। आलम ने चोदने की स्पीड बढ़ा दी। मेरी चूत पूरी तरह से टाइट और गीली हो चुकी थी। मुझे लंड से चुदने में बड़ा मजा आ रहा था। आलम ने ५ मिनट तक मुझे चोदा। इसके बाद मैं आलम के ऊपर आ कर उसके लंड को अपने अन्दर लेने लगी। मैं ऊपर नीचे हो हो कर चुद रही थी। आलम मेरे दोनों बड़े बड़े बूब्स मसल रहा था, और रियाज मेरी पीठ को मसल रहा था। साथ ही पीठ पर अपने होठों से छोटे छोटे चुम्बन भी दे रहा था। मेरे निप्पल बहुत कड़क हो कर तन गए थे।

हम दोनों को चुदाई करते देखकर रियाज मेरे पास आया और उसने अपना लंड मेरे मुंह के सामने रखा। मैन देखा कि उसका लंड आलम के लंड जितना ही था लेकिन उसकी मोटाई थोड़ी अधिक थी। मैंने बिल्कुल भूखी कुतिया की तरह उसके लंड को मुंह में लिया और जोर जोर से चूसने लगी। अब मेरी, आलम और रियाज की कामोत्तेजक आवाजें फिजा में सुनाई दे रही थी। रियाज ने मेरे को सिर के पीछे से पकड़ लिया और मेरे मुंह को चोदने लगा। सच में बहुत मजा आ रहा था हम तीनों को। थोड़ी देर लंड चूसने के बाद मैंने रियाज का लंड अपने मुंह से बाहर निकाला और उसे एक मिनट रुकने का इशारा किया। फिर मैं आलम के लंड को चुत से निकाल कर अपने मुँह में लेली और चूसने लगी। मुझे उसके गीले लंड को चूसने में बहुत मजा आ रहा था। मैं डॉगी की तरह आलम पर झुकी हुई उसका लंड चूस रही थी, और आलम मेरे झूलते बूब्स को मसल रहा था। अब मैने रियाज को इशारा किया। उसने मेरा इशारा समझ कर झट से अपना लंड पीछे से मेरी चुत में घुसा दिया।
मैं- “ऊई अम्मी …”
मेरे मुंह से जोर से चीख निकली। रियाज ने मुझको थोड़ा आगे की तरफ झुकाया जिससे मेरे मोटे स्तन आलम के मुंह के बिल्कुल करीब आ गए और आलमने मेरे बाएं स्तन को अपने मुंह में भर लिया, और निप्पल को कुतरते हुए जोर जोर से चूसने लगा। मेरे मुँह से शिश्करियां निकलने लगी।

मेरी सिसकारियां बढ़ती जा रही थी और उसी के साथ हम लोगों की उत्तेजना और हमारी चुदाई की स्पीड भी बढ़ती जा रही थी। मैं किसी भी तरह अपने काबू में नहीं थी।
मैं बीच बीच में बड़बड़ा रही थी- चोद दो मुझे! फाड़ दी तुमने मेरी! और फाड़ो! मम्मो को मसल डालो!
थोड़ी देर की चुदाई के बाद रियाज अपना पानी मेरी की चूत में खाली कर दिया। और आलम ने भी मेरे मुँह को अपने गाढ़े गाढ़े प्रेम रस से भर दिया। जिसे मैंने चाट कर गटक गई।

आलम ने मेरे चेहरे को अपने हाथों में पकड़ लिया और अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए। मैं और आलम एक-दूसरे के होंठ चूमने लगे तथा रियाज मेरे पीछे आ गया। उसने पीछे से मेरे बूब्ज़ अपने हाथों में पकड़ लिए और मेरी गांड पर लंड घिसते हुए मेरी गर्दन चूमने लगा। मैं और आलम एक-दूसरे को बहुत जोर से चूमने लगे, हम दोनों के चूमने से पुच्च पुच्च की जोरदार आवाजें आने लगी। पीछे से रियाज भी मेरे बूब्स दबाते हुए मेरी गर्दन जोर से चूमने लगा। मैंने अपनी जीभ आलम के मुंह में डाल दी और वो मेरी जीभ को चूसने लगा और फिर उसने अपनी जीभ मेरे मुंह में दे दी तथा मैं चूसने लगी। तभी आलम ने कंधों से पकड़ कर मुझे अपनी तरफ घुमा लिया और हम एक-दूसरे के होंठों का रसपान करने लगे।

