औलाद की चाह 120

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तिलचट्टा कहाँ गया.
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Part 121 of the 282 part series

Updated 04/27/2024
Created 04/17/2021
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औलाद की चाह

CHAPTER 7-पांचवी रात

फ्लैशबैक

अपडेट-16

तिलचट्टा

सोनिआ भाभी ने अपनी रजोनिवृति के बाद की आप बीती बतानी जारी रखी...

सोनिआ भाभी-आदमी लाख चाहे वही होता है, जो मंजूर-ए-खुदा होता है! मैंने कुछ योजना बनाई थी, लेकिन वह सब बेकार हो गयी। मैंने अपनी बेटी के हनीमून की तस्वीरें नंदू के साथ साझा करने की योजना बनाई थी, जिससे मुझे नंदू को बिस्तर पर लाने में मदद मिलती। हनीमून की तस्वीरें चुनने का कारण यह था कि उस सेट में मेरे दामाद के साथ मेरी बेटी की कुछ अंगप्रदर्शक और अंतरंग तस्वीरें थीं और मैंने सोचा कि उनको देख कर उन पर नंदू की प्रतिक्रिया देखने का यह एक अच्छा अवसर होगा? और मैं इस निकटता का लाभ उठा सकती थी। परंतु?

मैंने गायत्री को खाना बनाने के आवश्यक निर्देश दिए ताकि वह बीच में आकर मुझे डिस्टर्ब न करें और फिर नंदू की ओर चल पड़ी। वह सोफ़े पर लेटा टीवी देख रहा था।

मैं (सोनिआ भाभी) : नंदू, क्या आपने दीदी की शादी की तस्वीरें देखी हैं?

नंदू: हाँ, बिल्कुल मौसी। आपने शादी का एल्बम माँ को भेजा था। क्या आपको कोई याद आया?

मैं (सोनिआ भाभी) : ओह तो आपने उन फोटो को देखा होगा, लेकिन निश्चित रूप से आपने गोवा की तस्वीरें नहीं देखी होंगी।

नंदू: गोवा... गोवा?

मैं (सोनिआ भाभी) : अरे नंदू, तुम भूल गए कि वे हनीमून के लिए गोवा गए थे?

नंदू: ओहो! ठीक ठीक! यह मेरे दिमाग से निकल गया था। वे गोवा गए थे? मैंने उन तस्वीरों को नहीं देखा है।

मैं (सोनिआ भाभी) : फिर टीवी बंद कर मेरे कमरे में आ जाओ।

नंदू ने तुरंत टेलीविजन बंद कर दिया और मेरे पीछे हो लिया। यह जानते हुए कि वह मेरे ठीक पीछे था, मैं धीरे-धीरे और मटक-मटक कर चली और उसे आकर्षित करने के लिए अपने कूल्हों को काफी हिला रही थी। यह भी एक नई गतिविधि थी जो मैं 40 की उम्र में कर रही थी! मेरी चूत में खुजली होने लगी थी, क्योंकि मुझे पता था कि नंदू इस समय निश्चित रूप से मेरी साड़ी से ढकी गांड देख रहा था और चूँकि मेरे कूल्हे गोल, बड़े और काफी उभरे हुए हैं, मुझे लगा कि मैं पीछे से काफी सेक्सी दिख रही हूँ।

मैं (सोनिआ भाभी) : वहाँ बैठो और मैं तुम्हारे लिए एल्बम लाती हूँ।

मैंने नंदू को बिस्तर पर चढ़ते देखा और एहतियात के तौर पर सुरक्षित रहने के लिए मैंने सावधानी पूर्वक दरवाजा बंद कर दिया। उस समय मेरी नौकरानी गायत्री रसोई में थी और इसलिए किसी तरह की गड़बड़ी की संभावना कम थी। लेकिन जैसे ही मैंने अलबम लेने के लिए अलमारी खोली, लाइट चली गयी और ब्लैकआउट हो गया!

मैं: उफ़!

नंदू: अरे नहीं!

ये बिजली कटौती थी! और एक पल के लिए मैं उदास और चिढ़ गयी थी कि नंदू के साथ बिस्तर पर बैठकर कुछ समय बिताने की मेरी योजना विफल हो गई!

गायत्री: बीवी-जी, मैंने माचिस की तीली और मोमबत्ती जलाकर यहाँ रख दी है।

मैंने अपनी नौकरानी को रसोई से चिल्लाते हुए सुना।

मैं (सोनिआ भाभी) : ठीक है गायत्री। मैं यहाँ भी रौशनी की व्यवस्था कर देती हूँ।

अचानक मेरे दिमाग में एक अजीब विचार आया और मैंने उस व्यवधान के लिए तुरंत भगवान को धन्यवाद दिया!

