पत्नी की बेरुखी लाई साली के नजदीक

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एक लड़के लड़की की कहानी....
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हरीश लगभग 58 वर्ष के मजबूत कदकाठी और आकर्षक व्यक्तित्व के व्यक्ति हैं।

सुबह के घूमने, लान टेनिस और योग से उन्होंने अपने को किसी नौजवान सा फिट बनाया हुआ है।

उनके लिए उम्र केवल एक नंबर है वरना दिल आज भी कुलांचें मारता है और उनका औज़ार तो हमेशा अलर्ट रहता है।

वे एम एन सी में जीएम के पद पर पोस्टड थे, इसी साल वीआरएस लिया है, अथाह पैसा कमा लिया है।

दो बेटे हैं; एक मुंबई है, दूसरा बेंगलोर।

यहाँ गुरुग्राम में बड़ी कोठी है।

रहने वाले केवल दो प्राणी; हरीश और उनकी पत्नी सुधा।

अब आपको ले चलते हैं आज से 30 साल पहले जब हरीश ने जॉब जॉइन ही की थी इंजीनियरिंग के बाद।

हरीश उस जमाने के दिलफेंक आशिक हुआ करते थे।

रुड़की में इंजीनियरिंग पढ़ रहे थे, वहीं इनका सुधा से नैन मटक्का हुआ।

सुधा पर जवानी भरपूर आई हुई थी।

उसके पिताजी शहर के माने जाने रईस और हरीश के पिता के बचपन के दोस्त थे तो हरीश का उनके घर आना जाना लगा रहता था।

बस वहीं इनके बीच प्यार के बीज पनप गए।

दोनों श्रीदेवी और ऋषिकपूर स्टाइल में इश्क को अंजाम देते इधर उधर घूमते।

और इश्क में इस कदर पगलाए कि शारीरिक संबंध बना बैठे।

इधर कैम्पस प्लेसमेंट में हरीश का जॉब फ़ाइनल हुआ उधर सुधा का पीरियड मिस हुआ।

सुधा हरीश से मिली और रो-रोकर उसने हरीश को मजबूर कर दिया कि वो अपने माँ-बाप को सारी बात बताए।

हरीश-सुधा ने ईमानदारी से अपने अपने पैरेंट्स को सब कुछ बता दिया और शादी की इच्छा बता दी।

हालांकि दोनों परिवार धनाढ्य थे और आपस में परिचित थे, फिर भी पहले तो हरीश के माँ बाप कुछ झिझके.

पर हरीश ने साफ कह दिया कि अब चूंकि उसकी निशानी सुधा के गर्भ में है तो वह किसी भी कीमत पर सुधा को नहीं छोड़ेगा।

अब दोनों परिवारों के पास सहमति और तुरंत शादी के अलावा कोई और रास्ता नहीं था.

लिहाजा हाँ हो गयी और एक रस्म करके बात पक्की कर ली गयी।

पर इससे पहले की शादी की तारीख पक्की होती, सुधा का स्वतः गर्भपात हो गया।

हरीश और उसके माँ बाप पूरे समय हॉस्पिटल में रहे।

बाद में सबने यह तय किया कि अब चूंकि कोई जल्दी नहीं है और रिश्ता पक्का है तो शादी सबकी सुविधा से धूमधाम से की जाये।

शादी गर्मियों में यानि लगभग 6 महीने बाद की तय रही।

इस बीच में हरीश और सुधा कई बार बाहर मिलते रहे।

हाँ अब चुदाई तो नहीं करते थे, इसके अलावा चूमा चाटी में कोई कसर नहीं छोड़ी थी दोनों ने।

सुधा की भी आग भड़क जाती थी हरीश से मिलते ही!

उसकी माँ उसको अक्सर डांटती कि अबकी फिर से गलती मत कर बैठना; शादी के बाद दिन रात यही करना।

सुधा कोई बहुत खूबसूरत नहीं थी पर उसके व्यक्तित्व में एक आग थी जो किसी भी मर्द को जला दे।

उसके मांसल मम्मे और बड़ी बड़ी आँखें, लंबा छहरहा जिस्म उसके व्यक्तित्व को आकर्षक बनाता था।

कुल मिलकर वो कामदेवी थी इसीलिए हरीश उसका दीवाना था।

शादी के अगले ही दोनों हनीमून के लिए मालदीव्स गए।

ताज एक्सोटिका में बुकिंग थी उनकी!

