राजा का फ़रमान

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राजा का फ़रमान
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मैं वृंदा अपना एक स्वप्न प्रस्तुत कर रही हूँ, मुझे अक्सर इस तरह के स्वप्न आते हैं!

और मैंने आज तक किसी को इनके बारे में नहीं बताया है, आज बहुत हिम्मत करके लिखने का प्रयास कर रही हूँ!

इस स्वप्न में मैं एक ऐसे देश में पहुँच गई हूँ जहाँ का राजा बहुत ही क्रूर और कामोत्तेजित है, उसके देश में लड़कियाँ जैसे ही जवान होती हैं, उन्हें राजा के पास एक महीने के लिए भेज दिया जाता है और वो उनका कामार्य भंग करता है, उन्हें भोगता है और एक महीने बाद उन्हें अपने घर वापिस भेज देता है।

यदि कोई लड़की उसके बाद माँ बनती है, तो उसकी महल में वापसी राजा की रखैल के रूप में होती है वो वहाँ बच्चे को जन्म देने और चालीस साल पार करने के बाद दासी बन कर रहती है, जो कोई परिवार अपनी बेटी को राजा से भोग लगवाने नहीं भेजता, उसकी बेटी उठवा ली जाती और उसकी बाज़ार में बोली लगवाई जाती, जो उसे खरीदता वो सबके सामने उसे चोदता, खसोटता और उसे अपनी नोकरानी बना कर रखता अपने ख़ास आदमियों से उसे चुदाता और जब मन भर जाता तो फिर किसी को बेच देता!!

इस तरह जब मैंने वहाँ कदम रखा तो बहुत से मर्द मुझे बेचैन निगाहों से देखने लगे मेरे आसपास मंडराने लगे कोई मेरी गाण्ड छूकर चला जाता तो कोई फबतियाँ कसता यह कहते हुए कि आज तुझे रखैल नहीं, अपनी रानी बनाऊँगा।

एक ने तो हद ही कर दी, पीछे से आते हुए मेरी अन्तःचोली कपड़ों के भीतर से ही खोल दी!!! वहाँ कहीं जाकर चोली फिर से बंद करने की जगह नहीं थी तो मैं कुछ आगे बढ़ी, चलने से मेरी चूचियाँ हिलने लगी, तो एक आदमी सामने से आया और कहने लगा- तुम से नहीं संभल रही तो मैं थाम लूँ!!

उस पर मैंने उस आदमी पर हाथ उठा दिया, उसने हाथ पकड़ लिया और मुझे अपनी और खींच कर दूसरे हाथ से मेरी चूचियाँ मसल दी।

तभी वहाँ खड़े भूखे मर्द मेरी और बढ़ने लगे और बोले- आओ, इसे राजा के पास ले जाते हैं! खूब बड़ा इनाम मिलेगा!

और सभी मुझे पकड़ कर राजा के दरबार में ले गए, दरबार बहुत बड़ा था, वहाँ बहुत सी दासियाँ थी, सभी दासियाँ अधनंगी थी, आते जाते मंत्री, तंत्री, रक्षक उन दासियों को छेड़ रहे थे, उनका बदन मसल रहे थे, बहुत कामुक माहौल था।

राजा ने सुनवाई शुरू की तो एक रखैल राजा की गोद में आ बैठी। राजा ने उसके बदन से सारे कपड़े उतार दिए और सुनवाई करते करते अपना लण्ड चुसवाने लगा।

सभी मंत्री इतनी सारी नंगी औरतों को देख कर अपना लण्ड अपने हाथों से मसल रहे थे।

तभी मेरी सुनवाई की बारी आई, बाहर हुई घटना विस्तार में बताई गई।

सब कुछ सुनकर राजा ने पूछा- इतना गुरूर किस बात का तुझे लड़की...? आखिर ऐसा क्या है तेरे पास? ये चूचियाँ? यह गाण्ड? यह चूत? ये तो हर औरत के पास होती है और इस देश में औरतों की कमी नहीं! मेरी एक आवाज़ पर यहाँ चूतों की कतार लग जाती है।

तभी वो अपनी रखैल को चूमने लगा और उसने अपनी रखैल को कुछ इशारा किया और ताली बजाई।

रखैल उसके पैरों के पास लेट गई और हवा में टांगें करके उसने अपनी टांगें खोल के चूत उसके सामने पेश कर दी। देखते ही देखते बीस-पच्चीस रखैलें आई और अपनी टांगें खोल कर हर मंत्री के सामने चूत पेश करने लगी!!

