गंगाराम और स्नेहा Ch. 09

Story Info
Gangaram, sneha aur Saroj ki threesome story.
4.2k words
4.8
57
1
0

Part 9 of the 12 part series

Updated 11/29/2023
Created 06/03/2022
Share this Story

Font Size

Default Font Size

Font Spacing

Default Font Spacing

Font Face

Default Font Face

Reading Theme

Default Theme (White)
You need to Log In or Sign Up to have your customization saved in your Literotica profile.
PUBLIC BETA

Note: You can change font size, font face, and turn on dark mode by clicking the "A" icon tab in the Story Info Box.

You can temporarily switch back to a Classic Literotica® experience during our ongoing public Beta testing. Please consider leaving feedback on issues you experience or suggest improvements.

Click here

Gangaram, sneha aur Saroj ki threesome

-x-x-x-x-x-x-

उस दिन संडे थी, सुबह के 11 बजे थे। अशोक जो हर संडे को अपने दोस्तों से मिलने जाने वाला आज घर पर ही रहगया है। "सरोज..." वह अपनी पत्नी को बुलाया।

"हाँ..बोलो क्या है...?" सरोज किचन से पूछी।

"तुम्हारा काम होगया...?"

"हाँ होगया है..."

"मेरे लिए एक कप चाय बनादोगी प्लीज..." अशोक रिक्वेस्ट करा। जब से वह सरोज की सहेली स्नेहा को चोदा है; वह सरोज से नर्म से पेश आनेलगा और उसकी चिढ़ चिढ़ कम होगयी है।

"ठीक है..." कह कर सरोज पांच मिनिट बाद एक मग में चाय लेकर अति है। अशोक फ्रंट रूममे सोफे पर बैठ कर TV के चानेल बदल रहा था। सरोज ने उसे चाय की मग थमादी।

"अरे; तुम अपने लिए नहीं बनाई?" अशोक के पूछने पर सरोज कोइ जवाब नहीं देती।

"आवो.. बैठो..." अशोक अपने बगल में थप थपाता है। सरोज ख़ामोशी से आकर उसके बगल में बैठ जातीहै। अशोक दो घूंट चाय पीकर मग को सरोज के मुहं के पास रखता है और सिप करने केलिए इशारा करता है।

"नहीं.. में अभी पी चूकि हूँ..."

"परवाह नहीं, एक सिप तो लेलो.." वह सरोज के कमर के गिर्द हाथ लपेटकर अपने समीप खींचता बोला। सरोज एक सिप लेती है, फिर दोनों मिलकर चाय ख़तम करते है। तब तक अशोक अपने हाथ ऊपर को लेजाकर सरोज के उभार को दबाता है।

"सससससस... यह क्या कर रहे हो.. दिन का समय है..."

अशोक अपना काम जारी रखते उसके गाल को चुमता है, और कहता है.. "सरोज तुमसे एक बात कहनी है..."

"बोलो क्या बात है.. मुझे अभी कपडे धोने है..."

"कल मैं गंगाराम जी से मिला..."

"गंगाराम... वह कौन है...?" सरोज अनजान बनती पूछी।

"अरे वही गंगाराम जी.. जिसके बर्थडे पार्टी पर हम गए हे..."

"Ooooooohhh ... वह.. तुम क्यों मिलने गए थे उस से..."

"दो दिन पहले उन्होंने फ़ोन करके बुलाया था तो मिलने गया..."

"तो..."

"सरोज मेरी बात समझने की कोशिश करो.. वह कह रहेथे की वह एक बड़ी प्रोजेक्ट शुरू करने वाले हैं... और उन्हें सेल्स गर्ल्स की जरूरत है.. वह कह रहे थे की वह तुम्हे और स्नेहा को अपने यहाँ सेल्स rep की काम करो..."

"फिर यहाँ डॉक्टर के पास...?"

"गंगाराम के यहाँ तुम सिर्फ संडे ही काम करोगी.. वह कहरहे थे की एक संडे का 1200 रूपये देंगे.."

"नहीं मैं नहीं करूंगी... संडे को मुझे आराम की जरूरत होती है .."

प्लीज सरोज मानजाओ.. आज के जमाने में वह पैसे बहुत काम आएंगे..."

"में महीने में डॉक्टर के यहां काम करके 15,000 कमाती हूँ... उसी से घर चलता है..तुम्हारी सैलरी क्या हो रही है....?" सरोज अपने पति को पूछी...

