अंगिका: एक अन्तःवस्त्र

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नागालैंड की एक लड़की ने मेरे अरमानों को जगा दिया...
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मेरा नाम लेक्सी है, मैं 30 साल का अविवाहित युवक हूं.

मेरा काम स्पा और मसाज का है. मैं बहुत सी फीमेल क्लाइंट के पास सर्विस देने जाता हूं क्योंकि मैं सिर्फ फीमेल क्लाइंट्स को ही सर्विस देता हूं. भगवान ने मुझे एक अच्छी बॉडी दी है.

मेरा वजन 58 किलो है. शरीर पर कहीं भी एक्सट्रा फैट नहीं है. ब्रुस ली जैसी मसल्स और कद-काठी है मेरी. मेरी बहुत सी क्लाइंट बोलती हैं कि मेरे हाथों में जादू है. उनको मेरा व्यवहार बहुत पसंद आता है और मैं हमेशा अपने को एक अलग लुक देकर रखता हूं.

पांच साल मैं बाहर विदेश में भी काम कर चुका हूं जिस वजह से मेरी इंग्लिश बहुत अच्छी है. मेरे बड़े बड़े बाल हैं जो कभी खुले रहते हैं और कभी मैं उनका जूड़ा बना लेता हूं. कभी चोटी बना कर भी निकल जाता हूं. कुल मिलाकर भगवान ने मुझे जो कुछ भी दिया है उसके लिए मैं उसका हमेशा शुक्रगुजार रहता हूं.

ये बात अभी कुछ दिन पहले की है. मेरे पास नागालैंड की एक महिला क्लाइंट की बुकिंग आई. मैं दरअसल मोबाइल स्पा और मसाज में परफेक्ट हूं. मैंने विदेश में रहकर ये काम सीखा है. इसलिए मैं सालों पहले भोग वासनाओं से बहुत अलग हो चुका हूं.

विदेशों में किसी भी तरह की रोक टोक नहीं है इसलिए वहां पर सेक्स के लिए ज्यादा भटकना नहीं पड़ता. मुझे वहां पर बहुत से प्रपोजल आते थे लेकिन मैं उनको स्वीकार नहीं करता था. मुझे अपने खुद के शरीर से बहुत प्यार है.

जिनकी बुकिंग नागालैंड से मेरे पास आई वो दरअसल 32 साल की एक महिला थी. जो शांत स्वभाव की थी और दिखने में किसी स्वर्ग की अप्सरा से कम नहीं थी. इस बार कुछ ऐसा हुआ कि मैं चाह कर भी अपने आप को रोक नहीं पाया.

वैसे तो आप सब असम और नागालैंड की लड़कियों के बारे में शायद जानते होंगे. और जिन्हें नहीं पता वो अब मेरे मुंह से सुन लें. साहब, सुन्दरता का दर्पण भी उनके यौवन से शरमा जाये. ऐसे नैन नक्श की मल्लिका की थी इस कहानी की पात्र जिसका नाम था अंगिका।

अंगिका को देखने के बाद पूरे 7 साल बाद मेरे शरीर में ऐसी हलचल हुई थी कि उसने मेरे दबे अरमानों को फिर से जगा दिया. अंगिका ने मुझसे गोल्ड मसाज की रिक्वेस्ट करते हुए एक प्रश्नावली भेजी.

मैंने भी ईमेल में उनके सवालों के जवाब भेज दिये. मैं उसको तत्काल सर्विस तो नहीं दे सकता था क्योंकि वो नागालैंड में थी. मैंने उससे कहा कि मैं वहां आकर सर्विस दे सकता हूं.

वो शायद मेरी पहली ऐसी क्लाइंट थी जिसने बिना देर किये अपना ऑर्डर बुक किया जिसके तहत हमने मसाज की डेट फिक्स कर ली. अब अंगिका के पास मेरा पर्सनल नंबर भी था. वहां पहुंचने में अभी पूरे हफ्ते का समय था क्यूंकि मेरे पास पांच दिन लगातार काम था.

मेरी और अंगिका की फ़ोन पर बात होने लगी.

एक दिन नॉर्मल बात हुई फिर सबकी तरह उसकी भी वही डिमांड कि पिक सेंड कर दो.

मैंने वो भी कर दी.

