एक नौजवान के कारनामे 208

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भाभी की सेवा ​
1.7k words
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Part 208 of the 278 part series

Updated 04/23/2024
Created 04/20/2021
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पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे

VOLUME II- विवाह, और शुद्धिकरन

CHAPTER-4

सुहागरात

PART 16

सेवा ​

भाभी आगे हुई और मुझे गले लगा लिया और अपने ओंठ मेरे ओंठो से जोड़ दिए और मैंने उसे चूमने शुरू कर दिया। मैं उसकी भारी साँस को महसूस कर रहा था। वह धीरे-धीरे चुंबन करने लगी। उसके बाद जब मैंने उसकी जीभ को चूसने में थोड़ा समय बिताया, तो उसने उसका उत्त्तर उत्साह से चुंबन कर के दिया। मैंने अपने ओंठो से उसके होंठ बंद कर दिए और उसे चूमने लगा। इस बार उसने चुंबन में पूरा सहयोग किया और उसने मुझे शिद्दत के साथ वापस चूमा। उसने मेरा सर पकड़ा और ज़ोर से अपनी और खींचा। उसने मेरी नग्न त्वचा को अपने बदन पर महसूस किया। उसने मुझे अपनी बाँहों में लपेट लिया और मेरी पीठ पर बेरहमी से हाथ फेरा तो उसके हाथो से मेरी पीठ पर खरोंच के निशान पड़ गए। मैं दर्द में चिल्लाया। यह ख़ुशी से प्रेरित दर्द था। हम आलिंगनबद्ध हुए और मेरे हाथ उसकी पीठ पर पहुँच गए ।

रानी ऐश्वर्या एक शेरनी की तरह थी। वह मेरी गर्दन, मेरे निपल्स, चूमने लगी उसने प्यार से मेरे लंड को हाथों में पकड़ लिया।

मैंने अपने हाथ नीचे ले गया और मैंने अपनी उंगलियाँ उसकी चूत में घुसा दी और ज़ोर जोर उंगलिया अंदर बाहर करने लगा। उसके पैरों के बीच बहुत गीलापन था। मेरी बाँयी उँगलियाँ अब ऐश्वर्य के सुविकसित और उत्तेजित भगशेफ पर खेलकर खिंची चली आ रही थीं। वह बेलगाम वासना के साथ हांफ रही थी और कराह रही थी और राज्य को वारिस देने की अपनी शपथ के आदेशों को पूरा करने के लिए अब मुझे पहले शाही गर्भ की जरूरतों को पूरा करना था।

इसलिए मैंने अपनी गीली उँगलियों को उसकी रसदार गर्म योनि से बाहर खिसका दिया, और मांनसिक तौर पर अपनी अंगरक्ष मरीना को अपनी पत्नी की रक्षा करने के लिए कहा क्योंकि अब मुझे ऐश्वर्या रानी की भावुक मांगों में शामिल होना था।

ऐश्वर्या मेरे सामने खड़ी हो गई थी और बेशर्मी से कपड़े उतार रही थी और अपनी सुनहरी सिल्क की साड़ी को आराम से उतार रही थी और फिर वो बस एक छोटी ब्रा में मेरे सामने खड़ी थी, जो उसके शाही स्तनों को अप्रभावी रूप से नियंत्रित करने के लिए दबाव डाल रही थी।

मैंने खुद ही उसे फाड़ दिया, औरफिर एक समृद्ध रेशमी ब्रा के फटने की आवाज आई, जब रानी ऐश्वर्या उम्मीद के साथ कराह रही थीं, क्योंकि मैंने उनके चमकती गोरी चमड़ी वाले शरीर को दर्द भरे जुनून के साथ गले लगाया ।

मैंने उसके लाल रसीले होंठों को चूम लिया और उसके गर्म हाथ उसके सामने मेरे आठ इंच के प्रमुख प्रक्षेपण को पकड़ लिया।

उसके हाथों ने मेरे फटते हुए लंड को सहलाने में कोई समय नहीं गंवाया और मेरे लंड के सिर ने बीच बीच में ताजी हवा का स्वाद चखा और हम दोनों के बीच, कार्रवाई के लिए तैयार होने के लिए खुश हो एक तुनका लगाया ।

मैंने उसके कोमल नितंबों को अपने हाथों से कुचल दिया औरअपने साथ चिपकाने के लिए उसकी गर्म कमरअपने पास खींच ली।

मेरे हाथ उसके रसीले स्तनों के ऊपर गए और उसके दोनों दूधिया स्तनों को उनके अर्ध-स्तंभित भूरे रंग के दोनों निपल्स को साथ जोड़ दिया, उसके स्तनों का घेरा गोल और भूरा दिखाई दिया और मेरी उंगलियों ने उस क्षेत्र को लगातार छेड़ा।

मेरा मुंह उसके कोमल होठोंसे दूर हुआ और उसकी राजसी छाती में डूब गया और मेरे मुंह को उसके स्वस्थ स्तनों पर ले गया,पहले मैंने धीरे से बाहरी त्वचा को चूसा और साथ में उन स्वादिष्ट स्तनों के नीचे के हिस्से को हाथ से दबा रहा था ।

