एक नौजवान के कारनामे 037

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स्टूल (छोटी मेज).
1.2k words
4.8
323
00

Part 37 of the 278 part series

Updated 04/23/2024
Created 04/20/2021
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पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे

CHAPTER- 5

रुपाली - मेरी पड़ोसन

PART-3

स्टूल (छोटी मेज)

रूपाली ने जवाब दिया, "काका, मैं इस समस्या को समझती हूँ, और तदनुसार मैं आपकी मदद करूँगी।"

मैंने स्टूल छत में बल्ब जिस जगह फिट था उसके ठीक नीचे रखा । मैंने अपनी लुंगी को घुटने तक मोड़ लिया। हमेशा की तरह मैंने लुंगी के नीचे कोई अंडरवियर नहीं पहना हुआ था। रूपाली ने स्टूल की सीट को बहुत कसकर पकड़ लिया। मैंने अपने एक पैर को स्टूल के दो पैरों के बीच बनी हुई सीढ़ी नुमा तख़्त पर रखा और ऊपर चढ़ने के लिए अपने बाएँ हाथ से स्टूल की सीट को पकड़ लिया, लेकिन मुझे दाहिने हाथ के समर्थन की आवश्यकता थी ताकि संतुलन बना रहे ।

मैंने कहा, "रूपाली भाभी, स्टूल की सीट पर चढ़ने के लिए, मुझे अपने दाहिने हाथ में सहारे की ज़रूरत है। क्या मैं अपना दायाँ हाथ आपके बाएँ कंधे पर रख सकता हूँ?"

"हाँ काका, " रूपाली ने जवाब दिया।

स्टूल सीट के किनारे को अपने बायाँ हाथ से पकड़ कर, और अपना दाहिना हाथ उसके कंधे पर रखकर, संतुलन बनाकर मैं ऊपर चढ़ गया, और सीट की सतह पर पहुँच गया। ऊपर पहुँचते ही, मुझे अपनी दाहिनी हथेली में कपास की गेंद जैसी कोमलता महसूस हुई। जब मैंने मेरी दाहिनी हथेली की ओर देखा गया, तो मुझे लगा कि मैंने रूपाली के बाएं स्तन को पकड़ लिया है क्योंकि मेरा हाथ उसके पसीने के कारण भीगे और चिकने कंधे से फिसल उसके स्तन पर पहुँच गया था । मेरी हथेली उसके निप्पल की कठोरता को महसूस कर रही थी । मेरा लंड तो पहले से खड़ा ही था।

"रूपाली भाभी , मुझे खेद है। मेरा हाथ फिसल गया," मैंने माफी मांगी।

"इट्स ओके," रूपाली ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया क्योंकि उसे अपने स्तन को निचोड़वाने में मज़ा आया था।

मैं रूपाली भाभी के सामने वाली स्टूल की सीट पर बैठ था । चूँकि मेरी लुंगी मुड़ी हुई थी, और लुंगी के नीचे कोई अंडरवियर नहीं था,ऐसे में रूपाली भाभी मेरे बड़े और खड़े हो चुके लण्ड को देख सकती थीं जो उसके चेहरे से कुछ इंच की दूरी पर जोर से धड़क रहा था। और हम इस समय इतने नजदीक थे कि वह खींचे हुए चमड़ी के कारण उभरे हुए लाल उभरे हुए लंडमुंड की सेक्सी गंध को भी सूँघ सकती थी।

अब, मुझे छत में फ्यूज्ड बल्ब तक पहुंचने के लिए सीधे खड़ा होना था। इसलिए, मैंने रूपाली भाभी के कंधों पर फिर अपने दोनों हाथ रख दिए, और अपनी अकड़ू बैठक की पोजीशन से सीधे खड़े होने की कोशिश की, जबकि भाबी ने मेरी मदद के लिए स्टूल सीट के किनारे की कस कर पकड़ रखा था । मैं छत तक पहुँचने के लिए उस ऊँचे स्टूल पर चढ़ गया, बल्ब वास्तव में बहुत ऊँचा था, और मैं छत पर बल्ब की पकड़ तक पहुँच गया और इस प्रक्रिया में मेरा खड़ा हुआ बड़ा लण्ड रुपाली भाभी के चेहरे को बस गलती से छू गया। मेरा बड़ा झूलता हुआ लण्ड उसके नथुने के ठीक नीचे और उसके ऊपरी होंठ के ऊपर छु रहा था और धड़क रहा था।

जैसा ही मैंने एक हाथ में फ्यूज्ड बल्ब को उतारा, मैंने अपना सिर नीचे झुका लिया, तो मैंने स्पष्ट रूप से स्तनों की दरार के माध्यम से रुपाली भाई के गोल स्तन देखे , उसके भूरे रंग के नुकीले और काले रंग के गोल छेद के आसपास के निपल्स भी स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहे थे। और उन्हें देख कर मेरे लंड ने भाई के मुँह पर एक चुम्बन किया उधर मैंने अपने दूसरे हाथ को संतुलन के लिए रुपाली भाभी के कंधे पर रखा जो अंततः फिसल कर फिर उसके बूब पर चला गया और मैंने सीटें की पकड़ कर निचोड़ दिया । मैंने स्तन को तब तक वहीं निचोड़ता रहा जब तक कि मैं फिर से स्टूल पर नहीं बैठ गया।