इस तरह करते करते दो दिन बीत गए. अभी भी चार या पांच दिन का समय था.

पता नहीं क्या हुआ, मैं जब अगले दिन सुबह उठा तो अंगिका का मैसेज आया हुआ था कि उसे विडियो चैट करनी है.

मैंने थोड़ा झिझक कर रिप्लाई दे दिया- वीडियो चैट क्यों करनी है? हम दोनों की बात हो चुकी है, नम्बर भी मिल गये हैं फिर आपको वीडियो चैट क्यों करनी है?

मेरी इस बात में उसे बेरुखी लगी और उसने रिप्लाई देना बंद कर दिया. मैंने सोचा कि आखिर वो मेरी क्लाइंट है, मैं उसको इस तरह से नाराज नहीं कर सकता.

मैंने उससे कहा- आप मुझे वीडियो कॉल कर सकती हैं, नाराज मत होइये. लेकिन मुझे आपका मूड एकदम से फ्रेश मिलना चाहिए. लगभग तीन घंटे के बाद उसका कॉल आया. मैंने जब उसको पहली बार देखा तो उसकी खूबसूरती को मैं देखता रह गया.

दोस्तो, मेरे पास बहुत फीमेल क्लाइंट आती हैं. मैं ऐसी बातों पर ध्यान नहीं देता और काम से काम ही रखता हूं. मगर अंगिका का चेहरा देख कर उसने मेरा ध्यान अपनी ओर खींच लिया.

हालांकि मैं इस बात में विश्वास करने वाला हूं कि स्त्री केवल भोग की वस्तु नहीं है. इस सोच से ऊपर उठ कर सोचिये, आपको स्त्री में कई सारे गुण मिल जायेंगे.

उसकी वो पतली छोटी छोटी आंखें, पतले होंठ, छोटी सी नाक जो कि थोड़ी दबी हुई थी. उसके बदन का रंग ऐसा था कि हाथ लगाओ तो वो मैली हो जाये.

उसने एक स्माइल दी और पूछने लगी- कैसे हो?

मैंने कहा- अच्छा हूं.

मैं- आप कैसी हो?

अंगिका- मैं भी ठीक हूं. मगर मैं कुछ कहना चाहती हूं.

मैं- हां बोलिये.

अंगिका- आपका अपॉइंटमेंट थोडा जल्दी मिल सकता है क्या?

मैं बोला- मैम, मैंने 5 आर्डर बुक किये हैं और 3 का तो एडवांस भी आ चुका है. मैं दो दिन की जल्दी भी करूं, तो भी तीन दिन तो रुकना ही पड़ेगा.

उसने अपनी मजबूरी मुझे बताई और कहा- जो नुकसान होगा वो भी मैं देने को तैयार हूं मगर आप जल्दी आ जाओ.

दरअसल उसका पति 10 दिन के लिए विदेश गया हुआ था. जिस दिन मेरी पहली बार बात हुई थी वो उसी दिन जा चुका था.

अब अंगिका के पास 7 दिन ही बचे थे. उसका पति ज्यादातर बाहर ही रहता था. महीने में एक बार या फिर कभी कभी तो कई महीने तक नहीं आता था. अगर आता भी था तो अंगिका के साथ सेक्स नहीं करता था.

मैं हैरान था कि इतनी सुन्दर पत्नी के साथ भी इंसान खुश नहीं है तो उसे आखिर और क्या चाहिए?

अंगिका जिसका अर्थ ही अंतःवस्त्र अर्थात अन्दर पहना हुआ वस्त्र, वो वस्त्र जो नारी के अंगों को और अधिक आकर्षक बनाता है. जैसा नाम वैसा आकर्षक रूप भी पाया था उसने, फिर भी न जाने क्यूं एक असमंजस की स्थिति पैदा हो गई गई थी.

उससे मैंने कहा- मैं कोशिश करके देखता हूं. जैसा भी संभव होगा, मैं आपको बता दूंगा.

वो मेरे जवाब से ज्यादा खुश नहीं लग रही थी.

फिर भी मैंने आश्वासन दिया कि मैं कोशिश करूंगा कि जल्दी से जल्दी आपके पास आ सकूं.

