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Click hereपड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे
CHAPTER-2
एक युवा के अपने पड़ोसियों और अन्य महिलाओ के साथ कारनामे
मानवी-मेरी पड़ोसन
PART-15
छत पर गुदा सेक्स
कुछ समय बाद जब मेरी अपनी सांस ठीक हुई तो मैंने फिर से उसे चूमा और उसकी गांड को सहलाया तो इस बार मेरा अनुरोध स्वीकार कर लिया गया लेकिन एक शर्त के साथ कि अगर वह दर्द को सहन नहीं कर पाई तो मैं रुक जाऊंगा और गुदा सेक्स के लिए आगे नहीं बढ़ेंगे, जिसके लिए मैंने कहा कि मैं इसे बहुत धीरे से करूंगा और इसे न्यूनतम दर्द के साथ करने की कोशिश करूंगा।
इस पर मानवी बोली उसने अपने पति के साथ एक बार शादी के बाद शुरू में कोशिश की थी लेकिन उसे बहुत दर्द हुआ था तो फिर नहीं किया ... मानवी ने कहा कि वह थोड़ा दर्द साल लेगी लेकिन अगर दर्द असहनीय हो जाएगा तो वे रुक जाएंगे। जिसके लिए मैं भी यह कहते हुए सहमत हुआ कि मैं आपको ख़ुशी देना चाहता हूँ। मैं चाहता हूँ कि आप भी इसका आनंद लें।
मैंने उनसे पूछा कि आप चाहते हैं कि मैं तेल का उपयोग करूं या मैं तेल के बिना करूं l
भाभी ने जवाब में मुझे तेल की बोतल दी और मुड़ कर अपनी गांड मेरे सामने पेश की और बोली-तुम मेरी कुँवारी गांड को चोदना चाहते हो, ठीक है अब खुश हो?
मैं बहुत खुश हुआ और बोतल ले ली।
मैंने उसकी गांड को ऊपर किया और उसकी गुदा पर काफ़ी सारा तेल डाला और तेल में डूबी एक उंगली से उसे चिकना करना शुरू कर दिया और मैंने उसकी गुदा के अंडे दुबारा बहुत सारा तेल डाला।
शुरू में, मैंने उसके गुदा को बाहर से उँगलियों से दबाया और बहुत सारे तेल के साथ आगे बढ़ाया जब मैंने अपनी उंगली गुदा में डालने की कोशिश की तो माणवी को थोड़ा दर्द हुआ। लेकिन मैं धीरे-धीरे उसकी गुदा पर काम करता रहा ऊँगली को घुमाता रहा और अपनी उंगली का दबाव अंदर की और अंदर बढ़ाता रहा और फिर मैंने धीरे-धीरे अपनी उंगली की मिलीमीटर को मिलीमीटर आगे करता रहा मेरी ऊँगली धीरे-धीरे अंदर जाने लगी मैं उससे बार-बार पूछता रहा आपको दर्द तो नहीं हो रहा और फिर जब मेरी एक उंगली उसके गुदा के अंदर थी तो मैंने धीरे से अपनी दूसरी उंगली तो भी तेल से भिगोया और फिर धीरे-धीरे अंदर डाली। जब मेरे दोनों उंगलिया अंदर चली गयी तो मैंने उंगलियों और उसके गुदा पर कुछ और तेल डाला और फिर उन्हें आगे और पीछे करना शुरू कर दिया l
इस तरह मेरी उंगली उसकी गुदा को चोदने लगी l
मैं उससे पूछता रहा कि क्या तुम उसका आनंद ले रहे हो और उसने जवाब में कहा यस-यस प्लीज़ ओह्ह आह ... जो मुझे करते रहने के संकेत थे। मेरी दोनों ुंलिया अब आराम से नादर बाहर होने लग गयी थी और मैंने बहुत सारा तेल लगाकर अपने लंड को चिकना कर दिया और चोदने की स्थिति में आ गया।
मानवी ने कहा-प्लीज आराम से करना l
मैंनेउससे कहा मैंने अभी तक बहुत धैर्य और प्यार के साथ किया है आपको कैसा लगा तो वह बोली आगे भी ऐसे ही करना। मैंने उसे चूमा और धीरे-धीरे उसकी कुंवारी गुदा पर उंगलियों से काम करता रहा। मैं उससे पूछता रहा कि क्या आपको मज़ा आ रहा है। क्या तुम मुझे रोकना चाहती हो? मानवी बोली मैं आपके लिए इस दर्द से गुजरने को ततपर हूँ और वह मेरे लंड को अपनी गांड के छेद पर लेने के लिए तैयार थी।
मैंने पूछा-मैं अंदर डालू?
