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Click hereमें और शशांक भैय्या स्वीट सुधा २६
यह एक जवान सुन्दर लड़की की अपनी दास्तान है! इसमें ज्यादातर घनायें वास्तविक है! पढ़िए और मौज कीजिये - स्वीट सुधा २६
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दोस्तों मेरा नाम हेमा है! और मैं २६ साल की जवान और सुन्दर लड़की / औरत हूँ! मेरी शादी हो चुकी हो और मैं २ साल के बच्चे की माँ हूँ! आज भी मैं सुन्दर हूँ! ५' ७" की लम्बाई, बहुत ही गोरी हूँ मैं मेरा गोरापन ऐसा है की एक गिलास दूध में चुटकी भर हल्दी मिलाने जैसी है! बड़ी बड़ी आँखे, सतुवा नाक, लम्बी गर्दन, गुलाबी गाल और होंठ! मेरे होंठ संतरे की तरह, पतली कमर, मेरी बॉडी की proportionate में मेरी नितम्ब. ना वो बहुत बड़े है न ही छोटे है जो भी है लेकिन मांसल है. तराशा हुआन जाँघे, उन जांघो के बीच मेरी उभरी हुई बुर, और सबसे इम्पोर्टेन्ट मेरी चूचियां मोसम्बी जैसे है! मेरी साइज 34C-29-32 है!
अब जो घटना मैं लिखने जा रह हूँ वह 9 पहले घटिथी! तब मै सिर्फ 17 साल की थी. मैं मेरे मम्मी पपा के पहली संतान हूँ! यहाँ मैं अपनी फामिली के बारे में बोलना जरूरी है! घर में मम्मी, पापा, मैं और मेरी दो छोटी बहनें रहथे है! मम्मी 38 हाउस वाइफ है मम्मी बहुत ही सुन्दर है! वैसे कहा जाये थो मम्मी की सुंदरता ही हम तीनों बहनों को आई है! पापा 42 एक सरकारी सिविल कॉन्ट्रैक्टर है! सड़के बनाना, कल्वर्ट और पुल बनाने जैसे कामों गुत्ता लेते है और कराते है! ज्यादा तर घर से बहार, साइट पर ही रहते है! मेरी बहने बड़ी वाली प्रेमा (15) और छोटी वाली (13) रीमा है! यह है हमारी घर की बात! अब असली घटना पर आती हूँ!
मार्च का दूसरा हपता चल रहा था! समय सुबह के 11,30 बजे थे! मैं इंटर I ईयर की आखिरी परिक्षा लिख कर बस स्टैंड में कढ़ी थी! कड़ाके की धूप के वजह से सड़कें सुन सान सा पड़ी है! बहुत ही बेजारी के साथ मैं बस की इंतज़ार कर रही थी! तीन चार लोग और भी वहाँ बस के इंतज़ार में ठहरे थे! कोई ऑटो वाला भी नहीं दिख रहा था!
"हाय हेमा.." आवाज़ सुनकर सर घुमाकर देखी! शशांक भैय्या नया एक्टिवा के साथ खड़े थे! हेलो शशांक भैय्या ... कॉलेज नहीं गए क्या?" पूछी.
कॉलेज में कोई फंक्शन है, छुट्टी दी गयी है" भैय्या बोले. फिर मै पूछी "गाड़ी नयी है क्या?""हाँ.. एक हपता पहले लिया है! परीक्षा कैसी लिखी हो?" "बहुत अच्छी.. 85% गारंटी" में गर्व के साथ बोली.
बहुत स्मार्ट दिख रही हो.." मेरे पूरे शरीर को ऊपर से नीचे तक देखते बोले. उस दिन मैं टकनो थक आने वाला स्कर्ट पहनी और लाइट येल्लो कलर शर्ट पहनी थी. गर्मी के वजह से शर्ट के दो ऊपर के बटन खुले छोड़ी जिसकी वजह से खुला भाग से मेरे उन्नत उरोजों का हल्कीसी झलक दिख रहीथी. भैया के ऐसे कहने से ना जाने क्यों मेरी गालों में गुलाबीपन आगया! मैंने हल्कीसी मुस्कुरादी!
