Note: You can change font size, font face, and turn on dark mode by clicking the "A" icon tab in the Story Info Box.
You can temporarily switch back to a Classic Literotica® experience during our ongoing public Beta testing. Please consider leaving feedback on issues you experience or suggest improvements.
Click hereपड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे
VOLUME II
विवाह
CHAPTER-1
PART 33
बेतहाशा चुंबन और मजे
इस लम्बे और बेतहाशा चुंबन से हम तीनो के शरीर से आकर्षित करने वाले आपसी शरीर खुशबू और कामोत्तेजना को तेज करने वाले सूक्ष्म रासायनो का संवेदी उत्सर्जन हुआ जिसके परिणामस्वरूप रक्त के प्रवाह में वृद्धि हुई निपल्स कड़े हुए पेट तितली के फंखो की तरह फड़फड़ाये और गुप्तांगो के अंदर झुनझुनी होने जो उनको झटका लगा। मेरे प्रबल पुरुषत्व ने उसे मेरे अधीन कर दिया। उसका पूरा शरीर असहनीय और बेकाबू कामेच्छा से तड़प रहा था।
वह अपने नियंत्रण से परे उत्तेजित हो गई, उसकी हृदय गति एयर रक्तचाप बढ़ गया और रक्त तेजी से बहने लगा, उसकी नसें विद्युतीकृत और तनावग्रस्त हो गईं, उसकी नाड़ी की गति और श्वास तेज हो गई। इस समय रीता एक गर्म ज्वालामुखी की तरह थी जिसमें गर्म लावा फटने के लिए तैयार था। उसके लिए ये पहला अनुभव था उसने आज तक ऐसा कभी पहले महसूस नहीं किया था। अब वह मेरा लंड उसकी योनी के अंदर चाहती थी । वह चुदाई करवाना चाहती थी। वह चाहती थी कि उसकी योनी खुल जाए, भर जाए और उसे चोदा जाए। वह चुदाई के लिए बिलकुल तैयार थी और मेरे पहल करने की प्रतीक्षा कर रही थी।
मैं रीता की ओर बढ़ा क्योंकि वह मेरी अगली कार्यवाही का बेसब्री से इंतजार कर रही थी। मैंने उसके कानो को, उसके कान के पक्षों और धीरे से उसके कान के पीछे क्षेत्र चूमा। मेरी देखा देखि नीता भी रीता के दुसरे कान को, उसके कान के पक्षों और धीरे से उसके कान के पीछे क्षेत्र चूमने लग गयी। मैंने उसके कानो को सहलाते हुए चुंबन जारी रखा है और साथ में उसके कान के पीछे अपने ओंठो को फिराया और उसके कानो की लोलकी को चूसा और फिर दांतो से हल्का कुतरा और उसके कानो में अपनी जीभ घुसा दी। आह्ह! करती हुई रीता कराह उठी। फिर मैंने उसकी ठोड़ी और नाक को चूमा। उधर नीता उसके कानो को चूमने के बाद उसकी गर्दन को चूम रही थी। रीता इस दोतरफा हमले के कारण बहुत बेसब्र हो रही थी।
जैसे हो मैंने उसके नाक को चूमा उसने मेरी थोड़ी को उत्साह के साथ चुम कर मेरा स्वागत किया और मैंने उसके माथे, फिर पलकों, गालो को गाल, चूमा और चाटा, फिर ठोड़ी, फिर उसकी गर्दन, कंधे के हर इंच को चूमा। इस बीच नीता मेरा पीछा करती हुई उसे चूमती रही जिस अंग को मैं छोड़ता ाउसे नीता चूमने लगती और फिर मैं वापिस उसके चेहरे पर आ गया और मैंने अपनी जीभ को उसके आमंत्रित करते हुए गीले रसीले मोटे थपथपाते हुए होंठों पर फिरा दिया जिसने उसे अपने मुंह को खोलने के लिए मजबूर कर दिया।
जैसे ही रीता के ओंठ खुले मेरी जीभ उसके मुँह के अंदर चली गई। मेरी जीभ ने उसके मुंह के भीतर उसके भीतरी गालों, उसकी जीभ और उसके गले की गहराई को छू लिया। फिर रीता ने मेरे निचले होंठ को बहुत देर तक चूसा और चबाया। बदले में, मैंने उसके निचले और ऊपरी होंठ को एक के बाद एक बारी-बारी से चबाकर और धीरे से चूस लिया। फिर उसकी जीभ ने मेरे मुंह पर हमला किया और मेरी जीभ, दांत और मसूड़ों को सहलाया। हम आपस में चिके हुए थे और हमारे शरीर एक दूसरे पर दबाव डाल रहे थे। हमारे हरकते देख कर नीता का-का दिल तेजी से धड़क रहा है, नसों में रक्त तेज और तेज गति से दौड़ रहा है। मैंने और रीता ने लंबे समयतक चूमते रहे।