तो मानवी ने कहा-हम्म।
मैंने अपना लंड उसकी गुदा के छेद पर रखा और थोड़ा धक्का दिया लेकिन मेरे द्वारा लगाए गए चिकनेपन और ताकत वार धक्के के बावजूद मेरा लंड गुदा में नहीं घुसा। मैंने फिर से लंड और गुदा पर ढेर सारा तेल लगाया।
फिर मैंने उसकी कमर को पकड़ा एक साथ से लंड को छेद पर लगाया और फिर धीरे-धीरे लंड पर दबाब बढ़ाते हुए हलके-हलके धक्के मारने लगा। तो चिकना होने के कारण लंडमुंड उसकी गांड में फंस गया।
और वह हल्के से दर्द से चिल्लायी ... ऊऊ!
मैंने कहा-प्लीज दर्द जल्दी हो ख़त्म जाएगा और फिर तुम्हें मज़ा आएगा।
और धीरे से, मैंने अपना खड़ा और कड़क तेल लगा हुआ चिकना लंड उसकी गांड के छेद के अंदर ही थोड़ा-सा पीछे किया लिया और एक ज़ोर के धक्के के साथ लंड उसकी गुदा में घुसा दिया और मेरे लंड का एक इंच उसकी गुदा में घुस गया। । तब मानवी ने फिर से आहें भरीं, ओह्ह्ह अह्ह्ह एएएएच। ... मैंने अपने हाथ उसकी चूत पर रख दिया और उसकी चूत में ऊँगली करने लगा l उसे मज़ा आने लग ऑटो दर्द को भो भूलने लगी ... मैंने फिर थोड़ा दबाद और डाला तो मेरे ज़ोर लगाने के कारण मानवी आगे को सरक गयी। अमीने पुछा भाभी आप ठीक हो तो भाभी ने एक आह भरी, पीछे मुड़ कर देखा और हाँ में सिर हिलायाl
मैंने धीरे-धीरे लंड को पीछे किया और फिर आगे बढ़ना शुरू कर दिया और धीरे-धीरे अंदर की ओर दबाब बढ़ाना शुरू कर दिया। लंड मानवी भाभी की कुंवारी गांड के छल्लो और मांसपेशियों को खोल रहा था।
मैंने थोड़ा तेल और डाला और उसे कहा वह अपनी गुदा में बाहर की और दबाव बनाये। तो भाभी बोली इससे तो लंड बाहर हो जाएगा तो मैंने कहाः नहीं इससे गांड ढीली होगी इससे गुदा के छल्ले खुल जाएंगे और लंड आगे बढ़ जाएगा। मैंने कहा जब मैं तीन (3) कहूंगा तो आप अपने गुदा के छल्ले को ढीला करने की कोशिश करेंगे और मैं आगे बढ़ाऊंगा। फिर मैंने कहा एक दो तीन और मानवी ने ढीला करने की कोशिश की लेकिन ऐसा नहीं हुआ। हमने इसे कुछ बार अभ्यास किया और फिर हम एक साथ करने में सक्षम हो गए क्योंकिलंड के दबाब और हम दोनों के लगातार संयुक्त प्रयास नेगांड के छल्ले को खोल दिया था।
फिर धीरे-धीरे मैंने धक्के लगाना चालू रखा और मेरा पूरा 9 इंच का लंड उसकी गुदा के अंदर चला गया। तब मैंने उसे चूमा। । उसकी गांड़ बहुत टाइट थी गुदा के छल्ले ने मेरे लंड पर एक मज़बूत पकड़ बना ली थी।
मुझे इस कसावट में बहुत मज़ा आ रहा था मैंने लंड और गुदा पर अधिक तेल डाला और फिर धीरे-धीरे लंड को एक इंच आगे पीछे एक इंच आगे पीछे करने लगा। धीरे-धीरे मैंने लंड को अंदर बाहर करने की लंबाई को बढ़ाया। मैंने धीरे से गति बढ़ाई और फट-फट की आवाज़ के साथ ... चुदाई शुरू कर दी और इस बीच उसकी छूट के दाने को मैं अपनी ऊँगली से छेड़ता रहा l
मेरी आहे निकल रही थी-आह्ह... आह्ह... आह्ह... मानवी। आह... धन्यवाद मानवी... आह्ह।
मनवी भी मेरे जोरदार धक्कों के साथ आगे-पीछे होने लगी और जोर-जोर से कराहने लगी।
ऐसे ही मैं 6-7 मिनट तक लगातार धक्के लगाता रहा और फिर गुदा से लंड को निकाल दिया। उसने कहा कि आप रुक क्यों गए? आप पीछे क्यों हटे ... मैंने कहा आप ज़ोर से कराह रही हैं मैंने सोचा कि यह दर्द था ... उसने कहा कि नहीं प्लीज इसे जारी रखें ... यह मजे की कराहे हैं l
फिर से मैंने धीरे-धीरे लंड उसकी गुदा में घुसा दिया ... लेकिन इस बार गुदा की मांसपेशियों के साथ बहुत कम महंत करनी पड़ी क्योंकि अब उसकी गांड के छल्ले ढीले हो हर खुल गए थे और लंड आसानी से अंदर चला गया था और उसे भी अब मजाने लगा था... मुझे तो टाइट गांड में मजे आ ही रहे थे l
मानवी बोल रही थी-आह्ह! जानू आह! और तेज़ और तेज़! और तेज़ जानू। चोदो ...मजा आ-आ रहा है मुझे चोदो और तेज और ज़ोर से ... आह ... जानू। आई लव यू ... जानू!