"वह भी तो घरके खर्चे में निकल रही है..."

"गलत... तुम्हारी सलारी 20,000 है। ये बात तुम्ही ने बताई थी। और तुम घर केलिए, मुझे उस में से पांच से छह हजार देते हो.. बाकि का पैसा क्या होरहा है...?"

अशोक जवाब नहीं देता। सिर झुकाकर बैठ जाता है।

"मुझे मालूम है... वह पैसा कहाँ जा रहा है... तुम्हे जुए की लत लगी है.. वह सारा पैसा तूम वहां हार के आते हो... तुम्हारी जरूरत के लिए तुम मुझे गांगराम यहाँ काम करने को बोल रहे हो। कभी कभी जीत ते भी हो तो वह पैसा तुम यार दोस्तों से शराब सिनेमा में खर्च करते हो..." सरोज बोली।

"प्लीज सरोज ऐसा मत कहो.. अब मैं सुधर जावूंगा.. प्लीज ... एक चांस तो दो..."

"ठीक है.. मैं मानती हूँ तुम्हारी बात लेकिन एक शर्त पर..."

"क्या...?"

गंगाराम जी से जो भी कमाई होगी उसमे से आधा तुम को दूँगी और बाकि का मैं मेरे लिए रखूगी.. वह मेरे अपने खर्चे केलिए.. बोलो मंजूर है तो मैं तुम्हारी बात मानूँगी..." सरोज ने अपने निर्णय बोलदी।

अशोक को कोई और चारा नहीं था तो वह सरोज के शर्त को मान गया... थैंक यू सरोज तुम एक बार गंगाराम जी से बात करो.." कहते उसने सरोज को अपने ऊपर खींचा..

"अरे रे.. यह क्या कर रहेहो.. छोड़ो..." वह चट पटाने लगी।

अशोक उसके गलोंको काटता बोला.. "यार सरोज.. एक हप्ता होगया है.. तुम मुझे समीप भी नहीं आने दे रही हो..."

"और नहीं तो क्या करूँ ... मेरी कुछ गलती न होने पर भी तुमने मुझे ऐसा पीटे कि, आज तक मेरा सारा शरीर दर्द हो रहा है..."

"सॉरी डार्लिंग.. उस दिन में जरा ज्यादा होगया था.."

"तुम पीके धुत हो जाओ और मैं मार खावूं..."

"सॉरी कहाना डार्लिंग..." वह सरोज के चूची को जोरसे टीपता बोला।

"ठीक है.. अब क्या है...?"

"बस एक बार..."

"नहीं.. मुझे मूड नहीं है..."

"डार्लिंग कम से कम चूस तो लो..." उसके उरोजों को और जोरसे मींजता बोला। उसके चुम्बनों से और उसके हरकतों से सरोज भी गर्म हो रही थी तो बोली ठीक है "कहती वह वहीँ नीचे अपने घुटनो पर बैठी और अशोक के पैंट खोलने लगी।

कुछ ही मिनटो में अशोक कमर के निचे नंगा होगया और उसका छह इंच औजार कड़क हो चुका था।

सरो उसे अपने मुट्ठीमें ली और सहलाने लगी। "हहहहह..." अशोक के मुहं से एक सिस्कार निकली। कुछ देर सहलाने के बाद सरोज पहले अपनी जीभ अशोक के सुपाड़ी के ऊपर चलायी।

"आअह्ह सरोज..ममम यार कितना गर्म एही तुम्हारी मुहं ...आह" कहा और सरोज के सर को अपने लंड पर दबाया।

सरोज अब उसे पूरा मुहं में लेकर चूसने लगी। उसका सिर ऊपर नीचे हो रहा था। अशोक भी निचेसे कमर उठाकर सरोज का मुहं को चोद रहा था। उसका एक हाथ सरोज के चूचिको टीप रहे थे तो दूसरा उसके सारे शरीर पर रेंग रही है। सरोज अपने हाथ निचे को सरका कर अशोक के वृष्ण को पकड़ा कर खिलवाड़ करने लगी। ऐसे ही उनका क्रीड़ा कोई छह सात मिनिट तक चला और फिर अशोक अपना गर्म और नमकीन लस लसा सरोज के मुहं इ छोड़ दिया। सरोज आधा गटक गयी और आधा निचे गिर गयी। वास्तव में सरोज को भी चुदाने का मन कररहा था... लेकिन वह पिछले हफ़्ता अशोक से खाये मार को याद कर अपने आप को संभाली।

