औलाद की चाह 051

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कुंवारी लड़की का कौमार्य ​.
3k words
5
285
00

Part 52 of the 282 part series

Updated 04/27/2024
Created 04/17/2021
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औलाद की चाह

CHAPTER 5-चौथा दिन-कुंवारी लड़की

Update-10

कौमार्य भंग​

गुरुजी--ठीक है फिर। रश्मि, काजल बेटी को यज्ञ के शेष भाग के लिए तैयार करो।

मैंने गुरुजी की और प्रश्नवाचक निगाहों से देखा क्यूंकी मुझे मालूम नहीं था कि करना क्या है। वह मेरा चेहरा देखकर समझ गये।

गुरुजी--काजल बेटी, लिंगा महाराज की पूजा और मंत्रोच्चार के दौरान तुम्हारा ध्यान भटक गया था, इस तरह उनकी पूजा तुमने पूरे मन से नहीं की क्यूंकी तुम्हारा ध्यान कहीं और था। अब मैं तुम्हें वह उपाय बताता हूँ जिससे लिंगा महाराज तुम्हें क्षमा कर दें। तुम्हारे इस दोष से मुक्ति पाने का उपाय ये है कि तुम अपने को लिंगा महाराज को समर्पित कर दो।

काजल ने हाँ में सर हिला दिया, हालाँकि उसकी समझ में कुछ नहीं आया।

गुरुजी--रश्मि सफेद साड़ी को फ़र्श में फैला दो और काजल बेटी के बदन में चंदन का लेप लगाओl

"जी गुरुजीl"

नंदिनी ने जो सफेद साड़ी मुझे दी थी मैंने उसको फ़र्श में फैला दिया और काजल से उसमें लेटने के लिए कहा।

काजल--लेकिन ये तो मेरी मम्मी की साड़ी नहीं है।

गुरुजी--हाँ बेटी, मैंने यज्ञ के लिए मँगवाई है।

"हाँ, ये तो विधवा औरतों की साड़ी जैसी लग रही है।"

काजल साड़ी में लेट गयी। उसकी ब्रा से ढकी हुई चूचियाँ दो चोटियों जैसी लग रही थीं। मैंने वह बड़ा-सा कटोरा उठा लिया जिसमें गुरुजी ने चंदन का लेप बनाया था।

गुरुजी--रश्मि, अब तुम इसकी कमर से कपड़ा निकाल सकती हो।

काजल ने अनिच्छा से अपने नितंब ऊपर को उठाए और मैंने उसके बदन को कुछ हद तक ढक रहा आख़िरी कपड़ा निकाल दिया। वैसे तो उस कपड़े से उसकी सफेद पैंटी साफ़ दिख रही थी लेकिन फिर भी गुरुजी के सामने वह कपड़ा लपेटने से काजल को कुछ तो कंफर्टेबल फील हो रहा होगा। अब वह सिर्फ़ ब्रा पैंटी में थी। शरम से उसने तुरंत अपना दायाँ हाथ पैंटी के ऊपर रख दिया। मैंने कटोरे से अपने दाएँ हाथ में चंदन का लेप लिया और काजल के माथे और गालों में लगाया। फिर उसके बाद गर्दन और छाती के ऊपरी भाग में लगाया। काजल के गोरे बदन में चंदन का लेप ऐसा लग रहा था जैसे एक दूसरे के पूरक हों। मैंने शरारत से थोड़ा चंदन उसकी चूचियों के बीच की घाटी में भी लगा दिया। लेकिन शरम की वज़ह से काजल अभी मुस्कुराने की हालत में भी नहीं थी।

गुरुजी अब अग्निकुण्ड के सामने आँखें बंद करके बैठ गये थे । ये देखकर काजल ने मुझसे कुछ कहने के लिए अपना सर थोड़ा-सा ऊपर उठाया।

काजल--आंटी, मेरे पूरे बदन में चंदन क्यों लगाना है?

मैंने उसकी फुसफुसाहट के जवाब में कंधे उचका दिए की मुझे नहीं मालूम। फिर उसने जाहिर-सा सवाल पूछ दिया।

काजल--आंटी, मुझे ये भी उतारने पड़ेंगे?

