एक गैंगस्टर की रखैल

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कॉलोनी के मर्द मुझे लाइन मारते थे. मुझे भी सेक्स की जरूरत थी
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मैं जीनी हूँ, मेरी उम्र इस समय बत्तीस साल है. मेरा फिगर 34-26-36 का है. मुझे साइज 34 सी की ब्रा लगती है. भोपाल में रहती हूँ. मेरे पति इंदौर में जॉब करते हैं. मेरी शादी को पांच साल हो गए हैं.

मेरे बाल भी मेरी कमर तक आते हैं. मैं ज्यादातर लैगी कुर्ती ही पहनती हूँ, जिसमें मैं काफी सेक्सी भी लगती हूँ. मेरी गांड पीछे को निकली हुई है और मम्मे भी काफी टाइट हैं. किसी भी कुर्ते या ब्लाउज में मेरे उभरे हुए मम्मे साफ दिखते है. मेरा रंग भी गोरा है और मैं दिखने में भी काफी खूबसूरत हूं.

मेरे कॉलोनी के सब लड़के, मर्द मुझ पर लाइन मारते हैं. वो मेरे आते जाते समय मुझे घूरते रहते हैं लेकिन मुझे उनमें से कोई भी अच्छा नहीं लगता था.

मेरी नापसंदगी भरी नजरों के कारण किसी ने कभी मुझसे बात करने की हिम्मत ही नहीं की.

दूसरी ओर हमारे एरिया का एक मवाली लड़का मुकेश, मुझे दिखने में काफी अच्छा लगता था. वो बिल्कुल जॉन इब्राहिम की तरह दिखता था.

मगर उस साले का नाम काफी खराब था. वो हमेशा लड़ाई झगड़ा करता रहता था. वो मुझे जब भी आता जाता देखता, तो उसके साथ वाले लोग हमेशा गंदे कमेंट्स पास करते थे.

एक दो कमेंट्स आपको भी सुनाती हूँ.

'मुकेश भाई, देखो भाभी जा रही है.' 'मुकेश भाई भाभी की और आपकी जोड़ी तो बहुत अच्छी लगती है.'

उन शोहदों की फब्तियां सुनकर मुझे न जाने क्यों अन्दर से बड़ा अच्छा लगता था.

मुकेश भी हमेशा शांति से उनकी बात सुन लेता और मेरी ओर देख कर हंस देता था. मैं भी उसकी नजरों से नजरें मिला लेती.

उसने अब तक कभी कोई ऐसी हरकत नहीं की थी जिससे मुझे पर्सनली कोई परेशानी होती.

धीरे धीरे उसकी हरकतें बढ़ने लगीं.

एक दो बार तो वो बिल्कुल मेरे पास होता हुआ गुजर गया. मुझे काफी डर भी लगा कि कहीं वह मुझे पकड़ ना ले.

एक बार तो जब वह मेरे बगल से निकला और उसने मेरे पास आकर धीरे से बोल दिया- जीनी तुम बड़ी खूबसूरत लग रही हो.

मैं उसकी इस हरकत पर थोड़ा सहम भी गई लेकिन मैंने कोई जवाब नहीं दिया.

फिर मैं सोचने लगी कि जब तक वह मेरे साथ कोई गलत हरकत नहीं करता, तब तक मैं किसी से कुछ नहीं बताऊंगी.

वैसे मुझे वो अच्छा भी लगता था और उसकी हरकतें भी. जिस प्रकार से वो मुझे छेड़ता और किसी को कुछ पता भी नहीं चलता, ये मुझे अन्दर तक खुश कर देता था.

ऐसे ही चलता रहा.

एक बार शनिवार के दिन शाम को अपनी कॉलोनी की लेडीज के साथ मेला घूमने गई. मैंने उस दिन लाल रंग का कुर्ता पहना था जो काफी शॉर्ट था. उसके साथ स्किन टाइट लैगी पहनी थी, वो स्किन कलर की थी.

जब हम लोग मेले में घूम रहे थे तो सब महिलाओं ने मौत का कुंआ देखने को कहा.

उधर भीड़ बहुत थी लेकिन मैंने टिकट ली और हम सब महिलाएं सीढ़ी से ऊपर चढ़ने लगे. सब महिलाएं आगे थीं और मैं सबसे पीछे थी.

