अम्मी बनी सास 021

Story Info
दूसरी जान.
4.4k words
4.56
327
00

Part 21 of the 92 part series

Updated 06/10/2023
Created 05/04/2021
Share this Story

Font Size

Default Font Size

Font Spacing

Default Font Spacing

Font Face

Default Font Face

Reading Theme

Default Theme (White)
You need to Log In or Sign Up to have your customization saved in your Literotica profile.
PUBLIC BETA

Note: You can change font size, font face, and turn on dark mode by clicking the "A" icon tab in the Story Info Box.

You can temporarily switch back to a Classic Literotica® experience during our ongoing public Beta testing. Please consider leaving feedback on issues you experience or suggest improvements.

Click here

नीलोफर की बात सुन कर शाज़िया को बहुत गुस्सा आया और वह फ़ोन पर ही अपनी सहेली से लड़ने लगी।

मगर नीलोफर शाज़िया से दोस्ती के बाद उस की तबीयत को समझ गई थी। इस लिए उस ने शाज़िया की किसी तलख बात का जवाब ना दिया और खामोशी से शाज़िया की सारी गुस्से वाली बातों को सुनती रही।

कुछ देर बाद जब शाज़िया अपने दिल की भडास निकल चुकी तो उस का गुस्सा ख़ुद ब ख़ुद ठंडा हो गया।

नीलोफर को जब पूरा यक़ीन हो गया कि शाज़िया अब अपना सारा गुस्सा उस पर निकाल कर पुरसकून हो चुकी है। तो उस ने दुबारा से अपनी बात स्टार्ट की।

नीलोफर: शाज़िया में जानती हूँ कि में ने जो किया वह ग़लत है। मगर यक़ीन मानो मुझे तुम्हारा इस तरह घुट-घुट कर जीना ज़रा भी पसंद नही। इस लिए तुम्हारी ज़िन्दगी में एक नई बहार लाने के लिए तुम को बताए बैगर में ने क़दम उठा लिया।

शाज़िया: मगर यार ख़ुद सोचो कि यह कितनी ग़लत बात है कि तुम एक गैर मर्द को मेरी नंगी फोटो दिखा दीं।

नीलोफर: जानू जब तुम उस का नंगा जिस्म देख चुकी हो तो उस का हक़ भी तो बनता है कि वह भी तुम्हारे दिल कश बदन का नज़ारा ले। वैसे सच पूछो तो एक दूसरे के नंगे जिस्म देख कर तुम दोनों अब एक दूसरे के लिए गैर नहीं रहे।

नीलोफर यह बात कहते हुए हंस दी।

शाज़िया को समझ नहीं आ रही थी कि वह अब करे तो क्या करे।इस लिए अब उस ने नीलोफर की बात का जवाब देना मुनासिब ना समझा और ख़ामोश हो गई।

"अच्छा में रिज़वान (ज़ाहिद) की दो फोटो तुम को सेंड कर रही हूँ।इन को देखो और एंजाय कर के सो जाओ, सुबह तुम से स्कूल में मुलाकात हो गी" नीलोफर को जब शाज़िया की तरफ़ से कोई जवाब नहीं आया। तो उस ने फिर फ़ोन की लाइन पर छाई हुई खामोशी को तोड़ते हुए कहा और फ़ोन बंद कर दिया।

नीलोफर के फ़ोन काटते ही शाज़िया को "व्हाट्सअप" के ज़रिए नीलोफर की भेजी हुई फोटोस मिल गईं।

शाज़िया बिस्तर पर लेटी-लेटी अपनी दोस्त नीलोफर की सेंड की हुई रिज़वान (ज़ाहिद) की फोटोस को देखने लगी।

उन दोनों फोटोस में रिज़वान (ज़ाहिद) के चेहरे को फोटो शॉप से छुपा दिया गया था। मगर वह फोटो में पूरा नंगा था।और उस का लंड अपनी पूरी आबो ताब से तन कर खड़ा नज़र आ रहा था।

अपने हाथ में पकड़े हुए स्मार्ट फ़ोन को टच करते हुए शाज़िया ने फ़ोन की स्क्रीन का साइज़ बड़ा किया और उस रिज़वान (ज़ाहिद) के लंड को और नज़दीक करते हुए उस के लंड का बगौर जायज़ा लेने लगी।

इतने मोटे और बड़े लंड को अपने आँखों के इतने नज़दीक देख कर-कर शाज़िया के मुँह में पानी आने लगा और नीचे से भी गरम हो कर उस की फुद्दि भी अपना पानी छोड़ने लगी।

