विधवा मॉम की चुदाई का मजा

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विधवा मॉम की चुदाई का मजा
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मैं सूरत से हूँ, मेरा नाम रोहन है, 24 साल का हूँ, दिखने में स्मार्ट और शारीरिक रूप से बलिष्ठ हूँ. मेरा कद 5 फुट 10 इंच का है. मेरा लंड 7 इंच लंबा 3 इंच मोटा है. मैं शुरू से ही सेक्स में ज़्यादा इंटरेस्ट लेता था.

आज जो कहानी मैं बताने जा रहा हूँ वो मेरे और मेरी मॉम के बीच हुई है, जो अबसे दो साल पहले घटी थी.

तब हम लोग राजस्थान के एक छोटे से कस्बे में रहते थे. मेरी फैमिली में मेरे मॉम डैड, छोटी बहन के अलावा हमारी नानी भी हमारे साथ रहती थीं. मेरे डैड सरकारी नौकरी में थे, जो अब नहीं हैं. उनकी मृत्यु के बाद मेरी मॉम को नौकरी मिल गई और अब वे सरकारी नौकरी में हैं.

मेरे डैड काफ़ी ड्रिंक करते थे और ड्रिंक करने के बाद वो मॉम की खूब चुदाई भी करते थे. मैंने कई बार रात में खिड़की से झांक कर देखा था. मैं अपनी मॉम की खूबसूरती से पहले से ही आकर्षित था, वो बहुत सुंदर और आकर्षक हैं.

अपनी मॉम के बारे में बता दूँ. उनका नाम विनीता है उम्र 41 साल, कद 5 फुट 6 इंच, वजन 56 किलो, उठे हुए मम्मों 38 इंच के हैं. कमर 32 इंच की है और उठी हुई गांड 36 इंच की है. मेरी मॉम की ऊपर को उठी हुई गांड की थिरकन को यदि पीछे से कोई देखे तो उसका कलेजा हिल जाए.

मॉम की बलखाती कमर के नीचे मोटे और बड़े से चूतड़ उसकी खूबसूरती को 100 गुना बढ़ा देते हैं. दूसरी लेडीज की तरह मेरी मॉम के चूचे लूज़ नहीं हैं. मॉम के चूचे फूले और भरे हुए हैं और फेस तो बिल्कुल ऐसा है कि कोई 2 मिनट मेरी मॉम के फेस को लगातार देख भर ले तो मॉम को होंठों पर किस करने से खुद को रोक ही नहीं पाएगा.

मेरी मॉम से पहले से ही मुझे काफी लगाव था. फिर जबसे मैंने एक बार माँ और बेटे की चुदाई का वीडियो देख लिया तब से तो बस मैं अपनी मॉम को लेकर कामुक हो गया था, मुझमें बहुत ज्यादा सेक्स फीलिंग यानि वासना आनी शुरू हो गई थी.

मैं कभी कभी रात को चोरी छुपे खिड़की से झांक कर मॉम डैड की चुदाई भी देख लेता था. एक रात डैड मॉम को उल्टा लेटा कर उनकी गांड की मालिश कर रहे थे. शायद वे मॉम की गांड का साइज़ बढ़ाने के लिए ऐसा कर रहे थे. इधर बाहर मैं खड़ा उसी गांड को चोदने की सोच में हाथ से लंड हिला रहा था.

मैं कभी कभी दिन में जब मौका लगता था, कोई घर में नहीं होता था, तब किसी न किसी बहाने से वासना के वशीभूत मॉम को टच कर लेता था लेकिन उसमें सेक्स जैसा कुछ नहीं था, सब नॉर्मल ही चल रहा था.

फिर 3 साल पहले मेरे डैड का एक्सिडेंट हो गया और वो हमें छोड़ कर चले गए थे. उस वक्त मानो अचानक घर में भूचाल आ गया हो, एकदम से सब बिखर गया. एक दो महीने तो ऐसे ही गुजर गए. घर में मॉम, मैं नानी और बहन ही रहते थे, मिलने वाले आते थे और दिलासा देकर जाते रहते थे.

