अंतरंग हमसफ़र भाग 003

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अंतरंग जीवन की पहली हमसफर रोज़ी के साथ पहले सम्भोग की कहानी.
3k words
4.06
2.6k
00

Part 3 of the 342 part series

Updated 03/31/2024
Created 09/13/2020
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'अंतरंग हमसफ़र', मेरे दोस्त, दीपक कुमार के जीवन की पहली हमसफर रोज़ी के साथ पहले सम्भोग की कहानी हैंl कहानी में उसके सुन्दर सेक्स जीवन का एक विवरण पेश करने की कोशिश की गयी हैंl पढ़िए, उसकी कहानी उसी की जुबानीl

दोस्तों मैं दीपक आपने मेरी कहानी मेरे अंतरंग जीवन की हमसफर-1-2 में पढ़ा, किस तरह मैं मैंने अपने फूफेरे भाई बॉब को रूबी के साथ अंतरंग हालात में देखा,और किस तरह मैं रोज़ी से मिलाl

अब आगे:-

मैंने रोज़ी को शराब का गिलास दिया, तो वह बोली मैं शराब नहीं पीती, तो मैंने उसे एक घूँट पीने को कहा तो उसने पी लीl

रोज़ी बोली अब आप पीओ, तो मैं पहले शराब का घूँट भरता फिर अपने होंठ उसके ओंठों से लगा कर, उसे अपने ओंठों से शराब पिलाने लगाl इस तरह मैंने उसको कुछ गिलास शराब पिलाई और उसके साथ मैंने ख़ुद भी शराब पीl

कुछ देर बाद ख़ास उत्तेजक दवा और दारू का दोनों पर असर हो गयाl अब उसके चरित्र की स्वाभाविक जीवंतता, उसके खुले, और मुक्त वार्तालाप में दिखाई देने लगीl

मैंने उससे पुछा 'थकी हुई तो नहीं हो, सोना या आराम करना तो नहीं चाहती?'

तो वो बोली 'इतनी हसीं रात सोने के लिए तो नहीं होगी और फिर इस रात का इंतजार तो हर लड़की को रहता हैl हर लड़की की चाहत होती है, कोई चाहने उसे जी भर कर, बहुत सारा, प्यार करेl '

मैंने फिर उसे कहा, 'रोज़ी! तुम बेहद सुन्दर हो और आज मैं तुम्हे बहुत प्यार करने वाला हूँ 'l

तो उसने कहा 'आपको मेरा क्या सबसे सुन्दर लगता है?' तो मैंने कहा उसका हर अंग बेहद सुन्दर है और मुझे प्रिय है तो वह बोली तो सबसे ज्यादा क्या प्रिय है?

मैंने उसकी कमर और गर्दन के चारों ओर अपनी बाँहों को रखा, और उसकी छाती को अपने छाती के पास दबाने लगा, और एक हाथ उसकी छाती पर फिराते हुए, उसके मुलायम बदन को महसूस करने लगा, और उसके गोल-गोल बूब्स को सहलाने लगाl

तो उसने फिर पूछा कौन-सा अंग सबसे सुन्दर लगा, तो मैंने कहा वही तो जांच रहा हूँl तो वह बोली सिर्फ़ जांचेंगे या देखेंगे भी? उसका ये सुनने के बाद, मेरे ओंठ उसके ओंठों से जुड़ गए, और लगभग 10-15 मिनट मैं उसे किस करता रहाl इस बीच मेरे हाथ, उसकी दुल्हन के पोशाक के ऊपर से ही उसके पूरे बदन को सहला और दबा रहे थे l उसके बड़े-बड़े उरोज मुझे ललचा रहे थे, तो मैंने पीछे से उसकी ड्रेस की डोरिया खींची, और उसके स्तन बाहर निकाल कर उन्हें पहले चूमा, फिर मसला दबाया, और चूस-चूस कर दोनों स्तन लाल कर दिए l वाह! क्या बड़े-बड़े गोल सुडौल स्तन थेl

