पत्नी की सहेली से जबरदस्त प्यार

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पत्नी की सहेली से उसके पीछे जबरदस्त प्यार
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मेरी पिछली कहानी जिस में मैंने अपनी पड़ोसन मिसेज वर्मा यानि निधि के साथ हुये घटनाक्रम को बताया था। आज की कहानी भी उसी के आगे की है। एक दिन शाम को पत्नी जी ने आदेश दिया कि उनकी मित्र निधि यानि मिसेज वर्मा को मेरी जरुरत पड़ गयी है पुछा कि क्या बात है तो पता चला कि उस के गैस सलैन्डर से गैस रिस रही है। गैस ऐजेन्सी में फोन किया था लेकिन कोई फोन नहीं उठा रहा है, मैंने उसे बताया कि गैस ऐजेन्सी बंद हो गयी होगी, वह बोली कि तुम तो इस तरह की चीजे सही कर लेते हो जरा उस के यहां जा कर एक बार देख लो उस के पति तो हमेशा की तरह टूर पर है।

मेरा मन निधि के यहां जाने का नहीं था लेकिन पत्नी को मना कर पाना भी संभव नहीं था सो अंदाजा लगा कर एक छोटा पेचकस साथ लेकर निधि के घर पहुंच गया। निधि शायद मेरा ही इंतजार कर रही थी। मुझे देख कर बोली कि आज फिर से आप को परेशान कर दिया? मैंने कहा कि परेशानी की कोई बात नहीं है, दिखाईयें कहां पर है गैस सलैन्डर। वह मुझें अपने किचन में ले गयी। जैसे ही गैस सिलेन्डर का रेगुलेटर खोला गैस की स्मेल आने लगी।

मुझे पता था कि यह कहां से आ रही है मैंने रेगुलेटर बंद करके किचन की खिड़की खोल कर गैस सिलेन्डर से रेगुलेटर अलग किया और पेचकस से उस के अंदर लगी रबड़ की वाशर निकाल ली। उसे जब रोशनी में ध्यान से देखा तो वह कटी हुई थी। इसी के कारण गैस लीक कर रही थी। अब मैंने निधि से पुछा कि पुराना गैस सिलेन्डर कहां पर है तो उस नें बाहर की तरफ इशारा किया। मैं बाहर गया जहां सिलेन्डर रखा हुआ था उस का लॉक हटा कर उस के वाल्व के अंदर से रबड़ की सील निकाल कर उसे देखा, यह सील सही लग रही थी।

नये सिलेन्डर से निकली सील लगा कर मैंने उसे लॉक कर दिया। फिर वापिस किचन में आ गया। निधि बड़े ध्यान से मुझे देख रही थी। मैं उसे अनदेखा करके अपने काम में लगा रहा। निकाली सील को नये सिलेन्डर में लगा कर उस में रेगुलेटर लगाया और उसे ऑन किया, इस बार गैस की बदबु नहीं आयी, मैंने नाक उस के पास ले जा कर सुघां लेकिन बदबु नहीं मिली। फिर भी पुरी तरह से सन्तुष्ट होने के लिये मैंने निधि से पानी के डिब्बें में थोड़ा सा साबुन घोल कर लाने को कहा। कुछ देर में वह साबुन का घोल डिब्बे में ले आयी उसे मैंने रेगुलेटर और गैस सिलेन्डर पर डाल कर देखा कि कहीं से गैस तो लीक नहीं कर रही है, लेकिन कही भी गैस की लिकेज नहीं मिली।

मैंने गैस जला कर देखी और सब कुछ चैक करने के बाद निधि की तरफ देख कर कहा कि गैस की लिकेज बंद हो गयी है। मेरी बात सुन कर वह मुस्करायी और बोली कि लगता है आप को हर काम आता है? मैंने जबाव दिया कि जब सर पर पड़ती है तो हर काम आ जाता है। यह कह कर मैंने उस से एक गिलास पानी मांगा तो वह बोली कि मुझे देख कर आप को प्यास क्यों लग जाती है? मैंने उस के तंज को समझ कर कहा कि मेरा मुँह सुख रहा है तो पानी ही पीना पड़ेगा।

मेरे सामनें ही ऐसा क्यों होता है?

मुझे क्या पता?