फिर दो तीन महीने मैंने भी मॉम को उस नज़र से नहीं देखा. दो तीन महीने ऐसे ही गुजर गए. धीरे धीरे सब नॉर्मल होने लगा. मेरी मॉम पढ़ी लिखी हैं तो उन्होंने डैड की जॉब की जगह अप्लाई कर दिया. कुछ महीने में उनकी जॉब लग गई और धीरे धीरे हमारा जीवन वापिस रास्ते पे आने लगा. मॉम दिन में ऑफिस जाने लगीं. मैं कॉलेज चला जाता था, बहन स्कूल और नानी घर पे रहती थीं.

मॉम पहले से ही मॉर्डन सोच और लाइफ स्टाइल वाली हैं. वो अपने बालों को और आइ ब्रो को हमेशा सैट रखती हैं. उनका पहनावा भी मॉडर्न रहा है, वो कभी कभी जीन्स भी पहन लेती हैं और घर में अक्सर लैगिंग्स और टीशर्ट पहन कर रहती हैं. मादक शरीर से चुस्त लैगिंग्स में अपने मोटी जाँघों और गांड दिखती थी. छोटी सी टी-शर्ट में थिरकते टाइट चूचे मुझे अक्सर पागल करते रहते थे. मेरे फ्रेंड्स भी कभी कभी मेरे घर आकर ऐसा शो फ्री में देख लेते थे.

मॉम टाइट लैगिंग्स और टी-शर्ट में एक हॉट लेडी लगती थीं.

जब तक डैड जिंदा थे, तब तक मैंने एक दो बार सोते हुए मॉम के मम्मों को टच किया था या हल्के से उनके गाल पर किस भी किया था, लेकिन इससे ज्यादा कुछ नहीं किया था.

एक दिन सुबह की बात है, मेरी आँख जल्दी खुल गई थी. सुबह के समय वासना कुछ अधिक ही रहती है. मैं अपने रूम में लेटा हुआ अन्तर्वासना सेक्स स्टोरी पढ़ कर मुठ मार रहा था, बहन स्कूल चली गई थी, नानी अपने कमरे में थीं, वो काफ़ी ओल्ड हैं तो बेड पर लेटी रहती थीं. मॉम अपने रूम में थीं और ऑफिस जाने की तैयारी में बाथरूम में नहा रही थीं.

मैंने सोचा कि क्यों नहीं आज मॉम को नंगी देखा जाए. मैं चुपके से उनके कमरे में चला गया और जाकर साइड में खड़ा हो गया. तभी थोड़ी देर में ही मॉम ने नहाते हुए ही दरवाज़ा खोला और वाइपर से बाथरूम के अन्दर पानी खींचने लगीं, जिससे कमरे में पानी ना आ जाए. चूँकि मॉम के कमरे में अटैच बाथरूम था इसलिए उनको इस वक्त किसी बात की चिंता नहीं थी.

मॉम ने उस वक्त श्वेत रंग की पेंटी और क्रीम रंग की ब्रा पहनी हुई थी. इन दो अंडर गारमेंट्स में उनके मोटे मोटे चूचे और बड़े बड़े चूतड़ देख के लंड खड़ा होने लगा. वो थोड़ी सी गीली भी थीं और उनके बाल भी वो उनके चूतड़ों के ऊपर तक थे, खुले हुए पानी में भीगे बिखरे हुए थे.

यह नशीला और कामुक शो बस दो मिनट ही चला, तभी अचानक मॉम की मुझ पर नाराज़ पड़ी और उन्होंने झट से दरवाज़ा बंद करते हुए अन्दर से ही मुझे बोला- अरे तू कब आया.. पता नहीं लगा?

मैंने बोला- मॉम बस मैं अभी आया, कुछ ढूँढ रहा था.

मैं यह कहते हुए अपने कमरे में चला गया.

मॉम भी थोड़ी देर में ही तैयार होकर ऑफिस चली गईं. उन्होंने उस दिन सफ़ेद सूट पहना था. मैं पूरा दिन घर में लेटा हुआ बार बार उनको याद करते हुए मुठ मारता रहा.

ऐसे ही धीरे धीरे वक़्त बीता जा रहा था धीरे धीरे डैड को भी एक साल हो चुका था. एक तो मॉम वैसे ही पूरा दिन बाहर रहती थीं और जब शाम में घर में रहती थीं उस वक़्त उनके साथ बहन ज़्यादा वक़्त बिताती थी. ऊपर से नानी भी मॉम के साथ बिज़ी रहती थीं. मेरी छोटी बहन भी मॉम से चिपकी रहती थी. मुझे कोई ऐसा मौका नहीं मिल पाता था, जब मैं मॉम के साथ कुछ कर सकूं. हां कभी कभी पास बैठ जाता था, लेट जाता था.. तब उनकी बॉडी पर उनके पेट पर या कमर पर हाथ रख कर फील कर लेता था.

