एक नौजवान के कारनामे 049

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पड़ोसन के साथ सुपर संडे.
1.4k words
5
200
00

Part 49 of the 278 part series

Updated 04/23/2024
Created 04/20/2021
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पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे

CHAPTER-5

रुपाली-मेरी पड़ोसन

PART-14

सुपर संडे

इस पूरे सिनेमा हाल प्रकरण में फ़िल्म देखते हुए पूर्व-अंतराल चरण में वह बहुत डरी हुई थी, घबराई हुई थी और उसमे विरोध करने की भी हिम्मत नहीं थी। जब मैंने उसके साथ उसके अंगो के कहना शुरू किया और मैं आगे बढ़ने लगा तो वह लोगों का उनकी तरफ़ ध्यान आकर्षित होने और फिर उसके बाद हंगमा खड़ा होने की सम्भावना से वह बहुत डर गई थी। मैंने हमारे अकेलेपण का फायदा उठाया और उसने मुझे ऐसा करने की अनुमति दी, हालांकि उसके पास हमेशा इससे बचने के या मुझे रोकने का विकल्प था। हालाँकि वह डरी हुई थी और यह नहीं चाहती थी कि ऐसा हो, इसे जारी रखने की अनुमति देकर, उसने अपनी मौन स्वीकृति दे दी थी।

उसने शुरू में मेरी हरकतों को "सहन" किया था जब मैंने उसके स्तनों को सहलाना शुरू कर दिया। उसके बाद जब मैंने उसका हाथ अपने लंड पर रख दिया था तो उसकी प्रतिक्रिया "अनिच्छुक जिज्ञासा" से अधिक थी ... यह बेहतर होने लगा, जब मैंने उसके स्तनों को प्यार करना शुरू किया, फिर ये उसके लिए "अनिच्छुक खुशी" थी।

मैं हमेशा उसे कोमलता से सहला रहा था और इससे उसे आसानी हुई और मेरे बिन बुलाए यौन आग्रहों में उससे मदद मिली। निष्क्रियता और भय को जीतकर उसने मुझे अपनी साड़ी, पेटीकोट, ब्लाउज और ब्रा उतारने और अपने स्तनों को बाहर निकालने की अनुमति दी, अपने स्तनों को चूसने के लिए अपनी ब्रा को ऊपर खींच कर मेरे मदद की, लेकिन जो बाद में "अनिच्छुक ख़ुशी वांछित खुशी" में बदल गयी। बेशक, मेरे साथ सार्वजनिक थिएटर में संभोग सुख प्राप्त करना एक अंतिम अनुभव था।

पर अंतराल से पहले पूरा समय वह हिचकिचाती रही थी ।

कुलमिला कर ये हम दोनों के लिए अनूठा अनुभव था और दोनों को बहुत सुखद लगा था, वह अभी भी असमंजस की स्थिति में थी और उसी मानसिक स्थिति में, उसने हाल ने मेरा हस्तमैथुन भी किया था, उस अवस्था में उसके दिमाग़ के पीछे मुझे स्खलित होते हुए देखने की उत्सुकता भी थी।

अंतराल के समय पर, वह इसे जीवन की दुर्भाग्यपूर्ण शोषणकारी स्थितियों में से एक के रूप में स्वीकार करने और ख़ुद को दोष देने के लिए तैयार थी।

अंतराल के बाद, स्थिति एक बार फिर से विकसित हुई। वह अब और अधिक आश्वस्त हो गई थी और पहले की हिचकिचाहट गायब हो गई थी। हमने इस बार जो किया वह वास्तव में आश्चर्यजनक था। इस बार उसने कोई हिचकिचाहट महसूस नहीं की कि उसका फायदा उठाया जा रहा है, बल्कि इस बार हमारी यौन क्रिया कहीं अधिक भागीदारी और आपसी थी। यह ऐसा था जैसे उसने आनंद की खोज की-की थी और अब कोई रुकावट भी नहीं थी। इस बार ख़ुशी और जुनून दोनों के लिए सर्वोपरि था।

