औलाद की चाह 035

Story Info
मालिश.
3.8k words
4.5
231
00

Part 36 of the 282 part series

Updated 04/27/2024
Created 04/17/2021
Share this Story

Font Size

Default Font Size

Font Spacing

Default Font Spacing

Font Face

Default Font Face

Reading Theme

Default Theme (White)
You need to Log In or Sign Up to have your customization saved in your Literotica profile.
PUBLIC BETA

Note: You can change font size, font face, and turn on dark mode by clicking the "A" icon tab in the Story Info Box.

You can temporarily switch back to a Classic Literotica® experience during our ongoing public Beta testing. Please consider leaving feedback on issues you experience or suggest improvements.

Click here

औलाद की चाह

CHAPTER 5-चौथा दिन

मालिश

Update 2

मैं ब्लाउज के अंदर सफेद ब्रा पहने हुई थी । ब्लाउज उतारने के बाद मैंने तुरंत अपनी नंगी पीठ को साड़ी के पल्लू से ढक दिया। राजकमल की अँगुलियाँ अब मेरी कोहनियों से लेकर कंधों तक और कांखों में घूमने लगीं।

राजकमल--मैडम आपकी त्वचा तैलीय (आयली स्किन) टाइप की है, इसलिए मैं तेल कम लगा रहा हूँ। आप भी जब ख़ुद से मालिश करोगी तो इस बात का ध्यान रखना।

अब वह मेरी पूरी बाँह में ज़ोर लगाकर मालिश करने लगा। उसके ज़ोर लगाने से मुझे अच्छा लग रहा था। मैं चाह रही थी की वह ऐसे ही मेरी बाँहों को ज़ोर-ज़ोर से मलता रहे।वैसे वह दिखने में दुबला था पर मालिश पूरी ताक़त लगाकर करता था। सच कहूँ तो वाक़ई अच्छी मालिश करता था इसमें कोई शक़ नहीं। फिर वह मेरे कंधों में मालिश करने लगा और वहाँ से मेरे पल्लू को हटा दिया।

राजकमल--मैडम, कैसा लग रहा है? रिलैक्स फील हो रहा है?

"हाँ, बहुत आराम मिल रहा है।"

राजकमल की अंगुलियों में जादू था । मैं उसकी मालिश में इतनी मगन थी की, जब उसकी काँपती अंगुलियों ने मेरी पीठ में ब्रा का हुक खोला तो मैंने कोई विरोध नहीं किया। ब्रा का हुक खुलने के बाद मुझे होश आया।

हे भगवान! मैं इसके लिए तैयार नहीं थी। उस लड़के ने एक झटके में मेरी ब्रा उतार दी। वैसे सच कहूँ तो मैं उसकी मालिश से खुश थी और ब्रा उतारने में मुझे ज़्यादा ऐतराज नहीं था। अब मेरे पास अपनी बड़ी चूचियों को पल्लू से ढकने के सिवा कोई चारा नहीं था। राजकमल मेरे पीछे बैठा था और मेरी नंगी पीठ पर मालिश करने लगा। उसने मेरे मेरुदण्ड (स्पाइनल कॉर्ड) और उसके आस पास से मालिश शुरू की। मेरी चिकनी पीठ पर उसकी अँगुलियाँ ऊपर नीचे फिसलने लगीं।

एक बार मुझे उसकी अँगुलियाँ मेरी हिलती डुलती चूचियों के पास महसूस हुई. किसी भी 20--21 साल के लड़के के लिए एक जवान औरत की नंगी पीठ पर ऐसे हाथ फिराना कोई सपने से कम नहीं। मैं सोचने लगी अगर इसकी अँगुलियाँ मेरी रसीली चूचियों को ग़लती से छू जाएँ तो क्या होगा। इस ख़्याल से मेरा दिल जोरों से धड़कने लगा और मेरे कान लाल हो गये।

