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आठवा अध्याय
हवेली नवनिर्माण
भाग 1
नवनिर्माण
उसके बाद सभी पुजारिने मंदिर वापिस चली गया और मैं क्सान्द्रा को अपने कमरे में ले गया। वह वहाँ आईने के सामने खड़ी होकर अपने कपड़े उतारने को हुई ही थी कि वह अपने चेहरे को आईने में देखने लगी, चेहरा क्या था ऐसा लगता था मानो कोई गुलाब का फूल खिल गया हो, एकदम गोल चेहरा, बड़ी-बड़ी कजरारी आंखें, गहरी आंखों में इतना नशा कि ऊनमें डूबने को जी करें। नाक और होंठ लाल-लाल के लिपस्टिक लगाएँ बिना ही ऐसा लगता है कि मानो लिपिस्टिक लगाई हो। उसके ओंठ मेरे द्वारा चूसे जाने के कर्ण सूज गए थे और गालो पर जाह्न-जाह्न मैंने देर तक चूमा था वहाँ कई जगह लाल निशाँ थे ।
रेशमी सुनहरे बालों की बिखरी हुई लटे हमेशा उसके गोरे गालों से अठखेलियाँ करती थी। बला की खूबसूरत और चेहरे पर संतुष्टि का भाव था, प्यार मिलने के बाद की संतुष्टि का भाव । वह शॉवर के नीचे आई और अपने गाऊन को दोनों हाथों से ऊपर की तरफ ऊठाते हुए अपनी बाहों से होते हुए बाहर निकाल दी, गाऊन निकालते ही उसका गोरा बदन और भी ज्यादा दमकने लगा जिस की चमक से पूरा बाथरूम रोशन हो गया। गोरे बदन और लंबे कद काठी की क्सान्द्रा बिना कपड़ों के और भी ज्यादा खूबसूरत लग रही थी।
गाउन उतारने से उसके बड़े स्तन कैद से बाहर निकल आये और उसने देखा की मैंने सम्भोग के दौरान उसके स्तनों पर कई जगह बहुत बेदर्दी से काटा और चूसा था जिससे निशान और नील पड़ गए थे । क्सान्द्रा आदमकद आईने के सामने खड़ी होकर खुद अपने को ही निहारने लगी। उसके कंधो, स्तनों और गर्दन पर नील पड़ गए थे और उनके गुलाबी चूचक भी फूल कर लाल फिर भूरे हो गए थे,। बदन के पोर-पोर से ऐसा लग रहा था कि मानो मदन रस टपक रहा हो। भरी हुई बड़ी-बड़ी चूचियाँ बड़ी ही मादक लग रही थी, चुचियों का आकार एकदम गोल-गोल ऐसा लग रहा था कि जैसे रस से भरा हुआ खरबूजा हो और चुचियों के बीच की गहरी लंबी लकीर किसी भी मर्द को गर्म आहें भरने के लिए मजबूर कर दे और उन पर गुलाबी निप्पल जो चूसने के लिए आमंत्रित कर रहे थे। उसके निप्पल और स्तनों पर मेरे रात के प्यार के घाव के निशाँ थे। उसने मेरी जांघों को कांपते हुए देखा।
क्सान्द्रा की नंगी चूचियाँ एक बड़े ही मादक तरीके की गोलाई लिए हुए तनकर खड़ी हुई थी । उसने अपना दाहिना हाथ उठाकर ऊसकी बड़ी-बड़ी चूचियाँ उसकी हथेली में सिर्फ आधी ही आ रही थी। कुछ सेकंड तक वह अपनी हथेलियों को चूचियों पर रखी रही और अपने स्तन पर रखकर हौले से दबाया और उसकी दर्द भरी आह निकल गयी। फिर उसने खुद को नीचे देखा और अपने आप को शीशे में पुरी नंगी देखकर क्सान्द्रा शर्मा गयी।
गुदाज बदन का हर एक अंग अलग आभा और कटाव लिए हुए था। बलखाती कमर पूरे बदन को एक अजीब ओर मादक तरीके से ठहराव दिए हुए था। पूरे बदन पर अत्यधिक चर्बी का कहीं भी नामोनिशान नहीं था पूरा शरीर सुगठित तरीके से ऐसा लग रहा था मानो कि भगवान ने अपने हाथों से बनाया हो। गुदाज बांहैं, जिनमें समाने के लिएहर एक मर्द तरसता रहता था। गुदाज बदन जिसे पाने का सपना हर एक मर्द अपने दिल के कोने में बसाए रखता था। सुडोल मांसल जांघें ईतनी गोल और चिकनी की ऊंगली रखते ही उंगली फिसल जाए। उसकी योनि पर रोये वीर्य से सने हुए थे और-और योनि क्षेत्र मेरे लंड और अंडकोषो के धक्को के प्रहार के कारण लाल हो कर भूरे हो गए थे ।
योनि जो की एक लकीर जैसी दिखती थी अब सूज गयी थी और जैसे ही उसने अपनी योनि को छुआ वह तड़प कर कराहने लगी। जो योनि बड़ी मुश्किल से खुलती थी उसे चौद छोड़ कर अब इतनी चौड़ी कर दी है कि अब छेद दिखाई दे रहा है। सम्भोग के दौरान लंड के धक्को ने उसकी योनि को खोल दिया था?
