मौसी की कुंवारी बेटी

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मेरी नजर मौसी की बेटी पर पड़ी तो मुझे लगा कि...
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नमस्कार दोस्तो, मैं अनुज सेक्स कहानी आपके लिए लाया हूं. मैं उम्मीद करता हूं कि आपको कहानी पसंद आएगी.

मेरी मौसी की लड़की का नाम आकांक्षा है. वो 19 साल की सांवली सी, छरहरे बदन की खूबसूरत सी लड़की है. हम दोनों की मुलाकात काफी कम होती थी पर फोन पर थोड़ी बहुत बात अक्सर हो जाया करती थी.

वो मुझसे मिलती थी तो भैया भैया कह कर बात करती थी और हमेशा नजरें नीची करके मुझसे बात करती थी. मेरे भी मन में उसके प्रति कभी ऐसी कोई भावना नहीं थी.

पर एक दिन मैं काम के सिलसिले में बाइक से जा रहा था. मैंने देखा कि वह स्कूल जाने के लिए बस का इंतजार कर रही थी. मैंने उसके सामने दूसरी तरफ़ अपनी बाइक रोक दी और उसको इशारा करके अपने पास बुलाया. वह मुझे देख कर मुस्कुराती हुई मेरे पास आई और नमस्ते की.

मैंने उसको उत्तर दिया और अपना हेलमेट उतार कर उससे बात करने लगा. मैं उससे बात कर रहा था, तभी मैंने आस-पास नजर घुमा कर देखा तो कुछ लड़के हमारी तरफ नजरें उठा कर देख रहे थे.

उनको अपनी तरफ देखते हुए मैं समझ गया कि ये साले सोच रहे होंगे कि देखो लड़की से मिलने आया है. ये सोचते हुए मैंने आकांक्षा के बदन की तरफ देखा तो वो मुझे बड़ी मादक लगी.

19 साल की कमसिन कली जैसी खिली हुई खूबसूरत सी सांवली लड़की का खूबसूरत चेहरा, काले लम्बे बाल, स्कूल ड्रेस के नीचे दबी हुईं, अधपके संतरे जैसी छोटी छोटी चूचियां थीं. वो नजरें नीची कर मुझसे बात कर रही थी.

उस समय मुझे वह इतनी खूबसूरत लग रही थी कि मन कर रहा था कि उसको अभी ले जाकर चोद दूं. पर यह संभव नहीं था. जब तक कि ये ना पता चले कि वो मुझसे क्या चाहती है. बात कर लेने के बाद मैंने उससे कहा कि कोई लड़का तो तुम्हें परेशान नहीं करता है?

यह सुनते ही उसने शर्माते हुए मुस्कुरा कर अपनी नजरें नीचे झुका लीं और ना का इशारा करती हुई सर हिला कर मूक भाव से कहा कि मुझे ये बताने में शर्म आती है. उसका यूं मुस्कुराना क्या हुआ, उसने मानो मेरे दिल पर बिजली गिरा दी.

मैंने उसी पल सोच लिया था कि कुछ भी हो जाए, आकांक्षा एक दिन मेरे लंड के नीचे जरूर आएगी. उसके बाद मैं भी अपने काम पर चला गया और व्यस्त हो गया.

धीरे-धीरे ये बात मेरे दिमाग से उतर गई. कभी कभी फोन पर मैं उससे दिअर्थी बातें कर देता था, पर इससे ज्यादा आगे ना बढ़ सका. वो भी मुझसे खुल कर बात कर लेती थी.

पर कहते हैं ना कि जब किस्मत में चूत मिलना लिखा हो, तो एक दिन मिलती ही है.

उस दिन मैंने शाम को मौसी के यहां कॉल किया तो मौसी ने बताया कि वो लोग दवा लेने बाहर आए हुए हैं, घर पर आते आते हो शाम हो जाएगी. शाम को मैंने वहां पर हाल-चाल लेने के लिए फोन किया तो मौसी ने बताया कि पंद्रह दिन की दवा दी है. फिर बीस तारीख को वापस दिखाने के लिए बोला है.

