मेरी बेगमे और मेरी महबूबाएं 31

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गालो पर कश्मीरी सेबो की लाली​
1.2k words
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193
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Part 32 of the 47 part series

Updated 10/30/2023
Created 09/04/2021
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मजे-लूट लो जितने मिले

सातवा अध्याय-मेरी बेगमे और मेरी महबूबाएँ

भाग- 31

गालो पर कश्मीरी सेबो की लाली​

इनायत की उम्र करीब 24 साल की और 38D: 28: 37 की फिगर है। कश्मीरी औरतो की तरह दूध-सी गोरी त्वचा और गाल कश्मीरी सेबो की लाली लिए हुए हैं और इनायत की गोल-गोल ठोस बूब्स, सारा से भी बड़े थे और एक दम टाईट थे। मैंने अपने और जरीना के निकाह में इनायत को एक बार देखा था और तब निकाह से पहले इनायत छरहरे बदन की थी परन्तु निकाह के बाद चुदाई से उसका बदन पूरी तरह से भर गया था। लेकिन उसका पेट अभी भी सपाट था और जिस्म भर गया था। वह सारा से कद में थोड़ी छोटी लेकिन सारा की ही तरह खूबसूरत और सेक्सी थी।

कोई हैरानी की बात नहीं थी की अब्दुल इनायत को इतना चाहता था और वह उसकी हर ख्वाहिश पूरी करनी की जी तोड़ कोशिश करता था । अक्सर अब्दुल ये भी कहता था मर्द अपनी जिंदगी अपनी मर्जी से केवल शादी से पहले ही जीता है उसके बाद तो उसकी जिंदगी अपनी बीवी और बच्चो की ही ख्वाहिशो को पूरी करने में बीत जाती है ।

और फिर उस दिन उसने मेरे, सारा औरइनायत के साथ हैदराबाद के बारे में खूब बाते की और मुझसे दक्खन और मालाबार के बारे में बहुत कुछ पुछा और मैंने उसे जितना भी मैं जानता था वह सब बतया और उसे हमारे पास हैदराबाद आने का न्योता भी मैंने दिया और उससे ये भी वादा किया की मैं उन्हें खुद हैदरबाद में चार मीनार, सालार जुंग म्यूजियम,गोलकुंडा का किला, हुसैन सागर झील, मक्का मस्जिद, रामोजी सिटी इत्यादि ले जाऊँगा और फिर उस दिन दिल्ली घूमने का कार्यक्रम बना और हम दिल्ली में लाल किला, चांदनी चौक, जामा मस्जिद, क़ुतुब मीनार पुराना किला वैगरह घूमने गए ।

मैं और सारा भी एक आरसे बाद घूमने निकले थे और सब को बहुत मजा आया ।

रात को उनकी आवाजे आ रही थी।

अब्दुल-नहीं इनायत मुझे जाना ही होगा । काम से सिलसिले में मुझे जयपुर और लुधियाना जाना ही होगा ।

इनायत-मत जाओ न मुझे छोड़ कर । या मुझे साथ ही ले जाओ ।

अब्दुल-नहीं इनायत वहाँ मैं दिन भर काम में मसरूफ रहूँगा और तुम होटल में बोर होती रहोगी । बेहतर है तुम यहाँ अपनी सहेली के पास ही रहो ।

इनायत-अच्छा तो कितने दिन लगेंगे आपको वहाँ?

अब्दुल-अब कई लोगों से मिलना है तो थोड़ा टाइम तो लगेगा पर तुम्हे तो मालूम अहइ मैं तुम्हारे बिना नहीं रह पाता। जल्द से जल्द वापिस आऊंगा ।

इनायत-अच्छा देखो ये जो कपड़े मैंने ख़रीदे हैं उनमे मैं कैसी लग रही हूँ! बताओ न ।

अब्दुल-मेरी जान तुम पर हे कपड़ा जचता है और आखिर तुम हो भी तो जन्नत की हूर और फिर चूमने की आवाजे आयी ।

अब्दुल-इनायत शोर कम करो साथ के कमरे में सब सुनाई दे रहा होगा और आपा क्या सोचेगी।

इनायत-वह कुछ नहीं सोचेगी ।वो भी अभी जवान है और उसे मालूम है यहाँ जवानी का खेल हो रहा है और उसके और मेरे बीच कोई पर्दा नहीं है । आह! जोर से करो और तेज आह!

अब्दुल- और आमिर भाई?