काजल ने अपने अंडरगार्मेंट्स की तरफ़ इशारा करते हुए पूछा। मेरे पास इसका भी कोई जवाब नहीं था। काजल मेरा चेहरा देखकर समझ गयी और अब उसने अपना सर वापस फ़र्श में रख लिया। मैंने उसके पेट में भी चंदन लगा दिया था। अब मैं उसकी नंगी जांघों में लेप लगाने लगी और मेरी अंगुलियों के उसकी नंगी त्वचा को छूने से उसके बदन में कंपकपी को मैं महसूस कर रही थी। मैंने ख़्याल किया अब गुरुजी ने आँखें खोल दी हैं और फिर उन्होंने जय लिंगा महाराज का जाप किया।

"गुरुजी, इसकी पीठ में भी लगाना होगा क्या?"

गुरुजी--नहीं सिर्फ़ आगे लगाना है। धन्यवाद रश्मि, अब तुम वहाँ बैठ जाओl

गुरुजी अपनी जगह से उठ खड़े हुए. उनका लंड अभी भी कच्छे को भोंडी तरह से ताने हुए था। अग्नि के सामने उनका लंबा चौड़ा बालों से भरा हुआ नंगा बदन डरावना लग रहा था। अब वह काजल के पास आकर बैठ गये। मैंने ख़्याल किया की काजल ने पहले ही आँखें बंद कर ली हैं। अबकी बार गुरुजी मुझे कुछ ज़्यादा ही सक्रिय लग रहे थे। काजल उनके सामने सफेद साड़ी में सिर्फ़ छोटे से अंतर्वस्त्रों में लेटी हुई थी। उन्होंने काजल के बदन में कुछ फूल फेंके और मंत्र पढ़े और फिर उसके पैरों के पास बैठ गये।

गुरुजी--काजल बेटी, सबसे पहले मैं तुम्हारे बदन के बाहरी भाग से 'दोष निवारण' करूँगा। तुम जैसी हो वैसे ही लेटी रहो। जो करना होगा वह मैं कर लूँगा।

काजल चुपचाप रही और मैं ये देखकर शॉक्ड रह गयी की अब गुरुजी ने झुककर उसकी टाँगों को चाटना शुरू कर दिया। उन्होंने दोनों हाथों से काजल की नंगी टाँगें पकड़ लीं और चंदन को चाटना शुरू कर दिया जो कुछ ही पल पहले मैंने लगाया था। वह लंबी जीभ निकालकर काजल की चिकनी टाँगों को चाट रहे थे। अपनी टाँगों पर गुरुजी की गीली जीभ लगने से काजल के बदन में कंपकपी होने लगी। मैंने ख़्याल किया की उसकी मुट्ठियाँ बंध गयी थी और वह अपने दाँत भींचकर अपनी भावनाओं पर नियंत्रण पाने की कोशिश कर रही थी। स्वाभाविक रूप से एक मर्द की गीली जीभ लगने से उसको सहन करना मुश्किल हो रहा होगा।

काजल की हालत मैं अच्छी तरह से समझ रही थी। वह तो अभी लड़की थी, मैं तो शादीशुदा थी और सेक्स के काफ़ी अनुभव ले चुकी थी फिर भी जब भी मेरे पति मेरे साथ ऐसा करते थे तो मेरे लिए सहन करना मुश्किल हो जाता था। मेरे पति ने ऐसा सुख मुझे बहुत बार दिया था। एक बात जो मुझे पसंद नहीं आती थी वह ये थी की मेरे पति मुझे पूरी नंगी करके ही मेरी टाँगों और जांघों को चाटते थे जबकि मुझे पैंटी या कोई और कपड़ा पहनकर ही इसका मज़ा लेना अच्छा लगता था।

शायद औरत होने की स्वाभाविक शरम से मैं ऐसा महसूस करती थी। क्यूंकी अगर मैं किसी मर्द को अपनी जाँघें चूमने देती हूँ तो इसका मतलब ये है कि मैं उसकी बाँहों में नंगी हूँ। लेकिन मेरी समस्या ये थी की जब मेरे पति मेरी टाँगों और जांघों को चाट रहे होते थे तो उनका हाथ मेरे प्यूबिक हेयर्स को सहलाता और खींचता रहता था, जिससे मैं बहुत अनकंफर्टेबल फील करती थी। इसलिए मुझे ज़्यादा मज़ा तभी आता था जब मैंने पैंटी पहनी होती थी पर ऐसा कम ही होता था।

