भाई बहन घर में अकेले

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एक भाई, जो सेक्स फोटोज दिखाकर अपनी सगी बहनको पटाकर चोदता है।
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एक भाई, जो सेक्स फोटोज दिखाकर अपनी सगी बहनको पटाकर चोदता है।

कहांनी एक ऐसे हरामी भाई की है, जो सेक्स फोटोज दिखाकर अपनी सगी बहनको पटाकर चोदता है।

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उस समाय शाम के आठ बजे थे। घर में श्वेता और शशांक भैया ही थे। श्वेता की माँ, बाबूजी और श्रीधर, उसका छोटा भाई अभी दो दिन पहले ही 10 दिन की दक्षिण भारत की भ्रमण पर निकल चुके। वास्तव में उन्हें भी जाना था लेकिन श्वेता के इण्टर के परीक्षाएं दो दिन आगे बढ़ जाने की वजह से उसे रुकना पड़ा और घर में श्वेता अकेले रहेगी इसी लिए शशांक भैया भी रुक गए।

उस शाम जब श्वेता शशांक भैय्या के रूम में गयी तो भैया बिस्तर पर अधलेटे, कुछ किताब देख रहे थे। "भैय्या क्या देख रहे हो...?" कहती श्वेता कमरे के अंदर गयी।

श्वेता की आवाज सुनते ही शशांक झट से किताब को तकिये नीचे रखे और श्वेता की ओर मुड़कर "कुछ भी तो नहीं श्वेता... आओ" कहे!

"भैय्या क्या देख रहे हो...?' श्वेता ने फिर से अपने भैय्या से पूछी।

"कुछ भी तो नहीं" शशांक श्वेता अपनी बहन की देखता कहा।

"भैय्या तुम कुछ देख रहे हो! मुझे भी देखने दो प्लीज." श्वेता ने अपने भाई से प्रार्थना (रिक्वेस्ट) की!

"यह तुम्हरे लिए नहीं ही... अभी तुम बहुत छोटी..." शशांक के कुछ कहने से पहले ही श्वेता समझ गई की भैय्या क्या कहने वाले है और कही...

"मैं अब छोटी बच्ची नहीं हूँ, देखो में कितनी लम्बी हूँ" और उसने अपना दायां हाथ सर से पैर तक चलायी और बोली "में अब 18 साल की हूँ और मेजर हूँ; मैंने चुनाव में वोट भी दे चुकी हूँ..." वह बोली। उसके स्वर में गर्व का पुट था।

जब पहली बार शशांक ने अपनी बहन को एक अलग ही निगाहों से देखा। उसके सामने 18 साल की एक खूबसूरत, जवान लड़की नज़र आई। वह टाइट लेग्गिंग्स और छोटीसी टॉप पहने थी. कंधों तक आने वाले अपने बालों बालो को उसने दो तरफ निकल के हेयर बैंड से बाँधी थी। वैसे बांधने से वह और भी छोटी लग रही थी। वह एकदम खिलती कली की तरह थी। उसका लम्बा गोरा बदन, गोल चेहरा, बड़े बड़े चमकते आँखे, सुतौला नाक, मक्कन की तरह चकनी गाल, और उसके होंठ थो एकदम गुलाब की पंखड़िकी तरह, उभर लेती उसके वजनी चूचियां और भरी मांसल चूतड़, और उसके लेगगिंग्स से झलकती उसके जांघो और पिंडलियों की कटाव देख कर समझ गया की उनके जांघ और पिंडली कैसे होंगे। जो टॉप पहनी थी वह सिर्फ उसके नितम्बो से थोडी सी ही नीचे थी। जिसके वजह से जांघो के बीच उसकी उभरी तिकोन की नज़ारा उसे दिखने लगा।

'मै गॉड..." वह सोचा! "ठीक है, लेकिन यहीं देखना... और किसी से न कहना..." शशांक बोलै। श्वेता ने तुरंत अपना सर 'हाँ' में हिलायी। शशांक ने अपने बिस्तर पर उसके साइड पर थप थपा था कहा... "आओ बैठो"

