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Click hereराधा रानी उर्फ जूही ठाकुर साहब के कमरे में आलीशान बेड पर आराम की मुद्रा में थी।
कमरे की आलीशान सजावट देख कर उसका मन खुश हो रहा था।
शायद उसे लग रहा होगा कि अब वो ही इस आलीशान कमरे की स्वामिनी है...बेचारी!
(सोचने दो,हमारा क्या जाता है!)
कमरे की सज्जा आकर्षक थी ।
उसे देख कर ठाकुर(जमींदार)की समृद्धि का अंदाज़ा लगाया जा सकता था।
जूही(राधा) के मन में यही ख्याल आ रहा था कि जो प्रस्ताव आज उसने ठाकुर के सामने रखा था,क्या वह सही था?
इससे उसकी ज़िंदगी कितनी प्रभावित होगी?
इस दुस्ट,कामुक बूढ़े ठाकुर की सेक्सुअल कामनाओं पर तो उसने रोक लगाने को no सेक्स का जो ऑफर दिया था, वह भविष्य में कितना लाभ कारी होगा?
अभी धीरे धीरे निद्रा उस सुंदर लड़की को अपने आगोश में लेती तभी रूम के दरवाजे के खुलने की आवाज आई।
जूही जाग गई।
निद्रा भाग गई।
रूम में एक अधेड़ उम्र की औरत का प्रवेश हुआ।
जूही (राधा) उठ कर बैठ गई।
औरत के पीछे कुछ और महिलाओं का प्रवेश था।
पहले,जिसने प्रवेश किया था,वह मोटी सी महिला थी।
उसका पहनावा भी थोड़ा सभ्य था।
ऐसे लग रहा था कि वह औरत इस हवेली में कोई विशेष महत्व रखती है।
उसके पीछे की आयी हुई औरते नयी थीं लेकिन चुप थीं।
राधा रानी उर्फ जूही समझ ग्यी कि वे नौकरानियां हैं और उस औरत के साथ किसी कार्य हेतु आईं हैं।
राधा रानी उर्फ जूही उठकर बैठ गई।
मोटी औरत ने जूही को उठा देखा तो उसने साथ खड़ी महिलाओं को बाहर निकलने का इशारा किया।
औरतें चुप चाप बाहर निकल गई।
मोटी औरत ने जूही (राधा) की ओर देख कर कहा--
"आप जग गई।अच्छा है!"
उसकी आवाज़ अजीब सी भारी थी।
राधा ने सोचा-- मोटी औरत, मोटी आवाज़।
राधा मन ही मन मुस्कुराई।
मोटी औरत ने फिर कहा ---
"आपने कुछ आराम कर लिया,यह भी अच्छा है।"
राधा यानी अपनी नायिका जूही अब रोक नहीं सकी।
बोली --
"क्यों
कुछ विशेष है क्या?"
"जी, राजकुमारी जी! विशेष बात है। तभी तो आपके आराम को डिस्टर्ब करने का अपराध कर रही हूं।''
'बोलो!'
राधा(जूही ) ने अधिकार पूर्वक कहा।
"राजकुमारी जी!ठाकुर साहब ने आपको तैयार होने और खूबसूरती से श्रृंगार करने का हुक्म दिया है और इस की जिम्मेवारी सौंपी है मुझे!"
"क्यों? मुझे आए हुए एक दिन भी नहीं हुए।"
आश्चर्य से राधा ने कहा।
"ठाकुर साहब का आदेश! राजकुमारी जी। हम लोग केवल आदेश पालन के लिए हैं।और आप भी।''
मोटी औरत ने कहा।
राधा ने कहा --
"मैं साधारण लड़की हूं। मुझे रानी न कहो।''
"आप ठाकुर साहब की ब्याहता नहीं हैं और न ही मेहमान। उमर में बेटी लगेंगी,लेकिन बेटी बन के तो आई नहीं हैं और न ठाकुर साहब बेटी मानते हैं।
तो अभी आप राजकुमारी के ही दर्जे में हैं हमारे लिए।"
फिर मोटी औरत ने आदेश दिया --
"राजकुमारी जी का सुन्दर श्रृंगार करो ताकि देखने वाले उनके रूप को निहारते रहे।"
''मैं अच्छी लग रही हूं।'' राधा(जूही ) ने कहा, विरोध किया।
''ये तय करने का अधिकार आपको नहीं है। ठाकुर साहब ये तय करेंगे। उन्होंने आपका श्रृंगार करने को कहा है और हमे ये करना पड़ेगा।''
मोटी औरत ने तेज आवाज में बोला।
''तो ठीक है!लेकिन इस कमरे में मेरा अधिकार है। तुम भेजो अपने डिजाइनर को। मैं तैयार होती हूं लेकिन तुम जाओ। मैं बोर हो गई हूं।''
मोटी औरत,राधा(जूही ) के तेज स्वर में डपटने के बाद, वो मोटी औरत चली गई।
राधा अकेले उस कमरे में थी ।
दरवाजे पर दस्तक हुई। युवा लड़की थी, गांव की ही।
श्रृंगार करने हेतु।
राधा ने अनुमति दी।लेकिन पूछा कि कौन है ये मोटी औरत?
