छाया - भाग 12

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सोमिल के वचन की लाज और अप्रत्याशित हादसा.
6.7k words
4.46
904
00

Part 12 of the 19 part series

Updated 06/10/2023
Created 12/14/2020
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सोमिल के वचन की लाज

(मैं सीमा)

छाया और मानस को एक साथ छोड़कर मैं वापस अपने कमरे की तरफ चल पड़ी आज मानस और छाया के संभावित मिलन को सोच कर मैं मन ही मन मुस्कुरा रही थी। सोमिल के कमरे का दरवाजा खोल कर जैसे ही मैं अंदर दाखिल हुई मेरे सिर पर किसी ने जोरदार प्रहार किया मैं धड़ाम से गिर गई।

अनिष्ट की आशंका प्रबल हो गयी थी.

सोमवार (पहला दिन)

होटल (सुबह के 8:00 बजे)

(मैं छाया)

"मानस भैया उठिए 8:00 बज गए, हमें 7:00 बजे ही विवाह भवन वापस जाना था."

सीमा भाभी भी उठाने नहीं आयीं। उन्होंने मुझसे 7:00 बजे चलने के लिए कहा था।"

मानस भैया ने मुझे फिर अपनी बाहों में खींच लिया। अभी तक हम दोनों वैसे ही नग्न थे। मेरी खुद की भी इच्छा उनकी बाहों में आकर एक बार और संभोग सुख लेने की थी पर काफी विलंब हो चुका था। मैं उन्हें चूमती हुई बिस्तर से हट गई। उन्होंने कहा

"जाकर देखो सीमा कहां रह गई। लगता है सोमिल का वचन निभाते निभाते वह भी मगन हो गयी" ऐसा कहकर मानस भैया हंसने लगे.

मैंने अपनी नाइटी पहनी और बगल वाले कमरे में गई. कमरे का दृश्य देखकर मेरी चीख निकल गई मैंने दरवाजा वैसे ही बंद कर दिया। और भागकर अपने कमरे में आयी.

"मानस भैया,,,, मानस भैया" सीमा भाभी बेहोश पड़ी है जल्दी आइए.. मानस भैया ने अपना पजामा और कुर्ता पहनना और भागकर बगल वाले कमरे में आए। मैं भी उनके पीछे-पीछे डरी हुई कमरे में प्रवेश की। बिस्तर के एक तरफ सीमा भाभी नीचे जमीन पर बेसुध पड़ी हुयीं थी। मानस भैया ने उनकी पल्स देखी वह चल रही थी। उन्होंने मुझसे कहा..

"थोड़ा पानी देना" मैं भागकर बिस्तर की दूसरी तरफ पानी लेने गई. वहां जमीन पर पड़े एक और व्यक्ति को देखकर मैं एक बार फिर चिल्लाई. मानस भैया सीमा दीदी को छोड़ मेरे पास आये। वह आदमी जमीन पर पेट के बल पड़ा हुआ था। उसके चारों तरफ खून फैला हुआ था उसके पीठ में गोली लगी थी। यह दृश्य देखकर हम दोनों के होश उड़ गए। मैं डर से रोने लगी। मानस भैया ने टेबल पर पड़ी पानी की बोतल उठाई और पानी की कुछ बूंदे सीमा के चेहरे पर डाली। सीमा की आंखें कुछ पल के लिए खुलीं। मानस भैया ने सीमा के चेहरे पर एक बार फिर पानी छींटा सीमा ने आंखे खोली वह होश में आ रही थी।

मानस भैया ने मुझे चुप रहने का इशारा किया। सीमा अब होश में आ चुकी थी। मानस भैया ने उसे भी चुप रहने के लिए कहा और उसे उठाकर किसी तरह अपने कमरे में ले आये।

हम तीनों की हालत खराब थी। सोमिल के कमरे में खून हुआ था। पर सोमिल कमरे से गायब था। सीमा भाभी भी कुछ बता पाने की स्थिति में नहीं थीं।

(मैं मानस)