किसी भी सूरत में उस लड़के के साथ मैं यौन गतिविधियों (सेक्सुअल एक्टिविटीस) में संलिप्त होना नहीं चाहती थी। लेकिन मेरे बदन में राजकमल के छूने से मुझे कामोत्तेजना भी आ रही थी। मैं शरम और उत्तेजना के बीच झूल रही थी। मैं महसूस कर रही थी की आराम की अवस्था से मैं उत्तेजना की अवस्था में जा रही हूँ। मैं राजकमल को रोक भी नहीं सकती थी क्यूंकी मुझे मज़ा आ रहा था। मैं भ्रमित थी की क्या करूँ? राजकमल मेरे देवर की उमर का था, मुझे अपने देवर का चेहरा याद आ रहा था और ऐसा लग रहा था जैसे मेरा छोटा देवर मेरे बदन की मालिश कर रहा हो।

उफ़फ्फ़ नहीं। मैं अपने देवर के सामने ऐसे नंगे बदन कभी नहीं बैठ सकती। क्या मैं सारी सामाजिक मर्यादाओं को भूल गयी हूँ? क्या मैं अपने होश खो बैठी हूँ? मेरा चेहरा लाल होने लगा, मेरी आँखें जलन करने लगी, मैं अपने होंठ काटने लगी। मुझे अपनी टाँगों के बीच सनसनी होने लगी। जिसका डर था वही हुआ, मैं फिर से कामोत्तेजित होने लगी थी। मैं चाह रही थी की राजकमल के हाथ मेरी चूचियों को मसल दें। मैं बेकरारी से चाह रही थी की ग़लती से या कैसे भी उसके हाथ साड़ी के पल्लू से ढकी मेरी नंगी चूचियों को छू जाएँ। लेकिन नहीं। ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। राजकमल मेरी चूचियों से थोड़ी दूरी बनाए रहा और पीठ की मालिश करते रहा, उसके हाथ जब भी मेरी चूचियों के पास आए, बिना छुए निकल गये।

अब मुझे बेचैनी होने लगी । मैंने देखा राजकमल अब भी मेरी पीठ में ही मालिश कर रहा है। फिर मैंने ऐसा दिखाया जैसे मेरा पल्लू ग़लती से मेरी चूचियों के ऊपर से फिसल गया हो। अब दोनों बड़ी चूचियाँ नंगी थीं और मैंने उन्हें ढकने में कोई जल्दबाज़ी नहीं दिखाई, जबकि कोई भी औरत पल्लू से तुरंत ढक लेती।

मुझे पूरा यक़ीन था कि राजकमल को साइड से मेरी सुडौल गोरी चूचियों, भूरे रंग का ऐरोला और उसके बीच में घमंड से तने हुए मेरे निप्पल का भरपूर नज़ारा दिख रहा होगा । मैंने अपनी भरी हुई छाती को कम से कम 10 सेकेंड्स तक खुला रखा। मैंने राजकमल के गले से थूक निगलने की आवाज़ सुनी और कुछ पल के लिए उसके हाथ मेरी पीठ में रुक गये। मैं मन ही मन मुस्कुरायी और फिर से अपनी चूचियों को पल्लू से ढक लिया।

अपनी आँखों के कोने से मैंने राजकमल की धोती में देखने की कोशिश की। उसके खड़े लंड ने वहाँ पर तंबू-सा बनाया हुआ था और मुझे पता चल गया था कि वह भी मेरी तरह कामोत्तेजित हो गया था। मैंने उसकी धोती के अंदर ढके लंड की कल्पना करने की कोशिश की, कैसा होगा? इस ख़्याल से मेरी चूत में अजीब-सी सनसनाहट महसूस हुई. जैसा की अपेक्षित था, मेरी पल्लू गिराने की चाल ने तुरंत काम कर दिया था। ये उसके खड़े हो चुके लंड ने साबित कर दिया था।

राजकमल--मैडम, पीठ की मालिश पूरी हो गयी है। अगर आप अनुमति दें तो मैं आपकी ।वो ...मेरा मतलब चूचियों की मालिश शुरू करूँ।

वो थोड़ा हकलाया। स्वाभाविक था। राजकमल अब और इंतज़ार नहीं कर पा रहा था। मैंने देखा उसने दूसरी बोतल से तेल निकालकर अपनी हथेलियों में लगा लिया।