शाज़िया अपनी आँखे फाड़-फाड़ कर फ़ोन की स्क्रीन पर नज़र आते हुए लंड को देखने में मसरूफ़ थी।

लंड को देखने के दौरान ही वह अपने दिल ही दिल में रिज़वान (ज़ाहिद) के लंड की लंबाई और मोटाई के बारे में सोचने लगी।

फोटो को देखते-देखते शाज़िया का हाथ बे इख्तियारी में उस की शलवार के अंदर दाखिल हुआ और फिर आहिस्ता-आहिस्ता सरकता हुआ उस की फुद्दि पर आन पहुँचा।

फुद्दी पर अपने हाथ को ला कर शाज़िया ने अपनी उंगली अपनी चूत में डाली और चूत के दाने को रगड़-रगड़ कर अपनी प्यास को ठंडा करने की नाकाम कॉसिश करने लगी।

आज इतने अरसे बाद लंड की फोटो को ही देख कर शाज़िया इतनी गरम हो चुकी थी। कि अब अपनी उंगली से उस की चूत की आग काम होने में नहीं आ रही थी।

बल्कि आज तो उस की चूत की आग कम होने की बजाय और मज़ीद भड़क उठी थी।

शाज़िया ने फ़ोन को अपने मुँह पर रखा और अपनी नुकीली ज़ुबान को अपने मुँह से बाहर निकाला और स्क्रीन पर नज़र आने वाले लंड पर अपनी ज़ुबान फेरने लगी।

फिर जब फ़ोन की स्क्रीन को चाट-चाट कर शाज़िया का दिल ना भरा। तो उस ने फ़ोन को नीचे ले जा कर फ़ोन को अपनी चूत पर रखा और अपनी गान्ड को हल्का से उठा कर ऐसे पोज़ में ऊपर नीचे होने लगी। जैसे हक़ीकत में कोई लंड उस की फुद्दि के अंदर जा रहा हो।

अपनी फुद्दि से खेलते कलीते शाज़िया को नीलोफर की बातें याद आने लगी, "शाज़िया यार जितनी आग तुम्हारी चूत में दबी हुई है।इस आग को ठंडा करने के लिए तुम्हे एक मोटे बड़े और सख़्त जवान लंड की ज़रूरत है और अगर तुम चाहो तो में तुम्हारे लिए लंड का बन्दो बस्त कर सकती हूँ ।"

आज अपनी चूत से खेलते हुए शाज़िया को यक़ीन हो गया। कि वाकई ही उस की प्यासी फुद्दि अब उस की उंगलियों से मज़ीद ठंडी नहीं हो सकेगी।

अब वाकई ही उसे अपनी प्यासी चूत की प्यास बुझाने के लिए अपनी चूत में गरम और मोटा लंबा और असली लंड चाहिए था।

इस लिए अब शाज़िया ने फ़ैसला कर लिया कि अब चाहे जो भी हो। वह भी अब मज़ीद घुट-घुट कर जीने की बजाय नीलोफर की तरह इस शख़्स "रिज़वान" से अपनेताल्लुकात क़ायम कर के उस के लंड का स्वाद चख कर रहेगी।

यह फ़ैसला करने की देर थी। कि शाज़िया के जिस्म ने एक झटका लिया और उस की फुद्दि का बाँध टूट गया।

शाज़िया की चूत से झड़ते हुए पानी की एक नदी बहने लगी और उस का पूरा हाथ अपनी चूत से निकलते हुए पानी से भीग गया।

शाज़िया आज से पहले कभी इतना नहीं छूटी थी। इस लिए उसे आज बहुत मज़ा आया।

फारिग होते ही शाजिया ने अपने हाथ को शलवार से बाहर निकाला और अपनी उंगली को अपने होंठो के दरमियाँ ला कर उंगली पर लगे अपनी चूत के पानी को चाट-चाट कर सॉफ करने लगी।फिर कुछ देर बाद शाज़िया को भी नींद आ गई।

दूसरी सुबह जब शाज़िया और नीलोफर स्कूल के फारिग टाइम में इकट्ठी हुईं तो नीलोफर ने शाज़िया से पूछा "सूनाओ फिर कैसी लगीं रिज़वान की तस्वीरे" ।

"नीलोफर यार कोई और बात करो" शाज़िया ने शरमाते हुए मोज़ू चेंज करने का कहा।

"बताओ ना, मज़ा आया ना देख कर रिज़वान का बड़ा और मोटा लंड" नीलोफर ने फिर शाज़िया को छेड़ा।