शशांक भैय्या मेरे बड़ी माँ के बेटा है (माँ के बड़ी बहन) वह यहीं हमारे शहर की एक इंजीनियरिंग कॉलेज में B.Tech सेकंड ईयर में है और हॉस्टल में रहते हैं! 22 साल की उम्र के है! इतवार के दिन या छुट्टी के दिन हमारा यहाँ आजाते है! हम बच्चो के साथ खूब मिल झुल कर रहते है! सब मिलकर कार्रम, चैस या कभी कभी आंख मिचौलि भी खेला करते है! हमारे मम्मी भी इस खेलों में भाग लेती है! भैय्या बहुत शरारती भी है! हमारे छोटी खींचना, नाक मरोड़ना, या गुद गुदी करना करते है!
"घर ही चल रही हो ना.. आवो बैठो" भैय्या के ऎसे कहते ही मैं अपनी exam pad को बास्केट में डाली और पीछे बैठते पूछी "भैया, मुझे गाडी चलाना सिखाओगे?"
"तुम्हे साइकिल चलानी आती है?" "बहुत अच्छी चलाती हूँ.."
"फिर थो प्रॉब्लम नहीं है..बैलेंस आ गया थो बहुत ही आसान है! अब सीखेगी क्या? यहां थोड़ी दूर में ही एक खेल का मैदान है" भैया बोले.
वैसे धूप ज्यादा था लेकिन गाडी सीखने की जोशमे मैंने हाँ कह दी! पांच मिनिट बाद हम मैदान मे थे. उस समय दोपहर के 12 बज चुके थे! मैदान में कोई नहीं थे! भैय्या गाडी रोकी और मुझे पूरे कंट्रोल्स समझाकर "चलो स्टार्ट करो" कहे! मैं भैय्या के आगे बैठ कर गाडी स्टार्ट की! भैय्या मेरे दोनों हाथो को हैंडल को पकडे थे और मुझे एक्सीलेटर और ब्रेक के बारेमे बता रहे थे! मैंने गाडी धीरेसे चालू की और गड़े आगे बढ़ने लगी! बैलेंसिंग के लिए भैय्या मेरे पीठ पर झुके थे और मेरे हाथों पर उनके हाथ थे! मुहे कुछ अजीब सी गुद गुदी सा होने लगी!
"भैय्या पीछे हटो... और हाथ निकाल दो" मैं बोली.
"हैंडल से हाथ निहालते हि हम दोनों गिर जायेंगे" कहते उन्हीने अपना एक हाथ हैंडल से हटाया! भैय्या हाथ निकालते ही बैलेंस बिगड़ने लगा और गाड़ी लड़ खडाने लगी"!
भैया ने जल्दी से गाडी संभाली और मुझे धीरे धीरे चलाने को कहे!
मैं चलाने लगी! भैय्या मेरे ऊपर पूरी तरह से झुके थे! उनके गर्म सांस मेरे गर्दन पर पड़ने लगे! लेकिन गिरने की ढर के वजह से मैं भैय्या को पीछे हटने को नहीं बोली!
भैय्या का आगे का भाग पूरा मेरे पीठ पर था! आज तक किसी जवान लड़के ने या मर्द ने मेरे इतने पास नहीं थे! मेरे शरीर में एक अजीब सी तरंग सी उठने लगी! एक जवान मर्द का स्पर्श मुझे अच्छा लगने लगा! 15 मिनिटों में मैं बैलेंस करना सीख ली! मैं स्वयं ही बैलेंस करती गाड़ी चलाने लगी!
जब मैं कॉन्फिडेंट के साथ चलाने लगी थो भैय्या ने एक एक करके अपने हाथ हैंडल पर से हटा लिए! जब गाडी लड़ कडाने लगी थी लेकिन मैं झट बैलेंस संभाली! धीरेसे बैलेंस करने लगी अब भय्या ने अपने हाथ मेरे पीठ पर रख दिए! उनके दोनों अँगूठिया मेरे पीठ पर थे तो बाकी के चार उँगलियाँ मेरे खांक के नीचेसे सामने को आई और धीरेसे मेरी उन्नत उरोजों के उभार को सहलाने लगे! मुझे कुछ अजीब सा लगा फिर भी मुझे कुछ कुछ मज़ा भी आने लगा!
क्या बोलू क्या न बोलूँ कुछ समझमे नहीं आरहा था! मैंने कुछ नहीं बोली तो भय्या और भी बोल्ड हो गए और अब उनकी उंगलियां और आगे बढ़कर मेरी चूची छूने लगे! मैं खामोश थी, उनकी उंगलियां और भी आगे बढ़े और सीधा मेरे उरोजों को टच करने लगे!
