अंतरंग हमसफ़र भाग 195

Story Info
हवेली
937 words
5
77
00

Part 195 of the 342 part series

Updated 03/31/2024
Created 09/13/2020
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मेरे अंतरंग हमसफ़र

सातवा अध्याय

लंदन का प्यार का मंदिर

भाग 63

हवेली​

मैं घर पहुँच गया और मेरे फ़ोन पर सन्देश था कि मेरी क्लास अब तीन दिन बाद शुरू होंगी और पाने कमरे में मैं दो दिन की लगातार चुदाई के बाद पूरी तरह से थका हुआ मैं एक बार फिर सो गयाऔर जब मैं फिर से उठा तो दोपहर के तीन बज रहे थे।

नींद जरूरी थी, उससे मुझे सुकून और आराम मिला भी। जब मैं उठा तो मुझे भूख लगी। मैंने फ्रिज में देखा और कुछ दूध लिया और फिर पिज्जा होम डिलीवरी का आर्डर दिया। मैं सोच ही रहा था की पिछले दो दिनों में मैंने क्या किया है. कितनी श्हांडार लड़कियों से मिला हूँ और ये याद कर मेरा लंड कड़ा हो गया।

मेरे पिज़ा के आर्डर के लगभग 30 मिनट के बाद दरवाजे की घंटी बजी और जब मैंने दरवाजे को खोला तो पाया कि दरवाजे पर कुछ लड़कियों के साथ पायथिया और गिवा कड़ी हुई थी ।

वे हवेली को विस्मयभरि नजरो से देख रहे थे। दो मंजिल ऊँची हवेली हाथीदांत के साथ भूरे रंग के पत्थर से बनी हुई थी । इसमें मुख्य दरवाजे के दायी और बायीं और समान रूप से दूरी वाली खिड़कियों की पंक्तियाँ थीं ।

ये आपकी है... आपकी संपत्ति, मालिक।" पाइथिया ने कहा।

मैंने पलकें झपकाईं "यह संपत्ति काफी बड़ी है?"

"हम जानते हैं ये पूरी आपकी है," पायथिया ने कहा।

मैंने उनका स्वागत किया और उन्हें अंदर आने के लिए आमंत्रित किया । पाईथिया ने घूम कर चारो और देखा "मुझे अभी भी विश्वास नहीं हो रहा है कि ये आपकी है," गिवा ने कहा। महायाजक ने मेरे मुँह की बात बोल दी थी । "एक बड़ी हवेली? आपके पास हमारे मंदिर के इतने पास एक हवेली है।

मैं यहाँ केवल कुछ ही बार आया हूँ।"

तुम कभी मंदिर क्यों नहीं आये?"

"मैं दिल्ली में पढ़ रहा था," मैंने जवाब दिया। "मैं लगभग 3-4 साल पहले ही यहां आया था। ये हमारी पुश्तैनी हवेली है जब मेरे पिताजी पढ़ते थे तो मेरे पिता यहीं रहते थे। मुझे लगता है कि यह पहली बार है जब मैंने वर्षों में इस हवेली का दौरा किया हो। इससे पहले जब भी हम लंदन आते थे तो हमेशा अपनी बुआ के परिवार के साथ ही रहते थे। खैर, मुझे लगता है कि यहाँ एक महिला थी जो इस बीच इस संपत्ति का ख्याल रख रही थी । "

पाइथिया ने लड़कियों को एक शयन कक्ष की ओर निर्देशित किया और गिवा ने मुझे गले लगा लिया और मैंने उसे चूमा और फिर वह दूसरे कमरे में चली गई।और हम सेंट्रल हॉल में बाते करने लगे।

पायथिया ने उत्तर दिया, "विश्वास नहीं हो रहा है कि आपके पास एक हवेली है।" "आप एक हवेली के मालिक हैं।"

"हाँ," मैं फुसफुसाया। अब मुझे एहसास हुआ कि यह हवेली मेरी थी। मुझे अभी भी विश्वास नहीं हो रहा था कि यह हवेली मेरी है। मैं अभी भी केवल अठारह वर्ष का था। मुझे एक हवेली का मालिक होने का क्या अधिकार था? हवेली का अरबपति मालिक । मुझे याद आया कि मेरे पिता ने एक ही शर्त पर मुझे यह सारी संपत्ति और एक बड़ा बैंक बैलेंस सौंपा है और लंदन आने की अनुमति दी है ।

जब मैं लंदन में रहूं तो मुझे इसी हवेली में रहना होगा और मैं इसे कभी नहीं बेच सका। वकील के अनुसार, वसीयत में प्रावधान अच्छी तरह से लिखा गया था । ये सब एक सपनेव जैसा लग रहा था लेकिन हवेली और पैसा सभी असली थे ।

अब मुझे अपने लंदन प्रवास के दौराम बस हवेली में रहना था। हाँ मैं बाहर जा सकता था लेकिन मेरा स्थायी पता ये हवेली ही थी।

मैंने कहा, "मेरे पिता ने मुझे बताया कि उनके परदादा ने हवेली को अंग्रेजी सेना अधिकारी से खरीदा था और तब से वसीयत के माध्यम से ये पीढ़ी दर पीढ़ी उनके वंशजो की सम्पती बन जाती है।

मेरे पिता इसे नए सिरे से बना सकते थे लेकिन उन्हें इसका विंटेज लुक पसंद है किन उन्होंने सभी कमरों को आंतरिक रूप से फिर से तैयार किया और उन्हें सभी आधुनिक विलासिता और सुविधाओं से सुसज्जित किया है । "

पायथिया ने कमर कस ली और मैंने उसे हवेली के कमरे दिखाए । "आपका परिवार थोड़ा अजीब है।"

"पिताजी अजीब नहीं हैं," मैंने कहा।

"वह... परिवार के संरक्षक हैं!," मैंने कहा। "मुझे लगता है कि वह इसे मेरे लिए ऐसे ही रखना चाहते थें और उन्होंने इसके नवनिर्माण का फैसला मुझ पर छोड़ दिया है।" पायथिया ने मेरी ओर देखा, उसके सुनहरे बाल उसके गोल चेहरे को ढँक रहे थे। वह मुस्कुराई, उसके गालों में डिंपल दिखाई दे रहे थे, उसकी नीली आँखें कोमल थीं। "यह उनकी मर्जी थी कुमार! अब यह आपकी पसंद पर निर्भर है, मास्टर।"

"मुझे ठीक लग रही है," मैंने कहा। "मुझे ये अजीब नहीं लग रही है है। मैं इस पैसे से बहुत कुछ अच्छा कर सकता हूँ हाँ कुछ बदलाव जरूर करवाऊंगा । मेरी राय में क्या हुआ अगर हमें शहर के बीच में एक विशाल, पुरानी हवेली में रहना पड़े?"

मैंने उसे कुछ पेय और कुछ जलपान की पेशकश की और उसने पूरी हवेली देखने की इच्छा जाहिर की तो मैं कुछ नाश्ता करने के बाद उसके साथ बगीचे में टहलने गया और हमने इधर उधर की बाते की ।

कुछ समय बाद हवेली के मुख्य द्वार के दो दरवाजे खुल गए, जिनमें से प्रत्येक दरवाजा बारह फीट लंबा और गहरे रंग की पुराणी लकड़ी से बना था। एक महिला फ्रांसीसी नौकरानी की वर्दी पहनकर हवेली से बाहर निकली और उसका चेहरा नकाब से ढका हुआ था। उसने एक बहुत.छोटी.. बहुत छोटी फ्रांसीसी नौकरानी की वर्दी पहनी हुई थी ।

कहानी जारी रहेगी

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