राजकमल--मैडम ये तेल चूचियों के लिए है।

वो मेरे सामने घुटनों के बल बैठ गया और मेरी चूचियों के ऊपर से पल्लू हटाने का इंतज़ार करने लगा। अब ये मेरे लिए थोड़ी अटपटी स्थिति थी, एक लड़का मेरे आगे बैठा हुआ है और मुझे मालिश के लिए अपनी चूचियाँ नंगी करनी हैं। मुझे इसमें शरम आ रही थी और असहज महसूस कर रही थी । मैंने दूसरा तरीक़ा सुझाया।

"राजकमल तुम ये पीछे से कर सकते हो? मेरा मतलब पीछे बैठ कर ।"

उसने ऐसा मुँह बनाया जैसे उसे कुछ समझ नहीं आया।

मेरा मतलब अगर तुम मेरी ......वो...... मेरी चूचियों की मालिश मेरे पीछे से करोगे तो मुझे कंफर्टेबल रहेगा।"

वो समझ गया। भगवान का शुक्र है। मैंने साड़ी का पल्लू चूचियों के ऊपर से नहीं हटाया ।

राजकमल--ठीक है मैडम। मैं आपकी बात समझ गया। पर मेरे सामने शरमाओ नहीं। ये तो मेरा पेशा है।

राजकमल ने पेशेवर दिखने की कोशिश की लेकिन उसकी धोती के अंदर खड़ा लंड कुछ और ही कहानी बयान कर रहा था।

अब राजकमल मेरे पीछे बैठ गया और मेरी नंगी चूचियों को अपनी हथेलियों में भर लिया, मेरे बदन में कंपकपी दौड़ गयी।

"ऊऊहह! उम्म्म्मममम!."

उत्तेजना से मेरा बदन ऐंठ गया।

"निचोड़ दो इन्हें और निचोड़ दो।"

.यही मैं चिल्लाना चाहती थी पर मुझे अपनी ज़ुबान पर लगाम लगानी पड़ी। राजकमल शुरू में मेरी गोल चूचियों को धीरे से पकड़ रहा था और उनमें तेल लगा रहा था। पर तेल लगाने के बाद वह उन्हें ज़ोर से दबाने लगा जैसा की पिछले कुछ दिनों में कई मर्दों से मुझे अनुभव हुआ था। अब वह मेरे तने हुए निपल्स को गोल-गोल घुमा रहा था, उन्हें मरोड़ रहा था और मनमर्ज़ी से दबा रहा था। मैं उत्तेजना से पागल हो गयी। वह अपनी दोनों हथेलियों से मेरी चूचियों की कभी हल्के से कभी ज़ोर से मालिश कर रहा था।

"उम्म्म्मममह! आआहह!"

इस लड़के को एक प्रेमी की तरह ऐसे प्यार करना किसने सिखाया? गुरुजी ने?

राजकमल मेरी साड़ी के पल्लू के अंदर हाथ डालकर मेरी चूचियों को मसल रहा था । मुझे अपनी चूचियों को नंगी करने में शरम आ रही थी इसलिए मैंने अपना पल्लू हटाया नहीं था। वैसे तो मेरी चूचियाँ उसके क़ब्ज़े में थी लेकिन मेरे लिए सांत्वना की बात ये थी की वह उन्हें सीधे नहीं देख सकता था क्यूंकी वह मेरे पीछे बैठा था। अब अचानक उसने जो किया उससे मेरी साँस ही रुक गयी। राजकमल ने अपने तेल लगे हाथों से मेरे निपल्स को उछालना शुरू कर दिया और दो अंगुलियों के बीच में दबाकर मेरे तने हुए निपल्स को मरोड़ने लगा।

"अरे, ये तुम क्या कर रहे हो?"

राजकमल--मैडम, टोको मत। ये ख़ास क़िस्म की मालिश है।

मैं चुप हो गयी। लेकिन उसकी इस हरकत से मैं असहज हो गयी और मेरी पैंटी गीली होने लगी। मेरे कानों के पास उसकी भारी साँसें मुझे मह हुई. मैं समझ रही थी की मालिश के नाम पर एक शादीशुदा जवान औरत के बदन से ऐसे मज़े लेने का जो अवसर उसे मिल रहा है उससे वह भी बहुत कामोत्तेजित हो गया था। वह मेरी चूचियों से मनमर्ज़ी से खेल रहा था, कभी उन्हें उछालता, कभी पकड़ लेता, कभी मसल देता ।उसके ऐसा करने से मुझे उत्तेजना आ रही थी पर साथ ही साथ शर्मिंदगी भी हो जा रही थी। मेरी ज़िन्दगी में कभी किसी ने मेरी चूचियों से ऐसे नहीं खेला था, ना तो मेरे पति ने ना ही पिछले कुछ दिनों में और मर्दों ने।