आप को नहीं पता होगा तो किस को पता होगा?

क्या कहुं

कोई जबाव नहीं हैं

नहीं, प्यास तो बुझा दे।

हां प्यास तो बुझानी पड़ेगी। क्या दूं?

एक गिलास पानी

इस से काम चल जायेगा?

अभी तो चल जायेगा

निधि नें एक कांच के गिलास में पानी भर कर मुझे दे दिया। मैं जब तक पानी पीता रहा, वह मुझे घुरती रही। खाली गिलास उस के हाथ में थमाने के बाद जब मैं चलने लगा तो उस नें मेरा हाथ थाम कर कहा कि एक कप चाय तो पीना बनता है। मैं कुछ कहता उस से पहले ही वह मुझे चुम कर चली गयी। मैं उस के पीछे-पीछे उस के ड्राइग रुम में आ गया। वह बोली कि मैं चाय बना कर लाती हूँ । कुछ देर बाद वह चाय बना कर ले आयी और हम दोनों चाय पीने लगे। चाय पीने के दौरान मैंने गौर किया कि वह मुझे प्यार भरी नजरों से देख रही थी, उस की यह नजर मुझे परेशान कर रही थी। मैं आज पिछली वाली घटना की पुनरावर्ती नहीं करना चाहता था। सो उसे देख कर अनदेखा करता रहा।

चाय पीने के बाद जब उठ कर चलने लगा तो वह बोली कि आप मुझ से इतना डरते क्यों है? मैंने इस बार हँस कर कहा कि कारण आप जानती है। वह यह सुन कर मुस्कुराई और बोली कि मुझे यह डर अच्छा लगता है। मैंने कहा कि अगर ज्यादा डराओगी तो आगे से मदद करने नहीं आऊंगा, सोच लो। वह बोली कि ऐसा तो हो ही नहीं सकता आना तो पड़ेगा, मेरे पास ऐसा व्यक्ति है जिसका आदेश आप ठुकरा नहीं सकते। मैंने कहा कि उस को ही सारी बात पता चल गयी तो क्या होगा यह कभी सोचा है? वह बोली कि इस डगर में खतरें तो है ही। फिर कुछ सोच कर बोली कि कुछ और तो नहीं पीना। मैंने कहा कि अभी तो प्यास बुझ गयी है फिर कभी देखेगें।

वह यह सुन कर हँस पड़ी और बोली कि इतने शरीफ नहीं है आप जितना ऊपर से दिखायी देते है। मैंने सर झुका कर कहा कि जर्रा नवाजी है आप की। मेरी हरकत देख कर वह बोली कि कुछ तो पीना बनता है। मेरी प्यास का क्या होगा? तुम्हारी प्यास बुझाने में देर लगेगी और यह देरी शक पैदा करेगी जो सही नहीं रहेगा। मेरी बात सुन कर वह मेरे करीब आयी और उस के होंठ मेरे होठों से जुड़ गये। एक लम्बें चुम्बन के बाद वह अलग हुयी और बोली की कुछ तो इनाम बनता है। मैं हँस पड़ा और उस के घर से बाहर निकल गया।

रास्तें में सोचता रहा कि निधि से मिलना खतरे से खाली नहीं है, वह अपने इरादों के लेकर बिल्कुल स्पष्ट है। घर पहुंचा तो पत्नी बोली कि इतनी जल्दी सही हो गया। मैंने कहा कि कोई बड़ी बात नहीं थी। सिलेन्डर का रबड़ की सील बदल दी। इससे गैस की लिकेज बंद हो गयी। मेरा काम खत्म हो गया। वह तो चाय पीने में देर लग गयी नहीं तो और जल्दी आ जाता। मेरी बात सुन कर पत्नी कुछ नहीं बोली और काम में लग गयी। मुझे अपनी पत्नी की यह बात कि जल्दी कैसे आ गये कुछ समझ में नहीं आयी लेकिन फिर उसे दिमाग से निकाल कर मैं अन्य कार्यों में लग गया।