रंग तो इतना गोरा जैसे कि भगवान ने सुंदरता के सारे बीज को एक साथ पत्थर पर पीसकर उसका सारा रस क्सान्द्रा के बदन में डाल दिया हो और जहाँ भी मैंने सम्भोग के दौरान उसे छुआ था या चूमा काटा और चूसा था वहाँ का रंग एकदम लाल हुआ था और अब वहाँ नील पड़ गए थे। क्सान्द्रा को-को खूबसूरती की मिसाल कहना सर्वथा उचित था।
इस समय बाथरुम की चारदीवारी के अंदर वह पूरी तरह से नंगी थी उसके बदन पर कपड़े का एक धागा भी नहीं था। बाथरूम के अंदर नग्नावस्था मैं वह स्वर्ग से उतरी हुई कोई अप्सरा लग रही थी।
उसने शॉवर चालू कर दिया और पानी के फवारे के नीचे खड़ी होकर नहाना शुरू कर दीया। क्सान्द्रा आहिस्ते-आहिस्ते खुशबूदार साबुन को अपने पूरे बदन पर रगड़-रगड़ कर लगा रही थी और उसके बदन पर पानी का फव्वारा गिरता जा रहा था। थोड़ी देर में वह नहा चुकी थी और अपने नंगे बदन पर से पानी की बूंदों को साफ करके अपने बदन पर टॉवल लपेट लीया। अपने नंगे बदन पर टावल लपेटने के बाद वह बाथरुम से निकल कर सीधे कमरे में चलीआयी।
क्सान्द्रा के हाथ उसके बाले में चल रहे थे और जैसे-जैसे उसके हाथ चलते थे तो उसके नितंबों पर गहरा असर डालती थी और उसकी कमर के नीचे उसके भरावदार नितंबों में अजीब-सी मादक थिरकन होने लगी थी । क्सान्द्रा के रूप और इस थिरकन को देख कर मेरे लंड की कठोरता जो झड़ने के बाद कम हो गई थी, औअर लंड अर्ध कड़ा था फिर से प्रबलता के साथ वापस कड़ा हो गया l मैंने फिर से उसे गले लगा लिया और निर्वस्त्र हो कर अपना लिंग क्सान्द्र की योनि में फिर से अंदर घुसा दिया और मैंने उसकी योनी के गहरे और संकीर्ण मार्ग में अपना जो लंड घुसा कर रास्ता बनाया था, उसे मेरे वीर्य ने चिकना कर दिया था और मैंने उसकी योनि में लंड आगे पीछे करना शुरू कर दिया l
तो क्सान्द्रा मुझ से लिपट गयी और मुझे मेरे सारे बदन पर बेतहाशा चूमने लगी और हमारे ओंठ जुड़ गएl क्सान्द्रा मेरे ऊपर आ गई थींl मेरे खड़े लंड पर धीरे-धीरे अपनी चूत दबाकर लंड को अन्दर घुसा रही थींl मुझे उस समय मुझे बेहद मज़ा आ रहा थाl वह मेरे लंड पर धीरे से उठतीं और फिर नीचे बैठ जातीं, जिसकी वज़ह से लंड अन्दर बाहर हो रहा थाlवह ख़ुद अपनी चुदाई मेरे लंड से कर रही थीं और बहुत मज़े कर रही थीं। सच कहो तो रोज़ी को मेरे लंड पर उछलते हुए मुझे बहुत सेक्सी लग रही थl मैंने अपने चूतड़ उठा कर उसका साथ दियाl जब मेरा लंड उसकी चूत के अन्दर पूरा समा जाता था, तो हम दोनों की आह निकल जाती थीl फिर मेरे हाथ उसके हिलते हुए मम्मों को मसलने लग गएl
उसके बाद क्सान्द्रा मेरे ऊपर झुक गयी और हम लिप किस करते हुए लय से चोदने में लग गए. मैं उसको चूमने लगा और चूमते-चूमते हमारे मुँह खुले गए और मैं उसकी झीभ चूसने लग गयाl
