सुल्तान और रफीक में युद्ध 15

Story Info
पिशाब-खोर बना हारने वाला.
1.2k words
5
268
00
Story does not have any tags

Part 15 of the 20 part series

Updated 06/10/2023
Created 07/23/2021
Share this Story

Font Size

Default Font Size

Font Spacing

Default Font Spacing

Font Face

Default Font Face

Reading Theme

Default Theme (White)
You need to Log In or Sign Up to have your customization saved in your Literotica profile.
PUBLIC BETA

Note: You can change font size, font face, and turn on dark mode by clicking the "A" icon tab in the Story Info Box.

You can temporarily switch back to a Classic Literotica® experience during our ongoing public Beta testing. Please consider leaving feedback on issues you experience or suggest improvements.

Click here

दिल्ली में बादशाह-सम्राट-रफीक के बीच युद्ध

UPDATE 15

हारने वाले को सजा ​

इस आखिरी शक्तिशाली प्रहार में जिसमे रीमा ने अपना घुटना फिर से परवेज की कमर में मारा था उससे परवेज को जमीन से उछल गया। रीमा के घुटने की कड़ी हड्डी के कारण उसके अंडकोष लगभग कुचल गए और इस वार के कारण परवेज अपने अंडकोष पकड़कर जमीन पर गिर गया। उसे भयंकर दर्द हुआ । वह रोते हुए बुरी तरह से तड़पने लगा और मुझे माफ़ कर दो मेरी जान बक्श दो बोलने लगा ।

जब उन्होंने परवेज को फर्श पर पड़ा हुआ देखा, उनकी पीठ मुड़ी हुई थी और दर्द में उसके गुप्तांगों को जकड़ रखा था। परवेज की ऐसी हालत देख चारों औरतें हंस पड़ीं और मल्लिका बोली कैसा मुर्ख सुलतान हैं ये। बिना सोचे समझे शर्त लगा ली ये पता लगाने की कोई कोशिश ही नहीं की के सामने दुश्मन कौन है कितना ताकतवार है । रीमा बोली और जब पता चला की सामने वाला उससे बहुत ज्याद शक्तिशाली है फिर भी उसके साथ मुक़ाबले में उतर गया ।

सुल्ताना बोली मैंने तो मना किया था शर्त मत लगाओ और रफ़ीक को जब पहली बार देखा था तब भी बोलै था माफ़ी मांग लो, पर सुलतान नहीं माने।

गुलनाज बोली इस सुलतान ने औरतो के चक्कर में अपना मान सामान इज्जत सब दाव पर लगा दिया।

रीमा बोली इसने सोचा था कि रफ़ीक कोई मामूली बंगाली बाबू होगा जिसे ये आसानी से पीट देगा और उस दिन कैसे अपनी डींगे मार रहा था। अब देखो कैसे गिड़गिड़ा कर अपनी जान की भीख मांग रहा है। फिर चारो औरतो हसने लगी । देखो कैसे गिड़गिड़ा रहा है, हाहाहाहा।

ये देख सुन रानी रक्किनी वैरावी ने रीमा को रोका और कहा कि बस इतना काफी है, इसे अब और मारोगी तो वह मर जाएगा। अब बस करो, उसे और मत मारो, शतरंज के खेल में भी में भी राजा को मारना मना होता है। हारने वाले राजा को आप उसे कैद कर सकती हो, सजा दे सकती हैं या अपना गुलाम बना सकती हो।

रीमा ने हंसते हुए कहा, जैसा आपका हुक्म रानी साहिबा "अब वह पंद्रह दिनों तक चल नहीं पाएगा।"

फिर उन्होंने उसे कुछ देर के लिए फर्श पर ऐसे ही लेते रहने दिया, जिससे वह अपने दर्द से उबर सके और परवेज तड़पता हुआ रोटा हुआ वहाँ लेटा रहा ।

कुछ देर बाद जब परवेज का रोना थोड़ा कम हो गया तो वह हाथ जोड़ कर बैठ गया तो परवेज को बैठा हुआ देखने के बाद मल्लिका ने कहा रीमा ऐसा लग रहा था कि कुछ हद तक अब ये और सजा झेलने लायक हो गया है।

फिर रीमा बोली "अब, इस हारे हुए सुलतान को नियम तोड़ने के लिए उसकी सजा देने का समय हो गया है।"

रीमा ने गुलनाज और मल्लिका से कहा कि वह उसे फर्श पर लेटा दें और उसकी बाहे इसके सर के ऊपर पकड़ ले और सुल्ताना को उसके सिर के ऊपर फैली हुई भुजाओं पर बैठने के लिए कहा। उसके ऊपरी धड़ को स्थिर करके, गुलनाज़ और मल्लिका ने उसके पैरों को पकड़ लिया, सुल्ताना उसके हाथो को पकड़ कर उसके ऊपर बैठ गयी और रीमा परवेज की टांगो के बीच चली गई।

