पूजा की कहानी पूजा की जुबानी Ch. 03

Story Info
पूजा की मदभरी पहली चुदाई अपने पापा के साथ...
4.2k words
4.83
104
1
0

Part 3 of the 11 part series

Updated 03/13/2024
Created 11/26/2022
Share this Story

Font Size

Default Font Size

Font Spacing

Default Font Spacing

Font Face

Default Font Face

Reading Theme

Default Theme (White)
You need to Log In or Sign Up to have your customization saved in your Literotica profile.
PUBLIC BETA

Note: You can change font size, font face, and turn on dark mode by clicking the "A" icon tab in the Story Info Box.

You can temporarily switch back to a Classic Literotica® experience during our ongoing public Beta testing. Please consider leaving feedback on issues you experience or suggest improvements.

Click here

(मैं और मेरे पापा 3)

Story infn.

पूजा की मदभरी पहली चुदाई अपने पापा के साथ..

-x-x-x-x-x-x-

"पूजा..." पापा बुलाये।

"जी पापा,..." में उन्हें देखती पूछी।

"क्या तुम्हे आज के दिन की स्पेशलिटी याद है...?"

"हाँ पापा हमारा शादी की सालगिरह है... अपने तो बधाई भी दिए है और गिफ्ट भी..."

"उसके अलावा और क्या स्पेशलिटी है..?" मेरी चूची को टीपते पूछे।

में कुछ देर तक सोचती रहि लेकिन मुझे कुछ याद नहीं आ रहा है। "नहीं पापा मुझे कुछ याद नहीं है..क्या स्पेशलिटी है..?" मैं उन्हें पूछी।

पापा मेरे नाक को खींचते बोले.. "आरी मेरी गुड़िया... पांच साल पहले इसी दिन तो हमारा पहली चुदाई हुई थी.. भूल भी गयी? आज हमरी चुदाई का पांचवी सालगिरह है..."

'ओह मैं गॉड ! सच में मैं तो भूल ही गयी'। सच में इसी दिन तो मैं पापा से चुदी थि और दुसरे दिन पापा ने मेरी कुंवारी गांड भी मारी थी।

और जैसे ही वह याद आयी मेरे मानस पटल पर उस दिन के और उस से पहले के घटनाये उभर पड़ी।

-x-x-x-x-x-x-x-x-

आज से पांच साल पहले जब मैं उन्नीस वर्ष की थी, और में B.Com प्रथम कि छात्र थी। एक दिन न्यूज़ पेपर पर केंद्र सरकार के कुछ क्लर्क के पोस्ट के XII class ke लिए नोटिफिकेशन छपा था। मैंने उसके लिए अप्लाई किया। अप्लाई करने के तीन महीने बाद से लिखित परीक्षा (written exam) लिखने का कॉल लेटर आया। वैसे थी तो वह ऑनलाइन परीक्षा (एग्जाम) पर सेंटर हमारे शहर में ना होकर दुसरे शहर में थी। उस शहर हमारे शहर से कोई छह, सात घंटे का बस में सफर करना था।

पूरी तैयारी के बाद मैं और पापा उस शहर के लिए निकल पड़े। रात के दस बज़े की बस से हम सफर करने लगे। हमरी सीटें पीछे से दूसरी कतार में थी। बस दुसरे दिन सवेरे छह बजे उस शहर पहुंचती। बस शहर से बहार निकलते ही बस का lights ऑफ हो गया.. और लोग सोने लगे। हम भी पीछे ठेका लेकर सोने लगे। मुझ तो जल्दी ही नींद आ गयी। समय कितना बीत गया मुझे मालूम नहीं लेकिन मुझे अपने गालों पर गर्म हवा महसूस कर मैंने आंखे खोली।

बस में धुप ऍंधेरा था। एक बार आंख बंद कर फिर से खोली। मेरे गालों पर कुछ गर्म हवा जैसा लगा। आंखे खोलकर देखि तो खिड़कियों से बहार से आनेवाली बहुत ही सिमित प्रकाष (रोशनी) में जो दिखी देख कर अचम्भे में रह गयी। उस नीम अँधेरे में भी मैंने पापा को पहचानी। पापा जो मेरे साइड में बैठे थे मेरे ऊपर झुक कर मेरे गालों को चूम रहे थे। उनके गर्म साँसे ही मेरे गालों पर पड रही थी।