"यार तंग ना करो मुझे शरम आती है" शाज़िया ने दुबारा नीलोफर को टालते हुए कहा।

"शाज़िया शरमाना छोड़ो और मान जाओ कि रिज़वान के लंड को देख कर तुम्हारी फुद्दि ने रात को पानी छोड़ा है" नीलोफर ने मुस्कराते हुए अपनी सहेली से कहा और उस के हाथ पर अपना हाथ रख कर ज़ोर से दबाया।

नीलोफर की बात सुन कर शाज़िया ने खामोशी इख्तियार की। तो नीलोफर को यक़ीन हो गया कि शाज़िया ने वाकई ही रात अपने भाई के लंड को देख कर अपनी चूत में उंगली मारी है।

"हाँ यार ऐसा ही कुछ हुआ मेरे साथ रात को, और क्या बताऊ कि रिज़वान का लंड तो मेरे सबका शोहर से इतना बड़ा है कि मुझे तो समझ नहीं आती कि तुम इस को कैसे अपनी फुद्दि में ले लेती हो" शाज़िया ने नीलोफर से कहा।

"बानू जल्द ही जब यह लंड तुम्हारी चूत की दीवारों को चीरता हुआ तुम्हारी फुद्दि के अंदर घुसे गा तो तुम को मालूम हो जाए गा कि मेरी क्या हालत होती है इस मोटे लंड को अपनी चूत में लेते वक्त" नीलोफर ने हँसते हुए शाज़िया को जवाब दिया।

"नीलोफर यक़ीन मानो मुझे शादी से पहले भी और तलाक़ के बाद भी इसी क़िस्म के मोटे बड़े और सख़्त जवान लंड की तलब रही है और जब से इस लंड की फोटो को अपनी फुद्दि के ऊपर रगड़ा है, मेरी फुद्दि इतनी गरम हो गई है कि अब इस लंड को अपने अंदर लिए बिना इस को चैन नहीं मिले गा यार" शाज़िया ने झिझकते-झिझकते नीलोफर से अपने दिल की बात कह दी।

"उफफफफफफफफफफफ्फ़ यार मुझे पता था। कि तुम्हारी गरम और प्यासी फुद्दि को ऐसा जवान और तगड़ा लंड ही चाहिए, फिकर ना करो में जल्द ही तुम दोनों का आपस में मिलाप करवा दूं गी, ताकि मेरी तरह तुम भी असली लंड का मज़ा दुबारा से ले सको" नीलोफर अपनी दोस्त शाज़िया की बात सुन कर बहुत खुश हुई और उस ने उफनते जज्वात में अपनी सहेली को अपनी बाहों में भरते हुए कहा।

शाज़िया: नहीं यार में इस तरह एक दम एक अंजान आदमी से नहीं मिल सकती।

नीलोफर: तो फिर तुम क्या चाहती हो।

शाज़िया: में रिज़वान (ज़ाहिद) से मिलने से पहले इस से फ़ोन पर बात करना चाहती हूँ, ता कि जब इस से आमने सामने मुलाकात हो तो मुझे इस का सामना करने में कोई मुश्किल या शरम महसूस ना हो।

नीलोफर शाज़िया की बात सुन कर घबरा गई. क्योंकि उसे डर लग गया कि एक तो दोनों बेहन भाई को एक दूसरे का फ़ोन नंबर लाज़मान पता हो गा।

दूसरा कहीं वह फ़ोन पर एक दूसरे की आवाज़ पहचान गये ।तो उस का बना बनाया काम बिगड़ जाए गा।

नीलोफर थोड़ी देर कशमकश रही और फिर जब उसे शाज़िया को ज़ाहिद से बात चीत से रोकने का कोई बहाना ना सूझा तो वह आख़िर बे दिली से बोली। "अच्छा तो ठीक है में उसको को तुम्हारा नंबर दे दूं गी और वह तुम को फ़ोन कर ले गा"

शाज़िया: नहीं तुम इस को मेरा असल नंबर मत देना। में कल एक नई सिम ले कर उस का नंबर रिज़वान (ज़ाहिद) को दूं गी और फिर वह मुझ से फ़ोन पर डाइरेक्ट वाय्स चॅट नहीं बल्कि टेक्स्ट मेसेज के ज़रिए बात चीत कर सकता है।

शाज़िया की बात सुन कर नीलिफर की जान में जान आई.

