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Click hereपड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे
VOLUME II
विवाह
CHAPTER-1
PART 08
मैं बाथ टब में लेटा हुआ था और मेरी आँखे बंद थी कि अचानक बत्तियाँ बुझ गईं। मुझे एक महिला की आवाज़ सुनाई दी।
दीपक, अच्छा हुआ कि आपने ये अँगूठी चुनी। मैंने इधर-उधर देखा लेकिन वहाँ कोई नहीं था। मैंने पुछा कौन है। मैं मरीना अपनी अंगरक्षक को बुलाना चाहता था। लेकिन अचानक मुझे लगा कि मैं बोल नहीं सकता।
उस आवाज़ ने कहा, दीपक! घबराओ मत हम तुम्हें चोट नहीं पहुँचाएंगे।
मैं अपनी जगह जम गया था। मैं हिल या बोल नहीं सकता था। आवाज़ वापस आने तक मैं मुश्किल से सोच पा रहा था। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था ।
"चिंता मत करो, तुम सुरक्षित हो!"
मैं धीरे-धीरे पीछे की ओर झुका और अपनी दीवार पर लगे लाइट स्विच को जलाने की कोशिश की। मेरा हाथ वहाँ लगा तो स्विच चालू था लेकिन फिर भी बाथरूम में रोशनी नहीं थी मैंने सोचा पता नहीं कौन है तभी अचानक कमरे में सुनहरी रोशनी हो गई। मेरे सामने एक लड़की थी। लड़की नहीं। एक राजकुमारी, नहीं, वह एक दिव्य स्त्री थी! मैंने अपने पूरे जीवन में कभी किसी इतना खूबसूरत स्त्री को नहीं देखा था। 18 साल की चिरयौवना, लेकिन उसके चारों ओर ज्ञान और अनुभव की आभा थी। उसके शरीर में एकदम सही संतुलन था, उसकी नितम्ब, स्तन, कूल्हे, कमर, सब कुछ पूरी तरह से आनुपातिक थे। आकर्षक साडी और गहने अलंकार और पुष्प धारण किये हुए, बेहद आकर्षक और सुंदर तथा उसकी आवाज़ बहुत नरम थी, चेहरे पर हलकी मुस्कान थी और मैं उस चेहरे से नज़रें नहीं हटा सका। इस सौंदर्य को शब्दों में बयाँ नहीं किया जा सकता। बस एकदम सही। उनकी मीठी आवाज़ को मैं और अधिक सुनना चाहता था।
मैंने मन में कहा " ओह, आप बहुत खूबसूरत हो!
धन्यवाद! " उसने मेरे विचारों को पढ़ते हुए कहा।
"मैं चौंका-आपका क्या मतलब है? आप कौन हो और आप यहाँ क्या कर रहे हो?"
उसकी आँखें चमक उठीं। ऐसा लगा जैसे उसे ठीक इसी सवाल का इंतज़ार था। वह कुछ क़दम पीछे हुई और एक तरफ़ हो गयी और मैंने देखा वहाँ एक आदमी भी था। एक राजकुमार की तरह आलोकिक और सुन्दर ओह नहीं, वह एक दिव्य पुरुष था फिर उस देवी ने कहा ।
ये इच्छा के देवता हैं-काम! और मैं उनकी देवी- "माया" हम आपके पास इस अंगूठी के बारे में बताने आए हैं।
"यह इच्छा की अंगूठी है"।
उस दिव्य युगल का परिचय सुनते हुए मैं पूरी तरह से होश में आ गया था। यह स्थिति पागल करने वाली थी पर मैंने बस प्रवाह के साथ जाने का फ़ैसला किया।
मैंने दोनों को प्रणाम किया और सर झुका कर कुछ मन्त्र जाप करने लगा। मुझे नहीं पता ये मन्त्र मुझे कैसे स्मरण हो गए थे। मैंने थोड़ा सोचा ये मन्त्र कहाँ से याद हो गए मुझे! तो दिव्य पुरष की आवाज़ आयी। तुम्हारा कल्याण हो, वत्स दीपक! परेशान मत हो महर्षि अमर मुनि जी की असीम कृपा प्राप्त है तुम्हे ।
"और वास्तव में आप मुझसे क्या चाहते हो?"
वो दिव्य युगल मुस्कुराया और एक क़दम मेरी ओर बढ़ते हुए बोला।
आनंद आनंद "इस अंगूठी का उपयोग करें! हमें परवाह नहीं है कि कैसे, लेकिन इसका उपयोग करो! लोगों को मदद करो! उन्हें बदलेो! चाहो तो दुनिया पर कब्जा करें! या रानिवास या हरम बनाऔ! जो कुछ भी आप चाहते हो वह सब करो और इसे हमारे लिए आनंदमय बनाऔ । कहो क्या ये एक अच्छा सौदा है-है ना?" दिव्य पुरुष ने कहा ।
लेकिन मैं ही क्यों?