उसने इसके हर पल का आनंद लिया। वह विवाहित थी और उसका पति भी था, उसे इससे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता था। जब मैंने कहा, "मैं तुमसे प्यार करता हूँ," तो उसे मेरे समान कहने में कोई संकोच नहीं था और उसने भी कहा, "मैं तुमसे प्यार करती हूँ" एक या दो बार नहीं कई बार उसने ऐसा कहा।

यह एक सार्वजनिक स्थान पर एक जोखिम भरा कार्य था जो उसे परेशान करने के लिए नहीं था और वह उसके पास जो जुनून था उसके कारण वह दोपहर में मेरे साथ अपने फ़्लैट और थियेटर में सेक्स के हर पल का आनंद ले पायी थी। उसने मुझे अपनी चूत को उँगलियों से सहलाने की इजाज़त दे दी थी और दोपहर में मेरे लंड को अपने मुँह में डाल उसने चुसा था, थिएटर में मैंने उसके स्तनों को सहलाया और दबाया और यहाँ तक कि उसकी पैंटी को खोलने के लिए, उसकी ब्रा को खोल दिया और मुझे उन्हें चाटने दिया और मैं उसके निप्पलों को चूसने लगा।

मैंने उसका हस्तमैथुन करने के लिए उसका पेटीकोट और पैंटी खोल दी थी, एक बार नहीं बल्कि तीन बार, जो बहुत ही आनंददायक था। मैंने उसकी योनी को भी चाट लिया था, जो कि स्वर्गीय थी। उस बात के लिए, उसने मेरेर लंड को स्वेच्छा से सहलाया था, मेरा हस्तमैथुन किया था, ओरल सेक्स किया था, स्वेच्छा से मेरे लंड को न केवल दोपहर में एक बार चूसा था, बल्कि दो बार थिएटर में भी चखा और मेरा वीर्य निगल लिया। लेकिन जब मैंने उसे अंत में चोदा तो ये सर्कल पूरा हो गया। वह अब पूरी, आजाद और आत्मविश्वासी महसूस कर रही थी।

वह सालों तक अपनी क़िस्मत को कोसने के लिए इसे "नकारात्मक" तरीके से भी ले सकती थी। इसने अपने जीवन में एक नया अध्याय खोला था। हम अपार्टमेंट से कुछ गज की दूरी पर कार से बाहर निकले, वहाँ अँधेरा था और कुछ देर साथ चलने का फ़ैसला किया।

उसने मेरी आँखों में गहराई से देखा और कहा, "जब तक आप हमारे साथ हैं, मैं एक पति होने के बावजूद आपकी प्रेमीका और पत्नी बनना चाहूंगाी क्या आप मुझे स्वीकार करेंगे?"

"हाँ, मेरे प्रिय, इस पल से, तुम मेरी प्यार पत्नी ही हो।" मैंने कहा और उसके होठों पर एक गर्म चुम्बन किया और उसे आई लव यू कहा l

उसके बाद हम घर आये और उसके बाद सो गएl

अगले दिन रविवार था वह चाय देने आयी तो मैं गहरी नींद में था और बाक़ी सब भी गहरी नींद में सो रहे थे मेरा लंड लुंगी से बाहर निकला हुआ था ... मेरे बड़े खड़े हुए लंड को देखकर रुपाली को अपनी चूत के अंदर एक सनसनी-सी महसूस हुई। उसने लंबे समय तक मेरा विशाल लंड की मन्त्रमुुग्ध हो कर देखा, उसे जल्द ही होश आ गयाऔर उसने ख़ुद को नियंत्रित किया दरवाज बंद किया।

वह जल्दी से मेरे बिस्तर के पास पहुँची और लुंगी को हटाया और अपने हाथ से मेरे लंड और अंडकोषों को छूने लगी। उसने अपना हाथ ऊपर नीचे किया और उसने हाथ ऊपर नीचे करना शुरू किया, रुपाली ने अपनी हाथों को मेरे लौड़े पर चलाना शुरू कर दीया। वह सोच ही रही थी की वह इसे चूसे या सीधे योनि के अंदर ले-ले थोड़ी देर तक मेरे लंड को रगड़ने के बाद उसने फैला कर लिया अब वह ज़्यादा समय नहीं लेगीl

