दोस्त की कुंवारी गर्लफ्रेंड

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वो कुंवारी थी, मेरे ख़ास दोस्त की सेटिंग थी.
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ये चुदाई मेरे और मेरे दोस्त हर्षित की गर्लफ्रेंड के बीच की है.

मैं आपको अपने बारे में बता देता हूँ. मैं एक ** परिवार से आता हूँ.

अमूमन ** का नाम सुनते ही किसी रफ-टफ से बंदे की तस्वीर बन जाती है लेकिन मैं एक औसत शरीर और औसत रंग रूप का मालिक हूँ. मैं ये भी नहीं कहूँगा कि मेरा लंड 8 इंच का है या 9 इंच का है. मेरा लंड औसत नाप का ही है. ये 6 - 6.5 इंच लम्बा और 2 - 2.5 इंच मोटा है.

मैं अभी एम.टेक कर रहा हूँ और 23 साल का हूँ. मैंने बी.टेक एमिटी यूनिवर्सिटी गुड़गांव से की है. मेरे इस अनुभव के समय मैं 19 साल का था और उस समय मैं बी.टेक (मैकेनिकल) के दूसरे वर्ष में था.

अब बात नायिका की. हर्षित की गर्लफ्रेंड का नाम प्रियंका था. उसकी लंबाई साढ़े पांच फुट की थी. वो बिल्कुल पतली सी थी. उसके नाम मात्र के उभार थे बस. हां उसके बाल बहुत सुन्दर थे. वो उन्हें एकदम स्ट्रेट और स्मूद करवाए हुई थी या शायद नेचुरली ही वैसे थे.

मुझे उसमें सबसे अच्छा उसका साफ़ सुथरा बन कर रहना और सबको साफ़ सुथरा रखना था. उसकी फिगर बताऊं तो 30-28-32 की थी.

मैं बाहर फ्लैट लेकर रहता था और हर रोज़ अप-डाउन करता था. पहली बार उससे मैं तब मिला जब मेरे पक्के दोस्त ने मुझसे कहा कि भाई चल पार्टी देता हूँ ... तेरे भाई की सैटिंग हो गई है. हमारे साथ में वो भी चलेगी.

मैंने हां बोला और हम लोग गाड़ी में बैठ कर बाहर निकले. मेरे साथ हमारा एक अन्य दोस्त भी था.

हमारे बीच ढाबे पर खाने का तय हुआ.

हम खाना खा रहे थे तब हमारे बीच परिचय हुआ.

वापस आते वक्त वो दोनों पीछे बैठ कर किस कर रहे थे और हम दोनों दोस्त गप मार रहे थे, साथ ही उन दोनों की चूमाचाटी की आवाज़ आने पर हंस रहे थे.

फिर एक दिन की बात है.

हर्षित ने मुझसे कहा- भाई आते वक़्त गर्ल्स हॉस्टल के सामने से प्रियंका से मेरा असाइनमेंट लेते आना. उस समय मुझे प्रियंका का मोबाइल नंबर मिला था.

उसी शाम को जब मैं फ्लैट पहुंचा ही था कि मेरा फोन वाइब्रेट हुआ. मैं ध्यान न दे सका.

चार घंटे बाद चैक किया तो प्रियंका का मैसेज आया था.

मैंने उसे कॉल किया और उससे नॉर्मल सी बातें हुईं. अब हमारे बीच ऐसे ही बातों का सिलसिला शुरू हो गया.

एक दिन की बात है, वो अपने घर गई हुई थी. मैंने उससे मज़ाक में पूछा कि मैं लेने आ जाऊं? उसने हां कर दी.

उस पर मैंने उससे कहा कि बदले में मुझे क्या मिलेगा? तो इस पर उसने कहा- अरे जो मांगोगे, वो ही दे दूंगी.

जब उसने ऐसा प्रॉमिस किया तो मैं खुश हो गया.

दो दिन बाद वो दिन भी आ गया.

मैं प्रियंका को लेने निकल गया. उस टाइम उसको लेकर आया. आते वक़्त वो गाने चला रही थी. गाने सुन कर मुझे कुछ अजीब लगा, वो सब रोमांटिक सॉंग्स चला रही थी. मैंने इग्नोर कर दिया.