रूपाली भाभी के शरीर के अंदर भी यौन तनाव बढ़ रहा था क्योंकि बड़ा लण्ड झूलता हुआ उसके चेहरे को छू रहा था, और दूसरी तरफ, मेरा हाथ उसके बूब को पकड़ दबा और निचोड़ रहा था। उसके निप्पल सख्त हो गए थे और हथेली में महसूस हो रहे थे। ऐसेमे उसकी हलकी सी कराह निकली और उसे अपनी चूत के अंदर गीलापन महसूस हुआ।

रूपाली भाभी ने फिर मुझ से पुराना फ्यूज बल्ब ले लिया और मुझे नया बल्ब सौंप दिया, और फिर से मैं नए बल्ब को ठीक करने के लिए ऊपर चढ़ गया। मैंने नए बल्ब को ठीकसे लगाया किया और प्रकाश चालू हो गया, मैंने दुबारा नीचे देखा तो उजाले में भाबही का चमकता हुआ बदन देख मेरे लंड ने भाभी के मुँह पर एक जोर दार थापड़ सा मार कर सलाम किया और इस समय रूपाली मेरे बड़े लंड को देखने और छूने से इतनी कामुकता से चार्ज हो गई थी कि वह बेकाबू हो गई, स्टूल पर उसकी पकड़ ढीली हो गई, और स्टूल के पैर हिले और स्टूल असंतुलित हो गया और जोर से हिलने लगा और जिसके कारण मैं भी हिलने लगा और लंड जोर जोर से भाभी के मुँह से टकराने लगा ।

दोनों इस परिस्तिथि में चिंतित हो गए थे और लग रहा था अब मैं गिरने हो वाला हूँ हम दोनों इस बात का एहसास कर सकते थे। मैंने कहाः रुपाली भाभी आपने स्टूल क्यों छोड़ दिया? उसे पकड़ो!

उसने मुझे एक चीख के साथ चेतावनी दी, "काका, आप नीचे गिर रहे हैं, आप मुझे अपने हाथों से पकड़ लो ।" अचानक डरने के साथ ऐसा होने के कारण रुपाली भाभी का मुँह पूरा खुल गया।

ठीक उसी समय मुझे भी लगा कि मैं स्टूल से अपना संतुलन खो रहा हूं, और मेरे पैर स्टूल से फिसल रहे थे, मैं घबरा गया और मेरे हाथ रूपाली भाभी का सिर से होकर उसके कंधों पर आ गए । मेरे हाथो ने उसके कंधे को इतना कस कर पकड़ा और गिरने लगा इस कारण मैंने भाभी के पुराने इस्तेमाल किए गए ब्लाउज को और कस कर पकड़ लिया और दबाब पड़ने से पसीने से लथपथ ब्लाउज के कंधे के हिस्से फट गए और ब्लाउज बीच से दो टुकड़े हो गया । उसके दो गोल स्तन बाहर निकल आये और तुरंत मेरे दोनों हाथों ने सहारे के लिए स्तनों को पकड़ लिया। इस अचानक झटके के कारण अचानक मेरा खड़ा लण्ड रूपाली भाभी के खुले मुँह में घुस गया। उसने मुझे और मेरी लुंगी को पकड़ा और खुद को गिरने से बचाने के लिए लुंगी को और कस कर पकड़ा और खींचा और उस स्थिति में ही हम दोनों जमीन पर गिर गए।

भगवान हमेशा मुझ दयालु रहे हैं, इस हादसे या दुर्घटना में दोनों को कोई चोट नहीं लगी। लेकिन इस हादसे के कारण हमारे शरीर की स्थिति गड़बड़ा गई थी। रूपाली फर्श पर फैली हुई थी, उसकी साड़ी कमर तक उठी हुई थी, वो कमर के नीचे नग्न हो गयी थी और उसकी मांसल टांगों के बीच उसकी चूत मेरे सामने नग्न हो गयी थी और यहाँ स्तन भी खुल कर नग्न हो गए थे और ब्लाउज फट गया था थे, मैं भी अपनी कमर से नीचे पूरी तरह से नंगा था क्योंकि मेरी लुंगी भी इस दुर्घटना में दुर्घटनाग्रस्त हो खुल गयी थी हो गई थी। । मेरा बड़ा लण्ड रूपाली के मुँह के अंदर चला गया था। रूपाली की चूत के बाहरी होठ जो घने बालों की मोटी झाड़ियों से घिरे हुए थे उनमे मेरी एक हाथ की दो उंगलियाँ घुसी हुई थीं। मेरे दूसरे हाथ ने रूपाली के एक बूब्स को पकड़ लिया था। हमारी आँखें बंद थीं।

कहानी जारी रहेगी

दीपक कुमार

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