रीमा परवेज की टांगों के बीच पहुँच गई और उसके सूजे हुए दोनों अंडकोषो में से एक अंडकोश को-को प्रत्येक हाथ में पकड़ लिया, जब उसे यकीन हो गया कि उसने अपने हाथों से उसके अंडों को पूरी तरह से जकड़ लिया है तो उसने धीरे-धीरे उन्हें दबाना शुरू कर दिया। जब रीमा ने ऐसा किया तो परवेज, जो पहले से ही अपने पैरों के बीच की गयी दर्दनाक पिटाई के कारण दर्द से तड़प रहा था, रोने गिगगिड़ाने और बड़बड़ाने लगा, जबकि उसकी बीबी, मल्लिका और गुलनाज़ विस्मय से रीमा और परवेज देख रही थीं।

"आह, खेलने के लिए दो अच्छे रसगुल्ले," रीमा ने मुस्कुराते हुए अंकोशों को दबाते हुए कहा।

रीमा को परवेज के अंडकोष पर काम करते देख सभी औरते भी गर्म हो रही थी। जैसे ही उसने महसूस किया कि रीमा उसके अंडकोष को दबा कर निचोड़ रही है, जिसके कारण परवेज तब तक चिल्लाते हुए तड़पता रहा जब तक कि उसने अपनी आवाज लगभग खो नहीं दी। वह लगभग दर्द से पागल हो गया था और उसे अपनी मौत नजर आ रही थी क्योंकि रीमा ने उसकी गेंदों पर अपनी मौत की पकड़ बनाए रखी हुई थी। फिर रीमा ने कुशलता से परवेज के अंडकोष के निचले हिस्से पर दबाव बढ़ाया, और तब तक हिंसक रूप से दबाया जब तक कि वे, एक-एक करके, ऊपर की ओर, उसके हाथों से बाहर नहीं निकल गए। यह परवेज के लिए बेहद दर्दनाक था।

फिर उसने परवेज के अंडकोषों को फिर पकड़ लिया और तब तक निचोड़ा जब तक कि उसका अनैच्छिक स्खलन नहीं ही गया।

उसके बाद में रीमा ने परवेज के अंडकोषों की थैली को छोड़ दिया। परवेज बुरी तरह से टूट गया था। जिन औरतो को वह जीत कर प्यार करना चाहता था उन औरतो ने उसे पीटा था और लगभग मार ही डाला था दी थी जिससे उससे उसके टट्टे दर्द से धड़क रहे थे। वह इतना अपमानित कभी नहीं हुआ था।

पर अभी उसके अपमान और पीड़ा का अंत नहीं हुआ था और उसकी ये दर्दनाक पीड़ा खत्म नहीं हुई थी।

अब रफीक आगे बढ़ा और बोला ये तो वह सजा थी जो आपने इस हारने वाले और नियम तोड़ने वाले को दी है अभी इसे मैंने भी सजा देनी है और रफ़ीक ने औरतो को परवेज की बाहों में पकड़ कर बैठाने को कहा।

चारो औरतो ने रफ़ीक की तरफ देखा तो-तो सभी औरतो के होश उड़ गए। रफीका का बड़ा काला लंड पूरी तरह से सीधा और एक हथियार के रूप में खड़ा था। रफीक का लण्ड उसके राजसी पेशीय-शरीर से उछलकर हवा के बीच में ठुमुक कर फुफकारने लगा। रफ़ीक का लंड इतना बड़ा था कि ऐसा लगता था कि वह जीवंत है और दिल की धड़कन से धड़क रहा है, एक खतनाक औजार की तरह सीधा, डरावना और काले तलवार या भाले की तरह जो एक फुट या बारह अंगुलीयों से अधिक लंबा था।

इतना कहकर रफीक परवेज की छाती पर बैठने के लिए उठ खड़ा हुआ और अपने विशाल काला लुंड से उसके चेहरे पर वार करने लगा। उसने परवेज की बीबी सुल्ताना से उसके बड़े कला लंड का सीधे परवेज के चेहरे पर हस्तमैथुन करवा दिया। जब वह अपने चरमोत्कर्ष पर पहुँचा, तो सुल्ताना ने दूसरे हाथ की दो अंगुलियों से परवेज का मुंह खोल दिया, जिससे रफीक के अधिकांश शुक्राणु परवेज के मुंह में चले गए कुछ शुक्राणु परवेज के होठों पर गिरे, तो सुल्ताना ने अपनी उंगलियों का इस्तेमाल करके रफीक के बचे हुए सभी शुक्राणुओं को परवेज के मुंह में डाल दिया। परवेज, जो एक अवधी सुलतान था, इससे पहले कभी इतना अपमानित निराश या कमजोर नहीं हुआ था।

तब रफीक ने सुल्ताना से कहा कि वह परवेज के चेहरे पर उसका लंड फिर से लगाए. रीमा और गुलनाज को उसका चेहरा स्थिर रखने के लिए कहा।

"अब मैं इस हरामज़ादे को पिशाब-खोर बनाने जा रहा हूँ," रफीक ने कहा। इतना कहकर वह परवेज के मुंह में पेशाब करने लगा और पराजित प्रतिद्वंद्वी के मुंह में धार मार दी, और उसे यह सब पीने के लिए कहा। परवेज को रफीक का पिशाब पीते देख चारों बेगमे हंस पड़ीं।

जारी रहेगी

Please rate this story
The author would appreciate your feedback.
  • COMMENTS
Anonymous
Our Comments Policy is available in the Lit FAQ
Post as:
Anonymous