इस तरह, उसकी स्तन दबाने के बाद मैं रुक गया, और धीरे-धीरे आगे बढ़ता हुआ, उसके क़मीज़ के नीचे से एक हाथ डाला, उसके कपड़े उसके घुटनों पर चढ़ा दिए। उसकी टाँगों और जंघा को सहलाते फिर उन्हें निचोड़ने लगाl उसके पैरों के साथ खेला, मैंने अपना हाथ उसकी जाँघ पर तब तक सरकाया, जब तक कि मेरी उंगलियाँ उसकी कुंवारी चुत के द्वार पर नहीं पहुँच गई। उसने पैंटी नहीं पहनी हुई थीl उसके मुँह से इस्सस! निकली और मेरे ओंठ जोर से चूमने लगीl

रोजी की चूत बिलकुल सफाचट थीl बालों का नामों निशान नहीं था, बिलकुल मुलायम, चिकनी और नरमl जब मैंने हाथ फिराया, तो रोज़ी बोली दीदी ने आज ही साफ़ करवाई है, ख़ास आपके लिएl

उसकी रेशमी चूत से खेलते हुए अपनी उंगलियों को घुमाकर चूत के मध्य के लकीर पर फेरते हुए, अपनी उँगली को उनके बीच से घुमाते हुए, मैंने अपनी एक उंगली को थोड़ा नीचे ले जाते हुए, उसकी गांड के छेद को छेड़ते हुए, हलक़े से गांड में पिरो दियाl

वों कराह उठी, आह! आह! प्लीज यहाँ नहीं l दीदी कहती है यहाँ बहुत दर्द होता है l

मैंने फिर दुबारा उसकी योनि के होंठों के बीच उँगली की नोक डालते हुए, उसकी चूत के दाने को ढूँढ लियाl मैंने उसे इतनी अच्छी तरह से छेड़ा कि वह अपनी जगह पर उछलने लगी, और बोली अब इंतज़ार नहीं होता प्लीज अब कुछ करोl मैं इसे अब बर्दाश्त नहीं कर सकती । मैं आग पर था; मेरी नसों में से खून उबल रहा था। मेरा लंड फुल टाइट हो गया था।

मैंने उसे ज़मीं पर पैरों पर खड़ा किया और उसके कपडे उतारना शुरू कर दिया। मैंने जल्दबाजी में उसके कपड़े फाड़ दिए, और उसे पूरी नंगी कर दियाl मेरे लिए किसी लड़की को पूरा नंगा देखने का ये पहला मौका थाl मेरे सामने सचमुच अद्भुत नजारा थाl वाह भगवान्! हुस्न का क्या शानदार नजारा थाl

मेरी आँखे के सामने गोल सुदृढ़ सुडौल स्तन, गोरा मख़मली बदन, पतली बल खाती कमर, सपाट पेट, सुन्दर नैन नक्श, मीठी आवाज़, बड़ी-बड़ी हिरणी जैसी चंचल आँखे, गुलाबी होंठ, हल्के भूरे रंग के लम्बे बाल, नरम चूतड़ और उसका फिगर 34-24-36 का थाl तीखी नुकीली नाक, बड़े गोल नितम्ब, लंबी सुगढ़ टाँगे और सुन्दर हाथ, सब कुछ बेहद सुन्दरl पूरा शरीर सांचे में ढला हुआ, गोल बड़े-बड़े स्तनl मैं उन्हें दबाने लगा, तो कभी चूमने लगा, फिर उसके निपल्स को मुँह में ले कर चूसने लगाl उसे इस हालात में देख कर मैं सब भूल कर उसे जोर से काटने लगा तो वह ओह! आह! करने लगीl

उसकी ऐसे हालत देख मेरे भी लंड का तनाव इतना ज्यादा हो गया, मुझे लगा मेरा लंड, मेरे कपडे फाड़ कर बाहर निकल आएगा और फट जायेगाl

मैंने अपने सब कपडे ऐसे उतार फेंके, जैसे उनमे से कांटे चूभ रहे हो और पूरा नंगा होकर उसे पकड़ कर अपने शरीर से चिपका लियाl मैं उसका पूरा बदन महसूस कर रहा थाl