कभी कभी जब नानी अपने कमरे में होती थीं और मॉम अकेले किचन में होती थीं, तब मैं मॉम के पास जाकर खड़ा हो जाता था और बहाने से मॉम की कमर को टच करके उनको हग करने की कोशिश करता था. उनका मूड अच्छा होता तो धीरे से हग कर लेता, गुस्सा होतीं तो नहीं करता. वो वैसे भी बहुत गुस्से वाली हैं, बस इस वजह से कभी अधिक हिम्मत नहीं होती थी.

मैं सोचता था अगर मैं मॉम के साथ कुछ सेक्स जैसा ट्राइ करूँ और उनको बुरा लगा तो क्या नतीजा निकलेगा. बस यही सोच कर गांड फट जाती थी और ज्यादा ट्राइ नहीं मारता था.

अब मैं आपको वो बात बताता हूँ जिस हादसे ने मेरी लाइफ पूरी ही बदल दी.

हम लोगों को एक शादी के कार्यक्रम में जाना था. क्योंकि हम एक छोटे कस्बे में रहते थे और वो शादी भी पास में ही एक छोटे से गांव में थी. मॉम की बहन यानि मेरी मौसी की फैमिली में.. मतलब कुछ खास रिश्तेदारी में शादी थी.. तो हमको वहां जाना जरूरी था.

नानी घर में ही रुक गई थीं और मैं बहन और मॉम हम तीनों गए थे. हम सभी बस से गए थे. मॉम सूट में थीं लेकिन सूट में भी उनके चूचे और गांड ऐसे हॉट लुक दे रहे थे कि बस समझो क़यामत जैसा सीन था.

जब वो बस में चढ़ी और सीट तक गईं, उतनी देर तक सब बुड्ढे उनकी गांड और हिलते हुए मम्मों को देख कर मजा कर रहे थे. यही सब मैं भी पिछले 5 सालों से मॉम को केवल देख कर और दूर से टच करके एंजाय कर रहा था. इससे ज्यादा मुझे भी कुछ नहीं मिल पा रहा था. मुझे मॉम से डर लगता था और मुझे लगता था कि वो एक धार्मिक पूजा पाठ वाली औरत हैं. उनका किसी से कोई अफेयर रहा है तो मुझसे क्या कुछ करेंगी.

लेकिन सब कुछ इतने जल्दी बदलने वाला था, ये मुझे भी नहीं पता था. मानो जैसे मेरा जॅकपॉट लगने वाला था और मुझे कुछ पता ही नहीं था.

हम लोग शादी वाली जगह पहुँच गए. सर्दियों के दिन थे, वहां सब लोग नाच गाने में लगे हुए थे. सब आपस में बातें कर रहे थे. मेरी बहन बच्चों के साथ इधर उधर खेलने में बिज़ी हो गई थी. मॉम, मैं, मेरी मौसी उनके एक दो रिलेटिव लड़के और दो चार और दूसरे रिश्तेदार हम सब रज़ाई को अपने पैरों पर डाले हुए बैठे थे. कुछ ने अपने हाथ भी अन्दर किए हुए थे, मैंने और मेरे एक दो कज़िन ने भी अपने हाथ अन्दर किये हुए थे. उस वक़्त ठंड बहुत ज्यादा हो गई थी.. आज कुछ ज्यादा ही ठंडा मौसम था.

मेरी मॉम के साइड में एक साइड मौसी बैठी थीं, एक साइड मेरा एक कज़िन बैठा था. मैं मौसी के बगल में बैठा था.. लेकिन मॉम थोड़ी साइड से बैठी थीं तो मुझे उनका चेहरा दिख रहा था. मॉम का चेहरा इतना आकर्षक है कि अगर दो मिनट तक उनके होंठों और चेहरे के ग्लो को देख लो तो किसी का भी अन्दर से उनको किस करने को मन होने लगेगा.

मैं भी उस वक़्त मॉम के मुखड़े को देख रहा था. कभी कभी जब उनकी रज़ाई नीचे को हो जाती तो उनके चूचे दिख जाते. मैं बड़ा अनकंफर्टबल फील कर रहा था.. मेरा लंड धीरे धीरे खड़ा हो रहा था.