सारी बातें करने के बाद मैंने फोन वापस रख दिया. मैंने मोबाइल में देखा तो 20 तारीख को रविवार था.

अब मेरे दिमाग में फिर से आकांक्षा का खूबसूरत चेहरा घूमने लगा और उसका वह शर्माते हुए मुस्कुरा कर नजरें झुकाना जैसे ही याद आया, मेरा मन आकांक्षा को चोदने का करने लगा.

मैं प्लान बनाने लगा. मैं जानता था कि 20 तारीख को 11:00 बजे तक हर हाल में मौसी मौसा के साथ दवा लेने चली जाएंगी और आकांक्षा का छोटा भाई रविवार होने के कारण दोस्तों के साथ क्रिकेट खेलने चला जाएगा. आकांक्षा उस दिन घर पर अकेली रहेगी.

तो मेरे पास उसे चोदने के लिए और प्यार करने के लिए कम से कम चार-पांच घंटे का समय होगा.

मौसी का घर गांव के थोड़ा बाहर बना था तो वहां पर किसी के आने का कोई डर नहीं था.

मैं कभी-कभी मौसी के घर जाता था तो आस-पास के लोग भी मुझे जानते थे. वो मुझे देख कर संदेह नहीं करते कि मैं आज अपनी मौसी की लड़की को चोदने का प्लान बना कर आया हूं.

इसलिए मैं निश्चिंत होकर 12:00 बजे के करीब मौसी के घर पर चला गया. घर के बाहर गाड़ी खड़ी करके साथ में जो मीठा लाया था, उसे लेकर मैं घर के अन्दर गया.

मेरी उम्मीद के मुताबिक घर पर कोई नहीं था. आकांक्षा बैठ कर पढ़ रही थी. मैंने उसे पुकारा, तो वो तुरंत खड़ी हो गई. मेरे पास आई और नमस्ते की उसने!

मेरी मादरचोद निगाहें उसकी समीज के अन्दर झांकने लगीं. मुझे उसकी काले रंग की ब्रा और दोनों चुचियों के बीच की गहराई दिख गई.

मैंने उसके कंधे पकड़कर उसे अपने पास लाते हुए कहा- तुम बड़ी हो गई हो. उसने हंस कर कहा- भैया, मैं कहां बड़ी हो गई हूं. अभी तो मैं बहुत छोटी हूं.

मैंने कहा- तुम्हें नहीं पता है, पर मेरी नजर से देखोगी, तो पता चलेगा कि अब तुम सच में बड़ी हो गई हो. यह सुनकर उसका चेहरा शर्म से लाल हो गया और उसने नजरें झुका कर मुझसे कहा- किसी और ने तो मुझसे नहीं कहा कि मैं बड़ी हो गई हूं, फिर आपको कैसे पता लगा?

मैंने कहा- आकांक्षा, हर बात कही नहीं जाती है. लोगों की नजरें तुम को बता देती होंगी कि मैं सच बोल रहा हूं या झूठ! यह सुनकर सुनकर आकांक्षा इठला कर बोली- किसी की नजरें कैसे बताएंगी कि मैं बड़ी हो गई हूं?

यह सुनकर मैं मन ही मन बहुत खुश हुआ कि मेरा प्लान सही दिशा में जा रहा है ... और आज सब कुछ सही गया तो आकांक्षा आज मेरे लंड के नीचे आ ही जाएगी. आज ऐसा करने से मुझे रोकने वाला भी इस समय घर पर कोई नहीं है.

मैंने कहा कि आकांक्षा, जब आस-पास के लोग किसी लड़की को अजीब नजरों से घूरने लगें तो उसे समझ जाना चाहिए कि अब वो जवान हो गई है. क्या तुम्हें आस-पास के लोग और क्लास में लड़के अजीब नजरों से नहीं घूरते हैं? आकांक्षा की आंखों को देख कर स्पष्ट अनुमान लगाया जा सकता था कि अब वासना आकांक्षा पर हावी हो रही थी.

