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CHAPTER 6-पांचवा दिन
तैयारी-
'परिधान'
Update-17
मिनी स्कर्ट एक्सपोजर
गोपालजी--मैडम, देखो, मैंने बहुत-सी औरतों के लिए ड्रेस सिली हैं और मैं आपको बता सकता हूँ की ज़्यादातर औरतें अपने पेट से ज़्यादा जांघों को ढकना पसंद करती हैं। इसलिए।
"गोपालजी ये बात तो सही है पर।"
गोपालजी--गुस्ताख़ी माफ़ मैडम, लेकिन आपकी जाँघें बहुत गोरी और आकर्षक हैं। इसलिए मुझे लगता है कि लोगों के सामने इन्हें जितना ढकोगी उतना ही आपके लिए अच्छा रहेगा।
बातों के दौरान मैं ये अंदाज़ा लगाने की कोशिश कर रही थी की मेरे नितंबों को स्कर्ट कितना ढक रही है। मुझे लगा की जहाँ से कमर का घुमाव शुरू होता है वह हिस्सा दिख रहा होगा क्यूंकी स्कर्ट उससे नीचे बँधी थी। इतनी नीचे स्कर्ट पहनकर मैं बहुत कामुक लग रही हूंगी और जब मैंने दीपू की ओर देखा तो उसकी हवसभरी आँखें यही बता रही थी।
" ठीक है फिर। मैं यहीं पर बाधूंगी।
गोपालजी--मैडम, मैं एक बार चुन्नट भी देख लूँ फिर आपकी स्कर्ट फाइनल करता हूँ।
मैंने सर हिला दिया और वह बुड्ढा फिर से मेरी नंगी टाँगों के आगे बैठ गया। उसका चेहरा ठीक मेरी चूत के सामने था।
गोपालजी--मैडम चुन्नट बाहर से तो ठीक हैं। एक बार जल्दी से अंदर से भी देख लेता हूँ।
मुझे रियेक्ट करने का वक़्त दिए बिना उस टेलर ने चुन्नट चेक करने के बहाने से तुरंत अपने दोनों हाथ मेरी स्कर्ट के अंदर डाल दिए. क्यूंकी स्कर्ट टाइट थी इसलिए उसकी हथेलियों का पिछला हिस्सा मेरी नंगी जांघों को छूने लगा। स्वाभाविक था कि मैं इसके लिए तैयार नहीं थी और थोड़ा पीछे हट गयी। मेरी स्कर्ट के अंदर पैंटी के पास एक मर्द का हाथ देखकर अपनेआप ही मेरी टाँगें चिपक गयीं। फिर उसके हाथ मैंने स्कर्ट के अंदर ऊपर को बढ़ते महसूस किए अब तो मुझे बोलना ही था।
"अरे... गोपालजी ये क्या कर रहे हो?"
मैंने अपने होंठ दबा लिए क्यूंकी गोपालजी के हाथ मेरी स्कर्ट के अंदर एक लय में चुन्नट के साथ ऊपर नीचे जा रहे थे। वह एक-एक करके हर चुन्नट को चेक कर रहा था। अब मैं उसकी ये हरकत और बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी। मेरे बदन में सिहरन-सी दौड़ने लगी थी। मैंने स्कर्ट के बाहर से उसका एक हाथ पकड़ लिया। वह दृश्य बहुत कामुक लग रहा था, मैं एक मर्द के सामने खड़ी थी और उसने मेरे पैरों में बैठ के मेरी स्कर्ट के अंदर अपने हाथ घुसा रखे थे और अब मैंने उसका एक हाथ स्कर्ट के बाहर से पकड़ा हुआ था।
गोपालजी--क्या...क्या हुआ मैडम?
"मेरा मतलब। प्लीज अब बस करो।"
गोपालजी--लेकिन मैडम, मैं तो ऐसे ही अंदर के चुन्नट चेक करता हूँ वरना मुझे आपकी स्कर्ट ऊपर को उठाकर पलटकर अंदर से चुन्नट चेक करनी पड़ेगी जो की और भी ज़्यादा।
"ना ना, पहले आप अपने हाथ बाहर निकालो। प्लीज!"