सीमा को इस हालत में देखकर मेरे होश फाख्ता हो गए थे मेरी प्यारी सीमा किस हाल में आ चुकी थी जब उसने आंखें खोली तो मुझे राहत महसूस हुई मैंने भगवान को एक बार फिर शुक्रिया अदा किया हम तीनों आगे आने वाली घटनाओं के बारे में सोच रहे थे। खून हुआ था और यह एक असामान्य घटना थी। मैंने पुलिस को इत्तिला करने की सोची पर पुलिस का नाम सुनते ही छाया और सीमा डर गयीं। सीमा अभी भी नववधू वाले लिबास में थी।

छाया ने कहा कुछ देर रुक जाइए पहले हम स्वयं को इस बात के लिए तैयार कर ले। मैंने अपना फोन उठाया उसमें कई सारे मिस कॉल थे। विवाह भवन से माया आंटी, शर्मा अंकल, मनोहर चाचा जाने कितने ही लोगों के फोन उस में आए हुए थे। हमें सुबह 7:00 बजे विवाह मंडप पहुंच जाना था और इस समय 8:30 बज रहे थे हमें देर हो चुकी थी। वह सब निश्चय ही हमारी चिंता कर रहे होंगे।

छाया ने कहा

" हम पुलिस से क्या बताएंगे? सीमा दीदी सोमिल के कमरे में क्यों थी?

प्रश्न जटिल था और उत्तर बना पाना इतना आसान नहीं था. तभी छाया की दृष्टि हमारे बेड पर पड़ी. हमारे प्रेम रस और छाया के प्रथम संभोग से हुए रक्तश्राव से बिस्तर पर एक अद्भुत कलाकृति बन गई थी। राजकुमारी(कुवारी योनि) का रक्त स्पष्ट रूप से बिस्तर पर दिखाई पड़ रहा था. छाया ने रूम सर्विस को फोन कर दो बेडशीट लाने ने के लिए बोला। कुछ ही देर में हमारे बेड पर नई बेडशीट थी। परंतु बिस्तर पर हुए रक्तस्राव और प्रेम रस के मिश्रण ने गद्दे पर भी अपने अंश छोड़ दिए थे।

हमने अपने उत्तर तैयार कर लिए।

मैंने आखिरकार पुलिस को फोन कर दिया।

(मैं मानस)

एक तो सोमिल का इस तरह से गायब हो जाना हमारे लिए चिंता का विषय था ऊपर से उसके कमरे में हुआ खून। इतना तो तय था कि हम तीनों में से कोई भी गुनाहगार नहीं था। पर जिस सामाजिक गुनाह ( मैंने और छाया ने सुहागरात मनाकर) को हमने किया था हमारे लिए वह भी चिंता का विषय था।

छाया में अपना दिमाग चलाया और सीमा के सर पर हाथ फिराया यह देखने के लिए कि कहीं चोट की वजह से रक्तश्राव तो नहीं हुआ है। ऐसी स्थिति में सीमा का रक्त सोमिल के कमरे से बरामद होता।

भगवान ने हमें बचा लिया था सीमा के सर पर चोट तो थी पर रक्तस्राव नहीं हुआ था। सीमा अभी भी सदमे में थी। छाया ने अपने नववधू वाले वस्त्र पुनः पहन लिए थे और सीमा को नाइटी पहना दी थी।

कुछ ही देर में विवाह मंडप से सोमिल का भाई संजय, मनोहर चाचा, माया आंटी ( छाया की माँ), शर्मा जी ( माया आंटी के करीबी मित्र) और मेरे कुछ दोस्त होटल आ चुके थे। होटल प्रशासन को भी इस मर्डर की सूचना प्राप्त हो चुकी थी और उन्होंने भी अपने हिसाब से पुलिस प्रशासन को सूचित कर दिया था।

सांय.... सांय..... सांय..... पुलिस की गाड़ियों के सायरन होटल के आसपास गूंजने लगे। कई सारी गाड़ियां होटल के पोर्च में आ चुकी थी। कुछ ही देर में पुलिस अधिकारी मिस्टर डिसूजा सोमिल के कमरे में थे। 40 वर्ष की उम्र फ्रेंच कट दाढ़ी, रंग सांवला और चेहरे पर पुलिसिया रोआब।

उन्होंने कमरे का बारीकी से मुआयना किया। मैं उनके पीछे ही था।

(मैं डिसूजा)

कमरे में अंदर घुसते ही मुझे कमरे में फैली भीनी भीनी खुसबू महसूस हुयी। बिस्तर की सजावट सुहागरात की तरह की हुई थी पर चादर पर सलवटें नही थी ऐसा लगता था जैसे इस बिस्तर का उपयोग नहीं हो पाया था। बिस्तर के दूसरी तरफ पड़ी हुई लाश 33-34 वर्ष के आदमी की थी. जिसे पीछे से गोली मारी गई थी.