नीलोफर तो यह ही चाहती थी।कि अगर शाज़िया और ज़ाहिद किसी तरह आपस में डाइरेक्ट बात ना करें तो उस के प्लान के लिए अच्छा रहेगा।

फिर उसी दिन स्कूल से वापसी पर दोनों सहेलियाँ एक मोबाइल कंपनी "टेलिनोर" के ऑफीस गईं।

टेलिनोर के ऑफीस में शाज़िया ने एक फ़र्ज़ी नाम से एक नई सिम को आक्टीवेट करवा कर उसे अपने डबल सिम वाले स्मार्ट फ़ोन में डाला और अपना नया नंबर नीलोफर को दे दिया।

फिर ऑफीस के बाहर से दोनों एक रिक्शा में सवार हुई और शाज़िया नीलोफर को रास्ते में उस के घर उतार कर अपने घर चली गई.

नीलोफर ने अपने घर पहुँचते ही ज़ाहिद को कॉल मिला दी।

ज़ाहिद पोलीस स्टेशन में बैठा किसी केस की एफआइआर फाड़ रहा था। ज्यों ही उस के फ़ोन की घंटी बजी. तो उस ने फॉरन अपने ख़ास नंबर वाले मोबाइल फ़ोन पर निगाह दौड़ाई.

ज़ाहिद पहले ही से एक दो नहीं बल्कि तीन मुक्तिलफ टेलिफोन कंपनियों के नंबर्स इस्तेमाल करता था।

जिन में से दो नंबर्स तो उस ने आम इस्तेमाल के लिए रखे हुए थे।

जब कि एक नंबर उस ने सिर्फ़ ख़ास खास लोगों को दिया हुआ था और इस नंबर का ईलम उस की अम्मी या उस की तीनो बहनों में से किसी को भी नहीं था।

ज़ाहिद ने यह ख़ास नंबर नीलोफर को भी दिया हुआ था। ता कि जब भी नीलोफर उस से बात करना चाहे तो वह इस नंबर पर उस से रबता कर ले।

ज़ाहिद ने नीलोफर का नंबर अपने फ़ोन की स्क्रीन पर देखा तो जल्दी से फ़ोन उठा कर बोला "हाँ जान केसी हो" ।

नीलोफर: में ठीक हूँ तुम जल्दी से यह फ़ोन नंबर नोट कर लो।

ज़ाहिद ने नीलोफर के दिए हुए नंबर को अपने पास लिख लिया और पूछा "यह किस का नंबर है मेरी जान" ।

"यह तुम्हारी दूसरी जान का नंबर है जिस के लिए आज कल तुम्हारा लंड बहुत मचल रहा है" नीलोफर ने जवाब दिया।

फिर नीलोफर ने ज़ाहिद को सारी बात बता दी कि उस की सहेली साजिदा ज़ाहिद से मिलने से पहले एसएमएस के ज़रिए उस से बात करना चाहती है।

नीलोफर: वह आज रात तुम्हारे मेसेज का इंतज़ार करे गी और याद रखना कि वह तुम से मिलना तो चाहती है मगर साथ में शर्मा भी रही है।इस लिए तुम कोशिश कर के उस से बे तकल्लुफी पेदा कर लूँ ता कि जल्द आज़ जल्द तुम्हारा और उस का मिलाप हो जाय।

"उूुउउफ़फ्फ़ यार मेरा तो दिल अभी से उस नाज़नीन से बात करने को चाह रहा है, रात का इंतज़ार अब कौन कम्बख़्त करे, वैसे तुम मुझ पर भरोसा रखो में उस को जल्दी ही लाइन पर ले आउन्गा मेरी जान" ज़ाहिद ने अपने लंड को अपनी पॅंट की पॉकेट में से मसलते हुए कहा।

नीलोफर: नहीं अभी मेसेज मत करना क्योंकि उस के घर वाले इधर उधर उस के आस पास ही होंगे और एक बात ज़हन में रखना कि में ने साजिदा को तुम्हारा नाम रिज़वान बताया है और उसे कहा है कि तुम एक प्राइवेट कंपनी में नोकरी करते हो।

"अच्छा में रिज़वान बन कर ही उस से बात करूँगा" ज़ाहिद ने नीलोफर की बात सुन कर उस पर रज़ामंदी का इज़हार किया।

फिर थोड़ी देर इधर उधर की कुछ बातें कर के नीलोफर ने फ़ोन काट दिया।

नीलोफर से उस की सहेली साजिदा की बातें कर के ज़ाहिद का दिल बेचैन हो गया। उस का बस नहीं चल रहा था। कि वह किसी तरह घड़ी की सूइयाँ आगे कर के फॉरन दिन को रात में बदल दे।