जब पहुंचने वाला था, तब उसने पूछा- तुमने बताया नहीं ... क्या चाहिए? मैंने बोल दिया- टाइम आने पर बता दूँगा.

कुछ दिन ऐसे ही निकले, नॉर्मल बातें होती रहती थीं. एक दिन उसने बोला- यार, मेरी पीपीटी बनाने में हेल्प कर दो.

मैंने बोला- ठीक है हमारे वाले डिपार्टमेंट में आ जाओ.

मेरे सभी दोस्त जा चुके थे. उस दिन हमारी क्लास लंच तक होती थी. मैं बहाना बनाकर रुक गया था.

कुछ देर के बाद वो अपनी मैकबुक लेकर आई पर मुझे मैकबुक चलाना ढंग से नहीं आता था. मैं बोला- मैं अपने वाले में ही बना देता हूँ.

वो बोली- लेकिन मुझे रात तक ही रेडी चाहिए. मैंने कहा- नो प्राब्लम वो सब हो जाएगा. मैं घर दे जाऊंगा.

फिर वहां बैठ कर मैंने उसकी पीपीटी बनानी शुरू कर दी.

तब वो मुझसे बिल्कुल चिपक कर बैठी थी. मेरा लंड खड़ा होने लगा लेकिन मैं खुद पर कंट्रोल करके बैठा रहा.

फिर मुझे पता नहीं क्या हुआ, मैंने उसकी तरफ देखा. हमारी आँखें लड़ीं और मैंने उससे किस के लिए पूछ लिया.

मेरी बात सुनकर वो एकदम से उठी और जाने लगी. क्योंकि वह मेरे बेस्ट फ्रेंड की गर्लफ्रेंड थी.

मैं भी उठा और उसके सामने से आकर दरवाजा बंद कर दिया.

उसने मेरी तरफ देखा, तो मैंने बोल दिया कि तुमने वादा किया था कि जो मैं मांगूंगा, वो मुझे मिलेगा!

वो एक मिनट तक चुप खड़ी रही. इतने में मैंने आगे बढ़ कर उसकी कमर में हाथ डाला और उसको अपनी तरफ खींच कर उसके होंठों से होंठ लगा दिए. वो कुछ कहती, उससे पहले मैं उसको चूसने व चूमने लगा. साथ में मैं उसकी आंखों में देखे भी जा रहा था.

उसकी आंखें बंद थीं और वो उस पल का आनन्द ले रही थी. मैंने धीरे से हाथ उसकी जीन्स के अन्दर खिसकाया, वो थोड़ा कसमसाई. लेकिन मैंने उसको कसके पकड़ रखा था.

फिर उसका ध्यान वापस किस में चला गया. मैंने उसकी जींस के अन्दर से ही उसके कूल्हे पर हाथ रखा. पहले उसको पहले सहलाया, फिर धीरे धीरे दबाने लगा. इसी के साथ में हमारा किस जारी था.

मैं कभी उसके ऊपर वाला होंठ चूसता, कभी नीचे वाला. वो भी साथ दे रही थी.

मैं धीरे धीरे उसके पीछे से हाथ आगे ले आया, बिना उसकी जीन्स से हाथ निकाले.

उसकी चूत पर हाथ लगा ही था कि उसने मेरा हाथ पकड़ लिया. लेकिन मैंने वहीं हाथ जमाए रखा.

वो बहुत ज़्यादा गीली हो चुकी थी और उसकी चूत पर छोटे छोटे बाल महसूस हो रहे थे, जैसे एक सप्ताह पहले ही काटे हों. मैं धीरे धीरे उसकी चूत को उंगली से कुरेद रहा था.

तभी हमारी काफी देर से चल रही किस टूट गई. उसकी आंखें अभी भी बंद थीं; मतलब उसे मजा आ रहा था.

लेकिन उसने मेरा हाथ बहुत ज़ोर से पकड़ा हुआ था इसलिए मैं चूत में उंगली आगे नहीं बढ़ा पा रहा था.

तभी किसी ने गेट नॉक किया. मैंने हड़बड़ाते हुए हाथ बाहर निकाला और भाग कर मैं लैपटॉप पर काम करने लगा. आगन्तुक स्वीपर था और रूम लॉक करने आया था. मैंने प्रियंका से कहा कि मैं पीपीटी बना कर तेरे पास मेल से भेज दूँगा.