हम बहुत जोर जोर से एक-दूसरे को चूमने लगे कभी मेरी जीभ आलम के मुंह में होती कभी आलम की मेरे मुंह में हम एक-दूसरे के होंठों को दांतों से काट भी रहे थे। तभी रियाज ने पीछे से मेरी बांहें ऊपर करके मेरे बूब्स को मसलने लगा, और एक निप्पल को मुँह में लेकर चूसने लगा। उन दोंनो ने मुझे चटाई पर लेटा लिया और खुद भी ऊपर आ गए। आलम ने रियाज से कहा तुम नीचे का भाग संभालो मैं ऊपर से मजा लेता हूं। मैंने कहा तुम ऊपर-नीचे से मजा लेने लग गए और मेरा मजा? आलम ने कहा हम दोनों मिलकर तेरे आंग अंग को मजा से भर देंगे। आलम मेरी टांगो की तरफ बैठ गया और मेरी भरी हुई जांघों को सहलाने एवं चूमने लगा। रियाज ने मेरा सिर अपनी गोद में रख लिया और मेरे बूब्स दबाने लगा। मैं अपना सिर थोडा़ ऊपर करके रियाज की छाती के निप्पल चूमने लगी। कुछ देर बाद आलम ने मेरी टांगे खोल दीं और अपना मुंह मेरी चूत पर रख दिया। रियाज ने अपने घुटने मोड़कर मेरी गर्दन के पास रखकर मेरे ऊपर आ गया और उसका लंड मेरे होंठों के पास आ गया। मैंने उसके खतना हुए लंड के लाल टोप्पा को जीभ से चाटते हुए मुंह में ले लिया। नीचे आलम मेरी चूत में जीभ डालकर चूत चाटने लगा ऊपर मैं अपना सिर ऊपर-नीचे करके रियाज का लंड चूसने लगी।

कुछ ही देर में हम तीनों बहुत गर्म हो गए मैं अपनी गांड हिला हिला कर आलम के चेहरे पर मसलने लगी और रियाज अपनी कमर चला कर मेरे मुंह में अपना लंड अंदर-बाहर करने लगा। मैंने कहा अब मुझ से रहा नहीं जा रहा जल्दी से चुदाई करो। आलम ने रियाज से कहा क्यों भाई अब मुझे चोदने दे। फिर आलम टांगे फैला कर लेट गया और मैं अपनी चूत का छेद उसके लंड पर टिका कर अपनी गांड नीचे सरका दी। एक पल में आलम का लंड मेरी चूत में समा गया और सीधा जाकर मेरी बच्चेदानी से टकरा गया। मेरे मुख से आह निकल गई। तभी रियाज ने अपना लंड मेरे मुँह में डाल दिया और अपने लंड से मेरा मुँह चोदने लगा।