मंत्रियों के मसलते लण्ड फुफकारने लगे, और सभी ने रखैलो की चूतों में अपने अपने लण्ड घुसा दिए और चुदाई करने लगे।

राजा ने पूछा- अब बोल लड़की!

मैं शर्म से पानी पानी हुए जा रही थी, मैंने राजा से जबान लड़ाई- आप यह सब क्यों कर रहे हैं...?

राजा बोला- ताकि तुझे तेरी औकात पता लगे कि तुम औरतें सिर्फ मर्दों से चुदने और चूसने-चुसवाने के लिए पैदा होती हो! हाथ उठाने के लिए नहीं, और अगर हाथ उठ भी जाता है तो भी लण्ड के लिए उठना चाहिए...!!!

कहते हुए राजा ने फैसला सुनाया- आज से लेकर कल इसी समय तक तेरी लगातार चुदाई होगी और वो भी भरे महल में.

राजा: सिपाहियो ले जाओ इस लड़की को और तैयार करो हमारे लिए! इसकी अक्ल तो हम ठिकाने लगायेंगे, आजकल बहुत पर निकल आए हैं इन रांडों के!!

मुझे महल में ले जाया गया और स्नानघर में ले जाकर एक तालाब में कपड़ों समेत धकेल दिया गया। फिर सिपाही भी नंगे हो अन्दर उतर आए और मेरे बदन को धोने के बहाने मसलने लगे।

एक ने मेरी चूत में ऊँगली डाल दी, एक ने गाण्ड में अंगूठा घुसा दिया और हाथों की उंगलियों और हथेलियों से मेरी गोल-गोल गाण्ड को मसल कर मज़े लेने लगा।

एक ने मेरे चूचे दबोच लिए और एक मेरा दाना हिला हिला के मुझे तड़पाने लगा।

मेरे मुँह से आनन्द भरी आहें निकलने लगी।

तभी एक ने मेरे मुँह में दो उंगलियाँ डाल दी, कोई भी अपने औजार का प्रयोग नहीं कर रहा था, क्यूंकि सबको पता था कि मैं राजा का माल हूँ, और मुझ में मुँह मारना यानि जान से हाथ धोना!

तभी राजा अन्दर आया और मुझे 5-6 सिपाहियों के बीच कसमसाता देख मजे लेने लगा। मैं आँखें बंद कर आहें भर रही थी, मेरी अन्तर्वासना जाग चुकी थी, आँखों में कामवासना भर चुकी थी।

तभी जाने अनजाने मेरे हाथ एक सिपाही के लण्ड तक जा पहुँचे, सिपाही झेंपते हुए पीछे हो गया यह सोच कर कि राजा को पता लगा तो लण्ड कटवा देंगे!

मैं चुदने को तड़पने लगी।

तभी राजा ने सिपाहियों को जाने का इशारा किया और मेरी कामतन्द्रा टूट गई।

राजा पानी में उतर आया और उसने मेरे कंधे पर जोर से काट खाया, मेरा खून निकलने लगा और मुझे अपनी ओर खींचा...

राजा : मैं जानता हूँ कि तू अब खुद के काबू में भी नहीं है...

मैं : जा जा! तुझ में इतनी हिम्मत नहीं कि किसी औरत का सतीत्व बिना उसकी मर्जी के तोड़ सके! इतनी हिम्मत होती तो क्या औरतों पर जुल्म करता? उन्हें मजबूर करके अपनी रखैल बनाता? अपने फरमान से प्रजा को दुखी करता?? नहीं, तू तो एक नपुंसक है, जब तेरी कोई भी पत्नी माँ नहीं बन सकी तो तूने बाहरी औरतों का शोषण किया, तेरे जैसा बुज़दिल और बेगैरत इन्सान मैंने आज तक नहीं देखा..!!

राजा : मैं बेगैरत..? मैं बुज़्दिल..? तो तू क्या है? रण्डियो की रानी? जब सिपाही तुझे मसल कुचल रहे थे, तब कहाँ था तेरा सतीत्व.