भैया के स्पर्श से मेरे बदन में अजीब सी सन सनाहट होने लगी मुझे मेरी एक सहेली के बात याद आई! उसने कहा "जब एक मर्द के हाथ चूचियों को मसले थो वह मज़ा ही अलग होती है" उसके कहने से "तुझे कैसे मालूम?" मैं पूछी तो उसने जवाब में "मेरे जीजा दीदी की अनुपस्तिथि में मेरे चूचियोंसे खेलते है" वह बोली!
मैं भी तो जवानी के दहलीज पे थी इसीलिए अब मुझे भय्या की हाथो का जादू मालूम पड़ा! मेरे सारे बदन में अजीब अजीब सिहरने उठने लगी! ऐसा लगा रहा था की मेरी सारे बदन आग में तप रही हो!
मैं कुछ नहीं बोले तो उनका हिम्मत और बढ़ कर अब उनका दायां हाट सीधा मेरे उभार पर आया और धीरेसे दबाया!
"भैया हाथ निकालो" मेरे कहते ही अपना हाथ निकले लेकिन जल्दी ही भैया का बायां हाथ मेरे बायां जांग पर रख कर सहलाने लगे! वह हाथ वहाँ पड़ते ही हि मेरी शरीर में झनझनाहट सी हुयी और अनजाने में ही मेरे जांघ पैल गयी! अपना हाथ को वहां सहलाते धीरे से ऊपर की बढ़ा रहे थे! उनके ऐसा करने से मेरी जांघो के अंदर और अंदर पुलकित सा होने लगी!
इतने में वह अपना दायां हाथ को मेरे कमर के गिर्द लपेट शर्ट के नीचे मेरि नेंगी कमर को सहलाने लगे! एक दो बार तो मेरी नाभि मे भी ऊँगली की! उनकी हाथ वहां नाभि को सहलाते ही मेरी अन चुदी बुर में खुजली सी होने लगी!
"भैय्या हाथ निकालो गुद गुदी हो रही है" मैं बोली!"कहाँ गुद गुदी हो रही है?" भैय्या अपने गाल को मेरे गाल पर रगड़ते पूछे! "छी। .. जाओ मैं तुमसे बात नहीं करूंगी" मैं बोली तो बोले.... "... ठीक हैफिर मेरी गाड़ी से उतरो"
"मैं तो मजाक कर रही थी" मैं बोली! अब कमर पे हाथ ऊपर रेंग कर मेरी चूचियों से खिलवाड़ करने लगे! मेरे जांघों पर और मेरी चूचियों पर भैया का हाथों का जादू चलने लगा!
"शाबाश हेमा... गुड... अच्छा बैलेंस कर रही हो.. वैसे ही ड्राइव करो..शाबाश... वैरी नाइस..टर्न लेफ्ट। .. यस नाउ टर्न राइट.. ओके ..ओके.. एक्सीलेटर रेज करो.. ब्रेक लगावो..." इस तरह शशांक भैय्या मुझे उत्साहित कर थे हुए मुझे ड्राइव करा रहे थे! उनके प्रोत्साहित से मैं और जोश में गाड़ी चलाते मैदान में चक्कर लगा रही थी! इस जोश में भैय्या हाथ किधर किधर टच कर रहे थे मैंने ख़याल ही नहीं किया!
लेकिन उन हरकतों का प्रभाव मेरे शरीर पड़ रही थी! सारे शरीर में एक अजीब तरह की कम्पन होने लगी! एक ऐसा मिठास मैं वर्णन नहीं कर सकती थी! मैंने कोई ऐतराज नहीं की तो भय्या और ही बोल्ड हो कर मेरे अंगों से खुलकर खिलवाड़ कर रहे थे! कहीं बार उनकी दये हाथ की ऊँगली मेरे नाभि मे घुसे तो बया हाथ जो मेरे जाँघ पर था और ऊपर रेंग कर मेरे चू... की होंटो को सितार बजा रहे थे!
मुझे ऐसा लगा रहा था कि मेरे वजनी चूचियां और वजनी होगये और मेरे निपल्स तनकर खड़े होकर मेरे ब्लाउज को ब्रश कर रहे हैं! इधर नीचे मेरे जाँघों के बीच की दरार में मदन रस के फुव्वारे छूटने लगे!
वैसे ही हम एक घंटे के ऊपर मैदान में चक्कर लगाते रहे! गाड़ी सीखने का और सिखाने का मजा हम दोनों को आ रहा था!
"हेमा तुम बहुत सुन्दर हो..वाह क्या ब्यूटी है तुम्हारी" कहते भय्या मुझे फँसाने की कोशिश कर रहे थे!! सच मानो थो मैं फँस भी गयी! यह बात मुझे मालूम था फिर भी मैंने भय्या को नहीं रोका क्योंकि मुझे उस मज़े की चाहत थी! वैसे ही उस कड़ी धुप में एक घंटे तक चक्कर लगाकर घर के लिए चल पड़े!
