अंतरंग हमसफ़र भाग 126

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लंदन में मस्तिया और उस रात का आखिरी पहर
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Part 126 of the 342 part series

Updated 03/31/2024
Created 09/13/2020
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मेरे अंतरंग हमसफ़र

छठा अध्याय

लंदन में पढ़ाई और मस्तिया

भाग 26

रात का आखिरी पहर

​कुछ परिचारिकायें आयी और उन्होंने हाल में कुछ और चिराग जला दिए । लंदन में गर्मियों में वैसे भी दिन लम्बे और राते बहुत छोटी होती हैं । स्पष्ट संकेत था कि अब जल्द ही सूर्योदय होने वाला है क्योंकि पक्षियों के चहचहाने की एक्का दुका आवाजे आने लगी थी ।

चिंकी आगे झुकी तो उसकी पीठ ऊपर उठ गयी और मैं उसकी योनी देख सकता था: लाल, गीली और खुली हुई। मैं अभी अपना लंड उसके अंदर घुसाना चाहता था। लड़किया का जो दल मेरे पास आया था उनमे से जो सबसे आगे थी उसने देखा मैं सामने चिंकी को बड़े गौर से देख रहा और फिर वह मेरे पास आयी और उसने मेरा लंड पकड़ा और मुझे खड़ा कर दिया और फिर मुझे खींच कर चिंकी के पास ले गयी और मेरा लंड उसकी योनि के छेद पर लगा कर मेरे नितम्ब पर हाथ रख कर आगेे धक्का दे दिया और मेरा लंड चिंकी के योनि में समा गया । मेरे लिए तो ये ना भूलने वाला अनुभव था। मैंने कभी ऐसी कामलीला नहीं देखी थी।

मैंने अपना खड़ा लंड उसके पीछे से चिंकी की कमसिन योनी में जड़ तक दो या तीन बार ठूस दिया । मेरा लंड अब पूरी तरह से चिकना हो गया था, बाकी लड़कियों की तरफ चिंकी के बदन में कपड़े का एक धागा भी नहीं था। एक सौम्य एक समान दबाव से, मैं धीरे-धीरे और लगभग अदृश्य रूप से अत्यंत सीमा तक अंदर सरका दिया। उसने अपने निचले हिस्से को बाहर की तरफ धकेल दिया और-और उसने योनि की ढीला छोड़ दिया जो कम से कम कठिनाई और दर्द के साथ उस मोहक चैनल में लंड के प्रवेश को तेज करने का वास्तविक तरीका है।

फिर मैंने धीमी गति से धक्के मारना शुरू किया-वह चाहती थी कि मैं आगे की ओर झुक जाऊँ और उसके शरीर के चारों ओर अपना हाथ रख दूं और उसके भगशेफ को छेड़ू, लेकिन मैंने उस लड़की की तरफ देखा जो मुझे उसके पास लायी थी, उस दूसरी लड़की का नाम बेट्टी था और वह आगे हुए और उसके चूमती हुई उसके भगशेफ को सहलाने लगी और उसके कारण मुझे उसकी शानदार पीठ की रमणीय लहर को देखने की विलासिता मिली।

मेरे सामने उसकी शानदार योनी, और उसके आकर्षक नितम्ब, गांड और उसके चारो ओर पिंकी ब्राउन ऑरियोला का पूरा दृश्य था, जिसके ऊपर नन्ही गोरी रिंगलेट बड़ी सुंदरता में दिखाई दे रही थीं। मुझे यह कहने की आवश्यकता नहीं है कि मेरा अपना लिंग पूरे गर्व से सर उठाये खड़ा था और कठोर था। उस लड़की बेटी का बायाँ हाथ उसके पेट के नीचे से उसके भगशेफ पर चला गया, उसने अपना दाहिना हाथ उसके स्तनों पर रख कर बेटी ने चिंकी के स्तनों को दबाया और चिंकी के पीठ जल्दी ही हिलने लगी जो और बल खाने लगी जो की इस बात का प्रयाप्त संकेत था कि उसे चुदाई, सहलाने, दबाने और चूमने से कितना मजा आ रहा था । मैंने अपने हाथ से जल्द ही उसकी शानदार पीठ को सहलाना शुरू कर दिया और फिर उसके नितम्बो पर कुछ जोर से थप्पड़ मारे।