वह मेरी तरफ देखती हुई बोली- भैया, लोग मुझे घूरते तो बहुत हैं और मुझे बहुत अजीब भी लगता है. पर भैया, यह बताइए कि लड़के मुझे ऐसे क्यों घूरते हैं?

मैंने आकांक्षा का हाथ पकड़कर अपने पास किया और उसके चेहरे को हाथों से थोड़ा सा ऊपर उठा कर नजरें मिलाते हुए उससे कहा कि अब तुम छोटी नहीं हो, तुम जवान हो गई हो ... और तुम्हें अच्छी तरह से मालूम है कि लड़के तुम्हें घूरते क्यों हैं?

यह सुनकर आकांक्षा वासना भरे स्वर में बोली- भैया, मुझे नहीं पता, आप ही बताओ ना कि लड़के मुझे ऐसे क्यों घूरते हैं? मैंने उसकी आंखों में देखते हुए कहा- आकांक्षा, अब तुम जवान हो गई हो और बहुत खूबसूरत हो, इसलिए लड़के तुम्हें पाना चाहते हैं.

यह सुनकर आकांक्षा बोली- भैया यह बताइए कि लड़कों को कैसे पता कि मैं जवान हो गई हूं ... और भैया आप झूठ बोलते हैं कि मैं खूबसूरत हूं. मैंने कहा- आकांक्षा, हीरे की पहचान एक जौहरी ही कर सकता है. तुम सच में बहुत खूबसूरत हीरा हो.

इस बार आकांक्षा बोली- भैया, आप जौहरी कब बन गए? मैंने कहा- जब सामने इतना खूबसूरत हीरा हो, तो लोग अपने आप से जौहरी बन जाते हैं. तुम सच में बहुत खूबसूरत हो. चाहो तो अपने आस-पास की लड़कियों को देख लो, सबसे ज्यादा लड़के तुम्हारे चक्कर में पड़े रहते होंगे और तुम्हें पटाना चाहते होंगे.

वो कुछ नहीं बोली. मैं- अच्छा, यह बताओ ... क्या मैं झूठ बोल रहा हूं?

उसने धीमे से कहा- नहीं ... पर भैया, मेरे चक्कर में इतने लड़के क्यों पड़े रहते हैं ... और वो मुझे पटा कर क्या करेंगे? मैंने आकांक्षा से कहा कि वो तुम्हें पटा कर तुम्हें चोदना चाहते हैं.

उसने शर्माकर बात बदल दी और धीमे से कहा- जौहरी जी, ये बताइए कि इस हीरे की क्या क्या खासियत है? अब तक वासना आकांक्षा के ऊपर पूरी तरह हावी हो चुकी थी. उसकी आंखें एकदम नशीली हो चुकी थीं.

मैंने उसके दोनों हाथों को अपने हाथों में लेते हुए कहा- इस हीरे की पहचान अकेले में बिस्तर पर बताई जाती है. उसने चुदासी आवाज में कहा- तो चलिए, बिस्तर पर ही बताइए ना ... वैसे भी घर पर कोई नहीं है.

यह सुनकर मैंने कहा- मैं जानता हूं इसी लिए तो हीरे को उसकी खासियत बताने अकेले में आया हूं. ये सुनकर आकांक्षा इठला कर बोली- लग रहा है, आज पूरा प्लान बना कर आए हैं.

इतना सुनकर मैंने कसकर आकांक्षा को अपनी बांहों में भर लिया और कहा- हां आज अपनी छोटी प्यारी बहना को चोदने का पक्का प्लान बनाकर ही आया हूं.

मैं आकांक्षा के पूरे चेहरे को चूमने लगा. कुछ देर ऐसे ही उसके चेहरे को चूमता रहा.

कुछ देर बाद आकांक्षा बोली- भैया, छोड़िए ... पहले दरवाजा बंद कर लेने दीजिए, नहीं तो कोई आ जाएगा. मैंने उसे छोड़ दिया और उसने जाकर दरवाजा बंद कर दिया.

वो मेरे पास आकर बोली- चलिए अब हीरे को उसकी खासियत बताइए. मैंने अपनी गोद में आकांक्षा को उठाते हुए कहा- जौहरी के होते हुए हीरे को अपने नाजुक पैरों को कष्ट देने की जरूरत नहीं है.