हरीश और सुधा ने तय किया था कि सुहागरात मालदीव्स के कॉटेज में ही मनाएंगे।

हालांकि दोनों के जिस्म एक दूजे के लिए नए नहीं थे पर सुहागरात का क्रेज तो हरेक को होता है।

होटल वालों ने भी उनका कॉटेज सुहागरात के हिसाब से ही सजाया था।

हरीश और सुधा जींस टीशर्ट में हाथ में हाथ थामे मोटर बोट से उतर रिज़ॉर्ट में घुसे।

सुधा की बाहों में चूड़ा और मेहँदी यह बता रही थी कि वो नवविवाहिता है।

कॉटेज के गेट पर बग्गी से उतरकर हरीश ने सुधा को गोदी में उठाया और अंदर ले गया।

उनका सामान पहले ही आ चुका था।

कॉटेज का गेट बंद करते ही उनके सब्र का बांध टूट गया; दोनों लिप्त गए एक दूसरे में!

दोनों एक दूसरे में समाने को बेताब थे। दोनों के होठ जुड़े हुए थे और जीभ एक दूसरे के हलक में उतारने की कोशिश में थीं।

हरीश सुधा के मम्मों को चूमना चाहता था तो उसने सुधा का टॉप उतार दिया।

सुधा ने स्पोर्ट्स ब्रा पहन रखी थी, उसे भी हरीश ने उतार दिया।

अब सुधा ने अपने हाथ से मम्मे पकड़कर हरीश के मुंह में रख दिये।

ठाड़ा खुमार उतारने पर दोनों ने कॉटेज को देखा।

कॉटेज बिल्कुल सपनों का समंदर था। बीच समुन्दर में रिज़ॉर्ट, पूरी प्राइवेसी रखती कॉटेज, उसमें किंग साइज़ बेड, एक प्राइवेट स्वीमिंग पूल, अत्याधुनिक बाथरूम, मेज पर वेलकम ड्रिंक, फ्रूइट्स, केक, कूकीस वगेरा रखे थे।

सुधा ने हरीश को चूमते हुए उसकी भी टीशर्ट उतार दी।

अब बाकी कपड़ों का भी क्या करना था ... तो दोनों ने एक दूसरे के कपड़े उतार दिये और निपट नंगे हो गए।

हरीश ने सुधा को गोदी में उठा कर बेड पर लिटा दिया और उसकी चिकनी चूत में मुंह लगा दिया।

सुधा कसमसाती रही, बोली- जरा सब्र करो.

वह जबर्दस्ती खड़ी हुई और उसने हरीश से कहा- ये केक हमारे लिए है, आओ इसे काटें।

हरीश ने सुधा को रोका और उसे गर्दन से नीचे केक की ओर झुकाया।

इससे पहले सुधा कुछ समझ पाती, हरीश ने सुधा के नुकीले मम्मों को केक पर दबा दिया जिससे केक पर उनके निशान बन गए और मम्मों पर केक लग गया।

अब सुधा को भी मस्ती सूझी तो उसने हरीश का लंड पकड़कर उसे केक पर दबा दिया और उसका लम्बा सा निशान केक पर बन गया।

अब हरीश भी सनक गया कि तुम्हारी मुनिया से भी केक कटवाना है।

सुधा मना करती रही पर हरीश ने सुधा को आड़ा तिरछा करके उसकी चूत से भी केक को चटवा ही दिया।

फिर हरीश ने हाथ में केक लेकर सुधा के चेहरे और मम्मों और चूत पर मल दिया।

सुधा ने भी केक हरीश की छाती, चेहरे और लंड पर मसल दिया।

अब दोनों एक दूसरे को चाटने लगे।

केक तो चाट कर खत्म कर लिया गया पर दोनों के शरीर ऐसे हो गए कि अब बिना नहाये कोई रास्ता नहीं था।

सुधा ने फ्रिज से बियर की केन निकाली और अपने और हरीश के ऊपर लुढ़का ली और हरीश से बोली- चाटो इसे भी!

चाटते चाटते हरीश चुदाई के मूड में आ गया.