वह कराह उठी "अह्ह्ह्ह एएचएच। एमएमएम", और उसके सोने की अंगूठी वाले हाथ में मेरे लंड को अपने अंगूठे को लंड के संवेदनशील सिरे पर ले जाकर और उसके उभरे हुए सिर पर प्री-कम को महसूस किया और फिर उसे सूँघा ।

उनके जिस्म के स्पर्श से मेरा खड़ा लंड उग्र हो गया। मैं उन्हें ले कर बेड की तरफ बढ़ा। मैं उन से चिपक गया। मेरा एक हाथ उनके सुडौल चूतड़ पर था। मैं उन्हें बेड तक लाया। मेरी उंगलियों को उनके चूतड़ के आगे पीछे होने की हरकत महसूस हो रही थी। उनके सब्र का पैमाना चालक रहा था। मैंने अपना हाथ उनके मोटे और उभरे हु‌ए चूतड़ के दरमियाँ में रख कर उसे आहिस्ता से टटोला। फिर मैंने उनके एक भारी चूतड़ को थोड़ा सा दबाया। उन्होंने अपने चूतड़ पर मेरे हाथ का दबाव महसूस किया तो मेरे हाथ को जो उनके चूतड़ के ऊपर था पकड़ कर अपने स्तनों की तरफ ले आ‌ईं ।

ये मेरी ज़िंदगी के खूबसूरत पलो में से एक पल था। मेरा दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़क रहा था। ऐश्वर्या भाभी के स्तन बेहद सुंदर, गोल और उभरे हु‌ए थे। सुर्ख गुलाबी रंग के खूबसूरत निप्पल बड़े-बड़े और बाहर निकले हु‌ए थे। निपल्स के साथ वाला हिस्सा काफ़ी बड़ा और बिल्कुल गोल था । मैंने उनका एक स्तन हाथ में ले कर दबाया और फिर मैंने उनके दूसरे स्तन को हाथ में लिया और स्तन के हिस्सों को आहिस्ता-आहिस्ता दबाता रहा। मैं उनके आकर्षक चेहरे को 'ताबड़ तोड़ ' चूमने लगा। मेरा लंड अब पूरी तरह खड़ा हु‌आ था औरभाभी की चूत से नीचे उनकी जांघो में घुस रहा था।

फिर मैं ऐश्वर्या भाभी के नंगेस्तनों पर टूट पड़ा। उमैंने उनका एक स्तन हाथ में पकड़ कर मुँह में लिया और उसे ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगा।बहभी होंठ भींच कर तेज़-तेज़ साँस लेने लगीं। उनका चेहरा सुर्ख हो गया। स्तन चुसवाने से वो और गरम हो गयी थीं। उनके भारी स्तन चूसते-चूसते मेरी साँस भी उखड़ गयी मगर मैं उनके मम्मों से चिपका ही रहा और उन्हें चूसने के दौरान उन्हें मसलता भी रहा। भाभी ने इस दौरान उमेरा लंड हाथ में लिया और अपने स्तन चुसवाते हु‌ए उस पर हाथ फेरने लगीं। उनकी हालत अब और ज्यादा खराब हो गयी थी।

मैंने उनके दोनों स्तनों को चूस-चूस कर बिल्कुल गीला कर दिया था। फिर मैंने नीचे देखा तो मुझे उनकी चूत नज़र आयी जो बिल्कुल साफ़ और गोरी-चिट्टी थी और झाँटों के नाम पे एक रेशा भी नहीं था। मैंने उनकी नंगी चूत पर अपना हाथ फेरा। क‌ई बार उनकी चूत को सहलाने के बाद मैंने उन्हें बेड की तरफ धकेल दिया। जब वो बेड पर लेट गयीं तो मैं उनसे फिर लिपट गया और उनके पूरे जिस्म पर हाथ फेरने लगा। मैंने उनकी कमर, चूतड़ों, नितम्बो. स्तनों और जांघो को मुठियों में भर कर टटोला। फिर उनकी मज़बूत टाँगें खोल कर उनकी फुली हु‌ई गोरी चूत पर अपना मुँह रख दिया।

मैं अपनी ज़ुबान भाभी की चूत पर फेर रहा था। फिर अपने दोनों हाथ नीचे कर के उनके चूतड़ों को पकड़ लिया और उनकी चूत को चाटने लगा। अब भाभी क़ाबू से बाहर हो रही थीं और उनके मोटे चूतड़ बार-बार अकड़ कर उछल जाते थे। भाभी के होंठों से सिसकरी निकल गयी।

