अम्मी बनी सास 078

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अम्मी की जरूरतो का एहसास.
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Part 78 of the 92 part series

Updated 06/10/2023
Created 05/04/2021
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अम्मी बनी सास

PART 078

अम्मी की जरूरतो का एहसास

शाज़िया तो कभी अपने ख्वाब में भी अपनी अम्मी से इस किसम की हरकत की तवक्को नही कर सकती थी। इसीलिए अपनी खुली आँखों से अपने सामने अपनी अम्मी को यूं अपनी फुद्दि की रगड़ते देख कर शाज़िया का मुँह हैरत के मारे खुले का खुला रह गया।

"इस का मतलब है कि ये अम्मी ही थी जो उस दिन मुझे और ज़ाहिद को चुदाई करते देखती रही है ।" शाज़िया के जेहन में दूसरा ख्याल आया।

"अच्छा तो ये बात है कि मेरे गर्भ ठहरने के बाद ज़ाहिद भाई और अम्मी अब एक दूसरे के लिए गरम होने लगे हैं ।" अपने भाई/शोहर को यूँ अपनी अम्मी की मोटी गान्ड के लिए, और फिर अपनी अम्मी को अपने जवान बेटे के लंड के लिए आज पहली बार यूँ इतना गरम होता देख कर शाज़िया को अपनी अम्मी से एक जलन सी महसूस हुई और शाज़िया बे इंतिहा गुस्से में आ गई।

हर शादी शुदा औरत की तरह शाज़िया भी अपने शोहर/भाई को किसी भी दूसरी औरत के साथ शेयर करना किसी हाल में भी कबूल नही कर सकती थी। चाहिए वो दूसरी औरत उस की अपनी सग़ी अम्मी ही कियूं ना हो।

इसीलिए शाज़िया अब कमरे के बाहर खड़ी गुस्से में लाल पीली हो रही थी।

"इस से पहले कि में गुस्से में आ कर कुछ ग़लत काम कर बैठू, मुझे इधर से हट जाना चाहिए ।" शाज़िया ने अपने गुस्से को अपने दिमाग़ में काबू करते हुए सोचा। और दबे पावं चलती हुई किचन की तरफ चली गई।

दूसरी तरफ ज़ाहिद को कोर्ट जाने में देर हो रही थी। इसीलिए उस ने भी जल्दी से अपनी चाय ख़तम की और अपनी शर्ट पहन कर बाहर निकल गया।

जब कि इस दौरान रज़िया बीबी भी स्टोर से निकल कर अपनी पानी छोड़ती चूत को सॉफ करने के लिए बाथरूम में घुस गई।

उस रात रज़िया बीबी तो अपने बिस्तर पर लेटते ही सो गई। मगर दिन में पेश आने वाले वाकये की वजह से आज की रात नींद तो शाज़िया की आँखों से जैसे बहुत दूर भाग गई थी।

शाज़िया इस वक्त गुस्से से भरी हुई अपने बिस्तर पर लेट कर बार बार करवटें बदल रही थी। और उस के दिमाग़ में इस वक्त कई तरह की सोचें एक साथ जनम ले रहीं थी।

अपनी इन ही सोचो में गुम हो कर शाज़िया को अपने और अपने भाई ज़ाहिद के दरमियाँ शादी से पहले होने वाली बात चीत याद आ गई।

शाज़िया को अपने भाई से अपनी जहली शादी से पहले ये डर लगा हुआ था। कि कहीं ज़ाहिद उस से शादी के बाद भी उस की सहेली नीलोफर से भी अपने ताल्लुक़ात कायम ना रखे।

इसी लिए शाज़िया ने अपने भाई से वादा लिया था। कि ज़ाहिद उसे अपनी बीवी बनाने के बाद नीलोफर से किसी किस्म के जिस्मानी ताल्लुक़ात कायम नही रखे गा।

अपने भाई से अपनी झेली शादी के बाद शाज़िया अपने भाई ज़ाहिद के वादे पर यकीन करते हुए अपने शोहर/भाई के प्यार में पूरी तरह अंधी हो गई थी।

फिर अपनी सहेली नीलोफर के मलेशिया चले जाने के बाद शाज़िया ने तो अब कभी इस बात का तसव्वुर भी नही किया था । कि उस का भाई ज़ाहिद उस से अब कभी बे वफ़ाई करे गा।

लेकिन आज जब से शाज़िया ने अपनी आँखों से अपने भाई के लंड को अपनी ही सग़ी अम्मी रज़िया बीबी के लिए खड़ा हुआ देखा था। तो उस वक्त से ले कर अभ आधी रात तक शाज़िया के दिल में ज़ाहिद के बारे में बे इंतिहाई गुस्सा जब कि अपनी अम्मी से जलन हो रही थी।