सीढ़ी चढ़ते वक्त मेरा कुर्ता बार-बार हवा से हल्का हल्का सा उठने लगा जिसे मैं बार बार नीचे कर रही थी.

अचानक से मुझे लगा कि मेरी गांड पर किसी ने हाथ रख दिया हो. लेकिन मैंने पीछे नहीं देखा. चूंकि भीड़ बहुत थी, इसलिए मैंने सोचा कि कोई ने जानबूझ कर नहीं किया होगा.

कुछ देर बाद जैसे ही मेरा कुर्ता फिर से ऊपर को हुआ तो फिर किसी ने मेरी गांड पर हाथ रख कर दबा दिया.

मैंने तुरंत पीछे देखा तो वो मुकेश था.

उसे देख कर मैं कुछ बोल ना सकी; बस ऊपर चढ़ गई. मेरी धड़कनें बढ़ने लगीं.

ऊपर जाकर मैं भी बाकी औरतों के साथ खड़ी हो गई लेकिन मैं सबसे पीछे ही थी.

मुकेश फिर से मेरे पीछे आकर खड़ा हो गया. मौत के कुंए का खेल जैसे ही चालू हुआ, तो मुकेश ने फिर से अपना हाथ मेरी गांड पर रख दिया और मेरी गांड को दबाने लगा.

उधर मौत के कुंए में खेल चल रहा था, यहां मुकेश मेरी गांड पर अपना हाथ साफ कर रहा था.

मुकेश की हरकतों से मेरी चुत गीली सी होने लगी और मैं भी उसकी हरकतों का विरोध न कर पाई.

मुकेश ने आगे बढ़ते हुए कुर्ते के नीचे से अन्दर हाथ डाल दिया. उसने मेरी नंगी कमर पर अपना हाथ चलाना चालू कर दिया.

उसका स्पर्श मुझे मदहोश कर रहा था. मैं बस शांत खड़ी थी. मेरे माथे पर हल्का हल्का पसीना भी आने लगा.

खेल खत्म होने तक मुकेश ने अपना काम जारी रखा. मुझे ऐसा लग रहा था कि मैं उसके साथ सारी हदें पार कर लूं.

फिर अचानक से मुकेश वहां से गायब सा हो गया. मेरी नजरें भी मुकेश को यहां वहां देखने लगी लेकिन वो कहीं नहीं दिखा. साला मुझे तड़पता हुआ छोड़ गया था. मैं बिना उसे देखे बड़ी असहज होने लगी थी.

फिर हम सारे लोग घर आ गए.

घर आकर आईने के सामने जब मैं चेंज कर रही थी. तब मैंने देखा कि मेरी लैगी के अन्दर से मेरी लाल पैंटी साफ दिख रही थी. जिससे मेरे उड़ते हुए कुर्ते से मुकेश ने देख लिया होगा और उसने यह हरकत की.

मैंने इस बारे में किसी से कुछ नहीं कहा. उस रात को मुकेश के बारे में सोचते हुए मैं सो गई.

दूसरे दिन रविवार को सुबह मेरे पति इंदौर से घर वापस आए. उन्हें कुछ काम था.

वो दिन भर अपने काम में व्यस्त रहे और रात 10:00 बजे उनकी ट्रेन भोपाल से इंदौर के लिए थी.

मैं भी दिन में सोच रही थी कि मुझे मुकेश की हरकत का विरोध तो करना ही चाहिए था.

शाम को मेरे पति ने मुझसे कहा- आज बाहर चलकर डिनर करते हैं. फिर तुम मुझे स्टेशन छोड़कर वापस चली आना. मैंने भी हां कर दी.

शाम को 6:00 बजे तैयार होते हुए मैंने लाल ब्लाउज और गोल्डन बॉर्डर वाली काली साड़ी पहनी. मैंने अपने बालों का सुंदर सा जूड़ा बना लिया. कानों में बड़े झुमके और हाथों में लाल चूड़ियां पहन लीं. होंठों पर हल्की सी लाल लिपस्टिक लगाकर सज गई.

हम लोग मार्केट के लिए निकल पड़े. पहले तो हमने थोड़ा शॉपिंग की, उसके बाद हम लोग स्टेशन के पास ही एक रेस्टोरेंट में खाने के लिए चले गए.

मेरे पति ने आर्डर किया. ऑर्डर देने के 5 मिनट में ही आर्डर आ गया.