कुछ देर बाद अशोक अपना साफ सफाई करके बाहर चला गया और सरोज कमरे में आकर बेड पर गिरी और फ़ोन उठाली।

-x-x-x-x-x-x-

स्नेहा और सरोज उस 5 स्टार होटल के सामने कैब से उतरे और इधर उधर देख ही रहे थे की उन्हें "इधर..." गंगाराम की आवाज सुनाई दी। वह उधर देखे तो पाया की उन्हें गंगाराम होटल के मुख्य द्वार पर खड़ा हाथ हिलारहा था। वेह उस दिशा में चल पड़े। अपने पति अशोक बाहर जानेके बाद सरोज ने फ़ोन उठायी और स्नेहा से अपने पति जो कहे वह बात बताई।

"हाँ सरोज अभी अभी मुझे गंगाराम अंकल फ़ोन आयी वह हम दोनोंको आने के लिए कह रहे थे कुछ इम्पोर्टेन्ट बात करनी थी, तू चल आज गंगारम अंकल से तेरी उद्घाटन का भी प्रोग्राम बनाते है।" स्नेहा अपनी सहेली से कही; और सरोज मान गयी। वह दोनों कैब बुक करके गंगाराम के बताये पते पर चले और वह एक 5 स्टार होटल निकली। इतनी शानदार होटल में अपनी सीधा सदा कपड़ों में जानेके लिए स्नेहा और सरोज हीचकिचा रहे थे की उन्हें गंगाराम की आवाज सुनाई दी।

गंगाराम उन् दोनों को लेकर तीसरी मंजील पर एक कमरे मे लेके आया। कमरा क्या एक आलीशान मकान से कम नहीं थी वह। दो कमरों का वह सूट में फ्र्रंट रूम खूब सजी थी। एक आलीशान सोफे सेट, एक टेबल और दो चेयर और उस पर कॉफी percolater, दीवार को 60 इंचेस का HD TV, एक म्यूजिक सेट तो अंदर के बेड रूम मे बहुत बड़ी पलंग और उसके ऊपर गद्देदार मैट्रेस्स ऊपर चक सफ़ेद चादर बिछी थी।

उस कमरे कि शानो शौकत दीख कर उस दोनों की सांस रुक गयी।

कमरे का अंदर आते ही गंगाराम ने सब के लिए होटल का उस दिन का स्पेशल खाना मंगाया और तीनो मिलकर खाना खाये। खाना इतना स्वादिष्ट था की वह कितना खा चुके इसका अंदाजा भी नहीं थी।

कुछ देर बाद रूम बॉय आकर प्लेट्स साफ कर दिया और एक बिल पर दस्तख़त कराकर चला जाने लगा तो उसे एक वाइन बोतल लाने को कहा। वह बोतल लाया और तीन ग्लासों में भरा। गंगाराम ने उस बॉय से कहा हमें बहुत इम्पोर्टेन्ट बात करनी है.. जब तक न बुलावूं हमें डिस्टर्ब न करे। बॉय सर हिलाया और गंगाराम का दिया हुआ 200 का नॉट लेकर सलूट मरकर निकल गया।

फिर सब भीतर बेड रूम में आते है है और बेड पर बैठकर वाइन सिप करने लगते हैं। पहले सरोज ने वाइन को शराब सनझकर पीने से इंकार करि; लेकिन जब गंगारामने उन्हें समझाया की वह शराब नहीं, बल्कि fermented फ्रूट जूस है तो सिप करने लगी।

स्नेहा, सरोज पहले कामकी बात करते है..." गंगाराम उन लड़कियों से कह रहा था, वह सरोज की ओर मुड़ा और बोला "सरोज मैं तुम्हारे पति से बात कर चूका हूँ... बात यह है की मैं और मेरे दो पार्टनर मिलकर एक construction प्रोजेक्ट शुरू कर रहे है। पांच ब्लॉक और हर ब्लॉक में पंद्रह अपार्टमेंट होंगे। उन्हें सेल करने में हमें तुम्हारी मदद चाहिए। आप दोनों को हर संडे साइट के यहाँ रहकर, आये ग्राहकों को अपर्टमेंट के बारे में जानकरि देनी है और देखना है की वह ग्राहक उसे खरीदे। इस काम के एवज में तुम दोनों को उस संडे की सैलरी 1200 रूपये दिए जायेंगे। यह बात मैंने अशोक यानि की सरोज के पति को बताई है। जो बात में उन्हें नहीं बताई वह यह है की तुम में से कोई भी एक फ्लैट की बिक्री करने पर तुम लोगों को 1 % कमिशन दिया जयेगा..." गंगाराम रुका।

