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Click hereमहारानी देवरानी
अपडेट 23
सुहाना सपना
बलदेव और देवरानी मेले से घूम कर आ कर चुपके से अपने कमरे में जा कर सो जाते हैं पर इन दोनों की हरकत को कोई और था जो बड़े दिनों से निहार रहा था और आज भी उसने इन दोनों को देख लिया था।
दरअसल हुआ ये देर रात तक नींद नहीं आने के कारण महारानी जीविका अपने पलंग पर बैठी थी कि किसी के हंसी सुनाई दी और वह जानने के लिए बाहर आई तो देखा की बलदेव और देवरानी एक दूसरे से हंसी मजाक कर रहे हैं।
जीविका: ये दोनों पता नहीं क्या गुल खिला कर आ रहे हैं और तो और इनको डर नाम की चीज नहीं है इतने रात में बाहर से आ कर भी किसी प्रेमी जोड़ी की तरह मस्ती कर रहे हैं।
जीविका ये बात सोचटी हुई वापस अपने कमरे में आ कर अपने बहू और परपोते की करतूत को समझने की कोशिश कर रही थी।
(देवरानी: नहीं ये बहुत बड़ा है मत डालो...! और देवरानी को झुका कर वह लंड अंदर डाल देता है।
अभी लंड आधा ही गया था कि देवरानी ज़ोर से चिल्लाने लगती है।
देवरानी: हाये! मैं मर गई।
या वह लंड का एक और धक्का देता है और महारानी देवरानी की चूत को भेदता हुआ उसके बचनेदानी की झिली में समा जाता है।
देवरानी: "आआआआआआआआआआह! नहीं, मेरी चुत।"
हाय! भगवान में मर गई। "
अब लंड उसकी बुर में धप-धप और घप-घप की आवाज के साथ अंदर बाहर होते ही जा रहा था।
देवरानी अपनी आखो में आंसू लिए जोरो से सिसक रही थी और उसके चुत से खून बह रहा था और वह मजे से चुदवा रही थी।)
इधर बलदेव अपने नींद पूरी कर के सब से पहले अपने माँ के कक्ष में जाता है तो सिसकी की आवाज आती है और उसकी माँ उल्टा लेटी हुई थी।
देवरानी के दोनों हिलते चूतड़ चूत और सिसकी सुन के फौरन बलदेव का लंड खड़ा हो जाता है, देवरानी अपने होठ काट रही और अपनी गांड ऊपर निचे कर रही थी और अपने दूध को तकिये से मसल रही थी।
बलदेव को समझते देर नहीं लगती की देवरानी सपना देख रही है।
बलदेव: (मन में) थोड़े दिन और रानी तेरी चूत की पूरी गर्मी झाड़ दूंगा। इतना पेलुंगा की तुम्हारी गांड और दूध को मसल के ढीला कर दूंगा, जो पिता जी नहीं कर पाए वह मैं कर दूंगा।
बलदेव: (मन मैं) वह सब तो ठीक है पर ये सपने किसके देख रही हैं उसका तो पता नहीं और वह चुपके से दरवाजे को लगा कर चला जाता है।
(सपने में देवरानी: तुमने मेरी बरसों की प्यासी चूत की आग बुझा दी कौन हो तुम? तो वह शक्स अपना चेहरा देवरानी को दिखाता है।
देवरानी: आश्चर्य से अरे! "बलदेव" तुम।
इतने में देवरानी की आँख खुलती है वह अपने आप को पासीना पसीना पाती है और वह अपने हाल को देखती है उसकी गांड पेटीकोट में से साफ दिख रही थी और ब्लाउज तो उसके दूध को संभाल पाने में नाकामयाब थे ही।
वो झट से उठ कर बैठती है तो उसे कुछ-कुछ गीला महसूस होता है और वह अपना हाथ लगा कर उस पानी जैसे तत्व को छू कर देखती है और शर्मा जाती है।
देवरानी: हे भगवान " बलदेव कैसे सपने में लंड पेल रहा था ये उसे याद आ जाता है। कल की घटना को याद कर वह मन में कहती है।
"आज का वर्षो बाद चूत ने पानी छोडा है और वह भी बेटे के सपनों से।"
देवरानी (मन में) कल तो हर कोई हम दोनों को माँ बेटा नहीं पति पत्नी ही समझ रहा था। वह मांझी ने तो जबरदस्ती बलदेव को मेरे साथ बैठा दिया और बलदेव भी मौका देखा मुझसे कितना चिपक रहा था और तो और वह मेरे लिए गीत भी गा रहा था " ओ मांझी रे! मांझी रे! तोरे बिन ए दिल न लगी रे! फिर उस मांझी ने तो हद ही कर दी जब हमें कहा।
"अगले साल आप दोनों बच्चो के साथ आना" हाय राम! तब तो मेरी चुत में चींटी रंगने लगी थी"।
"नृत्य करते हुए मेरी गांड और दूध को कैसे खा जाने वाली नजरो से देख रहा था कमीना बलदेव: फिर संचालक के पूछने पर मुझे अपनी पत्नी भी बना लिया सबके सामने।"
देवरानी अपना दोनों हाथ से अपना मुह छुपा लेती है "क्या सच में हम नवविवाहिता जोड़े लगते हैं, हम! उस आदमी ने जो ऐसा कहा।"
"भगवान तू ही रास्ता दिखा में क्यों बलदेव को रोक नहीं पा रही हूँ? क्यू मुझे ऐसा लग रहा है कि वह मेरी हर एक खुशी का ख्याल रखता है।"
देवरानी अपने आपको संभालते हुए उठ के खड़ी हुई और स्नान घर में जाने ही वाली थी की उसे अपने कक्ष के दरवाजे और खिडकिया बंद दिखते हैं जबकि वह रात में उन्हें खोल कर सोयी थी।
देवरानी: आखिर कौन आया था इधर और सब दरवाजे खिड़किया बंद कर के गया और आया था तो मेरी हालत को देख सब समझ ही गया होगा। हाय राम! में तो दिन बर दिन पागल होते जा रही हूँ।
वो स्नान घर जा कर तैयार होती है और महल से बाहर निकलती है तो सामने मैदान में बलदेव अपने कसरती बदन से व्यायाम करते हुए नजर आता है।
देवरानी र उसके कसरती बदन को निहारते हुए उसकी तरफ बढ़ती है!