कुछ देर बाद राजकमल ने ये खेल बंद कर दिया । मैंने राहत की सांस ली। उसकी इस कामुक हरकत से मैं पसीने-पसीने हो गयी थी। उसने मुझे थोड़ी देर सांस लेने का मौका दिया।

राजकमल--मैडम अब आप चटाई में लेट जाओl

मैंने अभी भी साड़ी पहनी हुई थी और पल्लू से अपनी चूचियों को ढके हुए थी। मैं पेट के बल चटाई में लेट गयी और छाती को साड़ी से ढक लिया। मुझे मालूम था कि उस पतली साड़ी में मेरे तने हुए निप्पल और तेल से चमकते हुए ऐरोला राजकमल को अच्छे से दिख रहे होंगे। राजकमल ने एक दूसरी बोतल से तेल लिया और मेरी गहरी नाभि में डाल दिया और अपनी तर्जनी उस तेल के कुँवें में डाल दी। मुझे गुदगुदी के साथ अजीब-सी सनसनाहट हुई. फिर वह नाभि के आसपास थपथपाने लगा।

मैं सोचने लगी अब इसके बाद ये कहाँ पर मालिश करेगा? मेरी कमर में और पेट के निचले भाग में शायद। इससे ज़्यादा की मैं कल्पना नहीं कर पाई और मैंने आँखें बंद कर ली। मालिश के दौरान बार-बार मेरे देवर का चेहरा मेरी आँखों के सामने आ जा रहा था, पता नहीं क्यूँ, शायद वह भी राजकमल की उमर का ही था इसलिए. मैंने कल्पना करने की कोशिश की मैं अपने बेड में ऐसे ही लेटी हूँ और मेरा देवर मेरी मालिश कर रहा है। वह करीब-करीब मेरे बदन के ऊपर बैठा है और मैंने ब्रा और ब्लाउज कुछ नहीं पहना है। उफ़फ्फ़, नहीं, ये तो हो ही नहीं सकता, बिल्कुल नहीं। लेकिन राजकमल के साथ तो मैं बिल्कुल यही कर रही हूँ।

हे भगवान! अब मैं और कल्पना नहीं कर सकती थी। मेरी चुदाई के लिए तड़पती चूत से फिर से रस बहने लगा। अब तो वहाँ पर दर्द होने लगा था। मुझे ख़ुद पर यक़ीन नहीं हो रहा था कि मेरी जैसी शर्मीली हाउसवाइफ, जो अपने पति के प्रति इतनी वफ़ादार थी, वह गुरुजी के आश्रम में आकर इतनी बोल्ड कैसे हो गयी? मुझमें इतना बदलाव कैसे आ गया? मेरे पास इसका कोई जवाब नहीं था।

तभी राजकमल की आवाज़ ने मेरा ध्यान भंग किया।

राजकमल--मैडम, आपके ऊपरी बदन की मालिश पूरी हो गयी है। मैं अब सर से कमर तक संक्षिप्त मालिश करूँगा। इसलिए अगर आप!

मुझे उसकी बात समझ नहीं आयी। मैं लेटी हुई थी, क्या वह मुझे फिर से बैठने को कह रहा था?

"अगर क्या? फिर से बैठना है क्या?"

राजकमल--नहीं नहीं मैडम। आप ऐसे ही लेटी रहो। मैं आपके सर से कमर तक मालिश करूँगा, इसलिए!