उसने अपनी रात की ड्रेस जो वह पहन कर सोती थी उसे ऊपर किया और हाथ से लंड को पकड़ा और मेरे ऊपर बैठी और लंड को छूट के ऊपर लगाया और लंड सीधा अनादर चला गया और वह मेरे ओंठो पर झुकी मुझे किस कर के बोली गुड मॉर्निंग जानू!तो मैंने आँखे खोली तो रूपलाई मेरे ऊपर छड़ी हुई थी मेरा लंड उसकी योनि के अंदर था और उसका मुँह मेरे मुँह पर था!

मैं उसे किस करने लगाl अब वह मेरे उपर बैठ कर अपनी चुत में मेरा लण्ड लेने लगी, पूरा 9 ईन्च का लण्ड को सुपारे से टट्टो तक को दबा-दबा कर चुदवा रही थी, रुपाली भाभी की हालत इस तरह हो रही थी जैसे किसी मछ्ली को गरम रेत पर छोड दिया गया हो। वह साथ-साथ अपने मुंह से अजीब-अजीब आवाजें आआआह! ऊऊउउउम्म्म्मम म्म्मम! आईईईईई-सीईईईईसीई! आआआ! निकाले जा रही थी। आज तो बहुत खुजली हो रही है इस में! और ज़ोर से करो ज़ोर से और ज़ोर सेl

उसे देख कर मेरी रफ़्तार में बेतहाशा तेजी आ गई, चुदाई के मारे रुपाली भाभी का बुरा हाल था, अब उससे रुका नहीं जा रहा था-मेरा तो बस होने वाला है, मैं गई, मैं गई! आह्ह्हह्ह । फ़ाड़ दो। पूरा डाल-डाल कर पेलो!

तुम अब घोड़ी बन जाओ!

ठीक है!

घोड़ी बनाने के बाद मैंने घुटने के बल हो कर उसकी बुर में एक बार फिर से अपना लण्ड घुसेड़ दिया, उसने कभी घोड़ी बन कर चुदाई नहीं करवाई थी इसलिए इस अवस्था में उसकी बुर थोड़ी कस गई थी, लण्ड अटक-अटक कर जा रहा था, मुझे अब ज़्यादा ताकत लगा कर उसकी बुर में डालना पड रहा था, हर धक्के पर उसकी मुँह से हल्की-हल्की चीख निकल रही थी! आईईईईईई सीईईईसीई! आआआआ।

चोद डालो काका! आज पूरी तरह से फ़ाड दो कल अगर कोई कमी रह गया हो तो आज पूरी कर दो! और वह झड़ गयी l

करीब दस-पन्द्रह मिनट के बाद मेरा भी लन्ड झड़ने को हो गया, मैंने रुपाली भाभी से कहा-बस अब मेरा भी काम होने वाला है!

आठ-दस धक्कों के बाद लन्ड की पिचकारी छुट पड़ी और मैं अपना सार वीर्य उसकी योनि में भरता चला गया। थोड़ी देर हम उसी पोजिशन में रहे, लन्ड अपने आप सुकड़ कर बाहर आ गया। वह उठी और बाथरुम में जा कर अपनी चुत को साफ़ करने लगी। पाँच मिनट बाद वह बाहर निकली तो उसके चेहरे पर सन्तुष्टि के भाव थे-काका मेरी तो चुत बुरी तरह से सूज गई है! बाप रे आपका लंड बहुत बड़ा है मेरे बुरी हालत कर देता है l मेरे पति का तो इससे आधा भी नहीं है । और मैंने 7-8 साल से सेक्स किया भी नहीं है और अपने कल मेरे साथ सब कुछ कर दिया । और आज इसे खड़ा देख कर मुझ से रुका नहीं गया l

कहानी जारी रहेगी

दीपक कुमार

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