"मेरा बॅस चले तो में या तो अम्मी को घर से निकाल दूं, या फिर खुद भाई ज़ाहिद को साथ ले कर अलग घर में मूव हो जाऊ ।" गुस्से में अपने दाँतों को पीसती हुए शाज़िया के दिल में ख्याल आया।

आज अपनी अम्मी रज़िया बीबी को अपने ही बेटे ज़ाहिद के लिए गरम हो कर यूँ अपनी फुद्दि पर अपना हाथ रगड़ते हुए देख कर शाज़िया को अपनी अम्मी से जैसे नफ़रत सी होने लगी थी।

मगर इस के साथ शाज़िया के दिमाग़ में वो वक्त आ गया। जब उस के मेरहूम अब्बू की लाश उन के घर में आई थी।

शाज़िया सोचने लगी कि उन की अम्मी रज़िया बीबी उस वक्त जवान ही थी। जब उस के अब्बू पोलीस मुक़ाबले में गोली लगने से मर हो गये थे।

अगर उस की अम्मी रज़िया बीबी चाहती। तो अपने शोहर की वफात के बाद या तो दूसरी शादी कर लेती। या फिर अपनी जवानी की आग को बुझाने के लिए किसी गैर मर्द का सहारा ढूंड सकती थी।

मगर उस की अम्मी ने अपनी जवानी के जज़्बात को भुला कर अपना ध्यान सिर्फ़ और सिर्फ़ अपने बच्चो की परवरिश पर कर दिया था।

"उफफफफफफफफफफ्फ़! मेने आज तक इस बारे में तो कभी सोचा तक नही?" ज्यों ही शाज़िया के दिल में अपनी अम्मी की गुज़शता ज़िंदगी के बारे में ये ख्याल आया, तो शाज़िया के दिल में अपनी अम्मी के मुतलक जनम लेने वाला गुस्सा थोड़ा कम पड़ने लगा।

इस के साथ ही साथ शाज़िया को अपनी तलाक़ के बाद का वक्त भी याद आने लगा।

अपनी तलाक़ के बाद शाज़िया को अच्छी तरह अंदाज़ा हो गया था। कि एक जवान औरत के जिस्म की आग कितनी शदीद होती है ।

जवान जिस्म और चूत की ये आग एक औरत को रात की तेन्हाई में कैसे और कितना तंग करती है। ये बात शाज़िया बहुत अच्छी तरह जान चुकी थी।

"अपनी अम्मी पर गुस्सा होने से पहले, तुम वो वक्त याद करो शाज़िया, जब तुम्हें अपनी तलाक़ के बाद एक जवान लंड की शदीद तलब हो रही थी, उस टाइम नीलोफर के साथ साथ अगर तुम्हारी सग़ी अम्मी तुम्हारी हेल्प ना करतीं, तो तुम्हारे अपने ही सगे भाई का इतना मोटा और सख़्त लंड कभी नसीब ना होता ।" शाज़िया के जेहन में ये ख्याल आया। तो शाज़िया को अपनी अम्मी के मुतलक अपनी सोचो पर खुद से शरम आने लगी।

"अभी तो मेरा हमाल ठहरे एक महीना भी नही हुआ और फुद्दि के बगैर ज़ाहिद भाई की हालत खराब होने लगी है, अगर ये ही हालत रही और मेरा बच्चा होने तक ज़ाहिद भाई ने बाहर किसी दूसरी औरत से अपने ताल्लुक़ात कायम कर लिए तो फिररर्र्र्र्र्ररर?" शाज़िया चूँकि अपनी ज़िंदगी में एक दफ़ा तलाक़ का लेबल अपने माथे पर लगवा चुकी थी।

इसीलिए अब दुबारा एक मोटे और मज़बूत लंड से दूर होने का तसव्वुर भी शाज़िया के लिए मोहाल था। इसी लिए शाज़िया इस बात को सोच कर ही कांप गई।

"अगर में अपनी जवानी की आग के हाथों मजबूर हो कर अपनी जवानी अपने ही भाई को सोन्प सकती हूँ, तो फिर ये ही काम अगर मेरी अम्मी अपने सगे बेटे से कर ले तो इस में हरज ही क्या है, वैसे भी चूत तो चूत होती है, चाहे वो बहन की चूत हो या अम्मी की, और लंड तो लंड ही होता है, चाहे वो सगे भाई का हो या सगे जवान बेटे का!" शाज़िया अपने भाई से शादी के बाद ज़ाहिद से एक पल की जुदाई भी बर्दाश्त नही कर सकती थी।

और अब ये अपने भाई ज़ाहिद से जुदाई का ख़ौफ़ ही था। जिस ने शाज़िया को अब अपनी ही सग़ी माँ को अपने ही भाई/शोहर से शेयर करने पर आमादा कर लिया था।

शाज़िया के दिल और मन ने ज्यों ही इस ख्याल ने जनम लिया। तो इस ख्याल को अपने जहाँ में लाते ही शाज़िया की मोटी फुद्दि नीचे से गरम होने लगी।