देवरानी: (मन में) क्या बदन है इस घोड़े का! किसी भी घोड़ी को पस्त कर दे ये तो।
बलदेव (मन में) अरे ये ऐसे घूर रही है जैसे अभी आ कर चुदवा ही लेगी! कहीं सपनों में तो नहीं घूम रही।
देवरानी: अरे बेटा आज बड़ा सवेरे उठ गए?
बलदेव: हाँ माँ वह पिता जी का संदेश आया है केहम सैनिक बल तैयार करे! कभी भी जरूरत पड़ सकती है।
देवरानी राजपाल की बात सुन कर अपना मुंह घुमा कर चुप हो जाती है।
बलदेव को समझते देर नहीं लगती के ये देवरानी की नफरत थी जिसके कारण देवरानी को अपने पति का नाम भी सुनना पसंद नहीं था।
बलदेव: मुस्कुरा कर अरे माँ में कौन-सा युद्ध करने जा रहा हूँ और वैसे भी वैध जी मुझे आयुर्वेदिक जड़ी बूटी खाने के लिए दिए है, जिसके साथ कड़ा व्यायाम करना उचित है नहीं तो वह जड़ बूटी किसी काम की नहीं हैं।
देवरानी: हम्म ठीक है।
बलदेव अपने माँ के उतरा हुआ चेहरा देख कर झट से उसका हाथ पाकर खींचता है।
बलदेव: आओ साथ में व्यायाम करें।
और देवरानी को अपने आगे ले लेता है।
बलदेव का लौडा जो पहले से थोड़ा तन गया था अब अपनी माँ के चूतड़ पर रगड़ रहा था और लौड़े के गांड पर अहसास भर से देवरानी का मुंह खुल जाता है।
बलदेव: आप मेरे साथ दंड करे।
देवरानी: पर मुझे नहीं आता ये सब! में तो बास योग करती हूँ।
बलदेव: देखो आप को मेरे साथ करना है।
देवरानी का हाथ आपने हाथ से पकड़ कर।
बलदेव: अब जैसे में बैठू आप को मेरे साथ बैठना है और जैसे में बैठ के उठू तो आपको भी उठना है।
देवरानी से अब बलदेव और चिपक जाती है फिर बलदेव और देवरानी एक साथ बैठते है और जैसे ही बलदेव फिर खड़ा होता है देवरानी थोडा देरी से खड़ी होती है इस से बलदेव झट से देवरानी का दोनों हाथ पकड़कर अपने लौड़े से देवरानी की गांड दबा देता है।
जब देवरानी की गांड में लौड़ा लगता है और उसकी ताकत से देवरानी सीधा थोड़ा ऊपर उठ जाती है एक पल के लिए तो देवरानी को लगता है जैसे लौड़े पर अपनी गांड टिकाये हुए वह हवा में बैठी है।
फिर देवरानी और बलदेव ऐसे ही उठक बैठक करने लगते हैं।
देवरानी: तुम आज जल्दी उठे और मुझे उठाया नहीं।
बलदेव: मैं आपके कमरे में गया था पर...
देवरानी को समझने देर नहीं लगती के वह दरवाजा और खिड़की बंद करने वाला कोई और नहीं बलदेव ही था।
देवरानी: पर क्या?
बलदेव: आप बहुत नींद में थी तो फिर मैं वापस आ गया (असल बात छुपा लेता है।)
देवरानी: शर्म से मुस्कुरा रही थी की-की कैसे उसके पुत्र ने उसकी सिसकी के साथ उसके आधी नग्न अवस्था में देखा लिया।
देवरानी: (मन में) और इस उल्लू को नहीं पता जो मुझे सपने में पेल रहा था उसी ने मुझे हकीकत में ऐसे देखा था।
दोनो कुछ 20 बार उठक बैठक कर थक जाते हैं और जलपान करने वापस महल में आते हैं।
जारी रहेगी