कुछ दिनों बाद मेरी पत्नी को अचानक अपने मायके जाना पड़ा, उसे बिल्कुल समय नहीं मिला की वह मेरे लिये कुछ तैयारी कर के चली जाती, इस लिये अब मैं पीछे से अपने पर ही निर्भर था अपने खाना खाने के लिये। पहले दिन तो मैं ब्रेड़ खा कर ऑफिस चला गया, शाम का जब आया तो कुछ सोच ही रहा था कि दरवाजे की बेल बजी, जा कर दरवाजा खोला तो देखा कि निधि जी खड़ी थी और उन के हाथ में खाना था।

मैंने उन्हें अन्दर आने दिया जब वह अंदर आ गयी तो खाना मेज पर रख कर बोली कि मुझे पता है कि आप को खाना बनाना नहीं आता, इसी लिये खाना ले कर आयी हूँ खा लिजिये और बरतन दे दिजिये। मैंने कहा कि आप को कैसे पता चला कि पत्नी नहीं है तो वह हंसी और बोली कि यह भी कोई पुछने की बात है, आप खुद ही सोचों कि किसने बताया होगा? मुझे अपने पर हंसी आयी और फिर मैं भी हँस पड़ा और बोला कि मैं भी बड़ा गधा हूँ एक ही व्यक्ति है जो यह बता सकता है और वह है आप की दोस्त।

मैं हाथ धोने के बाद खाना खाने बैठ गया। निधि बड़े ध्यान से मुझे खाना खाते देखती रही। उसे ऐसा करते देख कर मैंने पुछा कि क्या देख रही है? तो वह बोली कि देख रही हूँ कि खाना तो आप बड़े आराम में खा रहे है लेकिन और कई कामों में तो बहुत जल्दबाजी करते है। मैंने उसी टोन में जबाव दिया कि कुछ कामों में जल्दी करनी ही पड़ती है। वह मेरा इशारा समझ कर मुस्कराई और बोली कि कभी धीरे कर के भी देखिऐगा ज्यादा मजा आयेगा।

मैंने कहा कि आप की बात मान कर भी देख लेगे। ना मानने का तो कोई मतलब ही नहीं है। वह मुस्कराई। मैंने खाना खत्म किया तो वह बोली कि कुछ और तो नहीं चाहिये? मैंने कहा कि नहीं कुछ नहीं चाहिये, खाने के लिये धन्यवाद लेकिन कल से परेशान होने की जरुरत नही है मैं बाहर से खाना ले कर आ जाऊंगा। वह बोली कि यह तो नहीं हो सकता, रात का खाना तो मैं ही बना कर दूंगी।

उस की आवाज की धमकी का पुट मुझे अजीब लगा लेकिन बात बढ़ाने का कोई फायदा नहीं था। वह चुपचाप खाने के बरतन ले कर चली गयी। मैं भी कपड़ें बदल कर सोने की तैयारी करने लगा। पत्नी के साथ ना होने से उस की याद ज्यादा आ रही थी सो टीवी पर पोर्न मुवी लगा कर उसे देखने लगा। कुछ देर देख पाया था कि दरवाजे की घन्टी बजी, यह मेरे लिये अचरज की बात थी, इतनी रात में कौन होगा? यही सोचता हुआ मैं दरवाजे पर गया और दरवाजा खोला तो कोई मुझे धकेलता हुआ अंदर आ गया और दरवाजा बंद कर दिया।

उस नें अपना चेहरा गहरे रंग के कपड़ें से ढ़क रखा था, मैं हैरान सा खड़ा ही था कि आने वाले नें अपने चेहरे से कपड़ा हटाया तो मेरी जान में जान आयी, यह निधि जी थी। मैंने कुछ बोलना चाहा तो वह मुझे बांह से पकड़ कर खिचंती हूई बेड़रुम में ले गयी। और बेडरुम का दरवाजा बंद कर दिया और उसे लॉक कर दिया।

मैं अभी तक के घटनाक्रम से हैरान था कुछ कहने को मुह खोला तो निधि नें मुझ से लिपटते हुये कहा कि कुछ मत कहो। अब मेरी समझ में सब कुछ आ गया था वह मिलन की प्यासी थी सो रात में छुप कर अंधेरे में आयी थी। मैंने उसे गले से लगा लिया। उस नें देखा कि टीवी पर गरमागरम सीन चल रहा था, वह कान में बोली कि एक रात भी नहीं कटती तुम से? मैंने कहा कि देखने से तो आग और भड़कती है बुझती कहाँ है? वह बोली तो आग भड़का ही क्यों रहे थे। मैंने कहा कि इस के बाद बुझाने का भी उपाय करते। वह बोली कि पुरे चालू हो। बीवी कहती है कि मेरा पति देवता है सीधा है लेकिन यह तो यहाँ पर पुरा खेला खिलाया है। मैंने उसे चुमते हुये कहा कि सब तुम्हारी नियामत है।