लॉबी में आने के बाद मैंने पूछा

"पुलिस स्टेशन किसने फोन किया था?"

26- 27 वर्ष के एक युवक जो बेहद खूबसूरत और आकर्षक व्यक्तित्व का मालिक था सामने आया और बोला सर मैंने ही फोन किया था.

"आप इस कमरे में क्या कर रहे थे?"

सर मेरी पत्नी मेरी बहन छाया को उठाने के लिए कमरे में दाखिल हुई तभी उसने उसे जमीन पर गिरा हुआ पाया। उसने आकर मुझे बताया। मैं कमरे में गया........."

(मानस में सारी घटना उसी क्रम में बता दी जिस तरह हकीकत में वह घटित हुई थी. उसने बड़ी चतुराई से छाया और सीमा के स्थान बदल दिए थे)

"अपनी पत्नी को बुलाइए"

एक बेहद खूबसूरत युवती नाइटी पहने मेरे सामने उपस्थित हुई. उसकी खूबसूरती दर्शनीय थी. मेरी कामुक निगाहें एक पल के लिए उस पर ठहर गयीं। ऐसा लगता था जैसे उसने ब्रा तक नहीं पहनी थी। उसके चेहरे पर डर था।

"क्या नाम है आपका"

"ज़ी सीमा"

"क्या देखा आपने"

(सीमा ने भी अपनी बातें वैसे ही बता दी जैसे छाया ने देखा था)

"आपकी ननद कहां है"

नववधू के लिबास में लिपटी हुई एक अत्यंत सुंदर युवती मेरे सामने आई. मैं आज एक साथ दो अप्सराओं को देखकर को मन ही मन अपनी किस्मत को कोस रहा था की हमारे भाग्य में यह क्यों नहीं आती।

मैंने पूछा

"क्या नाम है आपका?"

"जी छाया" उसकी गर्दन झुकी हुई थी वह डरी हुई थी. आपको जो भी पता हो खुल कर बताइए..

"जी सीमा भाभी और मानस भैया को कमरे में छोड़कर जैसे ही मैं अपने कमरे में घुसी मुझे किसी ने पीछे से पकड़ लिया और मेरे नाक पर रुमाल रख दिया उसकी अजीब सी गंध से मैं बेहोश हो गई। और जब सुबह मेरी नींद खुली तब मैं मानस भैया की गोद में थी। होश में आने के बाद मैं मानस भैया के कमरे में आ गई। सीमा भाभी ने मुझे सोमिल के गायब होने और कमरे में हुए खून की जानकारी दी"

वह एक सुर में सारी बात कह गई।

"आपने किसी का चेहरा देखा था?"

"जी नहीं. मुझे कमरे में किसी और व्यक्ति के होने का एहसास जरूर हुआ था पर मैं उसका चेहरा नहीं देख पायी।"

"क्या उस समय सोमिल कमरे में थे?"

"जहां तक मेरी नजर पड़ी थी वहां तक सोमिल मुझे नहीं दिखाई दिए थे"

होटल की लॉबी में अब तक बहुत भीड़ इकट्ठा हो चुकी थी.

आप तीनों बेंगलुरु शहर छोड़कर नहीं जाएंगे अपना पता और बयान हवलदार सत्यनारायण को दर्ज करा दीजिए.

जिस रूम में खून हुआ था उसको मैंने सील करने के आदेश दिए. मेरे साथ आई टीम कमरे में मौजूद सबूतों की तलाश में लग गई. उस सुंदर युवक ने मुझसे पूछा सर क्या हम अपने घर जा सकते हैं. मैंने उन दोनों युवतियों का चेहरा ध्यान में रखते हुए उन तीनों को जाने की इजाजत दे दी.