हम दोनों ने खाना खाया. खाना खाते वक्त मेरे पति भी मेरी बहुत तारीफ कर रहे थे कि मैं आज बहुत खूबसूरत लग रही हूँ.

हमने खाना खत्म किया तो मेरे पति बोले- मैं पांच मिनट में फ्रेश होकर आता हूँ. तब तक तुम बिल पे कर दो. मेरे पति फ्रेश होने के लिए चले गए.

मैंने वेटर को बुलाकर बिल के बारे में कहा. वेटर ने बिल की कॉपी मुझे लाकर दी.

जब मैंने बुकलेट खोला तो उसमें एक बिल दिखा और उसके ऊपर एक गुलाब रखा था.

वेटर मुझसे बोला- ओह सॉरी मैडम, आपका बिल पेड है. मैंने उससे पूछा- किसने पे किया?

इस बात का मुझे उसने कोई जवाब नहीं दिया. मैं यहां वहां देखने लगी कि किसने हमारा बिल चुका दिया है.

इतने में मेरे पति आते दिखे, तो मैंने झट से अपने बैग में बिल और फूल दोनों छुपा लिए.

पति ने पूछा- बिल पे कर दिया? मैंने हां बोल दिया लेकिन मैं फिर भी इधर-उधर देखने लगी कि आखिर हमारा बिल किसने पे किया है.

तभी मुझे किनारे की एक टेबल पर मुकेश बैठा दिखाई दिया. वो मेरी तरफ देख रहा था. मैं समझ गई कि हमारा बिल उसने ही पे किया है.

उससे नजरें चुराते हुए मैं उसे देखते हुए अपने पति के साथ बाहर आ गई. हम लोग स्टेशन की ओर चल दिए.

स्टेशन पहुंचकर पति ने मुझे जाने को कहा क्योंकि उनकी ट्रेन का टाइम हो रहा था.

उनसे बाय करके मैं निकली और ऑटो स्टैंड की तरफ निकल पड़ी. मैं जा ही रही थी कि अचानक मुकेश सामने से मेरी ओर आता दिखाई दिया.

वो मेरे एकदम करीब आकर बोला- हैलो जीनी भाभी. मैं एकदम से हैरान हो गई.

मैंने अनजान बनते हुए कहा- माफ कीजिए मैंने आपको पहचाना नहीं. उसने मेरी तरफ देखा और बोला- क्या सच में आप मुझे नहीं जानती? मैं शांत रही.

फिर मुकेश बोला- क्या हम लोग आइसक्रीम, ठंडा ले सकते हैं. वहीं कुछ बात भी हो जाएगी. मैंने कहा- नहीं रात हो गई है और मुझे घर जाना है. मुझे तुमसे कोई बात भी नहीं करनी है.

उसने कहा- आप चिंता मत करो, मैं आपको घर छोड़ दूंगा. मैंने कहा- देखो, अगर तुम्हारे साथ किसी ने बातचीत करते देख लिया, तो मुझे बहुत परेशानी हो जाएगी.

इस पर मुकेश बोला- तो फिर जीनी तुम मुझसे कहां मिलने आओगी? मैंने कहा- कहीं नहीं.

इस पर वो बोला- ठीक है, फिर मैं एक घंटे से तुमसे मिलने तुम्हारे घर आता हूँ. वहां हमें कोई नहीं देखेगा. मैं अभी उससे कुछ कहती कि उसने फिर से कहा- वैसे आज तुम साड़ी में बहुत अच्छी लग रही हो.

मैं उससे पीछा छुड़ाने के लिए जल्दी वहां से निकल पड़ी. मैंने ऑटो किया और घर आ गई.

घर पहुंचकर मैं सोफे पर बैठकर सोचने लगी कि मुझे मुकेश से बात ही नहीं करनी चाहिए थी. फिर मेरे मन में ख्याल आया कि अगर वो सही में घर आ गया तो क्या होगा. घर आकर उसने मेरे साथ जबरदस्ती की तो मैं उसका विरोध तो करूंगी लेकिन फिर भी उससे चुद जाऊंगी.

वो कैसे कैसे और क्या क्या मेरे साथ करेगा. मैं अभी ये सब सोच ही रही थी कि मेरी चूत गीली हो गई.