उसने फिर से अपनी बात अधूरी छोड़ दी। पर इस बार उसका इशारा स्पष्ट था। वह चाहता था कि मैं अपनी चूचियों के ऊपर से साड़ी का पल्लू हटा दूं ताकि वह सर से कमर तक मालिश कर सके. मुझे अपनी छाती से पल्लू हटाना ही पड़ा और अब मैं उसके सामने टॉपलेस होकर लेटी थी। मेरी नंगी रसीली चूचियों को देखकर राजकमल की आँखें बाहर निकल आई, उसके मालिश करने से चूचियाँ गरम और लाल हो रखी थीं। मेरी पूरी नंगी छाती तेल से चमक रही थी। राजकमल ने वहाँ कोई भी हिस्सा नहीं छोड़ा था, उसकी अंगुलियों ने मुझे हर जगह पर छुआ था। उस लड़के के सामने ऐसी टॉपलेस होकर लेटे हुए मुझे बहुत शरम आ रही थी और मैंने आँखें बंद कर लीं।

जब थोड़ी देर तक उसने मुझे नहीं छुआ तो मुझे फिर से आँखें खोलनी पड़ी । मैंने देखा वह नयी बोतल से तेल निकालकर अपनी हथेलियों में मल रहा था। मैंने अपनी आँखों के कोने से देखा की मुझे ऐसे खुले बदन में देखकर वह कुछ टेन्स लग रहा है, मुझे उसकी धोती में देखने की उत्सुकता हुई. मैंने देखा उसके लंड ने धोती में खड़े होकर तंबू-सा बनाया हुआ है और वहाँ पर कुछ गीले धब्बे से भी दिख रहे थे। वह राजकमल का प्री-कम था। सच कहूँ तो अब मैं अपने ऊपर काबू खोती जा रही थी। उस जवान लड़के के बड़े लंड को छूने के लिए मेरे हाथ बेताब होने लगे थे पर मेरे मन में कहीं हिचकिचाहट भी थी। मेरी गीली चूत में खुजली होने लगी थी और मैंने अपने मन से हिचकिचाहट को हटाने की कोशिश की।

मैं मालिश के बहाने अपनी हवस को पनपने देना चाहती थी। अब उसने मेरे सर के बालों को धीरे से खींचकर मालिश शुरू की। फिर मेरे गालों को मला, उसके बाद मेरी गर्दन और फिर मेरी हिलती डुलती चूचियों पर उसके हाथ आ गये। वह मेरे कड़े तने हुए निपल्स को मरोड़ने लगा, जैसा की संभोग के दौरान मेरे पति करते थे। मैंने ज़ोर से सिसकारी ली और अपनी कामोत्तेजना जाहिर होने दी। अब राजकमल मेरी चूचियों को ज़ोर से मसलने लगा। मुझे ऐसा लगा जैसे मेरा पूरा बदन उसकी मालिश की आग में जल रहा हो।

"ओह्ह.।और करो.।"

मेरी बात सुनकर राजकमल उत्तेजित हो गया और मेरी तेल लगी हुई चूचियों को और भी ज़्यादा ताक़त लगाकर दबाने और मसलने लगा। मेरी टाँगें अपनेआप पेटीकोट के अंदर अलग-अलग होने लगीं। अभी तक वह मेरी साइड में बैठा था पर अब उसकी हिम्मत बढ़ने लगी। मैंने ख़्याल किया अब उसने मेरी नंगी चूचियों पर बेहतर पकड़ बनाने के लिए अपना एक घुटना मेरी जांघों पर रख दिया था। थोड़ी देर तक ऐसा चलता रहा और फिर शायद वह उत्तेजना बर्दाश्त नहीं कर पाया और उसने मालिश रोक दी। मैंने देखा वह बुरी तरह हाँफ रहा था और मेरा भी यही हाल था। फिर उसने अपने बैग से एक कपड़ा निकाला और अपनी हथेलियाँ पोंछ दी।

राजकमल--मैडम, अब निचले बदन की मालिश करनी है। आपकी साड़ी!

"हाँ, तुम उसे उतार दो प्लीज़। अब मुझसे बैठा नहीं जा रहा।"

वास्तव में मुझमें उठने की ताक़त नहीं थी। मेरा पूरा बदन उत्तेजना से कांप रहा था। एक शादीशुदा औरत की साड़ी उतारने का मौका मिलने से वह लड़का खुश लग रहा था।

राजकमल--ठीक है मैडम। आप बस आराम से लेटी रहो।

उसने मेरी कमर को देखा जहाँ पर साड़ी बँधी थी और पल्लू चटाई में पड़ा हुआ था।

राजकमल--मैडम, आप अपने पेट को थोड़ा नीचे कर लो ताकि मैं साड़ी के फोल्ड निकाल सकूँ।

मैंने वैसा ही किया और उसने मेरे पेटीकोट से साड़ी के फोल्ड निकाल दिए.