"भय्या घर तक मैं ही गाड़े चलावूँगी!" मैं बोली! "ठीक है... संभालके चलाने" भैया ने अनुमति दी!
मैनरोड पर आने के बाद भी भय्या मेरे गर्दन के नीचे मुलायम त्वचा पर चुम्बनों का बौछार कर रहे थे या अपनी ठुड्डी (chin) मेर कंधे पर रख अपने जीभ से मेरे कान को टच करा रहे थे तो मुझे एक अनोखा आनंद आ रहा था और सारे शरीर सिहर उठी!
"भय्या हम सड़क पर है.. लोग देखेंगे.." मैं बोली!"कोई न देखे तो चलेगा ना" कहते उन्होंने फिरसे मेरी गर्दन पर एक किस किया. "धुत। . तुम बहुत गंदे हो.. तुमसे बात नहीं करूंगी" मैं नखरे करती बोली. "मेरी प्यारी बहना हेमा मैं तुम्हे गाडी चलना सिखा दी... मुझे क्या दोगी?" भय्या पूछे!"तुम जो पोची वह...""प्रॉमिस..."प्रॉमिस. लेकिंन जो तुम पूछोगे वह मेरे पास होगा तब.."
"डोंट वरी, जो तुम्हारे पास होगी और जो तुम दे सकती हो.. वही.. पूछूंगा" कहते अपना हाथ जो मेरि कमार पर थी उसे ऊपर की ओर सरका कर मेरा दायां चूची को जोरसे दबाया.
"sssshhhaaa....ठीक है.. जो पूछना चाहते हो पूछो...दूंगी"
"हेमा तुम प्रॉमिस किया है.. बाद में ना न कहना..." कहकर अब मेरे निपल को पिंच किये और दुसरे हाथ से मेरे बुरके होंठो को हलका सा टच किये!
"ठीक है पूछो..." मैं भैया के हरकतों का आनंद लेते बोली"!
"अब नहीं.. घर चलने के बाद..."
भैया क्या पूछेंगे.. मुझ मे सस्पेंस
जब तक हम घर पहुंचे डेढ़ बज चुके! मुझे गाड़ी चलाते आते देख कर मम्मी , मेरी बहनें प्रेमा, रीमा चकित हो गये और खुश भी थे!
"दीदी इतनी देर करदी हम कबसे तुम्हारे वेट कर रहे है" रीमा बोली. "क्यों.. सब रेडी हो कहाँ जारहे हो.." मैं उनको देखती पूछी. "पिक्चर देखने जा रहे है.. तुम्हारा ही वेट कर रहे थे! आवोगे?" अबकी बार प्रेमा बोली. "नहीं... मैं रेस्ट करूंगी तम लोग जाओ" मैं बोली!
मम्मी ने भैय्या को भी पूछी लेकिन भैय्या भी ना कर दिये! ठीक है हम चलते है.. तुम लोग खाना खालो! वैसे शशांक शाम तक रहोगे ना?" मम्मी पूछी.
"हाँ मौसी.. आज रात यहीं रुकूंगा" भैय्या के कहने पर मम्मी खुश होगई और वह लोग चले गए!
मैं नहाकर सफ़ेद लहंगा और सफ़ेद ब्लाउज पहनी! गर्मियों की वजह से मैंने ब्लाउज के अंदर ब्रा नहीं पहनी! मैं ज्यादा तर घर में लहंगा और ब्लाउज ही पहना करती हूँ! शशांक भैय्या भी नहा कर सफ़ेद पायजामा कुर्ता पहनी है! उनका दो तीन कॉलेज जोड़े और दो जोड़े पजामा कुर्ता हमारे घर हमेशा रहते है. भैया कभी कभी रात में हमारे यहाँ रुक कर दुसरे दिन यहींसे कॉलेज जाते है!
डाइनिंग टेबल पर हम दोनो आमने सामने बैठ कर खाने लगे! भय्या गौर से मुझे ही देखरहे थे! मैं उनके नजरों का फॉलो किया तो मैं लाज से लाल हो गयी! मेरा ओढ़नी मेरे कंधो से गिर चुकी है और पतली ब्लाउज में से मेरे दोनों उरोज साफ़ दिख रहे है! मेरी चूचियों का गोरापन और बीच में चाकलेटी रंग की दब्बे भी बहुत क्लियर दिखा रहे है मैं झट अपनी ओढ़नी कंधे पर डाली!