मैंने उसी दिन तीन क्लाइंट्स को लगभग मना लिया था. अब बची थी दो. एक की क्लास अगले दिन ही थी तो मैंने उसे मना नहीं किया और उससे अगले दिन वाली को कन्वेंस करके उसी दिन क्लास दे दी.

अब मैं अपने यहाँ के काम से फ्री हो चुका था. शाम के 7 बजे थे. अभी तक अंगिका की कोई फ़ोन कॉल या मैसेज नहीं आया था. मैं अपने काम में बिजी हो गया और उससे बात करना लगभग भूल गया.

रात को तक़रीबन 1.30 बजे उसका फ़ोन आया और वो भी सीधा विडियो कॉल. मैंने उठाया तो बस स्तब्ध रह गया. वो सिर्फ एक लाल रंग के शनील के गाउन में थी जिसकी पतली सी स्ट्रिप उसके कंधों पर पड़ी थी.

ये नजारा इतना मदहोश कर देने वाला और याद दिलाने वाला था कि पुरूष चाहे कितना भी पक्के निश्चय वाला हो कहीं न कहीं फिसल ही जाता है. मैं तो अंगिका को देखता ही रह गया.

उसने मेरा ध्यान अपने शब्दों पर लिया और बोली- पहले कभी नहीं देखी क्या ऐसी औरत?

मैं हंस कर बोला- मेरा तो काम ही ऐसा है. हां मगर किसी में इतना उतावलापन नहीं देखा.

वो बोली- तो फिर आज फोन पर ही कर दो मेरी तमाम इच्छा पूरी.

चूंकि अंगिका से बातें करते हुए मुझे तीन दिन हो गये थे इसलिए मुझे भी मजा आ रहा था.

मैंने बात को आगे बढ़ाते हुए कहा- फोन पर तो मैंने कभी सर्विस दी नहीं है और न ही मैं देना चाहता हूं.

बेशक वो मेरे जवाब से खुश नहीं थी लेकिन उसने मेरी बात को एक ही बार में मान लिया.

फिर मैंने पूछा- ऐसा भी क्या है जो आपसे इतना भी बर्दाश्त नहीं हो रहा है? आपको शायद किसी सही इन्सान की तलाश करनी चाहिए. मैं तो केवल अपने काम से काम रखता हूं. बाकी के चक्कर में मैं नहीं पड़ता हूं.

इस बात पर वो थोड़ी नाराज हुई और बोली- आप कैसे इंसान हैं? एक औरत आपको बुला रही है और आप हैं कि औरतों की तरह ही नखरे कर रहे हैं?

मुझे उसका इस तरह से बोलना बड़ा अच्छा लग रहा था क्यूंकि उसकी हिंदी ज्यादा अच्छी नहीं थी.

नागामी लोगों को ज्यादा हिंदी नहीं आती है. वो मेरे से हिंदी और इंग्लिश दोनों में बात करती थी. उसकी इंग्लिश भी ज्यादा अच्छी नहीं थी और हिंदी भी ऐसी ही थी. मगर बात करने में मजा पूरा आता था.

हम लोगों की बात आगे बढ़ी और मैं अगले दिन नार्थ ईस्ट के लिए निकल गया. मैंने अपनी फ्लाइट बुक की और समय से वहां पहुंच कर अंगिका को कॉल की. मेरे वहां पहुचने से पहले ही उसने होटल का रूम, गाड़ी, खाना-पीना आदि सब इंतजाम किया हुआ था.

रात के 8.30 बज चुके थे. मैं होटल के रूम में रेस्ट कर रहा था. तभी दरवाजे पर किसी की दस्तक हुई. मेरे लिए पहचानना ज्यादा मुश्किल नहीं था कि कौन आया है. मैं उठा और दरवाजा खोला.

दोस्तो, जैसे ही अंगिका ने मेरे रूम में प्रवेश किया, कमरा ऐसे महक उठा जैसे कस्तूरी मृग अपनी खुशबू बिखेरता हुआ चला जाता है. हालांकि ये मेरा पहला अनुभव नहीं था. फिर भी मैं ना चाहते हुए भी सारी सीमाएं लांघने को तैयार बैठा था.

मैंने देखा कि अंगिका हाइट में मेरे कंधे से भी नीचे आ रही थी और जितनी सुन्दर वो विडियो कॉल और अपनी भेजी हुई पिक्चर में दिखाई दे रही थी, यकीन मानो उससे कहीं ज्यादा सुंदर वो सामने आने पर लग रही थी.