तो सुधा बोली- वो तो कायदे से बेड पर ही सुहागरात या सुहागदिन मना कर करेंगे।

दोनों शावर लेकर स्विमिंग पूल में उतर गए।

खुले आसमान के नीचे और सामने खुला समुद्र ... दोनों नंगे पूल में बैठे रहे।

पूल तीन तरफ से कवर्ड था तो बराबर के कॉटेज से आवाज तो आ रही थीं, पर दिखता कुछ नहीं था।

और कुछ दिख भी जाए तो परवाह किसे है।

अब भूख लग आई थी तो दोनों शॉर्ट और टॉप पहन कर बाहर आ गए और पैदल ही रेस्तराँ की ओर चल दिये।

वहाँ सभी जोड़े जवान ही थे, काफी विदेशी थे।

शर्म हया तो दूर तक भी नहीं थी।

सभी लड़कियों ने ऐसे कपड़े पहने थे कि बस चूत की फाँकें तो नहीं दिख रही थीं बाकी मम्मे और चूत का उभार तो खुल्लम खुल्ला था।

लड़कों की शॉर्ट्स अधिकतर झीने कपड़े की थीं तो उनके लंड के उभार साफ दिखते थे।

खुलेआम चूमा चाटी हो रही थी। किसी को किसी की परवाह नहीं थी। सब अपने में मस्त थे।

सुधा रेस्तराँ में जाने से पहले वाशरूम गयी तो हँसती हुई वापिस आ गयी।

उसने बताया कि अंदर तो कोई जोड़ा सेक्स कर रहा था।

हालांकि खुले आम अश्लील हरकतें वर्जित थीं, बोर्ड भी लगे थे, पर परवाह किसे थी।

लंच करते करते दोनों की चुदास फिर भड़क गयी।

न्यू वाइफ सेक्स के लिए बेचैन ठी, वह बार बार हरीश का लंड ऊपर से रगड़ देती.

तो हरीश बोला- चलो कॉटेज में चलते हैं।

सुधा बोली- कॉटेज क्यों, यहीं वाश रूम में करते हैं।

पर हरीश बोला- नहीं, अब सुहागरात वाला मजा करेंगे।

सुधा बोली- दिन में?

पर हरीश बोला- नहीं रात को, अभी सोएँगे। जब छह महीने इंतज़ार किया है तो कुछ घंटे और सही।

असल में रिज़ॉर्ट को उनका बेड डेकोरेट करना था सुहागसेज सजानी थी शाम को!

रिज़ॉर्ट में आकर मन मारकर दोनों चिपट कर सो गए।

उनकी आँख खुली शाम को, वो भी रिसिप्शन से फोन आने पर कि उनके समुद्र में घूमने के लिए बोट तैयार है।

असल में वो लोग सुहाग सेज सजाने के लिए दो घंटे के लिए कॉटेज खाली चाहते थे।

हरीश और सुधा दोनों हल्के कपड़े पहनकर बाहर घूमने चले गए।

फुल मौज मस्ती करके और रेस्तराँ में डिनर करके दोनों रात को कॉटेज में वापिस आने लगे तो सुधा बोली- मुझे तैयार होना है, तुम थोड़ी देर बाहर ही घूम लो, बियर शियर पी लो।

हरीश ने समुद्र के किनारे बिछी चेयर्स पर डेरा डाला और बियर का ऑर्डर दे दिया।

अब हरीश से भी समय काटे नहीं कट रहा था।

जैसे तैसे आधा घंटा बिता कर वो अपने कॉटेज में पहुंचा तो कॉटेज के गेट पर ही उसे सुधा का फोन आया- गेट खुला था, अंदर आ जाओ। लाइट मत जलाना, सीधे वाशरूम में जाओ, नहाकर वहाँ रखे कपड़े पहनकर बेड पर आना। लाइट भूलकर भी नहीं जलाना।

हरीश को कुछ समझ नहीं आया।

पूरी कॉटेज महक रही थी; हर ओर गुलाब की पंखुड़ियाँ और महक फैली थी।

गेट के सामने ही वाशरूम पड़ता था तो वो सीधा सुधा के कहे अनुसार नहाकर वहाँ रखे कुर्ता पाजामा पहन के बेडरूम में आया।