गाड़ी सीखते समय उनकी हरकतों का मैंने टोका नहि थी और अब घर में कोई न होने की वजह से शायद भय्या को जयादा हिम्मत बड़ी! लंच के बाद मैं डाइनिंग टेबल की सफाई कर रहीथी तो भय्या मेरे पीछे अये और कहे "हेमा.. इस सफ़ेद पोशाक में तुम परी लग रही हो"! मैं पीछे पलट कर उन्हें देखी! शशांक भय्या मेरे ऊपर झुकते "हेमा... यार तुम्हारी नाक तो बहुत सुन्दर है.. एक बार चूमू" कहते मेरे ऊपर झुकने लगे! मैं आर्च की तरह पीछे को झुकने लगी! मेरे नितम्ब टेबल को लग रही है! भय्या पूरी तरह मेरे ऊपर झुक गए! सीधा वहां मेरी जांघो के बीच लंबासा, मोटासा कुछ चुभने की अहसास हुआ तो मैं आँखों की चोर से देखी! भय्या का पजामा तम्बू की तरह उठा हुआ था! मुझे क्या चुभा रही है मैं समझ गयी! भैया का लं. .. . मेरी चू। .. को ट्च कर यही है!
तीन महीने पहले मेरी सहेली पद्मा ने क्या कही वो बातें मुझे याद आई! उस से एक दिन पहले मैं और पद्मा पिक्चर देखने जा रहे थे तो मम्मी ने भैय्या को हमारे साथ भेजी!
दूसरे दिन मैं कॉलेज में पद्द्मा से पिक्चर के बारे में पूछी "पद्मा पिक्चर कैसी है?" "कहाँ मैं पिक्चर देखे तो ना..." वह बोली!
मैं उसे कंफ्यूज होकर देखी तो बोली "तुम्हारे भय्या मुझे पिक्चर कहाँ देखने दिया.. इधर नहीं तो उधर बस अपना हाथ चलाते रहे" कहते उसने मेरी चूची और जाँघ के बीच अपना हाथ फेरी! फिर बोली कुछ भी कहो तुम्हारे भय्या बहुत फास्ट है उन्होंने मेरे हाथ को भी अपने जांघो के बीच लेकर अपना वह पकड़ा दिए! एक बात कहूँ तुम्हार भय्या का बहुत मोटा और और लंबा है.. मेरे जीजा से भी बड़ा और मोटा...." वह फिर बोली "चांस मिलता तो छोडूंगी नहीं..मौका मिलते ही तुम्हारे भैया की घुसवा लूंगी" कहती वह आँख मारी!
"ओये मेरे भय्या पे नजर मत डाल" मैं तमक कर उसे अपनी तर्जनी दिखाते बोली! "तुम चांस नहीं लेती हो। दूसरों को भी लेने नहीं देति क्या?" पद्मा बोली! "छी। . छी। .. क्या बात कर रही हो? वह मेरे भैय्या है" मैं बोली!
"तो... उसके पास यह नहीं है या तुम्हरे पास यह बही है... " कहती वह अपनी तर्जनी को सीधा क्रर ऊपर नीचे हिलाती लंड सिम्बल और अपनी तर्जनी और अंगूठे से सुराख बनाकर बुर का सिंबल दिखती पूछी!
"तुझे कुछ अक्ल है या नहीं? वह मेरे भैय्या है... याद रख! क्या तुम अपने भय्या से ऐसे ही करोगी?" मई पूछी तो वह बोली..."मेरे कोई बड़े भय्या नहीं है लेकिन एक छोटा भाई है १५ साल का.. मैं कुछ दिन पहले दशहरा के छुट्टियों में घर गयी तो वह चोरी छुपे मेरी चूचियों को और जांघो को ऐसा घूर रहा था साला.. ऐसा जैसे कच्चा खा जाएगा!
अबकी बार घर गयी तो उस से ठुकवावुंगी जरूर" वह बोली!तब उसकी बातें सुनकर मेरे सारे बदन में एक झूर झूरी सी हुई!
वहां मेरे जांघो के बीच भय्या का लण्ड स्पर्श से मेरा शरीर में आग सी लगी है! भैय्या मेरे ऊपर पूरी तरह झुककर मेर नाक के साथ साथ मेरे गाल को भी को हल्कासा काटे!