मुझसे कंट्रोल नहीं हुआ और मैंने धीरे से अपना हाथ रज़ाई के अन्दर ही अन्दर मॉम की दूसरी तरफ वाली जांघ पे रख रख दिया, उस साइड कज़िन था और हल्के से सहलाने लगा.

मॉम के जिस दूसरी साइड कज़िन था, वो भी मॉम की जवानी का दीवाना था. मॉम को देख कर अजीब अजीब हरकत करता था. वो मॉम को टच करना चाहता था. मॉम उसको बोलती थीं कि मुझे लगता है, ये बहुत बिगड़ा हुआ है और आवारा है.

मुझे उनकी इस बात से समझ आ गया था कि वो मॉम की चूत को चोदना चाहता था. बस उसी बात का मैंने फायदा उठा लिया.

जब मैंने हाथ रखा तो मतलब मॉम को ऐसा महसूस हुआ होगा कि कजिन ने हाथ रखा है. ये उस कज़िन राहुल की ही हरकत है. मॉम ने एक मिनट हाथ रखा रहने दिया और फिर रज़ाई के अन्दर ही हाथ को हटा दिया.

बाहर सबसे नॉर्मल बातें हो रही थीं लेकिन मॉम थोड़ी शांत सी बैठी थीं. मैं मॉम के थोड़ा सा साइड में जाकर बैठ गया. थोड़ी देर में मैंने फिर से हाथ मॉम की दूसरी साइड वाली जांघ पे रख दिया और मैं सहलाने लगा. अब मॉम ने इस बार फिर से हाथ को अन्दर ही हटा दिया और थोड़ा साइड में सरक कर उस कज़िन से बोलीं- क्या हुआ तुझे? क्या कर रहा है?

वो मॉम को देखने लगा, मॉम उसको देखने लगीं. उसको भी कुछ नहीं समझ आया कि क्या हो गया है. मॉम भी किसी से कुछ ज्यादा नहीं बोलीं, चुप रहीं.

वो कज़िन भी बातों में मस्ती करने लगा. उसको तो कुछ पता भी नहीं था कि वहां क्या हो रहा था. बस मुझे और मेरी मॉम को पता था, लेकिन मॉम को ये नहीं पता था कि वो मैं हूँ, उसको लगा कज़िन है.

अब जब तीसरी बार मैंने हाथ मॉम की जाँघ पे रखा. इस बार मैंने हाथ को थोड़ा मॉम की चूत की बगल में जाँघ के ऊपर रखा, जिससे मेरी फिंगर आगे से उनकी चूत को छू रहा था और बाकी हाथ उनकी जांघ पे था. मैं उनकी जांघ को सहलाने लगा, तभी उन्होंने रज़ाई के अन्दर ही मेरा हाथ पकड़ लिया, किसी को बोला कुछ नहीं, बस हाथ पकड़े रहीं. मतलब वो मना कर रही थीं कि मत करो. पहले तो उन्होंने हाथ पकड़ा तो मैं डर गया लेकिन जब वो चुप रहीं तो मुझे लगा कि अभी इस मौके का फायदा उठाने का और भी समय बाकी है.

मैंने हाथ को थोड़ा टाइट करते हुए रज़ाई के अन्दर ही मॉम के हाथ से हाथ को छुड़ा लिया और उनकी जांघ को इस बार अच्छे से सहलाने लगा.

उन्होंने थोड़ी देर हाथ को रोका लेकिन जब हाथ नहीं रुका तो उसने रज़ाई के अन्दर ही हाथ को फ्री कर दिया मतलब चुपके से अपनी स्वीकृति दे दी.

मैंने भी उनकी जाँघ सहलाया, सलवार के ऊपर से उनकी चूत को टच किया. उन्होंने अन्दर पेंटी पहनी हुई थी, जो मुझे फील हो रही थी. मुझे मॉम की चूत के ऊपर कुछ गीला गीला और गर्म लग रहा था, शायद वो गर्म हो रही थीं. हो भी सकती थीं क्योंकि उन्होंने भी एक लंबे वक़्त से, लगभग एक साल से ना चूत चुदवाई थी, ना गांड मरवाई थी.