मैं : वो तेरे आदेश का पालन कर रहे थे और अगर मैं साथ न देती तो तू उनका क़त्ल करवा देता! मेरी वजह से किसी बेक़सूर की जान जाये, यह पाप मैं अपने सर नहीं ले सकती..!!

यह कहते ही राजा ने मेरी चूचियों पर से कपड़ा नीचे सरका दिया। मैंने बिन कंधे का टॉप पहना था और ब्रा तो रास्ते में ही खुल चुकी थी, सो चूचियाँ उसके सामने झूलने लगी और राजा की आँखों में लालच आने लगा...

क्या राजा मुझे पानी में चोदेगा... या मुझे अपने सिपाहियों से चुदवा कर मज़े लेगा.. क्या होगा आगे मेरे साथ..!!!!

उसने मेरी चूचियाँ थामने के लिए अपने दोनों हाथ आगे बढ़ा दिए, मैं दो कदम पीछे हो गई, राजा भी देखते ही देखते आगे आ गया।

मेरे मन में एक तरकीब सूझी, राजा जैसे ही और आगे बढ़ा, मैंने पानी के अन्दर ही उसके लण्ड पर दबाव बनाया, राजा मन ही मन खुश हो रहा था, तभी उसकी शरारत भरी मुस्कान, दर्द भरी कराह में बदल गयी, मैंने उसका लण्ड जो मरोड़ दिया था।

राजा लण्ड पकडे वहीं खड़ा रहा और मैं वहाँ से भाग निकली।

राजा ने मेरे पीछे सैनिक लगा दिए, मैं एक शयनकक्ष में जा घुसी, शयन कक्ष खाली था, मैंने परदे उतार कर जल्दी से अपना बदन ढका, और एक मूरत के पीछे छिप गई।

तभी दरवाजे पे दस्तक हुई...

सिपाही: महारानी जी, यहाँ कोई स्त्री आई है..??

मुझे कुछ नहीं सूझ रहा था सो मैंने जवाब दिया.. अगर जवाब न देती तो वो सिपाही अन्दर चला आता.!!!

मैं कमरे के भीतर से : नहीं यहाँ कोई नहीं आया, तुम जाओ हम कुछ देर विश्राम करना चाहते हैं..!!

सिपाही: महारानी जी, क्षमा करें, महाराज का आदेश है...!!!

तब तक मैंने महारानी के वस्त्र पहन लिए थे और खिड़की की तरफ मुँह करके खड़ी हो गई और थोड़ा सा घूँघट भी निकाल लिया..

मैं : ठीक है, आ जाओ..

सिपाही कमरे में घुसा और कमरा तलाशने लगा, मेरे पास आया और सर झुका कर कहने लगा- क्षमा कीजिए महारानी जी! यहाँ कोई नहीं है..!!

सिपाही के जाते ही मैं भी रानी के वेश में कमरे से बाहर निकली, ताज्जुब की बात तो यह थी कि कहीं पर भी कच्छी और ब्रा नाम की चीज़ नहीं थी, मैं महारानी के वस्त्रों में तो थी पर अन्दर से एकदम नंगी

! मेरे चूचे चलते-भागते हिल रहे थे, कि तभी मैं एक जगह जाकर छुपी..... और पकड़ ली गई।

जगह थी "वासना गृह"

वहाँ राजा नग्नावस्था में था, उसके आसपास उसकी बहुत सी रखैलें थी, एक की चूची एक हाथ में दूसरी की चूची दूसरे हाथ में, तीसरी छाती पर बैठी चूत चटवा रही थी, चौथी टट्टे चाट रही थी, पांचवी लण्ड

एक बार गाण्ड में लेती फिर उछल कर चूत में लेती।

परदे के पीछे से देख देख कर मैं अपना घाघरा उठा कर ऊँगली करने लगी, महारानी के कंगनों की आवाज़ से मैं पकड़ी गई।

राजा ने आपातकाल बैठक बुलाई, राज्य के सभी मर्दों को न्योता दिया गया, राजा नग्न अवस्था में ही बैठक में आया...