वो हां कहती हुई अपना सामान समेटने लगी. हम दोनों अपने अपने घर चले गए.

इसके बाद हमारे बीच ये किस का, इधर उधर टच करने का सिलसिला चल पड़ा था.

अब रोज़ मैं सुबह जल्दी आता और उसे पार्किंग में बुला लेता. हम दोनों गाड़ी में किस करते. मैं उसके टॉप के गले में हाथ डाल कर उसके छोटे छोटे उभारों को अपने हाथ से इकट्ठा करके दबा देता. वो आह करती हुई मजा लेती.

जब मैं ये सब छेड़छाड़ करता तो वो नीचे से गीली हो जाती और उसकी चूचियों की घुंडियां बिल्कुल बाहर निकल आतीं.

एक दिन हम सब लंच के लिए उसी ढाबे पर गए, जहां पहली बार गए थे.

उस दिन उसने एक सिंपल सा वन पीस पहन रखा था. वो मेरे बिल्कुल सामने बैठी हुई थी.

जब तक खाना आता, तब तक हम सब गप्प मार रहे थे. मुझे एक शरारत सूझी.

मैंने अपना जूता निकाला और पैर को उसके पैर पर टच कर दिया. साथ ही मैं हर्षित से बात करने लगा. मुझे पता था कि वो मेरी तरफ देख रही है.

मैंने धीरे धीरे उसकी जांघों तक अपना पैर पहुंचा दिया और जैसा मैं सोच रहा था कि वो मेरे पैर को हटाएगी, अपनी टांगों को सिकोड़ेगी.

पर उसने ठीक उसका उल्टा किया. उसने अपने पैर चौड़े किए और थोड़ा आगे की तरफ खिसक आई. इससे मेरा पैर पूरा उसकी चूत पर आ गया था.

मैं धीरे धीरे पैर के अंगूठे से उसकी चूत को कुरेदने लगा. इससे उसका चेहरा देखने लायक था.

दो बार तो उसने अपना मुँह खोला, जैसे उसका आह करने का मन कर रहा हो.

खाना खाते समय भी मैंने पैर नहीं हटाया तो उसने अपना फोन उठाया और मेरे पास मैसेज किया- यार, मेरा एक बार हो भी चुका ... प्लीज़ बख्श दे ... खाना खा लेने दे. मैंने उससे मैसेज से पूछा- मुझे क्या मिलेगा?

हंसने वाले एमोजी के साथ मैंने मैसेज भेज दिया. उसका तुरंत उत्तर आया- मैं.

मैंने ओके कहा और अपना पैर नीचे कर लिया. फिर दो सप्ताह सब नॉर्मल चला.

उसके बाद रात को प्रियंका के मैसेज आए- यार मुझे मेरी फ्रेंड्स के साथ शॉपिंग करने जाना है. क्या तू मुझे एमजी रोड तक ड्रॉप कर देगा? मैंने ओके बोला और अगले दिन उसको वहां छोड़कर आया.

मैं वापस आ ही रहा था कि तभी उसका कॉल आया- अमित मेरा मूड बना पड़ा है. मैं बोला- अभी आता हूँ. वापस फ्लैट चलेंगे. तभी उसने मना कर दिया.

फ्लैट पर चलने का अगले दिन का प्लान बना. अगले दिन मैं यूनिवर्सिटी के बाहर ही रुक गया.

थोड़ी देर बाद वो आई और मैं उसको कार में बैठाते ही फ्लैट के लिए निकल गया. गाड़ी में मैंने उसका हाथ गियर पर रखा और मेरा हाथ उसके हाथ के ऊपर.

कुछ ही देर में हम फ्लैट पर पहुंच गए. अन्दर आते ही मैंने गेट बंद किया और सारे पर्दे लगा दिए.

वो कमरे के गेट पर खड़ी देख रही थी. तभी मैंने उसके पास जाकर उसको अपनी गोद में उठा लिया.

उसने मेरे गले में अपने दोनों हाथ डाल लिए. मैंने उसकी आंखों में आंखें डाल कर देखा और किस करने लगा; साथ ही साथ मैं उसे लेकर अपने बिस्तर के करीब पहुंच गया.

एक बार उसे देखा और उसको बेड पर लेटा दिया. वो मेरी तरफ़ देख रही थी.