इधर मेरा लंड भी पूरा खड़ा हो गया था, मुझे और ज़्यादा मजा आ रहा था. उसकी वजह से मैं अपने हाथ को मॉम की सलवार के अन्दर घुसाने लगा. मैं मां की चूत में उंगली करना चाहता था लेकिन वहां सबके बीच में वो और ज़्यादा सेक्स ना फील करने लगें.

जैसे ही मैंने उनकी सलवार में साइड से हाथ घुसाना चाहा, तभी उन्होंने हाथ को रोकते हुए हाथ हटाया और रज़ाई से उठ कर चली गईं. मेरा मज़ा आधा ही रह गया. मैं भी थोड़ी देर में वहां से उठ कर चला गया. साइड में एक अकेली जगह जाकर मॉम के बारे में सोचते हुए मुठ मारने लगा. मेरा लंड तो तभी से शांत ही नहीं हो रहा था तो मुझे मुठ मारनी ही पड़ी.

लेकिन मैं मॉम को सोच कर मुठ मारते हुए आज बड़ा खुश था कि जिस मॉम के लिए मैं डरता हूँ कि वो किसी को लिफ्ट नहीं देतीं तो मुझे कैसे देंगी, वो तो बड़ी आसानी से चूत देने को तैयार हैं.

बस अब मैंने मन में ही सोच लिया था कि लाइफ में दुबारा शायद ऐसा मौका पता नहीं कब आए. मुझे इस शादी में ही मॉम को कैसे भी करके चोदना है. रात भर मैं यही सोचते हुए सो गया. मॉम भी वाकी महिलाओं के साथ दूसरी साइड में लेटी थीं. सब अलग अलग चारपाई पर लेटे थे.

अब अगला दिन शुरू हुआ, सुबह जब मैं सोकर उठा, तब तक मॉम शायद नहा कर तैयार हो चुकी थीं, उन्होंने नीले रंग का सूट पहना था जो मम्मों और पेट पर थोड़ा टाइट था. सुबह उठते ही जब मैंने मॉम को देखा, मेरा लंड तभी खड़ा हो गया. मैं पूरा दिन बस सोचता रहा कि कैसे और कहां चोदूँ. आज भी मॉम का सूट एकदम टाइट था तो बार बार मॉम के सूट पे पीछे से ब्रा कि झलक दिख रही थी, वो सीन मुझे और ज़्यादा एग्ज़ाइट कर रहा था. वहां शादी जो थी, वो पास में वहीं गाँव में ही पास की एक जगह पर थी. ये जगह उनके घर से थोड़ी दूरी पे ही थी.

धीरे धीरे रात होने लगी, सब शादी की तैयारी करने लगे और मैं इस तलाश में था कि मॉम की चुदाई कैसे करूं. शादी घर के पास में थी, तो घर के ज़्यादा लोग वहां शादी में जाकर बिज़ी हो गए थे. घर में बस अब लेडीज ही थीं. मैं भी फंक्शन में ही था और अन्दर का डर हटाने को थोड़ा ड्रिंक कर रहा था.

तभी थोड़ी देर बाद मॉम भी वहीं फंक्शन में आ गईं. मॉम ने लाइट पिंक कलर की साड़ी पहनी थी, थोड़ी ट्रांसपेरेंट टाइप की थी, ब्लाउज आगे से गहरे गले वाला था मतलब जिसमें मॉम के चूचे थोड़े एक्सट्रा दिख रहे थे और पीछे से उनकी पीठ भी काफी खुली दिख रही थी. उन्होंने हल्का मेकअप किया हुआ था, हल्के गुलाबी रंगत वाली लिपस्टिक लगाई हुई थी. साड़ी नेट की थी तो उसमें से उनकी नाभि का छेद दिख रहा था.. उफ्फ़ और ऊपर से उनकी मोटी मस्त गांड, जो मुझे हमेशा से पसंद थी, गजब ठुमक रही थी.

वो इस वक्त इतनी अधिक हॉट माल लग रही थीं कि वहां के सब बुड्ढे और लड़के मेरी मॉम को ही देख कर आँखें सेंक रहे थे और ऊपर से कुछ को ये लग रहा था कि इतना हॉट आइटम विडो है, इस पर चान्स मार लो.

अब धीरे धीरे शादी का वक़्त बीतता जा रहा था, बारात भी चढ़ चुकी थी. मैं भी बार बार बहानों से मॉम की बॉडी को टच कर रहा था और मेरे साथ वो वाला कज़िन भी था, जिस पर रात में मॉम को शक़ था. वो भी मॉम से मस्ती में बातें कर रहा था तो मॉम का सारा ध्यान उस पर था मुझ पे नहीं.