अभी ज़ाहिद साजिदा के जिस्म के बारे में ही सोचने में मसरूफ़ था।कि डीएसपी साब का फ़ोन आया और उस ने ज़ाहिद को अपने ऑफीस में आ कर मिलने का हुकम दिया।

डीएसपी साब के हुकम के मुताबिक ज़ाहिद उन को मिलने डीएसपी ऑफीस पहुँचा। तो उस को पता चला कि डीएसपी ने उस को एक मिनिस्टर साब की सेक्यूरिटी की ड्यूटी सर अंजाम देने के लिए बुलाया है। फिर ज़ाहिद मिनिस्टर साब के साथ रात देर गये तक अपनी ड्यूटी देता रहा।

ज़ाहिद उस दिन रात को काफ़ी लेट अपने घर आया। घर में दाखिल होने पर उस ने घर में मुकमल खामोसी महसूस की। तो उसे अहसास हुआ कि उस की बेहन शाज़िया और अम्मी अपने-अपने कमरों में जा कर शायद सो चुकी हैं।

ज़ाहिद आज खाना बाहर से ही खा कर आया था। इस लिए उस ने भी सीधा अपने कमरे में जा कर सोने का फ़ैसला किया।

ज़ाहिद ने अपना यूनिफॉर्म चेंज किया और सिर्फ़ शलवार पहने ही बिस्तर पर लेट कर नीलोफर की सहेली साजिदा (शाज़िया) को "हेलो" का एसएमएस सेंड कर दिया।

शाज़िया अभी-अभी अपने बिस्तर पर लेटी ही थी। कि "टन" की आवाज़ से बिस्तर की साइड टेबल पर रखा हुआ उस का फ़ोन बोल उठा।

शाज़िया समझ गई कि किसी ने उसे एसएमएस किया है। उस ने लेटे-लेटे हाथ बढ़ा कर अपना मोबाइल उठाया और मेसेज पर कर रिप्लाइ किया"आप कौन?"

"में रिज़वान हूँ और मुझे आप का नंबर आप की दोस्त नीलोफर ने दिया है" ज़ाहिद ने जवाव लिखा।

शाज़िया ने नीलोफर को रिज़वान (ज़ाहिद) से एसएमएस के ज़रिए बात चीत करने का कह तो दिया था।मगर अब जब ज़ाहिद का मेसेज आया तो शाज़िया को समझ में नहीं आ रहा था। कि वह क्या और कैसे इस आदमी से बात करे।

शाज़िया तलाक़ के बाद पहली बार किसी मर्द से इस तरह छुप-छुप कर रात के अंधेरे में फ़ोन चॅट कर रही थी। इस लिए उस के दिल की धड़कन तेज होने लगी थी।

ज़ाहिद ने कुछ देर शाज़िया के रिप्लाइ का इंतज़ार किया। मगर जब देखा कि शाज़िया उस को रिप्लाइ नहीं कर रही तो उस ने फिर लिखा "नीलोफर ने मुझे आप की फोटोस दिखाई हैं और यक़ीन माने जब से आप की फोटोस देखी हैं मेरे तो होश ही उड़ गये हैं" ।

ज़ाहिद का एसएमएस पढ़ कर शाज़िया समझ गई. कि रिज़वान (ज़ाहिद) उस की नंगी फोटोस के बारे में बात कर रहा है।

वो रिज़वान (ज़ाहिद) से यह तवक्को नहीं कर रही थी। कि वह उस से एक दम यूँ फ्री होने लगे गा। इस लिए ज़ाहिद का यह मेसेज पर कर शाज़िया को बहुत ज़्यादा शरम महसूस हुई और उस का पैसा छूट गया।

उस की समझ में न आया कि वह रिज़वान (ज़ाहिद) की इस बात का क्या जवाब दे। इस लिए उस ने मुनासिब यह समझा कि वह उस को दुबारा कोई रिप्लाइ ना करे।