यही सोचते हुए मेरी आंख लग गई. मेरी जैसे ही आंख लगी कि डोर बेल बज उठी.

मैंने जागते हुए सोचा कि इस समय कौन होगा. रात बारह बज रहे थे.

फिर मैंने जाकर दरवाजा खोला. दरवाजा खोला तो देखा सामने मुकेश था.

तो मैंने कहा- देखो तुम चले जाओ, कोई तुम्हें यहां देख लेगा, तो मैं बदनाम हो जाऊंगी. मैंने दरवाजा बंद करना चाहा लेकिन मुकेश अन्दर आ गया.

उसने दरवाजा बंद कर लिया.

मैंने कहा- मुकेश, तुम यह क्या कर रहे हो, किसी ने अगर तुम्हें यहां आते देख लिया होगा, तो मैं बदनाम हो जाऊंगी. मुकेश बोला- जीनी, इतनी रात को किसी ने मुझे आते नहीं देखा. दूसरी बात मैं तुम्हें प्यार करता हूँ और तुम्हारे लिए कुछ भी कर सकता हूँ.

मैंने मन में सोचा कि मुकेश और मैं अकेले घर पर हैं, यह जरूर मेरे साथ कुछ करेगा.

वैसे भी मैं मुकेश को पसंद भी करती थी. उसकी पर्सनेलिटी ने पहले ही मुझे इंप्रेस किया था.

फिर भी मैंने मुकेश से कहा- देखो तुम अभी चले जाओ.

मुझे मुकेश के मुँह से शराब की महक भी आ रही थी. मुकेश मेरी ओर बढ़ा और उसने मेरा हाथ पकड़ लिया.

मैंने मुकेश से फिर कहा- तुम चले जाओ, नहीं तो मैं शोर मचा दूंगी. मुकेश बोला- अगर तुम्हें शोर मचाना होता, तो अब तक तुम शांत न रहती.

मैंने अपनी आंखें नीचे झुका लीं. उसकी बात सही थी. मैं मन ही मन उसके नीचे आने को तरस रही थी.

मुकेश ने मुझे पकड़ा, फिर भी मैंने अपना हाथ उसकी पकड़ से छुड़ाना चाहा. लेकिन मुकेश के हाथों की पकड़ इतनी ज्यादा सख्त थी कि मैं अपने आपको उसकी पकड़ से नहीं छुड़ा पा रही थी.

अब मुकेश ने मुझे हॉल में ही धक्का देकर दीवार से सटा दिया. मेरे सामने आकर मेरे होंठों पर उसने अपने होंठ रख दिए और मेरे होंठों को चूसने लगा.

उसके चूसने का तरीका इतना ज्यादा मादक था कि मैं पानी पानी हो रही थी. फिर भी मैं दिखाने के लिए उससे बोले जा रही थी- छोड़ो मुकेश छोड़ो ...

मैं अपने मुँह को इधर उधर करने लगी. मैंने मुकेश से कहा- मुझे इस तरह बर्बाद ना करो.

लेकिन वह मानने को तैयार ना था.

कुछ ही पलों में उसने मेरे होंठों को काटना आरम्भ कर दिया. यहां तक कि उसके मुँह से आ रही शराब की महक भी मुझे अब अच्छी लगने लगी थी.

मैं अपने हाथों से उसकी छाती को धक्का देकर दूर करना चाह रही थी.

उसने अपने दोनों हाथ से मेरे हाथों को पकड़ कर मुझे दीवार से सटा दिया.

मैं कुछ नहीं कर पा रही थी. उसने मेरे होंठों को चूसना चालू कर दिया था.

5 मिनट बाद मेरी आंखों से आंसू तक निकलने लगे लेकिन उसकी मर्दानगी की मैं कायल हो गई थी.

फिर उसने अपने एक हाथ से मेरे साड़ी के पल्लू को नीचे कर दिया और फिर से मेरा हाथ पकड़ कर मेरे गले, मेरे चेहरे को चूमने लगा.

उसकी चूमाचाटी मुझे काफी उत्तेजित कर रही थी लेकिन मैंने विरोध का नाटक अभी भी जारी रखा था. मैं उससे बार बार बोल रही थी- छोड़ो मुझे यह तुम ठीक नहीं कर रहे हो, मैं सबसे बता दूंगी. लेकिन वो कुछ मानने को तैयार ना था.