रात को खाना हो गया.. धीरे धीरे एक बज गया. अब फेरों की तैयारी होने लगी. वहां सब इधर उधर बिज़ी थे, तभी किसी ने मेरी मॉम को घर से कोई सामान लाने को बोला.. शायद मौसी ने मॉम ने मुझे आवाज़ लगाई और कोई सामान घर से लाने को बोला. मुझे लगा शायद यहां कोई चान्स मिल जाए, इसके वजह से मैं मॉम से बोला कि मैं बिज़ी हूँ, आप खुद ले आओ या और किसी से मंगा लो.

उस वक्त सब अपने अपने में बिज़ी थे, तो थोड़ी देर बाद मॉम खुद ही उस फंक्शन वाली जगह से निकल कर घर की तरफ चली गईं. मैं भी मॉम के पीछे पीछे चुपके से चल पड़ा.

अब रात के 2 बजे थे, सब शादी की कारण उधर फंक्शन में थे, उस वजह से घर में उस वक़्त कोई नहीं था.. ऐसा मुझे लगा था.

अब मॉम जब घर में घुसीं तो मैं उनके पीछे आ गया.. वहां मैंने देखा सारे दरवाज़े बंद पड़े थे, सब खाली खाली कमरे थे.. सब शादी में थे.

मॉम अन्दर जाकर एक कमरे में घुस गईं और कुछ सामान ढूँढने लगीं. मैं कमरे के बाहर खड़ा था. उस पूरे घर में बस हम दोनों ही अकेले थे और मेरा शायद सालों का सपना अब पूरा होने वाला था.

मैंने अपनी शर्ट निकाली और कमर पे बाँध ली क्योंकि उस कज़िन ने जिस पे मॉम को शक था, उसने शराब के नशे में अपनी कमर पर शर्ट की गाँठ बांधी हुई थी और मॉम ने उसे कई बार इसी तरह से देखा हुआ था. मैंने अपने फेस को रूमाल से कवर किया और उसी रूम में घुस गया.

मॉम का चेहरा दूसरी साइड था, अब तक उन्होंने मुझे नहीं देखा था. मैंने पीछे से चुपके से कमरे का दरवाज़ा बंद कर दिया. जैसे ही दरवाज़ा बंद हुआ मॉम ने एकदम से दरवाज़े की तरफ देखा, वहां उन्हें थोड़ा सा कुछ दिखा, वहां लाइट का स्विच था, मैंने झट से लाइट ऑफ कर दी, अब पूरे रूम में अंधेरा हो गया.

तब मॉम उस कज़िन का नाम ले कर बोलीं- राहुल ये सही नहीं है.

बस मैं समझ गया कि उनको लग रहा है कि ये राहुल है.

मैंने अँधेरे में सीधे जाकर मॉम को बांहों में ले लिया. सालों से जिनके जिस्म को दूर से देख के मुठ मारता था, वो इस वक़्त मेरी बांहों में थीं. मुझसे काबू नहीं हो रहा था, ऊपर से मैंने थोड़ा पी हुई थी. मैं अपनी मॉम के गले पे किस करने लगा. उनके दोनों चूचे, जो कभी टच करने को नहीं मिले थे, उनको मसल रहा था.

मॉम थोड़ा गुस्सा होकर बोल रही थीं- राहुल छोड़ दे सबको बोल दूँगी.. चिल्ला दूँगी.

मैंने सोचा ज़्यादा वक़्त नहीं गंवाना चाहिए बड़ी मुश्किल से मौका मिला है. मॉम भी बार बार बांहों से छूटने की कोशिश कर रही थीं.

उस रूम में एक बिस्तर भी पड़ा था, वो कमरा दरअसल उस नई दुल्हन का था, जिसकी शादी थी, उसी का बेड पड़ा था. पीछे से मैंने मॉम को पकड़ कर बेड पे उल्टा गिरा दिया और पीछे से ही उनकी गांड के ऊपर चढ़ गया. वो भी थोड़ा आवाज़ कर रही थीं. मुझे लगा भी फिर कोई आ ना जाए ज्यादा वक़्त ना लगाऊं. मैं मॉम की साड़ी को पैरों पे ऊपर करने लगा.