आकांक्षा ने मुझसे कहा- इतनी भी नाजुक नहीं हूं भैया! मैंने उससे कहा- अभी थोड़ी देर में पता चल जाएगा.

उसे गोद में उठाए ही मौसी के रूम में लेकर आ गया और बेड पर लिटा दिया.

मौसी के रूम की टीवी चलाकर मैंने पेन ड्राइव से एक एचडी बीएफ चला दी और आकांक्षा को अपनी गोद में बैठाकर कुछ देर तक उसे वीडियो दिखाया, जिसमें एक अफ्रीकन आदमी एक अंग्रेज लड़की को अपना लंड पिला रहा था. मैं समीज के ऊपर से ही उसकी चूचियां रगड़ने लगा था.

टीवी में चुदाई की आवाजें पूरे कमरे में गूंज रही थीं, जिससे दोनों के ऊपर और ज्यादा नशा चढ़ रहा था.

मैंने आकांक्षा को लिटा दिया और उसके ऊपर चढ़ कर उसके चेहरे को अपने हाथों में लेकर बोला- आकांक्षा, मेरी जान आई लव यू. आकांक्षा ने भी कहा- आई लव यू टू भैया.

मैंने कहा- आकांक्षा, मैं तुम्हें चोदना चाहता हूं. तो उसने कहा- जानती हूं भैया, आप मुझे चोदना चाहते हैं. आपने ही देरी कर दी, मैं तो कबसे आपको पसंद करती हूँ.

मैंने कहा- पागल, इतने दिन तक क्यों तड़पाया? बस अपने संतरे ही दिखाती रही. एक बार कह भी तो देती. उसने कहा- भैया, चुदाई के लिए कभी आपने कुछ कहा ही नहीं. मैं तो खुद आपसे चुदना चाहती थी.

ये सुनकर मैं आकांक्षा के होंठों को अपने होंठों में लेकर चूसने लगा. वह भी मेरे होंठों को चूस कर मेरा साथ देने लगी.

कुछ देर तक उसके होंठों को चूसने के बाद मैंने अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी. वो मेरी जीभ को चूसने लगी.

कुछ देर बाद उसने अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी. अब मैं उसकी जीभ को चूसने लगा. यूं ही कुछ देर तक हम दोनों एक दूसरे की जीभ को चूसने के बाद अलग हो गए.

मैंने उसको बेड पर बैठा कर उसके दोनों हाथों को ऊपर कर दिया और उसके जिस्म से कसी उसकी समीज को निकाल दिया. उसके सीने पर काले रंग की ब्रा में उसकी दो संतरे जितनी बड़ी चूचियां कैद थीं.

उसने शर्म से अपनी आंखें बंद कर ली थीं. मैंने अपने हाथों से उसकी ब्रा का हुक खोल दिया और उसकी ब्रा को उसके जिस्म से अलग कर उसको बेड पर लिटा दिया.

मैंने आकांक्षा से कहा- आंखें खोलो. वो शर्मा कर ना ना करने लगी.

इस पर मैंने आकांक्षा को अपनी कसम दी तो उसने आंखें खोल दीं. वो मेरी तरफ देखने लगी.

मैंने उसकी नजरों में देखते हुए कहा- तुम्हारे बदन को भगवान ने बहुत तराश कर बनाया है. बताओ किस किस अंग के तुम्हारी तारीफ करूं. तुम्हारे चेहरे की, गर्दन की, आंख नाक कान, सब भगवान ने बहुत फुर्सत में बनाए हैं. नाक में तुम्हारी नथ तुम्हारे चेहरे की सुंदरता और बढ़ा रही है. तुम्हारे लंबे लंबे बाल, छोटा सा चेहरा, बहुत मासूम लगती हो.

वो मेरी तरफ देखती हुई बोली- और? मैं समझ गया कि ये खुल कर कुछ सुनना चाहती है. मैंने तय कर लिया कि इसे कुछ सही सा कहा जाना चाहिए, ताकि मामला आर-पार का हो सके.