श्वेता ने जल्दी से आकर अपने भैय्या के बगल में बैठ गयी। शशांक ने तकिये के नीचे से किताब निकाल कर श्वेता के हाथ में थमाया। श्वेता ने उसके ऊपर के फोटो देख कर ही चकित रह गयी। कवर के ऊपर के फोटो में एक 24-25 साल का जवान लड़का और 20 - 21 साल की जवान लड़की की नंगी फोटो थी। उस लड़की की और उस लड़के की गुप्त अंग यानी की उनके लंड और चूत बहुत साफ़ दिख रहे थे।

श्वेता ने किताब के पीछे देखि तो उसने पाया की वहां भी एक 45 साल का मर्द और 20 साल की उम्र की जवान लड़की एक दुसरे को चूम रहे थे और वह भी दोनों नग्न थे और मर्द लड़की की चूची को दबा रहा है तो लड़की मर्द की लंड को अपनी मुट्ठी में जकड़ी है। श्वेता ने चार पांच पन्ने और पलटी और वह सब गंदे चुदाई के तस्वीर देख कर वह बोली "छी।... छी।. गंदी किताब है..." कहकर किताब वहां फ़ेंक कर शर्म से लाल होती उठके चली गयी। शर्म से लाल होती श्वेता के होंठो पर एक हलकी सी मुस्कान शशांक ने देख लिया।

आधे घंटे के बाद श्वेता ने कहा "भैय्या डिनर रेडी है... आजाओ" शशांक जाकर डाइनिंग टेबल पर बैठ गया। श्वेता भी उसके सामने बैठकर उसे परोस रहीथी और खुद भी खाने लगी।

श्वेता शर्मसे सर झुकाकर बैठी थी, "श्वेता... तुमने प्रॉमिस किया है किसी से ना कहना..." उसने अपनी बहन से कहा।

"छी...छी...ऐसी बातें भी किसी से कही जाती है क्या...? नहीं कहूंगी." श्वेता शर्माते बोली।

"थैंक्स" शशांक कहा और कुछ देर बाद फिर से बोला "वैसे अब तम बड़ी हो गई हो; अगर तुम चाहो तो वह किताब देख सकती हो" उसने सलाह दी। श्वेता ने जवाब नहीं दिया, और शशांक ने अपना खाना ख़त्म किया और अपने कमरे में चला गया। श्वेता झूठे बर्तन सिंक में डाल कर किचन साफ़ कर रही थी।

30-40 मिनिट बाद श्वेता शशांक के कमरे में आई और कही "भैय्या..."

शशांक ने सर उठाया अपने बहन को दखे और कहा..."हाँ...श्वेता.कहो क्या बात है कुछ चाहिए क्या...?"

श्वेता बहुत धीमी आवाज़ में शर्म से लाल होती हुयी पूछी..."वो किताब..." और रुक गयी।

शशांक ने किताब निकल कर श्वेता को दिया। "मैं मेरे कमरे में देखती हूँ, यहाँ तुम्हारे सामने मुझे शर्म आती है..." वह धीरेसे बोली और शशंक अपना सर हिलाया।

श्वेता अपने कमरे में आकर किताब देखने लगी। वह एक 32 पेजों वाला किताब थी, उसमे पहले के 16 पन्नों मे एक 20 - 22 साल की लड़की के साथ एक 24-25 साल का लड़का अलग अलग तरीके से चुदाई के फोटोस थे। कुछ में लड़की उस लड़के की लंड चाट रही थी तो किसी में लड़का उस का चूत चाट रहा है... और वह उसे झुकाकर और सुलकर अपना उसके उसमे पेल रहा है। तस्वीर के नीचे दिए गए कैप्शन के मुताबिक वह दोनों भाई बहन थे।

उसके बाद के 16 पन्नो में एक 42 -44 साल का मर्द और 20 साल की लड़की की फोटोज थी।

वह भी पहले फोटोज की तरह, तरह तरह की पोजों में चुदाई कर रहे थे चूम रहे थे, चाट रहे थे... और जमकर चुदाई कर रहे थे। नीचे कैप्शंस से मुताबिक वह दोनों पिता पुत्री थे।