' यह क्या? पापा ऐसा क्यों कर रहे हैं?' मैं सोच रही थी। क्या करूँ समझ मे नहीं आ रहा था। पापा को रोकूं या नहीं यह भी समझ मे नहीं आ रहा है। मैं अधेड़बुन में थी की पापा मेरे गालों को चाटने लगे। नीचे से ऊपर तक अपना जीभ मेरे गाल पर चला रहे थे। पापा का जूठन मेरे गालों पर लीपने लगी। इतने में पापा का एक हाथ मेरे पीठ पीछेसे निकल कर मेरे खाँख (arm pit) के नीचे फिर वहां से ऊपर उठकर मेरे मदभरे संत्रो (उभरों) को सहला रहे थे। जैसे ही पापा मेरे चूची मींजने लगे मैं अपना होश हवास खो बैठी।

में पहले से ही बहुत गर्म लड़की हूँ। जबसे मैं जवानि में कदम रखी थी तभी से मुझे घर में ही सेक्स का ज्ञान मिलने लगी। मेरे दोनों चाचायें और उनकी पत्नियां मुझे बच्ची समझ कर मेरे सामने ही अपनी रास लीला में मग्न रहते थे। घर में ही सेक्स का माहौल था! यह सब देख देख कर मैं भी गर्म होने लगी।

मैं छोटी चाची को बहुत मानती थी। एक रात मैं उनके कमरे में ही सो गयी। उस रात चाचा कमरे में आये और चाची से छेड़ चाड करने लगे। "अरे यह क्या कर रहे हो..? पूजा यहीं सो रही है.?" चाची बोली। "आरी वह तो छोटी लड़की है.. उसे कुछ मालूम नहीं होगा..आ जावो.." कह कर चाची को लेने लगे। में अपने आँखों को थोड़ा सा खोल कर उस मस्ती भरी चुदाई को देखती सो गाई।

उस चुदाई देखने के बाद; जैसे जैसे मेरी उम्र बढ़ रही थी मुझमे सेक्स करने का यानि की चुदाने का इच्छा बढ़ती गयी।

में जवान होगयी हूँ मतलब सिर्फ ** की थी फिर भी चुदास थी। अब मैं भी अपनी अनचुदी बुर में एक मस्ताना लंड चाह रही थी।

जब मैं 18 वर्ष की थी तो मेरा कुंवारापन बाजू घर वाले अंकल ने लूटी। उन्ही दिनों में मम्मी पापा को एक शादी अटेंड करना जरूरी था और मेरे इंटर की हाफ इयरली एक्साम्स (Exams) चल रहे थे। शादी अटेंड करना बेहद जरूरी था। इसी लिए माँ ने मुझे बाजु घर वाले आंटी के देखभाल में छोड़कर गए। और उस आंटी के पति ने मेरी कुंवारा पन छीनी।

उसके बाद मैं अपनी ट्यूशन मास्टर को फँसायी और उस से चुद गयी। मैं इतनी गर्म हो जाती थी की एक दिन मैंने अपने ट्यूशन मास्टर को ही पटा कर उस से चुद गयी। (यह कहानीयाँ फिर कभी)

एक दिन ऐसे ही ट्यूशन मास्टर के लंड को चूस रही थी की मेरे छोटे चाचा मुझे रंगे हाथों पकड़ लिए। और फिर क्या था.. अब उन्होंने भी मेरी जवान बुर के पीछे पड़े और मुझे उनके बात मान कर चाचा के लिए अपने टांग उठाने पड़ी। वैसे मैं उन्नीस की ही थी तब तक में तीन, तीन लंड लील चुकी थी।

कितनी ही बार मैं घर में अपने नन्ही सी चूत में ऊँगली फेर कर तृप्त हो जाती थी। उस कच्ची उम्र में ही मेरी चूचियों में ठीस उठते थे।

अब बस के अँधेरे में मेरे पापा मेरे गालों को चूम कर चाटने लगे तो मैं अपने आप खो गयी और पापा के हरकतों का मजा लेने लगी। वैसे मैंने सोचा भी था की पापा से ऐसे करना गलत है, लेकिन जब 'पापा ही यह सब कर रहे है तो मेरा क्या?' यह सोच कर खामोश रही।