अब तो मुझे भी लगने लगा था कि मेरा यहाँ से बचना संभव नहीं है.

मैं हँसा और बोला- मैम, सर्विस कब से शुरू करनी है?

अंगिका बोली- आज से लेकर शुरू कर दो और पूरे हफ्ते देते रहो.

मैं हंसने लगा और बोला- मैडम, मैं भी इन्सान हूं, थोड़ा रहम कर लीजिये.

इस पर वो भी हंसने लगी और फिर एक शॉपिंग बैग उठा कर ले आई. उसमें से उसने जे.डी. की एक बोतल निकाली और कुछ डिस्पोसेबल गिलास निकाल कर टेबल पर रख दिए.

मैं समझ गया कि आज कुछ न कुछ होने ही वाला है.

उसने मुझे व्हिस्की लेने को कहा मगर मैंने विनम्रतापूर्वक मना कर दिया क्यूंकि मैं अल्कोहल का सेवन नहीं करता हूं.

हां, स्मोकिंग जरूर कर लेता हूं. मैंने अपनी सिगरेट निकाली और जला ली.

अंगिका बैठी हुई अपनी व्हिस्की की सिप मार रही थी और मेरे से बात कर रही थी. मैं जिस सोफे पर बैठा था अब अंगिका वहीं मेरे पास आकर बैठ गई और थोड़ी बहकी बहकी बातें करने लगी. शायद उस पर शराब का नशा होने लगा था.

इतना मैं समझ चुका था कि यहाँ किसी को मसाज नहीं चाहिए, ना ही शायद मुझे मसाज जैसे काम के लिए बुक किया गया है. थोड़ी देर हुई थी और अंगिका मेरे आधे शरीर पर मानो कब्ज़ा सा कर चुकी थी.

उसकी आंखें लगभग बंद हो चुकी थीं और सांसें शांत सी होती जा रही थी. कुछ टाइम ऐसे ही बात करते करते रात का 1 बज चुका था. वो मेरी बांहों में ही लगभग सो सी गई. उसके बदन की वो भीनी भीनी महक मुझे अब और उतावला बना रही थी. फिर भी मैंने अपने आप को वश में रखा और उसे सोने दिया.

उसे शायद शराब का नशा ज्यादा हो चुका था. दूसरी तरफ मुझे ऐसा लग रहा था जैसे उसे बहुत लम्बे समय बाद आज नींद आई हो. वो ऐसे सो रही थी जैसे एक बेफिक्र इंसान किसी की बांहों में जा कर मस्ती से सो जाता है. उसे पता था कि जिसकी बांहों में वो है, वो शायद एक आत्मसुख की प्राप्ति कर रहा है.

मित्रो, आज की रात लगभग जा चुकी थी. अंगिका की आंख करीब सुबह के 4.30 बजे खुली और वो अभी भी मेरी बांहों में थी. मैं भी वहीं सो गया था उसके साथ में ही। वो उठी और बाथरूम में चली गई. थोड़ी देर में वो वापस आई और बोली- उठ जाओ, बहुत आराम हो गया अब तो?

मैं बोला- मैडम थोड़ी देर रुक जाओ. अभी नींद अच्छी आ रही है. वैसे भी आपकी नींद तो पूरी हो ही चुकी है. थोड़ा आराम मुझे भी करने दो.

वो फिर से वहीं सोफे पर आकर मेरे पास ही लेट गई. उसका ये व्यवहार मुझे अट्रैक्ट भी कर रहा था.

अब हम दोनों लगभग 9 बजे तक सोते रहे.

9 बजे आंखें खुलीं जब रूम सर्विस वाले की कॉल आई- सर नाश्ता तैयार है. रूम में ही सर्व करूं या फिर आप लोग बाहर रेस्टोरेंट हॉल में आयेंगे?

मैंने अंगिका से पूछा तो वो बोली- खाने के लिए बाहर चलेंगे.

मैं उठ कर फ्रेश होने चला गया.

मैं बाहर आया और रेडी होकर अंगिका का इन्तजार करने लगा.

हम दोनों तैयार हुए और बाहर खाने के लिए जाने लगे.