उसकी उत्कृष्ट मलाईदार गोरी त्वचा रक्त के थापड़ो के प्रभाव से-से लाल रंग की हो गयी। यह जितना लाल होता गया, वैसे ही उसके दो देदीप्यमान नितम्बो की धड़कन बढ़ गई और तो और मेरे लंड के आगे होने की गति भी बढ़ गयी और साथ में लंड भी योनि के अंदर बढ़ने और फूलने लगा जीससे महसूस हुआ की कैसे शानदार दृश्य कितनी आसानी से उत्तेजिन प्रणाली के द्वारा मेरे लंड को उत्तेजित कर कड़ा सकता है। दोनों लड़कियों के सम्भवता एक दुसरे की आदतों से भली-भांति परिचित होने के कारण बेटी को चिंकी के उत्तेजक अंगो के बारे में ज्ञान था और उसका असर बहुत तेजी से हुआ। बीती ने अपने शरीर को घुमाते हुए, लेकिन फिर भी चिंकी को उसके घुटनों रखते हुए पहले झुककर, उसकी योनी से निकल रही झाग को चाटा, क्योंकि वह पहले ही ब्रेडी के साथ स्खलित हो चुकी थी; और फिर, अपनी जीभ को चिंकी के छोटे छेद की ओर ले गयी, छेद को चाटा और उसकी योनि में अपनी ऊँगली पिरो दी। चिंकी कराह उठी और मजे से कांप गयी।

मैंने उसके गौरवशाली नितंबों को देखा, उन्हें प्यार के साथ सहलाया। मैंने देखा कि चिंकी का हाथ उसकी योनी के पास गया था और वह अब सक्रिय रूप से अपने भगशेफ को सिकोड़ रही थी।

मैंने धक्के मारना जारी रखा और ये उत्साह का ऐसा दृश्य था कि आनंद की चाह में सभी पीड़ाओं में मजा लेना और इतनी सुंदर पीठ और नितम्बो वाली-वाली इतनी शानदार महिला को देखना बहुत उत्तेजक था मैं अब स्वयं को ज्यादा देर नहीं रोक सकता था इसलिए लंड तेज गति से आगे पीछे और, ऊपर और नीचे करने लगा योनि की लंड पर तंग पकड़ और साथ में नीचे के छेद पर वेत्ति की ऊँगली का इतना दबाव था कि उसकी योनी संकुचन कर झड़ने लगी और साथ में इसने मेरे लंड को बहुत मजबूती से पकड़ रखा था और एक अजीबोगरीब गर्मी थी जो सबसे रोमांचक थी। हम दोनों एक साथ स्खलित हुए और वह परमानंद में वह बिस्तर पर सपाट हो गयी और मुझे अपने साथ खींच लिया और मेरा लिंग अभी भी उसकी योनि में की कैद था और मैं उसके ऊपर अपने घुटनों से गिर गया था, इसने हमारी खुशी के एक पल को भी कम नहीं किया।

जब मैं अपने होश में आया और पाया कि स्खलन बीत चुका था, लेकिन लंड भी-भी उस संकरी कोठरी में भीग रहा था और मैं अपने ठीक नीचे दिव्य पीठ के अभी भी धड़कते नितंबों को देख रहा था। दोनों में से कोई भी जल्दी में नहीं था, इसलिए हम दोनों इस मुद्रा में काफी समय तक रहे। अंत में, मेरा लंड थोड़ा ढीला हुआ और योनि से बाहर फिसल गया। फिर, मैंने उठकर, चिंकी की उठने में मदद करते हुए, उसे गर्मजोशी से गले लगाया, चूमा और जीभ को चूसा और चिंकी ने मुझे इस उत्साहपूर्ण चुदाई के लिए धन्यवाद दिया।