"1 % कमीशन कितना होगा...?" सरोज पूछी।

"2 BHK अपर्टमेंट 45 लाख की होगी और 3 BHK अपर्टमेंट 55 लाख की होगी। लेकिन तुम उन्हें 5 लाख तक छूट दे सकती हो... में तुम्हे सब समझावूंगा... फर्ज करो 45 लाख की अपार्टमेंट अगर बिकी तो तुम्हे 45,000 कमिशन मिलेगा, जितने मे अपार्टमेंट बिकी उसका 1 % कमीशन मिलेगा।

फिर गंगाराम ने उन लड़कियों को एक घंटे तक सेल्स कैसा करनी है, और ग्राहक से कैसे पेश अनी है और कैसे ग्राहक को कन्सेशन देसकते है.. सब समझया। दोनों लड़कियां समझ गयी की उन्हें क्या करना है।

फिर वह इधर उधर की बाते करने लगे, जिसमे ज्यादा तर गंगाराम के प्रोजेक्ट के बारे में ही था। पीते पीते जब दोनों सहेलियोंके आंखे मिले तो स्नेहा ने सरोज को आँखों से इशारा करि।

अपना ग्लास ख़तम करके सरोज उठी और गंगाराम के पास आकर उसे गले लगाते बोली "थैंक्यू अंकल अपने हमें लाइफ में आगे बढ़ने का अवसर दे रहे है... मैं भरपूर कोशिश करूंगी की बिक्री अच्छी हो.." कही और गंगाराम के गाल को चूमि।

गंगाराम यह एक्सपेक्ट नहीं कर रहा था.. वह सोच रहा था की कैसे सरोज को पटाकर उसे चोदे लेकिन यहाँ तो उल्टा हो रहा है.. सरोज खुद गंगाराम के गाल चूम कर लिपटने लगी। सरोज की गुदाज शरीर और उसके भरी चूची अपने सीने में लगनेसे वह उत्तेजित हुआ और मौका न गंवाते उसने अपने दोनों हाथ सरोज के मांसल चूतड़ पर रख पुछा " इस मेहरबानी के लिए सरोज अंकल को क्या दोगी...?"

"आप जो भी मांगेगे अंकल दे दूँगी.." वह बोली। गंगाराम ने सरोज को अपने बगल में बिठाया और पुछा.. "जो भी मांगूंगा दोगी...?" वह उसके आँखों में देखता पुछा।

"हाँ.. अंकल..."

"पक्का..."

"हाँ अंकल पक्का..." सरोज भी उसी उत्साह से बोली...

"तो फिर अंकल को एक चुम्मा दो..." कहा और अपने होंठों को आगे बढ़ाया...

सरोज एक क्षण के लिए सोची और फिर गंगाराम के होंठों को अपने में लेकर चूसने लगी। गंगाराम अपने जीभ सरोज के मुहं में दिया और एक हाथ से सरोज उरोज को दबाया..

उसके हाथ अपने मस्ती पर पाकर सरोज के शरीर में एक मीठी लहार सी दौड़ी। "ससस.. अंकल..." कही और उस से लिपटने लगी। एक मिनिट से ज्यादा देर तक वह एक दुसरे के होंठों को चूमते रहे; फिर अलग हुए।

"Waaaaav what a kiss ...." गंगाराम सरोज को अपने ऊपर खींचता पुछा।

"अंकल आपको मेरा ऐसा किस करना पसंद आया...?"

"बहुत ज्यादा.. एक बार फिर.." गंगाराम उस लड़की को उत्साहित कर रहा था।

सरोज अपने जीभ गंगाराम को दिखाई, जिसे गंगाराम अपने मुहं में लेकर चुभलाने लगा... और साथ ही साथ एक हाथ से उसके स्तन को टीप रहा था तो दूसरा हाथ उसके सारे बदन पर घुमारहा था।

सरोज उत्तेजित होने लगी; और वह स्नेहा को देखते बोली.. "स्नेहा तू भी आना.. देखो अंकल मुझे प्यार कर रहे हैं..." बोली। स्नेहा अपने जगह से उठी और उनके पास आयी। गंगाराम दूसरा हाथ बढाकर स्नेहा को समीप खींचा। उसने स्नेहा का कमर के गिर्द हाथ फिराया और अपने होंठ उसके ओर बढ़ाया..."