वहाँ का नजारा बहुत दिलकश था।

सुधा दुल्हन के लिबास में घूँघट काढ़े बेड पर बैठी थी।

पूरा कमरा फूलों से सजा था। बहुत मद्धिम रोशनी थी, हल्का म्यूजिक चल रहा था।

हरीश सीधा बेड पर पहुंचा और सुधा को आगोश में ले लिया।

अब फिल्मी स्टाइल में उसने सुधा का घूँघट हटाया तो सुधा ने भी स्टाइल मारते हुए शर्माने का नाटक करते हुए दोबारा घूँघट कर लिया।

हरीश को याद आया कि मुंह दिखाई भी तो देनी होगी।

उसने कहा- जानू, मुंह दिखाई उधार रही।

अब सुधा ने घूँघट हटा कर मुसकुराते हुए कहा- वो तो सासु माँ ने दे दी।

हरीश चौंका और पूछा- क्या दिया?

सुधा बोली- तुम!

हरीश निहाल हो गया।

उसने सुधा को चूम लिया और फिर उसने धीरे धीरे उसके सारे जेवर उतारे।

सुधा ने बताया कि ये सारी आर्टिफ़िश्यल ज्वेलरी वो इस क्षण के लिए लेकर आई थी।

दोनों अब एक दूजे में समाने को बेताब थे।

जो सेक्स उन्होंने पहले किया था, उसमें वासना ज्यादा थी और मन में डर था। जो आज वो महसूस कर रहे थे, उसमें एक दूसरे के लिए समर्पण, प्यार और विश्वास था।

पर शरीर की भूख दोनों बार में थी।

धीरे धीरे दोनों के कपड़े उतर गए।

हरीश ने चिपटा लिया अपनी सुधा को!

सुधा भी उसके आगोश में समा गई।

दोनों के होंठ मिले और एक दूसरे को लील जाने की नीयत से जीभ मिलीं।

हरीश तो बेताब था सुधा के मम्मों को चूसने के लिए!

उसने उन्हें मसलना शुरू किया।

सुधा कसमसाती हुई नीचे लेट गयी और समर्पण कर दिया।

हरीश नीचे झुका और उसकी चूत में जीभ दे दी।

सुधा का जिस्म मचलने लगा।

दोनों अब 69 हो गए।

सुधा के मुंह में हरीश का लंड था और वो पॉर्न फिल्मों में देखे हर दांव पेंच को पूरा अपना रही थी।

सुधा ने उसकी गोटियों तक को चूम लिया।

हरीश को लगा कि वो अब और बर्दाश्त नहीं कर पाएगा।

उसने सुधा की चूत में जीभ के साथ साथ उँगलियाँ भी घुसा दी और ज़ोर ज़ोर से उन्हें अंदर बाहर करने लगा।

अब लंड और चूत का मिलन टाले नहीं टल रहा था।

सुधा को हरीश ने नीचे लिटाया और उसकी टांगें चौड़ा कर उन्हें ऊपर की ओर कर दिया और फिर उसकी पानी बहाती चूत में अपना मूसल पेल दिया।

हरीश का औज़ार सामान्य से कुछ मोटा और मजबूत था।

ऐसा उसके हॉस्टल के हरामी दोस्त कहते थे।

आप समझ रहे हैं न कि हॉस्टल में हरामीपन में लड़के क्या क्या करते हैं।

सुधा चीखी, बोली- आराम से करो। अब तुम अपनी बीबी से कर रहे हो। अगर उसकी फट गयी तो हो गया हनीमून!

पर जल्दी ही उसको भी मजा आने लगा, वो हरीश का पूरा साथ देने लगी।

उसने अपने लंबे नाखूनों से हरीश की पीठ पर खूब निशान बना दिये थे।

हरीश भी चुदाई के साथ उसके मम्मे भी चूस रहा था।

सुधा को यह बहुत पसंद आया।

जब हरीश चूसना रोकता तो सुधा बोलती- अब चूसेगा कौन?

और अगर हरीश चूसते चूसते चुदाई रोकता तो सुधा उसे टोकती कि अब चोदेगा कौन।

दोनों की आग पूरी भड़की हुई थी।

सुधा ने हरीश से कहा- प्लीज़ अब तुम नीचे आओ, मुझे मजे लेने हैं।

हरीश को नीचे लिटा कर सुधा चढ़ गयी उसके ऊपर और लगी घुड़सवारी करने!