"अब्बा..अब बस भी करो भय्या। ." मैं गालों पर लगी उनके झूटन को पोंछती बोली! शशांक भय्या मेरे कमर के गिर्द अपना हाथ लपेटकर, मुझे उठाके बहार हॉल में ले आए!
खुद सोफे पर बैठकर मुझे अपने गोद में बिठलिये! उनका गर्म मर्दानगी मेरे नितम्बोंके बीच में तनकर चुभ रही है! उनके मर्दानगी का कड़कपन और गर्माहट को मैं एन्जॉय कर रही थी!
"हेमा। मैं जो पुछा देने का वादा किय है तमने" मेरे गलों को काटते बोले!
"वह क्या है बाबा... पूछो.. सस्पेंस से मरी जा रही हूँ" मैं अपने नितम्बो को उनके लंड पर दबाती बोली! सच में मैं बहुत सस्पेंस में थी की भैय्या क्या पूछेंगे!
"हेमा मैं डियर एक बार अपनी दिखादो प्लीज..." मेरी आँखों में देखते पूछे" मेरे सरे शरीर में सिहरन सी दौड़ी! भय्या क्या पूछ रहे है मेई समझ गई थी! फिर भी पूछी... "क्या दिखाना..? मैं कुछ समझी नहीं.. भय्या क्या दिखावूं?" "यह.." कहकर अपनी चार उँगलियों के नीचे अपना अंगूठी रख एक टुकड़े का इशारा करते बोले!
"छी। गंदे कहीं के.. कोई अपनी बहन को देखता है क्या?" मैं उन्हें छेढ़ भी रही थी और शर्म से लाल होती पूछी! उनके ऐसा पूछने से मैंने महसूस किया की मेरे गालों में गर्म खून दौड़ रहा है!
प्लीज... हेमा. एक बार.." रिक्वेस्ट कर रहे थे!"क्यों.. कभी किसीका देखे नहीं हो क्या?" मैं भय्या का नाक मरोड़ती पूछी! इस खेलमे अब मुझे भी मज़ा आने लगा
"छोटी लड़कियों की देखा है... बढ़ों का नहीं...."
" तो अपनी श्वेता से पूछो दिखाने के लिए" मैं बोली! श्वेता शशांक भय्या की सगी बहन है! मेरे से एक साल छोटी! १६ की होंगे!
"उसकी जब मैं घर जावूंगा थो देखूंगा... फिलहाल अब तुम्हारा दिखदो प्लीज" कहता मेरी जांघो को सहलाने लगा!
"जाओ भय्या मुझे शर्म आ रही है... अभी देखने को कहोगे। ... देखने के बाद करने को कहोगे..नहीं..मैं नहीं दिखावूँगी" मैं नखरे करते बोली!
"प्लीज हेमा.. प्ली.. मेंरी प्यारि बाहना" अबकी बार उनका एक हाथ मेरे गोल गोल उन्नत स्तनपर आगये!
"ठीक है बाबा बतादूंगी ... सिर्फ देखना... वो भी दूर से...."
"ठीक है.. तुम जैसे बोलो वैसे ही सही." भैय्या बोले!
मैं उठकर दो कदम सोफे से दूर जाकर खड़ी हो गई और अपना लहंगा धीरेसे ऊपर को उठाने लगी! भय्या एक्साइटमेन्ट के साथ मेरी पैरों को देखने लगे! मेरा लहंगा धीरे धीरे ऊपर उठने लगी! पहले मेरे पांव, फिर मेरे मुलायम पिंडलियाँ, लहंगा मेरे घुटनो तक आगयी! भय्या सांस रोक कर एक टक मेरे पैरोंकी ओर देख रहे है! मैंने लहंगा और थोड़ा ऊपर को खींची... घुटनोंका ऊपरी भाग जांघो का बिगिनिंग दिखने लगे! लहंगे को कुछ और ऊपर उठाई और "जाओ भय्या मुझे शर्म आ रही है" कह कर लहंगा छोड़ दी!
मेरे ऐसा करते ही भय्या डिसअप्पोइंट होगये और बोले ... " ओफ्फो.. हेमा... यह ना इंसाफ़ी है... तुम प्रॉमिस करी हो"!
"मुझे शर्म आ रही है" मैं बोली। मुझे सचमे ही शर्म आ रहीथी!