अब गुरुजी ने काजल के दोनों तरफ़ हाथ रख लिए थे और उसकी टाँगों को चाटते हुए घुटनों तक पहुँच गये थे। मैंने देखा उनके कच्छे में उभार भी थोड़ा बढ़ गया है, स्वाभाविक था आख़िर गुरुजी भी थे तो एक मर्द ही। अब गुरुजी रुक गये और ज़ोर से कुछ मंत्र पढ़े और फिर से उस सेक्सी लड़की की नंगी टाँगों को चाटने लगे। काजल की गोरी-गोरी मांसल जांघों पर गुरुजी की जीभ लपलपाने लगी। काजल आँखें बंद किए चुपचाप लेटी रही, उसका चेहरा शरम से लाल हो गया था। गुरुजी अब काजल की पैंटी के पास पहुँच गये थे, उन्होंने कुछ कहने के लिए अपना सर उठाया।

गुरुजी--बेटी, अपनी टाँगें खोलो।

काजल ने आँखें खोल दी लेकिन उसके चेहरे पर उलझन के भाव थे। उसने टाँगें चिपका रखी थी। वह सोच रही होगी की अगर टाँगें खोलती हूँ तो गुरुजी टाँगों के बीच में मुँह डाल देंगे। स्वाभाविक था कि वह हिचकिचा रही थी।

गुरुजी--बेटी, मुझे ठीक से कार्य करना है। तुम अपनी टाँगें पूरी खोल दो और बिल्कुल मत शरमाओl

मैं सब देख रही थी। काजल ने अनिच्छा से थोड़ी-सी टाँगें खोल दी लेकिन गुरुजी संतुष्ट नहीं हुए और उन्होंने थोड़ा ज़ोर लगाकर काजल की नंगी टाँगों को फैला दिया। काजल के कुछ कहने से पहले ही गुरुजी ने ज़ोर से जय लिंगा महाराज का जाप किया और काजल की गोरी जांघों के अंदरूनी भाग को चाटने लगे।

काजल--उम्म्म्म! गुरुजी।

गुरुजी रुके और सर उठाकर देखा।

गुरुजी--बेटी, अपने मन में इस मंत्र का जाप करती रहो और अपनी शारीरिक भावनाओं पर ध्यान मत दो।

ऐसा कहते हुए उन्होंने काजल को एक मंत्र दिया और अपने मन में जाप करने को कहा। काजल उस मंत्र का जाप करने लगी और गुरुजी ने उसकी जांघों को फिर से चाटना शुरू कर दिया। मैंने देखा की गुरुजी अब काजल की जांघों के ऊपरी भाग से चंदन को चाट रहे हैं। उनका मुँह काजल की पैंटी के बिल्कुल पास पहुँच गया था और काजल बहुत असहज महसूस करते हुए फ़र्श पर अपने बदन को इधर उधर हिला रही थी। गुरुजी की जीभ उसकी जांघों के सबसे ऊपरी भाग में पैंटी के थोड़ा नीचे घूम रही थी। उस सेंसिटिव हिस्से में एक मर्द की जीभ और नाक लगने से कोई भी औरत उत्तेजना से बेकाबू हो जाती। काजल का भी वही हाल था और वह ज़ोर-ज़ोर से सिसकारियाँ लेने लगी थी।

काजल--उहह! आआहह।उफफफफफ्फ़!

मैंने ख़्याल किया की गुरुजी ने काजल की पैंटी के आस पास मुँह, जीभ और नाक लगाई लेकिन उसके गुप्तांग को नहीं छुआ और जय लिंगा महाराज का जाप करने के बाद उसकी नाभि से चंदन चाटने लगे। अब काजल का निचला बदन गुरुजी के बदन से ढक गया था। नाभि और चिकने पेट पर गुरुजी की जीभ लगने से काजल बहुत उत्तेजित हो गयी और ज़ोर से सिसकने लगी। वह दृश्य ऐसा ही था जैसे मैं बेड में नंगी लेटी हूँ और मेरे पति चुदाई करने के लिए धीरे-धीरे मेरी टाँगों से मेरे बदन के ऊपर चढ़ रहे हों।