आलम ने मुझे कंधों से पकड़ कर नीचे झुका लिया और मेरे बूब्स अपने मुंह मे ले लिए। वो मेरे बूब्स चूसता हुआ नीचे से कमर चला कर मेरी चूत चोदने लगा और पीछे से रियाज मेरी कमर पकड़ कर मेरी गांड में अंगुली से मसाज करने लगा। मैं आनंद में डूबी आंहें भरने लगी। आलम जोरदार तरीके से मेरी चुदाई करने लगा। काफी देर की चुदाई के बाद आलम मेरी चुत में झड़ गया और उसके गर्म गर्म वीर्य से मेरी चुत लबालब भर गई। कुछ ही पल बाद आलम ने लंड मेरी चूत से निकाल लिया और मेरे मुंह में दे दिया। कुछ देर बाद रियाज ने भी अपना वीर्य मेरे मुंह में गिर दिया। हमने खुद को साफ किया और नंगे ही चटाई पर लेट गए। रियाज मेरे बूब्स से खेल रहा था। कुछ समय बाद रियाज अपना लंड मेरी चुत पर रगड़ने लगा, और मैं भी उसके लंड को हाँथ से पकड़ कर मसलने लगी। मैने देखा आलम भी अपना लंड मसल रहा है। मैं उसकी मदद के लिए उसे अपने पास खींची और उसके लंड को मुँह में ले लिया। मैं उसके लंड को जीभ से चाटते हुए उसके खतना किये लंड के सुपाड़े के घेरे पर जीभ फिरा रही थी। जब मैने सुपाड़े के घेरे पर जीभ फिराई तो उसका लंड और कड़क हो कर झटके मारने लगा और दो-चार बूंदे प्रिकम की उसके सुपाड़े पर उभर आई जिसे मैंने चाट लिया। अब मैंने लंड को चाटना छोड़ चूसने लगी जिससे आलम और उत्तेजित हो गया और मेरे मुँह में लंड आगे पीछे करने लगा जैसे मेरा मुँह चोद रहा हो।

उधर मेरे हाँथ के मसलने से रियाज का लंड भी काफी कड़क हो गया था और झटके पर के झटके लगा रहा था, और रियाज का हाँथ मेरी चुत की मलिश कर रहा था। अचानक रियाज ने मुझे नीचे सुला कर मेरी दोनो टांगे फैला दी और उनके बीच बैठ कर अपना लंड मेरी चुत पर ऊपर नीचे करके रगड़ने लगा। जब जब उसका लंड मेरे चुत के दाने से रगड़ा जाता तो मेरे बदन में एक करेंट सा लगता। इसी प्रकार रियाज ने कोई ६-७ बार मेरी चुत की मालिश अपने लंड से करी। अब तक मेरी चुत ने बहुत सारा पानी छोड़ दी थी, और वो काफी गीली हो चुकी थी। इतनी गीली की रियाज का लंड भी उसके पानी से चिपी चिपा हो गया था। तभी रियाज ने अपने लंड को पकड़ कर मेरी चुत के छेद पर रख कर एक झटका दिया, और उसका आधा से ज्यादा लंड मेरी चुत में घुस गया। मेरे मुँह से एक आहहह की आवाज निकली। रियाज ने एक और झटका मार कर अपना लंड जड़ तक मेरी चुत में घुसा दिया। कुछ देर स्थिर रहने के बाद उसने कमर हिलाते हुए धीरे धीरे लंड को चुत से अंदर बाहर करते हुए धक्के लगाने लगा। मुझे भी मजा आने लगा तो मैं भी नीचे से धक्के लगाने लगी। कोई १५-२० मिनट तक चुदाई के बाद हम दोनो अपने चर्मोत्कर्ष पर पहुँच गए।

इसी तरह आलम और रियाज ने बारी बारी से मुझे उस रात को तीन तीन बार चोदा था और सुबह तक मेरी चुत सूज कर पाव रोटी की तरह फूल गई थी, और थोड़ी लाल भी हो गई थी। आखरी बार हमने जब चुदाई खत्म करी तब सुबह के ३.१० बज रहे थे। तो मैंने उन दोनो को कहा सुबह होने वाली है, चलो कपड़े पहन कर तैयार हो जाओ। फिर हम सब केनाल तक पहुंचे तो देखा कि जमीला भी आ रही थी। सब ने फिर अपनी अपनी कार में बैठ कर घर आ गये।

अगले दिन जमीला मेरे घर आई तो उसने अपनी चुदाई की कहानी बताई। वह अगले भाग में उसी की जबानी सुनियेगा।

क्रमशः.........

agraj1007
agraj1007
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it made my dick hard

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