हम दोनों वासना की आग मे धधक रहे थे सो एक दूसरें के होठों को चुमने लगे, इस के बाद दोनों नें अपने कपड़ें उतार फेकें और 69 की पोजिशन में लेट कर एक दूसरे का स्वाद लेना शुरु कर दिया। मैं उस की भंग को सहलाता रहा और जीभ उस की योनि का रस पीती रही। उस की आह उहहहहहहहह निकलनी शुरु हो गयी थी। मेरी जीभ ने योनि की गहराई में उतरना शुरु कर दिया। उन नें मेरा लिंग अपने मुँह में भर लिया।

छः इंच लम्बा और चार इंच मोटा लिंग उस के मुँह में समा गया वह गरररररररर करने लगी थी। मुझ से रुका नहीं जा रहा था सो मैं उठ कर बैठ गया, लिंग उस के मुँह की लार से सना हुआ था। मैंने उस के कसे उरोजों को दातों की बीच ले कर चुसना शुरु कर दिया जैसे कोई बच्चा दूध पीता हो, यह निधि को अच्छा लग रहा था, कुछ देर एक दूसरें को चुमने सहलाने के बाद मैंने उसे पीठ के बल लिटाया और उस की जाँघों के बीच बैठ गया।

मेरा लिंग निधि की चूत से टकरा रहा था उसे भी उत्तेजना हो रही थी और मुझ से रुका नहीं जा रहा था सो मैंने हाथ से लंड को पकड़ के निधि की चूत पर लगाया और धीरे से धक्का दिया तो सुपड़ा फिसलता सा चला गया। अभी सुपड़ा ही अंदर गया था वह बोली कि जोर से मत करों। मैंने रुक कर धीरे से धक्का दिया और इस बार पुरा पांच इंच का लंड का बाहरी हिस्सा निधि की चूत में घुस गया। निधि ने दर्द के मारे मेरी छाती पर मुक्के मारने शुरु कर दिये।

मैं रुक गया और उस के उरोजों को सहलाने लगा, इससे वह शान्त हुई, उस ने कहा कि तुम जल्दी बाजी छोड़ ही नहीं सकते। मैंने कहा कि हां ऐसा कह सकती हो, यह कह कर मैंने अपने हाथ उस के चुतड़ों के किनारे रख कर फिर से लंड को बाहर निकाल लिया और उसे उस की चूत से टकरा कर छेड़ने लगा कुछ देर बाद निधि नीचे से बोली कि अब मान जाऔ जैसा मन करे करो लेकिन ऐसे परेशान मत करों।

मैंने लंड़ को फिर से उस की चूत में डाला और इस बार धीरे धीरे से इंच इंच कर के उसे पुरा घुसेड़ा जब लंड़ चूत की जड़ में लगा तो निधि कराही, उस की कराह सुन कर मै रुक गया तो वह बोली कि अब मत रुकों, इस के बाद तो मैंने धक्कों की झड़ी लगा दी पांच मिनट तक बिना रुके में अपना लंड़ निधि की चूत में अंदर बाहर करना रहा। मेरा लंड़ इस से गरम हो गया था तथा मुझे लग रहा था कि उस की खाल पर असर हो सकता है सो मैं रुक गया और मैंने अपना लंड़ चूत से निकाल लिया। लंड़ अभी भी तना था लेकिन निधि की चूत इतनी चूदाई के बाद लाल हो गयी थी।

मैं पीठ के बल लेटा और निधि को अपने ऊपर कर लिया वह तो लगता था इसी के इंतजार में थी धड़ाम में मेरे खड़ें लंड़ पर चूत टिका कर धड़ाम से बैठ गयी पुरा लंड़ एक बार में ही उस की चूत में घुस गया, शायद बच्चेदानी के मुँह पर जा कर लगा तो वह आहहहहह करने लगी। उस की रफ्तार मेरी रफ्तार से भी तेज थी, उस के डिस्चार्ज होने के कारण फच फच की आवाज पुरे कमरे में भर गयी थी। मैं भी उस के उछलते उरोजो को जीभ से सहलाता रहा। जब वह थक गयी तो उतर कर मेरी बगल में लेट गयी। अभी तक गरमी के कारण हम दोनों पसीने से नहा गये थे।