उन तस्वीरों को देखते देखते, और उसके नीचे दिए गए कैप्शंस पढ़कर श्वेता की बदन में आग लग गयी। उसके शरीर में एक अनोखी गुद गुदी शुरू हो गयी। उसे महसूस हुआ की उसकी बुर में पानी छू छुआ है और वह अनजाने में ही उसके हाथ अपने जांघो के बीच पहुँच गयी और अपनी बुर को सहलाने लगी, और दुसरे हाथ से अपनी गुदाज चूचियों को धीरे धीरे मसल भी रही थी। उसने महसूस किया कि उसकी चूचियां में कड़ा पन आ गया है और ज्यादा उभार ले चुके है। उसके टी शर्ट टाइट होगई है। श्वेता ने अपनी शर्ट के घुंडिया खोलकर उस पर अपने हाथ फेरने लगी। उस ऐसा महसू होने लगा की उसकी जांघों के बीच, अंदर और अंदर खुजली होने लगी है। अपने एक हाथ को वह जांघो के बीच लेजाकर अपनी बुर को कपड़ों के ऊपर से ही दबाने लगी।

आधे घंटे का बाद श्वेता अपने भाई इ रूम में पहुंचती है और कहती है "भय्या किताब..." और अपने हाथ में का किताब आगे बढाती है।

"यहाँ आओ..." शशांक ने अपनी बहन को बुलाया. वह शर्म से लाल होती अपने भाई के पास पहुंचती है। शशांक ने उसके कलाई पकड़कर अपने पास खींचा और अपने पास बिठाया और पुछा "देखी हो?"

श्वेता ने अपना सर और नीचे झुकते कही "हूँ..." और अपना सर हिलाई."किताब अछि है क्या?" अपने बहन से पुछा।

श्वेता ने जवाब नहीं दी। शशांक किताब के कुछ पन्ने पलटा और एक तस्वीर उसे दिखते पुछा "यह अच्छा है क्या?"

श्वेता ने आँखों की खनकियों से फोटो देखी। उस में एक पुरुष नंगा खड़ा था, और उसके दोनों हाथों उसके अपने कूल्हों पर रख कमर आगे बढ़ाया था। उसका मर्दानगी एकदम लोहे की छड की तरह खड़ी है। उसे देख कर श्वेता ने अपना सर और नीचे झुकाली और उसके गुलाबी गाल शर्म से लाल हो गए।

"बोलो अच्छी है?" उसने फिर से पोछा! श्वेता ने 'हाँ' में सर हिलाई. "किसी का रियल में देखी हो क्या?" उसने पुछा!

श्वेता ने अपना सर 'ना' में हिलाई। उसे अपने बड़े भैय्या के साथ, हाथ में पोर्नो बुक के साथ बैठ कर इस तरह की बातें अच्छी लग रही थी। उसके बदन में सुर सूरी सी होने लगी और बदन में गर्मी बढ़ने लगी। उसने फिर से महसूस किया के उसके चूची की घुंडीया तन गयी है और जांघो के बीच खुजली होने लगी। वह अपनी चूत को हथेली से दबाना चाही लेकिन भय्या सामने ऐसा न कर सकी। उसने अपने इमोशंस को कण्ट्रोल करने लगी.

शशांक ने अपनी बहन के कमर के गिर्द हाथ फिराया और पुछा "देखोगी?"श्वेता समझ गयी की उसका भैय्या उस से क्या पूछ रहे है...

वह उस से अपना लंड देखने को पूछ रहा ही... वह खामोश रही। वह अपने भैय्या के अपने बदन पार उसका हाथ का गर्मी का एहसास कर मज़ा ले रही है। वह अपने भाई के और करीब पहुँच गयी और सोचने लगी की 'कैसा होगा भैय्या का? क्या उस फोटो वाले का जैसे लम्बा और मोटा और कड़क होगा?' वह मोहन के लंड के बारे में सोचने लगी। मोहन उसका क्लास मेट है और उस से मोहन की खूब पटती थी। एक दिन जब वह कॉलेज गार्डन में बैठे थे तो, मोहन अचानक उसका हाथ पकड़ कर उसे अपने लंड को ऊपर पैंट के ऊपर से ही पकडा दिया।

अपने बहन को उसके करीब सरकना देख कर शशांक समझ गया की श्वेता उसका मर्दानगी देखने के लिए उच्छुक है तो उसने अपने लुंगी खोल कर फ्लैप्स (flaps) अलग करदिया। शशांक अपने लुंगीके नीचे कुछ नहीं पहना ता और अब वह कमर के नीचे एकदम नंगा था। कमर के ऊपर सिर्फ बनियन थी! खुली लुंगी उसके कुलहो के नीचे दबी थी।