जब ज़ाहिद ने देखा कि-कि तरफ़ से कोई रिप्लाइ नहीं आ रहा तो उस ने फिर एक मेसेज लिखा "लगता है आप को मेरा यूँ आप से फ्री होना अच्छा नहीं लगा।और आप को मुझ से बात करने में शर्म आ रही है। कोई बात नहीं में अब दुबारा आप को तंग नहीं करूँगा । मगर जाने से पहले आप से यह ज़रूर कहना चाहूँगा कि में ने आप का चेहरा तो अभी तक नहीं देखा। मगर आप के बदन को देख कर में वाकई ही ना सिर्फ़ आप का दीवाना हो गया हूँ बल्कि आप से इश्क़ भी कर बैठा हूँ और अपने इस इश्क़ को सच साबित करने के लिए अपनी जान भी क़ुरबान करने को तैयार हूँ ।"

शाज़िया को ज़ाहिद की यह बात पढ़ कर बहुत हैरत हुई.क्योंकि वह तो अपनी सहेली के कहने पर और अपनी फुद्दि की गर्मी के हाथो मजबूर होते हुए इस आदमी से चुदवाने के लिए अपने आप को ज़ेहनी तौर पर तैयार कर चुकी थी।

और शाज़िया को यह यक़ीन था। कि चूँकि रिज़वान (ज़ाहिद) उस की सहेली नीलोफर को चोदता रहता है।

इस लिए वह नीलोफर की तरह उस से भी जिस्मानी ताल्लुक़ात इस्तिवर कर के चोदे गा और फिर कुछ टाइम तक इस्तेमाल कर के उसे एक टिश्यू पेपर की तरह फैंक देगा।

मगर उस की सोच के बार अक्स रिज़वान (ज़ाहिद) तो उस से सिर्फ़ वक्ति तौर पर जिस्मानी ताल्लुक़ात क़ायम करने के मूड में नहीं लगता था।

बल्कि उस के एसएमएस पढ़ कर लगता था कि वह तो शाज़िया से अपने दिल की बात कह कर उसे अपनी महबूबा बनाने के चक्कर में है।

(सियाने कहते हैं कि लड़कियाँ बड़ी पागल होती हैं। जब भी कोई उन से प्यार के दो बोल बोलता है। उन का दिल फॉरन मोम हो कर पिघल जाता हैं। इस लिए ऐसा ही कुछ उस वक़्त शाज़िया के साथ भी हुआ)

आज से पहले तक शाज़िया की ज़िंदगी में कभी ऐसा लम्हा नहीं आया था। कि जब किसी मर्द ने उस से इस तरह से इज़हार-ए-मुहब्बत नहीं किया हो।

और तो और शादी के बाद भी उस के सबका शोहार ने कभी उस खुल कर अपने प्यार का इज़हार नहीं किया और ना ही उस को कभी "आइ लव यू" तक बोला था।

मगर आज जब रिज़वान (ज़ाहिद) ने उस से प्यार का इज़हार किया। तो रिज़वान (ज़ाहिद) की इस बात पर ना सिर्फ़ शाज़िया का दिल अब पहले से भी ज़्यादा तेज़ी के साथ धड़कने लगा बल्कि उस की फुद्दि और ज़्यादा गरम हो कर अपना पानी छोड़ने लगी।

रिज़वान (ज़ाहिद) के इज़हार-ए-मोहबत पर गरम होते हुए शाज़िया ने बिना सोचे समझे एक दम से ज़ाहिद को एसएमएस किया "जनाब ना तो आप मुझ से कभी मिले हैं और ना में आप से, तो फिर आप कैसे मुझे देखे बिना मुझ से प्यार कर सकते हैं।"

शाज़िया का रिप्लाइ पर कर ज़ाहिद मुस्करा दिया और उस ने साजिदा (शाज़िया) को जवाब दिया, "प्यार का ताल्लुक दिल से होता है और सच पूछो तो में आप को पहली नज़र में ही दिल चुका हूँ, रह गई मिलने की बात तो आप जब चाहे में आप से मिलने को तैयार हूँ।"

शाज़िया को रिज़वान (ज़ाहिद) की बातों से ना जाने क्यों यह यक़ीन होने लगा।कि वह जो कुछ एसएमएस में लिख रहा है। वह झूट नहीं ।बल्कि उस के सारे के सारे लिखे हुए इलफ़ाज़ रिज़वान (ज़ाहिद) के सच्चे दिल की आवाज़ हैं।

शाज़िया तो वैसे भी अपनी फुद्दि की प्यास मिटाने के लिए रिज़वान (ज़ाहिद) से मिलने को तैयार थी और फिर फ़ोन पर आज की पहली ही चॅट ने शाज़िया के दिल में रिज़वान (ज़ाहिद) के मुतलक शरम और जिगाख पहले से बहुत कम कर दी।