जाते हुए मैंने उससे पूछा- आप रोज इतनी ही पीती हो क्या?

इस पर वो हंस पड़ी और बोली- आज नहीं पीऊंगी. कल की तो रात ख़राब हो ही चुकी है. अब और टाइम नहीं ख़राब करना.

हम बाहर गए. खाना पीना खाया और फिर से वापस होटल जाने की तैयारी करने लगे. उसने फिर से कुछ शॉपिंग की और मैं देख कर हंसने लगा.

हम दोपहर का खाना खाकर फिर से होटल जाने को तैयार थे.

तभी अंगिका का फ़ोन बज उठा और न जाने फ़ोन पर कौन था कि वो उसको सब सच सच बताने लगी.

वो पूरा ब्यौरा देने लगी कि कौन सा होटल है, कहां पर रुकी हुई है, कितने दिन के लिए रुकी हुई है वगैरह वगैरह. उसकी बातों को सुन कर लग रहा था कि वो शायद किसी और को भी यहां पर आने का न्यौता दे रही थी.

थोड़ी देर के बाद उसने फोन रखा तो मैंने कहा कि आप ऐसे किसी को मत बताइये कि आप यहां पर रुकी हुई हैं और वो भी किसी और मर्द के साथ में!

मेरी बात सुन कर वो हंसने लगी. वो कहने लगी- मैं तो बताऊंगी, तुम्हारा अपहरण जो करना है.

उसकी बात सुन कर मैं थोड़ा सकते में आ गया कि कहीं ये सचमुच कुछ उल्टा सीधा प्लान तो करके नहीं आई है?

फिर मेरा हाथ पकड़ कर वो बोली- भले ही आप यहां पर सर्विस देने के लिये आये हैं. लेकिन सर्विस ब्वॉय होने के साथ साथ आप हमारे मेहमान भी हैं. आपको कुछ न होने देने की गारंटी हमारी है.

उस फोन कॉल के बारे में फिर वो खुद ही बताने लगी. उसने बताया कि वो उसकी सहेली का फोन था. उस सहेली के साथ वो सब कुछ शेयर कर लेती है इसलिए ये सब उसको बता रही थी.

घूमते घूमते हमें शाम के 6.30 बज गये. उसके बाद हम होटल चले गये क्योंकि काफी थक भी गये थे.

होटल में पहुंचते ही अंगिका ने अपने कपड़े उतार डाले और केवल ब्रा और पैंटी में रह गयी. मैं उसको नजर भर कर देख भी नहीं पाया था कि उसने अपनी बांहों का घेरा मेरे गले में डाल दिया.

मैंने कहा- क्या हुआ? आज पीनी नहीं है क्या?

वो बोली- पीयेंगे और बाकी सारे काम भी करेंगे.

उसने मुझे बैठाया और शॉपिंग बैग से दारू की नयी बोतल निकाल ली.

मैं बोला- कल वाली भी तो रखी है.

वो बोली- आज ये वाली पीने का मन है.

मैंने भी अपने आपको दिमागी तौर पर तैयार कर लिया कि अब यहाँ मसाज और स्पा का काम नहीं बल्कि कुछ और ही होने वाला है. मेरे दिमाग में भी शैतानी आइडिया आने लगे. इसी बीच अंगिका का एक पैग ख़त्म हो चुका था और धीमा धीमा नशा उसकी आँखों में दिखाई देने लगा था.

अंगिका मेरे पास आ कर बैठ गई. मैं लेटा हुआ था.

वो बोली- लेक्सीबॉय, कुछ करना है कि आज भी ऐसे ही लेटे हुए रात गुजार देने का इरादा है?

मैं हंसने लगा और उसे अपनी बांहों में खींच लिया. मैं बोला- मैडम हम हाजिर हैं, बोलिए क्या करना है?

वो बोली- जो भी करना है कर लो. अब तो तुम कहीं जाने वाले भी नहीं हो.

उसका मुंह मेरे मुंह के बहुत करीब था. उसकी सांसों से आ रही वो शराब की महक मुझे अच्छी नहीं लग रही थी मगर फिर धीरे धीरे जैसे मुझे भी उसका नशा सा होने लगा.