हमारी लारे एक दुसरे के मुँह में जा रही थी और ऐसा लग रहा था कि दोनों एक दूसरे के मुंह से अमृत पी रहे है। उसके हाथ मेरे चारों ओर घिरे हुए थे और कसकर पकड़ रहे थे। उसकी उंगलियाँ मेरी पीठ में चुभ रही थी। हमने एक लंबे समय तक बारी-बारी से एक दूसरे को बेखबर होकर चूमा। बेच बीच में नीता की जीभ भी मेरे या नीता के मुँह में घुस जाति थी। हम दोनों नीता की जीभ को भी उतने ही प्यार और शिद्दत के साथ चूमते थे और वह भी हम दोनों के शरीरो को आपस में पास लाते हुए जोर से दबा रही थी जैसे कोई जोड़ लगा रही हो।
हमारी परस्पर यौन इच्छा असहनीय और बेकाबू ऊंचाइयों तक बढ़ रही थी। उसके होठ मेरे ओंठो में थे और उसके हाथों और बालों के बीच मेरा शरीर सबसे जटिल और अंतरंग रूप से दबे होने के कारण, मैं रुकने की भी हिम्मत नहीं करता ऊपर से नीता भी दोनों के साथ लिपटी हुई थी और दोंनो के शरीर को एक साथ दबा रही थी।
मैं चाहता था कि मैं अपने हाथो से कभी-कभी रीता के गालों को थपथपाऊ, कभी-कभी उसके बालों को खींचू, मैं उसे बहुत विनम्रता से प्यार कर रहा था और जिसे बहुत जबरदस्त तरीके से मुझे जकड़ कर मुझे चुम रही थी। हमने कितने सेकंड, मिनट के लिए चुंबन किया ये शायद हम दोनों में से कोई भी बता नहीं सकता। मैं बस यही चाहता था कि यह कभी खत्म न हो।
लंबे समय तक चला ये लम्बा और गहरा चुंबन हम दोनों के लिए पर्याप्त नहीं था और अब हम एक दूसरे के और अधिक प्यार चाहते थे। अपने आप को एक आरामदायक और आरामदायक स्थिति में ला कर अपने साथी को पास से चिपक कर अंतरंग चुंबन करते हुए, सहलाना आलिंगन जैसी कामुक क्रियायो, गले लगना और लगाना के कारण हम न दोनों में कांगनी प्रज्वलित होने के बाद भड़क चुकी थी, हमारे दिल तेजी से धड़क रहे थे और शरीर और दिमाग के हर छोटे हिस्से में रक्त तेजी से पंप कर रहा था।
उधर नीता ने मुझे बेतहासा चूमना शुरू कर दिया। वह मेरे माथे से लेकर फिर पलकों, फिर मेरे कान गालो को चूमा और चाटा, फिर ठोड़ी, मेरी गर्दन, कंधे के हर इंच को चूमा। फिर वह मेरे चेहरे पर आ गया और मैंने थोड़ा-सा पाना चेहरा घुमा कर अपनी जीभ को नीता के आमंत्रित करते हुए गीले रसीले मोटे थपथपाते हुए होंठों पर फिरा दिया और उसने मुंह खोल कर मेरी जीभ से अपनी जीभ लड़ा दी। मेरी जीभ को वह अपने मुँह में ले गयी और उसे चूसने लगी। उधर रीता में मेरे मुँह में अपने जीभ को घुसा दिया और मेरी जीभ के बाकी बचे हुए अंदरूनी हिस्से से खेलने लगी। ये अध्भुत अनुभव था. हम तीनो के लिए। मैंने पहले भी अलका, रोजी, जेन और रूबी के साथ (जिनके बारे में आप मेरी अंतरंग हमसफर कहानी में पढ़ सकते हैं।) थ्रीसम सेक्स किये थे पर ऐसे चुंबन कभी नहीं हुआ था।
हम चुंबन में इतना मस्त थे कि कोई किसी को सांस लेने की भी की अनुमति नहीं दे रहा था। मैं कभी अपनी जीभ रीता तो कभी नीता के मुँह में ले जा रहा था। इसी तरह नीता और नीता की जीभ भी बाकी दोनों के मुँह में घूम रही थी। तभी रीता आंनद के साथ कराहे भरने लगी। उसके शरीर का हर अंग प्यार, चाहत, वासना की बिजली की गूंज से झुनझुना रहा था। उसके होंठ गीले, खूबसूरती से भरे और कोमल और लार से भरे हुए थे और उसके मुंह के अंदर, मेरी और नीता की जीभ थी।
