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Click hereकोरोना काल में नया मज़ेदार संक्रमण
Update 03
जब मैं ये सब बोल रहा था तो इसी बीच अंतर्राष्ट्रीय स्वस्थ्य संस्था की उपाध्यक्ष सुश्री डॉक्टर पाओला आ गयी थी और उन्होंने मुझे बोलते रहने का इशारा किया। दरअसल डॉ पाओला लंदन में पढाई के दौरान मेरी प्रोफेसर थी और इन्हे के विशेष आग्रह पर मैं इस संगोष्ठी में भाग लेने आया था। उन्हें मालूम था मैंने संक्रमण के दौर में उनसे सलाह लेकर कुछ लोगों का संक्रमण का इलाज़ किया हैl
तो मुझे रोक कर डॉ दिव्या ने डॉ पाओला का स्वागत किया और उसके बाद मुझे जारी रखने की लिए कहा।
जैसी की मैंने कहाः है मैं किसी भी प्रयोगशाला से किसी भी तरह से सम्बंधित नहीं हूँ। शायद साधारणतया आप जैसे सभी गुनी जनो के बीच में मेरे बोलने का कोई अर्थ भी नहीं है परन्तु आज की स्तिथिया असाधारण है। आज महामारी में लोग बीमार हो रहे है। पूरी दुनिया में मौते हो रही है हम डॉक्टर लोग अपनी समझ और सूझ भूझ से उपलब्ध साधनो के साथ जितना संभव हो सकता है उतना इलाज़ भी कर रहे है। लेकिन ये प्रयाप्त नहीं है।
दूसरा ये की अक्सर हम ये भूल जाते हैं कि किसी भी समस्या का हल समस्या के मूल में ही छिपा होता है। मेरी राय से अब समय आ गया है कि अपने छोटे व्यावसायिक हितो को त्याग कर सबको मिल कर सब को मिल कर। आयुर्वेद। यूनानी, होम्योपैथिक, एलोपथिक या मनोविज्ञान और कुदरती विज्ञानं सहित सब को मिल जिल कर अपने जानकारी सब के साथ सांझी करनी चाहिए ताकि हम इस महामारी पर जल्द से जल्द विजय प्राप्त कर सके और लोगों की जान बचा सके।
मैंने भी होम्योपैथिक डॉक्टर होते हुए भी आयुर्वेद। यूनानी, होम्योपैथिक, एलोपथिक मनोविज्ञान और कुदरती विज्ञानं यहाँ तक के घेरु नुस्खके सहित सब को मिला कर अपने अन्य डॉक्टर मित्रो से पूछ कर सलाह करते हुए कुछ मरीजों का इलाज़ किया है जो अब सभी स्वस्थ और सकुशल हैl
इसके बाद उपाध्यक्षा जी का अभिभाषण हुआ और उन्होंने लगभग वह ही बाते दोहराई और उस दिन के लिए संगोष्ठी समाप्त हो गयी और अगले दिन का एक सत्र बाक़ी था, रात्रि के भोजन के बाद मेरा फ़ोन बजा और उपाध्यक्षा महोदया ने फ़ोन कर मुझे अपने कमरे में आने का आग्रह किया।
मैंने कमरे के दरवाजे को खटखटाया गया तो मेरे सामने उपाध्यक्षा महोदय। अध्यक्ष महोदय और डॉ सुश्री दिव्या खुराणा थी। उपाध्यक्ष महोदया और अध्यक्ष जी ने मेरी तर्रीफ़ के पुल बाँध दिए और बोले आपने बहुत बढ़िया सुझाव दिए है कल इन्हीं पर सुबह एक बार विचार होगा और हमने सब देशो के प्रतिनिधियों से और उनके सवस्घ संगठनों के अध्यक्षों से बात की है। आपके सुझावों पर आम तौर से सहमति है और सबका विचार है इसके लिए एक मिली जुली अनुसंधान टीम बनायीं जाए, जिसमे सब देशो के प्रमुख हो। तो मैंने कहा अध्यक्ष जी माफ़ कीजियेगा आपने अपनी आखिरी अनुसन्धान कब किया था। तो अध्यक्ष जी बोले कोई 20 साल पहले। मैंने कहा इसी तरह से बाक़ी अध्यक्षों ने। उपाध्यक्ष बोली। लगभग सभी ने 20 साल पहली ही किया होगा।
डॉ खुराना भांप गयी मैं क्या बोल रहा हूँ बोली साफ़ बोलो तुम्हारा क्या आईडिया हैl
मैंने कहा अनुसंधान के लिए नए विचार चाहिए होते हैं तो हमे इस टीम में नए लोग रखने चाहिए जिनके पास नए आईडिया हो। शायद उन्हें उनके बॉस ने या शोद के गाइड ने ख़ारिज कर दिया होगा। पर आज उन सभी नए विचारो को चाहे वह क्तिने ही अजीब क्यों न रहे हो उन्हें तौलना होगा फिर उन पर टेस्ट करने होंगे इसके लिए एक छत के नीचे बैठ कर अनुसंधान करना होगा।
दिन रात काम करना होगा। तभी जल्दी से कुछ कर पाएंगे। नहीं तो तीसरी लहे का अंदेशा तो जताया ही जा रहा है इसके लिए युवाओ के आगे लाना होगा और तीन चार टीम बनाई होंगी जो दिन रात बिना रुके एक टीम की तेरह काम कर सकेl
तो उपाध्यक्ष बोली। आपको इसी काम के लिए बुलाया गया है। आप इस सबके समन्वयक के रूप में कार्य करना पसंद करेंगे। टीम आप चुनिए। तरीक़ा आप चुनिए और बाक़ी सब व्यवस्था करने का काम हमारी संस्था पर छोड़ दीजिये। आज हर देश की सरकार की पहली प्राथमिकता इस बिमारी से लड़ाई है। धन और बाक़ी सब संसांधनों की चिंता आपको नहीं करनी हैl
मैंने कुछ देर सोचने का वक़्त माँगा तो मुझे एक घंटे तक का समय दिया गया मैंने पाओला का कमरे छोड़ने से पहले सोच विचार कर अपनी सहमति दे दी और उनसे पिछले दो वर्षो से जीतणे भी विषयो पर शोद किया गया है या उन्हें किया जाना है या जिन्हे ठुकरा दिया गया है उन सबकी और उन्हें देने वालो और करने वालो की एक लिस्ट मांगी।
तुरंत वह लिस्ट मंगवाने का निर्देश दिया गया और अगले दिन अध्यक्ष महोदय ने इस आशय की घोषणा की-की एक प्रयोगशाला में इस तरह की एक टीम में सभी देशो और पद्यतियो के अनुसार अनुसंद्दान किया जाएगा और टीम की घोषणा लिस्ट आने के बाद की जायेगी।
कहानी जारी रहेगी