औलाद की चाह 089

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आखिरी पड़ाव से पहले स्नान.
1.1k words
4
201
00

Part 90 of the 282 part series

Updated 04/27/2024
Created 04/17/2021
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औलाद की चाह

CHAPTER 6-पांचवा दिन

तैयारी

Update-37

स्नान ​

मैं: ईईआई! तुम ये क्या कर रही हो?

मीनाक्षी ने मेरी इस अभिव्यक्ति पर बेक़ाबू होकर, ही-ही करती हुई हसने लगी और वह रुक गई और हंसते हुए खड़ी हो गई।

मीनाक्षी: उह! बस उन्हें देखिये!

वो मेरे गोल स्तन के साथ बिल्कुल सट कर खड़ी हो गयी और उसने मेरे गुलाबी निप्पलों की तरफ इशारा किया, जो तब तक अपने पूरे आकार तक बढ़ कर, दो पके हुए अंगूरों की तरह लग रहे थे और मैं शर्म से लाल हो गयी।

मीनाक्षी: मैडम, अब आप कृपया पीछे घूमिये।

मैंने अपनी नंगी पीठ उसकी ओर कर दी और उसने थोड़ा पानी लगाया और मेरी पीठ पर साबुन लगाना शुरू कर दिया। मैंने देखा कि घिसने पर लंग के आकार वाला साबुन बहुत जल्दी से छोटा हो रहा था और ऐसा लग रहा था जैसे कि एक खड़ा हुआ कठोर लिंग धीरे-धीरे स्खलित होता हुआ शिथिल हो रहा है।

मीनाक्षी: मैडम, हमे साबुन को पूरा लगाना है उसके बाद ही बाहर निकालना है।

मैं: है मैं भी देख रही हूँ। यह काफी आसानी से गल रहा है इससे झाग भी बहुत ज्यादा हो बन यही है।

मीनाक्षी: अरे! ये ऐसी ही सामग्री से बना है? एक साबुन एक व्यक्ति के स्नान के लिए ही है।

मेरी पूरी पीठ और मम्मों पर साबुन अच्छी तरह से मसलने और मलने के बाद मीनाक्षी मेरी कमर पर पहुँची और साबुन को नीचे की तरफ रगड़ने लगी। उसके फिसलते हाथ मेरे गोल नंगे नितम्बो पर हर तरफ चले गए। मैं अपने नग्न नितंबों पर गोल-गोल घूमते हुए हाथों के सहलाने के कारन तेजी से उत्तेजित हो रही थी उसकेबाद मैंने अपने स्तन और निपल्स को दबाने लगी क्योंकि उसके द्वारा मेरे नितम्बो को यो छेड़ने से मैं बहुत ज्यादा उत्तेजित हो गयी थी।

चूँकि मैं टॉयलेट में एक महिला के साथ थी, मैंने आराम से अपने बूब्स और निप्पलों को अपने हाथों से दबाने और सहलाने में कोई संकोच महसूस नहीं किया। फिर मैंने महसूस किया की जब मीनाक्षी के हाथ मेरे चूतड़ों को सहला रहा थे तो उसकी उंगलिया नेरी गांड के छेद को भी बीच-बीच में छु रही थी।

मैं: ईसससस?

उसके स्पर्श ने उत्कृष्ट उत्तेजना उतपन्न की।

मीनाक्षी: मैडम, बस एक मिनट? हाँ, अब बस खत्म होने ही वाला हैं।

वो मुझसे थोड़ा दूर हो गयी और मैंने अपने नग्न शरीर पर एक बार फिर पानी डालना शुरू कर दिया फिर मैंने अपने शरीर से झाग को पानी डाल कर हटाना और रगड़ कर निकालना शुरू कर दिया। इस तरह एक-दो मिनट के भीतर मेरा स्नान समाप्त हो गया और उसने मुझे तौलिया सौंप दिया। तौलिया में से भी अच्छी सुगंध आ रही थी और मैंने खुद को सुखाते हुए गहरी सांस ली। पूरे शौचालय उस साबुन की मनमोहक खुशबू से भर गया था और मैंने खुद को रात के उस समय (11 बजे) तरोताजा महसूस किया।

मैं अपनी ब्रा और पैंटी दरवाजे के हुक से उतारने ही वाली थी कि तभी मीनाक्षी ने बीच में टोक दिया।

मीनाक्षी: मैडम, कृपया प्रतीक्षा करें। पहले मैं आपके शरीर को तेल लगा देती हूँ।

हालांकि मैं तेल लगाना पूरी तरह से भूल ही चुकी थी पर मैंने कहा, ठीक है? मैं थोड़ी और देर के लिए उस उज्ज्वल प्रकाश में बिल्कुल नग्न खड़ी हुई काफी शर्म महसूस कर रही थी था इस बीच मीनाक्षी ने तेल की बोतल खोली और मैंने देखा कि वह तेल हरे रंगका कुछ जड़ी बूटियों का हर्बल अर्क था।

मैं: मीनाक्षी, मैं तेल लगा लेती हूँ?