मेरा लंड उसकी चूत के द्वार पर अपना रास्ता खोजने लगाl

हम दोनों कामाग्नि में जल रहे थे l मैंने अपने हाथों से उसे अपने छाती पर दबायाl उसके स्तन कठोर हो मेरी छाती में चूभ रहे थेl उसने भी अपने हाथों से मेरी पीठ को अपने बड़े-बड़े स्तनों पर दबा दिया थाl तो मैं उसकेओंठों की किश करने लगा और मेरे हाथ उसके उसकी कमर पर फिसलते हुए रोज़ी के नितंबो की अपनी और दबाने लगेl ऐसा लग रहा था दोनों एक दूसरे में समां जाना चाहते होl

आकर्षित, उससे चिपका हुआ उसके नग्न शरीर को महसूस करते हुए, अपने घुटनों पर झुक कर, मैंने उसकी योनि पर प्यार भरे चुंबन कियेl मैं पूर्ण उन्माद में थाl मेरे चूमने से, वह भी जल बिना मछली के तरह तड़पने लगी, और बोली प्लीज अब रुका नहीं जा रहा कुछ करो, मेरे राजा l

और उसके शरीर को मेरा करने के लिए, मैंने कांपती हुई लड़की को अपनी बाँहों में उठाया और उसे बिस्तर पर ले गया।

मैंने आराम करने के लिए एक तकिया उसकी शानदार गोल गांड, नितम्बो के नीचे रखकर लेटा दिया। मैंने उसकी जाँघों को चौड़ा किया और लंड पूरा खड़ा था तो उसने एक बार अपना हाथ लंड पर फेरा, तो लंड जैसे उसके हाथ के छुअन से पूरा भड़क गयाl

रोजी बोली आपका लंड सचमुच काफ़ी बड़ा है l

मेरे लंड का साइज 7 इंच है, और उसकी चूत में जाने को लिए बिलकुल तैयार थाl मैंने उसकी चूत पर लंड को एक बार लगायाl उसकी चूत के दाने पर लंड को दो तीन बार रगड़ा, तो वह बोली प्लीज अब तडपाओ मतl

मुझे बॉब ने बताया था, रोज़ी कुंवारी हैl आराम से करना, थोड़ा दर्द होगा, जब वह पूरी तरह तैयार हो, उससे पूछ कर ही अंदर घुसानाl

मैंने लंड चूत पर घिसते हुए उससे पूछा, तुम तैयार होl

वह बोली हाँ जल्दी करो, अब बर्दाश्त नहीं हो रहाl

मैंने कहा दर्द होगा तो वह बोली 'मैं सब सह लुंगी, तुम अब आ जाओ, मुझ में समा जाओ मैं सब सह लुंगी मुझे भी दीदी ने सब बताया थाl'

अपनी उंगलियों के अग्र भाग की मदद से साथ, मैंने उसकी टाइट चूत के होठों को बहुत मुश्किल से अलग किया और अत्यंत परेशानी के साथ अपने कुँवारे लंड के लुंडमुंड को उसके कुंवारी योनी के प्रवेश द्वार में डालl

जैसे ही मैंने महसूस किया कि लंड ठीक जगह रखा गया है मैंने थोड़ा जोर लगा कर लंड को चूत पर दबाया, लेकिन रोज़ी की चूत इतनी टाइट थी के लंड अंदर जाने की जगह वही से नीचे फिसल गयाl मैंने लंड को पकड़ा फिर चूत के द्वार पर घिसा और थूक लगा कर गीला कियाl मैंने दो तीन बार ऐसा किया पर अंदर जाने में सफलता नहीं मिलीl तो मैंने कहा रोज़ी लगता है, ज्यादा ताकत लगानी पड़ेगी, तुम तैयार हो, तो उसने आँखे झपक कर अपनी स्वीकृति दे दीl

फिर से चूत को हाथो से सहलाया चूत के दाने को लंड से मसला, फिर उंगलियों की मदद से ओंठो को फिर अलग किया, तो रोज़ी ने भी हाथ से मेरा लंड पकड़कर उसे अपनी चूत के छोटे से छेद पर लगा कर, अपने दुसरे हाथ से मेरे नितम्ब दबा कर इशारा किया, तो मैंने भी पूरे ज़ोर से एक धक्का दियाl