मैं बोला- तुम्हारे बदन का हर कटाव बहुत ही गजब का है. तुम्हें देखते ही सब का लंड खड़ा हो जाता होगा. लंड शब्द सुनते ही मेरे सीने पर मुक्का मारती हुई बोली- आप कितना गंदा बोलते हैं. आप बहुत गंदे हो.

मैं समझ गया कि लौंडिया चुदने को एकदम मचल रही है.

मैंने उसकी दोनों चूचियों को अपने हाथों से मसलते हुए कहा- अब बताओ मैं गंदा हूं. वो हंसती हुई बोली- आप तो मेरे प्यारे भैया हो.

मैंने उससे कहा- अब यही प्यारा भैया तुम्हें चोदेगा और तुमको कली से फूल बनाएगा. उसने मुस्कुराते हुए कहा- भैया, ऐसा मत कहो ... मुझे शर्म आ रही है.

मैंने आकांशा के चेहरे को अपने दोनों हाथों में भर लिया और उसके माथे पर किस करके उसे उठने का इशारा करते हुए कहा कि मेरी जांघों पर आकर बैठ जाओ. आकांक्षा उठकर मेरी गोद में आकर जांघों पर मेरी तरफ मुँह करके बैठ गई. मैं उसके चेहरे को हाथों में लेकर चूमने और चाटने लगा.

कुछ देर बाद मैंने चूमना बंद किया, तो आकांक्षा ने अपनी आंखें खोल मेरी तरफ देखा. मैंने उससे कहा- अब तुम्हारी बारी है. आकांक्षा मेरे चेहरे को हाथों में लेकर मुझे चूमने लगी.

कुछ देर बाद मैंने आकांक्षा से कहा- मेरी शर्ट उतार दो. उसने शर्ट के बटन खोल कर उसे उतार दिया और मेरी बनियान को भी निकाल दिया.

अब मैं बिस्तर पर उसको गोद में बैठाए हुए ही लेट गया. मैंने आकांक्षा से कहा- मेरे सीने और पेट पर किस करो. वो मेरे सीने और पेट पर किस करने लगी और मेरे निप्पल चाटने लगी.

थोड़ी देर बाद मैंने उसे अपने निप्पल चूसने का कहा. वो मेरे निप्पल अपने होंठों लेकर चूसने लगी. मैं धीरे-धीरे उसकी नंगी पीठ को अपने हाथों से सहलाता रहा.

कुछ देर बाद मैंने आकांक्षा से कहा कि मेरी पैंट खोल दो. उसने शर्माते हुए मेरी पैंट का हुक खोलकर चैन को नीचे खिसका दिया और पैंट को मेरे पैरों से निकाल दिया.

उससे मैंने अपना अंडरवियर निकालने के लिए कहा तो उसने शर्माते हुए मना कर दिया. मैंने उसको अपनी कसम दी.

तब उसने यह कहते हुए मेरी अंडरवियर उतार दी कि भैया हर बात में अपनी कसम मत दिया करो. मेरा लंड उसके सामने था.

उससे मैंने अपने लंड को चूसने के लिए इशारा किया तो उसने मना कर दिया. मैंने एक बार फिर उसको अपनी कसम दी, तो उसने अपने हाथ में मेरा लंड पकड़ते हुए कहा- आज के बाद आपको मेरी कसम है कि आप मुझे कोई कसम नहीं देंगे.

वो मेरे लंड को चूसने लगी. कुछ देर बाद मैंने अपना लंड उसके मुँह से निकाल लिया और खड़ा हो गया. आकांक्षा को अब घुटनों के बल बैठाकर उसके सामने खड़ा हो गया और उसके चेहरे को अपने हाथों में लेकर अपना लंड घुसा कर मुँह में डाल दिया, अपने लंड से उसका मुँह चोदने लगा.

अब तक मेरा धैर्य जवाब दे चुका था, मेरे लंड ने अपना आपा खो दिया. मेरा बीज उसके मुँह में निकाल गया. मैं उसके चेहरे को अपने हाथों में पकड़े रहा, उसे ना चाहते हुए भी मेरा सारा माल पीना पड़ गया.