फिर उसने एक हाथ से मेरे ब्लाउज को पकड़कर खींचा, जिससे मेरे ब्लाउज के सारे बटन खुल गए. मेरे ब्लाउज के बटन खुलने के कारण मैं सिर्फ ब्रा में उसके सामने आ गई.

मुझे काफी शर्म आ रही थी और उसे रोकने की कोशिश कर रही थी.

वह अपने काम में लगा रहा और उसने मेरे गले पर, सीने में, किस करना शुरू कर दिया.

दो मिनट किस करने के बाद वह मुझसे दूर हो गया और मैं उसकी आंखों में देखने लगी.

उसने अपनी शर्ट के बटन खोलना शुरू कर दिया. मैं चुपचाप उसे देख रही थी.

मुकेश ने अन्दर बनियान नहीं पहनी थी. जल्दी ही उसने अपनी शर्ट निकाल फेंकी. मैं उसके मर्दानगी भरे सीने को देखकर उस पर निहाल हो गई.

मैं उसकी आंखों में देख रही थी. वो भी मेरी आंखों में एकटक देख रहा था.

कुछ समय बाद वह मेरे करीब आया और मुझे अपने सीने से चिपका लिया.

मैंने विरोध करना बंद कर दिया और शांति से खड़ी हो गई. वो मेरी गर्दन पर फिर से किस लेने लगा.

इस बार उसने अपना हाथ मेरी पीठ पर रख दिया और मेरी कमर को सहलाता हुआ मेरी बढ़ती धड़कनों को सुनने लगा. धीरे धीरे वो अपना एक हाथ मेरे बालों के जूड़े तक ले आया और उसे भी खोल दिया.

मेरे बाल खुल कर बिखर चुके थे और वो मेरे बालों से खेलने लगा था.

फिर वो पीछे अपने हाथ ले गया और मेरी दोनों आस्तीनों से मेरे ब्लाउज को निकाल कर अलग कर दिया.

अब मैं उसके सामने केवल ब्रा में थी.

मैंने उसे धक्का देकर दूर किया और अपने हाथों से अपने स्तन छुपाते हुए बेडरूम की ओर जाने लगी. मेरी साड़ी का पल्लू नीचे जमीन पर रेंगते हुए मेरा पीछा कर रहा था.

मैं बेडरूम के पास जाकर रुक गई और पलट कर मुकेश की तरफ देखा; उसे आंखों ही आंखों में बेडरूम में आने का न्यौता सा दे दिया.

फिर से मैं आगे बढ़ने लगी. मैं बेड के पास जाकर खड़ी हो गई.

मुकेश मेरे पीछे पीछे आ गया और वह मेरे पीछे से हाथ डालते हुए मेरे पेट को सहलाने लगा. दूसरे हाथ को मेरे सीने पर हाथ रखते हुए मेरे मम्मों को हल्का हल्का दबाने लगा.

अब मुझसे कंट्रोल नहीं हो रहा था. बेड के दूसरे तरफ लगे आईने में मैं देख रही थी.

मुकेश ने आगे से मेरी साड़ी को साये के अन्दर हाथ डाल कर खींचा और मेरी साड़ी एक ही क्षण में जमीन पर गिर गई.

मैंने उसकी तरफ घूम कर देखा. उसकी आंखों में हवस का नशा था. मुझे लग रहा था कि वो जल्दी से मुझे बेड पर लेटा दे और अपना काम चालू कर दे.

उसने मुझे अपने दोनों हाथों से उठा लिया. उसका एक हाथ मेरे घुटनों के थोड़ा ऊपर था और दूसरा हाथ मेरी पीठ पर था. अगले ही पल उसने मुझे उठा लिया था. मेरा साया मेरे घुटनों तक आ चुका था.

उसने दो कदम चल कर मुझे बेड पर लेटा दिया और अपनी पैंट की चैन खोलकर अपनी पैंट को अपने शरीर से अलग कर दिया.

अब वह मेरे सामने सिर्फ अंडरवियर में था और मैं ब्रा और साये में बेड पर लेटी थी. मेरा पेटीकोट मेरी चुत को बस जरा सा ढके हुए था.

मेरी चमकती जांघें साफ दिख रही थीं. वह सीधा मेरे ऊपर गिरते हुए फिर से मेरे होंठों को चूसने लगा; काफी वहशी तरीके से चूस रहा था.