स्नेहा ने हँसते हुए उन होंठों को चूसने लगी। गंगाराम उसके छोटे स्तन पर हाथ फेरा। दो दो जवान लड़कियाँ.. और दोनोंका अलग अलग शरीर निर्माण; एक साथ उसके सामने थे।

एक का शरीर गुदाज थी तो दूसरे का छरहरा था। स्नेहा के होंठ पतले थे तो सरोज के रस भरे सांतरोंके फांक जैसे। सरोज की चूची बड़े साइज की मोसम्बी तो वही स्नेहा के बड़े साइज निम्बू है। वह सरोज का चूची उसके हाथ में पूरे समा सकता तो; स्नेहा के उसके मुहं में पूरा का पूरा आ जाता है। सरोज के जाँघे मोटे है तो वही स्नेहा की जाँघे पतले है। दोनों की कमर में सिर्फ 19, 20 फर्क है। सरोज के चूतड़ बड़े और गद्देदार है तो स्नेहा के छोटे है पर मादक है।

सरोज उसे चूमता उसके जांघों पर हाथ फेरता आगे बढ़ाकर उसके पैंट के अंदर का औजार को पकड़कर हल्कासा दबाव दी और बोली "अंकल मुझे यह देखना है..."

"ठीक है.. दिखदूँगा.. लेकिन तुम भी अपना नगीना दिखाना पड़ेगा..."

"ओह नो अंकल मुझे लाज अति है..." वह सच में ही शरमाते बोली।

"मुझे भी तो शर्म अति है.." गंगाराम उसे चेढ़ता बोला।

"आपको क्यों शर्म अति है.... आप तो मर्द है ना..."

"क्यों मर्द को शर्म नहीं अति क्या...तुम अपना दिखाओ तो में दिखा हूँ..."

तब तक स्नेहा आगे आयी और बोली.. में दिखाती हूँ अंकल आपको.. कहति वह अपनी सलवार के नाड़े को खींची। सलवार 'सररररर..' सी हल्की सी आवाज के साथ उसके पैरों पर गिरी। स्नेहा अपनी कमीज नहीं उतारी थी तो उसका नगीना उसके कमीज के अंदर ही छुपी थी।

"ओये" सरोज स्नेहा को देखते कही "अंकल दिखाने को कहे है.. उतारने को नहीं.."

"बिना उतरे दिखावूं कैसे...?" स्नेहा ने तना मारी।

"चल दिखादे..."

मैं तो दिखावूँगी ही.. अब तू भी शुरू होजा..."

फिर उन दोनों में पहले तुम, पहले तुम चलने लगा...

"अरे.. बाबा.... मत झगड़ो.. इधर आओ में समांधान करता हुँ" गंगाराम कहा और सरोज को देखकर कहा.. "सरोज तुम इधर मेरे पास आओ..."

सरोज उसके समीप अति है, वह उसे अपने गोद में बिठाया और उसके हाथ पकड़कर पैंट के ऊपरसे ही अपने तन्नाए लंडपर रख उसे पकडा दिया।

सरोज उसे अपने मुट्टीमे बंधी।

गंगाराम एक बार उसके गाल को चूमा और फिर उसके होंठों को अपने में लेकर चूसने लगा।

सरोज "नंगनगंगनगंग" करते उससे लिपट रही थी।

गंगाराम ने फिर सरोज के कमीज उसके सर के ऊपर उठाने लगा। सरोज अपने हाथ ऊपर उठादि और उसके कमीज उसके बदन से अलग हुआ। वह अंदर सफ़ेद ब्रा पहनी थी। गंगाराम ने उसे भी खोलदिया और अब सरोज कमर के ऊपर बिलकुल नंगी थी।

"आआह्ह्ह.. कितना मस्त चूची है तुम्हारी.. ओह.. सॉफ्ट, चिकना मुलायम और यह देखो.. यह चुचुक कितने कड़े हो गए हैं..." कहता उसने सरोज की एक निप्पल को मुहंमें लेकर चुभलाते और दुसरे को टीप रहा था।

"ओह...अंकल...मममम..." कहती सरोज उसके हाथ को अपने सीने पर दबाती है।

"अच्छा लगरहा है....?"