अब पापा के जीभ मेरे गालों को चाटने के बाद धीरे से मेरे होठों पर रेंगने लगे। एक बार तो जी में आया की पापा के जीभ को मेरे मुहं में लेलूं लेकिन मैं नींद में रहने की नाटक कर रही थी तो खमोश रह गयी। पापा मेरे होठो पर जीभ चलाते और मेरे मस्तीयों को दबाते मजा ले रहेथे। मैं भी उनके हरकतों का मज़ा लेते सोने का बहाना कर रही थी।

मेरे जांघों के बीच की दरार में कुछ चींटी रेंगने जैसा अनुभूति होने लगी। उस समय में कुर्ता और सलवार पहनी थी। ठण्ड के मौसम होने की वजह से मैं ब्रा और पैंटी भी पहनी थी। कुछ देर बाद पापा का दूसरा हाथ मेरे जांघों पर रेंगने लगी। मेरे सारे बदन में एक झूर झूरी सी हुयी। मेरे जांघों पर रेंगते पापा के हाथ अब और अंदर जाकर मेरे जंघों के बीच की उभार को जकड़ी। मुझे ऐसा लगा की बस अब मै झड़ने वाली हूँ। में अपने मुहं से निकलते सिसकारों को मुश्किल से रोक पायी थी।

मुझे अपने आप को संभल न मुश्किल हो रहा था। एक बार तो ऐसा भी सोची की झट पापा से लिपटकर उन्हें जी भर कर चूमें। उस अँधेरे में पापा क्या कर रहे थे मालूम नहीं लेकिन एक बार उन्होंने मेरे हाथ पकड़ कर खींचे और मेरे मुट्ठी में अपना पकड़ा दिए।

पापा कब अपने पैंट का ज़िप खींचे यह भी पता नहीं चला। मेरे मुट्ठी में पापा का मोटा तगडा लॅण्ड थी। यह तो पहले चूदी तीन लंडों से तगड़ा है। में सोची की उसे मुस्सल को जोर से भींचूं लेकिन फिर से मुश्किल से अपने आपको संभाली।

मुट्ठी भींचने से पापा को मालूम पड़ जाएगा की में जाग रही हूँ और जो कुछ हो रहा है..उसकी मुझे ज्ञात है। पापा ने मेरी मुट्ठी के गिर्द अपना मुट्ठी जकड़े और लगे मेरी मुट्ठी को ऊपर नीचे करने।

पापा एक ओर मेरी मुट्ठी को हिलाते रहे और दूसरी ओर फिर से मेरे गलों को चूमने लगे। उन्होंने ऐसा कुछ 6, 7 मिनिट करे होंगे की उनका लैंड से उनका गर्म वीर्य निकल पड़ी। उस गर्म लावा ने मेरे हथों और पापा का लुंड पूरा जिगट चिकना कर दिया। मैं चुद चुकी थी लेकिन ऐसा कभी नहीं किया तो उस लावा में हाथ चलाना एक अजीब अनुभूति दे रहे थी।

फिर पापा ने अपना टॉवल निकाल कर मरे हाथ और अपने मर्दानगी को साफ करे और एक बार फिर अपना एक हाथ मेरे कुरते के अंदर दाल कर ब्रा के ऊपर से ही मेरे चूची को टीपे।

"ममममसस्म्म्म'" मेरे मुहं सी आवाज़ निकली। झट पापा ने अपने हाथ बहार खींचे और पीछे को लेट गए जैसे गहरी नींद में हो। उस रात फिर कुछ नहीं हुआ।

***************

सव्रेरे छह बजे के करीब हम बस स्टैंड पर उतरे और एक होटल में कमरा ले लिए। परीक्षा दोपहर दो बजेसे शाम पांच बजे तक थी। मैं होटल के कमरे में ही परीक्षा की तैयारी की और टाइम पर सेंटर पहुंछे। जब शाम को वापस आये तो शाम के छह बज रहे थे। मैं कमरे में आते ही सामान पैक करने लगी।

"पूजा यह क्या कर रही हो..?" पापा ने पुछा।

सामान पैक कर रही हूँ पापा जाना है न..." मैं उन्हें देखती बोली।

"नहीं बेटा...रात तमाम बस में बैठ कर सफर करने से मैं बहुत थक गया हूँ। आज यहीं रुकेंगे और कल चलेंगे। वैसे तुझे रात नींद अच्छी आयी है की नहीं..?" पापा मुझे पूछे। पापा यह सवाल क्यों पूछ रहे है मैं समझ गयी। वह जान न चाहते की रात में उनकी हरकतों का मुझे मलूम है या नहि।

"मुझे तो अच्छा नींद आयी पापा। मुझे एक अच्छा सपना भी आया..." मैं उनकी हरकतों के बारे में सोचते बोली।

"अच्छा.. कैसा सपना था बेटी...?"