मगर इस के बावजूद वह रिज़वान (ज़ाहिद) को जल्द मिलने का वादा कर के उसे हरगिज़ यह तासूर नहीं देना चाहती थी कि वह कोई "गश्ती" या "चीप किसम की" आम" औरत है।

इस लिए उस ने ज़ाहिद से कहा कि वह उस से मिलने के मुतलक सोचे गी और फिर अपना फ़ैसला नीलोफर को बता देगी।

ज़ाहिद भी यह बात जान चुका था कि। साजिदा (शाज़िया) उस को पसंद करने और उस से मिलने को तैयार है। मगर वह फॉरन उस से मिलने से कतरा रही है।

इस लिए उस ने भी साजिदा (शाज़िया) को वक़्त देना मुनासिब समझा और खुदा हाफ़िज़ का एसएमएस लिख कर सो गया।

दूसरे दिन नीलोफर शाज़िया से मिली तो उस ने फॉरन उस से रिज़वान (ज़ाहिद) के मुतलक पूछा।

नीलोफर: क्यों बन्नो रात को यार का मेसेज आया? ।

"नही तो" शाज़िया ने जान बूझ कर अपनी सहेली से झूठ बोला।

नीलोफर: में नहीं मानती, अच्छा मुझे अपना फ़ोन दिखाओ।

"वो में आज घर भूल आई हूँ" शाज़िया ने एक और झूठ बोला।

"बकवास ना करो, में ख़ुद तुम्हारे बॅग में से फ़ोन निकाल लेती हूँ" कहते हुए नीलोफर ने जबर्जस्ती शाज़िया के हाथ से उस का बॅग छीना और उस का फ़ोन निकाल लिया।

फिर नीलोफर ने चस्के ले-ले कर शाज़िया और ज़ाहिद के दरमियाँ होने वाले मेसेज को चस्के लगा-लगा कर पढ़ा और शाज़िया को बोली।

"अच्छा रात भर अपने आशिक़ से चॅट करती रही हो और अब मुझ से झूट बोलती हो, मैं ही तुम दोनों को एक दूसरे के करीब ला रही हूँ और मुझ से ही अपनी बातें छुपाने लगी हो बानो" सारी चॅट पढ़ कर नीलोफर ने मज़ाक में अपनी सहेली से नकली गुस्सा करते हुए कहा।

"ऐसी कोई बात नहीं बस वैसे ही तुम को तंग करने को दिल कर रहा था" शाज़िया ने अपनी सहेली के गुस्से पर मुस्कराते हुए नीलोफर को अपनी बाहों में भरा और गले से लगा लिया।

"अच्छा तो कब मिलवाऊ तुम को उस से" नीलोफर ने शाज़िया से पूछा।

"एक दो दिन में तुम को बता दूं गी" कहते हुए शाज़िया अपनी क्लास अटेंड करने चल पड़ी।

दूसरी रात शाज़िया अपने बिस्तर पर लेटी ज़ाहिद के एसएमएस का इंतिज़ार करती रही मगर। ज़ाहिद ने जान बूझ कर शाज़िया को उस रात एसएमएस नहीं किया।

असल में अब ज़ाहिद यह चाहता था। कि साजिदा (शाज़िया) उसे ख़ुद एसएमएस कर के उस से बात करे। इस लिए उस ने जान बूझ कर उसे मेसेज नहीं किया।

जब तीन दिन तक ज़ाहिद का एसएमएस नहीं आया तो शाज़िया के सब्र का पैमाना लबरेज हो गया और उस ने उसी वक़्त ज़ाहिद को एसएमएस किया।

ज़ाहिद उस दिन एक सरकारी काम के सीलसले में लाहोर आया हुआ था और वह अपनी दिन भर की मुसरिफयत से फारिग हो कर उस वक़्त लाहोर रैलवे स्टेशन के करीब बने हुए एक छोटे से होटेल में रात गुज़ारने के लिए होटेल के कमरे में पहुँचा ही था।

जब ज़ाहिद ने साजिदा (शाज़िया) का एसएमएस देखा ।तो उस के दिल के साथ-साथ उस का लंड भी ख़ुशी से उछल पड़ा।

वो समझ गया कि नीलोफर की कही हुई बात वाकई ही सही है। कि उस की सहेली की चूत में बहुत आग है और यह उस की फुद्दि की प्यास और आग ही का असर है कि वह ज़ाहिद के एसएमएस ना आने पर बे काबू हो कर उसे मेसेज करने पर मजबूर हो गई है।