और राजा ने फरमान सुनाया- इस लड़की ने मुझसे चुदने से इनकार किया है, इसलिए इसकी इसी दरबार में बोली लगेगी, ऐसी बोली जैसी आज तक किसी की नहीं हुई होगी। इस बोली के बाद इसका

इसी सभा में चीरहरण होगा, उसके बाद यह रखैल तो क्या किसी की दासी बनने के लायक भी नहीं रह

जाएगी, इसके चीर और यौवनहरण के बाद इसकी चूत और गांड सिल दी जाएगी, चूचे और जबान काट

लिए जायेंगे। और हाँ, बोली लड़की की नहीं उसकी जवानी की लगेगी, चूचे, गाण्ड, गदराया बदन, जांघें,

बाहें, होंठ, बगलें जिस्म के हर हिस्से की बोली लगेगी.

यह सुन कर तो मेरे होश उड़ गए..

अब और क्या होना बाकी है मेरे साथ...?

मुझे मन ही मन डर लग रहा था..!!!

यह सुन सभा में ख़ुशी से शोरगुल होने लगा, लोग ठहाके लगाने लगे, फबतियाँ कसने लगे, भीड़ में से आवाज़ आई- आज मज़ा आयेगा! मैं अभी घर से अशर्फ़ियाँ उठा लाता हूँ!

मेरी तो हवा निकल रही थी कि अब जाने आगे मेरे साथ क्या होने वाला है, इससे पहले जो हुआ वो कम था क्या...!!!

कि अचानक आवाज़ आई..

राजा : बोली ठीक 15 मिनट बाद आरम्भ होगी ताकि आप सभी इस समय में इसके जिस्म का मुआयना कर लें और अपने हिसाब से बोली लगायें..!!!

मेरे जिस्म से कपड़े फाड़ कर फिंकवा दिए गए, लोगों की तो मौज हो गई।

तभी एक मंत्री ने राजा से अनुरोध किया- महाराज, क्या हम इसे छूकर देख सकते हैं? ताकि हमें भी भरोसा हो जाये कि जो माल हम खरीद रहे हैं उसमें किसी बात की कमी तो नहीं..!!!

राजा : ठीक है छू लो!! आखिर ग्राहक को भी पता होना चाहिए कि जिस चीज की वो कीमत दे रहा है वो असल में क्या है और कैसा है..!!! हा ह़ा हा हा!!

मंत्री मेरी तरफ बढ़ चला, तो भीड़ से आवाज़ आई- मंत्री जी छुइएगा नहीं! कहीं पानी न छोड़ दे राण्ड..!!!

एक और आवाज़ आई- और अगर छू भी रहे हैं जनाब, तो मसल डालियेगा! और हाँ! जिस्म का कोई अंग ना रहने पाए..!!!

यह सुन कर लोग ठहाके लगाने लगे..

मैं नंगी खड़ी पानी-पानी हो रही थी, मुझे अब तक केवल पाँच लोगो ने छुआ था, राजा और उसके सिपाहियों ने और अब छठे की बारी थी।

वो आया और आते ही उसने मेरे केशों में हाथ फेरा, फिर अचानक से बालों को खींच कर उसने मुझे धक्का दिया और भीड़ की तरफ मुँह करके बोला- क्यों कैसी रही?

सभी लोगों ने उसे वाह-वाही दी।

फिर वो मेरी तरफ बढ़ा, दोनों हाथों से मेरे चूचे थाम कर बोला- बहुत गरम माल है! ऐसा लग रहा है कि हाथों में पिघल रहा है!

और मेरे चूचे बेदर्दी से मसलने लगा। चूचे पकड़ कर उसने यकायक मुझे अपनी ओर खींचा और मेरी गाण्ड पर ज़ोरदार तमाचे लगाने शुरू कर दिए, कहने लगा- नीचे से भी कड़क है!

फिर उसने मुझे ज़मीन पर धकेल दिया और दो सिपाही बुलवा कर मेरी टांगें हवा में खुलवा दी, मेरी चूत की फांकें खोल कर बोलने लगा- अरे कोई चोदो इस राण्ड को! वरना पानी बहा बहा कर पूरा महल अपने काम रस से भर देगी...!!!

भीड़ से आवाज़ आई- हम भी तो उसमें डूबना चाहते हैं!

तभी महामंत्री ने एलान किया- बोली शुरू की जाये!