बिना समय गंवाए मैंने अंगिका के होंठों पर अपने होंठों को रख दिया. मेरे शरीर में एक झटका सा लगा. होंठों से होंठ मिलते ही उसने भी अपनी जीभ मेरे मुंह में डालनी शुरू कर दी. जिससे मेरी पकड़ भी उसके मखमली जिस्म पर मजबूत होती चली गयी.

मैं उसे पागलों की तरह चूसने लगा. कभी उसके होंठों को तो कभी उसके गालों को, कभी उसकी आंखों को तो कभी उसके माथे को चूम लेता था. वो भी उसी मदहोशी की हालत में मेरी हर एक किस का जवाब दे रही थी.

वो लगातार मेरे शरीर पर अपने हाथों से मसाज कर रही थी.

मैं हंसने लगा और बोला- शायद आपने मुझे यहां मेरी ही मसाज करने के लिए बुलाया है.

मैंने उसको धीरे से नीचे लिटाया और उसकी गर्दन और कानों पर टूट पड़ा.

मेरे अचानक हुए हमले से वो शायद और भी गर्म हो गई और उसकी सांसें बहुत तेजी से चलने लगीं. मेरे अन्दर के शैतान जिसको मैंने सालों से समझा बुझा कर रखा था अब उसे जागना ही था. एक खूबसूरत औरत मेरी बांहों में थी और उसके होंठ मेरे होंठों का रसपान कर रहे थे.

उसकी गर्दन और कानों ने पहले ही उसे मेरी दासी बनने के लिए मजबूर कर दिया था. मैंने धीरे से उसके कानों पर काट लिया. वो मुझसे नाराज सी हो गई और मुझे अपने से दूर करने लगी.

मगर तब तक मेरे सब्र का बांध टूट चूका था. मैं अब उसकी गर्दन की गहराइयों में अपने होंठों को चलाने लगा.

तभी अंगिका का फ़ोन बजा. टाइम लगभग रात के 1 बजने वाले थे. मैंने अपनी पकड़ ढीली की और उसने फ़ोन उठाया और फिर से एक पैग बनाने लगी.

आज वो ज्यादा एक्टिव दिखाई दे रही थी कल के मुकाबले. वो फ़ोन पर बात करने लगी.

मैं उठा और मैंने भी एक सिगरेट लगा ली.

उसकी बातों से लग रहा था कि वो उसी महिला से बात कर रही थी जिसका फ़ोन शाम के समय आया था, जिसे अंगिका ने होटल का पता भी बताया था.

उसकी बातों से लग रहा था कि जैसे वो यानि जिससे अंगिका बात कर रही थी वो भी होटल में हमारे पास आने वाली है. फ़ोन काटने के तुरंत बाद ही वो मेरे पास आ कर लेट गई.

मेरे पास लेट कर बोली- एक सिगरेट मेरे साथ भी पी लो!

मैंने उसे अपनी बांहों में भरा और उसके गालों पर और उसकी गर्दन पर किस करने लगा. वो तो आज पहले से ही तैयार थी. चुम्बन का असर दिखाई देने लगा.

उसने एक-एक करके मेरे जिस्म से मेरे कपड़ों को अलग करना शुरू कर दिया. वो तो पहले ही मदहोश थी. मेरी मदहोशी अब और बढ़ने लगी. मैं उसके होंठों को पागलों की तरह चूस रहा था और वो मेरी बांहों में बस समझो समाती जा रही थी.

हम दोनों को शायद कोई जल्दी नहीं थी और हम पूरी तरह से तैयार भी थे. जो सब हमारे बीच होने वाला था उसे लेकर! अभी तक उसके बदन पर दोनों कपड़े मौजूद थे जो मैं शायद अब पलक झपकते ही अलग करने वाला था.

हुआ भी ऐसा ही. मेरा खुद से बेकाबू होना अब ये बता रहा था कि आज की रात अंगिका की ऐसी रात होने वाली है जैसी कभी जिंदगी में ना हुई हो. मैंने उसकी ब्रा और पेंटी को उसके जिस्म से अलग करने में देर नहीं लगाई.

उसकी ब्रा हटते ही मेरी आँखों में चमक आ गयी. उसके उरोजों की गोलाइयों को मैं अपने हाथों की हथेलियों से नापने लगा. उसके निप्पल सुर्ख काले रंग के थे और लग रहा था कि जैसे किसी गोरे चेहरे पर किसी ने एक काली बिंदी लगा दी हो जो उसकी खूबसूरती में चार चांद लगा रही थी.