उस युवा लड़की ने कहा कि वो ठाकुर साहब की सबसे ख़ास और महल की सबसे ऊंची दर्जे की है।
युवा कन्या राधा रानी उर्फ जूही का सृंगार कर रही युवा लड़की ने मुझसे कहा था कि मुझे इससे कम बोलना चाहिए।
उसके अनुसार --मुझे इससे बना कर ही रहना चाहिए और रहना होगा।
जूही (राधा) यही सोच रही थी।
तभी फिर से मोटी औरत का प्रवेश रूम में होता है।
इस बार उसके पीछे भी एक अन्य महिला थी लेकिन वह भी अधेड़ उम्र की थी।
वह जूही (राधा) के लिए नयी थी
उसके हाथ में एक बड़ा सा थाल था जिस पर एक सुनहरे रंग का कपड़ा पर्दे के जैसा था।
थाल में क्या था? ; राधा जुही ने सोचा।
"राजकुमारी जी!"
मोटी औरत की मोटी आवाज़ फिर से।
"ठाकुर साहब का आदेश है कि आप अपने कपड़े बदल कर नए कपड़े पहन लीजिए।फिर यदि आपके श्रृंगार में कोई कमी हो तो नौकरानियां आ के सुधार देंगी।"
जूही चावला अब तक वहीं गुलाबी साड़ी पहने थी जो सुबह तैयार हो के आई थी।
श्रृंगार भी साड़ी पर ही हुआ था।
अब बूढ़े ठाकुर का हुक्म हुआ था कि कपड़े बदलो।
सही भी था।
आखिर बूढ़ा उस सस्ती साड़ी में अपनी प्रिय.... को कैसे देख सकता था?
प्रिय? क्या?
जूही चावला ने सोचा।
::अभी मै क्या हूं? रखैल तो नहीं?देखा जाय,ठाकुर बूढ़ा क्या भूमिका सोच रहा है::
उसकी तंद्रा मोटी के आवाज़ से टूटी।
"राजकुमारी"
"हां"
जूही चावला बोली।
"रख दो।मै कपड़े बदल लेती हूं।"
मोटी ने साथ आई सहायिका को जाने का इशारा किया।
थाल रख कर मैड चली गई।
जूही चावला ने थाल के सुनहरे पर्दे को हटाया।
देखा --
उसकी तंद्रा मोटी के आवाज़ से टूटी।
"राजकुमारी"
"हां"
जूही चावला बोली।
"रख दो।मै कपड़े बदल लेती हूं।"
मोटी ने maid को जाने का इशारा किया।
थाल रख कर मैड चली गई।
जूही चावला ने थाल के सुनहरे पर्दे को हटाया।
देखा --
उसमे लाल रंग का लहंगा और backlesh ब्लाउज टाइप चोली थी।
उसने उसे उठाया।
नीचे सुनहरे रंग का एक और बैग टाइप कुछ था।
जूही चावला,(राधा) ने उसे खोला।
उसमे एक सुनहरा गिफ्ट टाइप कागज था।
जूही ने उसे भी खोला तो पाया कि --
एक ग्रीन रंग की **पैंटी** थी।
उस पर कुछ कढ़ाई भी थी।
"ये क्या है",•राधा ने कागज को उठाया और ••पैंटी ••को बाहर निकाला। हरे रंग की पैंटी थी और उस पर सुंदर सी डिजाइन बनी हुई थी।कपड़ा बड़ा सॉफ्ट था।
"ये...." राधा के चेहरे पर प्रश्न वाचक भाव थे,?
" हैरान न हो! राजकुमारी जी।"
मोटी औरत के चहरे पर मुस्कान थी।
"आप तो पढ़ी लिखी है।नहीं जानती!ये ठाकुर साहब का आपको दिया खास तोहफा है।"
"तोहफा"!
हमारी कहानी की नायिका जूही के चेहरे पर आश्चर्य के भाव थे।