'नहीं पापा मैं आप से नहीं बोल सकती.." मैं उनके आँखों में देखती मुस्कुराती बोली।

"वैसे सपना अच्छा था या बुरा...?"

'बहुत अच्छा सपना था पापा...." मैं मुस्कुराते बोली। फिर उस शाम पापा ने मुझे बहार लेगए और मेरे लिए कुछ कपडे खरीदे। मैं ना ना ...कहने पर भी पापा मेरे लिए एक डिज़ाइन फ्रॉक खरीदे. फ्रॉक इतना छोटा और तंग था की वह मेरे नितम्बों को ही कवर कर रही थी और मेरे दोनों उभार बहुत ही प्रोमिनेंटली (Prominently) दिख रहे थे। फिर बाहर ही खाना खाकर होटल में वापस आये ।

कमरे में आके फ्रेश होते ही पापा ने मुझे वह नया वाला फॉक पहन क्रर दिखाने को कहे। जब पापा ने इतनी तंग फ्रॉक लेते ही मैं समझ गयी की आज रात पापा मेरी चुदाई करेंगे। उन्होंने फ्रॉक पहने ने को कहे तो मुझे और ही पक्का हो गयी। मैं फ्रॉक पहनी थी। वह फ्रॉक इतना छोटा था की मैं आगे को झुकूँगी तो पीछे मेरे कूल्हे दिखेंगे और पीछे झुकूंगी तो समने जांघों के बीच का उभार दिखेगी।

"पापा यह तो बहुत छोटा और तंग है.." मैं फ्रॉक पहन कर पापा के सामने आकर इठलाती शर्माती बोली।

"आरी नहीं पूजा बेटी यह तो बिलकुल फिट है, आज कल यही फैशन है। इसमें तुम एकदम परी लग रही हो आवो आकर पापा के गोद में बैठकर पापा को चुम्मा दो जैसे तुम जब छोटी थी तो देती थी।

"ओह पापा आप भी न... जब मैं छोटी थी ...."

".... तो अब क्या हुआ...?"

"नहीं पापा.. अब मैं बड़ी हो गयी हूँ मुझे लाज अति है..." मैं नखरे करती बोली।

".. है तो पापा कि लाड़ली ही न..... आओ, मेरी प्यारी गुडिया बेटी.." बोलते मेरी ओर देखे।

पापा के ऐसा कहने से मेरे गाल शर्म से गुलाबी हो गये। मैं धड़कते दिल से शरमाते पापा के पास गयी। पापा ने अपने हाथ फैलाये। मैं पापा के बाहों में थी और उन्होंने मुझे अपने गोद में खींच लिए।

"तुम सच में ही परी लग रही हो पूजा..." कह कर पापा मुझे चूमने लगे।

"थैंक यू पापा..." कह कर मैं भी उनके गालों को चूम रही थी। उनके हाथ मेंरे कमर के गिर्द लिपट गए। पापा का एक हाथ मेरे कमर के गिर्द तो दूसरा हाथ मेरे जांघों पर फेर रही थी। वैसे मेरे आधे से ज्यादा जांघ बहार दिख रहे है फिर भी पापा के हाथ मेरे फ्रॉक को धीरे से ऊपर उठा रही है। फिर कुछ देर हमारा चुम्मा चाटी हुआ और फिर पापा बोले... "बेटी मेरे पैर और कमर में बहुत दर्द हो रही है... क्या तुम मेरी पैर दबावोगी?" पापा पूछे।

"हाँ पापा क्यों नहीं.. आप हमारे लिए इतना मेहनत जो करते हैं" कहकर मैं उनके गोद से उतरी।

मैं अपना फ्रॉक उतार के मैक्सी पहनी। वह थी तो ठकनो तक लेकिन वह इतना महीन था की अंदर की हर चीज़ साफ दिखती है। मैं उस मैक्सी के सामने की दो बटन खोल के रखी। जिस से मेरा थोड़ा सा इधर उधर हिलने पर भी मेरी मस्तियाँ नुमायुं हो जाते है। उधर पापा ने भी अपना पैंट उतारकर एक लुंगि पहने और बिस्तर पर औंधे सो गए। मैं बाम लेकर पापाके पास आयी और उनके कमर के पास बैठ कर उनकी पीठ और कमर पर बाम लगाने लगी।