उसके बूब्स की बनावट सच में हैरान कर देने वाली थी. मैंने अपने काम के दौरान न जाने कितने महिलाओं की चूचियों को देखा था लेकिन अंगिका के वक्षों में कुछ अलग ही कशिश थी.

उसकी दोनों चूचियों के बीच में जो जगह थी मैं वहां पर जीभ रख कर रगड़ने लगा. मेरी इस हरकत से मानो उसका आत्म संतुलन गड़बड़ा गया. उसने मदहोशी में आकर मेरे सिर को पकड़ लिया और बहुत ही प्यार से मेरे बालों में हाथ फिराने लगी.

मैं लगातार अपनी जीभ से उसके निप्पलों को बारी बारी से चूस रहा था.

तभी अचानक अंगिका का फ़ोन बज उठा.

उसने फिर से अपनी शालीनता का परिचय दिया और मेरे से उठने के लिए इजाजत मांगी. मैंने मना कर दिया.

मगर महिलाओं को पुरूषों की कमजोरी का भली भांति पता होता है. उसने मेरी गर्दन पर अपने होंठों से एक बहुत प्यार भरा चुम्बन कर दिया जिसके अहसास ने मुझे उस पर प्यार उड़ेल देने के लिए मजबूर कर दिया.

उसकी ये अदा मुझे इतनी भा गयी कि मैंने भी उसको उतनी ही शिद्दत से एक प्यार भरा चुम्बन उसकी गर्दन पर किया और उसको फोन उठाने के लिए कहा.

मुझे भी समझने में देर नहीं लगी कि किसका फोन था. वो उसी महिला का फोन था जो उसकी बेस्ट फ्रेंड थी. फोन इस बार जल्दी कट गया. अंगिका कहने लगी कि उसकी दोस्त उससे मिलने के लिए यहां पर आना चाहती है.

इस बात को लेकर मुझे ऐतराज था क्योंकि मैं पेशेवर था और ऐसे किसी अन्जान महिला से नहीं मिल सकता था. फिर भी मैंने अंगिका की मेहमाननवाजी का मान रखते हुए उसकी दोस्त को आने की इजाजत दे दी. साथ ही मैंने ये भी साफ कर दिया कि मैं उसकी दोस्त के साथ सेक्स जैसा कुछ नहीं करूंगा.

अंगिका भी खुश हो गयी. हम दोनों ने कपड़े पहन लिये और उसके कुछ देर के बाद ही उसकी दोस्त ने रूम के दरवाजे पर अपनी दस्तक दे दी. वो एक सांवले रंग की महिला थी लेकिन नैन नक्श काफी आकर्षक थे.

उसकी दोस्त अंदर आई और सोफे पर बैठ गयी. अंगिका ने आपस में हम दोनों की जान पहचान कराई. मैंने उसका स्वागत किया और फिर हम तीनों बातें करने लगे. वो बैठ कर अंगिका के साथ पैग लेने लगी. हम सब बातें कर रहे थे.

अंगिका मेरे बराबर में बैठी थी और उसका एक हाथ मेरी कमर पर था और दूसरे हाथ में वो अपने गिलास को पकड़े हुए आराम से अपने पैग को पी रही थी.

रात के 10.30 हो चुके थे. मालिनी, उसकी दोस्त वहीं बैठ कर हम दोनों के साथ ठहाके लगा रही थी. फिर मुझे पेशाब लगी और मैं उठ कर बाथरूम की ओर जाने लगा. अंगिका भी मेरे पीछे आने लगी. उसने पीछे से मुझे अपनी बांहों में भर लिया.

अंगिका के बदन की गर्मी मेरे जिस्म में स्थानांतरित होने लगी. उसके जिस्म से सटे होने का अत्यंत कामुक अहसास मुझे अपनी सीमाओं से बाहर धकेल रहा था. मैं मुड़ा और उसको अपनी बांहों में लेकर जोर से उसकी कमर पर अपने हाथ फिराने लगा.