जब मैंने अपना लंड उसके मुँह से बाहर निकाला तो वो बोली- कितना गंदा स्वाद है इसका! मैंने कहा- पहली बार बुरा लगता है, फिर अच्छा लगने लगता है.

मैंने आकांक्षा गोद में उठा कर बिस्तर पर पटक दिया और उसके ऊपर चढ़कर उसकी चूचियों को चूमने चाटने काटने और मसलने लगा. एक बार लंड का पानी निकल जाने के कारण मेरा लंड ढीला हो गया था और उसके फिर से टाइट होने में समय लगना था.

तब तक मैं आराम से आकांक्षा को जीभर कर रगड़ सकता था. उसकी चुचियों को रगड़ने मसलने और काटने के कारण आकांक्षा एकदम मदमस्त हो गई थी.

वो बोली- भैया कुछ करो ना ... मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा है. मैंने उसके पेट पर जीभ फिराते हुए कहा- बर्दाश्त करो मेरी जान, यही तो मजा है.

पूरे कमरे में टीवी की आवाज के साथ अब आकांक्षा की आहें भी गूँज रही थीं, उससे माहौल और भी नशीला हो गया था. मेरा लंड अभी भी बेजान पड़ा था इसलिए मैं आकांक्षा के बदन से आराम से खेल सकता था.

आकांक्षा अभी तक एक भी बार स्खलित नहीं हुई थी, इसलिए उसकी आहें पूरे कमरे में लगातार गूँज रही थीं.

मैंने आकांक्षा की सलवार की डोरी खोल दी और उसकी सलवार को उसकी टांगों से निकाल दिया. उसके बाद मैंने आकांक्षा की दोनों टांगों को फैला दिया और काले रंग की पैंटी के ऊपर से उसकी बुर पर किस किया.

इतना करते ही उसकी एक तेज सिसकारी पूरे कमरे में गूंज गई. अब मैंने आकांक्षा की पैंटी को भी निकाल दिया और उसे पूरी तरीके से नंगी कर दिया. मैं उसके बाएं पैर को अपने हाथों में लेकर पैर की उंगलियों और अंगूठे को बारी-बारी से चूमने लगा.

उनको चूमने के बाद उसके बाएं पैर की एड़ी और तलवे को चूमते हुए ऊपर आने लगा. घुटनों से होकर चिकनी जांघों को चूमते हुए उसकी बुर पर चूमा. फिर दाईं जांघ से होते हुए घुटने से नीचे उतरने लगा. उसके दाहिने पैर की एड़ियों और तलवे को चूमते हुए अंगूठे और उंगलियों को चूमने और चूसने लगा.

आकांक्षा की आहें और तेज हो गई थीं. मैंने उसकी दोनों टांगों को फैला कर उसकी बुर पर अपना मुँह रख दिया और उसे चूमने लगा.

आकांक्षा मेरे सर को पकड़ कर अपनी बुर पर दबाने लगी. मैंने अपनी जीभ उसकी बुर के अन्दर डाल दी और जीभ से उसकी बुर चाटने लगा.

आकांक्षा बुरी तरह छटपटाने लगी और अपने पैर पटकने लगी. मैं उसकी कमर को पकड़ कर तब तक उसकी बुर के अन्दर अपनी जीभ डाल कर चाटता रहा, जब तक उसने पानी नहीं छोड़ दिया.

आकांक्षा झड़ कर शांत पड़ गई थी और मेरे लंड में अब तनाव आ गया था.

मैं उसे पेट के बल लिटा कर उसकी पीठ कमर उसके चूतड़ों पर और जांघों पर चूमने और चाटने लगा. कुछ देर में आकांक्षा फिर से गर्म होकर आहें भरने लगी.

मैं आकांक्षा को बिस्तर पर लेटा कर ऊपर आ गया और उससे कहा- एक दिन इसी बिस्तर पर तुम्हारी मम्मी को सुहागरात के दिन तुम्हारे पापा ने चोद कर कली से फूल बनाया था. आज इसी बिस्तर पर मैं तुम्हें चोदकर कली से फूल बनाऊंगा.