इस बार लंड चूत के अंदर जाने में कामयाब हुआl आधा लंडमुंड अंदर चला गया और साथ ही साथ रोज़ी की आह भी निकलीl उसने लंड को छोड़ा नहीं और पकडे रखाl उसने आँखे झपक कर मुझे इशारा कियाl इस बार मैंने लंड पर फिर लम्बे समय तक दबाब दियाl मेरे भयंकर दबाब देने से लंड को चूत के अंदर का रास्ता मिल गया और लंडमुंड का सर पूरा अंदर चला गया, मैंने एक बार फिर ज़ोर से धक्का दिया और मेरा लगभग आधा लंड चूत के झिली को चीरता हुआ रोज़ी का कुंवारापण भंग करता हुआ अंदर चला गयाl

उसकी चीख निकली, लेकिन न मैंने, और न ही रोज़ी ने उसे रोकने की कोई कोशिश करि l

रोजी की चूत बहुत टाइट थीl मुझे लगा कि मेरा लंड उस तंग गुफा में फंस गया हो, और चूत ने लंड को कस कर जकड लिया थाl मेरी भी चीख निकल गयी थीl

रोज़ी ने, न केवलअपने कौमार्य भंग में होने वाले दर्द को पूरी हिम्मत के साथ सहा था, बल्कि बाकायदा मदद करि थीl उसके हाथ मेरे शरीर को उसके पास ले जाते थे, यहाँ तक कि अपने कौमार्य को भंग करने के मेरे जानलेवा इरादों की सहभागी बनते हुए, रोज़ी ने मेरे लंड को भी अपने हाथो से संभाला थाl

वह हो रहे दर्द के मारे, होने वाले रुदन को दबाने के लिए, अपने दांतों के बीच बिस्तर की चादर रखते हुए,इस दर्द को सहने का पूरा प्रयास कर रही थीl

हम दोनों एक साथ चिल्ला रहे थे 'ऊह्!, मर गएl' मुझे लंड पर गर्म-गर्म स्राव महसूस हुआl जैसा कि मुझे बॉब ने बताया था ये झिली फटने पर निकलने वाला खून था, इसके साथ ही मेरा भी कुंवारापण भंग हो गयाl इस तरह की रोज़ी की चूत की गुफा में मेरे लंड के लिए रास्ता बन गया थाl मैंने थोड़ा-सा लंड पीछे किया और फिर एक ज़ोर दार शॉट लगा कर पूरा लंड जड़ तक अंदर पैबस्त कर दिया, और प्रेम के जलाशय ने रास्ता दे दिया और बाढ़ आ गयीl रोज़ी झड़ गयी और मेरा लंड रोज़ी के प्रेम के जल से भीग गयाl

उसने चेहरे से ही लग रहा था कि उसे बहुत दर्द हो रहा हैl मैंने रोज़ी को धीरे-धीरे चूमना और सहलाना शुरू कर दिया, तो रोज़ी के आँखों में आंसू आ गएl वह बोली "आराम से धीरे-धीरे नहीं कर सकते थे क्या?" तो मैंने कहा "धीरे करने से अंदर ही नहीं जा रहा था इसलिए ज़्यादा ज़ोर लगाना पड़ा"l मैंने उससे पुछा बहुत दर्द हो रहा है क्या हाँ हो तो रहा हैl

मैं बोला-मेरी रोज़ी मेरी जान, थोड़ी देर में सब ठीक हो जाएगाl वह बोली प्लीज अब तब तक मत हिलना जब तक मैं इशारा न करूनl

मैंने उसे लिप किस कियाl मैं उसे लिप किस करता रहाl मैंने उसके लिप्स पर काटा, तो उसने मेरे लिप्स को काट कर जवाब दियाl तो मैंने अपने ओंठ उसके ओंठो से जोड़ कर उसे लिप किश करने लगा, और मेरे हाथ उसके बूब्स के साथ खेलने लगेl एक हाथ उसके निप्पल मसलने लगाl फिर मैंने उसकी चूची सहलानी और दबानी शुरू कर दीl वह सिसकारियाँ ले मजे लेने लगीl वो इस वक़्त इस चूमाचाटी में अपना दर्द भूल चुकीl कुछ देर में रोज़ी का दर्द कम हो गयाl