मैंने भी उसकी ओर देखा और उसके साथ लेट गया.

साथ ही साथ अपने हाथ को उसके पेट से होते हुए उसकी जांघ पर पहुंचा दिया. मैं तब तक उसकी आंखों में देख रहा था.

अब धीरे से मैंने उसके होंठों पर होंठ रखे लेकिन कुछ किया नहीं.

मैं उसका भी सहयोग चाहता था. उसने आधा मिनट तक कुछ नहीं किया. फिर वो किस करने लगी.

उस दौरान मैं उसकी जांघों को मसल रहा था. मैंने धीरे से उसकी जीन्स का बटन खोला, फिर चैन सरका दी. उसने मेरा हाथ पकड़ने की कोशिश की, लेकिन मैं पहले ही खोल चुका था.

मैंने उसके हाथ को हाथ में लिया और ऊपर ले जाते हुए गर्दन के बराबर ले जाकर पकड़ कर उसे स्मूच करने लगा. अपना सारा वजन मैंने उसके ऊपर डाल दिया था और उसे किस करने लगा था कभी होंठों पर, कभी गर्दन पर.

फिर उसके दोनों हाथों को ऊपर खींच कर दोनों को अपने एक ही हाथ से पकड़ लिया और थोड़ा साइड हट कर पैर से उसको दबाते हुए उसकी शर्ट के सारे बटन्स खोल दिए, फिर उसकी ब्रा को ऊपर उठा दिया. उसके छोटे छोटे चूचे मेरे सामने थे.

मैंने पहले उसकी दाँयी चूची को मुट्ठी में भरा और चूसने लगा, फिर ऐसा ही बाँयी वाली के साथ किया. वो मुझे देखती ही जा रही थी.

मैंने उसकी आंखों में देखा तो लगा, जैसे वो मुझे कुछ कहना चाह रही थी.

लेकिन मुझे कुछ समझ नहीं आया तो मैंने अंदाज़ा लगाते हुए उसके हाथ छोड़ दिए.

हाथ छूटते ही उसने मेरी टी-शर्ट को नीचे से पकड़ा और ऊपर उठा दिया. मैं समझ गया कि वो मेरी टी-शर्ट निकालना चाहती है.

मैंने भी हाथ उठा कर उसे टी-शर्ट निकाल लेने दी. फिर मैंने भी उसकी शर्ट और ब्रा निकाल दी और उसके साइड में लेट कर उसकी चूची को पीने लगा.

अपने एक हाथ को नीचे उसकी जींस के अन्दर डाल दिया और उसकी चूत को पैंटी के ऊपर से ही मसलता रहा. फिर जब मैंने धीरे से उसकी पैंटी में हाथ डाला तो उसकी क्लीन शेव चूत बिल्कुल चिकनी और एकदम गीली हो चुकी थी. हालांकि उसकी चिकनी चूत का पता उसकी गीली पैंटी से भी चल रहा था.

मैंने धीरे से उसकी चूत में एक उंगली दे दी. तो उसने आह किया और अपनी आंखें बंद कर लीं.

मैं उसकी चूत में उंगली करते करते थोड़ा उठा और अपनी जींस और अंडरवियर दोनों निकाल दिए.

फिर उसके घुटनों के पास बैठ कर उसकी पैंटी को दोनों हाथों से पकड़ कर उसकी जीन्स के साथ ही निकाल दिया. उसने आंखें खोलीं, मैं तब तक उसके ऊपर आ गया था और लिप किस करने लगा था.

अब तक मेरा लंड अपने विकराल रूप में आ चुका था. मैंने धीरे से उसके एक हाथ को पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया.

पहले उसने हटाने की कोशिश की लेकिन बाद में उसने लंड को पकड़ लिया.

मैंने भी उसकी चूत को मसला. वो पहली बार लंड मसल कर बोली- अमित, उंगली से दर्द होता है ... यही डाल दो.

मैंने अपना हाथ हटाया और उसके ऊपर चढ़ गया. उसने मेरा लंड पकड़ कर छेद में लगा दिया.

मैंने धीरे धीरे दबाव बनाया तो सुपारा अन्दर घुस गया. उसने अपनी आंखें बहुत ज़ोर से बंद कर लीं.