श्वेता ने आँखों की छोरों से (कार्नर ऊफ आईज) देखी तो उसका भाई का लुंड एकदम लम्बा और कीरा जैसा मोटा है। "हे भगवन... कितना लम्बा और मोटा है भैय्या का...यह कैसे उसमे घुसेगा?' वह अस्चर्य चकित हो रही थी।

इतने में ही शशांक ने उसकी कलाई पकड़ कर अपने लंड पर रखा और उसे पकड़ा दिया। शशांक उसके हाथ के ऊपर अपना हाथ लपेटा थे, ता की श्वेता अपना हाथ पीछे न खींचे।

एकाध सेकंड के लिए श्वेता ने सोचा की हाथ पीछे खेंचले। लेकिन उसकी कुछ सोची और उसकी इच्छा को उसके हाथ को रोक के रखा और उसने अपने भाई के लंड को अपनी मुट्ठी में जकड के रखी। 'बाह-- भैय्या का वह उसके हाथों में गर्म है' वह सोची। उसके मुट्ठी तो भैय्या का सिर्फ आधा ही जकड सकी। शशांक का ऊपर का चमड़ा पीछे को किसका हुआ है और उसका गुलाबी मोटा सूपाड़ा लाइट की रोशिनी में चमक रही थी। श्वेता ने अपने मुट्ठी को और जोर से जकडी और उसे धीरेसे दबाने लगी। ऐसे दबाने से उसके बदन में एक अजीब सी सुर सुरहट होने लगी।

शशांक अपनी बहन श्वेता की इस हालत को देख कर उसे अपने ऊपर खींचा और उसके मादक होंठों को अपने मे लिया और लगा चूसने। श्वेता को ऐसी अनुभव पहले कभी नहीं था और वह अब अपने भैय्या की किस को और अपने होंठों को चूसने का एन्जॉय कर रही है। फिर अपने आप ही श्वेता की होंठ खुल गए और उसके मुहं में शशांक का जीभ घुस रही है। वह अपनी भैय्या की टंग को चुभलाने लगी। उसके बदन में एक अनोखी थ्रिलिंग सेंसेशन आने लगी।

श्वेता को मज़ा मिल रहा था उससे उसका बदन में गुद गुदी सी होने लगी। वह अपने भैय्या को यह सब करने देरही है यही बात से उसे अचम्भा हो रह था। अपना सागा भाई से यह सब कारवाने में और उसकी जीभ चुभलाने मे उसे बहुत आनंद आ रहा था। वह अपने भैय्या के किस को एन्जॉय करते खुद वह वासना से भैय्या चूम रही थी। उसका भाई उसके लिए इतना दीवाना बन ना उसे खुद पागल बना रहि थी। भैया के हरकतों से बहनकी टैंगो के बीच गीला पैन आगया। वह अपनी कमर को भय्या के लंड पर दबा रही थी।

तब तक शशांक नीचे को सरका और उसके चूची को नंगा कर अपना मुहं वहां लगाया. "आअह्ह... भय्या..."उम्म्म" वह कुन मुनाई। शशांक अपनी बहन की चूची को और जोर से चूसा..."आअह्ह्ह..." वह आनंद से चीत्कार कर रहीथी. "hmmm ahhh ohhhhhh bhayaaaaaa... aaaah... यस, चूसो वैसे ही... मज़ा आरहा है... My goddd!! ahh ohhh" कही। उसे खुद आश्चर्य हो रहा था की उसने यह सब कही।

"श्वेता..." शशांक ने अपनी बहन को बुलाया। "उम्म्माँन " वह बोली। "अपना बतावोगे?" उसके चूची को टीप ता पूछा। श्वेता समझ गयी की उसका भाई क्या पूछ रहा है। "क्या?" उसके आवाज़ में छिछोरा पन थी।

अपनी बहन की आवाज़ में छिछोरा पन देख कर शशांक ने अपना हाथ श्वेता के जांघो के बीच घुसेड़ा और उसके उभार को जकड़ते बोला "यह..."!