पहली बोली महाराज की।

महाराज ने कहा- सबसे पहले होंठो की बोली, एक सौ सोने की अशर्फियाँ!

बोली बढ़ते-बढ़ते 2500 अशर्फियों तक पहुँची और फिर मेरे होंठ आखिरकार बिक गए, किसी साहूकार ने खरीदे थे।

साहूकार आगे आया और मेरे होंठो पर चूमने लगा, भरा दरबार मेरी लुट ती हुई इज्ज़त देख रहा था, मेरे होंठ चूसते हुए उसने अपनी जबान मेरे मुँह में डाल दी और मेरी गर्दन पकड़ ली।

सभी लोगों के मुँह में पानी आ रहा था, लार टपक रही थी।

फिर मेरी बगलों की बोली हुई, जिन्हें 1500 अशर्फियों में दो भाइयों ने खरीदा।

दोनों अपना लण्ड झुलाते, मेरे दोनों तरफ आ गए और दोनों ने अपने अपने लण्ड मेरी बगलों में घुसा दिए और घिसने लगे।

उधर साहूकार ने भी अपने फनफ़नाता लण्ड निकाला और सर की तरफ खड़े हो मेरा चेहरा अपनी ओर करते हुए अपना लण्ड मेरे मुंह में पेल दिया...

अब मेरे जिस्म पर तीन लण्ड थे।

फिर मेरे चूचों की बोली शुरू हुई।

महामंत्री ने मेरे चूचे 5000 अशर्फियों में खरीद लिए और आकर मेरी कमर पर बैठ मेरे चूचे चूसने लगे।

फिर मेरे हाथों की बोली लगी।

दो व्यपारियो ने मेरे हाथ खरीदे और अपने अपने लण्ड मेरे हाथों में मुठ मराने के लिए दे दिए।फिर बोली लगी मेरी गांड की!

दस हज़ार अशर्फियों में गाण्ड भी बिक गई।

गाण्ड का फूल कोमल था, उसे एक बलिष्ठ पहलवान ने खरीदा था।

वो आया और मुझे अपने नीचे सीधा करके लेटा लिया। इस तरह कि मेरा चेहरा छत की तरफ हो।

अब मुझ पर सात लण्ड सवार थे, दो हाथों में, दो बगलों में, एक चूचों में, एक मुँह में और एक गाण्ड में!

और अब बारी राजकुमारी चूत की थी!

वो इतने लण्डों की वजह से रस चो चो कर बेहाल थी।

मैं जल्दी ही अपनी चूत में एक मोटा ताज़ा लौड़ा लेना चाहती थी।

मेरी इज्ज़त तो लुट ही चुकी थी, मैं सबके सामने नंगी हुई अलग अलग जगह से चुद रही थी, मैं खुद पर अपना नियंत्रण खो चुकी थी।

इतने मर्द मेरे जिस्म से लिपटे थे, मैं इसी सोच में थी कि मुझे सुनाई पड़ा- इसकी चूत आपकी हुई!

मैंने मुँह से साहूकार का लण्ड निकाला और चेहरा उठा कर इधर-उधर देखा तो क्या देखती हूँ,

चूत राजा ने खरीदी थी, वो भी दस-बीस हज़ार में नहीं, पूरे एक लाख अशर्फियों में!

राजा आया, जो कि पहले से नंगा था, आकर मेरे ऊपर चढ़ गया और मेरी चूत में अपना लण्ड घुसाने की नाकाम कोशिश करने लगा...

उधर मेरा मुँह लण्ड खा-खा कर थक चुका था...कि साहूकार ने अपना काम रस छोड़ दिया, मेरे मुँह में भर दिया और उठ कर पूरी कामलीला देखने लगा.

.

मेरी बगलों से लंड-रस बह रहा था, चूचो पर महामंत्री जी अपने हाथों से घुन्डियाँ घुमा कर मुझे मीठी सी टीस दे रहे थे, हाथ वाले लण्ड, मैं अभी भी जोर जोर से हिला रही थी, और पहलवान मेरी गाण्ड फाड़ रहा था।

उस पर चोट खाए राजा ने जोर से एक झटका मारा और मेरी चूत फाड़ डाली।

मेरी चूत से खून नहीं निकला तो राजा बोला- तू तो खेली-खाई है, तो भी तेरे इतने नखरे हैं... ये ले ...!!!