ज़ाहिद ने शाज़िया का "हाई" का मेसेज पढ़ कर शाज़िया को रिप्लाइ किया "कैसी हैं आप।"

"में ठीक हूँ आप कैसे हैं" शाज़िया ने जवाब लिखा।

"बस आप की याद और इंतज़ार में ही बैठा हुआ हूँ" ज़ाहिद ने लिखा।

"अच्छा मुझे नहीं पता था कि आप बहुत बे सबरे इंसान हैं" शाज़िया ज़ाहिद का मेसेज पढ़ कर खुश हुई और रिप्लाइ किया।

"बस क्या करूँ आप चीज़ ही इतनी मस्त हैं कि इंतज़ार मुश्किल होता जा रहा है" ज़ाहिद ने दुबारा शाज़िया को छेड़ा।

"अच्छा बाबा में आप को कल पक्का बता दूं गी कि आप से कब मिल सकती हूँ" शाज़िया अब मज़ीद ज़ाहिद को तरसाने के मूड में नहीं थी। इस लिए उस ने ज़ाहिद को खुश करने के लिए उसे रिप्लाइ कर दिया।

ज़ाहिद साजिदा (शाज़िया) का एसएमएस पढ़ कर बहुत खुश हुआ और उसे उम्मीद हो गई कि जल्द ही वह इस गरम और प्यासी लड़की को अपनी बाहों में भर कर उस की और अपनी प्यास बुझा सके गा।

ज़ाहिद: आप से एक बात पुच्छू नाराज़ तो नहीं होगीं? ।

शाज़िया: क्या?

" आप के मम्मे तो में ने देखे हैं।बहुत ही बड़े और प्यारे हैं आप के, और अगर आप को बुरा ना लगे तो क्या में आप के चूचों का साइज़ पूछ सकता हूँ? ।

रिज़वान (ज़ाहिद) के उस खुले और बे शरम सवाल को पढ़ कर शाज़िया उस से गुस्सा होने की बजाय अब नीचे से गरम होने लगी थी।

"क्यों" शाज़िया ने फॉरन ही ज़ाहिद को जवाव लिखा।

शाज़िया के जवाब को पढ़ कर ज़ाहिद को और यक़ीन हो गया कि अब "मछली" उस के "जाल" में पूरी तरह से फँस चुकी हैं। क्योंकि अगर साजिदा (शाज़िया) उस के इस गंदे सवाल का बुरा मानती तो "क्यों" का रिप्लाइ हरगिज़ ना करती।

इस लिए अब ज़ाहिद नीलोफर की सहेली साजिदा (शाज़िया) से पूरी तरह बे शरम हो कर बात करने के मूड में आ गया।और वह एक हाथ से अपने लंड की हल्के-हल्के मूठ लगाते हुए, दूसरे हाथ से मेसेज लिखने लगा।

"वह में आप को तोहफे में ब्रेज़ियर और पैंटी देना चाहता हूँ और मेरी ख़्वाहिश है कि आप मुझे मेरी गिफ्ट की हुई ब्रेज़ियर और पैंटी में अपनी तस्वीर खींच कर मुझे सेंड करें।" ज़ाहिद ने लिखा।

अपनी सहेली नीलोफर से अपने लेज़्बीयन ताल्लुक़ात क़ायम करने के बाद शाज़िया रात को देर तक उस से इस क़िस्म की गंदी चॅट करने की आदि हो चुकी थी। मगर उस को अपनी सहेली से किसी भी गंदी से गंदी बात की चेट का वह मज़ा नहीं आया था। जो आज उसे रिज़वान (ज़ाहिद) से चॅट करते वक़्त मिलने लगा था।

उस की वज़ह शायद यह रही हो गी कि जो भी हो आख़िर शाज़िया की तरह नीलोफर थी तो एक औरत।

और औरत और मर्द की आपस में अट्रॅक्षन एक क़ुदरती अमल है।जिस का अपना एक अलग ही मज़ा है।

वैसे भी ज़ाहिद की नगी फोटोस और वीडियोस देख कर और उस से चॅट के ज़रिए बात कर के शाज़िया अब अपनी शर्म-ओ-हया का परदा उठा कर नीलोफर की तरह पूरा बे शरम बनने का सोच चुकी थी।

इस लिए शाज़िया ने बिना किसी झिझक के, फोन के दूसरे एंड पर एक अजनबी आदमी को अपने ब्रेज़ियर का साइज़ बता दिया, "मैं ब्रेज़ियर 40 डीडी की और पैंटी लार्ज साइज़ की पहनती हूँ।"

12