मैंने उनकी साड़ी जाँघों तक ऊपर कर दी. वो बेड पर सीने के बल उल्टी लेटी हुई थी. पीछे से मैं उनके दोनों पैरों के बीच लगा बैठा था. मैंने मॉम की पेंटी उतारने लगा, जैसे ही थोड़ा खींची, वो हाथ से पकड़ने लगीं और रोकने लगीं. मैंने थोड़ा जोर लगाया और उनकी पेंटी को नीचे खींच दिया. मेरा लंड जो मैंने पहले से ही जीन्स की चैन खोल के निकाला हुआ था, वो मैंने पीछे से मॉम की जाँघों में घुसा कर उनको बेड पर नीचे झुका दिया और उनके ऊपर चढ़ गया.

मैं पीछे से ही मॉम की चूत में लंड डालना चाहता था, मैंने एक दो बार धक्का मारा, मेरा लंड जाँघों में फंस गया, चूत के अन्दर नहीं घुसा. तब मैंने लंड को थोड़ा थूक लगाया और फिर से मॉम की जाँघों के बीच अपने फुल टाइट लौड़े से जो धक्का मारा.

मेरे सख्त लंड का सुपारा मॉम की कोमल जाँघों को चीरता हुआ चूत में घुस गया और मेरी मॉम के मुँह से एक आवाज़ निकली- आआई.. यइयाईई..

मैंने उनपे कोई रहम नहीं दिखाते हुए पूरा लंड एक धक्के में ही मॉम की चूत में अन्दर तक ठूंस दिया. अब मॉम के मुँह से आवाज़ निकली- आअहह मर गई रे... अम्मा..

फिर वो चुप होकर बेड पर पैर खोल कर लेट गईं और कहने लगीं- मुझे छोड़ दो, ये सब ठीक नहीं है.

उन्हें शायद दर्द हो रहा था. सालों बाद इतना बड़ा लंड लिया था.

मैंने पूरा लंड एक धक्के में मॉम की चूत में घुसा दिया. मॉम के मुख से आवाज़ निकली- आअह... मर गई रे... मम्मा..

फिर वो चुप होकर बेड पर पैर खोल कर लेट गई, उन्हें शायद दर्द हो रहा था क्योंकि मेरा लंड बड़ा है.

अब मैंने धीरे धीरे धक्के मारने शुरू किए और मैं अपने हाथों से कभी उनके मम्मों को तो कभी उनकी बालों को चूमता हुआ उनके मस्त शरीर से खेल रहा था. साथ ही पीछे से मॉम की चुत में लंड के धक्के पे धक्का मारे जा रहा था. मुझे ऐसा लग रहा था जैसे जन्नत मिल गई हो. इतने साल इनको सोच कर मुठ मारा, आज फाइनली ये लंड उसी चूत को चोद रहा है. बस यही सोचते हुए मैं धक्के मारे जा रहा था.

मॉम नीचे बेड पर उलटी लेटी हुई थीं, अब वो खुद उठने की कोशिश भी नहीं रही थीं, उन्होंने अपने पैर पूरे खोल दिए थे ताकि लंड का धक्का आराम से लगे, चूत में दर्द भी कम हो.

मैं उनको चोदता गया. अब तक एक बार मेरा पानी भी उनकी चूत के अन्दर गिर चुका था लेकिन मैं धक्के मारे जा रहा था. मेरा लंड फुल टाइट खड़ा था क्योंकि मेरा लंड उस एक खूबसूरत हूर की चूत में था, जिसको सभी चोदना चाहते थे.

अब 20 मिनट हो गए थे. मेरे धक्के अब भी पूरी रफ़्तार में चालू थे. मेरा लंड खड़ा था लेकिन अब शायद मॉम लंड को और ज्यादा चूत में नहीं झेल सकती थीं, उन्होंने आगे से बेड से उठते हुए लंड को चुत से निकालने की कोशिश की. जब मैंने नहीं निकालने दिया, तब उन्होंने रिक्वेस्ट की कि राहुल अब मुझे चूत में दर्द हो रहा और नहीं कर.. वरना मैं चिल्ला दूँगी.

उनको अभी भी यही यकीन था कि अंधेरे में राहुल ही चोद रहा है. जब उन्होंने रिक्वेस्ट की तो मैंने उनकी चूत में धक्के मारने बंद किए.. लेकिन मेरा लंड अभी झड़ा नहीं था.