"प्लीज हेमा" भय्या फिर से रिक्वेस्ट करने लगे! अब की बार फिर पहले जैसे ही मैं मेरी लहंगा ऊपर को उठाने लगी! अबकी बार मेरे जंघे भी दिखने लगे! भय्या का फेस तम तमा रहा था! लहंगे को और थोड़ा ऊपर उठावुंगी तो, मेरे मुलायम जांघो के बीच पैंटी के नीचे की उभार दिख जाएगी! भय्या बिना झपकी मरे मेरे जांघों के बीच देख रहे थे मैं भी एक्साइट होने लगी! साथ ही साथ लाज भी हो रही थी! वैसे उन्हें अपनी चीज दिखाना भी चाहती थी! एक झटके में मैंने लहंगा कमर के ऊपर तक उठाई, दो सेकंड वैसे ही थी फिर लहंगा गिराकर, वहांसे भागी!
सीधा मेरे रूम में जाकर पीठ पर गिरी और मेरे मुहं को अपने हाथोंसे ढपली! भय्या मेरे पीछे ही भाग कर आए और बोले "हेमा तुम चीट कर रही हो" कहते मेरे मुहं पर से मेरे हाथ निकलने की कोशिश करे!
"जाओ भय्या मुझे शर्म आ रही है; तुम्ही देखलो" मैं अपने मुहं पर से हाथ निकाले बिना ही बोली! मेरा ऐसा बोलने की देरी थी भय्याने मेरा लहंगा और साथ ही पेटीकोट का नाडा खींच कर दोनों कपडे मेरे शरीर से अलग किये! अब मैं सिर्फ बिना ब्रा के ब्लाउज और कमर के नीचे ऊदा पैंटी में थी!
"ओफ! कितना प्यारा है हेमा तुम्हारी मुनिया.. कितनी फुली फुली है" कहकर पैंटी के ऊपर से ही मेरे उभार को अपनी हथेली के बीच लिए और दबाये और फिर आगे झुक कर वहां किस करने लगे! अब भय्या के बॉडी के ऊपर भी सिर्फ कुर्ता ही रह गयी! निचे पजामा नहींथी! नजाने पजामा कब उतर फेंके! उनका लम्बा, मोटा मर्दानगी की उछल खुद का हलचल मुझे कुर्ते के नीचे दिख रही है!
फिर देखते ही देखते भय्याने मेरी पैंटी भी खींच डाली! जब पैंटी को नीचे को खींच रहे थो मैं अपनी कमर उठाकर पैंटी खींचने में मदद की! पैंटी के नीचे खिसकते हि मेरी बुर बिलकुल नंगी भय्या के आँखों के सामने थी!
"ओह हेमा..कितना प्यारा है तुम्हारी यह चूत सच बहुत प्यारी है! एकदम बिना बालों वाली, मुलायम, मोठे पत्तियां (thick lips), बीच में नन्हीसी फांक उफ़.." कहते वहां मेरे क्रोच (crotch) पर, मेरे बुर पर चुम्बन बरसाने लगे! भय्या का ऐसा करना मुझे मज़ा मिल रही है, सरे शरीर में एक अजीब तरह की सन सनाहट होने लगी! सारे शरीर में मस्ती भरने लगी और मेरे बुर के अंदर और अंदर खुजली सी होने लगी! अनजाने में ही मैं अपनी कमर ऊपर को उछाली!
वहां मेरी बुर पर चुम्बन करने के बाद भय्या ऊपर को सरक कर मेरे गोल चूचियों को मींजने लगे! उनका हरकतोंसे मेरे चूचियां कड़क होकर एकदम टाइट होगये और निपल्स भी तनकर सख्त हो गए! भैया एक चूची सी मसलराहे थे तो मैं अपनी हाथोंसे दूसरी को अपने आप मसलने लगी! भैया के और मेरे हरकतोंसे चूचियोंमे ठीस ही उठने लगी! मेरा दूसरा हाथ भैय्या के गर्दन के गिरफ़्त डालकर उन्हें अपने ऊपर खींची और लगी उनके होंठों को चूसने! उनके होंठ गर्मी से मेरे होंठ में पिघलने लगी! "ससस...हहह..आह.." मेरी मुहं से एक मीठी कराह निकली! उनका टंग मेरे मुहं में घस कर अंदर पूरा घूमने लगे! मैं उनके टंग को चुभलाने लगी!
मेरे से भी अब सहा नहीं जा रहाथा! अब मैं भैया को अपने मस्तियों पर खींच कर एक चूची को पकड़कर उनके मुहं में धकेलने लगी! भैय्या मेरि मतलब समझकर उसे मुहं इ लिए और घुंडी को चुबलाते लगे!