मेरे लिए खुद को कंट्रोल कर पाना बहुत मुश्किल हो रहा था. अब धीरे-धीरे मैं भी उसका साथ देने लगी.

हम दोनों बिस्तर पर थे लेकिन अब तक वह मेरे ऊपर से मेरे सारे शरीर को जोर जोर से मसलने लगा.

कुछ देर बाद उसने मेरे ब्रा की स्ट्रिप पीछे हाथ डालकर खोल दी और नीचे से मेरे पेटीकोट के नाड़े को भी खोल दिया.

तब उसने मेरी ब्रा और पेटीकोट को मेरे शरीर से अलग कर दिया. अब मैं पूर्ण तरह निर्वस्त्र उसके सामने थी. उसने अपनी अंडरवियर को भी कुछ ही देर में उतार दिया.

वो बैठकर मेरे पूरे शरीर को देख रहा था. मेरे मम्मों पर, कमर पर, चेहरे पर हाथ फेरते हुए उसने मुझे मदहोश कर दिया था.

मेरी चूत तो पहले से ही गीली हो चुकी थी और फिर मुझे पता ही ना चला कब हम दोनों आपास में दो जिस्म एक जान हो गए.

वो मेरे जिस्म को चूमे जा रहा था. वह मेरे मम्मों पर भी आ चुका था और मेरे मम्मों को जोर जोर से चूसने लगा. मैं उसके सिर पर हाथ रखकर अपने मम्मों पर उसे दबाने लगी थी.

मैं उसका साथ देती हुई बोल रही थी- मुकेश बहुत हुआ अब छोड़ दो मुझे. मुकेश यह बात जानता था कि मैं बस दिखावे के लिए ये बोल रही हूँ इसलिए वो मेरे मम्मों को दांतों से दबाने काटने भी लगा था.

मुझे मीठा दर्द होने लगा था लेकिन मैं उसका साथ पूरी तरह से दे रही थी.

वो मेरे पेट को भी चूम रहा था और मुझे मछली जैसे तड़पा रहा था.

कुछ देर बाद मुकेश ने उठकर मेरे चेहरे पर हाथ रखा और जल्द ही मेरा हाथ पकड़कर मुझे घुमा दिया.

मेरे बालों को उसने एक साथ करके पकड़ा और खींचते हुए बोला- मेरी जान, मैंने कब से इस समय के लिए इंतजार किया है.

उसका लंड सात इंच से भी ज्यादा लंबा हो चुका था. उसने मुझे घोड़ी बनाकर अपना लंड मेरी गांड पर रखा और मेरी गांड पर एक जोरदार चपेट मारते हुए कहा- ले जीनी, कब से तेरी गांड मारने के लिए जी बेकरार था. आज अपने आशिक का लंड ले ले.

उसने मेरी गांड पर लंड सैट करते हुए एक जोरदार झटका दे मारा.

उसका लंड मेरी गांड में आधे से ज्यादा जा चुका था और उसके पहले ही झटके में मेरी आंखों से आंसू तक निकल आए थे.

हालांकि मैं अपने पति से गांड मरवा चुकी थी, तो मेरे लिए गांड मराना कोई नई बात नहीं थी. तब भी मुकेश का लंड बहुत मोटा था और गांड मराने में दर्द होता ही है, ये गांड में लंड लेने वाले और वाली, सब जानते होंगे.

मैं जानती थी कि इन झटकों के बाद मुझे जो सुख मिलने वाला था. इसलिए मैंने कुछ नहीं कहा.

वह मुझसे अंड बंड बोले जा रहा था, गलियां भी बक रहा था. मगर सेक्स में गालियों के साथ चुदाई का मजा ही अलग है.

उसने कुछ सेकड रुकने के बाद एक और झटका मारा जिससे उसका सारा लंड मेरी गांड में चला गया.

अब मेरी आंखों से आंसू बहने लगे थे. मैंने उससे कहा- रुको यार ... क्या मैं इंसान नहीं हूं.

पर वह कहां मानने वाला था.

मैं उससे बोले जा रही थी- देखो तुम गलत कर रहे हो और यह बात मैं सबसे बता दूंगी.