अब मैंने बेट्टी की नाभि में जीभ डालकर गोल घुमाना शुरू किया, बेट्टी उत्तेजना से कसमसाने लगी। फिर मैं खड़ा हो गया और अपना ध्यान बेट्टी की चूचियों पर लगाया। उसकी चूचियाँ मेरी आँखों के सामने और होठों के बिल्कुल पास थीं। कुछ पल तक मैं खुले मुँह से उसकी कसी हुई नुकीली चूचियों को देखता रहा । फिर मैंने अपना मुँह एक चूची पर लगा दिया और निप्पल को चूसने लगा और दूसरे हाथ से दूसरी चूची को दबाने लगा ।

बेट्टी--आआअहह।ऊऊऊओह!...उम्म्म्मममम!......इइईईईईईईईईईईई.!.

चूची को चूसने और दबाने से बेट्टी बहुत कामोत्तेजित हो गयी और जोर-जोर से सिसकारियाँ लेने लगी। मैंने ने बेट्टी की हिलती हुई रसीली चूचियों का अपने मुँह, होठों, जीभ और हाथों से भरपूर आनंद लिया। ऐसा कुछ देर तक चलता रहा और अब बेट्टी हाँफने लगी थी। मैंने ने बेट्टी को सांस लेने का मौका नहीं दिया और दाएँ हाथ से उसके गोल मुलायम नितंबों को मसलने लगे। मसलने से बेट्टी के गोरे नितंब लाल हो गये। उसके बाद मैंने फिर से बेट्टी को आलिंगन में ले लिया, कामोत्तेजना से मेरी खुद की साँसें उखड़ गयी थीं। मैंने बेट्टी को कस कर आलिंगन किया हुआ था और उसकी चूचियाँ मेरी छाती से दब गयीं। बेट्टी ने भी मेरी पीठ के साथ आलिंगन किया हुआ था और मेरे हाथ उसकी पीठ और नितंबों को सहला रहे थे।

मैंने बेट्टी के नितंबों को पकड़कर अपनी तरफ खींचा और उसकी चूत को अपने खड़े लंड से सटा दिया। कुछ पल बाद मैंने बेट्टी को धीरे से फर्श पर बिछे बिछोने के ऊपर लिटा दिया और खुद भी उसके ऊपर लेट गया । अब मैं बेट्टी के होठों को चूमने और उसके चेहरे और गर्दन को चाटने लगा, साथ ही साथ उसकी चूचियों को हाथों से पकड़कर मसल रहा था अब हमे देख कर बाकी लड़कियों को बेचैनी होने लगी थी क्योंकि मैं इन सबमें बहुत समय लगा रहा था और मैं जब से क्लब में आया था और रात्रि के बाद लगभग 6 घण्टे बीत चुके थे और मैं अब तक क्लब में 10 लड़कियों (एंजेल-नफीसा-पाईथिया-जूलिया-एलीना-मैगी-एग्नेस-रेबेका-ग्रेस-चिंकी) को चौद चूका था और उन्हें लगता था कि आज उनका नम्बर नहीं आएगा। मैंने बेट्टी के स्तनों को मसलना जारी रखा और वह कराहने लगी थी ।--आअहह......ओइईई......माआअ!

मैंने बेट्टी की चूचियों पर दाँत काट दिया और सोचने लगी अब इतनी सुंदर लड़की नंगी लेटी हैं तो उसे ऐसे छोड़ देना ठीक नहीं रहेगा अमिन अब नीचे की ओर खिसकने लगा । मैंने देखा बेट्टी की चूचियाँ मेरी लार से गीली होकर चमक रही थीं और उसके निप्पल एकदम कड़क होकर तने हुए थे। मेरी लंड भी कड़क हो गया था। मैंने लंड पकड़ कर सहलाया और मेरे तने हुए लंड की मोटाई पास से देखकर आसपास खड़ी लड़कियों की सांस रुक गयी।