इनायत-कोई कुछ नहीं सोचेगा, दोनों भी वही कर रहे होंगे जो हम कर रहे हैं । कल आपने भी सुनी थी उनकी आवाजे। आआह्ह ओह्ह करो और तेज करो तेज-तेज धक्के मारो ना उफ्फ, अब तुम्हारे बिना पता नहीं कितना तड़पना पड़ेगा। ठप-ठप की आवाज आ रही थी और साथ में इनायत की कराहो की आवाज तेज होती जा रही थी।

इनायत चुदते हुए जोर-जोर से सिसक रही थी। उसका शौहर अब्दुल उसके उपर चढ़ कर उसे चोद रहा था और इनायत से अपनी गांड़ उछाल-उछाल कर उसे पूरा सहयोग दे रही थी। इनायत लंड को जड़ तक अन्दर लेने के लिए उछल रही थी जिससे उन दोनों के जिस्म आपस में टकरा-टकरा कर टप-टप की आवाज पैदा कर रहे थे और अब्दुल उसकी दोनों चुचियों को पकड़ कर मसल रहा था और कस-कस कर धक्के लगाने लगा तो इनायत कराह रही थी ।

" आह तेज और तेज पूरी जोर से और पूरा अंदर करो।

बदल का छोटा और पतला लंड जड़ तक पूरा इनायत की चूत में घुसा हुआ था और उसकी गेंदे बार-बार इनायत की छूट के ओंठो से टकरा रही थी और वह उसे और तेजी से चौदने के लिए कह रही थी।

कुछ मिनट की चुदाई में ही अब्दुल का बदन कांपने लगा तो उसने एक तेज धक्का मारा और इनायत के ऊपर ढेर हो गया। इनायत बोली: " हो गया आपका अच्छा अब मेरा भी कुछ करो ।

अब्दुल बिस्तर पर नंगी पड़ी हुई इनायत की चूत अपनी उंगलियों से मसलने लगा और उसे बूब्स चूसने लगा फिर उसकी दो उंगलियाँ उसकी चूत में घुस गई और इनायत एक बार फिर मस्ती भरी सिसकारियाँ भरने लगी। थोड़ी देर के बाद उसकी चूत झड़ती चली गई और फिर दोनों एक चादर में चिपक कर नंगे लेट गए गये। अब्दुल बहुत जल्दी ही सो गया ।

मैं-सारा तुम्हारी सहेली इनायत और अब्दुल की जोड़ी बहुत मस्त है ।

सारा; वह तो है सारा और अब्दुल दोनों एक दुसरे को काफी समय से चाहते थे और अब्दुल हमारे पड़ोस में ही रहता था और ये मुझसे कम और अब्दुल को देखने के लिए मेरे घर रोज आती थी ।

मैं और अब्दुल?

सारा अरे अब्दुल भी तो इनायत का पुराना आशिक है क्योंकि वह है भी तो इतनी खूबसूरत ।

मैं हाँ सो तो है लेकिन मेरे से कम ही होगा ।

सारा: मतलब तुम भी? तो क्या मैं खूबसूरत नहीं हूँ ।

मैं: अरे मैं तो ये कह रहा था कि मैं तुम्हारा दीवाना हूँ और तुम तो एक बला हो, मुझे तो यकीन ही नहीं होता कि एक इतनी खूबसूरत हसीन लड़की मेरी ज़िंदगी में आई है।मेरी जान मैं तो तुम्हारा दीवाना हूँ।

उसी समय मैंने सारा का एक निप्पल अपनी अँगुलियों में पकड़ कर खींचा तो सारा ने दर्द से बचने के लिये अपने बदन को आगे की और झुका दिया। मैंने सारा के निप्पल को अपने होंठों से छुया और अपने होंठ खोल कर निप्पल को अपने होंठों के बीच दबा लिया। मैं सारा के बूब्स को जोर-जोर से कुछ इस तरह मसलने लगा कि मानो वह उन से दूध निकाल रहा हो। सारा की चूत में भी पानी रिसने लगा।

अब सारा "आआआआहहहहह ऊऊऊऊहहहहह ऊऊऊऊईईईईईई माँआआआआआ उउउफ्फ्फ्फ" जैसी आवाजें निकाल रही थी। चुसाई और चुदाई की "फच-फच" की आवाज गूँज रही थी और जो की इनायत के कानो में जा रही थी। मैं बीच-बीच में सारा के बूब्स को मसल देता था। कोई पँद्रह मिनट तक इसी तरह चोदने के बाद मैंने अपना लंड बाहर निकाला और फिर सारा की घोड़ी बना दिया पीछे से अपना लंड चूत में डाल दिया और बूब्स को मसलता हुआ धक्के मार उसे-उसे चोदने लगा। सारा कई बार झड़ चुकी थी। काफी देर तक इसी तरह चुदाई चलती रही। कुछ देर में मैंने अपना ढेर सार पानी सारा की चूत में झाड़ दिया। मेरे साथ-साथ सारा का भी चूत-रस निकल गया।

हमारी चुदाई की आवाजे सुन इनायत के गाल जो कश्मीरी सेबो की लाली लिए हुए थे सुर्ख लाल हो गए और उसने अपनी उंगलिया अपनी चूत में घुसा दी और आगे पीछे करने लगी और दुसरे हाथ से निपल मसलते हुए वह भी झड़ गयी और सो गयी।

जारी रहेगी

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