दोनों हाँफ गए पर दोनों के औज़ार थके नहीं थे।

उनका मिलन अभी पूरा नहीं हुआ था।

लंड चूत को छोड़ना ही नहीं चाह रहा था।

हरीश ने अब सुधा की फाइनल राउंड की चुदाई शुरू की और काफी धक्कम पेलम के बाद हरीश सुधा के ऊपर ही लुढ़क गया।

उसका हो गया था।

सुधा के चेहरे पर भी संतुष्टि के भाव थे।

उसने हरीश को चूम लिया।

अब दोनों नंगे ही हाथ में हाथ डाले बाहर पूल में आ गए।

पूल में गुलाब की पंखुड़ियाँ पड़ीं थीं।

एक आइस बकेट में बियर रखी थीं।

हरीश और सुधा बाहों में बाहें डाले पूल में उतर गए और पानी से खेलने लगे।

सुधा ने बियर की बोतल उठाई और हरीश से कहा- खोलो इसे!

दूर अंधेरे आसमान में तारे जगमग कर रहे थे।

नीचे दो जिस्म एक दूसरे में समा रहे थे।

हरीश ने सुधा को वहीं पूल की सीढ़ियों पर घोड़ी बनाकर चोदना शुरू किया.

हरीश उसकी गांड में घुसना चाह रहा था तो सुधा बोली- दर्द होगा, चोट भी लग सकती है इसलिए यहाँ नहीं, घर पहुँचकर ट्राइ करेंगे।

अब अगले तीन दिन दोनों दिन रात हर समय सिर्फ सेक्स की सोचते।

उन पर तो हवस इतनी हावी थी कि एक बार तो उन्होंने रात को रेस्टोरेन्ट से लौटते में समुद्र किनारे खुले में भी सेक्स किया।

अब सुधा भी विदेशी लड़कियों की तरह छोटे टॉप में घूमती। उसके उछलने पर उसके मम्मे भी बाहर आकार झलक दिखला जाते.

पर हरीश की शह थी तो सुधा भी बेशर्म हो चली थी.

इस तरह हरीश और सुधा की ज़िंदगी की गाड़ी सेक्स और रंगीनीयत से सराबोर फर्राटे से दौड़ रही थी।

दोनों ने दो साल में दो तीन विदेश यात्रा और दो तीन डेस्टिनेशन इंडिया के घूम डाले।

और जो हुआ हो या न हुआ हो, सुधा की चूत और गांड इतनी चौड़ी हो गयी कि अब उसमें दो लंड भी चले जाएँ।

दो साल बाद पैरेंट्स के कहने पर उन्होंने परिवार बढ़ाना शुरू किया और अगले पाँच सालों में दो बच्चे पैदा कर लिए।

बड़ा वाला दादी ले गयी और छोटा नानी।

तो हरीश और सुधा कि ज़िंदगी में सेक्स और रूमानियत कम नहीं हुई।

हरीश के साथ सुधा भी बेशर्म हो चली थी।

अब समुद्र किनारे वो टू पीस बिकनी में बिना शर्म के घूम लेती थी।

थाईलैंड में दोनों ने जम कर मस्ती की।

खुद हरीश भी हैरान था कि एडल्ट शोज में सुधा बिना शर्म के एंजॉय करती।

एक बार तो उसने एक हबशी का लंड छूकर भी देखा।

दोनों ने कपल मसाज भी करवाई, जिसमें सुधा को मेल मसाजर से कोई असुविधा नहीं हुई।

हरीश को पॉर्न मूवीज का बहुत शौक था।

सुधा को ये सब कुछ खास पसंद नहीं था पर वो हरीश का मन रखने को देख लेती।

हरीश तो पॉर्न को देख कर बहुत बहकता पर सुधा कहती कि ये सब सिर्फ मूवी में ही होता है।

अब उनकी शादी को 25 साल होने को आए तो इसे मनाने गोवा गए।

दोनों बहुत खुश थे। अब दोनों व्हिस्की भी पी लेते थे।

गोवा का प्लान तीन दिन का था तो जाने से पहली रात सुरूर में पॉर्न देखते समय हरीश ने सुधा से कहा- चलो किसी मसाजर को बुलाते हैं, मस्ती होगी और तुम्हारी पूरी मसाज कराएंगे।