अपनी आँखों के सामने ये सब होते देखकर अब मेरी साँसें भारी हो गयी थीं और मेरी ब्रा के अंदर चूचियाँ वैसी ही टाइट हो गयी थीं जैसी लगभग दो घंटे पहले बाथरूम में गुप्ताजी के मसलने से हुई थीं। मैं ये कभी नहीं भूल सकती की बाथरूम में कैसे गुप्ताजी ने मुझसे छेड़खानी की थी और चुदने से बचने के लिए मुझे उसकी मूठ मारनी पड़ी थी।

गुरुजी ने अब काजल के पेट को पूरा चाट लिया था। गुरुजी जैसे-जैसे ऊपर को बढ़ते जा रहे थे, अपने बदन को काजल के ऊपर खिसकाते जा रहे थे। हर एक अंग को चाटने के बाद वह जय लिंगा महाराज का जाप करते और फिर ऊपर को बढ़ जाते। काजल वही मंत्र बुदबुदा रही थी जो कुछ मिनट पहले गुरुजी ने उसे दिया था। लेकिन जब कोई मर्द किसी लड़की के बदन को चाट रहा हो तो उसका ध्यान किसी और चीज़ पर कैसे लग सकता है? अब गुरुजी काजल के कंधों और गर्दन से चंदन को चाटने लगे और फिर उसके चेहरे पर आ गये। अब काजल का नाज़ुक बदन गुरुजी के विशालकाय नंगे बदन से पूरा ढक चुका था। गुरुजी ने काजल के माथे को चाटना शुरू कर दिया।

गुरुजी--जय लिंगा महाराज।

अब गुरुजी काजल के गालों को चाटने लगे। उनकी चौड़ी छाती से काजल की ब्रा से ढकी नुकीली चूचियाँ पूरी तरह से दबी हुई थीं। उन्होंने काजल के बदन के ऊपर अपने बदन को ऐसे एडजस्ट किया हुआ था कि कच्छे के अंदर उनका लंड ठीक काजल की पैंटी के ऊपर था। जिस तरह से काजल अपनी टाँगों को हिला रही थी उससे साफ़ जाहिर हो रहा था कि एक मर्द के अपने बदन के ऊपर चढ़ने से वह बहुत कामोत्तेजित हो गयी थी।

मैं फ़र्श पर बैठी हुई थी और गुरुजी अब क्या कर रहे हैं देखने के लिए अपना सर थोड़ा-सा टेढ़ा किया। मैंने देखा गुरुजी ने दोनों हाथों में काजल का चेहरा पकड़ लिया। काजल की आँखें बंद थी। फिर गुरुजी ने अपने मोटे होंठ काजल के नाज़ुक होठों पर रख दिए. गुरुजी काजल का चुंबन ले रहे थे। शुरू में काजल हिचकिचा रही थी फिर गुरुजी के डर या आदर से उसने समर्पण कर दिया।

वो चुंबन धीमा पर लंबा था। मैं वहीं पर बैठकर सूखे गले से ये सब देख रही थी, मेरा भी मन हो रहा था कि कोई मर्द मुझे भी ऐसे चूमे। बाथरूम में कुछ देर पहले गुप्ताजी ने मेरे होठों को चूसा था, वही याद करके मैंने अपने सूखे होठों पर जीभ फिरा दी। मैंने देखा अभी मुझे कोई नहीं देख रहा है, तो अपने बैठने की पोज़िशन एडजस्ट करते हुए थोड़ी-सी टाँगें खोल दीं और साड़ी के ऊपर से अपनी चूत सहला और खुजा दी। अब गुरुजी और काजल का चुंबन पूरा हो चुका था और गुरुजी ने काजल के गीले होठों से अपना चेहरा ऊपर उठाया। लंबे चुंबन से काजल की साँसें उखड़ गयी थीं और वह हाँफ रही थी। उसके चेहरे से लग रहा था कि उसने चुंबन का मज़ा लिया है लेकिन गुरुजी जैसी शख्सियत के साथ चुंबन से उसके चेहरे पर घबराहट और विस्मय के भाव भी थे। गुरुजी अब काजल के बदन से उठ गये और उसके पास बैठ गये।

गुरुजी--काजल बेटी, अब मैं तुम्हारे मन और शरीर से 'दोष निवारण' करूँगा। मैंने ख़्याल किया की जब मैं तुम्हारे होठों को शुद्ध कर रहा था तब तुम काँप रही थी। ऐसा क्यूँ? तुम डर क्यूँ रही थी बेटी?