राजकमल--मैडम, थोड़ा अपने वह! मेरा मतलब नितंबों को उठा दो जिससे मैं आपके नीचे से साड़ी निकाल सकूँ।

मुझे वैसा ही करना पड़ा। मुझे एहसास हुआ वह बड़ा अश्लील दृश्य था, एक गदराये हुए बदन वाली हाउसवाइफ टॉपलेस लेटी हुई है और अपनी गांड ऊपर को उठा रही है और एक जवान लड़का उसकी साड़ी उतार रहा है। मैंने अपने भारी नितंबों को थोड़ा उठाया और राजकमल ने एक झटके में मेरे नीचे से साड़ी खींच ली। मैंने सोचा राजकमल ने पहले भी और औरतों की मालिश करते हुए ऐसा किया होगा। अब मेरे निचले बदन को सिर्फ़ पेटीकोट ढक रहा था।

राजकमल--मैडम अब पेट के बल लेट जाओl

"ठीक है।"

मैंने फिर से उसका कहना माना, बल्कि मेरी नंगी हिलती हुई चूचियों को अपने बदन के नीचे ढककर मुझे बेहतर महसूस हुआ। लेकिन राजकुमार के प्लान कुछ और ही थे।

राजकमल--मैडम, अगर मैं आपका पेटीकोट भी उतार दूँ तो बेहतर रहेगा वरना ये तेल से खराब हो जाएगा।

मेरा मुँह चटाई की तरफ़ था और मेरे नितंब ऊपर को थे। मैंने वैसे ही जवाब दिया।

"मैं अपना पेटीकोट खराब नहीं करना चाहती।"

मैंने शांत स्वर में जवाब दिया और अप्रत्यक्ष रूप से (इनडाइरेक्ट्ली) उसे मेरा पेटीकोट उतारने की अनुमति दे दी।

राजकमल--ठीक है मैडम। आप बस आराम से लेटी रहो, मैं उतारता हूँ।

ऐसा कहकर उसने मेरे बदन के नीचे अपने हाथ डाल दिए, जगह बनाने के लिए मुझे अपना पेट ऊपर को उठाना पड़ा। उसकी अँगुलियाँ मेरे पेटीकोट के नाड़े में पहुँच गयी, नाड़ा खोलने में मैंने मदद की। लेकिन मुझे क्या मालूम था कि वह मेरे पेटीकोट के साथ पैंटी भी नीचे खींच देगा। मेरे को जब तक मालूम पड़ता तब तक वह पेटीकोट के साथ पैंटी भी कमर से नीचे को खींचने लगा।

"अरे अरे, ये क्या कर रहे हो?"

राजकमल एक मासूम लड़के की तरह भोला बनने का नाटक करने लगा।

राजकमल--क्या हुआ मैडम? मैंने कुछ ग़लत किया क्या?

ये हमारी बातचीत मेरी उस हालत में हो रही थी जब पैंटी उतरने से मेरी गांड की आधी दरार दिखने लगी थी और राजकमल की अँगुलियाँ अब भी मेरी पैंटी के एलास्टिक में थी।

"उसको क्यूँ नीचे कर रहे हो?"

राजकमल अब बदमाशी पर उतर आया था।

राजकमल--किसको मैडम?

"मेरी पैंटी को और किसको, बेवक़ूफ़।"

अब मुझे थोड़ा गुस्सा आ गया था।

राजकमल--लेकिन मैडम, निचले बदन में मालिश के लिए तो आपको नंगा होना ही पड़ेगा।

"लेकिन तुम्हें पहले मुझसे पूछना तो चाहिए था ना?"

राजकमल--सॉरी मैडम, मैंने सोचा!

उसने अपनी बात अधूरी छोड़ दी और इससे मैं और ज़्यादा खीझ गयी। लेकिन उस नंगी हालत में मैं सीधे चटाई में बैठ भी तो नहीं सकती थी।

"क्या सोचा तुमने?"

