महारानी देवरानी 037

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देवरानी का प्रेम पत्र
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Part 37 of the 99 part series

Updated 04/14/2024
Created 05/10/2023
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महारानी देवरानी

अपडेट 37

प्रेम पत्र

देवरानी ने मन से बलदेव को स्वीकार कर लिया था और उसने इशारे से बलदेव को अपनी स्वकृति भी दे दी थी बस वह अब यही इंतजार कर रही थी-थी जब बलदेव उसके पत्र का उत्तर देता है।

आज सुबह की घटना के बाद सीमा पर बलदेव का मन भी नहीं लगता। सीमा पर रह-रह कर उसकी आखो के सामने सुबह के समय देवरानी की दृश्य आ जाता है।

बलदेव: (मन में) आज मदिरा को क्या पीना, देवरानी ने अपने बड़े वक्ष और चूतड दिखा कर मुझे जबरदस्त नशा चढ़ा दिया है।, जिस दिन हाथ आ गयी ना, तो उसको इतना मसलूंगा कि उसकी सब अंगड़ाई लेना, मटकना निकाल दूंगा" ये सोच कर बलदेव अपनी इस सोच पर मुस्कुरा देता है कि वह कैसे अपनी ही माँ को रगड़ने के बारे में सोच रहा है ।

देवरानी आज रात जल्दी से रात का खाना खा कर अपनी कक्षा में आ जाती है। उसे कहीं ना कहीं बलदेव का सामना करने से डर लग रहा था।

बलदेव भी सीमा से आज जल्दी वापिस पहुच कर अपने कक्ष में जाता है, तो उसे उसका कमरा साफ सुथरा मिलता है और उसके लिए 56 भोग बना कर रखा हुआ था खाने के लिए।

कमला: क्या हुआ युवराज आज जल्दी आगये? आप हाथ मुँह धो कर आइये!

बलदेव अपने अस्त्र शस्त्र निकाल कर, अपने कपड़े बदल कर हाथ मुँह धो कर आता है।

कमला: क्या बात है। युवराज आज होश में हो मदीरा नहीं चढ़ाई।

बलदेव: हा! वो...!

कमला: हाँ क्या? सुबह में महारानी को देख तुमने आंखो से मदिरा पी ली थी?

बलदेव ये सुन कर मुस्कुराता है।

बलदेव: तुम्हें बड़ा दुख हो रहा है। अपनी महारानी के लिए!

कमला उसको सारी बात बता देती है कि कैसे कमला ने देवरानी को पूरी हकीकत बताई और वह हमें गलत नहीं समझती!

बलदेव: आज मेरा कमरा बहुत ज्यादा साफ सुथरा लग रहा है और ये पकवान इतने सारे व्यंजन क्यों?

कमला: बेचारी देवरानी ने तुम्हें मनाने के लिए खुद सुबह से तुम्हारे कमरे की सफाई की, बिस्तर को झाड़ा और उसकी चादर बदली, ताकिये का खोल बदला, तुम्हारे सब गंदे कपड़े धोए और ये सारे तुम्हारी पसंद के पकवान बनाये ।

बलदेव ये सुन कर स्तब्ध हो जाता है।

बलदेव: इतना सब कुछ उन्होंने अकेले किया!

कमला: हाँ! पर जब मैंने कहा मैं करती हूँ तो उन्होंने मना कर दीया, ये कह कर "ये मेरा काम है। मेरा धर्म है।"

बलदेव: पागल है। वह!

कमला: वह अभी प्रेमिका भी नहीं बनी हैं और अभी से तुम्हारा हर काम ऐसे करना शुरू कर दीया है जैसे तुम्हारी पत्नी है वह और वह अपना पत्नी धर्म निभा रही हो।

ये सुन कर बलदेव का चेहरा शरमा कर लाल हो जाता है।

कमला: ओह्ह्ह हो! हा देखो तो पति जी के चेहरे की लाली!

बलदेव: अब तुम मुझे महाराज कहना शुरू कर दो!

कमला: वह क्यू?

बलदेव: क्यों की तुम्हारी महारानी अब मेरी हो जाएगी, और तुम्हारे महारानी का महाराजा मैं बनूंगा!