"उम्म्म्म..."

"हाथ अंदर डालो..." जैसे वह यह कहा सरोज ने अंकल का जिप खींची और अंदर हाथ डाली। अंडरवियर के अंदर अपना हाथ घुसेड़कर गंगाराम के नंगेपन जकड़ती है।

'बापरे... कितना गर्म है अंकल का.. और लम्बा भी...' वह सोचते पूरी लम्बाई पर हाथ चलारहि थी। "स्नेहा इधर आना..." गंगाराम स्नेहा को बुलाया। तबतक सोफे पर बैठकर इन दोनो का तमाशा देखती स्नेहा अंकल के पास अति है। वह उसे अपने दूसरे जांघ पर बिठाता है और कहता है.."देखो तुम्हारी सहेली की चूची कितना मस्त है... लो तम भी इसका जायका लो..." वह कहते स्नेहा के मुहं को सरोज एक चूची पर रखता है।

"एक मिनिट..." स्नेहा कहती है और अपना कमीज उतार फेंकती है, साथ ही ब्रा भी। अब दोनों लड़कियां कमर के उपर नंगे थे। स्नेहा आगे झुक का सरोज की चुची को मुहंमे दबती है।

"हाहाहाहा.... स्नेहा.. ममम.. यार.." कहती सरोज स्नेहा के मुहं को अपने चुची पर दबाती है।

गंगाराम उसकी दूसरी चूचिको मुहं में दबाकर एक हाथ से स्नेहा की छोटी चूची को मींजता है।

"ससससस....हाहाहा..." कहती स्नेहा ने गंगाराम के हाथ को अपने सीने पर दबाती है।

ऐसा मजेदार खेल कुछ पल चलने के बाद गंगाराम अब सरोज से कहा की वह अब स्नेहा की चूची चूसे और वह खुद स्नेहा की छोटी चूची को पूरे का पूरा अपने मुहं में लेता है। सरोज भी स्नेहा की एक चूची को अपने में लेकर चूसने लगती है।

"सससस...शश..हहआ.. अंकल ..सरोज.." कहती स्नेहाने उन दोनों की मुहं को अपने चुचियों पर दबाती है।

सरोज को स्नेहा को सताने मूड था तो वह स्नेहा की चूचिको दाँतोंसे हलकासा काटती है।

"ससस....अहहह... सरोज.. यार ऐसा मत कतरो।। कहीं खुजली होती है..."

"कहाँ..? कहाँ खुजली होती है..?" सरोज पूछती है और उसके चुचुक को और जोर से दबाती है।

"साली.. सुनती नहीं..मत काट ऐसा...आअह्हह्हा..." स्नेहा सरोज के मुहं को अपने चुची से हटाने कोशिश करती है।

"तो बोल कहाँ खुजली होती है...?" अब की बार गंगाराम ने पुछा।

"हाहा...मममम..me...ri...choo..t...me...(मेरी चू....त.. में...) वह तड़पते बोली।

कुछ देर ऐसी मस्ती करने के बाद, "यार स्नेहा... मुझे पेशाब लगी है..." सरोज बोली।

"मुझे भी लगी है..चल ब्लैडर खली करते है.." और दोनों लड़कियां गंगाराम के गोद से उतरती है और बातरूम की ओर बढ़ते है। बढ़ने से पहले दोनों ही अपने सलवार खोल देते है और सिर्फ पैंटी में अपने अपने कूल्हे मटकते बाथरूम की और बढ़ते है। उन दोनों की लचकदार कमर और मटकती गांड को देखकर 'सलियाँ.. क्या मस्त गांड है इन दोनों की..' सोचते अपना यार को दबाने लगता है।

पांच मिनिट बाद जब दोनों बाहर आते है तो दोनों ही अपने पैंटी भी उतर चुके है। जवान लडकियों की मुलायम जांघो के बीच की उभार को और उनके फांकों को देख कर गंगाराम पागल सा होजाता है। सरोज के फांके मोटे है तो स्नेहा की पतले। दोनों लड़कियां अपने आप में मुस्क़ुरते सीधा अंकल के पास आते है और स्नेहा गंगाराम की टी शर्ट उतारने लगती है तो सरोज उनके ट्रॉउज़र को उतरती है फिर उसका अंडरवियर भी। अब उस होटल के कमरे में तीनों ही मादरजात नंगे थे। दो जवान लड़कियां जिनकी उम्र 21, 22 है तो एक अधेड़ मर्द जिसकी उम्र 50 के ऊपर है। दोनों लड़कियां गंगाराम की बिस्तर पर चित लिटाते है, दोनों गंगाराम के दोनों ओर घुटनों पर बैठ जाते हैं।