निधि को करवट दिला कर मै उस के पीछे लेट गया और उस के पीछे से लंड़ को उसकी चूत में डाल दिया। वह कसमसाने लगी और उहहहहहहहहहह आहहहहहहहहहह करने लगी। हम दोनों का मुह टीवी की तरफ था और उस पर गुदा मैथुन चल रहा था निधि उसे ध्यान से देखने लगी। मैने यह देख कर उस से पुछा कि करना है? तो वह बोली कि कभी किया नहीं है सुना है काफी दर्द होता है? मैंने जबाव दिया कि मैने भी नहीं किया है चाहों तो कर के देखते है, वह बोली कि कर के देखने में क्या जाता है। शायद मजा आये? कैसे करोगें, मैने कहा कि अभी तो जो चल रहा है उसे चलने देते है इस के बाद देखेगे।

वह कुछ नहीं बोली मैं ऊठ कर उस के उपर आ गया और उस के दोनों पांव अपने कंधों पर रख कर उस की चूत में लंड़ डाल दिया। जैसे ही अंदर बाहर करना शुरु किया निधि गरदन दर्द के मारें पटकने लगी कुछ देर बाद वह सामान्य हो गयी। मैंने भी उस की टांगे नीचे कर दी और जोर जोर से उस की चूत में अपना लंड़ अंदर बाहर करने लगा। कुछ देर बाद निधि के पांव मेरी पीठ पर कस गये वह डिस्चार्ज हो गयी थी, फिर मेरी आंखों के सामने भी तारें टिमटिमा गयेऔर मैं भी पस्त हो कर निधि के ऊपर गिर गया।

कुछ देर बाद उस के उस के ऊपर से उठ कर उस की बगल में लेट गया। हम दोनों की सांसे फुली हूई थी, कुछ देर बाद जब सांस सामान्य हुई तो निधि नें मैंने लंड़ को हाथ लगाया तो बोली कि यह तो अभी भी तैयार लग रहा है। मैंने कहा कि नहीं अभी इसे कुछ देर आराम करने देते है। यह कह कर मैं उस के होठों का चुम्बन लेने लगा। टीवी पर लड़का लड़की की गांड में ऊंगली डाल रहा था, फिर उस ने अपना अगुंठा उस की गांड़ में घुसेड़ दिया, हम दोनों यह सब देख रहे थे।

लड़की दर्द से कराह रही थी लेकिन लड़का गांड़ में दो ऊंगलियां अंदर बाहर कर रहा था इस के बाद उस नें अपने लंड़ पर थुक लगाया और उस का सुपाड़ा लड़की की गांड़ के मुह पर रख कर उस से गांड़ को सहलाया और उस के बाद लंड़ को गांड़ में घुसेड़ दिया। लड़की के चेहरे पर दर्द दिखने लगा लेकिन लड़कें नें पुरा लंड़ गांड़ में घुसेड़ दिया। इस के बाद वह नीचे हाथ कर के लड़की की चूत सहलाने लगा और दोनों गांड़ मारने लगे।

यह देख मुझे लगा कि आज जैसा मौका दूबारा नहीं मिलेगा बीवी कभी देगी नहीं मौका है लपक ले। यह सोच कर मैं बेड से उठ गया और किचन में चला गया। इस समय तो सरसों के तेल से ही काम चलाना पड़ेगा ऐसा सोच कर एक कटोरी में तेल ले कर बेडरुम में लौट आया। निधि बेड पर लेटी थी। उस की आंखें उनीदीं सी हो रही थी वह बोली कि

क्या लाये हो?