फिर उसने अपने नितम्ब ऊपर उठा कर, और मेरे नितम्बो को अपने ऊपर दबाया, और पलके झपक कर मुझे इशारा कियाl मैंने धीरे से लंड भहर खींचा और एक बार फिर ज़ोर लगा कर अंदर घुसा दियाl

मुझे महसूस हुआ, कि मेरे लिंग को रोज़ी ने अपनी योनि रस ने भिगो दिया था, जिसकी वज़ह से लिंग आसानी से अन्दर और बाहर हो पा रहा था।

वह भी मेरा साथ देने लगीl अब उसकी चुदाई में दोनों को जन्नत का मज़ा आ रहा थाl कुछ ही देर में रोज़ी ने भी स्पीड पकड़ ली थीl वह जोश में आ गई थी, और मेरे शॉट के साथ ताल मिलाते हुए, अपने नितम्ब हिलाने लगीl

अब वह मजे से चिल्लाने लगी थी-अहा! ... राजा ... मर गई ... आईसीई ... और ज़ोर से ... और ज़ोर से चोदो ... बहुत मज़ा आ रहा है, आ जाओ, मेरे अंदर समा जाओl मेरी चूत को अपने रस से भर दो, ... आआआआ और ज़ोर से ... उउउईईईई माँ ... आहहहांl

उसकी इन आवाजों ने मुझे जैसे जान दे दी होl मैं पूरी ताकत से रोज़ी को चोदने में लग गयाl कुछ ही मिनट बाद हम दोनों चरम पर आ गए थेl मैंने उसकी चूत में ही अपना रस छोड़ दियाl

मैंने उसकी फटी हुई कुंवारी चुत जिसमे से खून निकल रहा था, को अपने वीर्य से भर कर चिकनी कर दिया था, और उसके ऊपर ही गिर गयाl वह भी एकदम से झड़ कर मुझसे लिपट गई थीl

मैं झड़ने के बाद भी उसे किस करता रहाlकरीब 30 मिनट की चुदाई के बाद हम दोनों ही साथ में झड़ चुके थेl दो-तीन झटकों बाद मैंने लंड निकाल लियाl कुछ देर बाद जब हम लोग उठे, और चादर को देखा, तो उस पर खून लगा हुआ थाl वह मुस्कुराने लगी और मुझसे चिपक गईl

चूँकि रोज़ी की ऐसी जबरदस्त चुदाई के बाद, जैसे मेरा सारा दम ही निकल गया हो, और मैं रोज़ी पर हांफते हुए तेज-तेज सांस लेते हुए, निढाल हो कर गिर गयाl भयंकर उत्तेजना के साथ चमकते हुए, मेरी आँखें रोज़ी को ही निहार रही थीl वह भी तेज-तेज साँसे ले रही थे, और उसके साथ ही उसके स्तन और निप्पल ऊपर नीचे हो रहे थेl जिन्हे देख कर मेरे लंड की कठोरता जो झड़ने के बाद हट गई थी, फिर से प्रबलता के साथ वापस आ गईl मैंने उसकी योनी के गहरे और संकीर्ण मार्ग में अपना जो लंड घुसा कर रास्ता बनाया था, उसे मेरे वीर्य ने चिकना कर दिया था, और मैंने फिर से उसके लिए रास्ता बनाना शुरू कर दियाl मेरा लंड उसकी चूत के अंदर चला गयाl

तो रोज़ी मुझ से लिपट गयी और मुझे मेरे सारे बदन पर बेतहाशा चूमने लगी, और फिर उसके ओंठ मेरे ओंठो से जुड़ गएl रोज़ी मेरे ऊपर आ गई थींl मेरे खड़े लंड पर धीरे-धीरे अपनी चूत दबाकर लंड को अन्दर घुसा रही थींl मुझे उस समय मुझे बेहद मज़ा आ रहा थाl वह मेरे लंड पर धीरे से उठतीं और फिर नीचे बैठ जातीं, जिसकी वज़ह से लंड अन्दर बाहर हो रहा थाlवह ख़ुद अपनी चुदाई मेरे लंड से कर रही थीं और बहुत मज़े कर रही थींlसच कहो तो रोज़ी को मेरे लंड पर उछलते हुए मुझे बहुत सेक्सी लग रही थl मैंने अपने चूतड़ उठा कर उसका साथ दियाl जब मेरा लंड उसकी चूत के अन्दर पूरा समा जाता था, तो हम दोनों की आह निकल जाती थीl फिर मेरे हाथ उसके हिलते हुए मम्मों को मसलने लग गएl