उनके जाने से जाने के बाद मैंने मानस और सीमा के कमरे की भी तलाशी ली। उसमें मिले साक्ष्यों को भी हमारी टीम ने संजोकर रख लिया।

यह खून और उनके साथी सोमिल का गायब होना किसी साजिश की तरफ इशारा कर रहा था। केस पेचीदा था पर मुझे खुद पर पूरा भरोसा था। मैंने हर पहलू पर सोचना शुरू कर दिया.....

(मैं मानस)

हम तीनों वापस विवाह भवन के लिए निकल चुके थे छाया और सीमा दोनों ने अब अपने वही वस्त्र पहन लिए थे जिन्हें पहन कर वो यहां आयीं थीं। ब्रीफ़केस में रखे वस्त्र भी उसी प्रकार के थे। सिर्फ छाया ने वह चादर भी रख ली थी जिस पर उसकी राजकुमारी( योनि) के रक्त और हमारे प्रथम मिलन (संभोग) के प्रेमरस से एक खूबसूरत कलाकृति बन गई थी। छाया ने यह कार्य बड़ी समझदारी से किया था।

सोमिल का फोन अब बंद हो चुका था। हमारी चिंता बढ़ रही थी।

मुझे इस बात का डर था की होटल में लगे सीसीटीवी कैमरों में हमारी गतिविधियां जरूर रिकॉर्ड हुई होंगी जो हमारी पुलिस को बताई गई बातों से मेल नहीं खाती थी। हम तीनों ही डरे हुए थे आपसी संबंधों को खुलकर न बता पाने की वजह से हमने पुलिस से यह झूठ बोला था।

अचानक सुनील का भाई संजय हाथ में अखबार के लिए हुए दौड़ता हुआ मेरे पास आया और बोला मानस भैया मानस भैया यह देखिए। अखबार पर नजर पड़ते ही मेरे होश फाख्ता हो गए सोमिल जिस कंपनी में काम करता था उसमें 50 करोड़ का गबन हुआ था। मैंने इस खबर को सोमिल के गायब होने से जोड़ा और तुरंत ही मिस्टर डिसूजा को फोन लगाया।

"सर मैं मानस आपको एक सूचना देनी है"

"क्या है बोलिए" उसने मुझे याद कर कुछ देर में जबाब दिया।

"सर सोमिल की कंपनी में 50 करोड़ का गबन हुआ है. आप हिंदुस्तान टाइम्स की खबर पेज नंबर 13 पर देख सकते हैं. यह बात मैंने आपको बताना जरूरी समझा इसलिए फोन किया"

"ठीक है मैं देखता हूं. क्या आपके पास उस कंपनी के मालिक का नंबर है"

"जी सर मैं पता करके भेजता हूं"

"ठीक है" वो शायद अभी अभी होटल में ही थे आसपास कई सारे पुलिस वालों की आवाज आ रही थी और वह सबूतों की बात कर रहे थे।

सोमिल की कंपनी पाटीदार फाइनेंस के मालिक रमेश पाटीदार एक 55- 56 वर्ष के प्रभावशाली आदमी थे. उनकी कंपनी में लगभग 200 लोग कार्यरत थे सोमिल और छाया भी उसी कंपनी के सॉफ्टवेयर विभाग में काम करते थे। फाइनेंशियल ट्रांजैक्शन को नियंत्रित करना तथा उनकी गोपनीयता बनाए रखना सोमिल के कार्य का एक हिस्सा था। इस गबन के आरोप में सोमिल का नाम पेपर वालों ने भी उछाला था। सोमिल के फरार होने से यह बात और भी पुख्ता तरह से प्रमाणित हो रही थी।

कमरे में हुआ खून किसी और बात की तरफ भी इशारा करता था। मैं, छाया और सीमा को लेकर ही परेशान था वह दोनों नवयौवनाएँ जो अभी हाल में ही विवाहिता हुई थी और अपने जीवन का आनंद लेना शुरू कर रही थी उन्हें इस तनाव भरे छोड़ो से गुजर ना पढ़ रहा था उनके चेहरे की लालिमा गायब थी वह दोनों ही तनाव में थी।

इस केस को समझ पाना मेरे बस से बाहर था। मैंने सब कुछ भगवान पर छोड़ दिया। मैंने विवाह में आए लोगों को यथोचित अदर देकर अपने अपने घर जाने के लिए कहा। विवाह मंडप खाली करना भी अनिवार्य था। सूरज ढलते ढलते सभी लोग अपने अपने घर चले गए।