सरसों का तेल है,

इस का क्या काम है

अभी पता चल जायेगा

कुछ होगा तो नहीं

कुछ नही होगा

वह दोनों भी तो कर रहे है

वह तो नकली है

नकली कैसे है? लंड़ गांड़ में पुरा जा रहा है नकली नही हो सकता

हां यह तो है

पेट के बल लेटों

निधि पेट के बल लेट गयी। मैंने उस के दोनों गुदाज चुतड़ों को सहलाया और उनकी दरार में ऊगलीं डाल कर फिरायी। निधि के पुरे शरीर में मानों कंरट सा दौड़ गया। वह सिहर सी गयी मैंने उस की गरदन पर चुम्बन ले कर उसे आश्वस्त किया हाथ ऊपर कर के उस के उरोजों को सहलाया फिर चुतड़ों की दरार से हाथ नीचे ले जा कर उस की चूत को सहलाय। तब जा कर निधि की सिहरन बंद हुई और उस में काम उत्तेजना जाग्रत हो गयी। कुछ देर मैं उस के मुलायम पंजों को चुमता और सहलाता रहा। इस के बाद मैंने दो ऊंगलियां तेल में डुबोई और चुतडों की दरार में गांड़ के ऊपर तेल मल दिया। कुछ देर युहीं तेल से उस की गांड़ की मालिश करना रहा।

मैं चाहता था कि उस के मन से डर निकल जाये तभी वह गांड़ मरवा सकती थी। दूबारा अनामिका को तेल में डाल कर उसकी गांड़ पर तेल मसल कर ऊंगली को धीरे से गांड़ में डाला। गांड़ बहुत कसी होती है लेकिन वह फैल भी जाती है निधि का डर निकल गया था सो ऊंगली आराम से गांड़ में अंदर चली गयी तेल के कारण अंदर बाहर करने में उसे दर्द नहीं हुआ।

इस के बाद मैंने अपना अगुंठा तेल में डुबा कर उसकी गांड़ में डाला वह कसमसायी लेकिन अगुंठा गांड़ में समा गया। कुछ देर तक मैं ऐसा ही करना रहा। फिर हाथ निकाल कर निधि को सीधा किया और उस के होठों को चुमा वह भी चुमना चाहती थी सो दोनों गहरे चुम्बन में डूब गये। चुम्बन के बाद मैंने अपने लंड़ पर खुब सारा तेल लगाया और निधि को घोड़ी बना कर उस के पीछे खड़ा हो गया।

अब परीक्षा की घड़ी थी कि क्या इतनी तैयारी के बाद मेरा लंड़ गांड़ में जा पायेगा या नहीं? मैंने लंड़ का सुपाड़ा निधि की तेल से सनी गांड़ पर रख कर जोर लगाया तो पहली बार तो लंड़ तेल की वजह से फिसल गया। दूबारा जब गांड़ पर रख कर धीरे से लंड़ को दबाया तो लंड़ गांड़ में आधा इंच करीब घुस गया। मुझे यह पता था कि इसे अगर अभी पुरा नहीं डाला गया तो यह फिर से निकल जायेगा और दर्द के अहसास के कारण निधि दूबारा नहीं डालने देगी।

मेरी पत्नी के साथ भी मेरा ऐसा ही अनुभव विवाह के बाद हो चुका था। यही सोच कर मैंने लंड़ को हाथ से पकड़ कर गांड़ में धीरे से अंदर दबाया इस बार लंड़ का सुपाड़ा पुरा गांड़ में समा गया। अब मैं रुक गया और मैंने निधि की तरफ ध्यान दिया, वह दर्द से कराह रही थी लेकिन चीख नहीं रही थी। मैंने अपना हाथ उसके आगे से नीचे ले जाकर उस की चूत को सहलाना शुरु कर दिया, इस का असर यह हुआ की निधि नें कराहना बंद कर दिया फिर उस को उरोजों को सहलाया।

इस के बाद मैंने निधि से पुछा कि क्या हाल है तो वह बोली कि सही है, आगे चलते है। उस की आवाज में उत्साह था यह देख कर मुझे भी उत्तेजना हुई, इससे पहले मैं भी पहली बार होने के कारण घबराया हुआ था। अब मैने अपने चुतड़ों को झटका देते हुये लंड़ को निधि की गांड़ में गहराई में उतारना शुरु किया, जब आधें से ज्यादा लंड़ निधि की गांड़ में चला गया तो मैं रुक गया और निधि की प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा करने लगा। वह दर्द से परेशान तो थी लेकिन अब वह उस का मजा लेने लगी थी, मुझे रुका देख कर वह बोली कि पुरा गया?