पिछले मालिक हीरा (घायल वृद्ध) ने आपको इस अंगूठी के मालिक के रूप में चुना है और आपने इसे स्वीकार कर लिया है और हम आपको पिछले काफ़ी लंबे समय से देख रहे हैं बल्कि आपका इन्तजार कर रहे थे। आप एक अच्छे और दयालु व्यक्ति हैं।
मैंने एक सेकंड के लिए सोचा। यहाँ तक कि अगर वह झूठ बोल रहे हैं, तो भी मुझे इस प्रस्ताव को स्वीकार करने का कोई नुक्सान नहीं दिख रहा था और अगर वह सच कह रहे थे, तो और भी अच्छा है।
क्या होगा अगर मैं एक अच्छा आदमी नहीं साबित हुआ । मैंने पुछा?
हम पिछले मालिक की पसंद को स्वीकार करने के अतिरिक्त कुछ भी नहीं कर सकते।
"हाँ, मैं मैंने उनकी ये अंगूठी स्वीकार कर ली है।" और अपना हाथ आगे बढ़ा कर उन्हें हाथ में पहनी हुई अंगूठी दिखाई।
बहुत अच्छा जैसे ही उसने अपना हाथ बढ़ाया, उन दोनों का चेहरा ख़ुशी से भर गया और वह बोले "हमेशा याद रखना कि अंगूठी की शक्तियाँ लगभग असीमित हैं; आप जो चाहेंगे या चाह सकते हैं वह हासिल कर सकते हैं, यह अंगूठी अपने मालिक को अपने और दूसरों के भाग्य को नियंत्रित करने की शक्ति देता है, अंगूठी अपने मालिक को शारीरिक, मानसिक और सभी चीजों पर नियंत्रण रखने में सक्षम बनाएगी और जब तक आप इसे पहनते हैं आप युवा रहेंगे। "
" सुरक्षा उपाय के रूप में इसकी शक्तिया नियंत्रण करने के लिए शक्तिया जिसे हम संप्रेषित करने वाले हैं और हम आपको अंगूठी के बल पर काबू पाने की शक्ति प्रदान करेंगे। तुम्हारे अंदर की दिव्य शक्तिया अभी तक सोई हुई थी उनके जगाने का समय आ गया है और जो शक्तियों हम तुम्हे दे रहे हैं उनसे तुम्हारे अंदर की उन दिव्य शकितयों को जिन्हे महर्षि ने जागृत किया है और तुम्हे जो और भी शकितया शीघ्र ही मिलने वाली हैं तुम उन्हें भी संभाल पाओगे और भी कई दिव्य शक्तिया तुम्हारे अंदर हैं जो समय और साधना के साथ-साथ बढ़ती, निखरती और सवरती जाएंगी।
एक बार तुम इस अंगूठी की शक्तियों पर काबू कर लोगों तो ये अंगूठी स्वयं तुम्हारी उन शक्तियों को बढ़ाने में सहायक होगी।
दिव्य पुरुष ने जारी रखा "हालांकि मैं आपकी इस समय जो चेतवानी देने जा रहा हूँ उसका वर्तमान में कोई मतलब नहीं होगा, लेकिन मुझे इसे आपको देना होगा, अब ध्यान से सुनें। अंगूठी की अपनी शक्ति है इसलिए यदि आप नए मालिक के रूप में जागरूक हैं और इसकि शक्तियो को जल्द ही नियंत्रित कर ले अन्यथा इसकी शक्तिया आप पर नियंत्रण कर लेंगी। आप अपना जीवन को त्यागने का विकल्प चुन सकते हैं लेकिन ऐसा करने के लिए आपको इस अंगूठी के उत्तराधिकारी की तलाश करनी होगी।"
दिव्या पुरुष ने जारी रखा "यदि आप अंगूठी के बल को नियंत्रित नहीं करते हैं, तो इस अंगूठी की दिव्य बल कमजोर दिमाग़ पर कब्जा कर लेगा और आपको पूरी तरह से नियंत्रित करे उस से पहले आप इसे नियंत्रित करना सीख ले। इस नियंत्रण को सीखने में भी ये अंगूठी भी आपकी मदद कर सकती है।"
अंगूठी की शक्तियाँ क्या हैं? मैंने आख़िर पूछ ही लिया।?
कहानी जारी रहेगी