पूरी मसाज का मतलब सुधा जानती थी।

सुधा अक्सर हरीश से अपनी चूत की मसाज करवाती और इसमें उसे बहुत मजा आता था।

सुधा बोली- मैं मसाज नहीं कराऊंगी, तुम करा लो।

हरीश बोला- नहीं, अकेले मैं नहीं कराऊँगा, छोड़ो नहीं कराते।

सुधा को लगा कि हरीश का मूड खराब हो गया तो वो बोली- चलो अच्छा मैं करा लूँगी. पर ब्रा पेंटी नहीं उतारूँगी।

हरीश ने ऑनलाइन एक स्मार्ट सा बंदा मसाज के लिए बुक किया और उसे रिज़ॉर्ट में बुला लिया।

आशु नाम था उसका!

असल में वो एक कश्मीरी लड़का था, सुंदर, मजबूत और गुलाबी गोरा!

पहले उसने हरीश की मसाज की।

उसने हरीश से पूछ कर उसके सारे कपड़े उतार कर अच्छे से मसाज दी।

मसाज करते समय आशु भी एक नेकर और स्लीवलेस टॉप में था।

सुधा बहुत ध्यान से उन्हें देख रही थी।

आशु ने हरीश के लंड की तारीफ की और उसे तेल से खूब रगड़ा।

उसने हरीश से पूछा कि क्या वो इसे खाली कर दे।

आशु ने झिझक कर सुधा की ओर देखा तो आशु ने सुधा से कहा- मैडम, आप यहाँ से हट जाइए; सर को और मजे लेने हैं और वो आपके सामने हिचक रहे हैं।

सुधा खिलखिला कर हंस पड़ी और बोली- कोई बात नहीं, मैं लाइट धीमी कर देती हूँ।

तब सुधा ने रूम की लाइट बंद कर दी तो सिर्फ वाशरूम की लाइट कमरे में थी जिससे मद्धिम रोशनी हो गयी।

अब आशु ने हरीश के औज़ार पर खूब सारा तेल डाला और उसकी तेज गति से मुट्ठी मारने वाली स्टाइल में मालिश शुरू की।

हरीश की आहें निकालने लगीं और जल्दी ही उसका छूट गया।

सुधा की आँखें फटी रह गईं।

कितना माल निकाला हरीश ने ... उसकी छीटें आशु के चेहरे पर भी जा पड़ीं थीं।

आशु के तमाम हाथ और हरीश के पेट पर गाढ़ा वीर्य पड़ा था।

हरीश उठकर बैठ गया।

सुधा ने उसे हैंड तौलिया दिया साफ करने के लिए!

आशु वाशरूम जाकर साफ होकर आया।

अब उसने सुधा से पूछा कि क्या वो मसाज लेगी।

सुधा का मन तो कर रहा था पर वो डर रही थी।

हरीश ने उससे कहा- आ जाओ, जब चाहो रोक देना।

सुधा वाशरूम में जाकर कपड़े उतार आई और सिर्फ ब्रा पेंटी के ऊपर तौलिया लपेट कर आ गयी।

उसको आशु ने पेट के बल लिटाया और हल्के हाथों से मालिश शुरू की।

सुधा को मजा आना शुरू हो गया था।

आशु ने उसका तौलिया थोड़ा ऊपर किया तो सुधा ने कुछ नहीं कहा।

अब आशु के हाथ उसकी पिंडलियों पर घूम रहे थे।

आशु ने धीरे से सुधा से पूछा- आप एंजॉय तो कर रही हैं न?

सुधा ने मुस्कुराकर हाँ कहा तो आशु ने पूछा कि उसे तौलिया हटाना पड़ेगा ताकि कमर की मालिश हो सके।

तो सुधा ने तौलिया हटा दिया।

अब आशु उसकी कमर और गर्दन पर भी मालिश करने लगा।

हरीश से उसकी आँखें मिलीं तो हरीश ने उसे आँख से इशारा किया कि इसकी पेंटी को ऊपर कर दो।

आशु ने धीरे से सुधा कि पेंटी को ऊपर किया तो सुधा ने उसे रोक दिया, बोली- बस एसे ही करो।

तब आशु ने हरीश को आँखों से इशारा किया कि वो यहाँ से जाये।

हरीश ने सुधा से कहा- वीर्य निकालने से शरीर चिपचिपा हो रहा है क्या मैं शावर ले आऊं?