मीनाक्षी: मैडम, जब मैं मौजूद हूँ तो आप परेशानी क्यों उठाएंगी?

मीनाक्षी ने मेरे बड़े और चौड़े कंधों और लंबे हाथों पर तेल रगड़ना शुरू कर दिया। हालाँकि यह मालिश नहीं थी, लेकिन उस ठंडे पानी के स्नान के बाद यह सुखद अनुभव था और इससे निश्चित रूप से मेरे शरीर को आराम मिला।

मैं: मुझे आशा है कि इस समय इतने ठंडे पानी से स्नान करने से मुझे ठण्ड नहीं पड़केगी और जुकाम नहीं होगा।

मिनाक्षी थोड़ा-सा मुस्कुराई और बोतल से थोड़ा तेल लिया और उसे अपनी दोनों हथेलियों में फैला लिया और मेरे पास आ गई। मीनाक्षी को शायद एहसास हुआ कि मैं नग्न खड़े होने के कारण शर्म महसूस कर रही थी, जबकि उसने पूरे कपडे पहने हुए थे।

मीनाक्षी: मैडम, एक काम कीजिए, आप तेल लगाते समय अपनी आँखें बंद कर लीजिए। मुझे लगता है इससे आप बेहतर महसूस करेंगी।

मैं: हम्म। लेकिन कृपया जल्दी से लगा दीजिये।

मीनाक्षी ने सहमति में सिर हिलाया और मैंने आँखें बंद कर लीं। मीनाक्षी ने मेरे कंधों से तेल लगाना शुरू किया और फिर मेरी लंबी बाँहों पर तेल लगाने के बाद आगे स्तनों की तरफ बढ़ गई। यह निश्चित रूप से मालिश नहीं थी, लेकिन फिर भी जड़ी बूटियों से युक्त बर्फीले पानी से मेरे स्नान के बाद उसके गर्म हाथो का गर्म स्पर्श मेरे लिए राहत भरा था।

जब उसके तैलीय हाथों ने मेरे प्रत्येक उभरे हुए स्तन को अपने हाथो में भर कर और रगड़ कर उन्हें तेल से सराबोर कर दिया और फिर सहलाने लगी तो मेरा पूरा शरीर कांप गया और झटका देने लगा यद्यपि मेरी आँखें बंद थीं, मैं उसके हाथों को मेरे स्तनों को दबाते हुए महसूस कर रही थी और फिर उसने मेरे निपल्स को दो अंगुलियों से पकड़ लिया और धीरे-धीरे उन्हें मसल दिया और इस तरह से सहलाने और मसलने के कारण मेरे चूचक एक ही क्षण के भीतर खड़े हो गए। फिर उसकी साड़ी उंगलियों ने मेरी निपल्स को अपनी उँगलियों से दबाया और उस मुझे बिल्कुल ऐसा लगा जैसे मेरे पति की जीभ मेरे निप्पलों के साथ खेल रही हो!

मैं अपना ध्यान स्थानांतरित करने की कोशिश करते हुए बोली।

मैं: मीनाक्षी, क्या यह तेल मेरी ब्रा नहीं ख़राब करेगा?

मीनाक्षी: मैडम, यह गुरु-जी द्वारा स्वयं तैयार किया गया पूर्णतया चिकनायी रहित जड़ी बूटियों का मिश्रण है इसलिए आप बिलकुल चिंता मत करो?

मैं: ठीक है।

फिर मीनाक्षी ने मेरे पेट पर तेल लगाया और मेरी टांगो पर तेल लगाने लगी। वह मेरी जाँघों और टांगों पर हाथ फेर रही थी इसलिए मुझे गुदगुदी का अहसास भी हो रहा था। जब उसने मेरी टांगो पर लगा लिया तो मैंने सोचा था कि वह अब मेरी पीठ के पीछे तेल लगाबे जायेगी, लेकिन?

मीनाक्षी: मैडम, कृपया पीछे मुड़ें।

मैं: आप इस तरफ क्यों नहीं आए?

मीनाक्षी: नहीं, नहीं मैडम। मेरे लिए ऐसा करना आसान होगा।

हालाँकि मैं उसके इस तरफ नहीं आने से थोड़ा हैरान थी, लेकिन मैंने उस पर ज्यादा ध्यान भी नहीं दिया था। मुझे शुक हुआ कही यहाँ कोई गुप्त कैमरा तो इसी तरफ नहीं था और मैं तब तक मैं उस गुप्त कैमरे का सामना कर रही थी वह मेरे पूरी तरह से नग्न अगर भाग को रिकॉर्ड कर रहा था और अब जैसे मैंने अपनी गांड मीनाक्षी की तरफ घुमाई, तो मैं वास्तव में कैमरे को अपनी बड़ी नंगी गाँड दिखा रही थी।

कहानी जारी रहेगी

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