कमला: इतनी जल्दी मत करो वह गरमा गरम महरानी है। इतना गरम खाओगे तो मुंह जल जाएगा! युवराज!

बलदेव: तुमने फिर युवराज कहा और वह जितनी भी गरम हो तुम्हारी महारानी को मेरे पास आते ही ठंडी कर दूंगा, मुंह जलना तो दूर की-की बात है।

कमला शरमा जाती है...ठीक है। बाबा तुम समझो देवरानी समझे! ये लो तुम्हारा प्रेम पत्र! "

कमला प्रेम पत्र अपने ब्लाउज से निकल कर बलदेव को दे देती है।

बलदेव भोजन करता है। फिर कमला भोजन के सब बर्तन उठा कर रसोई में ले जाती है।

बलदेव अपने बिस्तर पर लेट कर पत्र खोलता है और पढ़ना शुरू करता है।

" प्रिय शेर सिंह उर्फ बलदेव जी!

आशा करती हूँ आप अभी मेरा पत्र देख मुस्कुरा रहे होगे, मैं आपको हमेशा ऐसे ही मुस्कुराता हुआ ही देखना चाहता हूँ और उसके लिए मुझे अपने प्राण भी त्यागने पड़े, तो मुझे परवाह नहीं होगी ।

बलदेव मैंने हर एक बात कमला द्वारा जान ली है और जान गयी हूँ की तुम्हारे हर फैसले की वजह सिर्फ मैं हूँ और मेरा दुख है।, मैं ही पागल थी जो तुम्हें एक हवसी और मेरे मान सम्मान की परवाह ना करने वाला समझ लिया था क्यों की तुमने मुझे पाने के लिए शेर सिंह का भेस अपनाया था, जिसकी वजह से मुझे लगा था कि तुम मेरे जिस्म को पाने के लिए किसी नहीं हद तक गिर सकते हो पर अब मैं समझ गयी हूँ की मैं ही गलत थी।

तुमने मुझे पाने के लिए कमला से मदद ली जिससे मुझे लगा तुम मेरी मान मर्यादा दुनिया के सामने उजागर कर के मुझे बदनाम कर दोगे पर यहाँ भी मैं ही गलत थी।

कमला ने मुझे बताया कैसे तुमने मेरे लिए कोई शेर सिंह नामक किसी व्यक्ति के चयन कर लिया था और अगर मैं उस दिन घोड़े पर बैठ जाती थी तुम मुझे उसके पास छोड़ देने वाले थे। अब मैं समझ गयी हूँ की तुम मेरी ख़ुशी के लिए इतना बड़ा बलिदान देने जा रहे थे ।

मैंने अपने जीवन में किसी से पहले प्रेम नहीं किया है, मेरा विवाह तो मेरे पिता जी ने जबरदस्त करवा दीया था । मेरा पहला प्रेम शेर सिंह था पर मैं उस से नहीं मिली हूँ । हाँ शायद! बलदेव मुझे नहीं पता पकी तुम दोनों के लिए मेरे दिल में प्रेम के जज्बात हैं या नहीं और जब ये बात चल रही थी, मैं इस संशय में थी की में किसका चुनाव करू?

मेरे दिल ने पहली बार किसी के सपने सजाये थे और वह था शेर सिंह और कोई अपनी प्यारी बातो से और मेरा ख्याल रख कर मेरे दिल को भाया वह था बलदेव।

बलदेव उर्फ शेर सिंह जी मेरा जीवन अब आपके नाम हैं । बसमेरा ये अनुरोध है कि मेरा ये दिल कभी मत तोड़ना, क्योंकि जब एक औरत हर मर्यादा नियम और धर्म के विरुद्ध जा कर फैसला लेती है, तो अगर उसके साथ कुछ गलत होता है तो वह दोबारा अपने जीवन में वापस नहीं जा सकती।

आपकी देवरानी"

देवरानी का पत्र पढ़ कर बलदेब कहता है ।

"सच में औरत को समझना बहुत मुश्किल है।"

"देवरानी तुम्हें किसी से भी प्यार हुआ हो पर बनोगी तो मेरी ही रानी ।"

फिर पत्र को एक तरफ रख कर बलदेव गहरी नींद में डूब जाता है।

जारी रहेगी

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