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CHAPTER 3 दूसरा दिन
माइंड कण्ट्रोल
Update 1 तभी मुझे गुरु माता द्वारा दी गई क्रीम का उपयोग करने की याद आई।
रश्मि-गुरु जी और वह क्रीम जो गुरु माता ने दी है।
गुरूजी-वह वैसे ही हर रात लगानी है जैसे आपकी गुरु माता में बताया होगा और सोने से पहले पूरे शरीर पर लगानी है।
गुरुजी--रश्मि, तेल से मालिश के बारे में राजेश तुम्हें बता देगा। शायद तुम्हारी उससे बातचीत नहीं हुई है। वह बहुत व्यस्त रहता है क्यूंकी आश्रम में खाना वही बनाता है।
"हाँ गुरुजी. मैंने कल उसे देखा था, जब आपने परिचय करवाया था पर बातचीत नहीं हुईl"
गुरुजी--अच्छा, दवाइयाँ तो तुम्हें समझा दी। अब बात करते हैं 'माइंड कंट्रोल' की।
गुरुजी--रश्मि, उपचार का सबसे पहला भाग है 'माइंड कंट्रोल'। सेक्स का आनंद उठाने के लिए उत्तेजना टाँगे के बीच ही नहीं दो कानो के बीच भी होनी चाहिए l जब तक मन या माइंड उत्तेजित नहीं होगा कोई भी यौनांग उत्तेजित नहीं होगा l इसलिए योग में मन पर नियंत्रण की बात भी तुमने सुनी होगी l ये मन ही सबसे बड़ी कमजोरी और सबसे बड़ी ताकत है।
तुम्हें अपने दिमाग़ से सब कुछ हटा देना है और सिर्फ़ अपने शरीर से नेचुरली रेस्पॉन्ड करना है। मतलब इस बात पर ध्यान मत दो की तुम कहाँ पर हो, किसके साथ हो, बस जैसी भी सिचुयेशन मैं तुम्हें दूँगा तुम उसको नॉर्मल तरीके से लो। अपने दिमाग़ पर कंट्रोल करना है और नेचुरली रियेक्ट करना है। ये उपचार का हिस्सा है, चिंता करने की कोई ज़रूरत नहीं। जय लिंगा महाराज।
मैंने हाँ में सर हिला दिया पर मुझे ज़्यादा कुछ समझ नहीं आया की करना क्या है।
गुरुजी--रश्मि, ये देखो, ये 'सोकिंग पैड' है, जब भी तुम आश्रम से बाहर जाओगी तो इसे पहन लेना। अगले दो दिन तक तुम्हें ये करना है।
गुरुजी ने मुझे एक छोटा सफेद चौकोर कॉटन पैड दिया। मेरी समझ में नहीं आया इसे पहनना कैसे है?
"गुरुजी, मैं इसे पहनूँगी कैसे?"
शायद मेरी ज़िन्दगी का वह सबसे बेवक़ूफी भरा प्रश्न था, जो मैंने पूछा।
गुरुजी--रश्मि, मैंने तुम्हें बताया था कि जब तुम उत्तेजित होती हो तो तुम्हारी योनि से स्खलन कितना होता है, ये मुझे जानना है। ये ख़ास क़िस्म का सोकिंग पैड उसी के लिए है। तुम अपनी पैंटी के अंदर अपनी योनि के छेद के ऊपर इसे लगा लेना।
ये सुनते ही मेरा चेहरा शरम से सुर्ख लाल हो गया। मैं इतनी शरमा गयी की गुरुजी से आँख नहीं मिला पा रही थी। गुरुजी के मुँह से योनि का छेद सुनकर मेरे कान गरम हो गये। उस बिना हुक लगे हुए टाइट ब्लाउज में मेरी चूचियाँ तनकर कड़क हो गयीं। क्या-क्या सुनने को मिल रहा था, एक तो वैसे ही मैं शर्मीली थी।
गुरुजी--रश्मि, इस पैड को अपनी पैंटी के अंदर ऐसे रखना की ये खिसके नही। एक-एक बूँद इसमे जानी चाहिए, तब सही मात्रा पता चलेगी। सही से मैनेज कर लोगी ना?
मैंने फ़र्श की तरफ़ देखते हुए सर हिला दिया। मैं चाह रही थी की कैसे भी ये डिस्कशन ख़त्म हो। मुझे लग रहा था अगर ये टॉपिक और लंबा चला तो गुरुजी मुझसे साड़ी कमर तक ऊपर उठाने को ना कह दें और फिर मेरी पैंटी में हाथ डालकर पैड कहाँ पर लगाना है बता देंगे। हे भगवान!
"ठीक है गुरुजी. मैं समझ गयी।"
गुरुजी--ठीक है रश्मि। मैं चाहता हूँ की आज और कल के लिए तुम्हें कम से कम दो बार ओर्गास्म आए. तभी स्खलन की सही मात्रा पता चलेगी। याद रखना, तुम्हें कोई सिचुयेशन बहुत अजीब या अभद्र या अपमानजनक लग सकती है, पर ये सब उपचार का ही हिस्सा होगा। इसलिए तुम्हें नॉर्मल होकर रियेक्ट करना होगा और जो हो रहा है उसे होने देना। जय लिंगा महाराज।
"जय लिंगा महाराज।"
गुरुजी--रश्मि, मैं चाहता हूँ की तुम आश्रम के दैनिक कार्यों में हिस्सा लो। तुम किचन में मदद कर सकती हो और अगर चाहो तो दोपहर बाद कुछ और गतिविधियों जैसे योगा, स्विमिंग में भाग ले सकती हो।
"ठीक है गुरुजी. जो मुझे सही लगेगा मैं उस काम में ज़रूर मदद करूँगी।"
गुरुजी--अब तुम जाओ रश्मि। मेरे आदेश तुम तक मेरे शिष्य पहुँचा देंगे, क्या करना है, कहाँ जाना है वगैरह। लिंगा महाराज में आस्था रखना, सब ठीक होगा।
"धन्यवाद गुरुजी. जय लिंगा महाराज।"
मैं वहाँ से अपने कमरे में चली आई. गुरुजी की 'माइंड कंट्रोल' वाली बात से मुझे टेंशन हो रही थी। गुरुजी ने कहा था कि जो हो रहा हो, उसे होने देना, पर मुझसे कैसे होगा ये सब। बिना पति के दिन में दो बार ओर्गास्म कैसे आएँगे?
शादी के शुरुवाती दिनों में मुझे बहुत तेज ओर्गास्म आते थे पर धीरे-धीरे पति के साथ सेक्स भी एक रुटीन जैसा हो गया था।
फिर मैंने अपने मन को दिलासा दी की और कोई चारा भी तो नहीं है क्यूंकी गुरुजी को ये जानकारी लेनी है कि मेरी योनि से स्खलन नॉर्मल है कि नही।
गुरूजी के कहे अनुसार मैं किचन में गयी और सब्जी काटने में राजेश की मदद की।
कहानी जारी रहेगी