उनका पानी निकल गया था, मैंने लंड को चूत से निकाला, उस पर फिर से थूक लगा कर उनकी गांड में घुसाने लगा.

मैंने सोचा कि चूत में नहीं ले रहीं तो गांड में ही सही.. पानी तो निकालना है.. और गांड भी वो.. जिसे बस दूर से देख कर मुठ मार लेता था, कभी छू भी नहीं पाया था. आज उसी मखमली गांड के पीछे मेरा लंड खड़ा था. फिर दुबारा शायद इस मक्खन गांड को चोदने का कभी मौका मिले ना मिले, मैंने तय कर लिया कि आज गांड भी बजा कर मजा ले लूँगा.

मैं अभी भी बहुत प्यासा था.. मेरा उस टाइम पानी नहीं निकला था. मैंने मॉम की गांड में थूक लगाया और लंड को उनकी गांड के छेद पे रख के घुसेड़ दिया. मेरी मॉम को गांड मराने का भी अनुभव था इसलिए वो धीरे धीरे 'आहह आअहह..' करते हुए गांड मरा रही थीं. कुछ ही झटकों में मैं उनकी गांड को मस्ती से चोदने लगा.

इधर मैं उनकी गांड को बजा रहा था और वो बस बीच बीच में यही बोल रही थीं कि छोड़ दे राहुल साले कुत्ते.. मैं आज तेरी करतूत सबको बोल दूँगी.. देख छोड़ दे..

तभी मेरा पानी निकलने को हुआ और मैंने अपना लंड का सारा पानी उनकी गांड में निकालते हुए ढीला पड़ गया.

लंड से पानी झाड़ कर थक के मैं उनके बगल में बिस्तर पे लेट गया. मेरे लेटते ही मॉम वहां बेड से उठीं और सीधे रूम का दरवाजा खोल कर वहां से भाग गईं. वो सीधे शादी में गईं, वहां उन्होंने किसी को कुछ नहीं बोला.

थोड़ी देर में मैं भी उनके पास चला गया. उन्होंने मुझसे भी कुछ शेयर नहीं किया, बस थोड़ी टेंशन में दिख रही थीं. वो मुझसे उस कज़िन के बारे में पूछ रही थीं कि वो राहुल कहां है?

मैंने बोला- मॉम, वो तो नशे में घूम रहा था.

तभी मेरी किस्मत ने ऐसा साथ दिया कि राहुल रात में ही कहीं चला गया. मॉम की उससे कोई मुलाकात नहीं हुई. शादी देर रात में खत्म हुई.

अब तक मॉम ने किसी को कुछ नहीं बताया था.

सुबह का समय हुआ, सब थोड़ा फ्री होकर सो गए.. क्योंकि पूरी रात के जागे थे. मॉम तो ऐसे सोईं, बहुत गहरी नींद में, जैसे अफीम चाट ली हो. उन्हें तो रात की जबरदस्त थकान थी.

अब हमको वहां से अगले दिन मॉर्निंग में वापिस आना था. मॉम का ऑफिस था, बहन का स्कूल था. मेरे पास शायद एक बार का और मौका था क्योंकि मैं मॉम को बस यहीं चोद सकता था, घर पर तो संभव ही नहीं था.

अब शाम हुई सबने खाना खाया और सोने लगे. उधर दूल्हा और दुल्हन अपने रूम में सुहागरात मना रहे थे. राजस्थान में हमारी बिरादरी में लड़की की शादी के बाद लड़का ससुराल में ही रुकता है और वहीं पर सुहागरात मनायी जाती है.

घर में ज़्यादा रिश्तेदार नहीं रह गए थे, सब चले गए थे. जो थे, वे सब अपनी अपनी चारपाई में सोए हुए थे. उस समय मॉम भी एक कोने में एक चारपाई पे अकेली लेटी थीं. उस समय मेरी बहन मेरी चारपाई में सोई थी.

रात के 2 बजे थे, मुझे कल रात की चुदाई सोच कर नींद नहीं आ रही थी. ऊपर से वहां उस घर में नई चूत की सील खोलने वाली सुहागरात मनाई जा रही थी. इस सबसे मेरा मन कुछ ज्यादा उत्तेजित हो गया था. मैं चुपके से जाकर मॉम की चारपाई पर लेट कर उनके साथ रज़ाई में घुस गया और उनको अपनी बांहों में ले लिया.

odinchacha
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