गोपालजी बड़ा आश्चर्यचकित लग रहा था पर उसने धीरे से अपने हाथ स्कर्ट से बाहर निकाल लिए ।
"गोपालजी माफ़ कीजिएगा, लेकिन मुझे अजीब-सा, मेरा मतलब गुदगुदी-सी हो रही थी।"
गोपालजी--ओह...मैंने सोचा...चलो ठीक है। मैडम, आप पहली बार स्कर्ट की नाप दे रही हो इसलिए ऐसा हो गया होगा।
वो हल्के से हंसा, उसके साथ दीपू भी हंस दिया और शरमाते हुए मैं भी मुस्कुरा दी।
दीपू--मेरे ख़्याल से एक काम हो सकता है। जब मैडम साड़ी पहन लेगी तब हम स्कर्ट के अंदर के चुन्नट चेक कर सकते हैं।
गोपालजी--दीपू, मेरे नाप लेने के तरीके में हर चीज का कुछ ना कुछ मतलब होता है। अगर ऐसा हो सकता जैसा की तुम सुझाव दे रहे हो तो मैंने मैडम को ऐसे शर्मिंदा नहीं किया होता। है कि नहीं?
दीपू--जी, माफी चाहता हूँ।
गोपालजी--दीपू, अगर अंदर से चुन्नट बराबर नहीं होंगी तो ये मैडम की जांघों को छूएंगी और उसे अनकंफर्टेबल फील होगा। इसलिए मैं इन्हें तभी चेक कर रहा हूँ जब मैडम ने इसे पहना है।
अब मुझे भी बात साफ़ हो गयी। टेलर का इरादा तो नेक था पर उसकी इस हरकत से मुझे बर्दाश्त करना मुश्किल हो रहा था।
गोपालजी--कोई बात नहीं, मैडम को असहज महसूस हो रहा है इसलिए इसे मैं बाद में ठीक करूँगा।
वो थोड़ा रुका। मैं एक बेशरम औरत की तरह उस छोटी-सी स्कर्ट और ब्लाउज में उनके सामने खड़ी थी।
गोपालजी--अब मैडम, अगर आप चाहो तो मैं कुछ और चीज़ें चेक कर लूँ सिर्फ़ आपकी इज़्ज़त बचाने के लिए. लेकिन सिर्फ़ तभी जब आप चाहोगी।
"गोपालजी, लगता है कि आप मुझसे नाराज हो गये हो। लेकिन मैं तो सिर्फ!"
गोपालजी--ना ना मैडम, ऐसी कोई बात नहीं। मुझे ख़ुशी है कि आपने साफ़-साफ़ बता दिया की आपको असहज महसूस हो रहा है। लेकिन मैं ये कहना चाहता हूँ की इसका मेरे नाप लेने से कोई मतलब नहीं। देखो मैडम, आप पहली बार मिनी स्कर्ट पहन रही हो, इसलिए आपको ध्यान रखना चाहिए की आप अपनी पैंटी.।...मेरा मतलब आपकी पैंटी लोगों को दिख ना जाए इसका ध्यान रखना होगा।
ये बात तो मेरे दिमाग़ में भी थी पर मुझे कैसे पता चलेगा की लोगों को मेरी पैंटी दिख रही है या नहीं।
"हम्म्म... हाँ ये तो है। पर इसे चेक कैसे करुँगी?"
गोपालजी--मैडम, आपको कुछ भी नहीं करना है। मैं हूँ ना आपको गाइड करने के लिए ।
उसके आश्वासन से मुझे राहत हुई और मैं उस अनुभवी टेलर के निर्देशों का इंतज़ार करने लगी।
गोपालजी--मैडम, अब आपकी स्कर्ट सही जगह पर बँधी है और मैं आपके बैठने के पोज चेक करूँगा। अगर कुछ एडजस्ट करना होगा तो बताऊँगा, ठीक है?
गोपालजी--ठीक है गोपालजी ।
गोपालजी--मैडम, आपको समझ आ रहा होगा की मिनी स्कर्ट पहनने में सबसे बड़ी समस्या इसके अंदर दिखने की है और इसके लिए आपको बहुत सावधानी बरतनी पड़ेगी। अगर आप मेरे बताए निर्देशों का पालन करोगी तो ज़्यादा एक्सपोजर नहीं होगा।
जिस तरह से वह टेलर मेरी मदद करने की कोशिश कर रहा था उससे मुझे अच्छा लगा और मैंने उसकी बात पर सर हिला दिया।
गोपालजी--दीपू, क्या तुम बता सकते हो की वह कौन से पोज हैं जिसमें मैडम को अलर्ट रहना चाहिए।
दीपू--जी, 6 ख़ास पोज हैं, खड़े होना, बैठना, झुकना, पैरों पर बैठना, लेटना और चढ़ना।
कहानी जारी रहेगी