"छी...वह भी किसीको दिखने की चीज़ है क्या? वह भी अपने भय्या को..." अपने भैय्या के साथ ऐसी छेड़ चाढ़ में श्वेता को भी मज़ा आने लगा।

"भैया का लंड पकड़ कर मसल सकते है क्या...? प्लीज एक बार..."

"ओह भैया... तुम भी ना... मुझे नहीं मालूम।... तुम्हारी मर्जी मुझे शर्म आ रही है" श्वेता ने शर्म से कहा और अपना मुहं भैया के कन्धों में छुपाली।

शशांक ने श्वेता को अपने सामने ठहराया और उसे प्यार से देखने लगा! श्वेता का मुहं लाज से लाल ही चूका था। शशांक ने उसका लेग्गिंग्स नीचे खींच दिया। अब श्वेता शरीर पर कमर के नीचे सिर्फ पैंटी और ऊपर टी शर्ट में थी अपने भैया के तरह। शशांक खुद सिर्फ बनियान में है।

शाशक अपनी बहनकी सफेद, मुलायम जंघे और उसके बीच उभरी हुई उसके बुर देख कर अपना होश खो बैठा। बुर के ऊपर एक भी बाल नहीं थे। उसके बुर के होंठ खूब फुले है। वह अपने आप को संभाल नही पाया और वह उसे अपने ऊपर खींचकर अपने गले लगाया, जोरसे अपने आगोश में लिया। वह उसके चेहरे को जोर से चूमते कहा "वह श्वेता... तेरी पुस्सी (pussy) तो लाखों में एक है। श्वेता मेरी प्यारी बहना कितना अच्छा है तेरा ममममम इसे खा जाने को जी कह रहा है... " यह कहते उसने अपनी बहन को उठा कर बिस्तर पर बिठाया और उसके जंघे खोलकर उसके उभरी बर पर अपना मुहं लगा दिया। श्वेता शर्म और आनंद से अपने आँखे बंद कर ली अपना मुहं अपने दोनों हाथों में छुपा लिया और अपने जांघों को बंद कर ली।

"अरी पगली...देखने तो दे कितना सुन्दर है मेरी बहन की" और उसने श्वेता के जांघो को चौड़ा किया। धड़कते दिलसे श्वेताने अपने भैय्याके लिए जाँघे खोली। शशांक ने अपना दायां हथेली उसके मुलायम बुर पर फेरा और कहा "हाय कितना सॉफ्ट है... एकदम सिल्क की तरह, अपने झांटो को कब साफ़ की?" अपनी तर्जनी ऊँगली उसके फुले होंठों के बीच चलाता पुछा.

"आज शाम को" वह धीरे से बोली लेकिन अपने हाथ अपने मुहं से नहीं निकाली. "क्या मेरे लिए ही साफ़ की हो?"

"क्या पता...आज शाम जब पानी नहा रही थी तो उस बालों से चिढ़ चिढ़ लगने लगा... तो मैंने ऐनी फ्रेंच (Anne French) क्रीम लगादी"!

शशांक ने अपने उंगलियों से अपनी बहन की फुली होंठो को चौड़ा किया तो उसे एक छोटासा, नमी लाला रंग की छेद दिखी। वह झुक कर अपनी जीभ उस होंठो के बीच लगा और नीचे से ऊपर तक चलाया। जैसे ही उसका भाई उसकी इतनी सेन्सुयस जगह जीभ लगाते ही श्वेता के सारे बदन में आग फैली और उसका बदन में एक हल्का झूरी झूरी सा कम्पन हुआ।

"भैय्या यह क्या कर रहे हो? छी...छी वहां पर भी कोई मुहं लगाते क्या?" वह फिर से जाँघे बंद करने की कोशिश की.

"तुम्हे इस चूत की मज़ा देना चाहता हूँ... तुम्हे ठीक है की नहीं... तम हां कहोगी तो ही मैं आगे बढूंगा" और वह अपने बहन की की ओर देखने लगा।

श्वेता ने अपने अपने मुहं से हाथ न निकाले ही अपनी कमर को ऊपर को उछाली।

शशांक ने उसके बहन की फूली बुर को अपनी उँगलियों से खोला और लगा चाटने, चूमने और चुभलाने लगा।

श्वेता का सारा शरीर आग में झुलस रही थी "SSShhhh... aaahhhh...ssss..." वह खुशी की चीत्कार की। भैया का ऐसा करने से उसे बहुत मज़ा आ रहा था, और अच्छा लग रहा था।