गंगाराम की औजार पूरा तनकर कड़क डंडा बनकर लड़कियों को सलामी दे रही है। वह इतना कड़क हो चुकी है की लंड की पूरी लम्बाई में नसें उभर आये है और सामने का टोपा भी आधा दिख रही है.. ऊपर नन्हे से छेद में एक पानीकी बूँद सा चमक रही है।

"आआ.. कितना प्यारा है.. अंकल का.. स्नेहा तुमने सच ही कहा था की अंकलका बहुत लम्बा और मोटा है... अशोक का तो इसमें तीन चौथाई भी नहीं होगी..." सरोज गंगाराम की लम्बाई पर हाथ फेरते बोली।

सरोज की बात सुनकर वह स्नेहा की ओर देखता है..

"हाँ अंकल मैंने ही बताई है.. हमारी चुदाई के बारे में.. वह क्या है ना.. आप बोले थे की सरोज को आपसे चुदाने के लिए मानावूं तो आपके बारे में और आपके चुदाई के बारे में बोलना पड़ा.. और तो और यह साली आपके जन्म दिन के रात जब आप मुझे ले रहे थे तो साली ने इस कीड्की से हमें देख रही थी। जबसे वह हम दोनों को चुदाई देखि है वह खुद तड़पने लगी आपसे चुदने के लिए" स्नेहा कही और सरोज के मस्तियों को मींजने लगी।

इधर सरोज उत्तेजित होकर उस दैत्याकार लंड को चूम रही थी, नन्ही सी सुरखमे जीभ से खुरेदने लगी।

"आआह्ह्ह...सरोज.. सससस.." कहते गंगाराम ने उसके सर को अपने लंड पर दबाने लगा। तबतक स्नेहा भी सरोज के बगल में घुटनों पर बैठी; और सरोज उसके लंड को चाट रही थी तो स्नेहा ने उसके अंडकोषों को चाटते एक अंड को मुहं मिलाकर चूसने लगी।

"ससससस..मममम.. ऊफ्फ..." कहता गंगाराम दोनों के सिर को अपने से दबाता है।

"क्यों अंकल.. मजा आ रहा है...?" सरोज अपने आंखे उठाकर पूछती है...

"साली..पूछती है,.. की मजा आरहा है... कर वैसे ही कर.. मुझे तो स्वर्ग दिख रही है..." कहता है।

कुछ देर और दोनों सहेलियां अदल बदल करती है। यानि की सरोज गंगाराम के अण्डों को चूसने चाटने लगती है तो स्नेहा उसके मर्दानगी केलम्बाई को। अब सरोज से बर्दास्त से बाहर हो चुकी है तो वह बोली "अंकल यह खुजली अब मुझसे सहा नहीं जाता चोदिये प्लीज..."

"अरे रानी मैं तो कबसे तैयार हूँ... तुम्ही लोग मुझेसे खेलना चाहते थे.. आजाओ मेरे ऊपर" कहते सरोज को अपने ऊपर खींचता है। सरोज भी गंगाराम की दोनों ओर पैर ड़ालकर बैठ रही थी। गंगाराम का लंड mast की तरह कड़ी है।

"सरोज ठहर.." स्नेहा कहती है और गांगराम औजार को पकड़कर, तबतक पानी छोड़ते सरोज की बुरमे घुसाने लगती है और सरोज अपना सर निचा करके लंड अपने में घुसना देख रहि थी। वह बहुत उत्तेजित थी। दोनों लड़कियों का भी थ्रीसम (three some) पहली बार है तो खूब मजा आरहा था।

जैसे ही औजार अंदर घुसने लगी "आआअह्ह्ह्ह..." कहती सरोज कसमसाई। गंगाराम का मस्ताना उसे चीरता अंदर घुस रहा था। धीरे धीरे से पूरा डंडा को अपने सहेली के रिसरहे चूत में घुसेड़ति है। "चल अब घुड़ सवार कर..." वह सरोज से कहती है।