नहीं बाकि है,

अंदर क्या हाल है? आग लगी है।

क्या करुं? निकालुं,

क्यों, मंजिल पर आ कर कौई लौटता है।

उस की बात सुन कर मुझे पता चला कि मुझ से ज्यादा गांड़ मरवाने के लिये निधि मरी जा रही है। अब रुकना बेकार था सो मैंने हल्का धक्का लगा कर दो बार में पुरा लंड़ निधि की गांड़ में घुसा दिया। मेरें अंड़कोष निधि के चुतड़ों से टकरा रहे थे।

निधि को दर्द हो ही रहा था इतनी कसी गांड़ में घुसने के कारण लंड़ भी दर्द से भरा था, लेकिन उसे महसुस करने का किसी को होश नहीं था। मैंने धीरे-धीरे लंड़ को निधि की गांड़ के अंदर बाहर करना शुरु कर दिया इस में बहुत घर्षण हो रहा था, तेल लगे होने के बावजुद गांड़ में चूत की तरह अपना पानी नहीं होता इस कारण ऐसा हो रहा था। निधि आहहहहहहहहहहहह उहहहहहहहहहह उईईईईईईईई करने लगी।

अब हम दोनों इस का आनंद लेने लगे थे। गांड़ बहुत कसी थी इस लिये लंड़ को पहली बार चूत मारने जैसा आनंद मिल रहा था। लंड़ के पुरे साइज का आनंद निधि को भी मिल रहा था। कुछ देर बाद मेरा हाथ निधि की चूत में चला गया और वह उस सहलाने लगा, निधि को अब दोनों तरफ से मजा मिल रहा था उस के चुतड़ जोर जोर से हिल रहे थे। मैंने ऊंगली अंदर डाल कर उसे डबल मजा देना शुरु कर दिया, इस से वह आहहहहहहह उहहहहहहहह जोर जोर से करने लग गयी।

कुछ देर बाद उस की चूत से पानी गिरने लगा वह ऑग्जास्म का मजा ले रही थी पीछे से और आगे से दोनों तरफ से मजा। मैं भी ज्यादा देर नहीं टिक सका और उस की गांड़ में डिस्चार्ज हो गया। मैंने जब अपना लंड़ निधि की गांड़ से बाहर निकाला तो उसकी गांड़ से मेरा वीर्य भकभक कर के बाहर निकलने लगा। निधि की गांड़ और चूत दोनों पानी निकाल रही थी। उस का सारा शरीर आनंद से कांप रहा था। मैंने उसे पीठ के बल लिटाया और उस की बगल में लेट कर उसे अपने से लिपटा लिया। वह लता की तरह मेरे से चिपक गयी। फिर हम दोनों एक दूसरे को बुरी तरह से चुमने लगे।

हम दोनों अभी-अभी एक अनुठे अनुभव से गुजरे थे जो अनोखा था पहला था उसका पुरा मजा हम ले रहे थे। मैंने उस के चुतड़ों को सहलाने लगा तो निधि बोली की गांड़ पर हाथ मत लगाओ दर्द हो रहा है। मेरा हाथ आगे गया तो उस की चूत से अभी भी पानी निकल रहा था मैंने उगली डाली तो वह पानी से तर हो गयी। निधि मुझे नोच कर बोली कि अभी भी मान नही रहे हो? उस का हाथ नीचे मेरे लिंग पर गया तो उसे छु कर बोली कि यह तो अभी भी तनाव में है क्या बात है आप ने कोई दवा तो नहीं खायी है?

मैंने कहा कि दवा तो तुम हो जो मेरे पास लेटी हो वह बोली कि मजाक मत करो, दो बार करने के बाद भी यह तनाव में हैं ऐसा कहां होता है? मैंने कहा कि तना इस लिये है कि अभी वीर्य और पेशाब भरा है कुछ देर बाद ढीला पड़ जायेगा तुम देख लेना। वह कुछ नहीं बोली। मैंने शरारत में फिर हाथ उस के चुतड़ों की दरार में लगाने की कोशिश की तो उस नें दातों सें मेरे कंधें पर जोर से काट लिया।