कुछ देर के बाद पापा बोले "बस बेटी अब पैर करलो" और वह अपने पीठ पर लेटे। मैं उनकी पैरों के पास बैठ कर उनका लुंगी घुटनों तक ऊपर उठायी और पैर दबाने लगी। पहला पैर फिर थोड़ा ऊपर पापा के पिंडलियाँ और फिर घुट्नों तक मैं दबा रही थी। फिर पांच मिनिट बाद पापा ने अपनी लुंगी और थोड़ा ऊपर कर "बेटी थोड़ा उपर तक दबाना...बहुत आराम मिल रहा है..तुम्हारा हाथों मे जादू है ..." कहे। अब मैं और थोड़ा ऊपर उनकी जांघो के बिगिनिंग में भी दबा रहीथी।

पापा के बलिष्ट जांघो को (thighs) देखकर मेरे बुर में पसिने छूटने लगे। मुझे मालूम है आज मैं पापा से चुदने वाली हूँ। यह सोचते ही मुझे कल रात मैं बस में पकड़ी उनकी डंडा याद आयी।

जैसे जैसे मैं उनके पैर दबा रही थि तो पापा ने अपनी लुंगी हल्का हल्का ऊपर उठाने लगे।

अब मैं पापा के जांघों को डायरेक्ट दबा रही थी। और मैंने यह देखा की पापा के लुंगी के अंदर हलचल हो रही है। उनका मर्दानगी उछल खुद कर रही है। में उसे ही देख रही थी। मेरे होंठों पर एक मुस्कान आयी। मेरे सारे शरीर में चींटिया रेंग रही थी। उसका उछलना देख मेरे मुहं में और मेरी बुर में पानी आ गया। और मैं मुहं में आये पानी को गटकने लगी। मैं उनके डिक को देख रही हूँ यह बात पापा जान गए है और वह एकदम अपना लुंगी पूरा ऊपर खींच अपना खड़ा लंड दीखाते बोले "पूजा बेटी थोड़ा इसे भी दबादो...प्लीज ..."

में शर्म से लाल हो गयी। अपने मुहं दूसरी और घुमाकर हलके से मुस्कुराते बोली "छी...छी... पापा आप कितने गंदे है...? कोई अपनी बेटी से ऐसा करवाते है क्या...?"

मेरा मुस्कुराना देख कर पापा समझ गए की में उनकी हरकतों का मज़ा ले रही हूँ।

"अरे बेटी पापा लोगों को बेटियों से करवाने में ही थ्रिल अति है.. वैसे ही बेटियों को भी पापा के साथ ऐसे छेड़ चाढ़ से थ्रिल अति है। सच बोलना तुम्हे थ्रिल हो रहां है की नहीं..."

में अपनी उत्तेजना को कण्ट्रोल करते पापा को देख मुस्कुरायी और उन्हें छेड़ती बोली..."नहीं... मुझे कुछ थ्रिल महसूस नहीं हो रहा है..." और मैं पापा के लम्बाई के गिर्द अपना मुट्ठी बंधी।

"क्या नखरे करती है मेरी गुड़िया...चल इधर आ..." कह कर पापा उठ कर बैठ गए और फिर से मुझे अपने गोद में खींच मुझे चूमने लगे। अब मुझ से संभाले नहीं जा रहा था.. मैं खिल खिलाकर हँसते पापा के गोद में बैठी थी। नीचे मेरे गांड के दरार में पापा का लंड चुभ रही है। मैं उनके डिक पर अपने कूल्हे दबाते "पापा आप बड़े वो है..." कही।

"अच्छा मेरी गुड़िया..पापा का कैसे लगी...?" अब उनके हाथ मेरे मस्तियों पर लाये और उन्हें धीरेसे मसलते पूछे।

'बहुत अच्छा है पापा.." में कुछ देर रुकी और फिर बोली "लेकिन बहुत लम्बा और मोटा है.."

"अच्छा.... इसका मतलब मेरी नन्ही रानी इस से पहले किसी की डंडा देख चुकी है..किसका देखि हो...?" अब तक कड़क हो चुके मेरे निप्पल को पिंच करते पूछे...