सरोज अपने कमर उठाकर बैठने लगति है।

"क्यों मेरी जान मजा आया...?" स्नेहा सरोज से पूछती है।

"सच मुझे तो जन्नत दिख ररहि है.." सरोज उठ बैठक करने लगी।

"स्नेहा तुम मेरे यहाँ आवो..." गंगाराम सरोज की चुदाई का मजा लेते स्नेहा को बुलाता है। स्नेहा समीप आते ही वह उसे अपने मुहँपर बिठाता है। अब सरोज गंगाराम को चोद रही है तो गंगाराम स्नेहा को जीभ से चोदने लगा। तीनों के तीनो मस्ती में डूबने लगे। कमरे में "aaaahhhh ..ooohhh ...ammaaaa..." आवाजें गूँजने लगे।

"आआह्ह्ह.. सरोज.. चोद... वैसे ही चोद... आआअह्ह्ह.... क्या तंग है तुम्हरी बुर..."कहते नीचेसे कमर ऊपर उठा रहा था। दूसरी ओर स्नेहा अपने चूत को गंगाराम की मुहं पर दबाने लगी।

"mmmmm...ssss... और अंदर डालिये अपनी जीभ..aaahhhh" स्नेहा कहती उसके मुहं पर कमर दबाने लगी। इतने मे सरोज आगे झुक कर स्नेहा चूचियों को दोनों हाथों में पकड़कर दबाने लगती है... "आआह्ह सरोज..." स्नेहा सिसकने लगती है। ऐसे ही कुछ देर चुदाई चलनेके बाद सरोज कहती है.." अंकल अब मुझसे नहीं होता... आप ऊपर आजाईये.. कहती है और गंगाराम के उपर से उतर कर उसके बगल में चित लेट जाती है। गंगाराम अपने औजार हाथ में पकड़कर सरोज के जांघों में अता है।

सरोज इंतजार करने लगती है। गंगाराम अपने हलब्बी लवडे को उसकी फांकोंके बीच रगड़ता है।

"अंकल मत तडपावो.. अंदर बहुत खलबलि मची है.. जल्दी से अंदर डालिये.." कहती कमर उछालती है। ठीक उसी समय गंगाराम एक जोर का शॉट देता है... "आअह्ह्ह... मरी रे.. मेरी चूत फटगयी... अम्मा.." चिल्लाती है।

"अरी.. सरो.. ऐसे क्यों चिल्ला रही है.. जैसे पहली बार चुद रही हो..." स्नेहा सरोज के चूची टीपते पूछी।

"आआह्ह्ह्ह.. साली.. तुझे क्या.. तेरी बुर को लगता है, तेरे अंकल का गाधे जैसे लंड की आदत पड गयी है...लेकिन आआह.. मेरा यह पहली बार है.. लगता है मेरी फटगयी..... स्नेहा, यह तूने कहाँ फंसादिया मुझे.." सरोज कराहती बोली।

मैं डियर सरो... कुछदेर बर्दास्त कर.. तेरी बुर भी अंकल को संभालेगी.. फिर देखना.. तू.. और.. और करके चिलयेगी..." स्नेहा उसे सांत्वना दे रही थी और उसे चूमरही थी।

गंगाराम अपनी पूरी मस्ती में नयी मिली सरोज को दनादन चोदते जारहा था। इस नयी नवेली तंग बुर पाकर वह बहुत खुश था। सरोज शादी शुदा है, यह बात उसे मालूम थी लेकिन यह नहीं मालूम था की उसके इतनी तंग होगी। "आआह.. क्या तंग बुर है तेरी सरोज.. आआह्ह.. थैंक्यू स्नेहा थैंक्यू .. कहते वह अपने लंड को सुपडे तक बहार फिर जड़ तक घुसेड़ने लगा।

"अम्माम्मा .. धीरे..आह मेरी फाड़ दोगे क्या...." सरोज कह रहीथी लेकिन अब उसे भी मजा आने लगा। वह नीचेसे अपनी गांड उछाल रही थी। और गंगाराम ऊपर से अंदर तक पेल रहा था। एक ओर सरोज को पेलते वह स्नेहा को समीप बुलाकर उसकी छोटी चूची को पूरा मुहं में दबाया। "आआअह्ह्ह.. अंकल" कहती स्नेहा उसके मुहं को अपने सीने पर दबा रहीथी। सारे कमरे में मस्ती का आलम छाया हुआ था। इस धमाकेदार चुदाई में अब सरोज की बुर रिसने लगी तो गंगारामका लंड आराम से अंदर बहार होरही थी।

12