हम सब भी अपने घर आ चुके थे सोमिल के माता पिता भी मेरे घर पर आ गए थे। हम सब अपने ड्राइंग रूम में बैठे हुए आगे होने वाली घटनाओं के बारे में सोच रहे थे।

छाया और सीमा भी फ्रेश होकर हॉल में आ चुकीं थीं । उसने अपनी कंपनी के मालिक रमेश पाटीदार को फोन किया।

"सर मैं छाया"

"सोमिल की जूनियर।"

"मैंने पेपर में खबर पढ़ी पर सोमिल ऐसा नहीं कर सकता मैं आपको विश्वास दिलाती हूँ।"

मैंने छाया को फोन का स्पीकर चालू करने के लिए कहा

"मैं भी पहले यही समझता था मैंने सोमिल पर जरूरत से ज्यादा विश्वास किया और उसका यह नतीजा आज मुझे देखना पड़ रहा है। मैं उसे छोडूंगा नहीं देखता हूं वह कहां तक भाग कर जाएगा"

स्पीकर फोन पर आ रही इस आवाज ने हम सभी को रमेश पाटीदार के विचारों से अवगत करा दिया था हमें उनसे किसी भी सहयोग की उम्मीद नहीं थी।

शर्मा जी भी अपनी जान पहचान के पुलिस अधिकारियों से बात कर सोमिल का जल्द से जल्द पता लगाने का प्रयास कर रहे थे।

छाया और मैंने पिछली रात जो संभोग सुख लिया था उसने छाया को थका दिया था। वह सोफे पर बैठे बैठे ही सो गई थी निद्रा में जाने के पश्चात उसके चेहरे का लावण्य उसकी खूबसूरती को एक बार फिर बढ़ा गया था यदि सोमिल के गायब होने का तनाव मेरे मन पर ना होता तो मैं छाया को अपनी गोद में उठाकर एक बार फिर बिस्तर पर होता पर आज कुदरत हमारे साथ नहीं थी मैंने और छाया ने इतना दुखद दिन आज से पहले कभी नहीं देखा था।

(मैं डिसूजा)

होटल समय 11 बजे

मैं होटल की सीसीटीवी फुटेज देख रहा था तभी सत्यनारायण का फोन आया

"सर दूसरे कमरे में भी खून के निशान मिले हैं"

"क्या? कहां?"

"सर' सर बिस्तर पर"

"ठीक है मैं आता हूं।"

(दूसरे वाले कमरे में)

गद्दे पर थोड़ा रक्त के निशान थे और उसके आसपास दाग बने हुए थे रक्त का निशान ताजा था।

मेरा सिपाही मूर्ति सामने आया और बोला

"सर इस गद्दे के ऊपर बिछी हुई चादर पर कोई भी दाग नहीं था पर गद्दे पर यह दाग ताजा लगता है"

पीछे से किसी दूसरे सिपाही ने कहा

"कहीं सुहागरात का खून तो नहीं है"

पीछे से दबी हुई हंसी आवाज आई।

"रूम सर्विस से पता करो इस दाग के बारे में"

दोनों ही रूम से मेरी टीम ने कई सारे सबूत इकट्ठा किए बिस्तर पर लगे हुए खून को भी मैंने फॉरेंसिक टीम में भेज दिया।

होटल के दोनों कमरों को सील कर हम लोग वापस पुलिस स्टेशन आ गए सोमिल की तलाश अभी भी जारी थी सोमिल की कॉल डिटेल का इंतजार था।

वापस पुलिस स्टेशन आते समय मैं उन दोनों युवतियों के बारे में सोच रहा था नाइटी पहने हुई युवती बेहद कामुक थी दूसरी वाली तो और भी सुंदर थी । मेरे मन में कामुकता जन्म ले रही थी पर मैंने अभी इंतजार करना उचित समझा।

मंगलवार (दूसरा दिन)

मानस का घर( सुबह 8:00 बजे)

(मैं मानस)

पिछली रात में और सीमा अपने बिस्तर पर थे । छाया को भी अपने कमरे में मन नहीं लग रहा था वह भी हमारे पास आ गई। हम सोमिल के बारे में बातें करते करते सो गए। हम तीनों एक ही बिस्तर पर के दिनों बाद थे।