"आआआहहहहहहा पापा....ममम.. धीरे .. इतना जोर से नहीं ..aaaaaaahhhaaahhhhh" मैं दर्द से कराहते बोली।

"ओह... सॉरी स्वीट हार्ट ...जरा जोश में आ गया..." पापा मेरे गलों को चूमते बोले।

"आपका जोश ठीक है पापा लेकिन मेरी होश उड़ गए..." मैं भी उनके होंठों को चूमते बोली"

"अच्छा यह तो बोलो..किसका देखि हो..." अब उनका एक हाथ मेरो जांघों के बीच आकर मेरी उभार अपनी मुट्ठी में जकड़े।

"जब मैं इंटर फर्स्ट ईयर में थी तो मेरे ट्यूशन मास्टर ने अपना दिखाया।"

"सिर्फ दिखाया..? और कुछ नही किया...?" पापा मेरे मैक्सी को ऊपर उठाये और मेरी पैंटी के अंदर हाथ डालकर पूछे। अब तक मेरी रिसने लगी और पापा के हाथों को मेरा उस मदन रस से चिपुड़ी।

"सिर्फ दिखाया.. करा कुछ नहीं..?" अब पापा एक हाथ मेरी बुर को सहलाने लगी।

मैं मेरे ट्यूशन मास्टर से चुद गयी हूँ, यह बात में पापा को कैसे कह सकती थी, में अपने मुहं नीचे कर "सॉरी पापा..." बोली।

"अरी बेटी इसमें सॉरी की क्या बात है.. यही तो उम्र है मौज मस्ति करने की..जी भर कर मस्ति कर.." पापा मेर होंठो को चूमते बोले।

"तो पापा आप मुझ से नाराज नहीं है...." में पापा से लिपटते पूछी..."

"नहीं.. बिल्कुल नहीं..जी भर कर मौज कर, मुझे कोई आपत्ति नहीं है.. लेकिन संभल के..तुम्हरे मम्मी को पता न चले.. और संभल के रहना..शादी से पहले गर्भ न ठहरने देना, और घर की इज़्ज़त की ख्याल रखना...

"ओह थैंक्यू पापा। आप कितने अच्छे है..." मैं और जोरसे लिपटी और मेरे उभारों को उनके छाती पर रगड़ने लगी।

"अच्छा एक बात बताओ..." पापा के एक हाथ मेरे दुद्दुओं से खिलवाड़ कर रहे है तो दूसरा मेरी योनि के दरारों पर रेंग रही है...

"क्या है पापा....?" मैं पापा के हाथ के ऊपर मेरा हाथ रख चूची पे दाबती पूछी।

"पापा से करवावोगी..." मुझे और जोर से टीपते पूछे..."

"सससस.....हहह....पापा" में दर्द से करहि फिर पूछी "क्या करवाना है पापा..?" मैं जानकर भी अनजान बनती पूछी।

"अरे.. वही..."

"वही बोले तो ...." मैं नखरे करते फिर से पूछि।

"वही.... जो तूने अपने मास्टर से करवाई..."

"मास्टर से करवाई... क्या करवाई...पापा... आप क्या बोल रहे है..मेरी समझ में नहीं आ रहा है..." मैं नादान बनती पूछी।

अब पापा मेरी आशय समझ गए और बोले... "तो मेरी गुडिया पापा के मुहं से गन्दी बातें सुन ना चाहती है.. ठीक है..बोल पापा से चुदवायेगी...?"

"ओह पापा... मैं तो आपका फल (fruit) हूँ.. और इस फल पर आपका पूरा हक़ है...आप अपने इस फ्रूट को कैसे चाहे वैसे चख सकते है..."

"शाबाश मेरी गुड़िया... चल पापा को अब और न तरसावो.. पापा क अपना नगिना दिखावो..." और अब इतनी जोर से मेरे चूत दबाये की मेरी मुहं से एक सीत्कार निकल गयी।

में पापा के गोद से उतरी और मेरी मैक्सी खोल फिर मेरी पैंटी भी पैरों से खींची। तब तक पापा भी अपना लुंगी उतर फेंके और मेरे सामने नंगे खड़े रहे। उनका 9 1/2 इंच लम्बा और साढ़े तीन इंच मोटा लंड लहरा रही है! उनका चमड़ा पीछे को हठ गुलाबी हलब्बी सुपाड़ा ट्यूब लाइट की रौशनी में चमक रही है। पापा का इतना सुंदर है की मेरे मुहं में पानी आगयी।