राजकमल--मैडम, मैंने देखा है कि ज़्यादातर औरतें अपनी ब्रा और पैंटी को उतारने में शरमाती हैं। इसलिए मैंने अलग से पैंटी का नाम नहीं लिया। फिर से सॉरी मैडम।

"ह्म्म्म्म!"

उसके माफी माँगने से मैं थोड़ी शांत हो गयी।

राजकमल--मैडम, क्या करूँ फिर?

वाह क्या सवाल पूछा है।

"आधी तो उतार ही दी है, बाक़ी भी उतार दो और क्या।"

मैंने थोड़ा कड़े स्वर में जवाब दिया। राजकमल ने एक सेकेंड भी बर्बाद नहीं किया और मेरे पेटीकोट के साथ पैंटी को भी मेरे गोल नितंबों से नीचे खींचने लगा। उसने मेरी मांसल जांघों, फिर टाँगों और फिर पंजों से होते हुए पेटीकोट और पैंटी निकाल दिए. अब मैं उस 21 बरस के लड़के के सामने बिल्कुल नंगी लेटी हुई थी।

राजकमल ने एक सेकेंड भी बर्बाद नहीं किया और मेरे पेटीकोट के साथ पैंटी को भी मेरे गोल नितंबों से नीचे खींचने लगा। उसने मेरी मांसल जांघों, फिर टाँगों और फिर पंजों से होते हुए पेटीकोट और पैंटी निकाल दिए. अब मैं उस 21 बरस के लड़के के सामने बिल्कुल नंगी लेटी हुई थी।

मैं उस मालिश वाले लड़के से बातें कर रही थी लेकिन मेरी चूत में अलग ही कंपन हो रहा था, मुझे लग रहा था जैसे उसमें से रस की बाढ़ आने को है। कामोत्तेजना से मैं अपनी सारी शरम छोड़कर एक नयी स्थिति में पहुँच गयी, जहाँ उस जवान लड़के के सामने अपनी नग्नता का मैंने आनंद उठाया और इससे मेरी उत्तेजना और भी बढ़ गयी। मैंने अपनी आँखें बंद कर लीं और उस जवान मालिश वाले के आगे पूर्ण समर्पण कर दिया।

राजकमल के हाथ मुझे अपने सुडौल नितंबों में महसूस हुए. वह दोनों हाथों से मेरे बड़े नितंबों को मसलने लगा।

"आहह! उम्म्म्ममममम । ओह्ह! "

राजकमल मेरे नितंबों में तेल लगा रहा था और मैं कामोत्तेजना से सिसकारियाँ ले रही थी। वह मेरे नंगे नितंबों को कभी थपथपा रहा था, कभी मल रहा था, कभी दबा रहा था और क्या-क्या नहीं कर रहा था। यहाँ तक की एक बार वह मेरे नितंबों पर थप्पड़ भी मारने लगा।

"आउच.........।आआआहह! "

मुझे वास्तव में बहुत मज़ा आ रहा था। आज तक किसी मर्द ने मुझे वहाँ पर थप्पड़ मारने की जुर्रत नहीं की थी और ये लड़का मालिश के नाम पर बड़े आराम से ऐसा कर रहा था। राजकमल मेरे गोल मांसल नितंबों को दोनों हाथों में पकड़कर ऐसे दबा रहा था कि जैसे वह कचौड़ी बनाने के लिए मैदा गूंद रहा हो।

"अच्छे से करो! हर तरफ।"

मैंने उससे कहा पर हर तरफ़ का मतलब नहीं बताया। वह और ज़ोर-ज़ोर से मेरे नितंबों को निचोड़ने लगा, मुझे अपनी चूत से ज़्यादा रस निकलता महसूस हुआ। मेरा हाथ अपनेआप ही मेरी चूत में चला गया और मैंने दाएँ हाथ की बड़ी अंगुली गीली चूत के अंदर डाल दी। राजकमल की ओर देखने की मेरी हिम्मत नहीं हुई, पता नहीं उसकी क्या हालत हो रखी थी। मैंने अनुमान लगाया की उसका लंड पूरी तरह तन गया होगा और ज़रूर वह झड़ने के करीब होगा। वह अपनी कामोत्तेजना पर काबू पाने की कोशिश कर रहा होगा ताकि धोती खराब होने से मेरे सामने उसको शर्मिंदा ना होना पड़े। राजकमल की तेल लगी हुई हथेलियाँ मेरे नितंबों के शिखर तक गयी और धीरे-धीरे ढलान से नीचे को उतरी।

"आआआआअहह!."