लेकिन वह कहां मानने वाला था. उसने अपनी चुदाई का कार्यक्रम मेरी गांड मारने से शुरू कर दिया, पूरा लंड मेरी गांड में अन्दर बाहर करना चालू कर दिया.

करीब दस मिनट तक उसने मेरी गांड में लंड पेला. बीच बीच में रुक कर वो मेरी गांड पर जोरदार चमाट मार देता जिससे मुझे हल्का दर्द भी हो रहा था. लेकिन जो सुख मिल रहा था, उसके सामने वह दर्द कोई मायने नहीं रखता था.

वह मेरे बालों को पकड़ कर बीच-बीच में खींच देता और मुझे इसकी यह अदा काफी अच्छी लग रही थी.

मेरी पीठ पर अपने हाथ से चलाते हुए मेरी गांड मारे जा रहा था. वो मेरी गांड की तारीफ भी कर रहा था.

अब हर शॉट में फच फच फच की आवाजें गूंज रही थीं और हमारा बेड भी साथ ही साथ हिल रहा था.

हमारी चुदाई के खेलने की ताकत में बता सकती थी कि उसकी चुदाई बहुत जोरदार थी.

करीब दस मिनट बाद उसने अपना लंड मेरी गांड से निकाला और लंड निकलते ही मैं गिर पड़ी. उसने मुझे सीधा किया और अपना लंड मेरी चुत पर सैट करते हुए बोला- ले जीनी, आज और चुदाई का मजा ले ले.

उसने अपना लंड मेरी चुत में सैट करते हुए अन्दर पेल डाला. मैंने उसका लंड एक बार में पूरी तरह अन्दर ले लिया क्योंकि मेरी चुत काफी गीली हो चुकी थी और पानी भी काफी निकल चुका था.

अब वह चुदाई करते करते मेरे ऊपर आ गया और अपना लंड अन्दर बाहर करने लगा.

वह मेरे होंठों को चूस रहा था, मेरे मम्मों को दबा रहा था और बालों को पकड़कर खींचते हुए मेरे गले पर चुम्बनों की बौछार कर रहा था.

इसके साथ नीचे उसने अपनी चुदाई का कार्यक्रम बिल्कुल नहीं रोका था.

करीबन बीस मिनट तक उसने मुझे सामने से चोदा.

इसके बाद मुकेश बोला- मुझे अपनी बूंदें गिराना है, बोल कहां गिराऊं. मैंने कहा- जब मेरी एक नहीं सुनी तो यह किस लिए पूछ रहे हो?

उसने 20-25 जोरदार झटके मारे और अपना सारा वीर्य मेरी चुत में ही छोड़ दिया. वो मेरे ऊपर गिर गया.

मैं भी उसकी पीठ के ऊपर हाथ रख कर लंबी लंबी सांसें लेने लगी. वह भी लंबी लंबी सांसें ले रहा था.

करीब 5-10 मिनट बाद वह मेरे होंठों के ऊपर होंठ रखते हुए और मेरे गालों पर किस करने लगा. वो मेरे बालों को सहलाने लगा.

फिर वह उठा और मेरे बगल में बैठ गया. मैं भी उठ कर उसके सीने पर सर रखते हुए बैठ गई. वह मुझे प्यार करते हुए मेरे चेहरे पर किस करने लगा.

मेरे बालों को सहलाते हुए मेरी कमर पर सब जगह हाथ घुमा रहा था.

मैंने कहा उससे- तुमने मुझे बर्बाद कर दिया, अगर यह बात मेरे पति को पता चल गई तो वह मुझे छोड़ देंगे. मेरी जो बदनामी होगी वह अलग! उसने कहा- तुम चिंता मत करो, तुम्हारे पति या किसी को भी यह बात नहीं पता चलेगी.

फिर उसके बाद हमने करीबन आधा घंटे बातचीत की और हम लोग लेट गए.

लेटते लेटते वह फिर मेरे ऊपर आ गया और उसने फिर से एक बार मेरी जोरदार चुदाई की.

इस बार वो मुझे गालियां नहीं दे रहा था बल्कि मुझे प्यार से भरी चुदाई कर रहा था. उसका स्टैमिना इतना था, जिसके सामने मैं टिक नहीं पा रही थी.

करीबन 20 मिनट तक वो मुझे आगे से चोदता रहा था. इस दूसरे राउंड के बाद वह मेरे बगल में ही लेट कर सो गया.