अपनी बहन की इच्छा को समझ कर शशांक पलंग से नीचे उतरा और श्वेता को अपनी बाँहों में उठाकर बिस्तर पर चित लिटाया। उसके लंड में और खड़ापन आया और अपना रास्ता ढूंढने लगी। लेकिन शशांक पर अपनी बहन की सुंदरता इतना छागया की उसे उसके जंघोंके बीच रस्ता नहीं मिल रहा था। वह श्वेता के ऊपर लेट कर उसके एक सख्त निप्पल को उँगलियों के बीच लेकर मसल रहा था तो दूसरे को मुहं में लेकर चूसने लगा। फिर वह नीचे को फिसला और उसकी सुन्दर नाभि को चूमता उसमे जीभ फेरने लग गया। अपनी बहन की शरीर पर हर जगह चूमता रहा और धीरेसे उसके कमर को छूता रहा था।

"श्वेता तुम तो रतिदेवी से भी सुन्दर हो...तुम्हारा शरीर कितना रसभरी है।"

श्वेता उसकी सगी बहेन है... और उस से ऐसे काम करना गलत है या पाप है यह बात वह भूल ही गया।

रति देवी।...यह कौन हुई...?" श्वेता ने अपने भैय्या की हरक़तों का आनंद लेति पूछी।

"रतिदेवी...कामदेव की पत्नी... कहते है वह सब अप्सराओंसे सुन्दर है... जैसे तुम..." और उसके गाल को हल्के से काटा।

"श्वेता भी यह बात भूल गयी की शशंक सका भैय्या है और उससे ऐसे हरकत नहीं करना चाहिए... "हूँ... तो मैं रति हूँ तो तुम क्या हो भैय्या...कामदेव..."

"यह कामदेव कौन है...? शशांक अपनी बहन को छेड़ता पूछा..."

"जाओ भैय्या। मैं तमसे बात नाह करूंगी...ऐसे पूछ रहे हो की जैसे तम्हे मालूम नहीं है..." और वह रूठने का नखरे करने लगी।

"अरे रूठ नहीं मेरी रानी...इस कामदेव पर थोड़ा सा करुणा करो..." और उसके चूची को जोर से टीपा।

"ससस...ससममहहा... बह...भ यय...आ.य..." वह बोली।

"भैय्या...सशा... धीरे से... दर्द।..." वह दर्द से करा ही।

स्वेता को अपने भय्या से ऐसे बातें करना अच्छा लग रहा था। और वह बोली... मैं रति और तुम कामदेव... यानि की तम मेरे पति और मैं तुम्हारी पत्नी।" अब वह भी गरमा चुकी है और वह अपनी कमर उछाली।

"पति पत्नी क्या करते हैं?" शाहंका aपनी बहनकी निप्पल को ट्विस्ट करते पुछा।

"AAAhhhh...shhhssss..." श्वेता के मुहं से एक मीठी कराह निकली और बोली "क्या करते है... मुझे नहीं मालूम बाबा..." वह शर्माते बोली।

शशांक उसके मस्त चूचियों से खिलवाड करते उसके गालों को काटता उसके सरे बदन को चूम रहा था, चाट रहा था। श्वेता अपने भाई के नीचे तिल मिला रही थी। भाई अपनी बहन के ऊपर और नीचे को आया... और उसके नाभि की चूमने लगा... उसकी नाभि में अपनी जीभ से कुरेद रहा था।.

अपने शरीर पर भैय्या के इस हरकतों पर श्वेता की चूत पानी रिसने लगी। उसके शरीर में कम्पन शुरू हो गयी, उसे आनंद ही आनंद आ रहा था। उसे अब भैया की हलब्बी लंड की जरूरत है। अपना भाई उसे जैम कर चोदे एहि वह छह रही थी। अपने सहेलियों से सुनी किस्सों को वह सच करना चाह रही थी। "Ohhh bha...yya...yyaaa...ssss...ahhh" वह तिल मिला रही थी और खिल खिल्ला कर हँसते बोली "Ohhh maaaa, how good you are... you are sweet brother to me...bhayyaaaa...ahhh"!