उसके बाद रोज़ी मेरे ऊपर झुक गयी और हम लिप किस करते हुए लय से चोदने में लग गए. मैं उसको चूमने लगा और चूमते-चूमते हमारे मुँह खुले गए, और मैं उसकी झीभ चूसने लग गयाl

फिर हम दोनों झड़ गए, इसी तरह बार-बार चोदते हुए, मैंने रोज़ी के साथ पूरी रात बिताई, कुंवारेपन के आकर्षण का पूरा आनंद उठाते रहेl हम दोनों ने अपने कुंवारेपन के भंग होने का जश्न, पूरी रात एक साथ पूरे मजे लेते हुए बार-बार लगातार हम चुदाई करते रहेl

कभी मैंने उसे चोदा, कभी उसने मुझेअपनी और खींच कर अलग-अलग आसान में चुदाई की, मानो अपनी कामाग्नि को शांत करना चाहते होl पर हर बार हमारी कोशिश नाकाम ही हुई और उसके बाद बहुत जल्द ही हम दोनों एक दुसरे को चूमते चाटते दुबारा शुरू हो जाते थेl थोड़ा-सा आराम करते, फिर से गले लगाते हुए, एक ख़ुशी के समुद्र में तैरते हुए एक दुसरे में खोये रहे। पता ही नहीं चला इस तरह प्यार करते-करते कब सुबह हो गयीl

सुबह जब उजाला हुआ, तो रोज़ी बिस्तर पर, मुझ से चिपक कर लेटी हुई थीl लगातार बार-बार चुदाई के कारण दोनों बुरी तरह से थक चुके थेl एक दुसरे के लिए आकर्षण और लगाव काम होने की जगह बढ़ गया थाl मुझे लग रहा था, मैं रोज़ी के बिना अब नहीं रह पाऊँगा, और चाहता था रोज़ी हमेशा मेरे पास रहे, और मैं उसे जब चाहू प्यार कर सकूl रोज़ी की आँखों में भी मुझे वही प्यार नज़र आया और मैंने रोज़ी को अपनी और खींचा तो वह मेरी बाहो में समा गयी और अपना चेहरा मेरी छाती में छिपा दियाl

उसने शुरू किया, "पिछली रात बहुत ख़ास थी। मैंने कभी भी किसी से इतना जुड़ाव महसूस नहीं किया हैl अपनी पहली चुदाई की रात से ही आपके के बारे में इतना मज़बूत लगाव महसूस किया है।" मैंने कुछ कहना शुरू किया, लेकिन रोज़ी ने उसे रोकने के लिए अपना हाथ रखाl

"यह कल रात एकदम सही था, कम से कम मेरे लिएl आपने मुझसे ऐसा प्यार किया और मुझे लगा कि हम दो बदन एक जान हैंl उसकी आँखों से आँसू बहने लगे थेl कल रात, जब तुम मेरे पास आए, तो तुमने मेरे भीतर कुछ जागृत कियाl मुझे ऐसा लगा कि मैं आपसे बहुत प्यार करती हूँ"l मैंने कहा 'मेरा भी यही हाल हैl अब मैं भी तुमसे दूर नहीं रहना चाहता'l ये कहते हुए रोज़ी के ओंठो पर किश किया, तो उसने भी वापिस किश कियाl

उसके छूते ही लंड महाराज फिर जोश में आने लगेl उसे धीरे से उसे उठाते हुए, लिप किश करते हुए हुए, मैंने उसके स्तनों को दबाना शुरू कर दियाl उसके हाथ का स्पर्श मुझमें नए सिरे से आग लगा रहा थाl रोज़ी ने अपने हाथ में मेरा लिंग ले कर उसे सहलाया, तो मेरी आह निकल गयीl मैंने कहा अभी भी मैं और ये तुम्हे और प्यार करना चाहता हैl उसके छूने भर से मेरा लंड अपने विकराल आकार में आ गयाl

आगे क्या हुआ ये कहानी जारी रहेगीl

आपका दीपकl

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