एक आवाज आयी हाय! कितना मोटा और लम्बा है! ये तो लंड नहीं मूसल है मूसल! मैंने मन ही मन कहा। बेट्टी अगर देख लेती तो बेहोश हो जाती। लड़किया मेरे लंड से नज़रें नहीं हटा पा रही थी, इतना बड़ा और मोटा था, उनके अंदाजे से कम से कम 9 इंच लंबा होगा। उन्होंने क्लब में पुरुषो के लंड देखे और महसूस किए थे लेकिन उन सबमें मेरा लंड ही सबसे बढ़िया और बड़ा था। उधर बेट्टी आँखें बंद किए हुए लेटी थी उसने आँखे खोली और लंड को देखकर स्वतः ही अपने सूख चुके होठों में जीभ फिराने लगी, लेकिन जब उसे ध्यान आया की सब उसको देख रहे हैं तो अपनी बेशर्मी पर उसे बहुत शरम आई.और फिर वह मुस्कुरा दी और आँखे बंद कर ली ।

अब मैंने बेट्टी की टाँगें फैला दीं और उनके बीच में आकर अपने कंधों पर उसकी टाँगें ऊपर उठा ली। मेरी इस हरकत से बेट्टी को अपनी आँखें खोलनी पड़ी। उसने मुझे देखा और शरम से तुरंत नज़रें झुका ली। मैंने अपने तने हुए लंड को बेट्टी की चूत के होठों के बीच छेद पर लगाया और एक धक्का दिया।

बेट्टी कराह उठी ओह!.........आआआआअहह!...ओओओईईईईईईईईईईईईईईईईइ!....माआआआ! ।

बेट्टी मुँह खोलकर जोर से चीखी और कामोत्तेजना में उसने मैंने के सर के बाल पकड़ लिए. बेट्टी की चूत बहुत टाइट थी और मैंने एक हाथ से उसकी चूत के होठों को फैलाया और दूसरे हाथ से अपना लंड पकड़कर अंदर को धक्का दिया। इस बार बेट्टी और भी जोर से चीखी। मुझे मालोमं था कि अनुभवी औरतों को भी मेरे मूसल को अपनी चूत में लेने में कठिनाई होगी इसलिए मैंने इस बात का ध्यान रख क्र की उसे ज़्यादा दर्द ना हो और धीरे-धीरे धक्के लगा रहे था।

बेट्टी मेरे नीचे दर्द और कामोत्तेजना से कसमसा रही थी। कमरे में जल रहे चिरागो की रौशनी में हमारे चिपके हुए नंगे बदन अलौकिक लग रहे थे। उस दृश्य को देखकर सब मंत्रमुग्ध हो गए हम दोनों पसीने से लथपथ थे। अब मैंने तेज धक्के लगाने शुरू किए और बेट्टी जोर से सिसकारियाँ लेती रही और दर्द होने पर चिल्ला भी रही थी। अब मैंने उसके चिल्लाने पर ध्यान ना देकर अपने मोटे लंड को ज़्यादा से ज़्यादा उसकी चूत के अंदर घुसाने में लगा । बेट्टी की चूत में धक्के लगाते हुए मैंने अपनी हथेलियों में बेट्टी की चूचियों को पकड़ रखा था और उन्हें जोर से मसला ।

मैंने आखिरी जोर से धक्का मार कर उसकी योनि में वीर्य गिरा दिया । बेट्टी कामोत्तेजना से सिसक रही थी। थकान से धीरे-धीरे दोनों के पसीने से भीगे हुए बदन शिथिल पड़ गये। मैं बेट्टी के नंगे बदन के ऊपर लेटा हुआ था और उन दोनों की आँखें बंद थीं और रुक-रुक कर साँसें चल रही थीं।

मैंने कहा--बेट्टी आयी लव यू और उसी के साथ गोधूलि का समय हो-हो गया और सूर्य की पहली किरण धरती पर पड़ी और सुनहरी उजाला होना शुरू हो गया (गोधूलि सूर्योदय से पहले की रात की अवधि है जब सूर्य क्षितिज के नीचे होने पर भी आकाश को रोशन करता है) ।

जारी रहेगी

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