शशांक ने धीरे से अपना हाथ बहन की मुलायम जंगों के रख उसके रिसते बुर को छुआ। जैसे ही वह भय्या के हाथ वहां छूते ही एक फुट ऊपर उछाली अपने कमर को और जोर को से उसे जकड लिया। वह उसकी होंठों को फिर से चूमते पुछा..." अपने भैया के लिए यह गीली होगई है न...?"

बहन ने एक मादक नजर भैया के आँखों में आँख डाली और अपना सर 'हाँ'' में हिलाते बोली..."भैय्या अपनी लाडलि बहन को पूरा नंगा क्यों नहीं करते?" और वह हाथों को ऊपर उठाई।

एक मिनिट के लिए भी सोचे बिना उसके उसके ऊपर का टॉप उतर फेंका। ऊपर ब्रा नहीं थी। वह पहले से ही कमर के नीचे नंगी थी। अब वह नव जात शिशु की तरह नंगी थी।

शशांक के आँखे वासना से भरे हे और चमक रहे है। श्वेता अब उसे एक खिलती गुलाब कि कलि की तरह दिख रही थी। बुर का पानी बहकर ऊपर होंठो तक आने की वजह से उसके बुर लाइट की रोशनीमे चमक रहीथी।

श्वेता ने अपने पैर के उँगलियों से भैया के लंड को हिलाते उसे और मस्त बना रही थी। अब वह एक लोहे की चढ़ की तरह सख्त होगई। शशांक में आनंद में आंखे बंद कर बहन की पैरों का स्पर्श का आनंद ले रहा था।

श्वेता ने अपने भैय्या के कमर पकड़ कर ऊपर खींची। अब उसका लंड उसके चेरे के समीप था और श्वेता ने उसे हाथ में लेकर प्यार से दुलार रही थी। उसके होंठों पर एक मीठा मुस्कान थी।

"भैय्या ओफ्फो कितना पारा है यह तुम्हारा औज़ार, जी चाह रहा है की अभी इसे मेरी उसमे घुसेड़लूं, में और इंतज़ार नहीं कर सकती...ममम..." कहती श्वेता ने अपने भाई के लंड को हिलाते, सुपडे को प्यार से चूमि।

"ओह...श्वेता मेरी प्यारी बहन... आह ऐसे ही हिलना... यस...यस. सचमे बहुत मज़ा आरहा है है... मेरी गुड़िया यह खिलौना तुम्हे पसंद आया...?"

"हाँ, भय्या कितना प्यारा है...देखो तो यह कैसे तुनक रहे है. और इतना लम्बा और सख्त इस खिलोने से मैं जी भर कर खेलूंगी।"

शशांक नीचे अपनी बहन की बुर को देखा और उसकी लव बटन (love button) को अंगूठी से दबाते एक ऊंगली उसकी गीली हो रही चूत में पेल ते हुए कहा "चूमो मेरी रानी... चूमो और चूसो अपने भैय्या को..."

उसने उसे चूमा, धीरे से अपना जीभ उसके सुपडे के गिर्द चलायी फिर उसे पकड़ कर पूरी लम्बाई को नीचे से ऊपर तक चाटने लगी।

"भैय्या अच्छा लगा रहा है ने...बहन का चूमना और चाटना मैं कैसे चाट रही हूँ... आह... भैय्या... और अंदर पेलो तुम्हारी ऊँगली...ममम..." मादक स्वर में पूछी।

"आह! मज़ा आ गया... मेरी बेहना...वाव... क्या चूस रही हो... कहाँ से सीखी ऐसे चूसना...ममम...'" कहता शशांक ने बहन की चूची को जोर से दबाया और दूसरी ओर अपनी ऊँगली और अंदर पेलाते हुए उसके कान में फुस फुसाया...मुझे इसे खाना है..."