सुधा बोली- ले आओ।

हरीश धीरे से उठकर गया और शावर खोलकर वापिस दूर खड़ा होकर देखने लगा।

वाशरूम का किवाड़ थोड़ा भिड़ा होने से अब कमरे में लाइट और धीमी हो गयी थी।

आशु ने अपनी स्पीड बढ़ाते हुए सुधा की टांगें थोड़ी चौड़ाईं और अब उसकी पिंडलियों से आगे की ओर हाथ फिरना शुरू किया।

सुधा शांत रही।

आशु ने अब उसकी पेंटी ऊपर की तो भी सुधा कुछ नहीं बोली।

अब आशु ने उसकी पेंटी के अंदर भी उँगलियाँ लगाईं तो सुधा ने उसका हाथ पकड़ा, कहा कुछ नहीं।

आशु ने उसकी ब्रा के पास तेल लगाते हुए उससे कहा कि ब्रा का हुक खोलना होगा वरना पूरी कमर पर हाथ नहीं चलेगा।

सुधा बोली- ठीक है।

आशु ने ब्रा का हुक खोल दिया और सुधा के ऊपर बिना दबाव के बैठ कर पूरी कमर पर हाथ फिराने शुरू किए।

इससे आशु का लंड तन गया था और व सुधा की गांड से छू रहा था।

सुधा ने हरीश को आवाज दी- जानू, तुम कहाँ हो?

तो हरीश ने वाशरूम में जाकर कहा- मैं शावर ले रहा हूँ, तुम करवाओ।

अब आशु ने उसकी कमर से हटकर उसकी कमर से नीचे पेंटी लाइन तक हाथ करते हुए बिना सुधा से पूछे पेंटी की इलास्टिक पकड़कर नीचे करना शुरू किया.

तो सुधा ने टांगें उठा दीं जिससे पेन्टी उतर सके।

उसकी चिकने चमकते नितंबों पर आशु ने हथेली का इस्तेमाल करते हुए मसाज देते देते हाथ नीचे उसकी टांगों के बीच में भी ले जाने लगा।

सुधा दम मारे चुपचाप कराती रही।

पास खड़े हरीश ने भी उसे इशारे से उकसाया कि वो हाथ और नीचे ले जाये।

अब आशु ने उसकी गर्दन से लेकर नितंबों तक हाथ फिसलाते हुए मालिश करते करते नितंबों से नीचे बीच में दरार को भी मसला।

आशु की हथेलियाँ सुधा की मखमली चूत की फाँकों को भी मसल रही थीं।

जब आशु ने सुधा की टांगें और चौड़ाईं तो सुधा ने पैर ढीले कर दिये।

अब हथेली को ऊपर से नीचे लाते लाते आशु की उँगलियाँ सुधा की चूत में घुस गईं और उसकी चूत के दाने को भी मसल दिया।

सुधा कसमसा गयी।

आशु ने 'योनि मसाज' को स्पीड दे दी.

सुधा तड़फने लगी पर उसने आशु को जो वो कर रहा था करने दिया.

और जब बात सुधा की बर्दाश्त से बाहर हो गयी तो वो पलट गयी और आशु को उसने अपनी ओर खींच लिया और होंठ से होंठ जोड़ दिये।

आशु ने सुधा के मांसल मम्मों को चूम लिया और निप्पलेस को मुंह में रखकर चूसने लगा।

सुधा ने अपने हाथ उसकी पीठ पर लपेट दिये और उसे अपने से भींच लिया।

आशु और सुधा के बीच केवल आशु का बरमुडा था जिसे सुधा ने अपने पैरों से नीचे कर दिया और उसका फनफनाता लंड पकड़ लिया।

अब आशु उसके मम्मे मसलने लगा।

सुधा हाँफ रही थी।

उसने बिना कुछ सोचे समझे आशु का लंड अपनी चूत में करवा लिया।

आशु ने सुधा की टांगें ऊपर करके चौड़ाईं और उसकी दमदार चुदाई शुरू की।

मसाज़ बॉय सेक्स शुरू होने के बाद सुधा ने हरीश को आवाज़ देकर बुलाया।

हरीश उनके पास आया और सुधा के सिरहाने बैठ उसे चूमने लगा।

सुधा मस्त होकर चुदवा रही थी; वो नीचे से ऊपर उछल रही थी।

आशु उसके मम्मे कस कर मसल रहा था।

सुधा ने हाथ पीछे करके हरीश को आगे किया और उसका लंड पकड़ कर मुंह में ले लिया।

अब सुधा की चुदाई दो-दो मर्द कर रहे थे, जो हरीश का तो सपना था पर सुधा ने कभी नहीं सोचा था।