छाया का विवाह भी हो चुका था और प्रथम संभोग भी। यदि आज कोई और दिन होता तो मैं,सीमाऔर छाया अपने अद्भुत त्रिकोणीय प्रेम का आनंद ले रहे होते। पर आज सोमिल के इस तरह गायब होने का दुख हम तीनों को था। हम तीनों की ही कामुकता जैसे सूख गई थी अन्यथा दो अप्सराओं को अपनी गोद में लिए हुए अपने राजकुमार को नियंत्रण में लाना असंभव था।

मेरे फोन पर घंटी बजी डिसूजा का फोन था

"10:00 बजे इन दोनों महिलाओं को लेकर टिटलागढ़ पुलिस स्टेशन आ जाइए"

"सोमिल का कुछ पता चला सर"

"अभी तक तो नहीं पर हां मुझे कुछ सबूत हाथ लगे हैं आइए बात करते हैं"

हम तीनों पुलिस स्टेशन के लिए निकल गए। सीमा और छाया ने जींस और टीशर्ट पहनी हुई थी वह दोनों ना चाहते हुए भी आज के दिन कामुक लग रही थी। भगवान ने उन्हें ऐसा शरीर ही दिया था चाहे वह कोई भी वस्त्र पहन ले उनकी कामुकता और यौवन स्वतः ही आस-पड़ोस के युवाओं को आकर्षित करता था। मुझे उन दोनों को हब्शी पुलिस वालों के पास ले जाने में डर भी लग रहा था पर हमारे पास कोई चारा नहीं था। मैं अपने मन की बात उन दोनों को बता भी नहीं सकता था। उन दोनों अप्सराओं को लेकर मैं मन ही मन चिंतित था।

उस बदबूदार पुलिस स्टेशन में पहुंचकर छाया और सीमा के चेहरे पर घृणा और तनाव दिखाई पड़ने लगा वह दोनों दीवार पर पड़ी हुई पान की पीक को देखकर उबकाई लेने लगीं। मैंने उन्हें धैर्य रखने के लिए कहा कुछ ही देर में हम डिसूजा के ऑफिस में थे।

हमें आपको होटल की लॉबी में लगे सीसीटीवी कैमरे की फुटेज दिखानी है आपको उसमें सुमित की पहचान करनी है

छाया और सीमा के पैर कांपने लगे उन्हें अपने दिए गए बयानों और कैमरे में कैद हुई घटनाओं का विरोधाभास ध्यान आ गया था मैं स्वयं इस बात से डर गया कि मेरे और छाया के संबंध अब सार्वजनिक हो जाएंगे जिस समाज के डर से हम दोनों ने विवाह नहीं किया था वह समाज हमें इस घृणित कार्य ( हमारे लिए वो पवित्र ही था) के लिए दोषी ठहराएगा।

उसने अपने टीवी पर होटल के लॉबी की सीसीटीवी फुटेज लगा दी।

हम चारों लॉबी में चलते हुए आ रहे थे। छाया और सीमा की खूबसूरती में मैं एक बार फिर खो गया सोमिल को कमरे में छोड़ने के बाद जब हम तीनों एक कमरे में घुसे तभी डिसूजा ने वीडियो रोक दिया उसने पूछा...

"शादी किसकी हुई थी?"

"छाया शर्माते हुए आगे आई".

"तुम अपने पति को छोड़कर इन दोनों के कमरे में क्यों गई थी.?".

छाया बहुत डर गई थी उसके मुंह से कोई आवाज नहीं निकल पा रही थी. तभी सीमा ने पीछे से कहा..

"वह हमारा कमरा देखने और हम दोनों का आशीर्वाद लेने गई थी"

डिसूजा अपनी कामुक निगाहों से छाया और सीमा को सर से पैर तक देख रहा था मुझे पूरा विश्वास था कि वह उनके उभारों से अपनी आंख सेंक रहा है पर पुलिसवाला होने की वजह से मैं कुछ नहीं कर सकता था। मुझे यह अपमानजनक भी लग रहा था पर मैं मजबूर था। हमने तो एक बात छुपाई थी उस बात के लिए हम बहुत डरे हुए थे उसने वीडियो दोबारा चला दिया।

कुछ ही देर में सोमिल अपने कमरे से निकलकर वापस लिफ्ट की तरफ जाता हुआ दिखाई दिया। उसकी पीठ सीसीटीवी कैमरे से दिखाई पड़ रही थी। हमने उसे उसे पहचान लिया।

"अरे यह तो सोमिल है यह कहां जा रहे हैं?" सीमा ने आश्चर्यचकित होकर बोला.