काजल--जी गुरुजीl

गुरुजी--क्यूँ बेटी? जब तुम्हारा बॉयफ्रेंड तुम्हारा चुंबन लेता है तब भी तुम घबराती हो? मुझे 'दोष निवारण' की प्रक्रिया का ठीक से पालन करना होगा नहीं तो लिंगा महाराज रुष्ट हो जाएँगे और ना सिर्फ़ तुम्हें बल्कि मुझे भी उनका प्रकोप भुगतना पड़ेगा। इसलिए घबराओ मत और अपने बदन को ढीला छोड़ दो।

काजल ने सर हिला दिया।

गुरुजी--देखो, तुम कितनी देर से अंतर्वस्त्रों में हो। शुरू में तुम बहुत शरमा रही थी। लेकिन अब तुम उतना नहीं शरमा रही हो। इसलिए इन बातों पर ज़्यादा ध्यान मत दो और जो मंत्र मैंने तुम्हें दिया है उसका जाप करती रहो। तुम्हारी आत्मा के शुद्धिकरण के लिए जो करना है वह मुझे करने दो।

काजल फिर से शरमाने लगी क्यूंकी गुरुजी की बात से उसको ध्यान आया की वह एक मर्द के सामने सिर्फ़ ब्रा पैंटी में लेटी है। गुरुजी की बात का वह कोई जवाब नहीं दे पायी।

गुरुजी--मैं जानता हूँ की तुम्हारे मन में कुछ शंकाएँ हैं, कुछ प्रश्न हैं और यही कारण है कि बार-बार तुम्हारा ध्यान भटक जा रहा है। मैं चाहता हूँ की तुम उस स्थिति को प्राप्त करो जहाँ तुम्हारा ध्यान बिल्कुल ना भटकेl

काजल--वह कैसे गुरुजी?

गुरुजी--अपनी आँखें बंद कर लो और मंत्र का जाप करो। मन में किसी शंका, किसी प्रश्न को आने मत दो। जो मैं करूँ उसकी स्वाभाविक प्रतिक्रिया दो। ठीक है?

काजल ने सर हिलाकर हामी भर दी। पर उसे मालूम नहीं था कि इस तरह उसने गुरुजी को अपने खूबसूरत अनछुए बदन से खेलने की खुली छूट दे दी है।

गुरुजी--जय लिंगा महाराज। बेटी अपनी आँखें बंद कर लो और मंत्र का जाप करती रहो जब तक की मैं रुकने के लिए ना बोलूँ। 'दोष निवारण' की प्रक्रिया में अगला भाग है तुम्हारे बदन के बाहरी भाग की शुद्धि। रश्मि, मुझे वह जड़ी बूटी वाले पानी का कटोरा लाकर दो।

गुरुजी मेरी तरफ़ देखेंगे या मुझे कोई आदेश देंगे, इसकी अपेक्षा मैं नहीं कर रही थी और इसके लिए तैयार भी नहीं थी। क्यूंकी काजल के साथ गुरुजी जो हरकतें कर रहे थे उन्हें देखकर मैं कामोत्तेजित हो गयी थी और उस समय अपने दाएँ हाथ से ब्लाउज के ऊपर निप्पल को सहलाने और दबाने में मगन थी। इसलिए जब उन्होंने मेरी तरफ़ देखकर मुझे आदेश दिया तो मैं हड़बड़ा गयी।

"जी...जी गुरुजीl"

मैं जल्दी से उठी और पानी का कटोरा लाकर गुरुजी को दिया। गुरुजी ने मुझसे कटोरा ले लिया लेकिन आँखों से मेरी गांड की तरफ़ इशारा किया। मैं हैरान हुई की क्या कहना चाह रहे हैं? मैंने उलझन से उनकी तरफ़ देखा तो उन्होंने बिना कुछ बोले, मेरी दायीं जाँघ पकड़कर मुझे थोड़ा घुमाया और मेरी गांड की दरार में फँसी हुई साड़ी खींचकर निकाल दी। उनकी इस हरकत से मुझे इतनी शर्मिंदगी हुई की क्या बताऊँ। असल में बैठी हुई पोजीशन से मैं हड़बड़ाकर जल्दी से उठी थी तो अपने नितंबों पर साड़ी फ़ैलाना भूल गयी और साड़ी मेरे नितंबों की दरार में फँसी रह गयी । मुझे मालूम है कि ऐसे मैं बहुत अश्लील लगती हूँ। मैं गुरुजी के सामने खड़ी थी और शरम से मेरा मुँह लाल हो गया था और

