गाँव की गोरी और डॉक्टर

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थोड़ी देर के बाद मैंने 69 की पोजीशन ले ली तो उसे मेरे काम अंगों और आस पास तक पूरी पहुँच मिल गयी, अब वो मेरे चूतड़ भी चाटने लगी मैंने भी गांड का छेद उसके मुँह पर रख दिया।

उसने बड़े प्यार से मेरे चूतड़ को हाथों में लिया और मेरी गांड के छेद पर जीभ से चाटा। इस बीच मैंने भी उसकी चूत को अपनी जीभ से चाटा और चोदा।

पर वाकयी उसकी चूत बड़ी कसी थी जीभ तक भी नहीं घुस पा रही थी उसमें ... एक बार तो मुझे भी लगा कि कहीं वो मर ना जाए मेरा लण्ड घुसवाते समय!

फिर मैंने उसे पलट कर के उसके बड़े बड़े गोल गोल चूतड़ भी चूसे और चाटे।

अब गोरी बड़े ज़ोर ज़ोर से सिसकारी भर रही थी और बीच बीच में चिल्ला भी उठती थी। वो मेरे लण्ड को दोनों हाथों से पकड़े हुए थी और अब काफ़ी ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगी थी- डॉक्टर साहब, चोद दो मुझे ... चढ़ जाओ मेरे ऊपर ... घुसा दो डॉक्टर साहब! दया करो मेरे ऊपर, नहीं तो मैं मर जाऊँगी।

"चाहे मैं मर ही जाऊं पर अपना ये मोटा सा लोहे का डंडा मेरे अंदर डाल दो।"

"देखो साहब मेरी कैसी लाल हो गई है गर्म होकर! इसकी आग ठंडी कर दो साहब अपने हथौड़े से।"

"वाह! क्या मर्दाना मस्त लण्ड है डॉक्टर साहब आपका ... कोई भी लड़की देखते ही मतवाली हो जाए और अपने कपड़े खोलकर आपके बिस्तर पर लेट जाए. आओ साहब, आ जाओ घुसा दो उफ़्फ़!"

मेरा लण्ड भी अब कामुकता की सारी हदें पर कर चुका था, मैं उसकी टांगों के बीच में बैठा और उसकी टांगों को हवा में भी शेप की तरह पूरी खोल कर उठाया और फिर उसकी कमर पकड़ उसकी चूत पर अपने लौड़े को रखा और आहिस्ता से पर ज़रा कस कर दबाया।

गोरी की कुंवारी चूत इतनी चिकनी थी कि लण्ड का सुपारा तो घुस ही गया और साथ ही गोटी की चीख निकली- आह मर ररर... मर गई डॉक्टर साहब!

"घबराओ नहीं मेरी जान!" और मैंने लण्ड को हाथ से पकड़ थोड़ा और घुसाया।

वो मुझे धक्का देने लगी, वो चिल्ला भी रही थी दर्द के मारे। तब मैं उसे ज़बरदस्ती नीचे पटक कर उस पर लेट गया। अपनी छाती से उसके बूब्स को मसलते मसलते आधे घुसे लण्ड को एक ज़बरदस्त शॉट मारा।

वो इतनी ज़ोर से चीखी जैसे किसी ने मार ही डाला हो! उसका शरीर भी तड़प उठा और उसने मुझे कस कर जकड़ भी लिया था। मेरे लण्ड का क़रीब 6 इंच अंदर घुसा हुआ था। और शायद उसकी कौमार्य की झिल्ली जो तनी हुई थी और अभी फटनी बाक़ी थी।

थोड़ी देर बाद जब वो शांत सी हुई तो बोली- डॉक्टर साहब, मुझे छोड़ दो, मैं नहीं सह पाऊँगी आपका लण्ड।

मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रखे और एक ज़बरदस्त चुम्बन दिया जिसमें उसके कठोर बूब्स बुरी तरह कुचल गये थे।

उसकी लंबी बांहों ने एक बार फिर मुझे लपेट लिया और उसकी टांग भी मेरी टांगों से लिपट रही थी जैसे ठीक से चुदने के लिए पोजीशन ले रही हो।

थोड़ी देर में जब मुझे लगा कि वो दर्द भूल गई है तो अचानक मैंने लण्ड को थोड़ा सा बाहर निकालते हुए एक भरपूर शॉट मारा। लण्ड का यह प्रहार इतना शक्तिशाली था कि वो पस्त हो गई, एक और चीख के साथ एक हल्की सी आवाज़ के साथ उसका कौमार्य आज फट गया था, शादी के एक साल बाद वो भी एक दूसरे मर्द से और इस प्रहार से उसका ओर्गास्म भी हो गया।