"हाईईईईईईईई! अगर मेरा भाई मेरी फुद्दि में अपना लंड डाल कर मुझे अपनी बीवी का दर्जा दे सकता है, तो फिर वो अम्मी को चोद कर उन्हे मेरी सौतन भी बना सकता है ।" अपनी ही सग़ी अम्मी को अपनी सोतन बनाने का ख्याल दिल में आते ही शाज़िया की चूत इतनी गरम हुई। के बिना हाथ लगाए शाज़िया की चूत ने अपना पानी छोड़ दिया।

ज्यों ही शाज़िया की चूत ने अपनी पानी छोड़ा। तो शाज़िया को यूँ लगा जैसे अपने भाई ज़ाहिद के लिए उस का दिल में भरा हुआ गुस्सा । और अपनी अम्मी रज़िया बीबी के लिए उस के दिल में जनम लेने वाली नफ़रत और जलन उस की चूत के पानी के साथ बह कर उस के जिस्म से बाहर निकल गई हो।

आज अपनी चूत को छुए बगैर ही अपनी फुद्दि के पानी को यूँ रिलीस करने का ये तजुर्बा इतना अच्छा था। कि शाज़िया फॉरन अपने आप को पुरसकून महसूस करने लगी। जिस की वजह से वो चन्द लम्हों में ही मीठी नींद सो गई।

दूसरे दिन जब शाज़िया सो कर उठी तो वो अपने आप को बहुत हल्का फूलका महसूस कर रही थी। मगर इस के साथ साथ शाज़िया को अभी तक ये समझ नही आ रहा थी। कि वो रात अपने ज़हन में आने वाले ख्याल को अमली जामा कैसे और कब पहना सके गी।

नीद से फ्री होने के बाद शाज़िया कुछ देर बिस्तर पर पड़ी ये ही बात सोचती रही। जब शाज़िया के जहाँ में कोई आइडिया ना आया। तो उस ने उठ कर सब से पहले नाश्ता करने का सोच लिया।

नाश्ते से फारिग होने के बाद शाज़िया ने सोचा कि क्यों ना आज वो अपने, ज़ाहिद भाई और अम्मी के कपड़े धो ले।

शाज़िया ने पहले अपने और अपने भाई के कपड़े इकट्ठे किए और उन को उठा कर बास्केट में रखा। और फिर वो अपनी अम्मी के कमरे में आ कर अपनी अम्मी रज़िया बीबी के गंदे कपड़ों को उठा उठा कर गंदे कपड़ों की टोकरी में डालने लगी।

जब शाज़िया अपनी अम्मी के एक एक कपड़े को टोकरी में रख रही थी। तो उसे अपनी अम्मी का देसी स्टाइल का एक सफेद (वाइट) ब्रेज़र नज़र आया। जो कि काफ़ी दफ़ा इस्तेमाल होने की वजह से अब काफ़ी पुराना हो चुका था।

"एक तो अम्मी की समझ नही आती, ना जाने क्यों वो अपने लिए नये अंडर गारमेंट्स खड्रीदना पसंद नही करतीं ।" अपनी अम्मी का ये पुराना ब्रेज़ियर देख कर शाज़िया ने सोचा।

"मेने आज बाज़ार तो जाना ही है, इसीलिए में खुद आज अपनी अम्मी के लिए कुछ नये ब्रेज़र्स और पॅंटीस खदीद लूँगी ।" शाज़िया ने अपनी अम्मी के उस पुराने ब्रेज़ियर को ढोने की बजाय उठा कर ट्राश की बास्केट में फैंकते हुए सोचा। और उस के बाद वो बाकी के कपड़े ढोने में मसरूफ़ हो गई।

शाम को जब ज़ाहिद घर वापिस आया तो शाज़िया अपने भाई ज़ाहिद को साथ ले कर शॉपिंग करने निकल पड़ी।

ज़ाहिद अपनी बहन शाज़िया को ले कर रावलपिंडी के सदर बाज़ार में आया। और उस ने एक बहुत बड़े शॉपिंग स्टोर के सामने अपनी मोटर साइकल पार्क कर दी।

मोटर साइकल को लॉक करने के बाद दोनो बहन भाई एक साथ उस शॉपिंग स्टोर के अंदर चले गए ।

"अब बताओ क्या लेना है मेरी जान ने?" स्टोर में एंटर होते ही ज़ाहिद ने अपनी बहन शाज़िया से सरगोशी की।

"भाई मुझे कुछ नये अंडर गारमेंट्स और चन्द और चीज़े लेनी हैं ।" शाज़िया ने आहिस्ता से अपने भाई की बात का जवाब दिया।

ज़ाहिद ने स्टोर में काम करने वाले एक आदमी से लॅडीस सेक्षन का पूछा? और फिर अपनी बहन को साथ ले कर स्टोर की उपर वाली मंज़ल पर बने हुए लॅडीस सेक्षन में चला आया।

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