फिर हम दोनों झड़ गए, इसी तरह बार-बार चोदते हुए, मैंने क्सान्द्रा के साथ पूरी रात बिताई, हम पहले सम्भोग के बाद सेक्स का पूरा आनंद उठाते रहेl हम दोनों ने क्सान्द्रा केे कुंवारेपन के भंग होने का जश्न, पूरी रात एक साथ पूरे मजे लेते हुए बार-बार लगातार हम चुदाई करते रहेl
कभी मैंने उसे चोदा, कभी उसने मुझेअपनी और खींच कर अलग-अलग आसान में चुदाई की, मानो अपनी कामाग्नि को शांत करना चाहते होl पर हर बार हमारी कोशिश नाकाम ही हुई और उसके बाद बहुत जल्द ही हम दोनों एक दुसरे को चूमते चाटते दुबारा शुरू हो जाते थेl थोड़ा-सा आराम करते, फिर से गले लगाते हुए, एक ख़ुशी के समुद्र में तैरते हुए एक दुसरे में खोये रहे। पता ही नहीं चला इस तरह प्यार करते-करते कब सुबह हो गयीl
सुबह जब उजाला हुआ, तो क्सान्द्रा बिस्तर पर, मुझ से चिपक कर लेटी हुई थीl लगातार बार-बार चुदाई के कारण दोनों बुरी तरह से थक चुके थेl एक दुसरे के लिए आकर्षण और लगाव काम होने की जगह बढ़ गया थाl मुझे लग रहा था, मैं क्सान्द्रा के बिना अब नहीं रह पाऊँगा और चाहता था क्सान्द्रा हमेशा मेरे पास रहे और मैं उसे जब चाहू प्यार कर सकू। क्सान्द्रा की आँखों में भी मुझे वही प्यार नज़र आया और मैंने क्सान्द्रा को अपनी और खींचा तो वह मेरी बाहो में समा गयी और अपना चेहरा मेरी छाती में छिपा दिया।
"पिछली रात बहुत ख़ास थी। मैंने आपके साथ विशेष जुड़ाव महसूस किया हैl आपके साथ अपनी पहली चुदाई की रात से ही आपके के बारे में इतना मज़बूत लगाव महसूस किया है।" मैंने कुछ कहना शुरू किया, लेकिन क्सान्द्रा ने मुझे रोकने के लिए अपना हाथ मेरी छाती पर रखाl
"कल रात आपने मुझसे ऐसा प्यार किया और मुझे लगा कि हम दो बदन एक जान हैंl उसकी आँखों से आँसू बहने लगे थेl कल रात, जब तुम मेरे पास आए, तो तुमने मेरे भीतर कुछ जागृत कियाl मुझे ऐसा लगा कि मैं आपसे बहुत प्यार करती हूँ" l
मैंने कहा 'मेरा भी यही हाल हैl अब मैं भी तुमसे दूर नहीं रहना चाहता' l ये कहते हुए क्सान्द्रा के ओंठो पर किश किया, तो उसने भी वापिस किश किया।
सुबह, मैं हवेली के नवीनीकरण के दौरान अस्थायी रूप से स्थानांतरित होने के लिए पैकिंग कर रहा था। मैं घर के बाहर आया और एक घोड़ा गाड़ी को इंतज़ार करते देखा। मैं यह देखने के लिए कि कौन मिलने का इरादा रखता है उसके पास गया। दरवाजा खुला। उसमे क्सान्द्रा थी। आज उसने जो गुलाबी गाउन पहना हुआ है उसमें वह और भी खूबसूरत लग रही थी।
"नमस्ते," मैंने कहा, "क्या आप मुझे आखिरी बार मिलने आयी हैं?"
"क्या आपको याद नहीं कि मैंने कल रात आपसे क्या कहा था?" उसने पूछा।
"मुझे क्षमा करें, यह क्या था?" मैंने थोड़ा शर्म से जवाब दिया।
"मैं तुम्हारी हूँ।"
उसकी सबसे चौड़ी मुस्कान उसके चेहरे पर दिखाई दी। मैंने पीछे मुड़कर मंदिर की ओर देखा और आँखें बंद कर लीं।
"धन्यवाद," मैंने मन में कहा।
कहानी जारी रहेगी