सुधा ने आशु के नीचे करके उसके ऊपर चढ़ कर भी चुदाई की।

थोड़ी देर में काम निबटाकर आशु अपने पैसे लेकर चला गया।

उसके जाते ही हरीश सुधा पर चढ़ गया और चोदने लगा।

सुधा थक गयी थी, वो चुदाई करवा तो रही थी पर बिना मन से!

हरीश और सुधा दोनों थक गए थे।

सुधा अपसेट थी, उसने कभी एसा नहीं सोचा था।

हरीश की मन की पूरी हुई थी पर वो सुधा से निगाहें बचा रहा था।

दोनों चुपचाप सो गए।

अगली सुबह सुधा चुप चुप थी।

हरीश ने उसे छेड़ना चाहा,

तो बहुत अनमने मन से उसने कहा- तुमने मुझे गंदा करवा दिया।

हरीश ने उसे बहुत समझाया कि जो हुआ वो अपनी मर्जी से हुआ और वो ज़िंदगी भर इसका बुरा नहीं मानेगा।

और फिर सुधा को भी तो मजा आया था, उसी की पहल पर सेक्स हुआ; तो अब अफसोस नहीं करना चाहिए।

पर सुधा का मूड ठीक नहीं हुआ।

अब इसके बाद गुरुग्राम आकर भी सुधा बिल्कुल नॉर्मल नहीं हो पाई।

सेक्स को लेकर वो बहुत उदासीन हो गयी।

अब हरीश के बहुत मनाने पर कभी सेक्स करती तो ऐसे जैसे अहसान कर रही हो और फिर मुंह फेर कर सो जाती।

हालांकि दोनों अब भी घूमने जाते, सुधा कपड़े जेवर भी खरीदती, बच्चों पर भी खूब खर्चा करते पर जब सेक्स का नम्बर आता तो हरीश को भीख सी मांगनी पड़ती और करने के बाद कोफ्त सी होती। हरीश सुधा को बहुत समझाता, सेक्स की वैवाहिक जीवन में अवश्यकता को बताता.

पर सुधा कहती- कोशिश तो कर रही हूँ, अब मन नहीं करता।

इसी कशमकश में बच्चे बड़े और नौकरी करने लगे।

सुधा की रजोवृत्ति हो गयी तो सेक्स न करने या मन न करने का उसका बहाना और पुख्ता हो गया।

अब सुधा ने एक ग्रुप जॉइन कर लिया जो महीने में दो बार वृन्दावन जाते थे और रोज सुबह दो घंटे का भजन कीर्तन मंदिर में करते।

सुधा साल में दो तीन बार 15-15 दिनों के लिए बच्चों के पास चली जाती।

जब हरीश बहुत रोते झींकते, तब उस दिन सेक्स हो जाता. फिर उसके बाद अगले 15-20 दिनों के लिए छुट्टी।

हरीश को अब भी रेगुलर सेक्स चाहिए था।

जब भी सेक्स का मन करता, वो मुट्ठी मारते।

दो चार महीने में स्पा जाकर हॅप्पी एंडिंग मसाज करवा आते.

पर इसमें अब उम्र और छाती के सफ़ेद बाल उनके अंदर हीन भावना पैदा करते।

हालांकि मसाजर लड़की उनके लंड की मजबूती की तारीफ करती और वीर्य की मात्र भी ख़ासी निकलती थी।

अब हरीश हर समय झल्लाए से रहते।

सुधा टोकती तो वो पलट कर कह देते- सब तुम्हारी वजह से है.

पर सुधा अपने को उनसे दूर करती चली गयी।

हरीश हमेशा कहते- मेरे साथ खाना खाओ, मेरे साथ नहाओ, रात को कम से कम कपड़े पहन कर बेड पर आओ!

तो सुधा बिल्कुल उल्टा करती।

सुधा की एक चचेरी बहन थी कामिनी।

उसकी शादी भी गुरुग्राम में ही हुई थी।

odinchacha
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