इसके बाद टीवी पर आ रही तस्वीर धुंधली हो गई और स्क्रीन ब्लैंक हो गए ऐसा लगता था जैसे कैमरा खराब हो गया या कर दिया गया हो

मैंने डिसूजा से पूछा इसके आगे की रिकॉर्डिंग दिखाइए

उसने कहा

इसके बाद किसी ने सीसीटीवी कैमरे को डैमेज कर दिया है।

मैं मन ही मन बहुत खुश हो गया पर झूठा क्रोध दिखाते हुए कहा

"किसने तोड़ दिया"

"परेशान मत होइए अभी उत्तर मिल जाएगा"

उसने अपने एक सिपाही को बुलाया जिसने हम से हमारे बेंगलुरु में रहने वाले मित्रों और रिश्तेदारों के नंबर लिखवाए और कहा

आप लोग बाहर बैठिए मुझे छाया जी से कुछ बात करनी है। छाया डर गई पर कुछ कुछ बोली नहीं

मैं और सीमा कमरे से बाहर आकर बाहर पड़ी एक बेंच पर बैठ कर छाया का इंतजार करने लगे।

जंगल का कैदखाना (सुबह १० बजे)

(मैं सोमिल)

अपने गर्दन में हुए तीव्र दर्द से मुझे जीवित होने का एहसास हुआ। मैंने स्वयं को बिस्तर पर पड़ा हुआ पाया। खिड़की से आती हुई रोशनी मेरी अचानक वीरान हुई जिंदगी में उजाला करने की कोशिश कर रहा था। मैंने आवाज दी

"कोई है? कोई है?"

कुछ देर बाद कमरे का दरवाजा खुला और एक सुंदर लड़की ने प्रवेश किया उम्र लगभग 22-23 वर्ष रही होगी। उसने एक सुंदर सा स्कर्ट और टॉप पहना हुआ था।

"जी सर' पानी लाऊं क्या?"

"यह कौन सी जगह है? मैं कहां हूं?

"सर यह सब तो मुझे पता नहीं पर मुझे आपका ख्याल रखने को कहा गया है"

मैंने बिस्तर से उठने की कोशिश की पर तेज दर्द की वजह से उठ नहीं पाया. वह पानी की बोतल देते हुए बोली

"थोड़ा पानी पी लीजिए और चेहरा धो लीजिए आपको अच्छा लगेगा."

मैं उठ पाने की स्थिति में नहीं था मैं कराह रहा था. उसने स्वयं पास पड़ा हुआ नया तौलिया उठाया और उसे पानी से गीलाकर मेरा चेहरा पोछने लगी। मुझे उसकी इस आत्मीयता का कारण तो नहीं समझ में आया पर मुझे उसका स्वभाव अच्छा लगा। एक बार फिर प्रयास कर मैं बिस्तर से उठ खड़ा हुआ। कमरा बेहद खूबसूरत था कमरे के बीच बेहद आकर्षक डबल बेड लगा हुआ था जिस पर सफेद चादर बिछी हुई थी कमरे की सजावट देखकर ऐसा लगता था जैसे वह किसी 4 स्टार होटल का कमरा हो कमरे से बाहर निकलते हैं एक छोटा हाल था और उसी से सटा हुआ किचन।

"बाथरूम किधर है"

"सर, उस अलमारी के ठीक बगल में"

बाथरूम के दरवाजे की सजावट इतनी खूबसूरती से की गई की मैं उसे देख नहीं पाया था। बाथरूम भी उतना ही आलीशान था जितना कि कमरा।

मुझे इतना तो समझ आ ही गया था कि मुझे यहां पर कैद किया गया है मैंने चीखने चिल्लाने की कोशिश नहीं की क्योंकि इसका कोई फायदा नहीं था।

क्या नाम है तुम्हारा

"जी शांति"

"बाहर कौन है?"