शशांक भैया मौका देख के मेरे जांघो के बीच आ गये थो मैंने अपनी टंगे और चौड़ी करदी ताकी उन्हें सहूलियत रहे! उन्होंने अपना सूपड़ा मेरी मुनिया पर रगड़ने लगे. उनका लंड मेरी चूत में घुसने का लिए तैयार है! मैं अपनी अपनी कोहनियों पर उठकर भैय्या का हरकत देख रही थी! ऐसे देखने में मेरी जोश और बढ़ गयी! उनका सूपड़ा पिंकिश कलर में गर्म थी! वह अब अपनी मुस्टंड को मेरी अन चुदी चूत में घुसाने के लिए रेडी थे!
मेरी एक्साइटमेन्ट बढ़गई! मई उनका मेरे में घुसने का वेट कर रहीथी! मई भैय्या की ओर देखि भैया भी मुझे ही देख रहे थे! मैं शर्म से आखे झुकाली"
"हेमा.. करूँ ..?" भैय्या पूछे! मैं उनके गर्दन में हाथे लपेट उनकी होंठ चूमते अपनी कमार उछाली!
मेर ऐसे करने पर भय्या ने अपन उंगलियों से मेरे चूत के होंठों को को चौड़ा कर अपना सूपड़ा वहाँ ... मेरे चूत की मुहानेपर रखे और अंदर को दबाये! उनका नोब आधा अंदर घुसी! मुझे ऐस लगा की मेरी बुर पैल रही है! कुछ दर्द सा भी हुआ! एक बार फिर से दबाये.. नोब पूरा मेरे अंदर!
"आआह्ह्ह...ममम....सससस.." मैं दर्द से कराही! भय्या रुके और फिर मेर चूचियों से खेलने लगे! मेर चूचियों को दबाते निपुल को किस करते कभी कभी उसे मुहं में चुभलाने लगे! मेरे होंठों को चूसने लगे! दर्द से मुझे कुछ राहत मिली! मैं हवा में उड़ने लगी! सारे बदन में अनोखी मस्ती छागई! अंदर मेरे सूखे बुर अब रिसकर गीली होगई!
"ह्ह्ह...स्सश्हाहहहह,,,हआ" मेरे मुहं से एक मीठी कराह निकली!
"हेमा.. क्या हुआ...?" शशांक भैय्या मेरे आंखो मे देखते पूछे! उनके आँखमे शरारती थी!
"छी... जाओ भैय्या मुझसे बात मत करो.. तुम बहुत गंदे हो! मैं शर्म से मेरे मुहं दूसरी तरफ फेरली!
"आआह.. तुम जब शर्मा रही हो थो कितनी सुन्दर लगती हो हेमा... सससस.... काट के खोजने को दिल कर रहा है! कह कर मेरे गोर गालों को सच में ही हल्केसे काटे!
"ओफ्फो.. अब बस भी करो भैय्या .... गालों मेँ गांठे पड़ेंगे.. पहले जो करना है करों.. फिर काट के खाना!" कह कर मैंने मेरे कमर उछली!
"चाहिए...?" उसने शरारती से पूछे!
मैं फिर से कमर उछली! ठीक उसी समय भैय्या एक शॉट दिए! "सससस...सष्ह्म्म्म म मम..ममा" मैं दर्द से चिल्लाई। भैया का मोटा लंड मेरे उसमे आधे से ज्यादा उतर गयी! उंनका रोड मेरे बुर में vice grip जैसे फँस गयी! "भैय्या दर्द हो रहा है..निकालो.आफफ। .. मम्माआ... मेरी। . फट गयी!" मैं दर्द से कराहती बोली! मेरे आंखोमें आंसू...!
"हो गया.. तुम्हारी बुर अब खुल गयी.. ठुमरी कुंवारापन ख़त्म हुआ! झिल्ली फट गयी... बस थोड़ी सी दर्द होगी... फिर देखना मज़ा ही मज़ा है!" कहते मेरे होंटो को अपने मे लेकर चूसते, मेरी गुंडियों को मसल रहे थे! पांच मिनिट के अंदर मेरे बुर में फिर से जुसेस (juices) रिसने लगी! दर्द काम हुआ, अंदर फिरसे खुजली होने लगी! अनजाने में ही मैंने अपने हाथ भैय्या के कमर के गिर्द लपेट उनहे मेरे ऊपर खींच कमर को ऊपर को उछाली! मेरा मतलब उनको समझमे आई और उन्होंने अपना डंडा को धीरे से ऊपर नीचे करने लगे! तीन चार मिनिट ऐसा करते ही भैया का लैंड अब बहुत आसानी से मेरे अंदर आ जा रहीथी!