यह सुनकर आकांक्षा हंस कर बोली- पागल, मेरी मम्मी की सुहागरात वाला कमरा और बेडरूम बगल वाला है. अब वो मेरा कमरा है. मैंने उसे गोद में उठाते हुए कहा- मेरी प्यारी बहना की सील भी वहीं टूटेगी, जहां उसकी मम्मी की टूटी थी.

मैंने उसको लाकर बगल वाले कमरे में बेड पर लिटा दिया. उधर ही उसका मोबाइल भी रखा था.

मैंने आकांक्षा की दोनों टांगें फैला दीं और उसकी टांगों के बीच में घुटने के बल आकर बैठ गया. अपने लंड पर वैसलीन लगा कर मैंने उसे सहलाया और उसकी बुर पर भी वैसलीन लगा दी.

फिर अपने लंड को उसकी बुर के छेद पर रगड़ते हुए कहा- आकांक्षा तैयार हो? उसने इशारे में हां कहा.

तभी उसके मोबाइल पर मौसी का फोन आ गया. मैंने आकांक्षा से कहा- फोन मत रिसीव करना.

उसने इशारे में हां कहा. मैंने अपने लंड का सुपारा उसकी बुर की छेद पर रखकर दबाते हुए अन्दर फंसा दिया और उसकी कमर को पकड़ कर एक जोरदार झटका दे मारा.

मेरा लंड आकांक्षा की सील तोड़ते हुए उसकी बुर में जड़ तक समा गया. अचानक पूरा लंड उसकी बुर में घुसने से आकांक्षा के मुँह से एक जोरदार चीख निकल गई.

दर्द के कारण उसकी आंखों से आंसू निकलने लगे और वो मेरे नीचे पड़ी छटपटाने लगी. हाथ में मोबाइल होने के कारण मौसी का कॉल अचानक से रिसीव हो गया था और उधर से मौसी की आवाज आने लगी.

'क्या हुआ आकांक्षा?' मैंने इशारे से आकांक्षा को चुप होने के लिए कहा, पर दर्द के कारण वो रोती रही.

तब तक अचानक मैंने कहा कि क्या हुआ आकांक्षा? मैंने फोन लेकर मौसी से हैलो बोला.

उधर से आवाज आई- क्या हुआ आकांक्षा को, वो रो क्यों रही है? और तुम कौन हो? मैंने कहा- मौसी, मैं अनुज बोल रहा हूं, कुछ नहीं हुआ. बस फिसल कर बाथरूम में गिर गई है.

मौसी ने कहा- ज्यादा चोट तो नहीं लगी और तुम कब आए अजय?

मैंने मौसी से कहा- मैं अभी आया हूं मौसी, अभी ये बताएगी तब न कुछ बता पाऊंगा, अभी तो ये बस रोए जा रही है.

उधर से मौसी ने कहा- देख, ज्यादा चोट लगी हो, तो दवा दिलवा देना. ये ज्यादा दर्द नहीं सह पाती है. मैंने कहा- आप परेशान न हो, इसे ऐसी दवा दूंगा कि फिर दर्द न हो.

उधर से मौसी की आवाज आई- हां, ठीक से देख लेना बेटा! उनका फोन कट गया.

मैंने फोन दूसरी ओर रखते हुए कहा- देख ही तो रहा हूं मौसी, अब आपको कैसे बताऊं कि आपकी फूल जैसी नाजुक बेटी को उसी बिस्तर पर चोद कर कली से फूल बना रहा हूं, जिस बिस्तर पर कभी आपको चोदकर मौसा जी ने कली से फूल बनाया था.

मेरे लौड़े के नीचे दबी मेरी बहन अचानक से हंस दी.

मैं बोलता गया- मौसी जी, आपकी बेटी को बाथरूम में गिरने से दर्द नहीं हुआ ... बल्कि कली से फूल बनाते समय मेरे लंड से मेरी प्यारी बहना की सील टूटते हुए हुआ था.