"साहब दो गार्ड रहते हैं. वही जरूरत का सामान लाकर देते हैं"

"तुम यहां कब से आई हो?"

"साहब आपके साथ साथ ही तो आई यह लोग आपको डिक्की में लेकर आए थे। मैं भी उसी गाड़ी में थी।"

"यह लोग आपको यहां किस लिए लाए हैं?"

उसका यह प्रश्न मेरा भी प्रश्न था.मैं निरुत्तर था तभी मुझे बाहर बात करने की आवाज सुनाई दी.

"सर वह होश में आ गया है"

"ठीक है सर"

मेरे कमरे में फोन की घंटी बजी मैंने शांति से कहा

"देखो तुम्हारा फोन बज रहा है"

"सर मेरा फोन तो उन लोगों ने आने से पहले ही ले लिया"

यह मेरा फोन नहीं था पर मैंने जानबूझकर उसे उठा लिया

"सोमिल सर आप ठीक तो है ना?"

"आप कौन बोल रहे हैं?"

"सर आप मुझे नहीं जानते हैं."

"मुझे यहां क्यों लाया गया है?"

"मैं आपके किसी सवाल का जवाब नहीं दे सकता हूं. पर हां यदि आपको कोई तकलीफ हो तो मुझे बता सकते हैं. आपको जब भी मुझसे बात करनी हो बाहर खड़े गार्ड से बोल दीजिएगा। और हां, यहां से निकलने के लिए व्यर्थ प्रयास मत कीजिएगा। आपका प्रयास आपके लिए ही नुकसानदायक होगा। अभी जीवन का आनंद लीजिए एकांत का भी अपना मजा होता है। आपके घर वाले और परिवार वाले सुरक्षित हैं और कुशल मंगल से हैं। अच्छा मैं फोन रखता हूं।"

"सुनिए.. सुनिये" मेरी आवाज मेरे कमरे तक ही रह गई मोबाइल फोन का कनेक्शन कट चुका था.

मैंने फोन से छाया का नंबर डायल करना चाहा वही एक नंबर था जो मुझे मुंह जबानी याद था इस नंबर पर यह सुविधा उपलब्ध नहीं है की मुंह चिढ़ाने वाली ध्वनि मेरे कानों तक पहुंची. इसका मुझे अनुमान भी था मैंने फोन बिस्तर पर पटक दिया आश्चर्य की बात यह थी यह फोन नया था और अच्छी क्वालिटी का था मुझे अपने यहां लाए जाने का कारण अभी भी ज्ञात नहीं था।

उधर पुलिस स्टेशन में

(मैं छाया)

डिसूजा ऊपर से नीचे तक मुझे घूर रहा था ऊपर वाले ने मुझे जो सुंदरता दी थी इसका दुष्परिणाम मुझे आज दिखाई पड़ रहा था। उसकी नजरों से मेरे बदन में चुभन हो रही थी। वह मेरे स्तनों पर नजर गड़ाए हुए था। उसने कहा...

"तुम्हारी भाभी भी उस दिन सुहागरात मनाने आई थी क्या?"

मैंने सिर झुका कर बोला

"नहीं वह दोनों हमारे साथ यहां इसलिए आए थे ताकि हम कंफर्टेबल महसूस कर सकें"

"ओह, तो आप अपने भैया और भाभी के साथ कंफर्टेबल महसूस करती हैं."

मैंने कोई जवाब नहीं दिया.

"मानस आपके सौतेले भाई है ना? और सीमा आपकी सहेली?"

"जी"

"उन दोनों का कमरा सुहागरात की तरह क्यों सजाया हुआ था?"

"यह आप उन्ही से पूछ लीजिएगा।" मैंने थोड़ा कड़क हो कर जवाब दिया.

"आपके सोमिल से संबंध कैसे थे आप दोनों ने पसंद से शादी की थी या जबरदस्ती हुई थी"

"हम दोनों एक दूसरे से प्यार करते थे"

"सोमिल की अपनी कंपनी में किसी से दुश्मनी थी?"

"दुश्मनी तो मैं नहीं कह सकती पर हां कुछ साथी उनकी तरक्की से जलते थे और वह कंपनी के मालिक से उनकी शिकायत किया करते थे"

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