सुबह 8:00 बजे जब मेरी नींद खुली, तो उसने मेरे मम्मों के ऊपर हाथ रखा हुआ था. उसका चेहरा मेरी गर्दन के पास था.

मैंने उसी पोजीशन में उसके सर के ऊपर हाथ रखा और सर को सहलाया.

उसी दौरान वो फिर से जग गया और मुझे प्यार करते हुए बोला- कैसी कटी रात? मैंने कहा- सारा शरीर दुख रहा है.

उसने बोला- कोई बात नहीं. फिर मैं उठी और चाय बना कर लाई.

मैं वैसे ही बिना कपड़ों के चाय बनाने गई थी. हमने साथ बैठकर बेड पर ही चाय पी.

उसके बाद वह मुझे उठाकर वॉशरूम ले गया, जहां उसने वाशरूम में भी एक बार और मेरी जोरदार जोरदार चुदाई की.

इस तरह उसकी चुदाई के कारण मुझसे चलने में परेशानी हो रही थी. तीसरा राउंड करने के बाद हम लोग एक साथ मिलकर नहाए और बाहर आकर उसने अपने कपड़े पहन लिए.

उसने कहा कि शाम को कहीं बाहर मिलो. जिस पर मैंने कहा- नहीं, अगर मिलना होगा तो हम घर पर ही मिलेंगे.

वह निकल गया.

मुकेश ने मेरे घर में घुस कर मेरी चुदाई की थी. हालांकि मैं भी उसे पसंद करती थी इसलिए मैंने भी खुद से चाहकर उससे चुदाई करवा ली थी.

हालांकि दिखावे के लिए मैं चुदाई के दौरान उसका विरोध करती रही. उससे चुदने में मुझे बहुत मजा आया और यह बात मैंने किसी से बताई भी नहीं. आखिर बताने से क्या होता, मेरी तो बदनामी हो ही जाती और मेरा गृहस्थ जीवन भी बर्बाद हो जाता.

यह बैड वाइफ गुण्डा सेक्स कहानी उसी आदमी से दोबारा चुदाई की है.

मुझे उससे शारीरिक संबंध बनाना इसलिए भी अच्छा लगा क्योंकि मुकेश एक बलशाली मर्द था. उसके जैसे मर्द से चुदने के बाद मुझे उससे चुदाई का चस्का लग गया और अब मैं खुद से यह चाहती थी कि उससे मेरे संबंध बने रहें.

इसलिए अब मैं दूसरे मौके की तलाश में थी कि मौका मिले और मैं मुकेश को बुला कर उससे सेक्स की कह सकूं. ताकि वह मेरी दमदार चुदाई करे ... जो कि एक औरत को मर्द से चाहिए होता है.

इसी चाहत को अपने मन में लिए हुए मुझे काफी दिन हो गए. परंतु मुझे मौका ही नहीं मिला कि मैं उसे अपने घर बुला सकूं. घर इसलिए ... क्योंकि बाकी कहीं और जगह मेरे लिए उसके साथ चुदना सेफ नहीं था.

मुझे उसकी याद आते ही उसका पहला स्पर्श याद आ गया, जब उसने मेले में मेरी गांड को लैगी के ऊपर से छुआ था.

फिर बाद में एक रात उसने मेरे ही घर में घुसकर मेरी चुदाई की. तब से मैं उससे मिलने को बेकरार थी कि वैसा दिन दुबारा से कब मिले.

रविवार के दिन मुझे सोसाइटी में हो रही एक शादी में हॉल में जाने का कार्ड आया था. मुझे उस शादी में अकेले ही जाना था क्योंकि मेरे पति तो बाहर इंदौर में जॉब करते थे.

शादी शाम को थी. मैं करीब पाँच बजे शादी के लिए तैयार होने लगी. पहले मैं फ्रेश हुई और शादी में जाने के लिए कपड़े देखने लगी.

शादी में पहनने के लिए मैंने आसमानी रंग का नेट वाला लहंगा चुनरी सिलेक्ट किया. मैंने लहंगा पहना. लहंगा पहनने के बाद जब मैंने उसका ब्लाउज पहना तो वह काफी टाइट हो गया था. जिसके कारण वह मेरी चूचियों पर पूरी तरह से चिपक कर फिट हो गया था. मैंने ब्रा भी नहीं पहनी थी.

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