मैंने अपना हाथ वहां से हटा लिया। निधि बोली कि मना तो कर रही हूँ लेकिन तुम मान ही नहीं रहे हो, क्या करुं। मैंने उसे प्यार से चुमा और कहा कि माफ कर दो मजाक कर रहा था यह नहीं पता था कि इतना दर्द हो रहा है। वह बोली कि आग लगी है वहां पर, सुबह क्या होगा जब टट्टी करने जाउंगी? कुछ देर सोचने के बाद मैंने कहा कि उस का इलाज मेरे पास है तो वह बोली कि अभी क्यों नहीं कर देते? उस की बात सुन कर मैं उठा और अलमारी खोल कर एक जैल की टयूब निकाल लाया फिर उस से थोड़ा जैल ले कर उस की गांड़ के अंदर लगा दिया पहले तो वह चीखी लेकिन मैंने हाथ से उस का मुह बंद कर दिया फिर जैल के असर से वह चुप हो गयी।

जब हाथ हटाया तो निधि बोली कि इस से तो ठंड़क पड़ गयी है। मैंने कहा कि इस जैल का ध्यान ही नहीं रहा नहीं तो इतना दर्द भी नहीं होता। वह कुछ नहीं बोली। मैंने एक टॉवल ले कर अपना लंड़ साफ किया और फिर उस की चूत को साफ किया। इसके बाद उस के चुतड़ों पर लगा तेल भी साफ कर दिया। उस की जांघें भी तर थी उन्हें भी साफ कर दिया।

इस सफाई के बाद उस की पेंटी उसे पहनने को दी और उस के कपड़ें उसे पहना दिये। अपने कपड़ें भी पहन लिये। इस के बाद मैंने उस से पुछा कि अब क्या इरादा है तो वह बोली कि सुबह चार बजे से पहले मुझे घर छोड़ आना। मैंने कहा कि हो सकता है नींद ना खुले कहों तो अभी छोड़ दूं वह बोली कि अभी तो चला नहीं जायेगा। फिर कुछ सोच कर बोली कि बोल तो तुम सही रहे हो सुबह नहीं उठ पायेगे। अभी छोड़ दो। लेकिन अपने को कपड़ों से ढ़क लेना। मैंने उस की बात मान कर गहरे रंग की चादर से कवर कर के अपना दरवाजा बंद करके उसे उस के घर के दरवाजे तक छोड़ आया। जब तक वह अंदर नही चली गयी मैं वही रहा। फिर घर लौट आया।

आज जो कुछ हुआ वह इतना अचानक हुआ कि उस के सही या गलत होने के बारे में सोचने का मौका ही नही मिला। जब लेटा तो मेरा बदन भी दर्द कर रहा था, मैंने भी जीवन में इतनी देर संभोग और गुदा मैथुन नहीं किया था। पोर-पोर दर्द से कराह रहा था। निधि की हालत में समझ सकता था। अच्छा हुआ कि वह रात में ही चली गयी सुबह जाना मुश्किल था।

तभी मेरा मोबाइल बजा, निधि थी बोली कि तुम सही हो मैंने पुछा कि तुम बताओं तो वह बोली कि सारा शरीर दर्द कर रहा है करवट से लेटी हूँ पीठ के बल नहीं लेटा जा रहा है। मैंने उसे बताया कि मेरा भी ऐसा ही हाल है सारा शरीर दर्द कर रहा है लेकिन दर्द अच्छा लग रहा है, मन तो कर रहा है कि दर्द की गोली खा लु लेकिन मैं सारी रात इस दर्द का मजा लुगा। मेरी बात पर वह हंसी और बोली की मैं भी ऐसा ही करने वाली हूँ। यह कह कर फोन काट दिया।

मैं बाथरुम गया और अपने लंड़ को पानी और साबुन से साफ करने के बाद उसे पोछ कर सुखा दिया फिर बाक्सर पहन कर बेड पर लेट गया। टीवी पर अभी भी पोर्न फिल्म चल रही थी। उसे बंद किया, फिर सोचा कि क्या सुबह ऑफिस जाया जा सकता है? शरीर बोला कि नहीं लेकिन मन नें कहा कि हां जाना तो पड़ेगा। यही सब सोचते सोचते कब नींद आ गयी पता ही नहीं चला। सुबह अलार्म से आंख खुली तो लगा कि सारा शरीर अकड़ गया है।

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