यह सिलसिला देर तक चलता रहा। फिर मैंने भाभी को पीठ के बल लिटा दिया और खुद उनके ऊपर आ गया। मैंने अपना लंड हाथ में ले कर उसे भाभी की जनघो के बीच फिराया। और अपने कूल्हों को आगे धकेल कर अपने लंड का अगला हिस्सा भ भी की चूत से छुआ दिया तो उनके मुँह से एक सिसकारी निकल गयी। मेरे दिल की धडकनें तेज़ हो गयी। और फिर एक दो बार उसकी छूट के ऊपर नीचे किया. छूट गीली थी और उसके रस से लंड को भी चिकनाई मिल गयी और मैंने छेद पर टिका कर थोड़ा सा लंड अंदर घुसा दिया, भाभी कई साल से चुदी नहीं थी. इसलिए चुत टाइट थी मैंने उनके होठों पर अपना मुँह रख दिया। कुछ लम्हो तक मैं ऐसे ही रुका रहा और फिर उनकी चूत में पूरी ताक़त से घस्सा मारा। मेरा अकड़ा हु‌आ लंड भाभी की टाइट चूत को चीरता हु‌आ पूरा अंदर चला गया। और भाभी ने ज़ोर से "आ‌आ‌आ‌ई‌ई‌ई‌ई॥।" कहा और उनका पूरा जिस्म लरज़ उठा। फिर मैंने फौरन ही उनकी चूत में तेज घस्से मारने शुरू किये। कुछ देर बाद तोमैं भाभी को बड़ी महारत से चोदने लगा। मेरे मोटे लंड ने भाभी की चूत को फैला दिया था और जब चुदाई के दौरान मैं अपना लंड उनके अंदर करता तो उनकी टाइट चूत जैसे चिर जाती।

हर धक्के के साथ मेरे भारी टट्टे भाभी की गाँड से टकराते और लंड चुत की दीवारी को रगड़ते हुए अंदर बाहर हो रहा तह । भाभी की टाँगें मेरी कमर के दोनों तरफ थीं और उनके पैर हवा में थे । उनकी चूत से उसका रस बह का बाहर निकल रहा था और उनकी चुत और गांड के आसपास का सारा हिस्सा अच्छा-खासा गीला हो चुका था। चूत देते हु‌ए उन के मुँह से लगातार "ऊँऊँऊँहह... ओह‌ओह‌ओह...ऊँऊँऊँ!" की आवाज़ें निकल रही थीं। उनकी आँखें बंद थीं। भाभी की चूत में बड़े ज़ोरदार और ताबड़तोड़ धक्के मारते हु‌ए मैंने अपने दोनों हाथों में उनके हिलते हु‌ए मम्मे दबोच लिये और उसके बाद मैंने अपने धक्को की रफ़्तार और भी बढ़ा दी। भाभी ने अपनी आँखें खोल कर मेरी की तरफ आसक्ति भरी नज़र से देखा। उनका मुँह लाल सुर्ख हो रहा था। ज़ाहिर है कि उन्हें चुदा‌ई में बहुत मज़ा आ रहा था।

अचानक भ्बहि ने अच्छी खासी तेज़ आवाज़ में "आ‌आ‌ऊ‌ऊ.. आ‌आहहह... आ‌आ‌आ‌ऊँऊँ.... आ‌आहहह!" करना शुरू कर दिया। वो अपने भारी चूतड़ों को ऊपर उठा कर मेरे धक्को का जवाब देने लगी थीं और उनके मोटे ताज़े नितम्बो की ाहरकत में भी तेज़ी आती जा रही थी। और बोले लगी आह जोर से १ और जोर से.. आह उहह मैं समझ गया कि भाभी अब स्खलित होने वाली हैं।. हाँ हाँ... ठीक है...... ये लो.और लो!"

एक मिनट बाद ही भाभी का जिस्म कांपने लगा और फिर जिस्म को ज़बरदस्त झटके लगने लगे और वो आठ ओह्ह्ह हाय गयी कह कर स्खलित हो गयीं। जब वो स्खलित हुई तो उनकी चूत से और गाढ़ा और चिपचिपा रस निकला जो उनकी गाँड के सुराख के तरफ़ बहने लगा। भाभी ने अपने होंठ बंद कर लिये और उनका जिस्म ऐंठ गया। मैं समझ गया कि उन्हें बेहद मज़ा आया था।

मैं अभी नहीं स्खलित नहीं हुआ था और मैंने धु‌आंधार चुदा‌ई फिर से शुरू कर दी। अब मेरे धक्के शुरू हुए और फिर बहुत तेज़ हो गये थे और वोमेन अब बड़ी बे-रहमी से उनकी चुदाई करने लगा । हर धक्के के साथ उस के नितम्ब अकड़ते और फैलते मैंने भाभी के कन्धों को कस के पकड़ रखा था और अपना लंड तेज़ी से उनकी चूत के अंदर बाहर कर रहा था। कुछ मिनट के बाद मेरा शरीर अकड़ा और साथ ही भाभी भी स्खलित होने लगी फिर हम दोनों झड़ गये और मैं भाभी के ऊपर गिर गया. मैं कुछ देर के लिए उसके ऊपर ही पड़ा रहा तो कुछ देर कंम्पनी के बाद भाभी भी शांत हुई।

मेरा लंड भाभी की चूत के अंदर ही था.।

कहानी जारी रहेगी

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1 Comments
katha_vachakkatha_vachak8 months ago

कमाल का लिखते है। लिखते रहिये।

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