अब तक आकांक्षा ने भी दर्द पर काबू पा लिया था. वो मुझे हल्के हाथों से मेरे सीने पर मारती हुई बोली- बहुत गंदे हो भैया ... आप कितनी गंदी बात करते हो?

मैंने कहा- अभी मैं तुम्हारा भैया था, अब तुम्हारा सैंया हूं.

मैं आकांक्षा के ऊपर लेट गया और उसके होंठों को अपने होंठों में लेकर चूसने लगा.

थोड़ी देर में आकांक्षा ने मुझे कसकर अपनी बांहों में भर लिया. मैं समझ गया कि अब आकांक्षा चुदाई के लिए तैयार है.

मैंने धीरे से अपना लंड बाहर निकाल कर एक जोरदार झटका मारा. आकांक्षा की फिर से चीख निकल गई. वो देसी गर्ल Xxx चुदाई कराती हुई मुझसे बोली- आराम से करो ना ... दर्द होता है.

मैंने उससे कहा कि थोड़ी देर में यह दर्द भी खत्म हो जाएगा. फिर पूरी जिंदगी सिर्फ मजा मिलेगा. तुम्हारी मम्मी ने भी तो कहा है कि तुमको दर्द की दवा दे दूँ. आकांक्षा ने कहा- मम्मी नहीं जानती हैं कि उनकी बेटी को दर्द भी तुम ही दे रहे हो.

मैं इसी तरह रुक रुक कर धक्के मारता रहा. थोड़ी देर में आकांक्षा भी कमर उठा उठा कर साथ देने लगी. फिर मैंने अपने धक्कों की रफ़्तार बढ़ा दी और आकांक्षा को जमकर चोदने लगा.

कुछ देर बाद आकांक्षा का बदन अकड़ने लगा और उसने पानी छोड़ दिया. उसका बदन अब शांत हो गया था, पर मैं उसी रफ्तार से उसको चोदता रहा.

पहले चुदाई का दर्द उसके चेहरे पर साफ नजर आ रहा था. वो मुझे रोकने के लिए बोल रही थी, पर मैं रुका नहीं. कुछ देर बाद मेरे लंड ने भी पानी छोड़ दिया, जिसे मैंने उसकी बुर में ही निकाल दिया.

मैं पानी निकलने के बाद भी उसकी बुर को तब तक चोदता रहा, जब तक मेरा लंड एकदम ढीला नहीं पड़ गया. लंड को उसकी बुर में ही छोड़कर उसके ऊपर लेट गया और उसे अपनी बांहों में भर कर करवट बदल कर उसे अपने ऊपर कर लेटा रहा, उससे बातें करता रहा.

तकरीबन आधा घंटा बाद मैंने घड़ी पर नजर दौड़ाई तो 2:00 बज रहे थे. मेरे लंड में फिर से तनाव आ रहा था, जिसे आकांक्षा अपनी दोनों जांघों के बीच साफ महसूस कर रही थी.

वो मुझसे बोली- भैया, आपका तो फिर से टाइट हो रहा है! मैंने उससे कहा- जब इतनी खूबसूरत लड़की बांहों में लेटी हो, तो लंड बेचारा टाइट ना होगा तो क्या होगा?

आकांक्षा बोली- भैया, आज और बर्दाश्त नहीं कर पाऊंगी. यदि आपने दुबारा किया, तो मर जाऊंगी. मैंने उसको पलट कर नीचे करते हुए कहा- आज तक चोदने से कोई लड़की मरी है क्या?

वो बोली- भैया, प्लीज अब रहने दो, राज भी अब आ सकता है. मैंने कहा- राज से मेरी बात हुई थी. वह पांच बजे के पहले नहीं आएगा.

कुछ देर के बाद मैंने देसी गर्ल Xxx चुदाई की. उसके बाद मार्केट जाकर मैं दर्द की दवा लेकर आया और आकांक्षा को दे दी. उसे खाने के बाद उसका दर्द कम हो गया.

शाम को मौसी और मौसा भी घर आ गए. रात में वहीं रुककर अगले दिन मैं वापस आ गया.

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