मैं उतना ही अन्दर करके 5-10 सेंकड रुका रहा, फिर थोड़ा और दबाव डाल कर करीब आधा लंड अन्दर कर दिया.

तब तक उसके मुँह पर कुछ ख़ास दर्द नहीं था लेकिन जब मैंने और दबाव बनाया तो लंड ने आगे जाने से मना कर दिया. मैंने और दबाव बनाया, तो मेरा लंड आगे नहीं जा रहा था.

मैंने थोड़ा सा बाहर खींच कर पूरे ज़ोर से अन्दर की तरफ धक्का मारा, तो पूरा लंड अन्दर घुसता चला गया. वो 'आ मर गई ...' करके कसमसाने लगी. उसकी सील टूट गई थी.

मैं पूरा लंड डालकर लेटा रहा. मैंने साथ साथ उसके होंठों पर होंठ रखे और उनको चूसने लगा.

शुरूआत में प्रियंका ने साथ नहीं दिया लेकिन थोड़ी देर बाद वो मेरे होंठों को चूसने लगी.

मैंने उसके उसके होंठों को छोड़ दिया और उसकी गर्दन पर किस करने लगा. साथ साथ नीचे से लंड को थोड़ा थोड़ा अन्दर बाहर करने लगा.

मुझे ऐसे में ख़ास मज़ा नहीं आ रहा था तो मैंने उसकी चूत में से लंड बाहर निकाला और साइड में लेटते हुए उसको ऊपर आने को बोला. वो मेरे कंधों पर हाथ जमाते हुए मेरे ऊपर आ गई और मेरे पेट के दोनों तरफ अपने पैर कर लिए.

फिर पीछे को खिसकती हुई वो मेरे लौड़े पर बैठ गई. अब उसने अपने छोटे छोटे चूतड़ों को थोड़ा ऊपर उठाया और मेरे लौड़े को पकड़ कर अपनी चूत पर सैट किया.

उससे पूरा लंड अन्दर नहीं लिया जा रहा था, वो थोड़ा सा अन्दर लेकर ऊपर नीचे हो रही थी. जब वो नीचे हो रही थी, तब उसकी स्पीड को ध्यान में रखते हुए मैंने ज़ोर लगा कर एक शॉट ऊपर की तरफ मारा.

मेरा पूरा लौड़ा उसकी चूत में घुस गया. वो एकदम से मेरे ऊपर गिरी और उससे लौड़ा भी बाहर नहीं निकल पाया. मैं उसकी चूचियां दबा रहा था और उसकी गर्दन पर किस कर रहा था. साथ साथ मैंने नीचे से झटके लगाना भी शुरू कर दिए.

वो उम्म्म उम्म्म किए जा रही थी. कुछ देर बाद उसने मेरी गर्दन पर किस करना शुरू कर दिया था. हम दोनों की धकापेल चुदाई चलने लगी.

कुछ ही देर में मेरा माल छूटने को हुआ तो मैंने उसको उठा कर साइड में पटका और अपना अंडरवियर उठा कर उसमें माल गिरा दिया. फिर थोड़ी देर हम दोनों ऐसे ही लेटे रहे.

वो बोली- अमित मुझे बाथरूम जाना है. मैं बोला- आ जाओ, मैं लेकर चलता हूँ. तो वो बोली- नहीं, मैं चली जाऊंगी.

उसकी एक ना मानते हुए मैंने उसको नंगी ही गोद में उठाया और बाथरूम में ले जाकर कमोड पर बैठा दिया. मैं बोला- कर लो.

वो मुझे जाने के लिए कहने लगी तो पहले तो मैंने मना किया लेकिन बाद में मान गया. जब उसका हो गया तो उसने आवाज देकर तौलिया मांगा.

मैं बोला- मुझे भी तुम्हारे साथ नहाना था. तो वो बोली- बाद में!

फिर वो नहा कर बाहर आ गई. तब तक मैंने चाय बना कर उसको अपने हाथ से चाय पिलाई और हम वापस यूनिवर्सिटी आ गए.

इसके बाद कुछ वजह से हमारे बीच दूरियां बढ़ गईं. वो अब हर्षित के साथ अपनी पूरी ज़िंदगी बिताना चाहती थी तो मैंने उस पर किसी चीज़ के लिए दबाव नहीं बनाया.

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