मेरी नजरें फ़र्श पर झुक गयीं।

वैसे तो मैं जब भी देर तक बैठती हूँ तो खड़े होते समय इस बात का ख़्याल रखती हूँ लेकिन कभी-कभी ध्यान नहीं रहता जैसा की आज हुआ था।एक बार मैं बस से बाज़ार गयी थी और जब बस से उतरी तो साड़ी ठीक करने का ध्यान नहीं रहा। मुझे मालूम नहीं था कि मेरी साड़ी गांड की दरार में फँसी हुई है। मैं पूरे बाज़ार में ऐसे ही घूमती रही और मेरे मटकते हुए बड़े नितंबों के बीच फँसी साड़ी को ना जाने कितने मर्दों ने देखा होगा। मुझे तब पता चला जब एक कॉस्मेटिक्स शॉप में किसी औरत ने मुझे बताया।

लेकिन आज से पहले कभी किसी मर्द की इतनी हिम्मत नहीं हुई की वह मेरी साड़ी को अपने हाथ से ठीक कर दे। घर में काम करते हुए मेरे पति ने कई बार मुझे इस हालत में देखा होगा लेकिन वह भी कभी नहीं बताते थे। लेकिन वह जानबूझकर ऐसा करते थे क्यूंकी मेरी बड़ी गांड में फँसी साड़ी में मुझे अपने सामने इधर उधर चलते हुए देखने का मज़ा जो लेना होता था।

मैं ख्यालों में डूबी हुई थी। मुझे तब होश आया जब गुरुजी ने मंत्रोच्चार शुरू किया। उन्होंने काजल के बदन में पानी छिड़का और मुझे अपनी जगह बैठने को कहा। गुरुजी ने काजल के बदन में बचे हुए चंदन को अपने दाएँ हाथ से पानी से साफ़ कर दिया। काजल आँखें बंद किए हुए लेटी थी लेकिन गुरुजी के अपनी गर्दन, नाभि, पेट और नंगी जांघों को छूने से थोड़ा कांप रही थी। गुरुजी ने उसके ऊपर काफ़ी पानी छिड़क दिया था जिससे उसकी सफेद ब्रा और पैंटी भी गीली हो गयी थी। उसकी गीली हो चुकी ब्रा में निप्पल तने हुए थे जो अब साफ़ दिख रहे थे। गुरुजी के जीभ लगाकर चाटने से वह बहुत गरम हो गयी थी।

अब गुरुजी काजल के बगल में बैठकर ग़ौर से उसे देख रहे थे। मैंने ख़्याल किया उनकी नज़रें काजल की ब्रा से झाँकती चूचियों पर थी। पानी छिड़कने से काजल की गोरी त्वचा चमकने लगी थी और बहुत लुभावनी लग रही थी। अब गुरुजी ने काजल के दोनों तरफ़ हाथ रख लिए और उसके चेहरे पर झुके. मैं सोचने लगी, गुरुजी क्या कर रहे हैं? उन्होंने काजल के दोनों कानों को धीरे से चूमा। काजल के बदन में कंपकपी दौड़ गयी। फिर उनके मोटे होंठ काजल के गालों से होते हुए उसकी गर्दन पर आ गये और फिर उसकी गर्दन को चूमने लगे। काजल हाँफने लगी और उसकी टाँगें अलग-अलग हो गयीं।

उनके लव सीन को देखकर मुझे आनंद आ रहा था। उसके बाद गुरुजी ने काजल के हाथों को चूमा। उनके होठों ने एक-एक करके दोनों बाँहों को कांख तक चूमा। काजल अब गहरी साँसें लेने लगी थी। ये पहली बार था जब इतने कम कपड़ों में कोई मर्द उसके बदन को चूम रहा था। फिर गुरुजी ने उसकी नाभि, पेट, जांघों और घुटनों को चूमा। उसके बाद वह काजल के पैरों के पास बैठ गये और उसकी बायीं टाँग को अपनी गोद में उठा लिया। मैंने देखा कच्छे में गुरुजी का लंड खड़ा हो गया था और उन्होंने जानबूझकर काजल के पैर को अपने लंड से छुआ दिया।

कहानी जारी रहेगी

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