उसकी चूत से रस धार बह निकली और बूरी तरह हाँफ़ रही थी।

अब गोरी की चूत पूरी लसीली थी और मैं अभी तक नहीं झड़ा था, मैंने ज़ोरदार धक्कों के साथ उसे चोदना शुरू किया, उसकी टाइट चूत की दीवारों से रगड़ ख़ा के मेरा लण्ड छिल जा रहा था।

लेकिन मैं रुका नहीं और उसे बूरी तरह चोदता रहा।

फिर मैंने लण्ड उसकी चूत से खींच लिया और लण्ड एक आवाज़ के साथ बाहर आ गया सोडा वाटर की बोतल खोली हो।

मैंने उसे डॉगी स्टाइल में कर दिया और पीछे से लण्ड उसकी चूत में डाल उसे चोदने लगा। अब गोरी भी मस्ती में आ गई और मुझे ज़ोर से चोदने के लिए उकसाने लगी- चोदो मुझे डॉक्टर साहब, फाड़ दो मेरी! डॉक्टर साहब, छोड़ना मत मुझे... बुरी तरह फाड़ दो मुझे! और ज़ोर से चोद दो मुझे ... मैं दासी हूँ आपकी! आपकी सेवा करूँगी, रोज़ रात दिन आपके सामने बिल्कुल नंगी होकर रहूंगी, "आपके लिए हमेशा तैयार रहूंगी और जब जब आपका लण्ड चाहेगा तब तब चुदवाने के लिए आपके बिस्तर पर लेट जाऊँगी। पर मुझे ख़ूब चोदो साहब ... और ज़ोर से ... और तेज़ी से चोदो साहब।

उस रात मैंने गोरी को दो बार चोदा।

दूसरे दिन दोपहर में ठकुराईन क्लिनिक में आ गई, मैंने उसे बताया कि चेकअप हो गया है और शाम तक छोटा सा ऑपरेशन हो जाएगा और कल आपकी बहू आपके घर चली जाएगी।

ठकुराईन संतुष्ट होकर वापस हवेली चली गई.

आज रात गोरी ख़ुद उतावाली थी कि कब रात हो। उसे भी पता था कि कल उसे वापस हवेली चले जाना है और आज की रात ही बची है सच्चा मज़ा लूटने का। उसने आज कामवासना में मैंने जैसा चाहा वैसे करने दिया। एक दूसरे के अंगों को हम दोनों ख़ूब चूसा, प्यार किया, सहलाया और जी भर के देखा।

फिर मैंने गोरी को तरह तरह से कई पोज़ में चोदा। साथ में आने वाले दिनों में उसे अपने ससुराल में कैसे रहना है और क्या करना है सब समझा दिया।

दूसरे दिन राजन भी शहर से आ गया, मैंने उसे समझा दिया- गोरी का ऑपरेशन हो गया है!

"डॉक्टर साहब गोरी अब माँ बनेगी ना?"

"हाँ पर तुम जल्दबाज़ी मत करना ... अभी एक महीने तो गोरी से दूर ही रहना! और हाँ इसे बीच बीच में यहाँ चेकअप के लिए भेजते रहना, यह बहुत सावधानी का काम है!"

राजन ने कुछ असमंजस से हाँ भरी। फिर वह गोरी को ले गया।

गोरी मेरे प्लान के अनुसार बीच बीच में क्लिनिक में आती रही। मैं उसे शाम के वक़्त बुलाता जब गाँव के मरीज़ नहीं होते। रात 8-9 बजे तक उसे रख उसकी ख़ूब चुदाई करता, गोरी भी ख़ूब मस्ती के साथ मुझ से चुदती।

दो महीने बाद गोरी के गर्भ ठहर गया। मैंने गोरी को समझा दिया कि वह राजन से अब चुदवाए। उसकी चूत को तो मेरे लण्ड ने पहले ही भोसड़ा बना दिया था जहाँ अब राजन का लण्ड आराम से चला जाता।

राजन भी बहुत ख़ुश था कि डॉक्टर साहब के कारण ही अब वह अपनी बीवी को चोद पा रहा है, गोरी पहले ही मेरी दीवानी बन चुकी थी।

ठकुराईन को जब पता चला कि गोरी के पाँव भारी हो गये हैं तो उसने क्लिनिक में आ मेरा शुक्रिया अदा किया।

मैं तो ख़ुश था ही और अब किसी दूसरी गोरी की उम्मीद में अपना क्लिनिक चला रहा हूँ।

समाप्त

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1 Comments
momcommomcomover 1 year ago

This is some great story and feels so good to read in hindi language. I liked how doctor opened the virgin pussy.

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