रीता ने एक लम्बी कराह भरते हुए मेरे नाम बोलने की कोशिश की, आअह्ह्ह्ह दीदीदीीी लेकिन मैंने अपनी जीभ इस तरह से दबायी की उसकी कराह वहीँ दब गयी मेरा मन उसे अभी और चुंबन करना चाहता था और इस बीच आने वाले हर संभव अवरोध और रुकावट को तोड़ना चाहता था।
मैं उन दोनों के सभी बंधनो को जलाना चाहता था यहाँ तक की जिससे कोई गाँठ भी न बचे और दोनों आजादी के साथ एक सुख का आनंद ले सके। गहरा चुंबन मुझे उन दोनों की आत्मा तक पहुँच दे रहा था रीता के लिए, उस समय इस पूरी दुनिया में मेरे सिवाय कुछ-कुछ भी नहीं था। कुछ भी नहीं, उसे अब सिर्फ मेरे होंठ, मेरी जीभ और मेरे हाथ, चाहिए थे ताकि उसकी जरूरतें, उसकी इच्छाएँ, उसकी खुशी और प्यार की उसकी तत्काल जरूरत पूरी हो सके। रीता की मांसपेशियों में तनाव बढ़ गया, हृदय गति तेज हो गई और सांस तेज हो गई। उसकी त्वचा फूल गई और उसके स्तन के निप्पल सख्त और खड़े हो गए। उसकी ग्रंथियों ने एड्रेनालाईन हार्मोन को छोड़ दिया जिसके परिणामस्वरूप वह भारी साँस लेने लगी और उसकी हथेलिया पसीने से तर हो गयी। उसके छोटे स्तन दर्द से भारी और सूज गए, इरोला का विस्तार हुआ, उसके निप्पल सख्त, उसके शरीर से बाहर निकल कर उभर गए। उसकी भगशेफ सूज गई और सख्त हो गई और उसके कोमल योनी होंठ बढ़े और फूल की पंखुड़ियों की तरह खुल गए। उसके शरीर कांपने लगा और फिर अकड़ गया और उसकी योनि का बाँध टूट गया और उसकी चूत उसके योनि रस से भर गयी और फिर से योनी का रस उसकी जाँघों के बीच से नीचे की ओर बह गया। वह इस समय और कुछ नहीं सोच सकती थी सिवाय इसके कि उसकी भूखी जलती हुई अतृप्त इच्छा को बुझाया जाए।
मैं दो लड़कियों के बीच में था, नीता और रीता दोनों मेरे साथ थीं। फिर रीता उसके बाद मुझसे अलग हुई और बिस्तर पर वापस लेट गई, उसका पसीने से भीगा हुआ नग्न कामुक शरीर खिड़की के माध्यम से आए शाम के सुनहरी नारंगी उजाले में चमक रहा था।
मैंने नीता को उसकी बांह के नीचे और उसकी पीठ के चारों ओर एक हाथ खिसकाकर उठाया, उसके ऊपर झुककर अपना दूसरा हाथ उसके घुटनों के पीछे रखा और उसे अपनी बाहों में भर लिया। उसने मेरे गले में हाथ डाला और मुझे पकड़ कर अपना चेहरा मेरे कंधे पर दबा लिया और कराह उठी। मैंने उसे सोफे से उठा लिया और हमारे होंठ जुड़ गए। उसने मुंह खोल कर मेरी जीभ से अपनी जीभ लड़ा दी और मेरी जीभ को वह अपने मुँह में ले गयी और उसे चूसने लगी और मेरी जीभ के अंदरूनी हिस्से से खेलने लगी। अब नीता आंनद के साथ कराहे भरने लगी। उसके शरीर का हर अंग प्यार, चाहत, वासना की बिजली की गूंज से झुनझुना रहा था। उसके होंठ गीले, खूबसूरती से भरे और कोमल और लार से भरे हुए थे और उसके मुंह के अंदर, मेरी जीभ थी और उसकी जीभ मेरे मुँह के अंदर थी। जल्द ही नीता हृदय गति और सांस तेज हो गई। उसकी त्वचा फूल गई और उसके स्तन के निप्पल सख्त और खड़े हो गए और मेरी छाती में चुभने लगे। उसके रीता के मुक़ाबले बड़े स्तन भारी हो गए उसके निप्पल कड़े हो गए। उसकी भगशेफ सख्त हो गई। उसका शरीर अनियंत्रित हो कांपने लगा और फिर अकड़ गया वह चरमोत्कर्ष पर पहुँच गयी और उसकी चूत उसके योनि रस से भर गयी और फिर से योनी का रस उसकी जाँघों से नीचे की ओर बहने लगा। वह पसीने से तरबतर गहरी साँसे लेती हुई कराहे भर कर निढाल हो कर एक तरफ लुढ़क गयी।
कहानी जारी रहेगी
दीपक कुमार