मैं भी बोल रहा था-आह्हl आह्ह! मानवी! आह्ह्ह। तुम्हे चोदने के लिए, मेरा लंड हमेशा त्यार है मेरी जान! आह... आह... मानवी ... आह्ह्ह।
फिर हम दोनों 5-6 मिनट तक पूरी स्पीड से चुदाई करते रहे और हम भी चरमोत्कर्ष के करीब पहुँच गए। मन्नवी अपनी क्लिट की मालिश करती रही। मानवी का पूरा बदन काम्पा और वह पागलों की तरह चिल्लायी-और तेज... आह्ह... जानू और तेज और तेज।
मैं भी झड़ने वाला था और कुछ ही समय में करंट माणवी के पूरे शरीर में दौड़ गया। दोनों मजे से जोनहीं पता था कि जब वेर-जोर से मोन करने लगे।
मैं उसकी पीठ पर गिरते हुए चुदाई करता रहा और फिर वह भी अपनी चूत में ऊँगली करते हुए अपनी गर्म-गर्म चुदाई करते हुए झड़ गई।
दोनों एक साथ झड़ गए थे और कंबल के ऊपर गिर गए और ज़ोर से हांफने लगे।
इस तरह से उसकी गांड चोदने में लगभग 2 घंटे लग गए, मानवी ने बताया कि उसे बहुत मज़ा आया और मैंने कहा कि वह उसे तंग गुदा का बहुत छेद पसंद आया। मानवी ने कहा कि वह चाहती थी कि मैं एक बार और उसकी चूत को चोदु। तो मैंने कहा आपकी इच्छा मेरे लिए आज्ञा है और फिर हमने इस बार चूत की चुदाई की।
एक बार फिर जोरदार चुदाई के बाद हम ने आलिंगनऔर चुंबन किये और सो गए l
सुबह जब आँख खुली तो सूरज निकलने वाला था। जब मानवी जाएगी तो उसने देखा कि हम दौड़ने मैं खुले में छत के नीचे नग्न अवस्था में पड़े थे। मानवी ने मुझे झकझोरा-काका प्लीज उठो, देखो सुबह हो गई है।
मैं भी उठा और मानवी छत पर पानी की टंकी के पास गई और वहाँ एक नल खोला और ख़ुद को साफ़ किया। तो मैंने कहा-क्यों डरती हो? दूर से देखें तो अभी सूर्य निकला नहीं है। पास में इतनी ऊंची कोई इमारत नहीं है कि कोई भी हमें देख सके। हम उस गेट से बाहर निकलेंगे। वहाँ कोई नहीं है।
फिर मैंने कहा-मानवी, एक बार और चोदने दो मानवी ने कहा-तुम पागल हो! कृपया समय तो देख लो l
मैंने कहा-आज शनिवार की छुट्टी है, कोई जल्दी नहीं उठेगा। आइए, जल्दी से करते हैं।
मानवी ने आइडिया के लिए सहमति जताई हम दोनों फिर से एक दूसरे की बाहों में गिर गए और हम दोनों ने एक बार फिर से एक बहुत तेज, बहुत जल्दी चुदाई की।
फिर हमने कपड़े पहने। मैंने सुनिश्चित किया कि रास्ता साफ़ है।
और हम चुपके से नीचे आ गए और तुरंत अपने-अपने कमरे में चले गए।
कहानी जारी रहेगी...
दीपक कुमार