मैं (सोनिआ भाभी) : नंदू, क्या तुम मेरे लिए माचिस ला सकते हो। वह बिस्तर के ठीक बगल में स्टूल पर रखी हुई है।

नंदू: ओह! मौसी लेकिन यहाँ बिलकुल गहरा अँधेरा है। एक सेकंड मौसी! मैं माचिस को ढूँढने की कोशिश करता हूँ,

मैं (सोनिआ भाभी) : जल्दी मत करो, धीरे और ध्यान से नीचे उतरो।

नंदू: ओ? ठीक है मौसी।

मैं नहीं चाहती थी कि नंदू माचिस की डिब्बी तक पहुँचे क्योंकि तब कमरे को आसानी से एक मोमबत्ती की सहायता से रोशन किया जा सकता था और इसलिए मैंने सीधे अपने विचित्र उद्देश्य पर जाने का निश्चय किया।

मैं (सोनिआ भाभी) : आउच! ईईईईईईई! हे भगवान! उह्ह्हओह्ह्ह?

नंदू चौंक गया और बोला।

नंदू: क्या हुआ मौसी? क्या हुआ?

मैं (सोनिआ भाभी) : हाइये! नंदू! यहाँ मेरे शरीर पर एक तिलचट्टा है। उफ्फ! जल्दी आओ और इससे हटाओ? ओह्ह्ह इसे मेरे शरीर से हटाओ!

मैंने अपनी आवाज को नियंत्रण में रखने की पूरी कोशिश की क्योंकि मैं किसी भी तरह से अपनी नौकरानी का ध्यान आकर्षित नहीं करना चाहती थी?

नंदू: ओहो! तिलचट्टा? मौसी जिस तरह से आप चिल्लाई मैं बहुत डर गया था? घबराइए मत मौसी। बस इसे थप्पड़ मारो।

मैं (सोनिआ भाभी) : नंदू? ओई माँ! यह मेरे शरीर पर चल रहा है। मुझे कॉकरोच से बहुत डर लगता है। आप कुछ करो। प्लीईईईज़ मुझे इससे बचाओ नन्दू?।

नंदू: ठीक है, मौसी? डरो मत। बस एक मूर्ति की तरह खड़ी हो जाओ। मैं आपके पास आ रहा हूँ। उफ़ ये अंधेरा?

मैंने अनदाजा लगाया की वह बिस्तर से कूद गया है और मैं उसके लिए चीजों को आसान बनाने के लिए तेजी से कुछ कदम आगे बढ़ी और इस अवसर का भरपूर फायदा उठाने की कोशिश की, मैंने जल्दी से अपनी साड़ी का पल्लू फर्श पर गिरा दिया। अँधेरे में नंदू को वह दिखाई नहीं दिया।

नंदू: मौसी! आप कहाँ हैं? अलमारी के पास?

मैं (सोनिआ भाभी) : नहीं, अलमारी के पास नहीं। तुम्हारे पास।

उसने एक कदम आगे बढ़ाया और लगभग मुझसे टकरा गया। नंदू अब मेरे इतने करीब आ गया था कि मैंने तुरंत उसकी बांह को कस कर पकड़कर उसे साबित कर दिया कि मैं बहुत डरी हुई थी।

मैं (सोनिआ भाभी) : उहुउउउउउ? नंदू, कृपया इस चीज को मेरे शरीर से हटा दो। यह एक ऐसा भयानक एहसास है! मुझे इससे बहुत डर लगता है

नंदू: लेकिन मौसी, इतने अँधेरे में मुझे कैसे पता चलेगा कि तिलचट्टा कहाँ है?

मैं उसके शरीर की गंध महसूस कर सकती थी कि नाडु उस समय मेरे बहुत करीब था।

नंदू: ओह! यह क्या है? जमीन पर?

मैं (सोनिआ भाभी) : यह मेरी साड़ी है बाबा! कॉकरोच को बाहर निकालने के चककर में नीचे गिर गया है। उइइइइइइइ?। यह बदमाश कॉकरोच फिर से आगे बढ़ रहा है बचाओ नंदू

नंदू: मौसी कहाँ? कहाँ है?

मैं (सोनिआ भाभी) : उउउउउउउउ? यह अब मेरे ब्लाउज पर है।

जारी रहेगी

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