उसके होंठों पर अपने होंठ चिपका कर मैंने उसकी जीभ को अपने मुंह में खींच लिया. हम दोनों एक दूसरे में खोने लगे और मैं बिल्कुल भूल गया कि कमरे में कोई और भी मौजूद है जो हमें ये सब करते हुए देख रहा है.

अंगिका मेरे बदन से लिपटी हुई मुझे सहलाये जा रही थी. जब मालिनी की ओर मेरा ध्यान गया तो मैं थोड़ा असहज हो गया. वो अपनी निगाहों को हम दोनों पर ही गड़ाये हुए थी. फिर अंगिका भी अलग हो गयी और मंद मुस्कान के साथ वो मटकती हुई वापस चली गई और अपना पैग खत्म करने लगी.

मैं पेशाब करके वापस आ गया और फिर हम साथ में बैठ गये.

मैंने अंगिका से पूछा- मालिनी आज रात में यहीं रुकने वाली है क्या?

अंगिका बोली- इसके पति भी बाहर रहते हैं. यह तो अकेली ही है घर पर. इसको किसी की रोक टोक नहीं है. यही कभी भी, कहीं भी आ जा सकती है.

अंगिका ने मेरे मन को भांप कर कहा- अगर तुम्हें दिक्कत है तो मैं इसको जाने के लिए कह देती हूं. यह पढ़ी लिखी और समझदार महिला है. यह बिना किसी आपत्ति के यहां से चली जायेगी.

उसने मुझे मेरी ही बात में फंसा दिया था. मैं मालिनी के सामने ही उसको जाने के लिए नहीं कह सकता था. इससे उसके आत्म-सम्मान को ठेस पहुंच सकती थी. वैसे भी मैं एक मर्द हूं, मुझे किसी के होने से आपत्ति होनी भी नहीं चाहिए थी.

इसलिए मैंने मालिनी को रुकने के लिए कह दिया और अंगिका से कहा कि मुझे तुम दोनों के होने से कोई दिक्कत नहीं है. बल्कि चार पांच भी हों तो भी कोई दिक्कत नहीं है.

अंगिका हंसते हुए बोली- तुम्हारे सामने दो दो खूबसूरत शादीशुदा महिलाएं बैठी हैं, पहले इनका भला तो कर दो, बाकी के बारे में कल बात कर लेना.

इस बात पर मैंने अंगिका को अपनी गोदी में उठा लिया और उसे लेकर बेड पर जाने लगा. मालिनी को भी मैंने साथ आने के लिए कह दिया.

वो भी बिना किसी हिचक के हमारे साथ अंदर आ गयी.

अब हम तीनों बेड पर थे. अंगिका का नशा बढ़ता ही जा रहा था. वो मुझे अब अपने पास खींचने लगी थी. चूत चुदवाने का उसका उतावलापन अब उसकी हरकतों में साफ झलक रहा था.

उसने मुझे अपने ऊपर खींचा और मुझे बेतहाशा चूमने लगी. मैं भी उसके होंठों को खींच खींच कर चूसने लगा. मालिनी भी अब अपने ही हाथ से अपने जिस्म को सहलाने लगी थी. उसका हाथ उसके बूब्स पर फिर रहा था.

अभी तक मैंने मालिनी को टच भी नहीं किया था. अंगिका मेरे होंठों को अपने दांतों से ऐसे काटने लगी जैसे मेरी बोटी बोटी चबा कर खा जायेगी. उसकी प्यास को देख कर लग रहा था कि वो सदियों से मर्द के साथ सम्भोग करने के लिए तड़प रही हो.

अंगिका को मैंने नीचे पटक लिया और उसकी ब्रा में हाथ डाल कर उसकी चूचियों को भींचने लगा. मेरे हाथ उसके चूचों पर कसते ही वो नागिन के जैसे लहराने लगी. उसकी चूचियों के कर्व मुझे पागल कर रहे थे. मैं अपने आपे से बाहर हो रहा था.

उधर मालिनी का भी बुरा हाल था. वो अपने कपड़े भी अब उतार चुकी थी. वो केवल ब्रा और पैंटी में थी. वो भी बुरी तरह से तड़प रही थी. उन दोनों की ही हालत मुझे एक जैसी लग रही थी और अब समझ में भी आ रहा था कि वो दोनों बेस्ट फ्रेंड कैसे हैं. दोनों की ही चूत लंड के लिए तड़प रही थी.

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