कह कर उसने एक और ज़ोर से झटका मारा.... एक मीठी सी आह के साथ एक.. तैरती सी तरंग मेरे जिस्म में फ़ैल गई।

अब तो गाण्ड का दर्द भी जा चुका था... ऐसा लग रहा था जैसी दुनिया भर का समंदर मेरी दो टांगों के बीच समा गया है।

सभी मंत्रिगण मेरे हाल देख कर मुठ मार रहे थे...

महामंत्री मेरे चूचे और जोर से मसल मसल के दाँतों से काटने लगे...

मैं कराह रही थी.. आःह्ह्ह आआह्ह्ह्ह से दरबार गूँज रहा था...

मेरी आहें.. राजा और पहलवान को लुभा रही थी कि तभी राजा अपने हाथ से मेरी चूत का दाना छेड़ने लगा..

मैं तड़प उठी...

मैंने अपने हाथ से एक लण्ड छोड़ राजा के हाथ पर हाथ रख दिया और जोर-जोर से भींचने लगी.. राजा के हाथ को अपने दाने पर दबाने लगी..

तभी मंत्री जी ने अपना काम रस मेरे चूचों पर छोड़ दिया... और जिस्म से हट गए..

उन्होंने हटते ही मेरे होंठों पे ज़ोरदार चुम्मा दिया और बोले-. तू कमाल की है... अगर राजा का चूचे काटने का फरमान नहीं होता तो शायद में तेरे चूचे चूसने, दबाने के लिए तुझे हमेशा के लिए अपने पास रख लेता...

तभी साहूकार पिनियाते हुए आया और बोला- इसके होंठ मेरे हैं... तू क्यों चूम रहा है..?

महामंत्री बोला- अरे सबसे पहले तो तूने ही मुँह मारा है इस पर.. तू हट गया तो मैंने भी मार लिया अपना मुँह! अब कुआँ चाहे किसी का भी हो, कुआँ पानी तो हर किसी को पिलाता है ना...?

दोनों व्यापारियों की भी पिचकारी छूटने लगी थी, दोनों ने मेरे चेहरे पर पिचकारी दे मारी.. और बोले- चाट इसको... नहीं तो फिर से मुठ मारेगी तू हमारी...

मेरी हालत.. सचमुच की रांडों जैसी हो गई थी कि तभी पहलवान छूटने लगा और दोनों हाथों से मेरे चूचों पर जो माल गिरा था उसे मेरे चूचों पर मसलने लगा...

महामंत्री खड़े खड़े तमाशा देख रहा था.. कि कराहट से मेरा मुँह खुल गया है...

तभी राजा मेरे ऊपर आया और मेरे होंठो को उसने अपने मुँह में भर लिया, काटने-खसोटने लगा...

तभी पहलवान झड़ने लगा और उसने सारा रास मेरी गाण्ड में ही छोड़ दिया...

उसका लण्ड छोटा होकर मेरी गाण्ड से बाहर आ गया.

.

अब राजा को मौका मिल गया.. वो तो पहले से ही मुझ पर सवार था..

अब मेरे जिस्म पर वो हक़ ज़माने लगा, कभी मेरे चूचे मसलता, कभी मेरे मुँह में हाथ डाल देता..

वो मेरी जवानी लूट रहा था और मैं कुछ नहीं कर पा रही थी..

इतने में उसने पहलवान को मेरे नीचे से हटने का मौका दिया..

अब मैं कालीन पर और राजा मेरी चूत में घुसा बैठा था...

वो अब मेरी गाण्ड में दो ऊँगलियाँ घुसाने लगा.. और मैं मदमस्त हुई अपनी जवानी का रस लुटा रही थी..

अब मैं भी मज़े लेने लगी थी.. मेरे अंदर की छिपी राण्ड अब बाहर आकर अंगड़ाइयाँ लेने लगी थी... मेरी आहें दरबार में गूँज रही थी..

कि तभी अचानक राजा ने लण्ड निकाल कर मेरी गाण्ड में पेल दिया...

राजा अब झड़ने वाला था... राजा ने एक झटके से अपना लण्ड फिर मेरी चूत में पेला और झड़ने लगा...