श्वेता अपना भाई का लंड को जोरसे चूसती भैय्या की मद भरे बातों का माज़ लेरही थी, भैय्या के औज़ार को हिलती, चूमती, खुद आह... ओह...सस्स... कर कुन मुना रही थी। इधर बड़ा भाई भी कुछ कम नहीं था। उसके गले में से भी अनोखी आवाजें निकल रही थी। दोनों भाई बहन में वासना की आग भड़क रहीथी और शशांक ने अपने दोनं हाथों को बहन के सर के पीछे ले जाकर पकड़ा और उसके मुहं को जोर से चोदने लगा। उसका मोटा लम्बा लंड श्वेता के गले मे फँस रही है...और उसके गले से 'न्गू।...न्गू... न्गू' की आवाजे निकल रहीथी।

भैया की इस जोरदार धक्के से श्वेता चकित हो गयी फिर भी उसे आनंद आया भैया के ऐसे बेदर्दी से उसके मुहं में अपना लैंड घुसना... कुछ देर बाद वह वह अपना स्पीड कम कर दिया और बहन को उठाकर अपने गोद में बिठाया।

एक दुसरे को वासना भरे आँखों से देखते दोनों एक दुसरे के आलिंगन में बंधे। वह दोनों ने अपने भाई बहन की सीमाएं लांघ दिए और उनका रिश्ता एक अनोखा मोड लेने लगी। शशांक का मर्दानगी श्वेता की जवान, गीली, और रसीली चूत पर रगड़ ले रही थी।

"ओह...ओह...ओह... आअह्हह्हह्ह।... भैय्या.आआआहहहहहहहा... तुम्हारा मोटा लंड मेरी बुर में घुसने को बेताब है... में उसकी फुदकना मेरी चूत पर महसूस कर रही हूँ... आवो अब चोद ही डालो मेरी इस नन्ही सी बुर को..." वह कही और अपना कमर उछली।

शशांक में अपनी बहन को नीचे लिटाया और उसने अपने दोनों टंगे फैलादी। शशांक ने उसके जंघों के बीच अपना सर रखा और बहन की प्यारी, कांवली बुर को चाटने लगा। उसका जीभ श्वेता के बुर के फांकों के बीच चल रही थी।

जैसे ही भैया के टंग (tongue) वहां पड़ी वह और जोर से उछली और उसकी चूत की मांस पेशिया अपना रस छोड़ने लगे, जिसे शशांक चाव से पी रहा था। श्वेता ने अपने भय्या के बालों मे उंगलिअ फेरती उसके सर को जोर से अपने बुर पर दबा ते हुए कह रही थी "आअह्ह...भैय्या... चाटो अपनी बहन की गीली बुर को। जाने दो और अंदर अपने जीभ को...यह...यह... और।.और... मेरे प्यारे भाई...ममम..." वह अपने आप को सम्भाल नहीं पा रही थी और अपनी कमर ऊपर ऊपर उछाल रही थी।

"भैया...आआह. अब मत रुलाओ मुझे... प्लीज. आवो इस बहन को चोदो...चोदो...चोदो जोरसे... आआह्ह्ह्ह " कहती श्वेता ने अपने भाई को अपने ऊपर खींचली।

शशांक ने अपनि बहन के फैंको बीच अपना हलब्बी सूपड़ा दबाया और एक जोर का धक्का दिया। फांके चौड़ा कर भैया का सूपड़ा बहन की अंदर घँस गयी।

उसका हेड बहुत टाइट है और उसने एक और धक्का दिया 3 इंच और अंदर चला गया। उसके लंड को अंदर जाने के लिए कुछ बाधा है... "ओफ़्फ़्फ़... मेरी बहेन तो कुंवारी है... साली अभी तक किसी से चूदी नहीं है...आज कल तो लड़कियां की उम्र 14, 15 होते ही चुद जाती है... मैं भी कितना लकी हूँ, मैं खुद 15 साल की मेरी क्लास कि लड़की को चोद चूका हूँ जब मेरी उम्र 16 साल थी' वह सोच रहा था और उसे ऐसा महसूस हो रहा है की वह जन्नत में है।

"आआआअह्हह्ह्ह्ह... भ...यया...आह...दर्द...उम्म्म...धीरे" श्वेता कही पर अपना कमर उछलना नहीं भूली।

शशांक धीरे से अपना मुस्सल बहन की बुरमें से थोडासा बाहर खींचा फिर अंदर स्ट्रोक किया... ऐसा ही दो तीन बार करा तो श्वेता की मदन पुष्प मदन रस रिसने लगी। उस रस ने अपना कमाल दिखया और अब शशांक का सब्बल आराम से अंदर बहार हो रहा था। अब बहन को भी आनंद आने लगा और अपने भैया को जोर से जकड़ रही थी।

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