"waaaah ....बेटी तुम्हारा तो एक दम फूली फूली है..." कहकर मेरे पास आये और मुझे अपने हथों में लेकर बिस्तर पर लिटाये। मैं दोनों टाँगे चौड़ा कर एक हाथ मेरी उभरी बुर पर चलते पापा को देख रही थी।

पापा अपनी ठुनकते औजार को मुट्ठी में पकड़कर मेरे टांगों के बीच आये।

पापा आये तो मेरे टांगों के बीच पर उनकी नज़र मेरे स्तनों पर थी। उन्होंने अपना जीभ चटकाते मेरे ऊपर आये और मेरे स्तन के निप्पल अपने हंथों में पकड़ कर दबाये। मेरे सारे बदन में आग सी लगी और में पापा के मुहं को मेरे स्तनों पर दबायी। जैसे छोटा बच्चा अपने माँ का निप्पल चुबकता है, पापा भी वैसे ही मेरे निप्पल को चूस रहे थे; और एक हाथ से दूसरी चूची को टीप रहे थे।

"पापा....ममम..." में सीत्कार करि और उनके मुस्सल को मुट्ठी में जकड़ी। मुझे ऐसा लगा की मैं कोई गर्म लोहे की चड़ पकड़ी हूँ। फिर पापा मेरे पूरा मुहं को, अधरों को, आँखों को, नाक को, मेरे गर्दन पर अपने चुम्मों का बौछार करने लगे।

"पापा.. अब आईये.. अब सहा नहीं जाता.. आईये अपनी बेटी को चोदिये" में उन्हें मेरो बुर की और खींचते बोली।

"बेटी रुक तो सही, तुम्हारा यह कचोरी देख कर मेरे मुहं में पानी आरहा है.. जरा इसे चखने तो दे...." और झट अपना मुहं मेरे बुर पर लगाए।

"आअह्ह .पापा..." कहते मैंने उनके महँ को मेरे बुर पर दबायी। पापा आने जीभ निकल कर जैसे ही मेरे बुर की पत्तियों को छूए मेरा शरीर झन झना उठा। अपनी दो अंगूठियों से पापा ने मेरी चूत को चौड़ा कर अपना जीभ अंदर घुसाने लगे। मेरे में मादकता बढ़ने लगी। जैसे जैसे पापा मुझे चाट रहे थे वैसे वैसे मैं अपनी कमर उछालने लगी।

"ववाह.. क्या सादिष्ट है मेरी बेटी की कचोरी...एक दम नमकीन मसाले से भरपूर कचोरी भी इतना स्वादिष्ट नहीं होती..." और उनकी जीभ अब मेरे बुर को नीचे से ऊपर तक चाटने लगी। मेरी बुर तो किसी नदी के बहाव जैसा बहने लगी। और जैसे जैसे मेरा पानी निकल रहा है पापा उसे चटकार लेकर चाटने और पीने लगे।

"मममम... पापा... ओह यह क्या कर रहे हो... उफ़ आप तो मेरी आग और बढ़ा रहे हो...पापा... बहुत खुजली हो रही है...aaah डालो.. अपने टंग (tongue) और अंदर घुसेडो पापा..." मैं अपनी कमर उछलते बोली। मेरी बुर से पानी रिस रिस कर नीचे को बहने लगी नीचे मेरा नितम्ब और गांड तक चूत की पानी बह रहि है। अब मैं समझ गयी की पापा इतनी जल्दी मेरी चूत चाटना नहीं छोड़ेंगे....

मैं उन्हें बोली.. "पापा आप तो कचोरी खा रहे है.. मुझे भी कुछ दो..."                                           "क्या दूँ मेरी गुड़िया रानी. पूछो तो सही..." पापा अपने सर उठा कर पूछे।                                           "अपना लोल्ली पॉप मुझे दो पापा..." मैं बोली।

पपा झट मेरे ऊपर पलट गए। अब उनका सर मेरे जाँघों के बीच तो उनके जाँघ मेरे सर के पास... और उनका लंड मेरे गलों पर ठोकर मार रही है। मैं मेरी मुट्टीमे उसे पकड कर पहले उसके सुपाडे के गिर्द मेरी जीभ चलायी।