आगे बढ़ कर मेरे होंठ चूसने लगा... उसने मेरी चूचक मसले ... और मेरे अन्दर ही झड़ गया... उसके बाद वो मुझ पर से हट गया..

उसने सिपाहियो को मुझे खड़ा करने को बोला..

मैं कामरस में भीगी हुई थी, मेरे से खड़ा भी नहीं हुआ जा रहा था..

जैसे तैसे मैं सिपाहियो के सहारे खड़ी हुई।

हवा में कामरस की खुशबू मुझे और चुदने को मजबूर कर रही थी...

सभी मर्द मुझ पर हंस रहे थे, मेरी बेबसी का मजाक बना रहे थे, राजा ठहाके लगा रहा था...

कि तभी मुझ पर जोर से पानी फेंका गया..

मेरी आधी बेहोशी चूर चूर हो गई, मेरे जिस्म से काम रस हट गया..

मेरा गोरा जिस्म सबकी निगाहों में चमकने लगा..

मेरे गीले बाल मेरी चूचियों को ढकने की नाकाम कोशिश कर रहे थे..

मेरे थरथराते होंठ पानी से भीग कर कई लण्डों को आमंत्रित कर रहे थे...

मेरी चमकती गाण्ड चुद कर और चौड़ी हो गई थी...

मेरी हालत देखने लायक थी...

सभी सभासद मेरा आँखों से चोदन कर रहे थे..

मैंने अपने हाथों से अपने लाल चूचों और बहती चूत को छिपाने की कोशिश की..

कि तभी दो सिपाही आए और मेरे जिस्म से मेरे हाथों को अलग कर अलग अलग दिशा में थाम लिया।

मैं नंगी खड़ी जमीन में गड़े जा रही थी..!!

सब मंत्री खड़े होकर मुझ पर थूकने लगे.. और ठहाके लगा कर हंसने लगे...

एक सिपाही दो लट्ठ लेकर आया, मोटे-मोटे लट्ठ, जो लंड से कई गुना बड़े और मोटे थे।

एक मेरी चूत में और दूसरा मेरी गाण्ड में घुसा दिया गया..

दर्द के मारे मैं चिल्लाने लगी...

तभी एक कसाई को बुलवाया गया.. ताकि वो मेरे चूचे और ज़बान काट सके..

कसाई अपने औज़ारों की धार तेज कर रहा था..

वो मेरे करीब आया और काटने के लिए उसने अपनी कटार उठाई..

कि तभी पीछे से आवाज़ आई..

राजा : रुको ...!!!

सभी सभासद बातें बनाने लगे..- यह क्या हो गया.

. चिकने बदन पर राजा फिसल गया...!!!

राजा : इस लड़की ने जितना दर्द सहना था, सह चुकी... और ऐसा नहीं कि इसने सिर्फ दर्द सहा... इसने सिपाहियों के हाथों से मसले जाने पर आहें भी भरी.. और अपनी चूत की मादक सुगंध सूंघ कर यह भी चुदने को बेताब हुई.. इससे यह साबित होता है कि लड़की में जिस्म का गुरूर जरूर है.. पर यदि इसे ठीक ढंग से गर्म किया जाये तो यह 8-10 लड़कियों का मज़ा एक ही बार में दे सकती है... इसलिए मैं इसकी चूत, गाण्ड सिलने का आदेश वापिस लेता हूँ और लड़की पर छोड़ता हूँ कि वो मेरी सबसे प्यारी रखैल बनना चाहती है या गली मोहल्ले में नंगी घूमने वाली रंडी? या फिर किसी टुच्चे की रखैल बन कर अपनी जवानी बर्बाद करना चाहती है और नौकरानी बने रहना चाहती है सारी ज़िन्दगी..!!!

मैं राजा के हाथ लुट चुकी थी और कई मर्द मुझे अब भोग चुके थे... राजा की बाकी दासियों की तरह मैं भी उसके लण्ड की दीवानी हो चुकी थी..

अब राजा हर रात मेरे साथ गुज़ारता, मैं हर वक़्त नंगी रहती...मेरी वासना हर समय जागृत रहती...

मेरे जीवन में अब वासना.. काम.. चुदाई.. लंड के सिवा कुछ नहीं रह गया था...

समाप्त!!!!

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