बहुत ही अच्छा महसूस हो रहा था। उसकी आधी हथेली मेरी गांड की गहरी दरार में घुसी हुई थी। मुझे मालूम पड़ रहा था कि वह मेरी गांड के छेद को ढूँढने की कोशिश कर रहा है। उसको ढूँढने के बाद राजकमल ने छेद पर तेल भी लगाया। उसमें भी एक अजीब-सा नाजायज क़िस्म का आनंद था कि मेरे देवर की उमर का एक लड़का मेरी गांड के छेद में तेल मल रहा है।

फिर वह मेरी मांसल जाँघों के पिछले हिस्से की मालिश करने लगा। उसकी अँगुलियाँ लगातार मेरे बदन में फिसल रही थीं। वह बिल्कुल भी थका हुआ नहीं लग रहा था बल्कि उसके हाथों की ताक़त और भी बढ़ गयी थी। उसके बाद वह नीचे को बढ़ा और मेरे घुटनों, टाँगों और मेरे पैरों की अंगुलियों की मालिश की। मैं बता नहीं सकती की कितनी अच्छी तरह से उसने ये सब किया। जिसने पूरे नंगे बदन की मालिश ना करवाई हो वह इसके रोमांच को नहीं समझ सकता। मेरा रोम-रोम आनंद से कांप रहा था और ऐसा मैंने पहले कभी अनुभव नहीं किया था। संभोग करने से जो आनंद मिलता है और इस मालिश से जो आनंद मुझे मिला था, उन दोनों में अंतर था।

ईमानदारी से कहूँ तो अब मैं एक तने हुए कड़े लंड से रगड़कर चुदाई को बेताब थी। सुबह भी मुझे ऐसी इच्छा हुई थी जब विकास मुझे कामोत्तेजित करके चला गया था। फिर एग्जामिनेशन टेबल में गुरुजी के सामने भी मुझे ऐसी ही इच्छा हुई थी।

मेरे पैरों के अंगूठो की मालिश करके राजकमल रुक गया। हम दोनों ही अवाक थे, कोई कुछ नहीं बोला। कमरे में अजीब-सी बेचैनी भरी शांति थी ।

मेरे जवान बदन में कोई भी ऐसा हिस्सा नहीं बचा था जहाँ मालिश ना हुई हो सिर्फ़ बालों से भरे त्रिकोणीय भाग को छोड़कर और मैं उस भाग को यों ही छोड़ने के लिए तैयार नहीं थी। शायद राजकमल भी बेसब्री से मेरे इशारे का इंतज़ार कर रहा था। मेरे से कोई संकेत ना पाकर उसने फिर से मेरी पीठ और नितंबों की मालिश करनी शुरू कर दी। मैंने अपनी आँखों के कोनों से देखा वह अब नीचे झुककर मालिश कर रहा था। तभी मेरे कानों में उसकी फुसफुसाहट सुनाई पड़ी l

राजकमल--मैडम, वोl

राजकमल क्या कहना चाहता था, उसकी बात अधूरी रह गयी क्यूंकी किसी ने दरवाज़ा खटखटा दिया।

कहानी जारी रहेगी

Please rate this story
The author would appreciate your feedback.
  • COMMENTS
Anonymous
Our Comments Policy is available in the Lit FAQ
Post as:
Anonymous
Share this Story

story TAGS

Similar Stories

Happy Ending Virgins A masseuse and a client's first times with extras.in Erotic Couplings
A Massage In need of some massage therapy.in Romance
The Babysitter's Delight Mandy lusts over Sarah; Sarah and her wife lust over Mandy.in Lesbian Sex
Male Massage Exhibitionist Feeling the rush of exposing myself and getting teased.in Exhibitionist & Voyeur
The Massage Massage leads to sex.in Mature
More Stories