"ससससस... poojaaaaaaa...aaaaahhhh " पापा के मुहं से एक सीत्कार निकली।

फिर मैं उस टोपे को मेरे मुहं में ली, कुछ देर उसे चूसने के बाद अब मैं पापा का पूरा डिक मेरे मुहं में ली। 'बाप रे कितना मोटा है..पापा का सुपाड़ा..' मैं सोची और उसे और अंदर लेने लगी... एक इंच.. दो इंच.. तीन चार.. पांच...छह इंच मेरे मुहं में है.. अब और अंदर नहीं ले सकती। अब पापा का पेनिस (penis) मेरे गले में अटक रही है और मुझे सास लेने की दिक्कत हो रही है। इस चुम्मा चाटी में मुझे तो बहुत मज़ा आ रहा है... "ओये पापा यह क्या कर रहे हो.?" मैं पूछी.

पापा मेरी बुर को चाटते चाटते मेरी चूत रस में ऊँगली चिपुड़ कर मेरी गांड को खुरेदने लगे...

"बेटी तुम्हरा गांड तो लाजवाब है..इसे भी चोदने देगी....?" पापा अपनी ऊँगली वहां फिराते पूछे।

"ना ...बाबा... आपका बहुत मोटा और लम्बा है...मेरी गांड फट जाएगी.." मैं बोली।

घबराओ नहीं मेरी रानी... मैं धीरे से करूंगा..." अब उनकी ऊँगली की दो टकनों मेरी गांड में थी। उसे अंदर बहार चला रहे थे।

"ओह पापा गांड की बात बाद में पहले मेरी चूत की खुजली तो मिटाओ" मैं कमर उछालते बोली!

'पहले वादा करो की तुम अपनी गांड मरवा वोगी..." अपनी ऊँगली और अंदर करते बोले। मेरी चूत अब इतना इतरा रही थी की अब चुदाए बिना नहीं रह सकती।                                                         "ठीक है पापा लेकिन आज नहीं.. कल.. वह भी प्रॉमिस करो की धीरे से पेलोगे..." मैं बोली। "प्रॉमिस..." पापा मेरे ऊपर आये और मेरी आँखों में देखते बोले।

मैं उनके गले में हाथ दाल कर उन्हें चूमने लगी। पापा मेरे टांगों के बीच आये और अपना हलब्बी लंड का सूपड़ा मेरे बुर पर रखे और दबाये। मेरे दोनो होंठो को चीरते पापा का अंदर घुसी।

"आआआआअह्ह्ह्हह्हआआ..... मममममम" मैं चिल्लाई। पापा का इतना मोटा था की तीन, तीन लंडों से चुदने के बाद भी मेरे माथे पे पसीना निकल आया और मुझे दर्द देने लगी। "पापा दर्द हो रहा है..." मैं बोली।

"धीरज रख बेटी.. बस कुछ देर और.." कहे और मेरी आंसू से भरे आँखों को चूमने और आंसू को चाटने लगे। चाटते मेरी चूची की घुंडी को मसलने लगे। दुसरे हाथ से मेरे गालों को थप थपाने लगे। कुछ ही फलों में मेरी चूत फिर रिसने लगी, और खुजली भी होने लगी। कुछ राहत मिली तो मैं अपनि कमर उछाली।

"पूजा बेटी शुरू करूँ...? पापा मेरे गलों को चूमते पूछे।

"मैं अपनी कमर फिर से उछाली। फिर पापा शुरू होगये... ऐसा धुवांदार चुदाई हुयी की पूछो मत। मेरी बुर से पानी ही पानी बह रही थी। में अपने कमर उछाल उछाल कर चुदने लगी। पूरा 20 मिनिट तक पाप मूझे पेलते रहे...तौबा इतनी लम्बा तो न मेरे मास्टर ने चोदा नाहीं मेरे चाचा ने।

"पापा चोदो मुझे aaaaahhhh ...fuck.. fuck...me...ahhhhhaaa....a और चोदो और अंदर डालो पापा...आपका लंड तो अंदर कहीं चुभ रहि है... aur ..chodo.. fuck me...aahh fuck me papa... pappppaaaaappaaaa" मैं चिल्लाई। इसके साथ ही मैं भल भलाकर अपने चरम सीमा पर पहुंची।

"Waaaah...my dear...Pooja...mmmm.. क्या टाइट है तुम्हारी चूत...सच में बहुत मज़ा आया। ..oooooooooh.. अब मैं भी खल्लास होने वाला हूँ....कहाँ छोड़ूँ...?" पापा पूछे।

12